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गणितीय कहानियाँ ; शब्द समस्याएँ

यह इकाई किस बारे में है

शब्द समस्याएँ अक्सर वास्तविक जीवन और गणित की कक्षा के बीच के अन्तर को पाटने के एक तरीके के रूप में देखी जाती हैं। हालांकि दुनिया भर के विद्यार्थी शब्द समस्याओं वाली परीक्षाओं में अक्सर खराब प्रदर्शन करते हैं। जोड़ना, घटाना, गुणा या भाग जैसी गणितीय विधियों को करने के तकनीकी कौशल में दक्षता हासिल करने के बाद भी, विद्यार्थियों को ऐसी शब्द समस्याओं के समाधान करना कठिन लग सकता है जिनमें उन दक्षता प्राप्त तकनीकों को लागू करना शामिल हो (मोराल्स एवं अन्य, 1985)

इस इकाई में निम्न के द्वारा इस विषय को समझने में विद्यार्थियों को मदद करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

  • शब्द समस्याओं को अलग ढंग से व्यक्त करके
  • विद्यार्थियों से खुद कहानियां बना कर शब्द समस्याएं रचने के लिए कह कर।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • आपके विद्यार्थियों को अधिक प्रभावी रूप से शब्द समस्याओं की व्याख्या करने में किस प्रकार मदद करें।
  • शब्द समस्याओं को समझने के लिए कथन को एक साधन के रूप में उपयोग करने में आपके विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए कुछ उपाय।
  • कहानियों के सृजन द्वारा गणितीय कथनों का प्रतिनिधित्व करने में आपके विद्यार्थियों की किस प्रकार मदद करें।

इस इकाई का संबंध NCF (2005) और NCFTE (2009) की दर्शाई गई शिक्षण आवश्यकताओं से है। संसाधन 1।

1 शब्द समस्याओं को कहानियों के रूप में

विचार के लिए रुकें

  • आपकी अपनी कक्षा के बारे में सोचते हुए, आपके विद्यार्थियों द्वारा शब्द समस्याओं को किस तरह देखा जाता है? क्या वे उन्हें पसंद करते हैं? क्या विद्यार्थियों को वे समस्याएं बेहद कठिन लगती हैं? आपको ऐसा क्यों लगता है?
  • गणित सीखने वाले के रूप में अपने अनुभवों के बारे में सोचने पर, आप शब्द समस्याओं को कैसे देखते थे? आपको यह समझने में किसने मदद की? उनका सामना कैसे किया जाए?

स्कूल के गणित को विद्यार्थियों के लिए उपयोगी और सार्थक बनाने में शब्द समस्याएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। कक्षा के सन्दर्भ के साथ प्रतिदिन के कारणों को जोड़ने के अलावा वे स्कूल गणित को रोज़ाना की स्थितियों और समस्याओं के साथ जोड़ सकते हैं, और इसका विपरीत भी सही है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि विद्यार्थियों को न केवल शब्द समस्याओं को सुलझाने का मौका दिया जाए बल्कि उन्हें खुद रचने का भी मौका दिया जाए।

शब्द समस्याओं के साथ कार्य करते समय कठिनाइयां तब पैदा हो सकती हैं जब विद्यार्थी उस सन्दर्भ को समझने का प्रयास करते हैं और उनके सामने ऐसे शब्द और अभिव्यक्तियां आती हैं जिनसे वे परिचित नहीं हैं– या जब वे शब्द समस्या के सन्दर्भ की कल्पना नहीं कर सकते।

विद्यार्थियों को मदद करने का एक प्रभावी तरीका है शब्द समस्याओं को कहानियों के रूप में देखना। विद्यार्थियों को कहानियां अच्छी लगती हैं और वे उनसे परिचित होते हैं। कहानियां अक्सर विद्यार्थियों की रूचि और उनका ध्यान खींच लेती हैं– जो शायद खुद भी कहानियां बनाने में निपुण हो सकते हैं। वे जानते हैं कि कहानियां पूरी तरह से काल्पनिक हो सकती हैं– लेकिन साथ ही वे उस संदर्भ में भी घट सकती हैं जिनसे विद्यार्थी परिचित हैं।

शोध बताता है कि विद्यार्थियों को उनके सीखने की गतिविधि के एक हिस्से के रूप में एक कहानी या वर्णन विकसित करने के लिए कहना समझ बढ़ाने में सहायक हो सकता है। एक प्रभावशाली शिक्षाविद् ब्रूनर (1986) का कहना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ‘मानव बुनियादी रूप से वर्णन, कहानी सुनने–सुनाने वाला प्राणी है और इसी से वह दुनिया को समझता है’ (मैसन एंड जॉनसन–वाइल्डर, 2004 पृ. 68)।

कहानी या शब्द समस्या का वर्णन करने के लिए चित्र बनाने या प्रायोगिक शिक्षण सहायक सामग्री (मैनिपुलेटिव्ज़ या प्रॉप) का उपयोग करने से भी विद्यार्थियों को समस्या को समझने में और अलग अलग चरों के बीच संबंध को भौतिक रूप से देखने में मदद मिलती है।

पहले केस स्टडी में बताया गया है कि किस तरह श्रीमती चड्डा ने अपने विद्यार्थियों को जोड़ने की गणितीय धारणा समझाने के लिए कहानियों का उपयोग किया।

केस स्टडी 1: अदिति की कहानी

मैं कक्षा 1 की शिक्षिका श्रीमती चड्डा हूं।

मैंने अपने विद्यार्थियों को जोड़ना सिखाने की योजना बनाई। मेरा मानना है कि गणित बच्चों की समझ में आए, इसके लिए उन्हें गणितीय अवधारणाओं को एक सन्दर्भ में रख कर देखना आवश्यक है, इसलिए जब भी मैं गणित का नया विषय आरंभ करती हूं तो बहुत से ठोस अनुभव देने की कोशिश करती हूं। तो जोड़ने पर अपने सबक आरंभ करते समय, मैंने अदिति नाम की एक लड़की की एक छोटी सी कहानी सुनाई जिसे कंचे इकट्ठा करना पसंद था। मेरे पास टेबल पर कंचों का एक बॉक्स था।

एक दिन अदिति बागीचे में खेल रही थी और उसने ज़मीन पर कुछ कंचे पड़े देखे। वह बेहद खुश हुई और उसने उन्हें इकट्ठा करने का फ़ैसला किया। पहले उसे तीन कंचे मिले। (अब मैं एक विद्यार्थी वरुण से कहती हूं कि जोर से बोल कर तीन कंचे गिने और उन्हें कंचों के डिब्बे में से बाहर निकाल ले।)

मैंने कहानी जारी रखी: अदिति इसी तरह घूमती रही और उसने कंचे ढूंढना शुरू किया, और उसे चार और कंचे मिले। (अब वरुण चार और कंचे बाहर निकाल लेता है।)

अब मैं विद्यार्थियों से पूछती हूं: अदिति को कुल कितने कंचे मिले?

वरुण ने उत्तर देने के लिए अपना हाथ उठाया। मैंने वरुण से सारी कक्षा को बताने को कहा कि उसे उत्तर कैसे मिला। वरुण ने बताया कि कंचों की कुल संख्या जानने के लिए उसने कैसे गिनती की

कहानी को जारी रखते हुए, मैंने कहा कि अदिति घूमती रही क्योंकि उसे लगा कि उसे सारे बगीचे में खोज कर लेनी चाहिए। जैसे ही वह एक बेंच के पास आई तो उसने देखा कि उसके नीचे कुछ और कंचे पड़े हैं। उसे दो और कंचे मिले। फिर मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे गिन कर मुझे बताएं कि अब अदिति के पास कितने कंचे होंगे। मैंने ऐसे ही दो चरण और जोड़े

फिर मैंने इससे मिलती जुलती कुछ लघु कहानियां अपने विद्यार्थियों को सुनाई और उनसे चीज़ों की कुल संख्या बताने को कहा, जैसे बटन, पेंसिल, पत्थर आदि।

इसके बाद मैंने पूछना आरंभ किया कि यदि एक विद्यार्थी के पास तीन बिस्किट हैं और दूसरे के पास दो बिस्किट हैं, तो कुल बिस्किट कितने होंगे। हर समस्या के लिए मैंने पहले चीज़ों के चित्र बनाए [चित्र 1 देखें]।

चित्र 1 तीन बिस्किट और दो बिस्किट।

फिर मैंने कहते हुए ब्लैकबोर्ड पर आंकिक प्रस्तुति लिखी:

  • तीन बिस्किट और दो बिस्किट मिल कर पांच बिस्किट बन जाते हैं
  • 3 बिस्किट + 2 बिस्किट बराबर होते हैं 5 बिस्किट

इस बिंदु पर आकर मैंने जोड़ने के लिए ‘+’ के निशान के बारे में उन्हें बताया और फिर मैंने बराबर के लिए ‘=’ के निशान के बारे में बताया [चित्र 2]

चित्र 2 तीन बिस्किट और दो बिस्किट, ‘+’ और ‘=’ के निशानों के साथ।

फिर मैंने लिखा ‘3 + 2 = 5’.

फिर मैंने विद्यार्थियों को अदिति और कंचों की कहानी सुनाई, और उनसे पूछा कि मुझे इसे कैसे बनाना चाहिए। उनके निर्देशों पर मैंने ब्लैकबोर्ड पर कंचे बनाए और गणितीय व्यंजक लिखे। मिल कर हमने ‘+’ और ‘=’ चिह्नों का उपयोग करके ब्लैकबोर्ड पर कई और ‘जोड़ने’ से संबंधित कहानियां लिखीं।

वीडियो: कहानी सुनाना, गीत, रोल–प्ले और नाटक

केस स्टडी 1 में श्रीमती चड्ढा जोड़ने की गणितीय अवधारणा और विद्यार्थियों को परिचित एक वास्तविक जीवन के सन्दर्भ के बीच संबंध बना रही है। साथ ही वह विद्यार्थियों को कहानी के वर्णन में सक्रिय सहभागी बनने देती हैं

एक प्रभावशाली शिक्षाविद ब्रूनर (1966) ने सुझाव दिया था कि समझने के लिए शिक्षा प्रतिनिधित्व के तीन मोड या चरणों से होकर गुज़रने पर होता है: इनेक्टिव (गतिविधि-आधारित), चिह्नात्मक (छवि-आधारित) और प्रतीकात्मक (प्रतीक-या भाषा-आधारित)। उनका कहना है कि प्रतिनिधित्व के ये मोड वो तरीके हैं जिनमें जानकारी या ज्ञान को स्मृति में संग्रहीत और एनकोड किया जाता है (मैकलॉयड, 2008)

श्रीमती चड्ढा पहले वास्तविक कंचे देती हैं ताकि विद्यार्थी उत्तर पाने के लिए आसानी से उन्हें गिन कर जोड़ सकते हैं। बाद में, वे उसी बात को चीज़ों (बिस्किट) की छवियों की मदद से ब्लैकबोर्ड पर चित्रित करती हैं, और फिर वह जो कहता है उसे पहले शब्दों में और फिर चिह्नों में लिखती है।

साथ ही, श्रीमती चड्ढा इन तीन प्रस्तुतियों के बारे में लगातार बातें करके उन्हें आपस में जोड़ती हैं। उदाहरण के लिए, वह एक एक करके ‘जोड़ना’, ‘साथ में’ और ‘धन’ शब्द का अर्थ बताती हैं और इन तीनों को जोड़ने की क्रिया के साथ संबद्ध करती हैं। इससे विद्यार्थियों को अलग अलग संदर्भों में कई बार शब्दावली का सामना करने का अवसर मिलता है

विचार के लिए रुकें

  • क्या आप अपने शिक्षण कार्य में एक उदाहरण सोच सकते हैं जहां आपने श्रीमती चड्ढा के उपाय से मिलता जुलता तरीका अपनाया था?
  • श्रीमती चड्ढा ने कैसे इन गतिविधियों को अपना कर इस समूचे प्रकरण के दौरान विद्यार्थियों का ध्यान पूरी तरह आकर्षित कर रखा था?

2 गणितीय अवधारणाओं को समझने में मदद के लिए कहानियों की रचनाकरना

पारंपरिक रूप से पाठ्यपुस्तक में हो या कक्षा में, शब्द समस्याएं अध्याय के अंत में ही होती हैं। अक्सर, इन शब्द समस्याओं को समझने में मामूली समय और ध्यान खर्च किया जाता है। विद्यार्थियों को उनकी अपनी कहानी या शब्द समस्याएं बनाने देने, 3 + 4 = 7 जैसे गणितीय वाक्यों का वर्णन करने देने से गणितीय विचारों की समझ विकसित करने में मदद मिलती है और समस्या सुलझाने का कौशल बढ़ता है। इससे विद्यार्थियों को शब्द समस्याओं के सन्दर्भ को समझने में होने वाली कठिनाइयों का सामना करने में मदद हो सकती है, क्योंकि वे अपना खुद का सन्दर्भ बनाएंगे और गणित के उपयुक्त कहानी बनाने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। इस तरह इससे उन्हें यह पहचानने में भी मदद मिलती है कि किस गणितीय प्रस्तुति का उपयोग किया जाए।

इस अंक में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा यदि आप इसका प्रयास अपने किसी सहकर्मी के साथ करें क्योंकि जब आप अनुभव पर विचार करेंगे तो आपको मदद मिलेगी। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा जिसके फलस्वरूप यह आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तब गतिविधियों का अपने विद्यार्थियों के साथ उपयोग करें और इस बात पर फिर से विचार करें कि गतिविधि कैसी हुई और उससे क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित रखने वाला अधिक शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी

अगली दो गतिविधियां आपके विद्यार्थियों को गणितीय संख्यापरक वाक्यों के लिए उनकी खुद की कहानियां बनाने में मदद करने के लिए उपाय देती हैं

गतिविधि 1: कहानियां बनाना

तैयारी

केस स्टडी 2 पढ़ें। प्रश्नों में गणित को अपने विद्यार्थियों के सीखने के स्तर तक अनुकूलित करें। सोचिए कि जब आपके विद्यार्थी गतिविधि पर कार्य करें तो आप उन्हें कैसे व्यवस्थित करेंगे। आप शायद मुख्य संसाधन ‘समूहकार्य का उपयोग’ पर एक नज़र डालना चाहें।

गतिवधि

अपने विद्यार्थियों से कहें कि सारणी 1 से कोई एक समस्या चुनें और अपनी कल्पना का उपयोग करके उस समस्या के इर्द गिर्द एक कहानी बनाएं।

सारणी 1 गणित समस्या और कहानियों की पहली पंक्ति।
गणित समस्याकिसी कहानी की पहली पंक्ति
4 + 7 = …एक लड़की अपने भाई के साथ ‘सांप-सीढ़ी’ खेल रही थी…
एक बक्से में तीन सफ़ेद गेंदें और छह लाल गेंदें हैं। कुल मिला कर कितनी गेंदें हैं?श्याम को गेंदें इकट्ठा करने का बहुत शौक है…
9 – 7 = …मेरी आंटी मेरे घर से कुछ ही दूरी पर रहती हैं। उनका घर ...
यदि 8 में से 5 घटाया जाए तो उत्तर क्या होगा?हमारा कुत्ता …
2 × 4 = …दोस्तों का एक समूह पत्ते खेल रहा था …

फिर विद्यार्थियों को जोड़ी में बंट जाने को कहें, और एक दूसरे को कहानियां कहने और उन पर टिप्पणी करने को कहें

  • कुछ और जटिल उदाहरण:
    • 4 + 7 = 3 + 8
    • 2(3 + 1) = 2 × 4
    • 2(3 + 1) = 6 + 2
  • अपने कुछ और उदाहरण बनाएं। कम से कम एक बहुत आसान होना चाहिए, और कम से कम एक कठिन होना चाहिए। याद रहे कि आपको खुद भी उत्तर निकालने आना चाहिए!

गतिविधि 2: समान संख्या वाक्य के लिए कई कहानियां बनाना

अपने विद्यार्थियों को निम्न बताएँ।

इस संख्या वाक्य को देखें:

  • 3 + 4 = 7

यह संख्या वाक्य कई गणितीय संबंधों द्वारा दर्शया जा सकता है, जैसे:

  • 3 और 4 को जोड़ने से 7 मिलता है
  • 3 में 4 और जोड़ें तो 7 प्राप्त होता है
  • वस्तुओं की कुल संख्या है 3 + 4 = 7
  • संख्या 7 में से 4 कम करने पर 3 मिलता है।

अब अपने विद्यार्थियों से इनमें प्रत्येक संबंध के लिए एक कहानी या शब्द समस्या की रचना करें। उन्हें अपनी कल्पनाशक्ति का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें! उदाहरण के लिए पहले संबंध के लिए, कहानी या शब्द समस्या कुछ इस प्रकार हो सकती है:

  • मोहिनी और रोहिणी एक साथ खेल रही थी और मिट्टी के गेंद बना रही थीं। मोहिनी ने मिट्टी से तीन गेंद बनाईं और रोहिणी ने चार गेंद बनाईं। वे जानना चाहती थीं कि उन्होंने मिल कर कुल कितनी गेंदें बनाई थीं। उन्होंने गेंदों को एक साथ एक बॉक्स में रख दिया। क्या आप उन्हें ये पता लगाने में मदद कर सकते हैं कि उन्होंने कुल कितनी गेंदें बनाईं?

ब्रूनर के प्रस्तुति के मोड के साथ जुड़ते हुए आप विद्यार्थियों से उनकी कहानियों का चित्रण करती एक तस्वीर बनाने के लिए भी कह सकती हैं।

केस स्टडी 2: श्रीमती मेघनाथन गतिविधि 1 और 2 के उपयोग पर कहती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 और 2 का प्रयास किया।

दोनों गतिविधियों के लिए, मैंने अपने विद्यार्थियों से तीन या चार के समूहों में काम करने को कहा क्योंकि मैंने सोचा इससे उन्हें साझा करने को और नए उपाय मिलेंगे। यदि उनमें से एक अटक गया तो वे एक दूसरे की सहायता भी कर सकते थे। गतिविधि 1 के पहले तीन प्रश्नों को हमने सारी कक्षा के सामने रखा क्योंकि मेरे विद्यार्थियों ने पहले ऐसा कभी कुछ नहीं किया था। मेरे ख्याल से इससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि मैं उनसे क्या करवाना चाहती थी। इससे उनकी कल्पनाशक्ति भी खुल गई ताकि वे तमाम तरह के उदाहरणों के बारे में सोच सकें। कुछ में राक्षस थे, कुछ सितारे, बाज़ार जाना, या बॉलीवुड फिल्म में काम करना। फिर मैं उनसे कहती हूं कि वे अपने समूह उदाहरणों को चुनें और उन्हें वे उदाहरण नहीं इस्तेमाल करने थे जिनका हमने सारी कक्षा के सामने पहले ही जिक्र कर लिया था। मैंने कुछ ज़्यादा कठिन सवालों को बदल दिया क्योंकि मेरे विद्यार्थियों ने अभी तक गणितीय वाक्यों में कोष्ठकों का उपयोग नहीं किया था।

विद्यार्थियों को दूसरी गतिविधि आरंभ करना उतना आसान नहीं लगा। जब मैंने उन्हें पढ़ कर सुनाया तो वे गणितीय संबंधों में अंतरों को समझ पा रहे थे, लेकिन उन्हें इन संबंधों के लिए उपयुक्त कहानी बना पाना बेहद कठिन जान पड़ा। मैंने उन्हें पढ़ कर सुनाने के बजाए उसे ब्लैकबोर्ड पर लिखने का फैसला किया, और फिर उनमें से एक विद्यार्थी से बोर्ड पर लिखा हुआ ज़ोर से पढ़ने को कहा। इससे उन्हें यह समझने में मदद हुई कि कुछ सूक्ष्म अंतर थे।

जब प्रत्येक समूह ने प्रत्येक समीकरण के लिए कुछ न कुछ दे दिया, तो हमने उन्हें पूरी कक्षा को दिखाया। मैंने विद्यार्थियों से पूछा कि क्या वे प्रत्येक उदाहरण से सहमत हैं। इससे उनकी कुछ गलत धारणाएं दूर करने में मदद मिली।

फिर मैंने उनसे पूछा ‘कौन सा सबसे कठिन था और क्यों?’ इसका अर्थ यह हुआ कि विद्यार्थियों को सोचना पड़ा कि वे गणित के बारे में कैसे सोचते हैं – मेरे ख्याल से इसे ‘मेटाकॉग्निशन’ कहते हैं। उनसे यह अवलोकन करवाने का अर्थ यह भी था कि मुझे इस बात का ज़्यादा एहसास हो गया कि उन्हें क्या कठिन महसूस हुआ, और इसलिए कहां ज़्यादा अभ्यास की ज़रूरत होगी

आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना

अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने के बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्न सोचें जिनसे विद्यार्थियों में रुचि पैदा हो तथा उनके बारे में उन्हें समझाएँ ताकि वे उन्हें हल करके आगे बढ़ सकें। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियां करवाएं तो इस विचारात्मक अभ्यास का उपयोग करें, और श्रीमती मेघनाथन की तरह कुछ छोटी बातों का ध्यान रखें जो काफ़ी असरदार थीं।

विचार के लिए रुकें

  • आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो ऐसा करने का आपका क्या कारण था?
  • आपके विद्यार्थियों को गणित समझने के बारे में आपने क्या देखा?
  • जोड़ने की अवधारणा के बारे में आपके किन विद्यार्थियों का आत्मविश्वास कुछ कम है?

3 शब्द समस्याओं को नए शब्दों में ढालना

शब्द समस्याएं काफी लंबे समय से मौजूद रही हैं। इन दो खास उदाहरणों को देखें:

  • तीन आदमियों को एक खाई खोदने में छह घंटे लगते हैं। उसी खाई को दो आदमियों को खोदने में कितना समय लगेगा?’ (पारंपरिक)
  • ‘मान लीजिए यदि कोई स्क्राइब आपसे कहता है, चार ओवरसीयरों ने एक सौ हेकट अनाज निकाला है, उनके दल क्रमशः बारह, आठ, छह और चार लोगों से मिल कर बने हैं। प्रत्येक ओवरसीयर को कितना मिला?’ (समस्या 68, रहिंद मैथेमेटिकल पैपिरस, c. 1700 BC)

आपको शायद दूसरी समस्या को समझना ज़्यादा कठिन लगा क्योंकि उसका सन्दर्भ कम जाना पहचाना है। कई विद्यार्थियों को इससे कठिनाई थी

शब्द समस्याओं के साथ कठिनाइयां होती हैं क्योंकि:

  • विद्यार्थी अब तक धाराप्रवाह पाठक नहीं हुए हैं
  • निर्देश की भाषा उनकी मातृभाषा नहीं है
  • वे उपयोग की गई भाषा नहीं समझते क्योंकि उसकी शब्दावली से वे परिचित नहीं हैं।

इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि विद्यार्थी शब्द समस्या के सन्दर्भ की कल्पना नहीं कर सकते (नुन्स, 1993)। शब्द समस्याएं अक्सर आवश्यक रूप से गणितीय समस्याएं होती हैं जो रोज़मर्रा की भाषा में बताई जाती हैं। वे विद्यार्थियों को यह समझने में मदद कर सकती हैं कि गणित वास्तविक दुनिया को मॉडल कर सकता है और ये करते हुए वे खुद गणितज्ञ बन जाते हैं। इसीलिए विद्यार्थियों को यह एहसास होना चाहिए कि वास्तविक दुनिया की समस्याओं में गणित की शक्ति जटिल स्थितियों को मॉडल करने की उसकी क्षमता में छिपी है, जहां से इन समस्याओं को हल करने के लिए उन्हें आवश्यक तत्व निकालने चाहिए

एक जटिल परिस्थिति को समझने और उसे गणितीय रूप से मॉडल करने पर ध्यान केन्द्रित करने से भी विद्यार्थियों को शब्द समस्याओं को समझने में मदद मिल सकती है। गतिविधि 3 में शब्द समस्याओं को नए शब्दों में लिख कर विद्यार्थियों को स्वतंत्र रूप से वो क्या जानना चाहते हैं ये पता करने में मदद की जाती है।

गतिविधि 3: शब्द समस्या में सन्दर्भ और गणित को समझना

इन शब्द समस्याओं को अनुकूलित करें ताकि वे आपके विद्यार्थियों के सीखने के स्तर के उपयुक्त हों।

गतिवधि

अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे प्रत्येक समस्या को पढ़ कर निम्न सवालों के जवाब दें:

  • मनदीप के पास 21 कंचे थे। सिमी के पास मनदीप से 18 कम कंचे थे। यदि वे समान रूप से कंचों को बांटना चाहते हैं, तो दोनों में से हरेक के पास कितने कंचे होंगे?
  • राशिद की मां ने राशिद के जन्मदिन पर उसके दोस्तों और परिवार वालों के लिए तीन एक जैसे गोल केक बनाए। उनकी पार्टी में चौदह वयस्क और 20 बच्चे आए। बच्चों को जो केक का टुकड़ा मिला उसका आकार वयस्कों को मिले केक का आधा था। केक का कितना अंश वयस्क का हिस्सा था और कितना अंश बच्चों का हिस्सा?
  • सावित्री को अपने विज्ञान के प्रोजेक्ट के लिए क्युबॉइड कैलिडोस्कोप का एक मॉडल बनाना था। वह कैलिडोस्कोप की सतह को बनाने के लिए चार्ट पेपर का उपयोग करना चाहती थी। यदि वह 25 सेमी लंबा और 4 सेमी चौड़ाई वाला कैलिडोस्कोप बनाना चाहती हैं तो कितने क्षेत्रफल वाला चार्ट पेपर उसके लिए आवश्यक होगा?
  • रमेश और महेश मिल कर एक बोट को 12 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चला सकते हैं। उस गति पर उन्हें झील को पार करने में 30 मिनट लगते हैं। यदि वे 10 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से बोट चलाते हैं, तो उन्हें झील को पार करने में कितना समय लगेगा?
  • ललिता को उसकी कंपनी के जल संरक्षण प्रोजेक्ट में उसके योगदान के कारण उसके वार्षिक वेतन का 5 प्रतिशत वेतनवृद्धि के रूप में दिया गया। उसका मूल वेतन था रू 3.5 लाख प्रतिवर्ष, उसका संशोधित मासिक वेतन क्या होगा?

हर समस्या के लिए, विचार करें:

  • क्या आप बोल्ड में हाईलाइट किए गए प्रत्येक शब्द या वाक्यांश का अर्थ जानते हैं? क्या कोई ऐसे वाक्यांश या शब्द हैं जो आपके लिए नए हैं? क्या आपको लगता है कि ये समस्या को सुलझाने में प्रासंगिक होंगे?

  • आप यह कैसे जानेंगे कि इन शब्दों या मुहावरों का क्या अर्थ है, या उनके साथ काम करने के लिए आपको कौन से गणितीय उपायों की आवश्यकता होगी?
  • शब्द समस्या को सरल बनाने के लिए बोल्ड में हाईलाइट किए गए शब्दों और वाक्यांशों को फिर से अलग ढंग से लिखें। यदि कोई खास शब्द, वाक्यांश या मुहावरा ज़रूरी नहीं है, तो आप उसे निकाल सकते हैं। कौन से वाक्यांश बदलना आपको कठिन लगा? क्यों?

किसी शब्द समस्या के सन्दर्भ और गणित को समझने की आपके सभी विद्यार्थियों की क्षमता शायद एक स्तर पर न हो। यह गतिविधि आपको उनके प्रदर्शन की निगरानी करने और उन्हें रचनात्मक फ़ीडबैक प्रदान करने का एक शानदार अवसर देती है। गतिविधि के इस पहलू के लिए अपने आपको तैयार करने के लिए आप शायद संसाधन 2, ‘निगरानी करना और फ़ीडबैक देना’ पर एक नज़र डालना चाहें।

वीडियो: निगरानी करना और फीडबैक देना

केस स्टडी 3: श्रीमती कल्पना गतिविधि 3 का उपयोग करने के बारे में बताती हैं

मैं खुश हूं कि मैंने अपनी कक्षा में इन तीन समस्याओं का उपयोग किया। मुझे कहना पड़ेगा कि शुरूआत में उन्हें मन लगाने को कहना बहुत कठिन था – उन्हें बस समस्याएं दिखती थीं और वे कहते थे कि वे अटक गए हैं। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने उन्हें जोड़ी में काम करने के लिए कहा, मुझे लगता है कि यदि कार्य जाना पहचाना न हो और उसमें बहुत सोचने की ज़रूरत हो तो जोड़ी में काम करना हमेशा सहायक होता है। मैंने उन्हें याद दिलाया कि जिसका भी उन्हें अर्थ समझ में न आए उसे वे लिख कर रख लें और फिर सोचें कि इन उपायों के बारे में वे कैसे पता लगा सकते हैं

जब हर किसी ने थोड़ा सोच लिया, तो हमने उपायों के बारे में पता करने के लिए क्या कर सकते थे, उसे साझा किया। पहले उन्होंने कहा, ‘शिक्षक से पूछो’, लेकिन मैंने इस अभ्यास के लिए इस तरीके पर प्रतिबंध लगा दिया और उनसे कहा कि वे थोड़े और कल्पनाशील बनें। एक ने कहा, ‘इंटरनेट का उपयोग करो’, दूसरे ने कहा ‘पाठ्यपुस्तक में देखते हैं’, तो मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे जो चाहें अपनी पाठ्यपुस्तकों में देख सकते हैं और जो नहीं मिलता है उसका यदि वे मेरे पास एक नोट लेकर आते हैं तो आज के लिए मैं उनका इंटरनेट खोज इंजन बन जाउंगी! मैं बड़े ही विचित्र तरीके से पेश आई और मैंने केवल वही जानकारी उन्हें दी जो ‘खोज बार में दर्ज की गई थी’ ताकि उन्हें वास्तव में जो जानना चाहिए उसके बारे में वे सोचें।

एक बार जब सभी को लगने लगा कि उनके पास आवश्यक जानकारी है, तो वे सब नये ढंग से समस्या को लिखने में लग गए। ऐसा लगा कि यह अब आसान हो गया है क्योंकि सारी कक्षा अब सहयोग के साथ काम कर रही थी और साथ बैठ कर सीख रही थी।

मैंने ये अपेक्षा नहीं की थी कि मेरी कक्षा के वे विद्यार्थी जो बहुभाषी थे, उन्हें इस चर्चा से वाकई फ़ायदा हुआ कि शब्दों का क्या अर्थ था। मैंने उन्हें कहा कि वे सुनिश्चित करें कि वे जिस भी भाषा में सहज हों उस भाषा में उस शब्द का अर्थ लिख कर रखें ताकि वे उसे बाद में देख सकें।

विचार के लिए रुकें

  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या किसी भी समय आपको ऐसा लगा कि हस्तक्षेप करना चाहिए?
  • क्या आपने कार्य में किसी भी तरीके का संशोधन किया? अगर हाँ, तो इसके पीछे आपका क्या कारण था?

4 सारांश

इस इकाई में शब्द समस्याओं की कुछ समस्याओं और गणितीय विचार प्रक्रिया पर काम करने की उनकी क्षमता को देखा गया।

विद्यार्थियों को शब्द समस्याओं से निपटना और उन्हें हल करना कठिन लग सकता है; हालांकि ऐसी बाधाओं से निपटने के तरीके मौजूद हैं। इस इकाई में सुझाए गए तरीके थे:

  • इनेक्टिव/चिह्नात्मक/प्रतीकात्मक प्रस्तुतियां
  • गणितीय कथनों पर संदर्भात्मक कहानियां बनाने के लिए कल्पनाशीलता का उपयोग करना
  • शब्द समस्याओं को अलग ढंग से व्यक्त करके।

विचार के लिए रुकें

उन तीन तकनीकों या रणनीतियों की पहचान करें, जिन्हें आपने इस अंक में सीखा है और जिनका उपयोग आप कक्षा में कर सकते हैं, साथ ही कोई कुछ ऐसे विचार बताएँ जिनके बारे में आप आगे जानना चाहते हैं।

संसाधन

संसाधन 1: एनसीएफ/एनसीएफटीई शिक्षण आवश्यकताएँ

यह यूनिट NCF (2005) तथा NCFTE (2009) की निम्न शिक्षण आवश्यकताओं से जोड़ता है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगा:

  • शिक्षार्थियों को उनके सीखने में सक्रिय प्रतिभागी के रूप में देखें न कि सिर्फ ज्ञान प्राप्त करने वाले के रूप में; ज्ञान निर्माण के लिए उनकी क्षमताओं को कैसे प्रोत्साहित करें; रटन्त प्रणाली से सीखने को दूर कैसे ले जाएं।
  • विद्यार्थियों के लिए विद्यार्थी-केन्द्रित, गतिविधि आधारित और सहभागात्मक सीखने का अनुभव आयोजित करें।
  • विद्यार्थियों को गणित को किसी ऐसी चीज़ के रूप में लेने दें जिसके बारे में वे बात करें, जिसके द्वारा संवाद करें, जिसकी आपस में चर्चा करें, जिसपर साथ मिलकर कार्य करें।

संसाधन 2: निगरानी करना और फीडबैक देना

विद्यार्थियों के निष्पादन में सुधार करने में निरंतर निगरानी और उन्हें जवाब देना शामिल है, ताकि वे जान सकें कि उनसे क्या उम्मीद की जा रही है और उन्हें अपना काम पूरा करने के बाद प्रतिक्रिया प्राप्त हो। वे रचनात्मक प्रतिक्रिया के ज़रिए अपने निष्पादन में सुधार कर सकते हैं।

निगरानी

प्रभावी शिक्षक अधिकांश समय अपने विद्यार्थियों की निगरानी करते हैं। आम तौर पर, अधिकांश शिक्षक विद्यार्थियों को सुनते हुए और कक्षा में उनके कार्य को देखते हुए निगरानी रखते हैं। विद्यार्थियों की प्रगति की निगरानी करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें निम्न में मदद मिलती है:

  • उच्च ग्रेड प्राप्त करना
  • अपने निष्पादन के बारे में अधिक जागरूक और अपने शिक्षण में अधिक जिम्मेदार रहना
  • अपने शिक्षण में सुधार करना
  • राज्य और स्थानीय मानकीकृत परीक्षा में उपलब्धि का अनुमान लगाना।

एक शिक्षक के रूप में आपको यह निम्न बातें तय करने में भी सहायता करती है:

  • कब प्रश्न पूछना चाहिए या कब सहायता करनी चाहिए
  • कब प्रशंसा करनी चाहिए
  • चुनौती देनी चाहिए या नहीं
  • किसी कार्य में विभिन्न समूहों के विद्यार्थियों को किस प्रकार शामिल करना चाहिए
  • ग़लतियों का क्या करना चाहिए

विद्यार्थियों में सबसे ज्यादा सुधार तब होता है जब उनकी प्रगति के बारे में उन्हें स्पष्ट और फ़ौरन प्रतिक्रिया दी जाती है। निगरानी का उपयोग आपको नियमित प्रतिक्रिया देने, आपके विद्यार्थियों को यह बताने में मदद करता है कि वे किस प्रकार निष्पादन कर रहे हैं और उनके शिक्षण को उन्नत करने के लिए और क्या करने की ज़रूरत है

आप जिन चुनौतियों का सामना करेंगे उनमें से एक है विद्यार्थियों को स्वयं अपने शिक्षण लक्ष्य निर्धारित करने में मदद करना, जो स्वतः निगरानी भी कहलाता है। विद्यार्थी, विशेषकर जो अभी आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, अपने स्वयं के शिक्षण की जिम्मेदारी उठाने के अभ्यस्त नहीं होते हैं। लेकिन आप परियोजना के लिए स्वयं अपने लक्ष्य या ध्येय निर्धारित करने, अपने काम की योजना बनाने और समय-सीमा निर्धारित करने, और अपनी प्रगति पर ख़ुद निगरानी रखने में किसी भी विद्यार्थी की मदद कर सकते हैं। स्वतः निगरानी की प्रक्रिया को व्यवहार में लाना और उस कौशल में महारत हासिल करना उनके लिए स्कूल में और जीवन भर खूब काम आएगा।

विद्यार्थियों को ध्यान से सुनना और देखना

शिक्षकों द्वारा अधिकांश समय विद्यार्थियों को स्वाभाविक रूप से सुना या ग़ौर किया जाता है; यह निगरानी रखने का एक सरल साधन है। उदाहरण के लिए, आप:

  • अपने विद्यार्थियों को ज़ोर से पढ़ते हुए सुन सकते हैं
  • जोड़े या समूह कार्य में चर्चाओं को सुन सकते हैं
  • बाहर या कक्षा में संसाधनों का उपयोग करते हुए विद्यार्थियों को देख सकते हैं
  • काम करते समय समूहों के हाव-भाव पर ग़ौर कर सकते हैं।

सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा एकत्रित अवलोकन विद्यार्थियों के शिक्षण या प्रगति के सच्चे प्रमाण हैं। केवल वही प्रलेखित करें जिसे आप देख सकते हैं, सुन सकते हैं, उचित सिद्ध कर सकते हैं या जिस पर भरोसा कर सकते हैं।

जब विद्यार्थी कार्य कर रहे हों, कक्षा में चारों ओर चहलक़दमी करें ताकि संक्षिप्त अवलोकन नोटस तैयार कर सकें। आप यह दर्ज करने के लिए कक्षा सूची का उपयोग कर सकते हैं कि किस विद्यार्थी को अधिक मदद की ज़रूरत है, और उसमें किन्हीं उभरती ग़लतफ़हमियों को भी नोट कर सकते हैं। आप पूरी कक्षा को प्रतिक्रिया देने के लिए या समूहों को अथवा व्यक्ति विशेष को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए इन अवलोकनों और नोटस का उपयोग कर सकते हैं।

प्रतिक्रिया देना

प्रतिक्रिया वह जानकारी है जो एक विद्यार्थी को किसी कथित लक्ष्य या प्रत्याशित परिणाम के सम्बन्ध में उसके द्वारा किए गए कार्य के बारे में दी जाती है। प्रभावी प्रतिक्रिया से विद्यार्थियों को मिलता है :

  • क्या हुआ इस बारे में जानकारी
  • मूल्यांकन कि कोई कार्रवाई या कार्य कितनी अच्छी तरह निष्पादित किया गया
  • मार्गदर्शन कि उनके निष्पादन में किस प्रकार सुधार लाया जा सकता है

जब आप प्रत्येक विद्यार्थी को प्रतिक्रिया देते हैं, तो उससे उन्हें यह जानने में मदद मिलनी चाहिए कि:

  • वास्तव में वे क्या कर सकते हैं
  • वे अभी क्या नहीं कर सकते हैं
  • उनका कार्य औरों की तुलना में कैसा है
  • वे किस प्रकार सुधार कर सकते हैं

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रभावी प्रतिक्रिया विद्यार्थियों की मदद करती है। आप इस कारण से शिक्षण को बाधित नहीं करना चाहेंगे कि आपकी प्रतिक्रिया अस्पष्ट या अनुचित थी। प्रभावी प्रतिक्रिया:

  • किए जाने वाले कार्य और विद्यार्थी के शिक्षण पर केंद्रित होती है
  • स्पष्ट और सच्ची होती है, जो विद्यार्थियों को बताती है कि उनके सीखने की प्रक्रिया में क्या ठीक है और कहाँ सुधार करने की आवश्यकता है
  • कार्रवाई योग्य होती है, जो विद्यार्थियों को वह करने के लिए कहती है जिसे करने में वे सक्षम हों
  • उपयुक्त भाषा में दी जाती है जिसे विद्यार्थी समझ सकें
  • सही समय पर दी जाती है यदि वह जल्दी दी जाए, तो विद्यार्थी सोचेंगे कि ‘मैं बस वही करने वाला था!’; बहुत देर से दी जाए, तो विद्यार्थी का ध्यान तब तक किसी और बात पर भटक गया होगा और वह वापस जाकर उस काम को नहीं कर पाएगा जिसे करने के लिए कहा गया ह।ै

प्रतिक्रिया चाहे मौखिक रूप से दी जाए या विद्यार्थी को वर्क-बुक में लिखकर दी जाए, वह अधिक प्रभावी होती है यदि उसे निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए दिया जाए।

प्रशंसा और सकारात्मक भाषा का उपयोग करते हुए

जब हमारी प्रशंसा की जाती है और हमें प्रोत्साहित किया जाता है, तो आमतौर पर हम उसके मुकाबले काफी बेहतर महसूस करते हैं, जब हमारी आलोचना की जाती है या हमारी गलती सुधारी जाती है। सुदृढ़ीकरण और सकारात्मक भाषा समूची कक्षा और सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए प्रेरणादायक होती है। याद रखें कि प्रशंसा विशिष्ट होनी चाहिए और विद्यार्थियों के बजाय उनके काम को लक्षित किया जाना चाहिए, अन्यथा वह विद्यार्थी की प्रगति में सहायक नहीं होगी। ‘शाबाश’ सुनिर्दिष्ट प्रतिक्रिया नहीं है, इसके बजाय निम्न में से कोई एक कहना बेहतर होगा:

संकेत देने के साथ-साथ सुधार का उपयोग करना

आप अपने विद्यार्थियों के साथ जो संवाद करते हैं उससे उन्हें सीखने में मदद मिलती है। यदि आप उनसे कहते हैं कि कोई उत्तर ग़लत है और वहीं संवाद को ख़त्म कर देते हैं, तो आप उन्हें सोचने और स्वयं प्रयास करने में मदद करने का अवसर खो देते हैं। यदि आप विद्यार्थियों को कोई संकेत देते हैं या उनसे एक और सवाल पूछते हैं, तो आप उन्हें गहराई से सोचने में मदद करते हैं और उन्हें जवाब खोजने तथा स्वयं अपने शिक्षण की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उदाहरण के लिए, आप निम्न जैसी बातें कह कर बेहतर जवाब के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं या प्रश्न के लिए दूसरा कोण सुझाने में मदद कर सकते हैं:

हो सकता है कि दूसरे विद्यार्थियों को परस्पर मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना उपयुक्त हो। आप निम्न टिप्पणियों के साथ बाक़ी कक्षा के सामने अपने प्रश्न रखते हुए ऐसा कर सकते हैं:

‘हाँ’ या ‘नहीं’ कहकर विद्यार्थियों की ग़लती सुधारना, वर्तनी या संख्या अभ्यास जैसे कामों में उपयुक्त हो सकता है लेकिन यहाँ भी आप विद्यार्थियों को अपने उत्तर में उभरने वाले पैटर्न पर नज़र डालने में मदद कर सकते हैं, समान उत्तरों से संबंध जोड़ सकते हैं या कोई उत्तर ग़लत क्यों है, इस बारे में चर्चा शुरू कर सकते हैं

स्वसुधार और साथी द्वारा सुधार प्रभावी होता है और आप जोड़ों में कार्य या नियत-कार्य करते समय स्वयं अपने और एक दूसरे के कार्य की जाँच करने के लिए विद्यार्थियों को कहकर ऐसा कर सकते हैं। एक समय में ठीक करने के लिए एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करना सबसे अच्छा होता है ताकि भ्रमित करने वाली ढेर सारी जानकारी न हो

अतिरिक्त संसाधन

References

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Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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