बीजगणित ऐसा विषय है जहाँ कई विद्यार्थी यह कहने लगते हैं कि गणित कठिन है। इसके कई कारण हो सकते हैं; युवा विद्यार्थियों को चीज़ें सीधी और ठोस पसंद आती हैं, जबकि बीजगणित चर और मानकों को दर्शाने वाले अमूर्त चिह्नों के बारे में होता है। हालाँकि कई कठिनाइयाँ इसलिए होती हैं, क्योंकि विद्यार्थी जिस तरह संख्याओं के साथ कार्य करते हैं और जिस तरह वे बीजगणित में कार्य करते हैं, उनमें अंतरों को स्पष्ट नहीं किया जाता है और इसलिए विद्यार्थी शुरुआत में ही दुविधा में पड़ जाते हैं।
इस इकाई में आप इसके बारे में सोचेंगे कि बीजगणित का परिचय कैसे किया जाए और विद्यार्थियों को भ्रम में और दुविधा में डाले बिना बीजगणितीय तरीके से सोचने में मदद करने के लिए किन-किन अंतरों का अवलोकन किया जाए। गतिविधियों में विद्यार्थियों को संख्याओं को सुरक्षित रूप से इस्तेमाल करते हुए बीजगणितीय उपायों के साथ कार्य करने के लिए कहा जाता है। वे दो महत्वपूर्ण बीजगणितीय विचारों, अनुमान लगाने और समान्यीकरण के प्रति अपनी सोच को विकसित करेंगे।
दो गतिविधियों में कार्ड का अलग अलग तरीके से उपयोग करके विद्यार्थियों को बीजगणितीय उपायों का अन्वेषण करने और उन उपायों को उनकी खुद की सोच में विस्तारित करने के लिए प्रेरित किया जाता है। गतिविधियों की एक और विषय योजना यह पता लगाना है कि जो उनके सामने प्रस्तुत किया गया है वह हमेशा सत्य है, कभी-कभी सत्य है या गलत है।
इस इकाई का संबंध NCF (2005) और NCFTE (2009) की दर्शाई गई शिक्षण आवश्यकताओं से है। संसाधन 1।
अंकगणित में, बराबर का चिह्न अक्सर कोई क्रिया करने या उत्तर ढूँढने के एक आदेश के रूप में देखा जाता है। इसलिए, जब कोई विद्यार्थी किसी समीकरण में बराबर का चिह्न देखता है, तो वह उससे पहले दी गई संक्रिया को पूरा करने की सोच सकता है। कई विद्यार्थियों के लिए, बराबर चिह्न का अर्थ है – ▪ और उत्तर है, जो कि बीजगणित करते समय सहायक नहीं होता है।
बराबर का चिह्न हमेशा दो व्यंजकों के बीच के रिश्ते को दर्शाता है। बराबर का चिह्न मात्रात्मक समानता दर्शाता है। दूसरे शब्दों में, बराबर चिह्न की बाईं ओर का व्यंजक वही मात्रा दर्शाता है जो दाईं ओर वाला व्यंजक दर्शाता है। बराबर के चिह्न को ‘के समान है’ या ‘के समतुल्य है’ या ‘समान मूल्य का है’ के रूप में पढ़ा जा सकता है। यह समझने पर समीकरणों के साथ कार्य करते समय आपके विद्यार्थियों को मदद प्राप्त होगी।
‘बराबर का चिह्न संतुलन दर्शाता है’ की अवधारणा को समानता के विचार को दृढ़ करने के लिए उपयोग किया जा सकता है कि संख्या वाक्य के दोनों पक्षों को समान होना चाहिए और समीकरण संतुलित होना चाहिए। प्रत्येक पलड़े में अलग अलग रंग के ब्लॉक (या समान वज़न की अन्य छोटी वस्तुएँ) के साथ सरल संतुलन तराजू के एक सेट का उपयोग किया जा सकता है। वैकल्पिक रूप से, छड़ी या कोट हैंगर से लटके छोटे पैकेट या कैन से भरे थैले इस अवधारणा को दृश्य रूप से दर्शाएँगे।
विचार के लिए रुकें बराबर चिह्न के कुछ ऐसे उपयोगों के बारे में विचार करें, जो आपके विद्यार्थियों को उनके आसपास ही दिखाई दे सकते हैं जिसके कारण गलत व्याख्या या गलतफहमी हो सकती है। उदाहरण के लिए, बराबर चिह्न का कभी-कभी गणितीय समीकरणों के बाहर भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे ‘MATHS = FUN’ or ‘Ravi = 9’ |
बीजगणितीय रूप से विचार करना और स्कूल में बीजगणित के उपयोग में पैटर्न को पहचानना और उनका विश्लेषण करना, चिह्नों का उपयोग और सामान्यीकरण विकसित करना शामिल है। ‘अंकगणित की भाषा’ उत्तर पाने पर केंद्रित है, जबकि ‘बीजगणित की भाषा’ संबंधों पर केंद्रित है। उदाहरण के लिए, ‘a + 0 = a’ उस सामान्यीकरण का एक प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व हैं जो कि जब किसी संख्या में शून्य जोड़ा जाता है, तो वह समान रहती है।
बीजगणित एक समान्यीकृत संबंध को व्यक्त करने पर केन्द्रित रहता है, जबकि अधिकांश गणितीय सबक उत्तर ढूँढने पर केंद्रित रहते हैं। तो पहली चीज़ जो समझी जानी चाहिए वो ये है कि बीजगणित अलग है।
इस इकाई की गतिविधियाँ बीजगणितीय सोच के बारे में विचार विकसित करने पर कार्य करेगी:
इस अंक में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा अगर आप अपने किसी सहकर्मी के साथ मिलकर इसे करने का प्रयास करें क्योंकि स्वयं के अनुभव के आधार पर सिखाना आसान होगा। स्वयं प्रयास करने से आपको किसी सीखने वाले व्यक्ति के अनुभव का ज्ञान होगा, जो आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा।
यह खेल एक दूसरे के साथ स्पर्धा करने वाली दो टीमों के समूह के द्वारा खेला जाता है। तय करें कि आप अपनी कक्षा को दो टीमों के कितने समूहों में बाँटना चाहते हैं।
दो टीमों के हर समूह के लिए आपको निम्न की आवश्यकता होगी:
काग़ज़ के एक बड़े टुकड़े पर वह संख्या लिख कर संख्या कार्ड बनाया जा सकता है। आप काग़ज़ पर लिखने के लिए एक स्केच या मार्कर पेन का उपयोग कर सकते हैं ताकि उसकी स्याही इतनी गाढ़ी हो कि उसे सारे विद्यार्थी देख सकें।
विद्यार्थियों को घूमने के लिए आपको कुछ जगह की आवश्यकता पड़ेगी। यदि आपकी कक्षा में टेबलों और बेंचों को पर्याप्त रूप से हटाया नहीं जा सकता, तो बाहर जाने के बारे में विचार करें। कक्षा को पुनगर्ठित करके बनाएँ:
खेल कैसे खेला जाता है
टीम A उसके किसी भी दो सदस्यों और जोड़ने या घटाने के परिचालन का उपयोग करके एक गणितीय अभिव्यक्ति बनाती है। उदाहरण के लिए:
9 + 8
7 – 4
तब प्रोफेसर बराबर (=) आते हैं और टीम A की अभिव्यक्ति के किसी भी सिरे पर खड़े हो जाते हैं।
फिर टीम B अपने सदस्यों की किसी भी संख्या को लेकर और बची हुई संक्रियाओं में से किसी एक को लेकर एक और अभिव्यक्ति बनाती है, जो टीम A द्वारा बनाई गई अभिव्यक्ति के ‘समान मूल्य’ है। टीम B के सदस्य प्रोफ़ेसर बराबर के दूसरी ओर खड़े होते हैं।
उदाहरण के लिए, ऊपर टीम A द्वारा बनाई गई दो अभिव्यक्तियों के सापेक्ष टीम B निम्न बना सकती है:
‘9 + 8 = 19 – 2’ or ‘9 + 8 = 21 – 4’, आदि।
‘7 – 4 = 6 2’ or ‘7 – 4 = 9 – 6’, आदि।
यदि टीम B एक ऐसी अभिव्यक्ति बनाने में सफल रहती है जो कि टीम A द्वारा बनाई गई अभिव्यक्ति के बराबर हो, तो उसे उसकी अभिव्यक्ति बनाने में उपयोग की गई सबसे बड़ी संख्या के बराबर पॉइंट मिलेंगे।
यदि टीम B एक ऐसी अभिव्यक्ति बनाने में विफल रहती है जो कि टीम A द्वारा बनाई गई अभिव्यक्ति के बराबर हो, तो टीम A को उसकी अभिव्यक्ति बनाने में उपयोग की गई सबसे बड़ी संख्या के बराबर पॉइंट मिलेंगे।
अगली चाल के लिए टीम B पहले जाएगी। दोनों टीमों को समान संख्या में चालों की अनुमति है।
यह एक अध्यापिका की कहानी है जिसने अपने प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।
इस गतिविधि में बहुत से प्रबंधन की आवश्यकता थी और हमारे वास्तव में आरम्भ करने से पहले काफी समय लगा। मैंने कुछ काफी मजबूत कार्ड लिए और इसकी मदद से कार्ड बनाए। गतिविधि पूर्ण होने पर मैंने उन्हें एक साथ एकत्रित किया और उन्हें एक सुरक्षित स्थान पर रख दिया, ताकि बाद में फिर उपयोग कर सकूँ।
मेरी एक सहकर्मी मीना ने मुझे उन कार्डों को रखते देखा और मुझसे उनके बारे में पूछा। जब मैंने उसे गतिविधि के बारे में बताया, तो उसने कहा कि वह भी उनका उपयोग करना चाहेगी, तो उनका अब तक दो बार उपयोग हो चुका है और जिससे उन्हें बनाने में लगा समय और भी उपयुक्त लगता है। अगली बार जब मैं कार्ड का उपयोग करूँगी (और मैं ज़रूर करूँगी क्योंकि विद्यार्थी उससे इतना कुछ सीखे थे) \ तो मीना और मैं मिल कर कार्ड बनाने का काम करेंगे।
अध्याय से पहले हमें तालिकाओं को हटाना पड़ा ताकि हमारे पास खाली स्थान रहे। लेकिन हमारा समय लगाना व्यर्थ नहीं गया। असल में सभी विद्यार्थियों को गतिविधि में बड़ा मज़ा आया और उन्होंने मेरे विचार से बराबर के चिह्न के बारे में बहुत कुछ सीखा।
आरंभ में मैंने उन्हें दस-दस विद्यार्थियों की दो टीमों की मदद से खेल समझाया लेकिन मैंने पहले ही तय कर लिया था कि मुझे दो की जगह चार टीमें बनानी पड़ेंगी, क्योंकि मेरी कक्षा में बहुत से विद्यार्थी थे और अन्यथा कई विद्यार्थी इसमें शामिल नहीं हो पाते थे। मैंने चार विद्यार्थियों को मूल्यांकनकर्ता के रूप में भी नियुक्त किया था जो विद्यार्थियों के हर समूह द्वारा बनाई गई अभिव्यक्तियों का मूल्यांकन करेंगे और देखेंगे कि वे सही हैं या नहीं और स्कोर रखने के लिए दो विद्यार्थी नियुक्त किए थे। कक्षा के अलग-अलग सिरों पर टीम A टीम B के साथ खेली और टीम C टीम D के साथ खेली और फिर उन्होंने जगह बदल ली।
मैंने देखा कि टीम B में कुछ गहन सोच रखने वाले विद्यार्थी थे। उन्होंने अधिक अंक पाने और दूसरी टीम को बाहर रखने के लिए हमेशा सबसे बड़ी संख्याओं का उपयोग करने का फैसला किया। बेशक इसका अर्थ था कि उन्हें उनकी बड़ी संख्याओं के साथ काफी कठिन अंकगणित करना पड़ा था। उनको खुद को चुनौती देना उनका ही चयन था लेकिन मुझे देख कर खुशी हुई कि उन्होंने खुद कैसे सवाल सेट किए और यह सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की कि वो सही थे और उन्होंने पॉइंट स्कोर किए।
अध्याय के अंत में हमने एक नॉकआउट प्रतियोगिता रखने का फैसला किया। टीम A ने टीम B से खेला और उनके विजेता ने टीम C से खेला और इस तरह किया। मुझे लगा यह काफी कारगर रहा क्योंकि हम हर प्रयास पर रुके और हमने हर किसी के दिए गए उत्तरों का मूल्यांकन किया और देखा कि वे सही क्यों थे और गलत क्यों थे। इसके कारण काफी चर्चा हुई और मैं यह देख कर फिर एक बार हैरान थी कि हर विद्यार्थी ने अपने मन में ही तेज़ी से अंकगणित करने के लिए खुद को कितनी चुनौती दी।
अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने के बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्नों की ओर ध्यान दें जिसमें विद्यार्थियों की रुचि दिखाई दे और वे आगे बढ़ते हुए नज़र आएँ और वे जिनका स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता हो। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियां करें, इस विचार करने वाले अभ्यास का उपयोग करें।श्रीमती अपराजिता की तरह कुछ छोटी-छोटी चीजें नोट करें जिनसे काफी फर्क पड़ जाता है।
विचार के लिए रुकें ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:
|
अनुमान लगाना (सिद्धांत) और बाद में तर्क देना कि वे सच हैं, कभी-कभी सच हैं या गलत हैं, सामान्यीकरण के विचारों को विकसित करने का हिस्सा है जिन पर बीजगणितीय सोच निर्भर करती है।
‘योगात्मक तत्समक’ – अर्थात, यह विचार कि शून्य जोड़ने या घटाने से मूल संख्या वही रहती है – अपेक्षाकृत रूप से आसानी से समझ लिया जाता है। हालाँकि बाद में बीजगणितीय समीकरण हल करने में उसके उपयोग के कारण इस तत्समक का अन्वेषण आवश्यक हो जाता है।
विद्यार्थियों के लिए ऐसे तत्समकों की समझ को स्पष्ट रूप से कह पाना बेहद महत्वपूर्ण है और ऐसा विद्यार्थियों से अनुमान विकसित करने के लिए कह कर किया जा सकता है। जब किसी संख्या में शून्य जोड़ा जाता है या उसमें से घटाया जाता है तो क्या होता है इस बारे में कक्षा कथन या अनुमान विकसित कर सकती है।
विद्यार्थी अक्सर अपने विचारों को जाँचने के लिए कई अलग-अलग संख्याएँ आज़मा कर देखते हैं। विद्यार्थियों को यह विचार करने के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है कि उनके अनुमान (या सिद्धांत) सारी संख्याओं के लिए काम करते हैं या नहीं। इस तरह से आपके विद्यार्थी संख्या के गुणों के बारे में बीजगणितीय रूप से सामान्यीकृत करना आरंभ कर देंगे।
किसी कक्षा द्वारा विकसित किए गए नियम या अनुमान प्रदर्शित किए जा सकते हैं और/या जिस विद्यार्थी की अवधारणा थी उसके नाम से उस नियम का नाम रखा जा सकता है, उदाहरण के लिए ‘प्रेम का नियम’।
यहाँ विद्यार्थियों द्वारा जोड़ने के बारे में विकसित किए गए कुछ अनुमानों के उदाहरण दिए गए हैं:
निम्नलिखित गतिविधि आपको दिखाती है कि कैसे आप अंकगणित कथनों का अन्वेषण करके और वे सच हैं, कभी-कभी सच हैं या कभी सच नहीं हैं, इसके बारे में अनुमान लगा कर विद्यार्थियों को बीजगणितीय रूप से सोचना आरंभ करने में मदद कर सकते हैं। कई बार यह देख कर विद्यार्थी आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि उन्हें ‘यह सत्य नहीं है’ कहने की अनुमति है। यह वाकई महत्वपूर्ण है कि उन्होंने संख्याओं के साथ दिखने वाली हर चीज़ को यूं ही स्वीकार नहीं कर लेना चाहिए बल्कि उन्हें यह सोचने के लिए तैयार रहना चाहिए ‘क्या यह हमेशा सत्य है या मैं इसे असत्य ठहरा सकता/सकती हूँ?’
ब्लैकबोर्ड पर कई अंकगणितीय कथन लिखें। कुछ उदाहरण जिन्हें आप उपयोग कर सकते हैं:
नोट करें कि कुछ कथन सच होने चाहिए और कुछ सच नहीं होने चाहिए।
संसाधन 2 में कथनों के और उदाहरण हैं।
अपने विद्यार्थियों से निम्न करने को कहें:
यह गतिविधि विद्यार्थियों को बातें करके सीखने के मूल्यवान अवसर प्रदान करती है। आप शायद गतिविधि के इस पहलू के लिए अपने नियोजन में मदद के लिए मुख्य संसाधन ‘सीखने के लिए संवाद’ को देखना चाहें।
वीडियो: सीखने के लिए बातचीत |
मैंने विद्यार्थियों को पाँच के समूह में बाँटा और फिर मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिखे कथनों की वैधता पर चर्चा के लिए उन्हें दस मिनट दिए।
समूहों के बीच बहुत चर्चा हुई। इससे मुझे बहुत ही खुशी हुई क्योंकि जब मैंने उनकी बातों को सुना तो वे सब सोच रहे थे कि कथन सत्य क्यों थे या क्या वे उन संख्याओं को सोच सकते थे जो उन्हें असत्य बना सके या इसका विपरीत सही हो।
ऐसे कुछ विद्यार्थी थे जो अपने समूह में सोच में कोई योगदान नहीं दे रहे थे, इसलिए मैंने समूह से यह सुनिश्चित करने को कहा कि वे उन्हें भी चर्चा में शामिल करें। उनमें से एक ने स्कूल में कुछ समय खो दिया था और उसे फिर से समूह का हिस्सा बन पाने में मदद की ज़रूरत थी।
उसका अंकगणित खास तौर पर अच्छा था, इसलिए उन्होंने जल्द ही उसके योगदान की सराहना की। मैंने कक्षा से कहा कि हर किसी को उसके हिस्से का सोचना ज़रूरी था और विचार साझा करना हर किसी के लिए मददगार होगा। मैंने यह भी कहा कि मैं उस विद्यार्थी को चुनूँगी जो प्रस्तुति देगा इसलिए जो भी कहा गया है उस पर हर किसी को रिपोर्ट करना आवश्यक था। तो फिर वे सभी अभ्यास में लग गए।
मैंने अलग अलग विद्यार्थियों से उनके अपने समूह की चर्चाओं से उत्तर देने को कहा और यह बताने को कहा कि उन्हें क्या लगता था कि कथन हमेशा सत्य, कभी-कभी सत्य था या कभी सत्य नहीं था। मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने कौन सी संख्याएँ आज़माई थीं और उनसे यह बताने की कोशिश करने के लिए भी कहा कि उन्होंने वो विशेष मान क्यों चुने थे। फिर मैंने अन्य समूहों को भी उनके द्वारा चुनी गई संख्याओं का योगदान करने के लिए कहा, तो इस तरह हमारे पास उदाहरणों की एक खासी तादाद एकत्रित हो गई।
इसमें काफी समय लग गया, खासकर एक गलत कथन के साथ क्योंकि कई समूहों को यकीन था कि वे उसे सत्य बनाने का कोई तरीका ढूँढ सकते थे। इसका अर्थ था हम उन सारे कथनों को नहीं देख पाए जो मैंने तैयार किए थे और इसलिए मैंने उन्हें अपने खुद के अनुमान लिख कर बाकी को गृहकार्य के रूप में पूरा करने के लिए कहा।
उन्हें जो मिला था उस पर हमने अगले दिन चर्चा की और उसमें अधिकांश ने भारी योगदान दिया। मैंने देखा कि कक्षा में पीछे बैठे कुछ विद्यार्थी बहुत शांत थे। जब मैं उनसे बात करने गई, तो उनमें से कुछ ने कहा कि वे नहीं समझे थे कि वे क्या करना था, तो मैंने उनसे पूछा कि दूसरों के द्वारा बनाए गए अनुमान सही या गलत क्यों थे।
विचार के लिए रुकें कक्षा के पीछे बैठे शांत विद्यार्थियों से श्रीमती कपूर ने जिस तरह बात की उसके बारे में आपका क्या सोचना है? उन्हें क्या करना है यह उनके न समझने के क्या संभावित कारण हो सकते हैं? अब इस बारे में सोचें कि आपके विद्यार्थियों ने गतिविधि पर कैसी प्रतिक्रिया दी और निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार करें:
|
कथनों के बारे में अनुमान लगाने से चिह्नों का उपयोग करके सामान्यीकरण पर जाना एक बहुत बड़ी छलांग हो सकती है, लेकिन यदि आपके विद्यार्थी गतिविधि 1 और 2 में दिए गए खेलों पर काम करते आ रहे हैं, तो उन्होंने शायद पहले ही प्रतीकों का उपयोग आरंभ कर दिया होगा।
उदाहरण के लिए, उन्होंने कुछ इस तरह की बातें कही होगी ‘यदि आप किसी संख्या से 2 लेते हैं और उसमें पाँच जोड़ देते हैं, तो उत्तर हमेशा तीन अधिक ही होगा’। इस सन्दर्भ में किसी संख्या को दिखाने के सुविधाजनक तरीके के रूप में x या n का उपयोग पूरी तरह से स्वाभाविक प्रतीत हो सकता है।
अगली गतिविधि अधिक औपचारिक सामान्यीकरणों को प्रोत्साहित करने लगती है।
तैयारी
दो प्रकार के फ्लैश कार्ड बनाएं:
संसाधन 3 में S-कार्ड और G-कार्ड के उदाहरण दिए गए हैं। आप इन्हें अपनी कक्षा के स्तर के अनुसार बदल सकते हैं।
कक्षा को समूहों में बांटें। इस गतिविधि के लिए छः से दस लोगों के समूह अच्छे रहते हैं। सारे S-कार्ड और सारे G-कार्ड अलग अलग फेंट दें। अपनी कक्षा को समूहों में व्यवस्थित करने के बारे में सोचते समय आप शायद प्रमुख संसाधन ‘समूहकार्य का उपयोग’ पर नज़र डाल सकते हैं। हर समूह को दो बराबर-बराबर भागों में विभाजित करें। पहले आधे भाग को S-कार्ड और दूसरे आधे भाग को G-कार्ड वितरित करें।
गतिवधि
अपने विद्यार्थियों को S-कार्ड और G-कार्ड की जोड़ियाँ बनाने के लिए कहें और फिर देखें कि किया गया अनुमान हमेशा सत्य है, कभी-कभी सत्य है या असत्य है। एक दूसरा उपाय है विद्यार्थियों को पाँच या छः के समूहों में कार्य करने के लिए कहना और उन्हें छः S-कार्ड और G-कार्ड सौंप देना। यदि उनके पास एक विशिष्टिकृत (S) कार्ड है तो उन्हें उस कार्ड को सामान्यीकृत (G कार्ड बनाना) करना पड़ेगा। यदि उनके पास G-कार्ड है तो उन्हें उसके लिए एक S-कार्ड बनाना पड़ेगा और फिर चर्चा करनी होगी कि वह हमेशा सत्य है, कभी-कभी सत्य है या कभी भी सत्य नहीं है।
संसाधन 4 प्रत्येक प्रकार के कार्ड की सामग्री के लिए कुछ उदाहरण प्रदान करता है।
विद्यार्थियों से उनके अपने S-कार्ड और G-कार्ड बनाने के लिए कहें।
वीडियो: समूहकार्य का उपयोग करना |
मैंने [संसाधन 3 में] दिए सुझावों का उपयोग करके S-कार्ड और G-कार्ड बनाए। मुझे यह गतिविधि अच्छी लगी क्यों मैंने सोचा इससे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलेगा कि वे अभिव्यक्ति की तुलना करें और फिर देखें कि कैसे प्रत्येक अभिव्यक्ति को गणितीय भाषा में संदर्भित किया जा सकता है।
मैंने इस तरह समूह बनाए कि हर समूह में एक विद्यार्थी था जिसे बीजगणित की अच्छी समझ थी। फिर मैंने उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि समूह के सारे विद्यार्थी इस चर्चा में भाग ले रहे हैं कि उनके अनुमानित सामान्यीकरण पूरी तरह असत्य थे, कभी-कभी सत्य थे (यदि ऐसा है तो कब) या हमेशा सत्य थे। समूहों को यह चेतावनी भी दी गई थी कि उनके समूह का वर्णन किसी विद्यार्थी द्वारा ही किया जाएगा, इसलिए उन सभी की एक आम सहमति होना आवश्यक है।
ये काफी अच्छा रहा। समूहों में चल रही जो चर्चा मेरे कानों पर पड़ी वो कक्षा के लिए असाधारण थी क्योंकि उनमें से हरेक ने विशिष्ट को सामान्यता के साथ मिलाने की और यह पता करने की कोशिश की कि वह हमेशा सत्य था या नहीं। मैंने हर समूह को कार्ड की एक जोड़ी प्रस्तुत करने और उन्होंने जो तय किया उसका कारण देने को कहा। इसमें कुछ समय लगा लेकिन सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वे एक दूसरे के साथ बहुत अधिक चर्चा कर रहे थे! हमें गतिविधि के दूसरे भाग को अगले दिन के लिए छोड़ना पड़ा।
उनके खुद के S-कार्ड और G-कार्ड बनाना भी एक अच्छा अभ्यास था, क्योंकि मैंने उन्हें ये व्यक्तिगत रूप से करने के लिए कहा और फिर उनमें से प्रत्येक ने बताया कि उसने समूहों में क्या बनाया था। तो उन्हें इस बारे में अपने कक्षा के सहपाठियों से बहुत सी जानकारी मिली कि वे उनके कथनों के बारे में सही थे या उनके बीच कोई गलतफहमी थी।
विचार के लिए रुकें
|
इस इकाई ने बीजगणितीय सोच पर और आपके विद्यार्थियों को बीजगणितीय सोच और अंकगणित के बीच समानताओं और असमानताओं पर विचार करने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
इस इकाई का अध्ययन करने में आपने बराबर के चिह्न को ‘और उत्तर है’ की बजाय ‘के समान है’ के अर्थ में समझने के महत्व को पहचान लिया होगा। आपने यह भी सोचा होगा कि आपके विद्यार्थियों को उनकी तर्कशक्ति विकसित करने में कैसे सक्षम करें कि कथन सत्य हैं या असत्य हैं और वे सत्य हैं तो क्या वे सभी संख्याओं के लिए सत्य हैं?
आपने सोचा कि विद्यार्थियों को यह समझने में कैसे मदद करें कि वे गणितज्ञों के रूप में कार्य कर सकते हैं और कथन कारगर हैं या नहीं इसके कारणों का अन्वेषण और निर्माण कर सकते हैं। उन्हें ही यह फैसला करना पड़ेगा कि कोई चीज़ सत्य है या असत्य। इस प्रकार आपके विद्यार्थियों में चिह्न या सामान्यीकरण का उपयोग करते समय दुविधा में पड़ने या उलझने के बजाय बीजगणितीय सोच का उपयोग करके गणितज्ञों के रूप में आत्मविश्वास बढ़ेगा।
आप यह भी देखेंगे कि अपने विद्यार्थियों की शिक्षा की सहायता में बेहतर होने के लिए अपने शिक्षण पर विचार करना कितना महत्वपूर्ण है।
विचार के लिए रुकें
|
यह इकाई एनसीएफ (2005) और एनसीएफटीई (2009) की निम्नलिखित शिक्षण आवश्यकताओं के साथ संबंध स्थापित करती है तथा उन आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगी:
ब्लैकबोर्ड पर इसके समान कई अंकगणितीय कथन लिखें।
ध्यान दें कि आपके द्वारा उपयोग किए गए कुछ कथन सत्य होने चाहिए और कुछ गलत होने चाहिए।
(3 + 5) + 8 = 3 + (5 + 8)
(3 + 5) × 8 = 3 + (5 × 8)
(3 – 5) – 8 = 3 – (5 – 8)
(3 × 5) + 8 = 3 × (5 + 8)
3 – (5 + 8) = (3 – 5) + 8
(8 – 5) × 3 = (3 – 5) × 8
(8 + 5) × 3 = 8 × 3 + 8 × 5
3 × 5 + 3 × 8 = (3 + 5) × 8
3 × 5 – 8 = 8 – 3 × 5
3 × (5 – 8) = 3 × 5 – 3 × 8
(5 – 3) × 8 = 8 × (3 – 5)
3 × (8 – 5) = 3 × 8 – 3 × 5
तालिका R3.1 S-कार्ड और G-कार्ड के उदाहरण।
S-कार्ड (विशिष्टिकरण) | G-कार्ड (सामान्यीकरण) | सामान्यीकरण हमेशा सत्य (A), कभी-कभी सत्य (S) या असत्य (F) होता है |
---|---|---|
(3 × 2) × 4 = 3 × (2 × 4) | चाहे जिन दो संख्याओं का पहले गुणा किया जाए तीन संख्याओं का गुणनफल हमेशा समान रहता है | A |
12 ÷ 3 = (12 ÷ 4) + 1 | ab/b = ab/a + (a – b) | A |
12 + 20 = 4 × 8 | ab + bc = b(a + c) | A |
2 × 4 + 3 × 4 = 4 × 5 | a(a + 2) + (a + 1)(a + 2) = (a + 2)(a + 3) | S |
2 × 12 = (2 × 1)2 | किसी वर्ग संख्या का दो गुना उस संख्या के दो गुने के वर्ग के बराबर होता है | S |
4 + 16 – 8 = 8 + 8 – 4 | 4 + 4(a – 2) = 2a + 2(a – 2) | S |
4 + 4 × 1 = 6 + 1 + 1 | 4 + 4(a –2) = 3(a – 1) + (a – 2) + 1 | A |
3 + 2 + 1 = 3 × 2 × 1 | तीन लगातार संख्याओं का योग उन संख्याओं के गुणनफल के बराबर होता है | S |
4 + (6 ÷ 2) = 4 + 3 | a + bc/c = a + b | A |
461 + 200 = 200 + 461 | यदि आप दो संख्याओं को साथ जोड़ते हैं तो आप क्रम बदल सकते हैं और आपको फिर भी वही उत्तर मिलेगा | A |
7 × 4 = 9 × 7 – 5 × 7 | c(a – b) = ac – bc | A |
S-कार्ड (विशिष्टिकरण) | G-कार्ड (सामान्यीकरण) | सामान्यीकरण हमेशा सत्य (A), कभी-कभी सत्य (S) या असत्य (F) होता है |
---|---|---|
(3 × 2) – 1 = (3 + 2) | दो संख्याओं के गुणनफल का पूववर्ती उन दो संख्याओं के योग के बराबर होता है | |
(3 × 2) × 4 = 3 × (2 × 4) | यदि किन्हीं दो संख्याओं के गुणनफल को तीसरी संख्या से गुणा किया जाए, तो तीन संख्याओं का गुणनफल समान रहता है | |
12 ÷ 3 = (12 ÷ 4) + 1 | ab/b = ab/a + (a – b) |
तृतीय पक्षों की सामग्रियों और अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/). । नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा लाइसेंस के अंतर्गत ही इस प्रोजेक्ट में उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons Licence से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि
यह सामग्री अपरिवर्तित रूप से केवल TESS-India प्रोजेक्ट में ही उपयोग की जा सकती है और यह किसी अनुवर्ती OER संस्करणों में उपयोग नहीं की जा सकती। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।