इस इकाई में आप एक कल्पनाशील, भाषा-समृद्ध कक्षा बनाने के सरल परन्तु प्रभावी तरीकों के बारे में जानेंगे, ताकि स्कूली परिवेश में स्वाभाविक बातचीत और लेखन के अलग अलग स्वरूपों के साथ आपके छात्रों का संपर्क बढ़ सके।
आपका परिचय ऐसे तरीकों से करवाया जाएगा, जिनके द्वारा आप स्कूल के बाहर के मौखिक व लिखित संसाधनों से अपने छात्रों को परिचित करवा सकते हैं, अपनी कक्षा की दीवारों पर पाठ्यांषों का उपयोग कर सकते हैं। आपको ऐसे व्यावहारिक, किफायती सुझाव भी दिए जाएंगे, जिनके द्वारा आप अपने छात्रों के लिए एक आनंददायक पठन कोना (Reading Corner) बना सकते हैं।
पारंपरिक कक्षाओं में, शिक्षक ही मौखिक भाषा के मुख्य स्रोत होते हैं और पाठ्यपुस्तकें लिखित भाषा की मुख्य स्रोत होती हैं। समय की कमी और सीमित संसाधनों के कारण इनमें और विकल्पों को जोड़ने का प्रयास नहीं किया जाता।
स्वाभाविक बोलचाल और लेखन के विभिन्न स्रोतों का संपर्क और उपयोग विद्यार्थियों की भाषा और साक्षरता के विकास में अत्यधिक लाभकारी होता है। अपने छात्रों की जानकारी को मौखिक और लिखित संवाद के विभिन्न सार्थक उदाहरणों द्वारा समृद्ध बनाकर आप उनकी कल्पनाशीलता को प्रोत्साहन देंगे और साथ ही कई तरह के विषयों के बारे में शब्दों और वाक्यांशों की उनकी समझ और रचना भी बढ़ाएंगे। यदि आप अपने छात्रों की घर की भाषा के उदाहरणों को कक्षा में शामिल करते हैं, तो आप यह दर्शाते हैं कि उनके अतिरिक्त भाषायी कौशलों को महत्व दिया जाता है इससे उनके सहपाठियों को उनसे जुड़ी अलग अलग संस्कृतियों और परंपराओं की प्रशंसा करने का अवसर मिलेगा। इस प्रकार एक भाषा-समृद्ध कक्षा बनाने से आपके सभी छात्रों की शिक्षा पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इस इकाई में ऐसे कई तरीके सुझाए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपनी कक्षा को अधिक भाषा-समृद्ध बनाने की शुरुआत कर सकते हैं।
स्कूल प्रारम्भ करने से बहुत पहले से ही छात्रों का परिचय लिखित भाषा के कई उदाहरणों के साथ हो जाता है - जैसे गाड़ियों पर, दुकानों के बोर्ड पर, मार्ग दिशाओं के बोर्ड पर, खाद्य पदार्थों के लेबल, विज्ञापन, पोस्टर, ब्रांड नाम, राजनैतिक नारे और दीवारों पर बने चित्र, पत्रकों में, किताबों में, अखबारों में और पत्रिकाओं में। निम्नलिखित गतिविधि में कक्षा में एक सरल पठन और चर्चा गतिविधि के आधार के रूप में स्थानीय परिवेश से लेखन के परिचित स्वरूपों के उदाहरण इकट्ठा करना शामिल है। यह ख़ास तौर पर छोटी उम्र के छात्रों के लिए उपयुक्त है।
अपने स्थानीय परिवेश में ऐसे लेखनों की एक सूची बनाएँ, जिनसे आपके छात्र परिचित हैं या जिन्हें वे रोचक मानते हैं। घरों में, कार्यस्थल तक आपकी यात्रा में, और स्कूल के मैदानों में इसके उदारहण ढूंढें। आपने जो शब्द या वाक्यांश एकत्र किए हैं, उन्हें कागज़ की पट्टियों पर बड़े अक्षर्रों में लिखें और मोड़कर रख दें।
सबसे पहले अपने छात्रों को समझाएँ कि आपने क्या इकट्ठा किया है। उनकी जोड़ियाँ बनाएँ और पट्टियां वितरित करें। आप यादृच्छिक (random) रूप से ऐसा कर सकते हैं, जिसके लिए आप छात्रों की जोड़ियों को कंटेनर से एक पट्टी उठाने को कह सकते हैं, या आप चयनात्मक रूप से ऐसा कर सकते हैं, जिसमें आप अपने छात्रों की क्षमता के अनुसार उन्हें पट्टियां आवंटित करेंगे।
जोड़ियों को अपनी–अपनी पट्टियों को खोलने और उठाकर प्रदर्षित करने को कहें, ताकि उनके सहपाठी उसे देख सकें और पढ़कर सुना सकें कि उन पर क्या लिखा हुआ है। हर मामले में, इस बात पर संक्षिप्त चर्चा करें कि यह लेखन कहाँ कहाँ लिखा हुआ मिल सकता है। कुछ शब्दों और अभिव्यक्तियों के लिए आपके द्वारा समझाने या और जानकारी देने की आवश्यकता पड़ सकती है।
अपने प्रत्येक छात्र को एक खाली कागज़ दें और उनसे कहें कि अगले एक सप्ताह तक वे घर और स्कूल के रास्ते में, अपने घर में या अपने आस-पड़ोस में नए शब्दों या वाक्यांशों को ढूंढें। इनका उपयोग इसी तरह की किसी युग्म गतिविधि के लिए करें या उन्हें दीवार पर प्रदर्शित करें, ताकि अन्य छात्र उन्हें पढ़ सकें और उनके बारे में बात कर सकें।
अपने छात्रों से कक्षा में ऐसी सभी मुद्रित सामग्री लाने को कहें, जो उन्हें उनके घर में या गाँव में मिल जाए, जिसका अब उपयोग नहीं किया जा रहा हो और इससे एक वॉल डिस्प्ले बनाएँ।
यदि आपके पास एक कैमरा और प्रिंटर उपलब्ध है, तो आप परिवेशी लेखनों के उदाहरणों के क्लोज़-अप चित्र ले सकते हैं और इनकी प्रतियाँ मुद्रित करके उनका वितरण या प्रदर्शन कर सकते हैं।
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कक्षा में आपके छात्रों के पढ़ने के लिए लेखन के कई उदाहरण मौजूद हो सकते हैं। ऐसा लेखन ब्लैकबोर्ड पर, साइन बोर्ड और नोटिस बोर्ड पर, चार्ट, पोस्टर और लेबलों पर, तथा आपके छात्रों के कार्य के डिस्प्ले (प्रदर्शन) में हो सकता है।
इंदौर में कक्षा एक की शिक्षिका सुश्री श्रुति अपने छात्रों के लिए एक लेखन-समृद्ध कक्षा बनाने के बारे में अपना तरीका बताती हैं।
मैं जानती हूँ कि मेरे छोटे छात्रों को कक्षा में सुनने और बोलने के कई मौकों की ज़रुरत है। हालांकि उनमें से ज्यादातर अभी पढ़ या लिख नहीं सकते, लेकिन मैं इस बात को समझती हूँ कि टेक्स्ट के अलग अलग उदाहरणों से उनका परिचय करवाना कितना महत्वपूर्ण है, चाहे वह हस्तलिखित पाठ हो या मुद्रित।
मेरे पास रंगीन पोस्टरों का एक संग्रह है, जिसमें वर्णमाला और शब्द चार्ट आदि हैं। इन्हें मैं दीवार पर बच्चों की दृश्टि की सीध में रखती हूँ।
मैं हर बच्चे के नाम के लेबल बनाती हूँ, जिस पर मैं उन्हें चित्र बनाने को कहती हूँ। मैं इन्हें दीवार पर हुक के साथ वहाँ लगाती हूँ, जहाँ वे अपने कोट और बैग रखते हैं। मेरे पास कार्ड बोर्ड से बना नाम वाले कार्डों का भी एक सेट है, जिन्हें मोड़कर रखा गया है। जिसे मैं वहां रखती हूँ, जहाँ मैं कुछ विशिष्ट गतिविधियों के लिए छात्रों को जोड़ियों में या छोटे समूहों में बिठाना चाहती हूँ। ये लेबल मेरे छात्रों को लिखे हुए अपने नाम और सहपाठियों के नामों को पहचानने में उनकी मदद करने में उपयोगी हैं।
रंगीन कागज़ का उपयोग करके, मैं कक्षा की अलग अलग विशेषताओं के लिए भी लेबल बनाती हूँ। इनमें ‘दरवाज़ा’, ‘खिड़की’, ‘ब्लैकबोर्ड’, ‘आलमारी’, ‘टेबल’, ‘कुर्सी’, ‘डेस्क’, और ‘घड़ी’ जैसे शब्द शामिल हैं।
मैं प्रत्येक वस्तु पर सही लेबल लगाने में अपने छात्रों की मदद मांगती हूँ। सबसे पहले मैं अक्षरों और मात्राओं पर ध्यान देते हुए ऊँची आवाज़ में शब्द पढ़कर सुनाती हूँ। फिर मेरे छात्र इशारा करते हैं कि वह लेबल कहाँ लगना चाहिए। कभी-कभी मेरे छात्र कक्षा की किसी अन्य वस्तु पर लेबल लगाने का सुझाव देते हैं। ऐसे में, मैं उनके सुझावों को लिखते समय अक्षरों के नाम बोलती हूँ।
कक्षा के एक हिस्से में मैंने वर्ड वॉल (शब्द दीवार) बनाई है। यहाँ मैं उन नए शब्दों को लिखती हूँ, जिनसे मेरे छात्रों का उस सप्ताह के दौरान परिचय हुआ है। मैं अपने छात्रों को खुद भी ये शब्द लिखने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ।
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15 मिनट का समय उन तरीकों पर ध्यान देने के लिए अलग रखें, जिनके द्वारा वर्तमान में आपकी कक्षा में लेखन प्रदर्शित होता है:
क्या यह आपके छात्रों के लिए प्रेरणादायी है? यह उनके शिक्षण में किस तरह योगदान करता है?
अपने दो सहकर्मियों से बात करें। उनकी कक्षा की दीवारों पर लेखन के कौन-से उदाहरण दिखाई देते हैं?
आप अपनी कक्षा में छात्रों का जो कार्य प्रदर्शित करते हैं, उसमें किस प्रकार वृद्धि व विविधता ला सकते हैं? आप अपने छात्रों के लिए रोचक, एवं आयु के उपयुक्त पठन सामग्री देने के लिए खुद के लेखन का किस प्रकार कल्पनाशीलता से उपयोग कर सकते हैं? अपनी कक्षा की दीवारों के उपलब्ध स्थान को ध्यान में रखते हुए एक योजना बनाएँ और सोचें कि आप अधिक प्रभावी रूप से इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं। यह संकल्प करें कि यदि संभव हुआ, तो आप हर पंद्रह दिनों में अपनी कक्षा में नए डिस्प्ले जोड़ेंगे या मौजूदा डिस्प्ले में से कुछ को बदलेंगे। अपने सहकर्मियों को भी ऐसा करने का प्रोत्साहन दें। नियमित रूप से एक दूसरे की कक्षाओं में जाकर एक दूसरे के वॉल प्रदर्शनों को देखें और उनसे सीखें।
अपनी कक्षा में एक रीडिंग कॉर्नर बनाने से आपके छात्रों को एक ख़ास जगह मिलती है, जहाँ वे अपनी किताबें रख सकते हैं और उनकी सामग्री को अपने आप से देख सकते हैं।
कक्षा के रीडिंग कॉर्नर को बनाने और उसमें संसाधनों की व्यवस्था करने में छात्रों को शामिल करना महत्वपूर्ण है। इस तरह वे भी इसका उपयोग करना चाहेंगे और इसमें सुधार करना चाहेंगे।
श्री दिलीप मध्य प्रदेश में एक प्राथमिक विद्यालय में कक्षा तीन को पढ़ाते हैं। यहाँ वे बता रहे हैं कि उन्होंने किस तरह अपनी कक्षा के रीडिंग कॉर्नर के लिए कुछ किताबें इकट्ठी कीं।
मैं जानता हूँ कि छोटी उम्र से ही किताबों का उपयोग करने का मौका मिलना छात्रों के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है। हालांकि मेरे छात्रों को अपनी पाठ्यपुस्तकें पढ़ने में भी मज़ा आता था, लेकिन मैं चाहता था कि उन्हें देखने और पढ़ने के लिए और भी सामग्री मिले। हालांकि नई पुस्तकें खरीदने के लिए बहुत ही कम राशि उपलब्ध थी।
मेरे जिन रिश्तेदारों और दोस्तों के बच्चे बड़ी उम्र के थे, सबसे पहले मैंने उनसे पूछा कि क्या उनके घरों में कोई ऐसी किताब है, जिसकी अब उनके बच्चों को ज़रुरत नहीं है। मैं शिक्षा के लिए दान देने वाली जिन संस्थाओं के बारे में जानता था, मैंने उन्हें पत्र लिखकर पूछा कि क्या वे किसी तरह इसमें योगदान कर सकते हैं। अंत में मैंने कुछ पुस्तकें खरीदने के लिए अपने वार्षिक TLM (शिक्षण अधिगम सामग्री) अनुदान का उपयोग किया।
मैंने केवल दस पुस्तकों के साथ अपने रीडिंग कॉर्नर की शुरुआत की थी। दो वर्षों में ही मैंने कथाओं और साहित्य की लगभग 60 पुस्तकों का संग्रह बना लिया, जो विभिन्न स्तरों के लिए उपयुक्त थीं। मेरे पास कई तरह की पत्रिकाएँ और अखबार भी हैं। मैं अब स्कूल के अन्य शिक्षकों को भी ये देता हूँ।
यदि संभव हो, तो एक सहकर्मी के साथ काम करके, अपनी कक्षा में एक रीडिंग कॉर्नर के लिए योजना बनाएँ और आपके मन में आने वाले सभी विचारों को लिख लें। निम्नलिखित पर विचार करें:
आपके पास उपयुक्त पुस्तकें और पठन सामग्री प्राप्त करने के कौन-से साधन उपलब्ध हैं?
आप अपनी कक्षा की गतिविधियों में रीडिंग कॉर्नर का उपयोग किस तरह शामिल करेंगे?
संसाधन 1 में कुछ उपयोगी विचार दिए गए हैं, जो अपनी कक्षा में रीडिंग कॉर्नर तैयार करने में आपकी मदद करते हैं।
श्रीमती रेखा बिहार के एक प्राथमिक विद्यालय में मल्टी-ग्रेड शिक्षिका हैं। यहाँ वे बता रही हैं कि अपने भाषा पाठों में वे किस तरह एक संसाधन के रूप में रेडियो का उपयोग करती हैं।
मेरे विद्यालय में उपलब्ध पाठ्यपुस्तकों के अलावा बहुत ही कम संसाधन हैं। मैं अपने खाली समय में अक्सर रेडियो सुनती हूँ और मुझे पता चला है कि इसमें कई रोचक कार्यक्रम आते हैं। अब मैं नियमित रूप से रेडियो का उपयोग छात्रों के भाषा पाठों में इनपुट के एक अतिरिक्त स्रोत के रूप में करती हूँ। वह जिस तरह से बच्चों को कक्षा के बाहर की दुनिया से परिचित कराने में मेरी सहायता करता है यह मुझे अच्छा लगता है।
मैं शामिल किए जा रहे विषयों के आधार पर उपयुक्त कार्यक्रमों का चयन करने के लिए समाचार पत्र में दी गई रेडियो प्रोग्राम गाइड को देखती हूँ। मैं कक्षा में कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण करना चाहती थी, इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि इनका समय उपयुक्त हो, लेकिन अब मेरे पास रिकॉर्डिंग सुविधा वाला एक रेडियो है, इसलिए मैं पहले से ही उन्हें चुन सकती हूँ और बाद में चला सकती हूँ।
अक्सर मैं अपने छात्रों को खासतौर पर तैयार किए गए शिक्षाप्रद कार्यक्रम सुनाती हूँ, क्योंकि ये स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किए जाते हैं और इनमें एक या दो संक्षिप्त कार्य अथवा अन्य गतिविधियाँ होती हैं। कार्यक्रमों के बाद हम हमेशा उसकी विषय वस्तु के बारे में बात करने में समय बिताते हैं। यदि कोई बात समझ नहीं आई थी, तो इससे उसे समझने में मदद मिलती है। कभी-कभी पूरी कक्षा इसमें एक साथ भाग लेती है। कभी-कभी मैं अपने छात्रों के समूह बनाती हूँ और उनसे कहती हूँ कि वे साथ बैठकर कार्यक्रम के बारे में चर्चा करें। मैं अक्सर इन चर्चाओं के बाद अपने छोटे छात्रों को कार्यक्रम की विषय सामग्री के बारे में संक्षेप में कुछ लिखने को कहती हूँ और अपने बड़े छात्रों को एक लंबी रिपोर्ट तैयार करने को कहती हूँ।
मैं कक्षा में कहानियों, नाटकों और धारावाहिकों का प्रसारण भी करती हूँ। इसके बाद उनके पात्रों, उनमें उठाए गए मुद्दों, या आगे क्या होगा, इस बारे में चर्चा होने लगती है। कभी कभी मैं अपने छात्रों को आमंत्रित करती हूँ कि वे अपने शब्दों में इसके संवाद लिखें और रोल प्ले के रूप में प्रस्तुत करें।
मुझे यह अच्छा लगता है कि किस तरह रेडियो कार्यक्रम अलग अलग आवाजों, नई अभिव्यक्तियों और भाषा के अलग अलग रजिस्टरों से मेरे छात्रों का परिचय करवाते हैं। कार्यक्रमों के दौरान अपरिचित लगने वाले शब्दों को मैं लिख लेती हूँ और बाद में अपने छात्रों से पूछती हूँ कि क्या उन्हें वे शब्द मालूम हैं या क्या वे उनका अर्थ बता सकते हैं। कभी कभी वे सुनी गई भाषा पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि प्रस्तुतकर्ता ने किसी शब्द का उच्चारण इस लहजे में किया या अमुक शब्द अथवा अभिव्यक्ति का उपयोग किया, जबकि इसके बजाय एक वैकल्पिक शब्द का उपयोग किया जा सकता था। इन अंतरों पर चर्चा करने से भाषा की समृद्धि और विविधता के प्रति उन्हें जागरुक बनाने में मदद मिलती है।
मैंने अपने छात्रों की घर की भाषा में भी कार्यक्रम के एक छोटे अनुभाग के प्रसारण का प्रयोग किया है। जो छात्र इसे समझ सकते थे, उनसे मैंने कहा कि वे अपने सहपाठियों को बताएँ कि वक्ता ने क्या कहा है। इसके बाद मैंने उनसे वक्ता द्वारा उपयोग किए गए दो या तीन मुख्य शब्दों को दोहराने को कहा और बाकी कक्षा को मौखिक रूप से उन्हें दोहराने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने परिचित शब्द बोर्ड पर लिखे जिनसे वे अपनी घर की भाषा में परिचित थे या जानते थे, और शेष कक्षा ने अपनी अभ्यास पुस्तिकाओं में उनकी नकल की। हर कोई इस पाठ में पूरी तरह खोया हुआ था।
मेरे छात्रों के लिए रेडियो प्रसारण का उपयोग करने से उन्हें हर समय मेरी ही आवाज़ सुनते रहने के बजाय एक पूरक विकल्प मिलता है।
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मुख्य संसाधन ‘सभी को शामिल करना’ में इस बारे में अधिक विचार मिलते हैं कि कक्षा में किस तरह छात्रों की घर की भाषा को महत्व देकर उनकी सहभागिता बढ़ाई जा सकती है।
कक्षा में रेडियो कार्यक्रमों का उपयोग करने से पहले भाषा और साक्षरता के विकास में उनके उपयोग का अभ्यास करना फायदेमंद होता है।
लगभग एक सप्ताह की अवधि में, ऐसे दो या तीन रेडियो कार्यक्रम सुनने का समय निकालें, जो आपके अपने छात्रों के लिए उपयुक्त लगते हों। इन्हें सुनते समय इस बारे में सोचें कि आप निम्नलिखित के सन्दर्भ में इनके प्रसारण से आपने छात्रों को क्या लाभ देना चाहते हैं:
इसके बाद, कल्पना करें कि आप कक्षा में हैं और ऊंची आवाज़ में बोलकर उस तरह के प्रश्नों और चर्चा बिन्दुओं का अभ्यास करें, जिन्हें शायद आप अपने विद्यार्थियों के विषय ज्ञान और भाषा व साक्षरता के स्तर को ध्यान में रखते हुए उनसे प्रसारण के बाद पूछना चाहेंगे।
ऐसी एक या दो गतिविधियाँ रेखांकित करें, जो आपके छात्र प्रसारण के बाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इनमें बोलना या लिखना अथवा दोनों का मिश्रण शामिल हो सकता है। इस बारे में सोचें कि आप अपने छात्रों को किस प्रकार व्यवस्थित करेंगे, इसमें उन्हें कितना समय लगेगा और आप किस तरह अंत में कक्षा को एक साथ लाएँगे।
जब आप इस कौशल को कई बार दोहरा लें, तो एक कार्यक्रम चुनें, जिसका सीधा प्रसारण किया जा सकता हो, या जिसे रिकॉर्ड करके बाद में आपके छात्रों के लिए चलाया जा सकता हो। जितना संभव हो, इन पाठों की योजना पहले से ही बनाएँ। इसके बाद इसे आज़मा कर देखें।
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एक भाषा-समृद्ध कक्षा बनाने के बारे में आगे के विचारों के लिए, संसाधन 2 ‘स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना’ को देखें।
इस इकाई में आपको कुछ सरल और किफायती तरीके बताए गए , जिनके द्वारा आप अपनी कक्षा को अधिक भाषा - समृद्ध बना सकते हैं। इसमें ऐसे विचारों का सुझाव दिया गया , जिनका उपयोग आप कक्षा में यह सुनिश्चित करने के लिए कर सकते हैं कि बोलने और लिखने के कई प्रकार के अलग अलग स्रोतों से आपके छात्रों का परिचय होता है। इनमें लेखन - आधारित दीवार प्रदर्शन बनाने , आपके छात्रों के लिए एक रीडिंग कॉर्नर तैयार करने और कक्षा में रेडियो का उपयोग करने के सुझाव शामिल हैं। समय के साथ - साथ आप ऐसे सरल संसाधनों और गतिविधियों का सेट बना सकते हैं , जिनका उपयोग आप विभिन्न स्तरों वाले छात्रों के साथ पाठ्यपुस्तक के पाठों को विस्तार देने और अपने परिवेश में वे जिस लिखित और मौखिक भाषा के संपर्क में आते हैं , उससे जुड़ने की प्रेरणा में वृद्धि के लिए कर सकते हैं।
स्कूल की पाठ्यपुस्तकों की पूरक बन सकने वाली पठन सामग्री ढूंढना कठिन हो सकता है , फिर भी आप चाहेंगे कि हो सके , उतनी आप उपलब्ध करा पायें जिन्हें आपके छात्र पढ़ना चाहेंगे। यहाँ चार ऐसे शिक्षकों से प्राप्त विचार दिए गए हैं , जो अपने स्कूल में पुस्तक क्षेत्र्र और पुस्तकालय का विकास करते रहे हैं :
अब इस बारे में सोचें कि आप किस तरह एक प्रेरणादायक पठन परिवेश तैयार कर सकते हैं। यहाँ आपके लिए लिए कुछ शुरूआती विचार दिए गए हैं:
यथा संभव अधिकाधिक पठन सामग्री इकट्ठा करें, ताकि आपका संग्रह धीरे-धीरे बदलता और बढ़ता रहे। सुनिश्चित करें कि आपका संग्रह पठन क्षमता के विभिन्न स्तरों को आकर्षित करता हो। उपलब्ध पुस्तकों में विभिन्न विषय शामिल करें, जैसे:
अपने संग्रह में जोड़ने के लिए अख़बार, पत्रिकाएँ और कॉमिक्स इकट्ठा करें। आपके छात्रों को अपने समुदायों से उपयुक्त पठन सामग्रियाँ ढूँढने के लिए प्रेरित करें।
आपके छात्र अपनी खुद की कविताओं या लघुकथाओं वाली पुस्तक बना सकते हैं। उनके पाठ जिन विषयों पर आधारित हैं, वे उनके विषय में कोई पुस्तक विकसित कर सकते है। अथवा उन पर आधारित लघु नाटिका लिख सकते हैं। वे अपनी पुस्तक के लिए एक कवर डिज़ाइन कर सकते हैं, जो दूसरों को उस पुस्तक को पढ़ने के लिए आकर्षित करे।
किसी विशेष थीम, (उदाहरण के लिए पानी या परिवहन), पर आधारित प्रदर्शन (डिस्प्ले) रखने से जिज्ञासा और चर्चा को प्रोत्साहन मिलता है और यह छात्रों को स्वयं जानकारी हासिल करने को प्रेरित करने का एक अच्छा तरीका है। पुस्तक प्रदर्शन (डिस्प्ले) के साथ साथ पोस्टर, चित्र और फोटो भी दीवार पर लगाए जा सकते हैं। छात्रों की रुचि बनाए रखने के लिए, नियमित रूप से वॉल डिस्प्ले को बदलते रहने की कोशिश करें और इनमें ऐसी सामग्रियाँ शामिल करें, जो उन्होंने खुद तैयार की हों।
आपके पास जो पठन सामग्री उपलब्ध हैं, यदि आप उनके बारे में अच्छी तरह जानते हैं, तो आप अपने अपने छात्रों का मार्गदर्शन करके उन्हें यह बता सकते हैं कि इनमें से किस सामग्री में उन्हें अपनी जिज्ञासाओं के उत्तर मिलेंगे।
अपनी कक्षा या स्कूल में एक पठन क्षेत्र या रीडिंग कॉर्नर बनाने के लिए स्थान की पहचान करें। यहाँ एक बड़ा साइनबोर्ड लगाएँ, ताकि इसका उद्देश्य स्पष्ट हो सके। अपने छात्रों के पढ़ने के लिए एक आकर्षक और आरामदायक स्थान बनाएँ। एक चटाई बिछाएँ या संभव हो तो कुर्सियां रखें।
पूछें कि क्या इकट्ठा की गई पठन सामग्री की देखभाल करने और इनका रिकॉर्ड रखने के लिए कोई छात्र लाइब्रेरियन के रूप में मदद करना चाहता हैं। पठन सामग्री चाहे दराजों में रखी हों या बक्सों में, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि वे हर दिन प्रदर्शित की जाएं, ताकि छात्र उन तक आसानी से पहुँच सकें।
नियमित रूप से अलग अलग छात्रों को उन्हें बाहर निकालने और ठीक ढंग से रखने के काम के लिए आमंत्रित करें। छात्रों को प्रोत्साहित करें कि वे खराब या फटी किताबों की मरम्मत करने में आपकी मदद करें। आपके छात्रों की सहभागिता जितनी ज्यादा होगी उतना ही ज्यादा वे इस स्थान की और पढ़ने में इसके काम की ज़िम्मेदारी लेंगे।
अध्यापन के लिए केवल पाठ्यपुस्तकों का ही नहीं – बल्कि अनेक शिक्षण संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। यदि आप सीखने के ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनमें विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों (दृश्टि, श्रवण, स्पर्श, गंध) का उपयोग होता हो तो आप छात्रों की सीखने के अलग–अलग तरीकों से अच्छा तालमेल रख सकेंगे। आपके इर्दगिर्द ऐसे संसाधन उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आप कक्षा में कर सकते हैं, और जिनसे आपके छात्रों को अधिगम में सहायता मिल सकती है। कोई भी स्कूल बिना लागत या जरा सी लागत से अपने स्वयं के शिक्षण संसाधनों को तैयार कर सकता है। इन सामग्रियों को स्थानीय स्तर पर प्राप्त करके, पाठ्यक्रम और आपके छात्रों के जीवन के बीच संबंध बनाए जा सकते हैं।
आपको अपने नजदीकी परिवेश में ऐसे लोग मिलेंगे जो विविध प्रकार के विषयों में पारंगत हैं; आपको कई प्रकार के प्राकृतिक संसाधन भी मिलेंगे। इनसे आपको स्थानीय समुदाय के साथ संबंध जोड़ने, उसके महत्व को दर्शाने, छात्रों को उनके पर्यावरण की प्रचुरता और विविधता को देखने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी, और संभवतः सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इससे छात्र–अधिगम के प्रति एक समग्र दृश्टिकोण विकसित होने का मौका मिलता है, यानी जिसमें बच्चे स्कूल के भीतर और बाहर, दोनों जगह सीख रहे हों।
लोग अपने घरों को यथासंभव आकर्षक बनाने के लिए कठिन मेहनत करते हैं। उस परिवेश के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण है जिसमें आप अपने बच्चों से सीखने करने की अपेक्षा करते हैं। आपकी कक्षा और स्कूल को पढ़ाई की एक आकर्षक जगह बनाने के लिए आप जो कुछ भी कर सकते हैं उसका आपके छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव होगा। अपनी कक्षा को रोचक और आकर्षक बनाने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं – उदाहरण के लिए, आप:
यदि आप गणित में पैसे या परिमाणों पर काम कर रहे हैं, तो आप बाज़ार के व्यापारियों या दर्जियों को कक्षा में आमंत्रित कर सकते हैं और उन्हें यह समझाने को कह सकते हैं कि वे कैसे अपने काम में गणित का उपयोग करते हैं। वैकल्पिक रूप से, यदि आप कला के प्रकारों और आकृतियों का अध्ययन कर रहे हैं, तो आप विभिन्न आकृतियों, डिजाइनों, परंपराओं और तकनीकों का वर्णन करने के लिए मेहंदी [वैवाहिक मेहंदी] डिजायनरों को स्कूल में आमंत्रित कर सकते हैं। अतिथियों को आमंत्रित करना तब सबसे उपयोगी होता है जब हर एक व्यक्ति को यह स्पष्ट हो कि इस काम का सम्बन्ध शैक्षणिक लक्ष्यों की प्राप्ति से है और समयोचित अपेक्षाएं साझा की जा सकें।
आपके स्कूल के समुदाय के भीतर भी ऐसे विशेषज्ञ हो सकते हैं (जैसे रसोइया या केयर टेकर) जिनके साथ जाकर या जिनका साक्षात्कार लेकर छात्र कुछ सीख सकते हैं; उदाहरण के लिए, भोजन पकाने में प्रयुक्त परिमाणों का पता लगाना, या जानना कि मौसम की अवस्थाएं स्कूल के मैदानों और इमारतों को कैसे प्रभावित करती हैं।
आपकी कक्षा के बाहर संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला है जिनका उपयोग आप अपने पाठों में कर सकते हैं। आप पत्तों, मकड़ियों, पौधों, कीटों, पत्थरों या लकड़ी जैसी वस्तुओं को एकत्रित कर सकते हैं (या अपनी कक्षा से एकत्रित करने को कह सकते हैं)। इन संसाधनों को कक्षा में लाकर कक्षा में रोचक प्रदर्शन योग्य वस्तुएं बनाई जा सकती हैं जिनका इस्तेमाल पाठों में संदर्भ के रूप में किया जा सकता है। इनसे चर्चा या प्रयोग के लिए बिन्दु प्राप्त हो सकते हैं जैसे वर्गीकरण अथवा सजीव–निर्जीव वस्तुओं से सम्बन्धित गतिविधियां। बस की समय सारणियों या विज्ञापनों जैसे संसाधन भी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं जो आपके स्थानीय समुदाय के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं – इन्हें शब्दों को पहचानने, गुणों की तुलना करने या यात्रा के समयों की गणना करने के कार्य निर्धारित करके शिक्षा के संसाधनों में बदला जा सकता है।
यद्यपि बाहर की वस्तुओं को कक्षा में लाया जा सकता है – फिर भी बाहर का पर्यावरण भी आपकी कक्षा का विस्तार-क्षेत्र हो सकता है। आम तौर पर सभी छात्रों के लिए चलने-फिरने और अधिक आसानी से देखने के लिए बाहर अधिक जगह होती है। जब आप अपनी कक्षा को शिक्षण के लिए बाहर ले जाते हैं, तब वे निम्न प्रकार की गतिविधियाँ कर सकते हैं:
साक्षात्कार और सर्वेक्षण करना
बाहर, उनकी शिक्षा वास्तविकताओं और उनके अपने अनुभवों पर आधारित होती है, और अन्य संदर्भों तक भी सरलता से स्थानांतरित की जा सकती है।
यदि आपके बाहर के काम में स्कूल के परिसर को छोड़ना शामिल हो तो, जाने से पहले आपको स्कूल के मुख्याध्यापक की अनुमति लेनी चाहिए निर्धारित कर लेना चाहिए, सुरक्षा सुनिष्चित कर लेनी चाहिए और छात्रों को नियम स्पष्ट कर देने चाहिए। रवाना होने से पहले आप और आपके छात्रों को स्पष्ट होना चाहिए कि क्या सीखा जाना है।
आप चाहें तो मौजूदा संसाधनों को अपने छात्रों के लिए अधिक अनुकूल बनाने हेतु प्रयास कर सकते हैं। ये परिवर्तन छोटे होकर भी बड़ा अंतर ला सकते हैं, विशेष तौर पर यदि आप अधिगम को कक्षा के सभी छात्रों के लिए प्रासंगिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, आप जगह और लोगों के नाम बदल सकते हैं यदि वे किसी अन्य प्रदेश से संबंधित हों, या गीत में किसी व्यक्ति का लिंग बदल सकते हैं, या किसी अलग तरह की योग्यता रखने वाले (differently abled) बच्चे को कहानी में शामिल कर सकते हैं। इस तरह से आप संसाधनों को अधिक समावेशी बनाते हुए अपनी कक्षा और शिक्षण-प्रक्रिया के उपयुक्त बना सकते हैं।
संसाधनयुक्त होने के लिए अपने सहकर्मियों के साथ काम करने से, संसाधनों के निर्माण और अनुकूलन के लिए आपके अपने बीच विविध कौशल उपलब्ध होंगे। एक सहकर्मी के पास संगीत, जबकि दूसरे के पास कठपुतलियाँ बनाने या कक्षा के बाहर के विज्ञान को नियोजित करने के कौशल हो सकते हैं। आप अपनी कक्षा में जिन संसाधनों को उपयोग करते हैं उन्हें अपने सहकर्मियों के साथ साझा कर सकते हैं । इससे आपके स्कूल के सभी क्षेत्रों में एक समृद्ध शैक्षिक वातावरण तैयार करने में सहायता मिलेगी।
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