यह वीडियो का set, भारतीय विद्यालयों में नेतृत्व के आयामों पर केन्द्रित है| ये वीडियो, भारतीय विद्यालय-नेतृत्व-गण के सदस्यों को इस बारे में बताते हुए दिखाते हैं, कि उनके प्राथमिक (या उच्च प्राथमिक) या माध्यमिक विद्यालय में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए, उन्होंने किस प्रकार बदलाव का कार्यान्वयन किया| आपको अपने विद्यालय में इस तरह की प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करके देखने के लिए प्रोत्साहित करना ही, इन वीडियो का लक्ष्य है|
ये वीडियो नौ प्रसंगों पर आधारित हैं:
ये वीडियो TESS India के विद्यालय नेतृत्व OER के प्रसंगों से जुड़े हैं|
विद्यालय नेतृत्व के साथ इनसे जुडी चर्चा और गतिविधियाँ करवाने के लिए आगे का विवरण और सुझाव विद्यालय नेतृत्व वीडियो संसाधन notes में मिल जाएँगे|
एक विद्यालय-नेतृत्व-गण के सदस्य, विद्यार्थियों की उपस्थिति को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने किये हुए बदलावों के कार्यान्वयन के बारे में बताते हैं|वे इस बात की रूपरेखा खींचते हैं कि किस प्रकार , उन्होंने अंतर्निहित मुद्दों को पहचाना और उनका निवारण करने के लिए कदम उठाए, जिनमें माता-पिता के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना भी शामिल था|
विद्यालय के नामांकन और उपस्थिति पर सीधा प्रभाव डालनेवाले बदलाव लाने के लिए विद्यालय-नेतृत्व-गण के इन सदस्य ने मुख्य लोगों का सहयोग प्राप्त किया| अपने विद्यालय को बेहतर करने के लिए आपको कौन से लोगों के सहयोग की आवश्यकता है? आप अपने विद्यालय के निर्णयों और समाधानों में उन्हें और अधिक शामिल करने के रास्ते सोच सकते हैं?
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एक विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या, अपने विद्यालय में घूमती हैं| प्रभावी प्रक्रियाओं की प्रशंसा करने के लिए और कमियों का निवारण करने के लिए, वे कक्षाकक्ष में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का अवलोकन करती हैं और notes बनाती हैं| विद्यार्थी व शिक्षकगण उनकी उपस्थिति पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं, क्योंकि वे उससे अभ्यस्त हैं|
आपके विद्यालय के दैनिक प्रबंधन में उलझ जाना बहुत आम है, लेकिन यदि, आप नियमित रूप से विद्यालय में घूमने का समय निकालते हैं, तो विद्यालय के वास्तविककामकाज के बारे में आप बहुत कुछ सीखेंगे| आप कितनी बार कक्षा में पाठ का अवलोकन करते हैं और बच्चों से विद्यालय में उनके अनुभव के बारे में कितनी बार बात करते हैं? आपका विद्यालय कितना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, इसके बारे में आपके पास पूर्ण व ज़मीनी समझ हो इसके लिए आप और कौन-कौन से तरीकों से प्रमाण जमा कर सकते हैं?
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एक ग्रामीण विद्यालय के नेतृत्व-गण की सदस्या, हरेक विद्यार्थी की पृष्ठभूमि के बारे में सही समझ को स्थापित करने के, और उनकी उपस्थिति तथा सीखने की प्रक्रिया पर, उस पृष्ठभूमि के संभावित प्रभाव को पहचानने के महत्व पर चर्चा करती हैं| यद्यपि वे अपने विद्यार्थियों पर, फसल की कटाई में मदद हेतु किए जाने वाले तकाज़ों को नहीं बदल सकती हैं; फिर भी, उनके सीखने की प्रक्रिया पर होने वाले इन जिम्मेदारियों के प्रभाव को कम करने के लिए, वे विद्यार्थियों तथा उनके माता-पिता के साथ काम कर सकती हैं| इस प्रकार वे अपने विद्यालय में, विद्यार्थियों की उपस्थिति को बेहतर बना पाई हैं|
आप उन कारकों के बारे में कितना जानते हैं जो आपके विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं? आप विद्यार्थियों के किन मुद्दों को सुलझायेंगे यदि आपको उनके बारे में अधिक जानकारी मिलती है?
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एक विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या, अपने विद्यालय के एक विशेष मसले का वर्णन कर रही हैं, जो था पठन और लेखन सिखाने में असंगति से संबंधित| वह बता रही हैं कि इस समस्या के निवारण के लिए किस प्रकार उन्होंने एक पूरी विद्यालयव्यापी पहल का नेतृत्व किया| संबंधित समस्याओं को पहचानने में शिक्षकगण को शामिल करने के बाद, उन्होंने समन्वित तरीके से कार्यवाही की|
आपके विद्यालय में क्या सीखने के ऐसे क्षेत्र हैं जो आपको कमज़ोर महसूस होते हैं? आप उनकी आगे जाँच कैसे करेंगे और कार्यवाही करने में मदद के लिए किन लोगों को सूची में शामिल करेंगे?
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एक विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या बच्चों की शिक्षा में उनके माता-पिता को शामिल करने की चुनौती के बारे में बताती हैं| वह समझाती हैं कि, एक बार संवाद स्थापित होने के बाद, बच्चों के सीखने की प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कारकों को सुलझाना आसान हो जाता है|
माता-पिता को विद्यालय में शामिल करना, बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में सहयोग देने वाला एक महत्त्वपूर्ण कारक है| आप अपने विद्यार्थियों के माता-पिता को विद्यालय आने के लिए कैसे प्रोत्साहित करते हैं?अपने बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में सहायता देने के लिए माता-पिता को प्रोत्साहित करने हेतु, आप और कौन-कौँनसे तरीके अपना सकते हैं?
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एक विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या उन तरीकों के बारे में बताती हैं, जिनसे एक शारीरिक रूप से चुनौतीयुक्त विद्यार्थी को विद्यालय की गतिविधियों में पूर्णतः भाग लेने के लिए सफलतापूर्वक सहयोग मिल रहा है|
विद्यालय में गतिविधियों और उपलब्ध अवसरों में सभी विद्यार्थियों की सहभागिता सुनिश्चित करने में विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या की महत्त्वपूर्ण भूमिका है| जैसा कि वीडियो में दिखाया गया है, शारीरिक नि:शक्तता ऐसी अवस्था है जिससे विद्यार्थी विद्यालय में सीखने की प्रक्रिया या सुविधाओं या संसाधनों से वंचित हो सकते हैं|
लेकिन बहुत से ऐसे करक हैं – जैसे – सामाजिक स्थिति, लिंग या दृष्टि दोष – जो उनके प्रतिकूल हो सकते हैं| आपके विद्यालय में क्या सभी विद्यार्थी सीखने की प्रक्रिया में पूर्ण रूप से सक्षम हैं? असमानताओं को कम करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
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एक विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या अपने विद्यालय में सीखने के वातावरण के स्तरों को बेहतर बनाने के लिए सक्रियता से निगरानी करती हैं|वे कक्षा का अवलोकन करती हैं और अपने शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के साथ बातचीत करती हैं| साथ ही समय की पाबंदी और विद्यालय की स्वच्छता से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देती हैं|
विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का एक हिस्सा यह सुनिश्चित करना है, कि विद्यालय का वातावरण सीखने की प्रक्रिया में सहयोग करे| जिन कारकों के बारे में सचेत रहना चाहिए, उनमें शामिल हैं - सिखाने की गुणवत्ता, पाठ्यपुस्तकों का प्रावधान, विद्यार्थियों का व्यवहार और पानी की/ धोने की सुविधा| अपने विद्यालय में अपने सभी विद्यार्थियों के सीखने के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
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शिक्षकों के नेतृत्व के बारे में एक विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या की बातों को सुनिए और ध्यान दीजिए कि वे अपने प्रयासों को कहाँ केंद्रित करती हैं| इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि विद्यार्थियों के अनुभव किस प्रकार उनकी प्राथमिकताओं के एक महत्वपूर्ण संचालक हैं|
जब यह विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या अपने शिक्षकों का नेतृत्व करने के बारे में बताती हैं, तब उनका मुख्य मुद्दा यह है कि वे शिक्षकों को किस प्रकार व्यवस्थित करती हैं, मगर वे यह भी बताती हैं कि किस प्रकार वे विद्यालय में सहयोगात्मक भावना को बढ़ावा देती हैं, और किस प्रकार वे शिक्षकों के विद्यार्थियों के साथ व्यतीत किये गये समय का संरक्षण करती हैं| अपने शिक्षकों का नेतृत्व करने में आपकी प्राथमिकताओं और व्यस्तताओं के साथ उनका दृष्टिकोण कहाँ तक मिलता है?
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एक विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या बताती हैं कि अपने विद्यालय में विद्यार्थियों के साथ सहभागितापूर्ण तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए वे किस प्रकार शिक्षकों को सक्षम बनाती हैं| नेतृत्व के तौर पर, वे इस बात का ख़्याल रखती हैं कि इन तरीकों को वे खुद अपनाकर निरूपित करें|
ये विद्यालय-नेतृत्व-गण की सदस्या शिक्षक/शिक्षिका तथा विद्यार्थियों से बातचीत करके सुनिश्चित करती हैं कि शिक्षक/शिक्षिका अपना कार्य कर रहे हैं| यह ध्यान रखते हुए कि पाठ्यचर्या को पूरा करना महत्त्वपूर्ण है, आप विद्यार्थियों के सीखने के अनुभव का कैसे पता करेंगे? अपने विद्यालय में सभी पाठों के दौरान सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण कोआप कैसे प्रोत्साहित करेंगे?
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