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आम तौर पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोेग: विघटन एवं पुनः समूहीकरण करना

यह इकाई किस बारे में है

लिखित जोड़ और घटाव की विधि, खास कर जब संख्याएं इकाई अंक से बड़ी होती हैं तो संघटन और विघटन तथा पुनः समूहीकरण पर आधारित होती है। विद्यार्थियों को पहले संघटन की अवधारणा को पूरी तरह से समझने देना चाहिए, अर्थात संख्या प्रणाली इकाई, दहाई, सैकड़े आदि समूहों में कैसे कार्य करती है।यह घटाव को सीखते समय उनकी मदद करेगा।

आपके विद्यार्थियों को संख्याओं की अवधारणा विकसित करने में समय लगेगा। हालाँकि समाज में संख्याओं का उपयोग बहुत ज्यादा किया जाता है, फिर भी संख्या एक ऐसी प्रत्यय है जिसका कोई आकार नहीं है। अंतिम लक्ष्य यह है कि विद्यार्थी सभी तरह की संख्याओं के लिए जोड़ और घटाव विधियों का आसानी से उपयोग करना सीख जाएँ। हालाँकि, अगर विद्यार्थी आरंभ करने से पहले कलन विधि के पीछे का अर्थ नहीं समझते हैं, तो वे भूल सकते हैं कि उन्हें क्या करना था और वे अनावश्यक गलतियाँ करते हैं।

आमतौर पर उपलब्ध सामग्री (तीलियां, कागज की पट्टियां आदि) (मैनिपुलेटिव्ज) ऐसी वस्तुएँ होती हैं जिनका विद्यार्थी खुद इस्तेमाल कर सकते हैं। वे गणित के संक्षिप्त विचारों को ठोस रूप में प्रस्तुत करते हैं। इस इकाई में मैनिपुलेटिव्ज़ को इस प्रकार तैयार किया गया है कि वे वास्तव में संख्याओं को जोड़ और घटा सकें। जब वे संघटित और विघटित करने की क्रिया करते हैं तो उसे अनुभव करके यह बुनियादी समझ विकसित करते हैं कि वे क्या कर रहे हैं। ये गतिविधियाँ शिक्षण और सीखने के प्रभावी साधनों के रूप में इन मैनिपुलेटिव्ज़ को समझने में विद्यार्थियों की सहायता करती हैं।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • संघटन और विघटन के विचारों को समझने में आपके विद्यार्थियों की मदद करने के लिए मैनिपुलेटिव्ज़ के सबसे अच्छे उपयोग पर कुछ विचार।
  • विद्यार्थियों को एक से अधिक अंकों वाली संख्याओं के जोड़ और घटाव सिखाने के प्रभावी तरीके।
  • गणित के बारे में अपने विद्यार्थियों की चर्चा से उनकी गलतफहमियों को पहचानने और उनके सीखने के इर्द-गिर्द अपने शिक्षण को कैसे तय करें।

इस इकाई का संबंध NCF (2005) और NCFTE (2009) में दर्शाई गई शिक्षण आवश्यकताओं से है।

1 संघटन और विघटन

विचार के लिए रुकें

याद कर लें कि आपने पिछली बार कब जोड़ और घटाव की कलन विधियाँ सिखाई थीं। विशेषकर, ऐसे विद्यार्थियों के बारे में सोचें, जिनके लिए यह समझना कठिन था कि उन्हें क्या करना था। याद करने का प्रयास करें कि ऐसी कौन सी चीज़ थी, जो उनकी समझ के बीच आ रही थी।

जब विद्यार्थी संख्याओं का जोड़ और घटाव सीख रहे होते हैं, तब उन्हें समझने के लिए विघटन एक महत्वपूर्ण विचार होता है। पहले तो विद्यार्थियों में इस बात की स्पष्ट समझ होनी चाहिए कि संख्याएँ कैसे संघटित की जाती हैं।

संख्याएँ संघटित करना

दशमलव प्रणाली विश्वभर में उपयोग की जाती है और विद्यार्थियों को यह समझने की आवश्यकता है कि विभिन्न स्थानों पर स्थित अंकों के अलग अलग मान होते हैं और इन मानों से पूरी संख्या का निर्माण होता है।

उदाहरण के लिए, संख्या 357 तीन सैकड़ों, पाँच दहाइयों और सात इकाइयों से बनी (या संघटित हुई) है:

3 × 100 + 5 × 10 + 7 × 1 = 300 + 50 + 7 = 357

संख्या 35.7 तीन दहाइयों, पाँच इकाइयों और सात दसवें हिस्सों से बनी (या संघटित हुई) है:

3 × 10 + 5 × 1 + 7 × 0.1 = 30 + 5 + 0.7 = 35.7

शून्य वाली संख्याओं के उदाहरणों का उपयोग करना नहीं भूलना चाहिए, ताकि विद्यार्थी यह समझ सकें कि कभी-कभी दहाई और/या इकाई के स्थान पर शून्य भी होता है।

उदाहरण के लिए, संख्या 907, 9 सैकड़ों और 7 इकाइयों से बनी (या संघटित हुई) है। यह नोट कर लें कि दहाई के स्थान पर शून्य का उपयोग किया गया है, जो विद्यार्थियों को संख्या 97 का भ्रम पैदा कर सकता है। वास्तव में, संख्या 907 इनसे संघटित हुई है:

9 × 100 + 0 × 10 + 7 × 1 = 900 + 0 + 7 = 907

विद्यार्थियों को संख्याओं का जोड़ या घटाव शुरू करने से पूर्व यह स्पष्ट रूप से समझने की आवश्यकता है कि संख्याएँ इसी तरह से बनती हैं।

उनकी समझ सुनिश्चित करने का एक तरीका यह देखना होता है कि वे संख्याओं को उसी तरह से बोल पा रहे हैं, जिस तरीके से उन्हें संघटित किया गया है। अक्सर इस चरण को अनदेखा किया जाता है। जैसे ही विद्यार्थी इस बात की समझ सुनिश्चित कर लेते हैं कि संख्याओं को कैसे संघटित किया गया है, तो फिर विघटन उन्हें और अच्छी तरह से समझ में आता है।

संख्याओं को जोड़ना – जोड़ते जाना और सभी को साथ में जोड़ना

मूलतः, दो संख्याओं को एक साथ जोड़ने के दो अलग अलग तरीके होते हैं। संख्याओं को जोड़ने का एक तरीका है ‘जोड़ते जाना’। अर्थात आप सबसे बड़ी संख्या से ऊपर की तरफ गिनती शुरू करते हैं और योग प्राप्त करने के लिए एक–एक करके सबसे छोटी संख्या गिनते जाते हैं। यदि आप जोड़ मन में कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर अक्सर जोड़ने का यह सबसे अच्छा तरीका होता है।

भारतीय स्कूलों में आवश्यक लिखित जोड़ कलन विधि में जोड़ के बारे में सोचने के ‘एक साथ गिनें’ तरीके का उपयोग होता है। उदाहरण के लिए आप सात चीज़ें – पत्थर या मिठाइयाँ या कुछ भी – लेते हैं और फिर पाँच और लेते हैं। जब आप उन्हें एक साथ जोड़ते हैं और गिनते हैं, तो आपको 12 मिलेगा।

चित्र 1 ‘सात मिठाइयाँ लें, फिर पाँच और लें …’

विचार के लिए रुकें

जब रिज़वाना दूसरी कक्षा के अपने विद्यार्थियों को पढ़ा रही थीं, तो उन्होंने देखा कि सतीश ने 23 को 37 में जोड़ने के अपने तरीके को इस प्रकार लिखा:

multiline equation line 1 23 line 2 plus plus 37 low line line 3 510

इस उत्तर में क्या गलत है? सतीश ने अपना उत्तर इस तरीके से क्यों लिखा था? इस गलत धारणा का आप कैसे समाधान कर सकते हैं? जोड़ सिखाते समय आप आमतौर पर किन अन्य गलत धारणाओं का सामना करते हैं?

2 विद्यार्थियों की समझ विकसित करने के लिए ठोस वस्तुओं का उपयोग करना

संख्या रेखाएँ

‘जोड़ते जाने’ को एक संख्या रेखा का उपयोग करते हुए दिखाया जा सकता है। विद्यार्थियों को अक्सर एक संख्या रेखा का ठोस विचार मिल जाता है, जिसके साथ वे जोड़ और घटाव को समझने का काम कर सकते हैं। अगर आपके विद्यार्थियों ने संख्या रेखा का उपयोग कभी नहीं किया हो, तो वे बहुत जल्दी इसके उपयोग के आदी हो जाएँगे। संख्या रेखाएँ कक्षा की दीवारों पर दर्शायी जा सकती हैं, ताकि विद्यार्थी हमेशा उन्हें देख सकें या वे अपनी पुस्तकों में उनका चित्र बना सकें।

संख्या रेखाओं का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इसके कुछ उदाहरण यहाँ दिए गए हैं।

जोड़ते जाने के लिए संख्या रेखा का उपयोग

7 + 5 के जोड़ का उदाहरण लें:

7 से आरंभ करें, 5 जोड़ें, 12 प्राप्त होगा।

चित्र 2

अगला, 56 + 32 जोड़ें:

56 से आरंभ करें, 30 जोड़ें, फिर 2, जोड़े आपको 88 प्राप्त होगा।

चित्र 3

घटाने के लिए संख्या रेखा का उपयोग करना

10 – 4 = 6 दर्शाती संख्या रेखा:

चित्र 4

एक बार विद्यार्थी द्वारा धनात्मक संख्याओं के जोड़ घटाव के लिए संख्या रेखा का उपयोग करना सीख जाने पर ऋणात्मक संख्याओं के लिए संख्या रेखा को आगे बढ़ाया जा सकता है।

संख्या रेखाएँ आसानी से दो अथवा तीन अंकों वाली संख्या की ओर भी बढ़ाई जा सकती हैं।

3 समूहीकरण एवं विघटन प्रदर्शित करने के तरीके

गिनतारा का उपयोग संख्याओं को जोड़ते व घटाते समय स्पष्ट रूप से यह दिखाने के लिए किया जा सकता है कि संख्या प्रणाली कैसे कार्य करती है। मूलभूत गिनतारा (स्पाइक एबेकस) पर प्रत्येक स्पाइक में केवल नौ मोती अथवा छल्ले ही लगाए जा सकते हैं, जिससे यह चर्चा अपने आप ही सामने आएगी कि जब संख्याओं को जोड़ने पर वह दस पर पहुँच जाए तो क्या करना चाहिए।

चित्र 5 '12' को दर्शाता एक गिनतारा

पैसों से भी संघटन और विघटन की बात दर्शायी जा सकती है। कई विद्यार्थी यह समझना आरंभ कर देंगे कि एक रुपए के दस सिक्कों से वही चीज़ खरीदी जा सकती है जो 10 रुपए के नोट से खरीदी जा सकती है। कक्षा में कुछ 1 रुपए के सिक्के और 10 और 100 रुपए के नोट दिखाएँ – इससे कक्षा में आप वास्तविकता से बातें समझा सकते हैं।

आप उन्हें दिखा सकते हैं कि संघटन और विघटन सही मायने में होते क् या हैं। आप एक रुपए के लिए कंकड़ों का उपयोग कर सकते हैं और 10 और 100 रुपए के लिए कागज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिस पर वह संख्या लिखी हो, ताकि विद्यार्थी अपने ‘पैसे’ का उपयोग सही रूप में कर सकेंगे। आप कुछ छोटी–छोटी चीज़ें ला सकते हैं, जिन्हें विद्यार्थी उनके पास मौजूद पैसों की मदद से खरीदने का अभिनय कर सकते हैं।

विघटन सिखाने का एक अन्य तरीका पैसे छुट्टे करना है।

चित्र 6 कक्षा के अंदर सही पैसे लाना।

इस इकाई में दो गतिविधियों में दस (एक दहाई) प्रदर्शित करने के लिए कागज की पट्टियों पर 10 बिंदु बनाकर उनका उपयोग किया गया है। विघटन दर्शाने के लिए इन्हें आसानी से एक–एक में अलग किया जा सकता है। सुनिश्चित करें कि आपके विद्यार्थी अगली गतिविधि करने के पहले ‘एक साथ गिनने’ की विधि को समझें। जिसे उन्हें यह समझाने में मदद के लिए डिजाइन किया गया है कि अगर दस इकाइयों से ‘एक दहाई बने’तो आप उस दहाई को अन्य दहाइयों में जोड़ें।

अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा अगर आप अपने किसी सहकर्मी के साथ मिलकर इसे करने का प्रयास करें क्योंकि स्वयं के अनुभव के आधार पर सिखाना आसान होगा। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के उन अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा जो आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित कर सकते हैं। जब आप तैयार हों, तब गतिविधियों का अपने विद्यार्थियों के साथ उपयोग करें और फिर से इस बात पर विचार करें कि गतिविधि कैसी हुई और क्या सीख मिली। इससे आपको सीखने वाले विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित रखने वाला शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 1: ‘एक दहाई बनाएँ’ – लिखित जोड़ कलन विधि सीखना

तैयारी

कागज की एक ही लंबाई की कई पट्टियाँ बनाएँ और प्रत्येक पट्टी पर समान दूरी पर दस बिंदु बनाएँ जैसा कि चित्र 7 में दर्शाया गया है। इनमें से कई पट्टियों के एक–एक बिंदु वाले दस हिस्से करें। अगर आपके पास किसी प्रिंटर वाले कंप्यूटर तक की पहुँच है, तो आप पट्टियाँ बनाकर उनका प्रिंट आउट लेकर कुछ समय बचा सकेंगे।

गतिवधि

भाग 1

चित्र 7 चौबीस की पट्टियाँ।
  • विद्यार्थियों से पट्टियों का उपयोग कर 24, और फिर 36 और कई अन्य संख्याएँ दर्शाने को कहें।
  • सुनिश्चित करें कि वे इस बात पर ध्यान दें कि बाईं ओर के अंक यह दर्शाते हैं कि 10 की कितनी पट्टियों की आवश्यकता है और दाईं ओर के अंक दर्शाते हैं कि कितने एक–एक (अथवा इकाइयाँ) की कितनी पट्टियाँ लगेंगी।
  • विद्यार्थियों से पूछें कि एक पट्टी बनाने के लिए कितने एक–एक (इकाइयाँ) जरूरी हैं

भाग 2

अब जोड़ने के लिए विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें।

  • 24 और 12 को जोड़े:
    • पट्टियों पर 24 दिखाएँ।
    • अब इसके आगे 12 पट्टियाँ रखें।
    • अब उन्हें एक साथ रखें। आपके पास कितने हैं? (आपके पास 3 दस की पट्टियाँ और 6 एक–एक की, अतः24 + 12 = 36 हुए।) इसी प्रकार कुछ और संख्याओं को जोड़ें, सुनिश्चित करें कि ‘हासिल’ की कोई संख्या न हो, यानि, इकाई के अंकों का योग 10 या उससे अधिक न हो।
  • 24 और 38 जोड़ें:
    • पट्टियों पर 24 दिखाएँ।
    • अब इसके पास 38 पट्टियाँ रखें।
    • उन्हें एक साथ रखें। आपके पास कितने हैं? (आपके पास 5 दस की पट्टियाँ और 12 इकाइयों की पट्टियाँ हैं।)
    • क्या इसके साथ कोई समस्या है? संभवतः कोई न कोई कहेगा कि अगर आप 10 बिन्दुओं को एक साथ रखते हैं, तो आप दस की पट्टी बना सकते हैं अतः आपके पास 6 दहाई की पट्टियाँ हैं। अगर नहीं, तो उन्हें दिखाएँ कि जब वे ‘एक दहाई’ बना सकते हैं, तो उन्हें दशमलव प्रणाली में दहाई के स्तंभ में जोड़ना पड़ेगा।
  • विद्यार्थियों से उनकी पट्टियों के उपयोग से इसी प्रकार की अन्य कई जोड़ करने को कहें।

कुछ ऐसे काग़ज़ लें जिन पर 100 स्तंभ को प्रदर्शित करते 100 बिंदु हों, ताकि वे विद्यार्थी जो बात को जल्दी ही समझ लेते हैं। वे संख्याओं को आगे जोड़ते जाएँगे, जहाँ दहाई के अंक जुड़कर 10 से अधिक हो जाते हैं।

वीडियो: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए

केस स्टडी 1: गतिविधि 1 के उपयोग का अनुभव श्रीमती कपूर बताती हैं

यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।

मैं अपने विद्यार्थियों को लिखित जोड़ कलन विधि सिखाना चाहती थी तथा पिछले अनुभव से मैं जानती थी कि उनमें से कई सिर्फ स्तंभों को अलग–अलग जोड़ेंगे जैसा कि सतीश ने ‘विचार के लिए रुकें’ में किया था। मुझे उस उपाय की सादगी बहुत पसंद आई जिसमें एक अलग काग़ज़ पर 10 बिन्दुओं की पट्टियों को एक–एक में बाँटा जा सकता था।

मैं जानती थीं कि इसकी तैयारी में काफी समय लगेगा, अतः मैंने भोजनावकाश में मदद के लिए दो विद्यार्थियों को चुना। योगेश एवं रानी ने बिन्दुओं के बीच दूरी रखने में मुझसे अधिक सावधानी बरती, तथा उन्होंने बिन्दुओं को गहरा व काला बनाया जो कि बहुत बढ़िया था।

मैंने विद्यार्थियों को चार–चार के समूह में काम करने को कहा ताकि मेरे पास प्रत्येक समूह के लिए पर्याप्त पट्टियाँ हों तथा कक्षा को बताया कि संख्याओं को प्रदर्शित करने के लिए पट्टियों का इस्तेमाल किस तरह करें। मैंने इस बात पर बल दिया कि संख्याएँ इसी प्रकार बनी थीं, क्योंकि हमारी दस उंगलियाँ हैं और पट्टियाँ यही दिखाती हैं। कक्षा ने पहले दो अंकों वाली संख्याएँ देखी थीं अतः वे जानते थे कि संख्याओं को इस प्रकार लिखा जाता है। मैंने यह सुनिश्चित किया कि उन्हें यह जानकारी हो कि हम उन्हें अंकगणित को बेहतर तरीके के समझाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

प्रत्येक समूह ने निर्देशानुसार उनकी पट्टियों को व्यवस्थित किया तथा सभी को एक साथ रखा और फिर उन्हें गिना। ऐसा करने में उन्हें मजा आया, अपनी पट्टियों का योग निकालने से पहले पट्टियों और एक–एक बिंदुओं को साथ में जमाने और फिर उन सभी को क्रम देने की प्रक्रिया ने उन्हें बहुत हँसाया, उनके योग को मैंने फिर बोर्ड पर लिखा।

फिर हम उन सवालों की ओर बढ़े जहाँ इकाई को दस या उससे अधिक अंकों के साथ जोड़ा गया। मुझे चिंता थी कि वे इस बात की ओर ध्यान नहीं देंगे कि दस इकाइयाँ मिलकर एक दहाई बनती हैं। लेकिन जब मैं कक्षा में इधर–उधर घूम रही थी, तब मैंने उनमें से कई बच्चों को बात करते सुना और महसूस किया कि उन्होंने पहले ही जान लिया था कि दहाई वाली पट्टियों को फाड़ कर ही इकाई अंक बने हैं।

अतः इस बार जब मैंने उन्हें सभी पट्टियाँ एक साथ रखने को कहा, तो कुछ हाथ यह पूछने के लिए ऊपर उठे कि क्या वे काग़ज़ के दस टुकड़ों के स्थान पर एक पट्टी ले सकते हैं। मैंने उनसे पूछा कि वे ऐसा क्यों करना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा कि काग़ज़ के इकाई वाले टुकड़े काफी अव्यवस्थित हैं तथा दहाई की पट्टियों का उपयोग करना आसान है। मैं इस व्याख्या से काफी खुश थी कि जब आप ‘एक दहाई बना’ सकते हैं तो आप काग़ज़ के उन दस छोटे टुकड़ों से बच सकते हैं और केवल दहाई की पट्टियों को जोड़ सकते हैं।

इससे पहले कि मैं उन्हें औपचारिक लिखित कलन विधि के इस्तेमाल से इस प्रकार जोड़ने का तरीका समझाऊँ, मैंने उन्हें पट्टियों के उपयोग से कई और जोड़ करने को कहा। मैं चाहती थी कि वे लोग इस तरह कुछ देर खेलें, ताकि उन्हें पता हो कि जब आप ‘हासिल’ को एक दहाई के स्तंभ में ले जाते हैं तो क्या होता है। जो हो रहा था, वो मैं ध्यान से देख रही थी। अधिकांश समूहों ने दो संख्याओं के लिए अपनी पट्टियों को जमाया तथा फिर तुरंत दस इकाइयों को गिना और उन्हें एक दहाई की पट्टी से बदला। मैंने सोचा कि वे औपचारिक कलन विधि के लिए तैयार हैं अतः मैंने उन्हें दिखाया कि ‘लोग किस प्रकार इसे अपनी किताबों में लिखते हैं’।

अगले पाठ में हम पट्टियों का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़े और मैंने देखा कि उनमें से कई ने इन्हें अपने घर पर ही बनाया, जो कि बहुत ही बढ़िया बात थी, इससे मेरा काम बच गया तथा उन्होंने सोचा कि इससे उन्हें मदद मिलेगी। मैंने जोड़ के सवाल बोर्ड पर लिखे। वहाँ क्या हो रहा था, यह दिखाने के लिए उन्होंने पट्टियों का इस्तेमाल किया तथा सही जगह पर ‘हासिल की संख्या’ को लिख दिया। मैंने देखा कि कई विद्यार्थी सहमति व्यक्त कर रहे थे और बता रहे थे कि इतने शेष के साथ इकाइयाँ मिलकर ‘एक दहाई’ बनाएँगी, अतः पट्टियों से उन्हें यह बताने में मदद मिली कि वे क्या कर रहे थे। दो अथवा तीन समूहों ने पाठ के अंत तक पट्टियों का इस्तेमाल बंद कर दिया था लेकिन, फिर भी वे ‘एक दहाई की पट्टी’ बनाने के बारे में बातें कर रहे थे।

मुझे वाकई में बहुत खुशी हुई कि इस विधि ने अगले स्तंभ में एक दहाई ले जाने की बात समझाने में उनकी मदद की। मैंने एक विद्यार्थी से हर पाठ के बाद सभी पट्टियों और इकाइयों को सावधानीपूर्वक एकत्र करने को कहा क्योंकि मैं देख सकती थी कि भविष्य में हम और भी कई पाठों के लिए उनका इस्तेमाल करेंगे।

आपके शिक्षण अभ्यास के बारे में सोचना

अपनी कक्षा के साथ कोई अभ्यास करने के बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्न सोचें जिनसे विद्यार्थियों में रुचि पैदा हो तथा उनके बारे में उन्हें समझाएँ ताकि वे उन्हें हल करके आगे बढ़ सकें। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। यदि विद्यार्थी कुछ भी समझ नहीं पाते हैं तथा कुछ भी नहीं कर पाते हैं, तो वे शामिल होना नहीं चाहेंगे। जब भी आप गतिविधियाँ करें, इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग करें, जैसे श्रीमती कपूर ने कुछ छोटी–छोटी चीजें की जिनसे काफी फर्क पड़ा।

विचार के लिए रुकें

ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:

  • आपकी कक्षा में इसका प्रदर्शन कैसा रहा?
  • विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अनपेक्षित थी? क्यों?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या किसी भी समय आपको ऐसा लगा कि हस्तक्षेप करना चाहिए?
  • किन बिंदुओं पर आपको लगा कि आपको और समझाना होगा?
  • क्या आपके सभी विद्यार्थी गणितीय बातों में व्यस्त थे? यदि नहीं, तो क्या आपने उन्हें मदद करने के लिए कार्य में संशोधन किया?

4 विघटन

विघटन अर्थात दहाइयों को इकाइयों में (अथवा सैकड़ों को दहाइयों में) बदलना ताकि घटाने का आवश्यक कार्य किया जा सके। ऑटोरिक्शा का किराया चुकाते समय आपको आपके हिस्से के रु. 7 देने हैं लेकिन आपके पास केवल एक 10 रुपये का नोट है, तो आपको अपना नोट 10 इकाइयों अर्थात् 1 रुपए के सिक्कों से बदलना होगा ताकि आप सही किराया चुका सकें। यह क्रिया विघटन है!

कभी-कभी आप दहाइयों को इकाइयों में बदलते हैं, लेकिन आपको सैकड़े को भी दहाई में, या इकाई को दहाई में बदलने आदि करने की भी आवश्यकता हो सकती है। दहाइयों तथा इकाइयों के उपयोग से विघटन के बारे में सीखना युवा विद्यार्थियों के लिए आसान होगा, लेकिन उन्हें यह बताना न भूलें कि यह संख्या प्रणाली के अन्य सभी भागों के साथ होता है।

गतिविधि 2: विघटन – लिखित घटाव विधि का उपयोग सीखना

तैयारी

गतिविधि 1 की तरह ही पट्टियों का उपयोग करें। यदि आपने अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 की है तो उनसे अपनी पट्टियाँ लाने को कहें ताकि आपको केवल उनके लिए नई पट्टियाँ बनानी होंगी, जो लाना भूल गए हैं।

चित्र 8 चौंतीस के लिए पट्टियाँ।

विद्यार्थियों से चार अथवा पाँच के समूहों में काम करने को कहें तथा सुनिश्चित करें कि प्रत्येक समूह के पास काफी सारी 'दहाई की पट्टियाँ' तथा कुछ इकाई की पट्टियाँ हों।

गतिवधि

  • प्रत्येक समूह से 34 दर्शाने वाली पट्टियों को अलग करने को कहें तथा जाँच करें कि सभी ऐसा कर सकें।
  • अपने विद्यार्थियों से कहें कि उन्हें '34 में से 16 घटाना' है। सवाल बोर्ड पर लिखें और विद्यार्थियों से पट्टियों का उपयोग करते हुए ऐसा करने को कहें।
  • उन्हें क्या करना है, यह चर्चा के लिए कुछ मिनट दें और सुझाव पूछें।
  • विद्यार्थियों से कहें कि 10 निकालना आसान है, लेकिन जब आपके पास केवल चार इकाइयाँ हो तो 6 इकाइयाँ निकालना मुश्किल है। क्या वे और अधिक इकाइयों की व्यवस्था के बारे में सोच सकते हैं? यदि किसी ने पहले से इसका सुझाव न दिया हो तो विद्यार्थियों को दहाई की एक पट्टी को दस एक–एक की पट्टियों में बाँटने को कहें, यदि उन्होंने गतिविधि 1 की है तो वे यह कर पाएँगे। पूछें: ‘अब आपके पास कितनी इकाइयाँ हैं? क्या आप अब 6 निकाल सकते हैं? '34 में 16 घटाने' का उत्तर क्या है? क्या यह वही उत्तर है, जो '34 में से 16 निकालने' पर मिलता है?’
  • घटाने की औपचारिक लिखित कलन विधि समझाने के लिए विद्यार्थियों को घटाने के कुछ और उदाहरण दें। यह 'क्रिया' किस प्रकार लिखी जाती है, इसे देखने से पहले उन्हें एक दहाई को अलग करने के बारे में आश्वस्त होना होगा और यह याद रखना होगा कि उनके पास अब एक दहाई कम है।
  • बेशक, आप सैकड़े में जारी रखने के लिए इस विधि का उपयोग कर सकते हैं। हालाँकि दो सैंकड़े के लिए बिंदु बनाना काफी मुश्किल होगा (शायद इच्छुक विद्यार्थियों से इसे भोजनावकाश के समय करने के लिए कहें)। सौ के कागजों को दस की पट्टियों में बाँटना कभी– कभी उपयोगी होगा ताकि कड़ी बन सके।

वीडियो: सीखने के लिए बातचीत

केस स्टडी 2: श्रीमती कपूर गतिविधि 2 उपयोग करने के बारे में बताती हैं

मैंने कई महीनों पहले गतिविधि 1 के लिए पट्टियों का इस्तेमाल किया था और मेरी कक्षा के अधिकांश बच्चों ने अपनी पुस्तक के पीछे इसलिए इन्हें संभालकर रखा था कि शायद उन्हें यह देखना पड़े कि ‘क्या करना है’। मैंने पट्टियों का उपयोग करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया था। ताकि वे आश्वस्त हो सके कि वे क्या कर रहे हैं। मुझे मालूम है कि अनिश्चितता विद्यार्थियों को गणित के आनंद से वंचित कर सकती है और अंत में वे सोच सकते हैं कि वे यह नहीं कर सकते।

मैंने घटाव दिखाने के लिए संख्या रेखा का इस्तेमाल किया है ताकि उन्हें कम करने और संख्या घटाने की समझ हो। इसलिए मेरे लिए औपचारिक घटाव विधि पढ़ाते समय पट्टियों का उपयोग स्वाभाविक था और इसलिए जब मैंने उन्हें स्वयं बहुत सी पट्टियाँ लाने को कहा तो उन्हें महसूस हुआ कि यह अच्छा रहेगा और वे इन्हें लेकर आए।

उन्हें इन्हें व्यवस्थित करने में कोई परेशानी नहीं हुई और मेरे पूछने पर कि ‘हमें क्या करना चाहिए, हमारे पास 6 हटाने के लिए इकाई की पर्याप्त पट्टियाँ नहीं हैं?’ कुछ विद्यार्थियों ने जवाब दिया, ‘दस को तोड़ दें, उसके टुकड़े कर दें!’ तो हमने ऐसा कर दिया, लेकिन उससे पहले मैंने उन कुछ विद्यार्थियों को वह बात बाकी कक्षा के सामने समझाने के लिए कहा, जिन्होंने इस बात को तुरंत समझ लिया था कि उन्हें क्या करना है। ऐसा मैंने इसलिए कहा क्योंकि मुझे लगा कि कुछ विद्यार्थी पाठ के इस भाग को पूरी तरह नहीं समझ पाए थे।

कई विद्यार्थियों को पट्टियों का आसानी से उपयोग करना सीखने से पहले उनके साथ काफी मेहनत करना होता है। मैंने उन्हें तब तक खुद सवाल बनाने और क्या हो रहा है यह दर्शाने के लिए पट्टियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जब तक मुझे उनमें अपने समाधान के प्रति आत्मविश्वास नहीं दिखाई दिया।

बेशक उनमें से कुछ ने इसे तुरंत किया। मैंने इन विद्यार्थियों से एक समूह बनाकर यह चर्चा करने के लिए कहा कि इसे उसी तरीके से कैसे लिखा जा सकता है जैसे हमने अपने जोड़ को औपचारिक रूप से लिखा था। इससे वे गंभीरता से सोचने लगे और जब वे तैयार हुए तब अपने ढंग से कक्षा के अन्य विद्यार्थियों को करके दिखाने लगे। यह लगभग वैसा ही था जैसा मैं उन्हें सिखाती, जिससे मुझे खुशी हुई। अंतर केवल इतना था कि उन्होंने एक दहाई लेने और ‘उसके टुकड़े’ करने की बात की ताकि इसे इकाई के स्तंभ में ले जाया जा सके, लेकिन यदि वे इसी तरह से बात करना चाहते हैं, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं!

विचार के लिए रुकें

इस गतिविधि का एक महत्वपूर्ण भाग विद्यार्थियों द्वारा उनकी सोच की व्याख्या और चर्चा के माध्यम से उनके के लिए शिक्षण के अवसर को प्रदान करना है। क्या आपको लगता है कि श्रीमती कपूर के पाठ में विद्यार्थियों को सीखने के लिए बातचीत करने के अतिरिक्त अवसर मिले थे? इस बारे में समझने के लिए आपको मुख्य संसाधन ‘सीखने के लिए बातचीत’ पर एक नज़र डालनी होगी। Talk for learning

अब यह प्रदर्शित करें कि इस गतिविधि को लेकर आपके विद्यार्थियों में कैसी प्रतिक्रिया रही और निम्न प्रश्नों का उत्तर दें:

  • जब आपने गतिविधि सिखाई तो विद्यार्थियों से किस प्रकार की प्रतिक्रिया अपेक्षित नहीं थी? यह आपको उनकी विघटन की समझ के बारे में क्या बताता है?
  • अपने विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के लिए आपने क्या सवाल किए?
  • क्या किसी भी समय आपको ऐसा लगा कि हस्तक्षेप करना चाहिए?

5 सारांश

इस इकाई को समझने में आपने पाया कि मैनिपुलेटिव्ज़ का उपयोग करना जोड़ने व घटाने की औपचारिक विधियों को समझने में विद्यार्थियों की कैसे मदद कर सकता है। मैनिपुलेटिव्ज़ विद्यार्थियों की उनके कार्य चरणों का वास्तविक चित्र समझने में मदद करते हैं, क्योंकि वे जोड़ में इकाइयों को दहाइयों में पुनः संघटित करते हैं और घटाव में दहाइयों को इकाइयों में विघटित करते हैं।

आपने यह भी देख लिया कि किस प्रकार वार्तालाप विद्यार्थियों को दशमलव संख्या प्रणाली समझने में सहायक होता है।

महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के रूप में एनसीएफ (2005) तथा एनसीएफटीई (2009) से शिक्षण की आवश्यकताओं का उपयोग किया गया।

विचार के लिए रुकें

इस इकाई में सीखी गई उन तीन तकनीकों अथवा युक्तियां को पहचानें जिनका उपयोग आप गणित की भावी कक्षाओं में कर सकते हैं।

संसाधन

संसाधन 1: एनसीएफ/एनसीएफटीई शिक्षण आवश्यकताएँ

यह यूनिट NCF (2005) तथा NCFTE (2009) की निम्न शिक्षण आवश्यकताओं से जोड़ता है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगा:

  • शिक्षार्थियों को उनके शिक्षण में सक्रिय प्रतिभागी के रूप में देखें न कि सिर्फ़ ज्ञान प्राप्त करने वाले के रूप में; ज्ञान निर्माण के लिए उनकी क्षमताओं को कैसे प्रोत्साहित करें; रटन्त प्रणाली (रोट पद्धति) से शिक्षण को दूर कैसे ले जाएँ।
  • विद्यार्थियों को गणित को किसी ऐसी चीज़ के रूप में लेने दें जिसके बारे में वे बात करें, जिसके द्वारा संवाद करें, जिसकी आपस में चर्चा करें, जिस पर साथ मिलकर कार्य करें।

अतिरिक्त संसाधन

References

Askew, M., Brown, M., Rhodes, V. Johnson, D. and Wiliam, D. (1997) Effective Teachers of Numeracy. London: King’s College.
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Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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चित्र 6: भारतीय मुद्रा का नमूना – भारत सरकार। (Figure 6: Indian currency sample – Indian government)

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