बच्चे स्कूल की शुरुआत अपने घर में और सुमदाय में दूसरों के संपर्क से प्राप्त विचारों, भाषाओं, ज्ञान, कौशलों और अवधारणाओं के साथ करते हैं। बच्चे जब उनके सतत विकास के लिए मुख्य संसाधनों के रूप में उनकी भाषायी और सांस्कृतिक क्षमताओं की पहचान कर लेते हैं, तो स्कूल में उनकी औपचारिक शिक्षा और भी ज्यादा प्रभावी हो जाएगी।
इस इकाई में आप अपने भाषा और साक्षरता अध्यापन में छात्रों के घर और समुदाय के अनुभवों के महत्व और उपयोग के तरीकों को जानेंगे।
अपने छात्रों के बारे में ज्यादा जानने के मौके अपनी कक्षा की दिनचर्या में किस तरह शामिल करें।
छात्र अपना अधिकांश समय घर और समुदाय में अनौपचारिक रूप से सीखने में लगाते हैं। हालांकि, पाठ्यपुस्तक को ही निर्देशों का मुख्य मानने की प्रवृत्ति का अर्थ यह है कि छात्र जिस कौशल, ज्ञान और अनुभवों के साथ कक्षा में आते हैं, शिक्षक उन्हें अनदेखा कर सकते हैं।
छोटे बच्चे जब पहली बार स्कूल आते हैं, तो जिन अपरिचित लोगों, दिनचर्या और भाषा से उनका सामना होता है, उससे वे अचंभित हो सकते हैं। आपने छात्रों के ज्ञात सांस्कृतिक अभ्यासों और भाषाओं की विविधता को महत्व देकर, आप उन्हें इस नए माहौल में ज्यादा सुरक्षित महसूस करा सकते हैं।
बच्चों को हर दिन घर-आधारित शिक्षा और स्कूल-आधारित शिक्षा के बीच एक पुल पार करना पड़ता है। इस परिवर्तन को सरल बनाने के लिए इस इकाई में सुझाव दिए गए हैं, जिनसे शिक्षकों और छात्रों दोनों को समान रूप से लाभ होगा।
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स्थिति अध्ययन 1 में, एक शिक्षिका एक प्री-स्कूल छात्र के शिक्षण अनुभवों के बारे में जानकारी लेती हैं।
भोपाल की एक प्राथमिक शिक्षिका श्रीमती भट्टी ने उनकी कक्षा दो के छात्रों में से एक के अभिभावक की दुकान से एक बाउल खरीदने के उनके अनुभव का वर्णन किया है। वहाँ उनकी मुलाक़ात उनके छात्र की चार-वर्षीय बहन शिल्पी से हुई, जिसने अभी स्कूल जाना शुरू नहीं किया है।
शिल्पी फर्श पर कार्डबोर्ड के एक बक्से की बगल में बैठी हुई थी। वह पैकेट निकालकर उन्हें गिन रही थी और उनके ढेर बना रही थी। उसके पिताजी एक ग्राहक से बात कर रहे थे। मैंने शिल्पी से पूछा, ‘क्या तुम बाउल (कटोरा) बेचती हो?’ उसने अपनी माँ को बुलाया, जो कि दुकान के पीछे की तरफ से आईं। एक कोने की तरफ इशारा करते हुए, उसकी माँ ने बच्ची की घर की भाषा में उत्तर दिया, लेकिन ‘बाउल’ के लिए उन्होंने हिन्दी शब्द का उपयोग किया। शिल्पी मुझे वहाँ ले गई, जहाँ बाउल रखे हुए थे और उसने उनमें से दो-तीन उठाकर मुझे दिखाया कि कौन-से अलग अलग रंग उपलब्ध हैं। मैंने लाल वाला चुना, जिसे लेकर वह काउंटर पर गई। इसके बाद उसने मुझसे पैसे लेकर अपनी माँ को दिए, जिन्होंने मुझे देने के लिए उसे सही रकम लौटाई। शिल्पी ने उस बाउल को कागज़ में लपेटने में अपनी माँ की मदद की और फिर बैग में रखने के लिए वह मुझे दिया। अंत में, उसने अपनी माँ के साथ मुझे धन्यवाद दिया और हिन्दी में बोलकर मुझसे विदा ली।
जब मैं दुकान से निकल रही थी, तब मैंने इस बारे में सोचा कि शिल्पी क्या ज्ञान और कौशल सीख रही है, जिससे उसे स्कूल शुरू करने के बाद फायदा होगा।
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दूसरों के विचारों के साथ आपके विचारों की तुलना करें।
शिल्पी हिसाब लगाना सीख रही है। वह गिन सकती है और वह सीख रही है कि किस तरह वर्गीकरण और संक्षेपीकरण किया जाता है। वह पैसों और रेजगारी के बारे में सीख रही है। वह जानती है कि दुकान में किस तरह काम होता है। वह सुन सकती है, सवाल को समझ सकती है और जानकारी ले सकती है। वह ये भी जानती है कि किसी ग्राहक के साथ किस तरह विनम्रता से बात करनी चाहिए।
शिल्पी अपने घर की भाषा में आत्मविश्वास के साथ बात करती है। वह रंगों के नाम जानती है, प्रश्नों की भाषा, निर्देशों और दिशाओं को समझती है। वह थोड़ी-बहुत हिन्दी भी समझ लेती है, जिसका उपयोग वह धन्यवाद और नमस्ते कहने में करती है। वह इस बात को समझने लगी है कि लोग अलग अलग भाषाओं में संवाद कर सकते हैं।
अवलोकन, संपर्क और नकल के द्वारा, शिल्पी महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान और संवाद कौशल प्राप्त कर रही है। जब वह स्कूल जाने लगेगी, तो ये उसकी आगे की शिक्षा और भाषा के विकास का एक मज़बूत आधार बनेंगे।
छात्र जब स्कूल जाते हैं, तो उसके साथ ही वे घर में और समुदाय से भी मूल्यवान ज्ञान और कौशल प्राप्त करते हैं। आपके छात्र छोटे भाई-बहनों की देखभाल करने में मदद कर सकते हैं, अपने दादा-दादी का ख्याल रख सकते हैं, परिवार के पालतू जानवरों का ध्यान रख सकते हैं, बाज़ार में सामान की बिक्री में अभिभावकों की मदद कर सकते हैं, रसोई में हाथ बंटा सकते हैं, किसी विशिष्ट शिल्प में महारत हासिल कर सकते हैं या कोई खेल खेलना पसंद कर सकते हैं। ऐसी गतिविधियों से उनकी भाषा और साक्षरता के विकास के लिए अनौपचारिक अधिगम अवसर मिलते हैं, जो उनके स्कूल के माहौल के भीतर बनाए जा सकते हैं।
अपने छात्रों को उनके शौक, गतिविधियों और प्रतिबद्धताओं के बारे में बात करने के अवसर देने से उन्हें आपकी कक्षा में अच्छी तरह बातचीत करने का प्रोत्साहन मिलेगा। इससे आप भी अपने छात्रों के बोलने और सुनने के कौशल का आकलन कर सकेंगे। यह खासतौर पर उन मामलों में उपयोगी होता है, जिन छात्रों की घर की भाषा स्कूल की भाषा से अलग है।
निम्नलिखित क्रियात्मक गतिविधियाँ इसकी शुरुआत करने में आपकी मदद के लिए बनाई गई हैं।
अगली स्कूल अवधि तक, रोज़ की एक दिनचर्या बनाएं, जिसमें आप छात्रों के साथ अकेले-अकेले या समूह में संक्षिप्त अनौपचारिक बातचीत करें। यह दिन की शुरुआत या अंत में, अथवा ब्रेक टाइम के दौरान हो सकता है। सुनिश्चित करें कि बारी-बारी से आप अपने सभी छात्रों से बात करें। इसकी निगरानी करने के लिए आप एक स्माइल टिक लिस्ट रख सकते हैं।
उदाहरण के लिए आप उनसे पूछ सकते हैं कि क्या उन्हें हाल ही में हुए त्यौहार में मज़ा आया या क्या वे किसी विशिष्ट क्रिकेट मैच की जानकारी रख रहे हैं। आपके छात्र स्कूल से बाहर क्या सीखते हैं और पाठ में वे किस बात पर ध्यान दे रहे हैं, इन दोनों को आपस में जोड़ने के मौके ढूंढें। आप कह सकते हैं कि:
‘मुझे मालूम है कि आप में से कई लोगों ने इतने खराब मौसम के बावजूद, इस महीने बाज़ार में अपने माता-पिता की मदद की थी। बहुत बढ़िया! आज गणित के पाठ में, आप लोग अपना कौशल दिखा सकते हैं, क्योंकि हम धन को जोड़ने और घटाने का अभ्यास करने वाले हैं। आप में से कितने लोगों ने बाज़ार में रेजगारी दी थी? क्या आपने हिसाब की जाँच अपनी माँ या पिताजी से करवाई थी?’
छात्रों के उत्तरों से आपको ज्यादा जानकारी मिलेगी कि वे स्कूल में अपनी शिक्षा के लिए किस ज्ञान और कौशल के साथ आते हैं। दर्ज करें कि आपको अपने छात्रों के बारे में क्या जानकारी मिलती है और उनकी कौन-सी रुचियाँ व गतिविधियाँ दूसरों के साथ साझा की जाती हैं।
पूरे सत्र के दौरान ऐसा करते समय, अपनी पाठ्यपुस्तक, अपने पाठ्यक्रम और अपनी अध्यापन योजना पर निगाह डालें, और देखें कि क्या इस बात की कोई संभावना है कि आगे आने वाले विषयों को आपके छात्रों के मौजूदा ज्ञान या रुचि के साथ जोड़ा जा सके।
सीखने और सुनने की इस गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए, अपने छात्रों से एक साप्ताहिक ‘डायरी’ में यह लिखने को कहें कि जब वे स्कूल में नहीं होते हैं, तो वे क्या करते हैं।
आपकी कक्षा के सभी छात्रों को शामिल करने के बारे में अधिक जानकारी के लिए संसाधन 1 पढ़ें।
![]() वीडियो: सभी को शामिल करना |
स्कूल के बाहर छात्रों की रुचियों और प्रतिबद्धताओं के बारे में कक्षा में चर्चा की योजना बनाएं। संकेत के रूप में एक केंद्रित प्रश्न का उपयोग करें। यहाँ कुछ विचार दिए गए हैं, लेकिन आपको अपने सन्दर्भ के आधार पर प्रश्न चुनने होंगे:
प्रश्न को ब्लैकबोर्ड पर लिखें। सबसे पहले स्वयं इसका जवाब दें।
इसके बाद दो या तीन छात्रों से प्रश्न पूछें। फॉलो-अप प्रश्न और संकेतों के द्वारा बातचीत को आगे बढ़ाएं, जैसे ‘सचमुच? आपने यह कहाँ सीखा?’, ‘आप इसके बाद क्या करेंगे?’ इत्यादि।
अपने छात्रों को छोटे समूहों में व्यवस्थित करें और उन्हें ब्लैकबोर्ड पर लिखे प्रश्न पर आपस में चर्चा करने को कहें। उन्हें एक-दूसरे से फॉलो-अप प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करें। जब वे बातचीत कर रहे हों, तो कक्षा में घूमें और समूहों की निगरानी करके यह सुनिश्चित करें कि हर कोई इसमें भाग ले रहा है।
छोटे समूहों की चर्चा के विकल्प के रूप में, आप अपने छात्रों से यह भी कह सकते हैं कि वे जोड़ियों में एक-दूसरे से सवाल जवाब करें और उनके साथी ने उन्हें जो बताया है, उसे संक्षिप्त टिप्पणी के रूप में लिखें।
अगली केस स्टडी में, एक शिक्षिका छात्रों के बारे में अपनी जानकारी का उपयोग एक विस्तारित भाषा और साक्षरता प्रोजेक्ट की योजना बनाने में करती हैं।
कक्षा पाँच की शिक्षिका सुश्री बलेमा को त्यौहारों के बारे में पाठ्यपुस्तक के एक पाठ से प्रेरणा मिली।
मेरे छात्रों ने हाल ही में ईद और होली जैसे भारत के मुख्य त्यौहारों का वर्णन करने वाला एक पाठ पाठ्यपुस्तक में पढ़ा था। हमारे समुदाय में कई रोचक त्यौहार हैं, इसलिए स्थानीय त्यौहारों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया, जिनमें कई त्यौहार जल्दी ही आने वाले थे।
सबसे पहले मैंने अपने छात्रों से पूछा कि वे कौन-से त्यौहार मनाते हैं और उनके उत्तर मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिखे।
इसके बाद मैंने अपने छात्रों को समूहों में व्यवस्थित किया, जिनमें से हर समूह एक त्यौहार का प्रतिनिधत्वि कर रहा था। मैंने प्रत्येक समूह को कागज़ का एक बड़ा टुकड़ा देकर समझाया कि उन्हें इस पर अपने त्यौहार के बारे जितनी ज्यादा बातें वे लिख सकते हैं, लिखनी हैं: त्यौहार क्यों मनाया जाता है, किन देवताओं की पूजा की जाती है, कौन-से समुदाय इसे मनाते हैं, इसमें क्या-क्या किया जाता है, कौन-से पकवान बनाए जाते हैं, क्या इसमें कोई विशेष पोशाक पहनी जाती है और कौन-सी गतिविधियाँ होती हैं। मैंने उन्हें बताया कि यदि वे चाहें, तो चर्चा के लिए और अपनी टिप्पणी के लिए अपने घर की भाषा का उपयोग कर सकते हैं।
इसके बाद मैंने प्रत्येक समूह से कहा कि वे पूरी कक्षा के सामने अपने विचार प्रस्तुत करें। मैंने समूहों को संकेत देने के लिए उनसे कुछ प्रश्न पूछे, जैसे ‘यह दिन में किस समय किया जाता है? आप मंदिर कब जाते हैं, आप क्या पहनते हैं? क्या आपके दादा-दादी भी यह त्यौहार मनाते हैं?’ आदि।
इसके बाद मैंने उन्हें समझाया कि हर समूह को अपने त्यौहार के बारे में बताने वाला एक पोस्टर बनाना है। होमवर्क के लिए, मैंने अपने छात्रों से कहा कि वे उस त्यौहार के बारे में अपने माता-पिता, दादा-दादी और घर में या समुदाय में अन्य लोगों से और जानकारी लें। मैंने उन्हे नमूने के तौर पर कुछ प्रश्न दिए, ‘क्या यह त्यौहार यहाँ हमेशा से मनाया जाता रहा है? क्या यह हमेशा इतने बड़े पैमाने पर होता था? क्या संगीत बदल गया है?’ मैंने अपने छात्रों को उनके पोस्टर के साथ काम करने के लिए एक सप्ताह तक प्रतिदिन एक पाठ आवंटित किया। मैंने हर समूह के पास जाकर उनकी बातें सुनीं, उनका अवलोकन किया और आवश्यकता पड़ने पर उनकी मदद की।
मैंने उन्हें समझाया कि वे पोस्टर पर स्कूल की भाषा में, उनके घर की भाषा में या दोनों भाषाओं को मिलाकर लिख सकते हैं। पहली बार उनमें से कुछ लोगों ने कक्षा में अपने घर की भाषा में कुछ लिखा था। ऐसा करते समय वे बहुत रोमांचित थे।
जब उनका काम ख़त्म हो गया, तो प्रत्येक समूह ने अपने पोस्टर शेष कक्षा के सामने प्रस्तुत किए। मैंने और अन्य छात्रों ने उनसे सवाल पूछे। हम सभी ने बहुत कुछ सीखा। इसके बाद मैंने वे रंगीन पोस्टर दीवार पर लगा दिए, ताकि हर कोई उन्हें देखकर आनंद उठा सके।
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गतिविधियों के इस क्रम के द्वारा छात्रों को अपनी भाषा और साक्षरता कौशल को विकसित करने के कई अवसर मिले। इसमें शामिल थे:
पूरे समय, उन्हें स्कूल की और अपने घर की भाषा के उपयोग का प्रोत्साहन दिया गया।
प्रोजेक्ट के मूल में छात्रों का स्थानीय ज्ञान था। शिक्षिका ने प्रत्येक छात्र और प्रत्येक समूह की निगरानी का समय निकाला। उन्होंने छात्रों के कौशल और सहभागिता के बारे में एक टिप्पणी या जांचसूची रखी।
छोटे छात्रों के लिए, इस तरह की किसी प्रोजेक्ट में बोलने और सुनने पर ज्यादा जोर दिया जाना चाहिए। छोटे छात्र किसी त्यौहार से जुड़े चित्र भी बना सकते हैं या उस त्यौहार के पहलुओं पर आधारित नाटक तैयार कर सकते हैं। बड़ी उम्र वाले छात्रों के लिए, एक लिखित प्रोजेक्ट ज्यादा उपयुक्त रहेगी। जिसमें शोध और विशेषीकृत शब्दावली तथा त्यौहारों के बारे जानकारी शामिल हो, और जो भाषा, इतिहास और पारंपरिक संस्कृति पर आधारित हो।
मुख्य संसाधन ‘सीखने के लिए बोलें’ में छात्रों के बीच सहयोगात्मक कार्य के महत्व के बारे में अधिक विचार शामिल हैं।
इस इकाई में आपके छात्रों के घर और समुदाय-आधारित अनुभवों का उपयोग स्कूल में भाषा और साक्षरता कौशल के विकास के लिए करने के महत्व और मूल्य का वर्णन किया गया है। यदि आपके छात्रों का ध्यान इस बात पर जाए कि वे स्कूल से बाहर जो काम करते हैं और जिस भाषा का उपयोग करते हैं, उसे उनके शिक्षकों द्वारा महत्व दिया जाता है, तो इससे वे स्कूल में सीखने के प्रति अधिक आत्मविश्वासी और प्रेरित महसूस करेंगे। आप अपने छात्रों से स्कूल के बाहर की रुचियों के बारे में नियमित रूप से बातचीत और चर्चा करके यह दर्शा सकते हैं कि आप उनके अनुभवों को महत्व देते हैं।
इस इकाई में ऐसे कई तरीकों को रेखांकित किया गया है, जिनके द्वारा आप पाठ्यपुस्तक के विषयों को अपने छात्रों के, और उनके परिवार व समुदाय के सदस्यों के ज्ञान के साथ जोड़कर छात्रों के लिए अधिक सार्थक और प्रासंगिक बना सकते हैं। आप इन गतिविधियों को पाठ्यपुस्तक के किसी भी विषय और किसी भी स्तर के छात्रों के अनुसार अनुकूलित कर सकते हैं।
संस्कृति और समाज में विविधता कक्षा में प्रतिबिंबित होती है। विद्यार्थियों की भाषाएं, रुचियां और योग्यताएं अलग-अलग होती हैं। विद्यार्थी विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमियों से आते हैं। हम इन भिन्नताओं को नज़रअंदाज नहीं कर सकते; वास्तव में, हमें उनका स्वागत करना चाहिए, क्योंकि वे एक दूसरे और हमारे अपने अनुभव से परे दुनिया के बारे में अधिक जानने का जरिया बन सकते हैं। सभी छात्रों को शिक्षा पाने और सीखने का अधिकार है चाहे उनकी स्थिति, योग्यता और पृष्ठभूमि कुछ भी हो, और इसे भारतीय कानून और अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकारों में मान्यता दी गई है। 2014 में राष्ट्र को अपने पहले संदेश में, प्रधानमंत्री मोदीजी ने जाति, लिंग या आय पर ध्यान दिए बिना भारत के सभी नागरिकों का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया। इस संबंध में स्कूलों और शिक्षकों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
हम सभी के दूसरों के बारे में पूर्वाग्रह और दृष्टिकोण होते हैं जिन्हें हो सकता है हमने पहचाना न हो या संबोधित किया न हो। एक अध्यापक के रूप में, आप में हर छात्र की शिक्षा के अनुभव को सकारात्मक या नकारात्मक ढंग से प्रभावित करने की शक्ति है। चाहे जानबूझ कर या अनजाने में, आपके अंतर्निहित पूर्वाग्रह और दृष्टिकोण इस बात को प्रभावित करेंगे कि आपके छात्र कितने समान रूप से सीखते हैं। आप अपने छात्रों के साथ असमान बर्ताव से बचने के लिए कदम उठा सकते हैं।
लचीलापन: यदि आपकी कक्षा में कोई चीज विशिष्ट छात्रों, समूहों या व्यक्तियों के लिए उपयोगी नहीं है, तो अपनी योजनाओं को बदलने या गतिविधि को रोकने के लिए तैयार रहें। लचीला होना आपको समायोजन करने में सक्षम करेगा ताकि आप सभी छात्रों को अधिक प्रभावी ढंग से शामिल करें।
ऐसे कई विशिष्ट दृष्टिकोण हैं जो सभी छात्रों को शामिल करने में आपकी सहायता करेंगे। इनका अन्य प्रमुख संसाधनों में अधिक विस्तार से वर्णन किया गया है, लेकिन एक संक्षिप्त परिचय यहाँ प्रस्तुत है:
विभेदन: अलग अलग समूहों के लिए अलग अलग कार्य तय करने से छात्रों को जहाँ वे हैं वहाँ से शुरू करने और आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। खुले-सिरे वाले कामों को तय करने से सभी छात्रों को सफल होने का अवसर मिलेगा। छात्रों को कार्य का विकल्प प्रदान करने से उन्हें अपने काम के स्वामित्व को महसूस करने और अपनी स्वयं की अधिगम-प्रक्रिया का दायित्व लेने में सहायता मिलेगी। व्यक्तिगत शिक्षण आवश्यकताओं को ध्यान में रखना, विशेष रूप से बड़ी कक्षा में, कठिन होता है, लेकिन विविध प्रकार के कामों और गतिविधियों का उपयोग करके ऐसा किया जा सकता है।
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।