चर और अचर गणितीय मॉडलिंग और सूत्रों में उपयोग की जाने वाली बुनियादी अवधारणाएँ हैं। चर और अचर की भूमिका समझने से विद्यार्थी बीजगणितीय परिचालन में दक्ष हो जाते हैं, जो कि गणितीय तर्क वितर्क में और गणित की परीक्षाओं में बेहतर करने के लिए महत्वपूर्ण है।
इस इकाई में आप गणित के पाठ्यक्रम में चर और अचर की भूमिकाओं के बारे में सोचेंगे और जानेंगे कि कैसे यह समझने से विद्यार्थियों को गणितीय कथनों और बीजगणितीय अभिव्यक्तियों को अर्थ देने में मदद होती है।
गतिविधियों के माध्यम से आप यह भी सीखेंगे कि कैसे गणित के बारे में बात करने से आपके विद्यार्थियों को अधिक प्रभावशाली रूप से सीखने में मदद मिलती है।
इस इकाई का संबंध NCF (2005) और NCFTE (2009) की दर्शाई गई शिक्षण आवश्यकताओं से है। संसाधन 1।
गणितीय तर्कशक्ति और समझ विकसित करने के लिए चर और अचर की भूमिका समझना आवश्यक है। बीजगणितीय अभिव्यक्ति परिचालित करने के लिए यह आवश्यक है और यह विद्यार्थियों को ‘अलग अलग तरीकों से गणितीय संबंधों को अभिव्यक्त करने और उनके बारे में अधिक जानने’ में सक्षम बनाती है (वॉटसन और अन्य, 2013, पृ. 15)
तकनीकी रूप से, ‘आश्रित’ चर, ‘स्वतंत्र’ चर और अचर होते हैं। अज्ञात x पारंपरिक रूप से स्वतंत्र चर दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है और ग्राफ़ बनाते समय पारंपरिक रूप से क्षैतिज अक्ष पर ही बनाया जाता है।
उदाहरण के लिए इस व्यंजक में:
y = x + 4
जहाँ x और y पूर्णांक हैं:
शोध बताती है कि चर और अचर के बारे में जानने में और सामान्य रूप से बीजगणित सीखने में विद्यार्थियों के सामने आने वाला एक मुख्य मुद्दा है, बीजगणितीय व्यंजकों में राशियों और चरों के बीच के संबंध को न समझना। इस इकाई का लक्ष्य विद्यार्थियों को संख्याओं और बीजगणितीय व्यंजकों के बीच संपर्कों के बारे में सोचने और बातें करने के लिए प्रेरित करके चर और अचर को अर्थ देकर इस समझ को विकसित करना है।
विद्यार्थियों के लिए किसी भी गणितीय धारणा की समझ विकसित करने और उसे अर्थ देने का एक सर्वोत्तम उपाय है उसके बारे में बातें करना:
बच्चों को यह सीखना ज़रूरी है कि… उनके खुद के गणितीय अर्थ बनाने, नियंत्रित करने और व्यक्त करने और साथ ही दूसरों की गणितीय भाषा की व्याख्या करने के लिए गणितीय भाषा का उपयोग कैसे करें।
(पिम, 1995, पृ. 179)
वे विद्यार्थी जो ‘गणित की भाषा’ बोलना नहीं सीखते वे कई बातों में पीछे रह जाते हैं; खास तौर पर, जैसा ऊपर पिम कहते हैं, उनके पास अपने खुद के गणितीय विचारों को बनाने, नियंत्रित करने और अभिव्यक्त करने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं होते।
विद्यार्थियों को गणित के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना और ऐसा करने के लिए उचित शब्दकोश और शब्दावली विकसित करने में उनकी मदद करना सीखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सोचना और संवाद करना इतने घनिष्ठ रूप से आपस में जुड़े हुए हैं (सफ़ार्ड, 2010) कि यह जानना संभव नहीं है कि पहला कहाँ रुकता है और दूसरा कहाँ से शुरू करता है। यदि आप चाहते हैं कि आपके विद्यार्थी गणित के बारे में सोचें, उसे समझें और इस प्रकार प्रभावशाली ढंग से गणित सीखें, तो उन्हें अपने गणितीय विचारों को व्यक्त करना भी सीखना होगा।
विद्यार्थी इस बारे में बात भी कर पाएँगे कि वो एक दूसरे के बारे में क्या सोच रहे हैं। दूसरे के साथ संवाद करने के लिए विचारों को विकसित करने की गतिविधि गलतफहमियों को सुधारने में उन्हें सक्षम कर सकती है। यह देखा गया है कि जो विचार किसी ऐसी चीज़ में बनाए जाएँ जिसे संचारित किया जा सके, उन्हें विद्यार्थियों द्वारा याद रखे जाने की अधिक संभावना होती है (ली 2006); दूसरे शब्दों में इसका अर्थ है कि विद्यार्थियों में उन विचारों को समझने की अधिक संभावना होती है।
पहली गतिविधि में विद्यार्थियों से उनके वास्तविक जीवन के अनुभवों में राशियो को पहचानने के बारे में विचार करने को कहा जाता है। इसमें उनकी कल्पनाशक्ति को सक्रिय करने के लिए एक चित्र का उपयोग किया जाता है। इस गतिविधि में अत्यावश्यकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्तेजना का बोध कराने हेतु उपाय बताने के लिए विद्यार्थियों को एक लघु समय सीमा देने का सुझाव दिया जाता है। इसका यह भी अर्थ होता है कि उनके पास बीजगणित करने को लेकर चिंतित होने के लिए कम समय बचेगा।
इस अंक में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा अगर आप अपने किसी सहकर्मी के साथ मिलकर इसे करने का प्रयास करें क्योंकि स्वयं के अनुभव के आधार पर सिखाना आसान होगा। स्वयं प्रयास करने से आपको किसी सीखने वाले व्यक्ति के अनुभव का ज्ञान होगा, जो आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो एक बार फिर अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें और विचार करके इस बारे में नोट बनाएँ कि गतिविधि कैसी हुई और उसके ज़रिए क्या सीखा गया। इससे आपको अधिक विद्यार्थी-केंद्रित शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
इस गतिविधि को जोड़ियों और छोटे-छोटे समूहों में करना सबसे अच्छा रहता है। सुनिश्चित करें कि समूह में विद्यार्थी बैठे हों ताकि वे एक दूसरे को अच्छे से सुन सकें। यदि किसी भी समय आपको लगता है कि विद्यार्थियों को और अधिक समय की ज़रूरत है, तो उन्हें कुछ बोनस या अतिरिक्त समय दे दें। आपको आप प्रमुख संसाधन ‘जोड़ी में कार्य का उपयोग’ को देख सकते हैं।
अपने विद्यार्थियों से निम्नलिखित पूछें:
आपमें से कितने लोगों ने ऑटोरिक्शा में सफ़र किया है? चित्र 1 में श्री मूर्ति को एक ऑटोरिक्शा में जाते दिखाया गया है। अपने समूहों में, ऐसी यथासंभव अधिक (मापनीय) राशियों के बारे में सोचें जो एक ऑटोरिक्शा सफ़र के साथ जुड़ी हों। जो समूह चार मिनट में ऐसी सबसे अधिक राशियों को लिखे वह विजेता होगा। आपका समय शुरू होता है … अब।
फिर उन्हें अपने विचारों को सारी कक्षा के साथ बांटने को कहें। यह निम्न रूप से व्यवस्थित किया जा सकता है:
यदि हो सके तो इस सूची को ब्लैकबोर्ड पर छोड़ दें और अपने विद्यार्थियों को उसकी नकल करने को कहें। उन्हें गतिविधि 2 के लिए इसकी ज़रूरत पड़ेगी।
वीडियो: जोड़े में किये गये कार्य का उपयोग करना |
यह उस शिक्षिका की कहानी है जिन्होंने अपने प्राथमिक विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।
मैं खुद कभी-कभी चर और अचर और उनका एक दूसरे के साथ क्या संबंध है, इस बारे में दुविधा में पड़ जाती हूँ, इसलिए एक ओर तो मुझे लगा कि कक्षा में इन गतिविधियों को करना मेरे खुद के विषय ज्ञान विकास के लिए अच्छा होगा, दूसरी ओर इससे मुझे थोड़ा डर भी लगा। क्या होगा यदि मैं कक्षा में, अपने विद्यार्थियों के सामने इस तरह दुविधा में पड़ जाऊँ?
इसलिए मैंने गतिविधि 1, 2 और 3 पहले अकेले ही की और फिर लंच ब्रेक के दौरान एक सहकर्मी के साथ करके देखी। मेरे खुद के करने और अपने सहकर्मी के साथ करने के बीच अंतर यह था कि जब हमारी समझ में कोई चीज़ नहीं आती तो हम एक दूसरे के साथ बात करते थे और एक दूसरे की मदद करते थे। और साथ ही, मिल कर हमने कई बड़े मज़ेदार उदाहरण ढूँढ निकाले जिसका मतलब हम बीजगणित करते समय खूब हँसे! पहली बार करके देखने पर मैंने कक्षा में इन गतिविधियों को करके देखने के लिए खुद को पूरी तरह तैयार महसूस किया।
गतिविधि 1 से परिचय करवाने के लिए मैंने विद्यार्थियों को श्री मूर्ति का चित्र दिखाया और मैंने ऑटोरिक्शा में उनके खुद के सफ़र के बारे में कक्षा को कुछ बताने के लिए कहा। इससे असल में कुछ अतिरिक्त चरों के बारे में सोचने में मदद मिली, जैसे कि: आंटी अंजू का घर कितना दूर था, पार्क कितनी दूर था, इन यात्राओं में यात्रियों की अलग अलग संख्या, उसमें लगा समय और क्या सड़कें साफ़ थीं या उन पर मानसून में हुई बारिश के कारण कुछ पानी भरा हुआ था, इनमें क्या बदलाव आए। तब जाकर मैंने उन्हें गतिविधि करने को कहा।
मैंने उन्हें चार-चार के समूहों में कार्य करने को कहा। उन्हें ये बताते ही, कि उनके पास केवल चार मिनट हैं, वे तुरंत शुरू हो गए और माहौल एकदम स्पर्धात्मकता और उत्सुकता से भर गया। हालाँकि मुझे यह भी महसूस हुआ कि उन्हें केवल चार मिनट देकर मैंने उनमें से कुछ शर्मीले विद्यार्थियों को एक तरह से ज़्यादा योगदान न देने का बहाना दे दिया था। शायद अगली बार मैं उन्हें कुछ लंबा समय दूँ और अतिरिक्त निर्देश दूँ ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समूह का हर विद्यार्थी कम से कम दो विचारों का तो योगदान दे।
कक्षा को फ़ीडबैक देने के लिए मैंने गतिविधि में सुझाया गया तरीका अपनाया। इसका बड़ा फ़ायदा यह हुआ कि सारी कक्षा के योगदानों का मूल्यांकन करते-करते ही हमारे पास रिकॉर्ड समय में ब्लैकबोर्ड पर उदाहरणों का अंबार लग गया। मैंने सोचा कि वो एक अच्छा विचार था – मेरी कक्षा में करीब 90 विद्यार्थी हैं और मैं अक्सर ‘समूची कक्षा के साथ साझा करने’ से बचती हूँ क्योंकि उसमें बहुत समय लगता है।
अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने के बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्न सोचें जिनसे विद्यार्थियों में रुचि पैदा हो तथा उनके बारे में उन्हें समझाएँ ताकि वे उन्हें हल करके आगे बढ़ सकें। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ (लिपि) मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। हर बार गतिविधियाँ करते समय इस विचारात्मक अभ्यास का उपयोग करें, यह ध्यान रखते हुए कि श्रीमती भाटिया ने कुछ मामूली परिवर्तन किए थे जिससे काफी फर्क पड़ा था।
विचार के लिए रुकें निम्न चिंतन को बढ़ावा देने वाले अच्छे प्रश्न हैं:
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पिछली गतिविधि में विद्यार्थी वास्तविक जीवन के अपने अनुभवों का उपयोग करके उन्हें राशियों की गणितीय अवधारणा से जोड़ते थे। दूसरी गतिविधि में विद्यार्थियों को उनके द्वारा गतिविधि 1 में पहचानी गई राशियों के आधार पर चरों और अचरों में अंतर करने के लिए कहा जाता है।
इन अवधारणाओं के बीच अंतर की विद्यार्थियों की समझ को विकसित करने में उन्हें मदद करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इसके बारे में बात करें। विद्यार्थियों से यह अपेक्षा करना महत्वपूर्ण है कि वे गणितीय शब्दों का स्वयं उपयोग करें और जहाँ उन्हें ऐसा करना हो वहाँ उस तरह का माहौल पैदा करें। इससे आपके विद्यार्थी बीजगणितीय व्यंजकों, चरों और अचरों की पहचान, उपयोग और उनके बारे में एक दूसरे से संवाद करने में सक्षम होंगे। ‘एक गणितज्ञ के समान बोलना’ और गणित को बस याद करने की बजाय उसे समझना एक महत्वपूर्ण कदम है।
विद्यार्थियों से पूछना कि ‘क्या समान रहेगा?’ या ‘क्या बदलेगा?’ अगली गतिविधि में चर्चा आरंभ करने तथा चर और अचर की पहचान में मदद कर सकता है।
इस गतिविधि को छोटे-छोटे समूहों या जोड़ियों में करना सबसे अच्छा रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी विद्यार्थियों के पास यह कहने का मौका हो कि वो क्या सोच रहे हैं और उन्हें उनकी गणितीय शब्दावली का अभ्यास करने का मौका मिले।
गतिविधि के पहले भाग में मैंने विद्यार्थियों से कहा कि दो या तीन की जोड़ी में काम करें ताकि वे एक दूसरे का लिखा हुआ देख सकें।
मैंने उन्हें प्रश्न बताया और मैंने विद्यार्थियों से उन राशियों के चारों ओर एक बॉक्स बनाने को कहा जो बदल जाएँगी। जब वे यह कर रहे थे, तो मैं कक्षा में बिना किसी हस्तक्षेप के घूम रही थी। मैंने कई चर्चाएँ सुनी कि चाहे जो हो जाए कोई राशि हमेशा बदलेगी या हमेशा वही रहेगी। शुरुआत में एक दूसरे को यकीन दिलाने की कोशिश करते हुए कि उनके वर्णन सदा ही धाराप्रवाह नहीं होते थे, लेकिन मुझे तो लगता है कि जैसे-जैसे वे प्रयास करते गए वे इसमें बेहतर होते गए। जब तक वर्गीकरण के बारे में हमने पूर्ण कक्षा की चर्चा की तब तक अधिकांश विद्यार्थी खुद को काफी स्पष्ट रूप से व्यक्क्त करने में सक्षम हो गए थे। जिनकी आवाज़ कुछ दबी सी थी, उन्हें मैंने फिर एक बार वर्णन का अभ्यास करने के लिए भेज दिया और ज़्यादातर को उससे मदद मिली।
हमारी सूची अब भी ब्लैकबोर्ड पर थी और पहले मैंने चरों पर बॉक्स भी बनाए (विद्यार्थियों के अनुरोध पर), लेकिन उससे सब अस्तव्यस्त दिखता था। तो मैंने सूची को नए सिरे से दो स्तंभों में लिखा – एक का लेबल था ‘चर – वे राशियाँ जिनके मान बदलेंगे’ और दूसरे का लेबल था ‘अचर – वे राशियाँ जिनके मान समान रहेंगे’। मैंने सोचा पहले गणितीय शब्दों को लिखने से उन्हें वे शब्द सीखने में मदद मिलेगी।
गतिविधि के तीसरे भाग में उन्होंने चार से छः विद्यार्थियों के समूहों में कार्य किया। मैंने उन्हें उनके रिकॉर्ड लिखने के लिए काग़ज़ की एक बड़ी शीट दी और उनसे कहा कि हम इस अभ्यास के खत्म होने पर उन्हें दीवार पर लगाएँगे (जो हमने किया)। मुझे लगता है कि ऐसा करने से वे अधिक शुद्धता के साथ सोच पाए कि वे किसके बारे में लिख रहे हैं। जब वे चरण 3 पर काम कर रहे थे तो मैं कक्षा में घूम रही थी और मैंने तय किया कि गतिविधि के अंतिम भाग में हम दो चरों के बारे में विस्तार के साथ जानेंगे – पहला था पहियों की संख्या और जो थोड़ा जटिल था एक समूह में अलग-अलग जगहों पर यात्रा करने के दौरान एक यात्री द्वारा अपने हिस्से के तौर पर अदा की जाने वाली राशि (या कीमत)।
विद्यार्थियों को आकर इसके अपने रिकॉर्ड को ब्लैकबोर्ड पर कॉपी करने को कहने से हमें मिले स्पायडर आरेख, पूर्ण वाक्य, बीजगणितीय व्यंजक और इन सबका एक मिश्रण और ये सब ब्लैकबोर्ड पर मौजूद थे। मुझे उसके बारे में ये अच्छा लगा कि इसमें कैसे ये सारे कनेक्शन और अलग अलग प्रस्तुतियाँ दिखाई गईं और हम इन प्रस्तुतियों में समानताओं और अंतरों पर चर्चा कर पाए।
विचार के लिए रुकें श्रीमती मेहता के पाठ में विद्यार्थियों और साथ ही शिक्षक के द्वारा भी ब्लैकबोर्ड पर बहुत कुछ लिखना और रिकॉर्ड करना शामिल था। आपके अनुसार इस तरीके के लाभ और संभावित हानियाँ क्या हैं? अब सोचें कि आपके विद्यार्थियों के साथ गतिविधि कैसी हुई और निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार करें:
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पेशेवर गणितज्ञ जो हो रहा है उसकी गति की और उसमें परिवर्तनों का पूर्वानुमान करने और उनका वर्णन करने के लिए मॉडल विकसित करते हैं। ऐसा करके वे यह अंदाज़ा लगाना संभव कर देते हैं कि परिवर्तन होने पर क्या ज़रूरी हो सकता है, जो कि नियोजन में बहुत महत्वपूर्ण है। यह गणितीय मॉडलिंग यह तय करने पर निर्भर होती है कि चर और अचर क्या हैं, कौन-कौन से जुड़े हैं और वे कैसे जुड़े हैं। गतिविधि 1 और 2 में इस पर विचार किया गया है। अगला चरण यह तय करने से संबंधित है कि ये चर और अचर कैसे एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और कैसे एक दूसरे से जुड़े हैं और गणितीय रूप से व्यक्त किए गए कथन बना कर इस ‘मॉडल’ को एक गणितीय रूप में रिकॉर्ड करना।
अगली गतिविधि इस बारे में आपकी सोच को विकसित करेगी कि ऐसे गणितीय मॉडल के सरल संस्करण कैसे बनाएँ और गतिविधि 1 और 2 की सीखों पर कैसे आगे बढ़ें। ये कार्य जोड़ियों या छोटे समूहों में कार्य कर रहे विद्यार्थियों के लिए खासतौर पर अच्छा होता है क्योंकि इससे अधिक विचार सामने आते हैं और कहीं अटक जाने पर विद्यार्थी एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं।
[शिक्षक के लिए नोट: यह कार्य पूर्णांक संख्याओं का उपयोग करके ही सरलीकृत किया जा सकता है।]
विद्यार्थियों से निम्न करने के लिए कहें:
यदि श्री मूर्ति X किमी की यात्रा करते हैं, तो उन्हें ___________ किराया देना पड़ेगा।
ध्यान रहे कि उपरोक्त संपूर्ण वाक्य ‘यदि श्री मूर्ति …’ एक कथन कहलाता है। जिसे विद्यार्थीयों को अंत में भरना है, इस मामले में कुछ इस तरह, 25 + 8(x – 2), where x > 2, इसे ‘बीजगणितीय व्यंजक’ कहते हैं। यदि विद्यार्थी अब भी बीजगणितीय संकेत पद्धति में लिख नहीं पाते हैं तो उन्हें अपने शब्दों में वाक्य बना कर लिखना चाहिए।
विद्यार्थियों से कहें कि वे गतिविधि 2 में उनके द्वारा बनाई गई चर और अचर की सूची का उपयोग करके लागत या समय जैसी अवधारणाओं के लिए शब्दों या बीजगणितीय व्यंजकों के साथ अपने खुद के कथन बनाएँ।
आपके सारे विद्यार्थी चर और अचर का उपयोग करके अपने खुद के कथन बनाने की अपनी समझ में शायद एक ही स्तर पर न हों। यह गतिविधि आपको उनके प्रदर्शन की निगरानी करने और उन्हें रचनात्मक फ़ीडबैक प्रदान करने का एक शानदार अवसर देती है। गतिविधि के इस पहलू के लिए आपको तैयार होने में मदद के लिए आप शायद एक प्रमुख संसाधन की ‘निगरानी करना और फ़ीडबैक देना’ पर एक नज़र डाल सकते हैं। Monitoring and giving feedback
वीडियो: निगरानी करना और फीडबैक देना |
मैंने विद्यार्थियों से गतिविधि 3 के भाग 1 पर जोड़ी में या तीन के समूहों में कार्य करने को कहा क्योंकि मुझे लगा इससे उन्हें मदद मिल सकती है और यदि वे नहीं जानते कि कैसे करें तो उनकी समस्या हल की जा सकती है।
जब वे इस पर कार्य कर रहे थे, मैं घूमते हुए यह देख रही थी कि वे श्री मूर्ति को कितना किराया देना होगा इसकी गणना कैसे कर रहे थे। मैंने देखा कि वे अलग अलग विधियों का उपयोग कर रहे थे। मैंने सोचा उन्हें सारी कक्षा के साथ साझा करना बेहतर होगा ताकि विद्यार्थी देख सकें कि एक प्रश्न को हल करने के कई तरीके हो सकते हैं। तो लगभग पाँच मिनटों के बाद मैंने कक्षा को रोका और ऐसे दो विद्यार्थियों को ब्लैकबोर्ड के पास बुलाया जिन्हें मैं जानती थी कि उन्होंने अलग-अलग तरीकों का उपयोग किया था और उनसे लिखने को कहा। फिर मैंने पूछा कि किसने उसे अलग तरीके से किया है और उन्हें बताने को कहा कि उन्होंने अपनी गणना कैसे की थी।
मैंने देखा कि सारे विद्यार्थी सुन नहीं रहे थे, तो मैंने सभी विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने अपने समूह या जोड़ी में दूसरों के द्वारा उपयोग की गई विधि को समझें और फिर हमने एक बार फिर सारी कक्षा के साथ उसे बांटा। इसके परिणामस्वरूप वे गलतफहमियों को ढूँढ पाए और उन पर चर्चा कर पाए। उदाहरण के लिए सीमा और उसके साथी ने 0.8 किमी के गुणज निकाल कर प्रत्येक गुणज की कीमत निकाली थी। फिर उन्होंने प्रश्न में पूछे गए गुणज के सबसे करीब वाला उपयोग किया। लेकिन वह भूल गई थी कि पहले दो किलोमीटर का किराया निर्धारित था। जय के समूह ने उसकी विधि की जाँच की और उन्होंने बताया कि वे इस निर्धारित किराए को गिनना भूल गए थे। तो फिर ये हुआ कि न केवल वे किसी हल तक पहुँचने के अलग अलग तरीकों को देख पाए, बल्कि वे ये भी देख पाए कि उन्होंने क्या छोड़ दिया था।
ज़्यादातर विद्यार्थी कथन को शब्दों में पूरा कर सके थे और कक्षा के एक तिहाई विद्यार्थियों ने कथन को एक बीजगणितीय व्यंजक से पूरा करने का प्रयास किया था। हालाँकि बीजगणितीय व्यंजक वैसे बहुत कम सही होता था। मैंने कुछ विद्यार्थियों को आकर ब्लैकबोर्ड पर अपने कथनों के साथ बीजगणितीय व्यंजक शब्दों में लिखने को कहा। फिर हमने यह चर्चा की कि वे कैसे जुड़े हुए थे और क्या हम गणितीय संकेत पद्धति को बेहतर बना सकते हैं।
गतिविधि के भाग 2 ने उन्हें इसके साथ प्रयोग करने में मदद की, जो कि उपयोगी था। मुझे लगता है कि विद्यार्थियों के लिए बीजगणितीय संकेत पद्धति के संबंध में चर्चा करने में सक्षम होना और वह कथन के साथ शब्द में कैसे संबद्ध है वास्तव में मददगार था और मुझे एहसास हुआ कि मैंने उन्हें पहले कभी इसका मौका नहीं दिया था।
विचार के लिए रुकें
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नेशनल करिकुलम फ़्रेमवर्क (एनसीएफ, 2005) ने पाठ्यक्रम में ज्ञान तक पहुँच के बारे में अपने एक नियम का कुछ इस तरह वर्णन किया है:
ज्ञान को ‘स्थितिपरक’ करने और उसकी प्रासंगिकता और सार्थकता को साकार करने के लिए स्थानीय और प्रासंगिक से जुड़ना; स्कूल से बाहर के अपने अनुभवों की पुष्टि करना; इन अनुभवों के संदर्भ में अवलोकन, संवाद, वर्गीकरण, प्रश्न पूछने और तर्कशक्ति से अपने सबक सीखना।
गतिविधि 4 का लक्ष्य यही करना है। यह गतिविधि एकीकरण अभ्यास के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है, जहाँ विद्यार्थी पिछली गतिविधियों में सीखे गए सबकों को एक नए संदर्भ में उपयोग करते हैं, ऐसा संदर्भ जिससे वे अच्छी तरह परिचित हैं, - और वो है क्रिकेट।
वीडियो: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए |
इस गतिविधि में विद्यार्थी एक क्रिकेट के खेल में चर राशियों से परिचित होते हैं।
इस गतिविधि के लिए विद्यार्थी वाकई बाहर जाकर क्रिकेट खेल सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, इसे कक्षा में ही खेला जा सकता है जहाँ प्रत्येक बॉल पर खिलाड़ी को मिलने वाले रनों की संख्या के लिए पासा फेंका जा सकता है। (पासे पर, चूँकि क्रिकेट में एक बॉल में पाँच रन पाने के अवसर कम ही होते हैं, इसलिए पासे के पाँच को शून्य माना जाएगा!) यदि पासा टेबल से नीचे गिरा तो वो आउट!
विद्यार्थियों से निम्न कहें:
ओवर | टीम 1 | टीम 2 |
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1 | ||
2 | ||
3 | ||
4 | ||
5 | ||
कुलयोग |
मैच के बाद कक्षा से निम्नलिखित प्रश्नों पर चर्चा के लिए कहें। बड़ी कक्षाओं में पहले विद्यार्थियों से इन प्रश्नों पर छोटे-छोटे समूहों में चर्चा करने को कहना और फिर उन्हें सारी कक्षा के साथ बांटना अच्छा काम करता है।
गतिविधि 3 के भाग 2 की तरह, विद्यार्थियों से चर और अचर की सूची का उपयोग करके बीजगणितीय व्यंजकों के साथ अपने खुद के कथन बनाएँ।
वीडियो: सभी को शामिल करना |
चूँकि क्रिकेट उन सभी का पसंदीदा खेल है, विद्यार्थियों ने चर्चा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और गतिविधि में योगदान दिया। कल मैंने विद्यार्थियों से अगले दिन संभव हो तो उनके क्रिकेट बैट और बॉल स्कूल में लाने को कहा था।
मेरी कक्षा में लड़के और लड़कियाँ दोनों हैं और मैंने सोचा लड़कियाँ शायद खुद को अलग पाएँ या लड़कों को शायद लगे कि ये सिर्फ़ उनके ही लिए है! इसलिए मैंने गतिविधि के बारे में उन्हें बताते समय कहा कि मैंने अख़बार में राष्ट्रीय भारतीय महिला क्रिकेट टीम के बारे में पढ़ा और वे कितना अच्छा खेल रही हैं। मैंने कुछ नाम भी लिए जैसे राजस्थान से टीम कप्तान मिताली राज, बंगाल की झूलन ‘बाबुल’ गोस्वामी, जिसने इस खेल में शानदार प्रदर्शन के लिए मिताली की तरह सरकार का अर्जुन पुरस्कार जीता है और जो पहले कप्तान भी रह चुकी हैं।
मैंने खेल के कुछ नियमों पर भी चर्चा की जिनके बारे में गतिविधि पूरी करने के लिए जानना ज़रूरी था, ताकि बाद में कोई समस्या न हो। फिर हम बाहर गए और हमने यह खेल खेला। हमने लड़के और लड़कियों की मिलीजुली टीम बनाई, लड़कियों को लड़कों के विरुद्ध, लड़कों को लड़कों के विरुद्ध और लड़कियों को लड़कियों के विरुद्ध खिलाया।
पूर्ण कक्षा की चर्चा की तैयारी में मैंने कुछ बदलाव करने का फैसला किया और पहले प्रश्न 1 से 3 पर काम किया और उसके बाद ही हम बाकी के प्रश्नों पर गए। मुझे लगा कि चरों और अचरों के बारे में अन्यथा चर्चा समाप्त हो सकती है और यह महत्वपूर्ण रहा कि ऐसा नहीं हुआ क्योंकि यह उस गणित के बारे में था जिसे मैं उन्हें सिखाना चाहता था। अतः मैंने ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न 1 से 3 लिखे और विद्यार्थियों से अपनी पाँच की टीम में इन पर चर्चा करने के लिए कहा। फिर, हमने इस बारे में पूरी कक्षा के साथ चर्चा की।
फिर, मैंने ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न 4 और 5 लिखे, पुनः इन पर अपनी टीम में चर्चा के लिए और शीर्षक के रूप में ‘क्रिकेट के खेल में चर और अचर’ के साथ अपनी पुस्तक में एक सूची बनाने के लिए उनसे कहा। ऐसा करने के लिए मैंने उन्हें पाँच मिनट का समय दिया। फिर, हमने पूरी-कक्षा के साथ चर्चा की। मैंने उन्हें हर बार ‘चर’ और ‘अचर’ शब्दों का उपयोग करने के लिए कहा ताकि वे शब्दावली से परिचित हो सकें।
पाठ की समाप्ति पर, मैं यह निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि उनमें से अधिकांश इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि चर राशियाँ क्या हैं और अचर राशियों का क्या अर्थ है। वे यह भी देख सकते थे कि भले ही एक अक्षर द्वारा चर राशि को इंगित किया जा रहा है जबकि वह एक संख्या है। कुछ विद्यार्थी बीजगणितीय अंकन में अपने कथन लिखने में समर्थ थे, अन्य शब्दों में अपने कथन का वर्णन करने में समर्थ थे। मैं उनके द्वारा सीखे गए विभेदीकरण से खुश थी और वे अपनी वर्तमान स्थिति से शिक्षण को आगे ले जाने में समर्थ थे।
पाठ की समाप्ति पर, मैंने उन्हें अब घर पर और मित्रों के साथ ‘क्रिकेट के खेल में चर और अचर’ पर चर्चा करने के लिए कहा। मुझे नहीं पता कि उन्होंने ऐसा किया या नहीं, लेकिन ऐसा महसूस हुआ कि वे इस विचार से सहमत थे!
विचार के लिए रुकें
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इस इकाई में दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए चर और अचर के शिक्षण के बारे में विचारों का प्रयोग किया गया है।
पहली की जरूरत विद्यार्थियों को उनके गणितीय विचारों और बीजगणितीय अंकन के बारे में बात करने में सक्षम बनाने के लिए थी। विद्यार्थियों को अपने विचार अभिव्यक्त करने में समर्थ होना आवश्यक है यदि वे उन्हें पूरी तरह समझना चाहते हैं और कक्षा के तत्काल प्रसंग से बाहर जाकर उनका प्रयोग करना चाहते हैं। चिंतन के लिए भाषा आवश्यक होती है और वे विद्यार्थी जिनकी विशिष्ट गणितीय शब्दावली और पदावली का स्वयं से प्रयोग करने के लिए मदद की गई है, उस समय फ़ायदे में होते हैं जब उनसे चिंतन करने के लिए कहा जाता है।
इस इकाई का दूसरा सबसे बड़ा विचार गणितीय कथनों एवं बीजगणितीय व्यंजकों के अर्थ प्रदान करने में विद्यार्थियों को समर्थ बनाने के लिए अचरों एवं चरों की भूमिका को समझने में उनके महत्व को रेखांकित करना था।
विचार के लिए रुकें
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यह इकाई एनसीएफ (2005) और एनसीएफटीई (2009) की निम्नलिखित शिक्षण आवश्यकताओं के साथ संबंध स्थापित करती है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगी:
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।