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समूह कार्य का उपयोग करना : तैरना व डूबना

यह इकाई किस बारे में है

यह इकाई इस पर प्रकाश डालती है कि किस प्रकार कई सरल कार्य, जैसे विद्यार्थियों को आपस में बातचीत करने देना वैज्ञानिक अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने में उनकी मदद कर सकते हैं। यह जल से संबंधित विचारों पर केंद्रित है और इसमें तैरने व डूबने पर विशेष बल दिया गया है। यह इस बात की खोज करने का एक उपयुक्त प्रसंग प्रदान करती है कि कक्षा में समूहकार्य का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जा सकता है?

बड़ी कक्षाओं में भी, आपस में बातचीत करने एवं मिल कर कार्य करने जैसे सरल कार्य भी, कक्षा में कोई बड़ा पुनर्गठन किए बिना संभव हैं। विद्यार्थी की सीखने की क्रिया में मिलने वाले सहयोग की दृष्टि से इसके लाभ बहुत अधिक हैं। यह इकाई बड़ी या छोटी कक्षाओं को समूहों में संगठित करने एवं उनके साथ कार्य करने के विभिन्न तरीकों की और विज्ञान में समूह कार्य के लिए विद्यार्थियों के उत्साह और प्रेरणा को बढ़ावा कैसे देता है? इस बात की खोज करती है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं?

  • विचारों की खोज अधिक गहराई से करने में विद्यार्थियों की मदद करने के लिए समूह कार्य का उपयोग कैसे करें?
  • सहभागिता और रचनाशीलता को बढ़ावा देने हेतु प्रयोग करने के लिए समूहकार्य एक अच्छी कार्यनीति क्यों है?
  • चीजें तैरती या डूबती क्यों हैं? इस बारे में अनुमान लगाने, खोज करने और बनाने में विद्यार्थियों की मदद करने हेतु समूह कार्य की योजना कैसे बनाएं एवं उसका प्रभावी उपयोग कैसे करें?

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है?

विद्यार्थियों को उनके चारों ओर के विश्व के बारे में अधिक जानने के प्रोत्साहित करना, उनकी रुचि आकर्षित करने और कायम रखने में है। कई विद्यार्थी बड़े समूहों में बात करने में संकोच करते हैं और शांत रहते हैं। और यदि कोई बात उन्हें समझ में नहीं आए, तो भी वे प्रश्न नहीं पूछते हैं। अधिक विद्यार्थियों को उनके पाठों में और अधिक सक्रियता के साथ भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने से उनकी उपलब्धियों में बड़ा बदलाव आएगा। समूहकार्य का उपयोग करने से इस उद्देश्य की प्राप्ति होगी।

1 विचारों की खोज करने के लिए समूहकार्य का उपयोग करना

कई विद्यार्थियों के मन में, चीजें डूबती और तैरती क्यों हैं? इस बारे में आधे-अधूरे विचार होते हैं जो उन्होंने अनुभव के माध्यम से विकसित किए होते हैं। संभवतः उन्हें, चीज़ें तैरती या डूबती क्यों हैं? इससे संबंधित अवधारणाएं कभी भी अच्छी तरह से समझाई नहीं गई हैं। अथवा वस्तुतः तैरती या डूबती क्यों हैं? इस बारे में उन्हें बात करने का अवसर कभी नहीं मिला है।

इस अत्यंत मूलभूत अवधारणा को समझना स्वास्थ्य व सुरक्षा कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, अपने समुदायों में वस्तुओं और लोगों का परिवहन करने के लिए स्थानीय जलमार्गों, नदियों और समुद्र का उपयोग करने वाले कई लोगों को लिए ये सिद्धांत समझना आवश्यक है।

समूहकार्य से विद्यार्थी अपने विचारों के बारे में तर्कसंगत रूप से बात कर पाते हैं और दूसरों के साथ अच्छे तथा आधे-अधूरे, दोनों प्रकार के विचार साझा कर पाते हैं। साथ मिल कर ऐसे समूह अपनी समझ को साझा कर सकते हैं। ऐसे विचारों का परीक्षण कर सकते हैं, जिनके बारे में वे खोज करने से कुछ निश्चित न कर सके हों। कुछ मामलों में समूहकार्य, जोड़ी में कार्य करने से बेहतर क्यों हो सकता है? इसका कारण यह है कि यदि तैरने के बारे में आपके सभी विद्यार्थियों की समझ आधी-अधूरी किंतु भिन्न-भिन्न है, तो अधिक घटकों को साथ में एकीकृत करने से उनकी बेहतर समझ तक पहुँच पाने की संभावना अधिक है। शिक्षक के तौर पर आपकी भूमिका यह है कि आप विद्यार्थियों के विचारों को एक साथ जोड़ने में और उन्हें संगठित करके, चीज़ें तैरती या डूबती क्यों हैं? इसकी समान समझ का रूप देने में उनकी मदद करें। अन्य छोटे समूह कोई दूसरा कार्य कर रहे हों, तब किसी एक समूह से बात करने का अर्थ यह है कि आप प्रश्न पूछ कर और संबंधित जानकारियां प्रदान करके इन विद्यार्थियों की सोच को स्पष्ट करने में उनकी मदद कर सकते हैं।

अब केस स्टडी 1 पढ़ें जो इस बारे में है कि किस प्रकार एक शिक्षक ने कक्षा 1 के अपने छोटे-छोटे विद्यार्थियों के साथ डूबने और तैरने के आरंभिक विचारों की खोज की।

केस स्टडी 1: आरंभिक विचारों की खोज करने के लिए छोटे समूहों का उपयोग करना

श्रीमती खांडे कक्षा 1 को पढ़ाती हैं। वे अपनी कक्षा को प्रेरक वातावरण देने की कोशिश करती हैं और इसके लिए वे विद्यार्थियों को ऐसा समय देती हैं, जिसमें वे स्वयं चुन सकते हैं कि उन्हें क्या करना है ?समय गुजरने के साथ -साथ उन्होंने ऐसी सामग्रियां जुटा ली हैं, जो वे अपने विद्यार्थियों के खेलने के लिए वहां रख सकती हैं। उन्होंने बेकार कपड़ों की गुड़िया बनाई हैं और कपड़े तैयार किए हैं, ताकि विद्यार्थी उनके साथ नाटिका खेल सकें। उनके पास एक बड़ा सा प्लास्टिक का टब भी है जिसे वे पानी से भर देती हैं और उसमें विद्यार्थियों के लिए जलक्रीड़ा का आनंद लेने के लिए खिलौने और डिब्बे, बर्तन आदि डाल देती हैं। वे बताती हैं कि किस प्रकार वे पानी से खेल रहे विद्यार्थियों के एक समूह के साथ शामिल हो गईं।

मैंने अपने विद्यार्थियों के लिए एक सत्र आयोजित किया था, जिसमें उन्हें स्वयं चुनना था कि उन्हें क्या करना है? उनके करने के लिए बहुत से अलग-अलग कार्य थे। मैंने तय किया कि पानी में मैंने जो खिलौने और डिब्बे आदि डाले हैं, जब विद्यार्थी उनसे खेलेंगे, तो उनकी बातें सुनने और उनसे बातचीत करने के लिए मैं पानी के टब के बगल में ही खड़ी रहूंगी। मैं पानी के गुणों के बारे में और विशेष रूप से, चीजें क्यों तैरती हैं? इस बारे में उनके विचार जानना चाहती थी। वे पत्थरों से खेल रहे थे और उन्हें अलग अलग डिब्बों में डाल रहे थे।

खेलते-खेलते वे एक-दूसरे से बात कर रहे थे। दो लड़कियां अपने प्रत्येक डिब्बे में एक-एक पत्थर रख रही थीं और उन्हें टब में तैरा रही थीं। जब मैंने उनसे पूछा कि वे क्या कर रही हैं? तो उन्होंने कहा कि वे लोगों को नदी पार करवा रही हैं और लड़के पत्थरों को नाव से लेकर सड़क के पार ले जा रहे थे। एक लड़का बोला– ‘अगर मैं सारे पत्थर इस बर्तन में रख दूं तो यह काम जल्दी हो जाएगा।’ उसने ऐसा किया और वह टब डूब गया। दूसरा लड़का बोला कि तुम्हें एक बार में एक पत्थर रखना होगा। इसी समय उनमें से एक लड़की बोली कि एक बार में केवल एक आदमी होना चाहिए, ‘गाँव में मेरे पिता भी लोगों को इसी तरह नदी पार कराते हैं’ [चित्र 1]।

चित्र 1 नदी पार करते हुए लोग।

इसके बाद उन्होंने इस बारे में बात की कि सबसे अच्छा क्या रहेगा? तो मैंने उनसे पूछा कि अगर वे अपने-अपने टबों को जांच कर यह देखें कि वे कितना वजन संभाल सकते हैं तो क्या होगा? मैंने उनसे पूछा कि क्या वे इसका पता लगा सकते हैं? एक लड़के ने अपने सारे पत्थर अपने टब में रख दिए, क्योंकि उसे नहीं लगता था कि उसके दोस्त के टब की तरह यह डूब जाएगा। परन्तु उसका भी टब डूब गया। मैंने पूछा कि अगर वह एक-एक करके पत्थर रखता जाए, तो कैसा रहेगा वह पत्थर रखता गया और हम प्रत्येक पत्थर को गिनने की कोशिश करते रहे। कुछ विद्यार्थी गिनने के मामले में औरों से बेहतर थे। इससे उन्हें अपने गिनने के कौशल का अभ्यास करने का एक अच्छा अवसर मिला।

नाव डूब गई, तब मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे जांचने के लिए एक बार फिर से पत्थरों की संख्या गिनें। मैंने उनसे पूछा कि अगर हम टब में केवल छहः पत्थर रखें तो क्या होगा? क्या वह तैरेगा या डूब जाएगा? पाँच विद्यार्थियों के उस समूह में मतभेद थे, दो कह रहे थे कि वह डूब जाएगा और बाकी कह रहे थे कि वह तैरेगा। जब वह तैर गया, तो उसके बाद मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे अलग अलग आकार के पन्नियों के टब, जिसे मैंने इकट्ठे किए थे। आजमाएं और देखें कि वे सभी पत्थरों की समान संख्या से डूब जाते हैं या नहीं।

मेरे विद्यार्थी लंबे समय तक खेलते रहे और इस दौरान उन्होंने अपने विचार परखे। इसके बाद वे लोगों को नदी पार करवाने के अपने अभिनय में फिर से मशगूल हो गए। पत्थर इंसान बन गए थे जो बार-बार इधर से उधर और उधर से इधर, नदी के पार जा रहे थे। इस बारे में भी काफी बातचीत हो रही थी कि वे अपने साथ क्या ले जा रहे हैं? नदी के दूसरी ओर पहुंच कर वे क्या करेंगे? इस बारे में अधिक चर्चा हुई कि नाव पर उसकी क्षमता से ज्यादा भार न डाला जाए नहीं तो वह डूब जाएगी। विद्यार्थी अपनी कहानी और अभिनय के प्रसंग में, तैरने और डूबने के विचार की खोज करने में पूरी तरह संलग्न थे और साथ मिलकर समूह के रूप में कार्य कर रहे थे।

विचार के लिए रुकें

  • आपके विचार में, इस तरह से खेलने और सीखने में सक्षम होने से विद्यार्थियों को क्या हासिल हुआ?
  • क्या आपको कभी समूहों में कार्य करना पड़ा है?
  • आपको वह करने में कितना आनन्द आया था? और क्यों?
  • क्या बातचीत करने से आपको समूह के अन्य सदस्यों से सीखने में मदद मिली थी? और कैसे?

समूहकार्य से किसी भी आयु के विद्यार्थियों को अपने विचार साझा करने, प्रश्न पूछने सुझाव देने का समय तथा सुरक्षित माहौल मिलता है। वयस्कों के रूप में अकसर हमारे पास किसी मुद्दे के बारे में इतने विचार तब तक नहीं होते अथवा उस मुद्दे के बारे में हम इतनी गहराई से तब तक नहीं सोचते जब तक कि हम दूसरों के साथ बात नहीं करते या अपने विचार साझा नहीं करते। स्कूल में विद्यार्थियों के लिए भी यही बात लागू होती है।

सीखने की क्रिया एक सामाजिक प्रक्रिया है (वायगटस्की, 1978), और विज्ञान में क्या घटित हो रहा है? इस बारे में दूसरों के साथ बातचीत कर पाने से विद्यार्थियों ने जो देखा या अनुभव किया उससे, यह कार्य अकेले करने की बजाय बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। अमुक चीज़ क्यों होती है? इस बारे में अपने विचारों पर दूसरों से बात करने से हमें समस्या के बारे में अधिक गहराई से सोचने में मदद मिलती है। जब विद्यार्थी किसी मुद्दे या समस्या के बारे में बात करते हैं तभी जाकर वे संभावित समाधानों या, अमुक चीज़ क्यों होती है? इसके कारणों के बारे में सोचना आरंभ करते हैं।

कक्षा को संगठित करने के तरीके के रूप में समूहकार्य का उपयोग करने से सभी विद्यार्थियों को अपेक्षाकृत बड़े श्रोतावर्ग के सामने लज्जित हुए बिना या सकुचाए बिना, बोलने और विचारों के साथ जोख़िम लेने के अधिक मौके मिलते हैं। संसाधन 1, ‘सीखने के लिए बोलना’ देखें, विशेष रूप से कक्षा में सीखने की गतिविधियों के लिए बात करने की योजना बनाने पर दिए गए अनुभाग को। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और रुचि उत्पन्न होगी। यद्यपि विद्यार्थियों से समूह में कार्य करने को कह देना मात्र ही अधिक नहीं है। आपको इस बारे में ध्यान से सोचना होगा कि समूहों का गठन कैसे किया जाए? वे कौन सा कार्य करेंगे और चर्चा के बाद क्या होगा? इस इकाई का शेष अंश आपको इन मुद्दों के बारे में सोचने में मदद देगा।

समूहकार्य, जोड़ी में कार्य का उपयोग करने के बाद का अगला चरण स्वाभाविक है, परन्तु समूहकार्य का उपयोग कर लेने पर आप तब भी जोड़ी में कार्य का उपयोग करते रहने से वर्जित नहीं हो जाते हैं। प्रत्येक विधि के अपने-अपने लाभ हैं और वे बड़ी या छोटी कक्षाओं को संभालने में आपकी अलग-अलग तरीकों से मदद करते हैं। परन्तु ध्यान हमेशा उस सर्वोत्तम कार्यनीति का प्रयोग करने पर केंद्रित होना चाहिए, जिससे अधिकतम विद्यार्थियों के लिए उद्देश्यपूर्ण शिक्षण परिणाम हासिल किए जा सकते हों।

2 समूहकार्य का उपयोग करने की विधियां और इसके लाभ

सहयोगी किंतु चुनौतीपूर्ण वातावरण में विचारों की खोज करने एवं उन्हें साझा करने में विद्यार्थियों, वयस्कों एवं अन्य शिक्षार्थियों की मदद करने के लिए समूहकार्य को बहुत से तरीकों से प्रयोग किया जा सकता है। समूहों में विद्यार्थियों को सहयोगी तथा उपहास नहीं उड़ाने वाले समुदाय में जोख़िम उठाने और नए या अजीब विचार आज़माने का आत्मविश्वास मिलता है। कई विचार इस कारण से त्यागे जा सकते हैं कि वे खोज पर कायम नहीं रह सके, लेकिन किसी को शर्मिंदा नहीं होना पड़ा।

समूहों का उपयोग करने का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि बातचीत करने में समर्थ होने से मस्तिष्क अधिक गहराई से सोचने के लिए प्रेरित होता है। इस प्रकार, विद्यार्थी अधिक हासिल कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें चुनौती दी जाती है, उन्हें सहारा दिया जाता है इससे सोचने की क्रिया विस्तारित होती है। समूहकार्य का उपयोग करने में और समूहों का गठन करने के तरीकों की खोज करने में आत्मविश्वास हासिल करने में समय लगता है, परन्तु एक बार हासिल हो जाने पर, समूहों का उपयुक्त उपयोग आपके और बहुत से विद्यार्थियों को बेहतर प्रगति करने में मदद करेगा।

समूहकार्य को कई तरीकों से संगठित किया जा सकता है। विद्यार्थियों की सीख के लिए उनका अधिक प्रभावी उपयोग करने में मदद पाने के लिए, उनके सामर्थ्य को समझना महत्वपूर्ण है। तालिका 1 में समूह संगठित करने के चार तरीके दिखाए गए हैं। उन्हें ध्यान से देखें।

तालिका 1 समूहों के प्रकारों के लाभ।

समूह का संघटनलाभ
मिश्रित योग्यता वाले समूहअधिक योग्य विद्यार्थी अपने विचारों और सोच के बारे में समझा सकते हैं। कम योग्य विद्यार्थी विस्तृत श्रोतावर्ग के सामने अपने ज्ञान की कमी जाहिर हो जाने का जोखिम उठाए बिना, नए विचार हासिल कर सकते हैं और अपनी समझ को विस्तार दे सकते हैं।
समान योग्यता वाले समूहसभी विद्यार्थी समान योग्यता वाले हैं और सीखने की क्रिया को, उनकी सामूहिक आवश्यकता के अनुसार सहारा दिया जा सकता है या विस्तारित किया जा सकता है। अलग अलग योग्यता वाले समूहों को अलग अलग प्रकार के कार्य दिए जा सकते हैं। अधिक संरचित गतिविधियों से मदद मिलेगी।
मित्रों के समूहविद्यार्थी मित्रों के साथ सहभागिता करने के लिए अधिक प्रेरित व सहज रहेंगे।
यादृच्छिक समूहऐसे विद्यार्थियों को एक साथ कार्य करने का अवसर मिलेगा, जिन्हें वे कम अच्छी तरह से जानते हैं। समूहों का गठन अधिक तेजी से किया जा सकता है, क्योंकि विद्यार्थियों को उनकी जगह से हटाने की आवश्यकता नहीं भी हो सकती है।

विचार के लिए रुकें

  • तालिका 1 में दिए गए प्रत्येक प्रकार के समूह का उपयोग आप कब-कब करेंगे? इन विभिन्न प्रकार के समूहों को आप कैसे व्यवस्थित करेंगे? जिस प्रकार के समूह को आप सबसे पहले आजमाना चाहेंगे उस पर नोटस बनाएं।

अब, समूहों के साथ अपने खुद के पाठ की योजना बनाने और उसे पढ़ाने से पहले, नीचे दिया गये केस स्टडी को पढ़ें। पढ़ने के दौरान, यह सोचें कि आप ऊपर दिए गए समूह के प्रकारों में से किसी एक का उपयोग करते हुए अपनी कक्षा में इसके जैसा कुछ कैसे आजमा सकते हैं?

केस स्टडी 2: प्रयोगात्मक जांच-पड़ताल के लिए कक्षा को समूहबद्ध करना।

श्रीमती विमला अपनी कक्षा को तैरने व डूबने के बारे में पढ़ा रही थीं और वे चाहती थीं कि पहले उन्हें यह अनुमान लगाने का अवसर मिले कि कौन सी वस्तु डूबेगी और कौन सी तैरेगी, और उसके बाद वे समूहों में अपने अनुमानों का परीक्षण करें।

मेरी कक्षा में 43 विद्यार्थी हैं और उपकरण केवल चार समूहों के लायक ही हैं, इसलिए मैंने कक्षा को दो भागों में पढ़ाने का निर्णय किया। मुझे उम्मीद थी कि आधी कक्षा (21 विद्यार्थियों) के साथ कार्य करने से मैं उन्हें बातचीत करने, सोचने और अपने सहपाठियों के साथ विचार साझा करने का अधिक समय दे सकूंगी।

जब मैंने आधी कक्षा के साथ तैरने व डूबने की गतिविधि की, तो उस दौरान बाकी की आधी कक्षा ने मेरे द्वारा तैयार किए गए एक जानकारी पत्रक का उपयोग करते हुए, हमारे विषय के एक अन्य पहलू पर समूहों में थोड़ा शोध कार्य किया। उन्हें कुछ प्रश्नों के उत्तर देने थे और एक समस्या हल करनी थी जिसे उन्होंने अपनी पुस्तकों में लिखा। मुझे वह कार्य तब देखना था जब पूरी कक्षा तैरने व डूबने की गतिविधि पूरा कर लेती।

मैंने समान प्रकार की वस्तुओं के चार समूह बनाए और आधी कक्षा को आगे की ओर बुला लिया, जबकि बाकी की आधी कक्षा पीछे की ओर कार्य कर रही थी।

आगे की ओर मैंने विद्यार्थियों को चार समूहों में बाँटा, उन्हें उनका संकलन दिया और उनसे ‘तैरने वालों’ और ‘डूबने वालों’ का अनुमान लगा कर उनके नाम एक पत्रक में लिखने को कहा [देखें संसाधन 2]। मैंने उन्हें प्रोत्साहित किया कि यदि संभव हो तो वे समूह में आम सहमति तक पहुँचें, पर यदि कोई मतभिन्नता हो तो जिन वस्तुओं के बारे में वे निश्चित नहीं हैं उन्हें ‘अनिश्चित’ घेरे में रख दें। जब वे अपने विचारों पर चर्चा कर रहे थे, तो मैं पीछे बाकी की आधी कक्षा के पास गई तथा जिन विद्यार्थियों को सहयोग चाहिए था, उन्हें सहयोग दिया। इसके बाद मैं आगे लौट आई जहां मैंने विद्यार्थियों को कौन सी वस्तु तैरेगी इस बारे में बात करते हुए सुना। मैंने दखल केवल वहीं दिया जहां वे वास्तव में भ्रमित थे, या फिर मैंने सरल प्रश्न पूछे, जैसे कि ‘तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?’, ताकि उन्हें इस बारे में और अधिक सोचना पड़े कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि अमुक वस्तु तैरेगी या डूबेगी?

जब सभी समूहों ने अपना कार्य पूरा कर लिया तो मैंने प्रत्येक को एक कटोरा पानी दिया [चित्र 2]। मैंने पुराने कटोरों और एक बड़े से खाली टिन का इस्तेमाल किया। क्योंकि स्कूल में हमारे पास ज्यादा उपकरण नहीं हैं। मैंने उन्हें पाँच मिनट दिए और कहा कि वे अपने विचारों का परीक्षण करें और अपने-अपने परिणाम नोट करें। जिन वस्तुओं ने उनके अनुमान के अनुसार परिणाम दिया उन पर सही का निशान लगाएं और बाकियों को बिना निशान के छोड़ दें। उन्होंने जिन वस्तुओं का परीक्षण किया उनमें से, विद्यार्थियों का सुझाव था कि पत्थर, सिक्का, कंक्रीट का टुकड़ा, लकड़ी का टुकड़ा, धातु का टुकड़ा, चम्मच, बर्तन, थाली, पंख, कागज़ और पेंसिल डूब जाएंगे।

चित्र 2 विद्यार्थी अनुमान लगा रहे हैं कि क्या तैरेगा और क्या डूबेगा।

इसके बाद मैंने विद्यार्थियों से अपने-अपने समूहों में यह चर्चा करने को कहा कि उनके विचार में वस्तुएं क्यों डूबीं या तैरीं? मैंने उनके मुख्य विचार सूचीबद्ध किए और फिर उनसे कहा कि डूबने वाली कोई एक वस्तु चुनें और उसे तैराने का कोई तरीका खोजें। उन्हें इस पर चर्चा करने के लिए समय देने के बाद, मैंने उनसे कहा कि वे स्वेच्छा से आएं और अपनी डूबने वाली वस्तुओं को तैराने की कोशिश करें। एक विद्यार्थी ने सिक्के को उस लकड़ी पर रख दिया जो तैरी थी, और सिक्का ‘तैर गया’ क्योंकि वह लकड़ी पर था। मैंने पूछा कि क्या यह सच में तैरना है? तो इस प्रश्न पर काफी चर्चा हुई। उनके गृहकार्य के लिए मैंने उनसे कहा कि वे इस बारे में स्वयं के विचार लिख कर लाएं कि चीजें क्यों तैरीं या डूबीं?

सत्र के अंत में मुझे यह देख कर बड़ी प्रसन्नता हुई कि विद्यार्थी कितनी रुचि ले रहे थे। चीजें क्यों तैरती या डूबती हैं, इस बारे में उनके चिंतन के स्तर से मैं बहुत प्रभावित हुई। मेरे अगले से पूरी कक्षा द्वारा उनके कार्य पूरा कर लिए जाने के बाद उनके विचारों को स्पष्ट करने में मदद मिलेगी। सबसे ज्यादा प्रसन्नता मुझे इस बात से हुई कि पूरी कक्षा में कभी-कभार ही बोलने वाले विद्यार्थियों ने छोटे समूहों में कहीं अधिक सहभागिता दिखाई – तथा उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ था।

विचार के लिए रुकें

इस बारे में सोचें कि आप अपने शिक्षण में समूह गतिविधि को प्रेरित करने के लिए श्रीमती विमला की कुछ या सभी कार्यनीतियों एवं क्रियाओं का उपयोग कैसे कर सकते हैं? इस शिक्षिका को अपेक्षाकृत कम विद्यार्थियों के साथ अधिक नजदीकी संपर्क एवं बातचीत करनी चाहिए थी, ताकि वह तैरने और डूबने की उनकी वर्तमान समझ का पता लगा सके। अपने विद्यार्थियों की सोच की और अधिक खोज करने के लिए आप समूहकार्य का उपयोग कैसे कर सकते हैं?

गतिविधि 1: समूहकार्य की योजना बनाना और उसका उपयोग करते हुए पढ़ाना

अपनी कक्षा योजना के साथ आप किस प्रकार के समूह का उपयोग करना चाहेंगे? इस बारे में अपने विचारों का उपयोग करते हुए, स्वयं या किसी सहकर्मी के साथ जल तथा तैरने व डूबने से संबंधित उसके गुणों के बारे में एक पाठ की योजना तैयार करें। निम्नांकित के बारे में सोचें–

  • आप अपने विद्यार्थियों को विज्ञान में क्या सिखाना चाहते हैं? आपके सीखने के उद्देश्य क्या हैं?
  • समूहों में कार्य करने से विद्यार्थियों की सीखने की क्रिया को मदद कैसे मिलेगी?
  • विशेष शैक्षिक आवश्यकताओं वाले विद्यार्थियों द्वारा समूहों में कार्य किए जाने के दौरान आप उनकी सहायता कैसे करेंगे?
  • साथ मिल कर कार्य करने के विचार से आप अपनी कक्षा का परिचय कैसे कराएंगे?
  • आप किस प्रकार के समूह का उपयोग करेंगे?
  • आप समूहों को संगठित कैसे करेंगे? या फिर, क्या आप एक बार में एक समूह के साथ काम करेंगे या एक बार में कुछ समूहों के साथ?
  • उन्हें करना क्या है? यह आप उन्हें कैसे समझाएंगे? ताकि वे साथ मिल कर अच्छी तरह कार्य करने में समर्थ हो जाएं।
  • साथ मिल कर कार्य करने के बारे में आप अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहते हैं?
  • आपको किन उपकरणों की आवश्यकता होगी? इससे यह कैसे सुनिश्चित होगा कि आप गतिविधि कैसे कर सकते हैं?
  • विद्यार्थियों द्वारा समूहों में कार्य किए जाने के दौरान आप क्या करेंगे?
  • आपके विद्यार्थियों ने क्या सीख लिया है? आप यह कैसे जानेंगे और कैसे इसका मूल्यांकन करेंगे?

अपने पाठ की योजना बना लेने के बाद, साथ मिल कर सत्र के लिए संसाधन एकत्र करें– जब आप तैयार हो जाएं तब पाठ पढ़ाएं।

गतिविधि 2: वह कैसा रहा?

पाठ के तुरंत बाद, स्वयं के अनुभव के बारे में निम्नांकित प्रश्नों के माध्यम से उत्तर दें–

  • पाठ कैसा रहा?
  • कौन सी चीजें अच्छी रहीं? वे अच्छी क्यों रहीं?
  • कौन सी चीजें आशानुरूप नहीं हुईं?
  • आपके विचार में ऐसा क्यों हुआ?
  • समूहों का उपयोग करने के अपने कौशल को बेहतर बनाने के लिए आप अगली बार क्या कर सकते हैं?

अंतिम गतिविधि में आपको अपनी कक्षा से यह पूछना है कि उन्हें पाठ की क्या चीज़ अच्छी लगी? पर यह करने से पहले अपने उत्तरों के बारे में नोटस बनाएं।

गतिविधि 3: आपके विद्यार्थियों को समूह कार्य के बारे में क्या पसंद है?

अपनी कक्षा के साथ इसे करते हुए कम-से-कम 15 मिनट गुजारें। इन प्रश्नों को बोर्ड पर लिखें–

  • समूहों में कार्य करने बारे में आपको क्या पसंद है?
  • क्या आपको लगता है कि इससे आपको विज्ञान के बारे में जानने में मदद मिली?
  • आपको ऐसा क्यों लगता है?
  • आप ऐसा क्या बदलाव करना चाहेंगे? जिससे अधिक सीखने में आपको मदद मिले।

आप किस प्रकार समझाएगें कि विद्यार्थियों को क्या पसंद आया? और समूहों में कार्य करते समय किस चीज़ में सुधार किया जा सकता है? इस पर आप उनकी रचनात्मक प्रतिक्रिया चाहते हैं। समूहों का उपयोग करने का उद्देश्य है बेहतर ढंग से सीखने में उनकी मदद करना। जब समूह बातचीत कर रहे हों तो उनके आस-पास न जाएं।

हो सकता है कि वे सीधे आपसे बात करना न चाहें, बेहतर समझें तो अपने उत्तर लिख कर दे सकते हैं। विर्द्याथियों को समूहों में बातचीत करने का समय दें और उसके बाद उनसे मौखिक या लिखित रूप में, प्रश्नों पर सामूहिक प्रतिक्रिया अथवा वैयक्तिक उत्तर देने को कहें।

यह महत्वपूर्ण है कि समूहों में कार्य करने के बारे में आपके विद्यार्थी क्या सोचते हैं? इस संबंध में आप उनके दृष्टिकोणों को सुनें। समय व उत्तर देने के लिए उन्हें धन्यवाद दें। अधिक गहराई से जांचने के लिए उत्तर अपने साथ ले लें। एक अच्छा शिक्षक कैसा होता है? सबसे अच्छी तरह से सीखने में उसे किस चीज़ से मदद मिलती है, इस बारे में अधिकतर विद्यार्थियों के अपने-अपने विचार होते हैं।

विचार के लिए रुकें

  • आपने पाठ के बारे में जो कहा था, उनका विश्लेषण उससे कितना मेल खाता है?
  • उनकी टिप्पणियों से, समूहकार्य के आपके कौशलों में सुधार लाने में कैसे मदद मिलेगी?

समूहकार्य वाला वीडियो देखें। जब आप वीडियो देखें, तो आप जो देखें उसे अपने स्वयं के अनुभव से जोड़ने की कोशिश करें और सोचें कि आप अपने कौशलों को और विकसित कैसे कर सकते हैं?

वीडियो: समूहकार्य का उपयोग करना

3 समूहकार्य के नियम विकसित करना

शोध से पता चलता है कि जब कक्षा के समूहकार्यों में शिक्षक एक ‘मार्गदर्शक’ का कार्य करते हैं, तो विद्यार्थी अपने कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। बेहतर व्यवहार करते हैं और साथ ही अधिक तेजी से प्रगति करते हैं (बेन्स और अन्य, 2007)। ज्ञात है कि, समूहकार्य को ठीक से व्यवस्थित करना तथा उसे प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। यदि आपकी कक्षा बड़ी हो, तो अधिक विद्यार्थियों को पाठों में अधिक सक्रियता से भाग लेने और अपने विचार साझा करने का अवसर देने में समूहकार्य बहुत उपयोगी हो सकता है।

कक्षा के नियम विकसित कर देने से विद्यार्थी यह जान जाते हैं कि उन्हें तेजी से समूह कैसे बनाने हैं? और इससे आपको और उन्हें मदद मिलती है। ऐसा

करने के लिए आपको उन समूहों के प्रकारों के बारे में सोचना होगा, जिनका उपयोग आप कर सकते हैं, जैसे मित्र, समान योग्यता या मिश्रित योग्यता समूह। केस स्टडी 3 में इसकी और विस्तार से खोज की गई है।

केस स्टडी 3: समूहकार्य आयोजित करने के नियम

श्री ख़ान अपने विज्ञान के पाठों में समूहकार्य का उपयोग करने के प्रबल समर्थक हैं। ऐसा बतौर शिक्षक प्रशिक्षण लेने के दौरान मिले अनुभवों की वजह से है। जब मैंने प्रशिक्षण लिया था तो उस दौरान मुझे समूहों में कार्य करना अच्छा लगा। जब उपयुक्त हुआ तब मैं इसका उपयोग अपने विद्यार्थियों के साथ करना चाहता था। मुझे लगता है कि इससे मुझे विद्यार्थियों की सीखने की क्रिया को अधिक सटीक रूप से सहयोग देने का अवसर मिलता है।

प्रतिवर्ष मैं अपनी कक्षा को तेजी से अपने समूह बनाना सिखाता हूँ, ताकि हम पाठ में बिल्कुल भी वक्त बर्बाद न करें। यह सिखाने में आमतौर पर कुछ समय लग जाते हैं। मैं तीन प्रकार के समूहों का उपयोग सबसे अधिक करता हूँ: मित्र (A), मिश्रित योग्यता (B) और समान योग्यता समूह (C)। मैं कभी-कभी लैंगिक समूह (D) का भी उपयोग करता हूँ, पर अधिकतर मेरी कोशिश यही रहती है कि जब लड़के और लड़कियां कार्य कर रहे हों तो मैं उन्हें अलग न करूँ, क्योंकि मुझे लगता है कि उन्हें लिंग को महत्व दिए बिना एक-दूसरे का शिक्षार्थी के रूप में सम्मान करना चाहिए। यदि मैंने अपने पाठ में समूहों का उपयोग करने की योजना बनाई है, तो मैं कक्षा से कहता हूँ, ‘कृपया B समूह बनाएं’, और वे बिना किसी कोलाहल के अपनी-अपनी जगह ले लेते हैं।

कभी-कभार मैं विद्यार्थियों की जगह बदलता हूँ, विशेषकर तब जब मुझे पता हो कि एक विद्यार्थी किसी चीज़ को अपने बाकी समूह से बेहतर समझता है। इन समूहों का लचीला होना मेरे लिए महत्वपूर्ण है। विद्यार्थियों को उन विद्यार्थियों के साथ कार्य करने में समर्थ होने की आवश्यकता है, जो उनके सीखने की क्रिया में सर्वोत्तम ढंग से मदद दें।

विचार के लिए रुकें

  • अपने पाठों में आप इन समूह रचनाओं में से किसी का उपयोग कैसे कर सकते हैं? सोचें कि आप इन विचारों को, गतिविधि 3 में आपके विद्यार्थियों से आपको मिले फ़ीडबैक के साथ कैसे मिश्रित कर सकते हैं?

यद्यपि, सभी पाठ एवं गतिविधियां समूहकार्य के अनुरूप नहीं होते हैं। असल कौशल उन अवसरों का चुनाव करते हैं। जब अपने विद्यार्थियों की सीखने संबंधी आवश्यकताओं के लिए आप समूहकार्य का उपयोग करेंगे। आप समूहों का जितना अधिक उपयोग करेंगे, उनके लाभ देखने में आप उतने ही अधिक समर्थ हो जाएंगे और यह जान पाएंगे कि आपके विद्यार्थियों के लिए और जो विषय आप पढ़ा रहे हैं उसके लिए क्या चीज़ सबसे अच्छी है। अपने चयनों के बारे में आत्मविश्वासी होना अभ्यास से और समूहकार्य के उपयोग के लाभों के गहरे ज्ञान से आता है। मुख्य संसाधन ‘समूहकार्य का उपयोग करना’ को पढ़ने से, इस इकाई में आपने जो किया है, उसे समेकित करने में आपको मदद मिलेगी।

4 सारांश

विज्ञान और वैज्ञानिक कौशलों, जैसे परिकल्पना, अवलोकन एवं पूर्वानुमान के लिए समूहकार्य भली-भांति उपयुक्त है। इस इकाई ने यह दर्शाया है कि किस प्रकार एक-दूसरे को सुनने और विचार साझा करने से विद्यार्थियों को सोचने में मदद मिलती है। इसने आपको यह दिखाया है कि किस प्रकार बोलना और साथ मिल कर कार्य करना, विद्यार्थियों की चिंतन प्रक्रिया में गहरे विचारों को प्रेरित करता है और रचनाशीलता को सक्रिय करता है इस प्रकार इस इकाई ने आपको सीखने की क्रिया की महत्वपूर्ण सहयोगात्मक प्रकृति की कुछ गहरी जानकारी दी है। समूहकार्य विद्यार्थियों को विचारों के साथ जोखिम लेने के लिए और वैज्ञानिक घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने हेतु एक-दूसरे की मदद करने के लिए सहयोगी परिवेश भी प्रदान करता है। आपको और विद्यार्थियों दोनों को मिलने वाले लाभों पर चर्चा की जा चुकी है। आपको ये लाभ देखने के लिए इन कार्यनीतियों का उपयोग करते हुए पाठों की योजना बनाने का अवसर भी दिया गया था।

संसाधन

संसाधन 1: सीखने के लिए बातचीत

सीखने के लिए बातचीत क्यों जरूरी है?

बातचीत मानव विकास का हिस्सा है, जो सोचने-विचारने, सीखने और विश्व का बोध प्राप्त करने में हमारी मदद करती है। लोग भाषा का इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और बोध को विकसित करने के लिए के रूप में करते हैं। अत:, विद्यार्थियों को उनके शिक्षण अनुभवों के भाग के रूप में बात करने के लिए प्रोत्साहित करने का अर्थ होगा उनकी शैक्षणिक प्रगति का बढ़ना। सीखे गए विचारों के बारे में बात करने का अर्थ होता है।

  • क्या उन विचारों को परखा गया है?
  • तार्किक क्षमता विकसित और सुव्यवस्थित है
  • जिससे विद्यार्थी अधिक सीखते हैं।

किसी कक्षा में रटा-रटाया दोहराने से लेकर उच्च श्रेणी की चर्चा तक विद्यार्थी बातचीत के विभिन्न तरीके होते हैं।

पारंपरिक तौर पर, शिक्षक की बातचीत का दबदबा होता था और वह विद्यार्थियों की बातचीत या विद्यार्थियों के ज्ञान के मुकाबले अधिक मूल्यवान समझी जाती थी। यद्यपि, पढ़ाई के लिए बातचीत में पाठों का नियोजन शामिल होता है ताकि विद्यार्थी इस ढंग से अधिक बात करें और अधिक सीखें कि शिक्षक विद्यार्थियों के पहले के अनुभव के साथ संबंध कायम करें। यह किसी शिक्षक और उसके विद्यार्थियों के बीच प्रश्न और उत्तर सत्र से कहीं अधिक होता है क्योंकि इसमें विद्यार्थी की अपनी भाषा, विचारों और रुचियों को ज्यादा समय दिया जाता है। हम में से अधिकांश कठिन मुद्दे के बारे में या किसी बात का पता करने के लिए किसी से बात करना चाहते हैं, और अध्यापक बेहद सुनियोजित गतिविधियों से इस सहज-प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।

कक्षा में शिक्षण गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना

शिक्षण की गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना महज साक्षरता और शब्दावली के लिए नहीं है, यह गणित एवं विज्ञान के काम तथा अन्य विषयों के नियोजन का हिस्सा भी है। इसे समूची कक्षा में, जोड़ी कार्य या सामूहिक कार्य में, आउटडोर गतिविधियों में, भूमिका पर आधारित गतिविधियों में, लेखन, वाचन, प्रायोगिक खोज और रचनात्मक कार्य में योजनाबद्ध किया जा सकता है।

यहां तक कि साक्षरता और गणना के सीमित कौशलों वाले नन्हें विद्यार्थी भी उच्चतर श्रेणी के चिंतन कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें दिया जाने वाला कार्य उनके पहले के अनुभव पर आधारित और आन्नदायी हो। उदाहरण के लिए, विद्यार्थी तस्वीरों के आरेखों या वास्तविक वस्तुओं से किसी कहानी, पशु या आकृति के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं। विद्यार्थी भूमिका निभाते समय कठपुतली या पात्र की समस्याओं के बारे में सुझावों और संभावित समाधानों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।

जो कुछ आप विद्यार्थियों को सिखाना चाहते हैं, उसके इर्दगिर्द पाठ की योजना बनायें और इस बारे में सोचें, और साथ ही इस बारे में भी कि आप किस प्रकार की बातचीत को विद्यार्थियों में विकसित होते देखना चाहते हैं? कुछ प्रकार की बातचीत अन्वेषी होती है, उदाहरण के लिए: ‘इसके बाद क्या होगा?’, ‘क्या हमने इसे पहले देखा है?’, ‘यह क्या हो सकता है?’ या ‘आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि वह यह है?’ कुछ अन्य प्रकार की बातचीत ज्यादा विश्लेषणात्मक होती हैं, उदाहरण के लिए विचारों, साक्ष्य या सुझावों का आकलन करना।

इसे रोचक, मज़ेदार और सभी विद्यार्थियों के लिए संवाद में भाग लेना संभव बनाने की कोशिश करें। विद्यार्थियों को उपहास का पात्र बनने या गलत होने के भय के बिना दृष्टिकोणों को व्यक्त करने और विचारों का पता लगाने में सहज होने और सुरक्षित महसूस करने की जरूरत होती है।

विद्यार्थियों की बात–चीत को आगे बढ़ाएं

शिक्षण के लिए बात–चीत अध्यापकों को निम्न अवसर प्रदान करती है:

  • विद्यार्थी जो कहते हैं उसे सुनना
  • छात्रों के विचारों की प्रशंसा करना और उस पर आगे काम करना
  • इसे आगे ले जाने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना।

सभी उत्तरों को लिखना या उनका औपचारिक आकलन नहीं करना होता है, क्योंकि बात–चीत के द्वारा विचारों को विकसित करना शिक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको उनके शिक्षण को प्रासंगिक बनाने के लिए उनके अनुभवों और विचारों का यथासंभव प्रयोग करना चाहिए। सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी बात–चीत अन्वेषी होती है, जिसका अर्थ होता है कि विद्यार्थी एक दूसरे के विचारों की जांच करते हैं और चुनौती पेश करते हैं ताकि वे अपने को लेकर विश्वस्त हो सकें। एक साथ बातचीत करने वाले समूहों को किसी के भी द्वारा दिए गए उत्तर को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। आप समूची कक्षा की सेटिंग में, ‘आपने उसका निर्णय क्यों किया?’ ‘क्या आपको उस हल में कोई समस्या नजर आती है?’ जैसे जांच वाले प्रश्नों के अपने प्रयोग के माध्यम से चुनौतीपूर्ण विचारशीलता को तैयार कर सकते हैं। आप विद्यार्थी समूहों को सुनते हुए कक्षा में घूम सकते हैं ऐसे प्रश्न पूछकर उनकी विचारशीलता को बढ़ा सकते हैं।

अगर विद्यार्थियों की बात–चीत, विचारों और अनुभवों की कद्र और सराहना की जाती है तो वे प्रोत्साहित होंगे। बातचीत करने के दौरान अपने व्यवहार, सावधानी से सुनने, एक दूसरे से प्रश्न पूछने, और बाधा न डालना सीखने के लिए अपने विद्यार्थियों की प्रशंसा करें। कक्षा में कमजोर विद्यार्थियों के बारे में सावधान रहें और उन्हें भी शामिल किया जाना सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करें। कामकाज के ऐसे तरीकों को स्थापित करने में थोड़ा समय लग सकता है, जो सभी विद्यार्थियों को पूरी तरह से भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हों।

विद्यार्थियों को स्वयं से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें

अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करें जहां अच्छे चुनौतीपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं जहां विद्यार्थियों के विचारों को सम्मान दिया जाता है और उऩकी प्रशंसा की जाती है। विद्यार्थी प्रश्न नहीं पूछेंगे अगर उन्हें उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर भय होगा या अगर उन्हें लगेगा कि उनके विचारों का मान नहीं किया जाएगा। विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करना उनकी जिज्ञासा को दर्शाने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्हें अपने शिक्षण के बार में अलग ढंग से विचार करने के लिए कहता है और उनके नजरिए को समझने में आपकी सहायता करता है।

आप कुछ नियमित समूह या जोड़े में कार्य करने, या शायद ‘विद्यार्थियों के प्रश्न पूछने का समय’ जैसी कोई योजना बना सकते हैं ताकि विद्यार्थी प्रश्न पूछ सकें या स्पष्टीकरण मांग सकें। आप–

  • अपने पाठ के एक भाग को ‘अगर आपका प्रश्न है तो हाथ उठाएं’ नाम रख सकते हैं।
  • किसी विद्यार्थी को हॉट-सीट पर बैठा सकते हैं और दूसरे विद्यार्थियों को उस विद्यार्थी से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जैसे कि वे पात्र हों, उदाहरणत: पाइथागोरस या मीराबाई
  • जोड़ों में या छोटे समूहों में ‘मुझे और अधिक बताएं’ खेल खेल सकते हैं
  • मूल बात–चीत का अभ्यास करने के लिए विद्यार्थियों को कौन/क्या/कहां/कब/क्यों वाले प्रश्न ग्रिड दे सकते हैं
  • विद्यार्थियों को कुछ डेटा (जैसे कि विश्व डेटा बैंक से उपलब्ध डेटा, उदाहरणत: पूर्णकालिक शिक्षा में विद्यार्थियों की प्रतिशतता या भिन्न देशों में स्तनपान की विशेष दरें) दे सकते हैं, और उनसे उन प्रश्नों के बारे में सोचने के लिए कह सकते हैं जो आप इस डेटा के बारे में पूछ सकते हैं
  • विद्यार्थियों के सप्ताह भर के प्रश्नों को सूचीबद्ध करते हुए प्रश्न दीवार पर प्रदर्शित कर सकते हैं।

जब विद्यार्थी प्रश्न पूछने और उन्हें मिलने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुक्त होते हैं तो उस समय आपको रुचि और विचारशीलता के स्तर को देखकर हैरानी होगी। जब विद्यार्थी अधिक स्पष्टता, सटीक संवाद करना सीख जाते हैं तो वे नहीं केवल अपनी मौखिक और लिखित शब्दावलियां बढ़ाते हैं, अपितु उनमें नया ज्ञान और कौशल भी विकसित होता है।

संसाधन 2: पूर्वानुमान अभिलेखन पत्रक

चित्र R2.1 पूर्वानुमान अभिलेखन पत्रक।

संसाधन 3: अध्याय नियोजन

अपने पाठों का नियोजन और उनकी तैयारी क्यों महत्वपूर्ण है

अच्छे पाठों की योजना बनाना ज़रूरी होता है। योजना बनाने से आपके पाठों को अधिक स्पष्ट और सुनियोजित करने में मदद मिलती है, जिसका अर्थ यह है कि विद्यार्थी सक्रिय होते हैं और इसमें रुचि लेते हैं। प्रभावी नियोजन में कुछ अंतर्निहित लचीलापन भी शामिल होता है ताकि अध्यापक पढ़ाते समय अपने विद्यार्थियों की शिक्षण-प्रक्रिया के बारे में कुछ पता चलने पर उसके प्रति अनुक्रिया कर सकें। पाठों की श्रृंखला के लिए योजना पर काम करने में विद्यार्थियों और उनके पूर्व-शिक्षण को जानना, पाठ्यचर्या के माध्यम से प्रगति के क्या अर्थ है? और विद्यार्थियों के पढ़ने में मदद करने के लिए सर्वोत्तम संसाधनों और गतिविधियों की खोज करना शामिल होता है।

नियोजन एक सतत प्रक्रिया है जो आपको अलग-अलग पाठों और साथ ही, एक के बाद एक विकसित होते सत्रों की श्रृंखला, दोनों की तैयारी करने में मदद करती है। पाठ योजना के चरण ये हैं–

  • इस बारे में स्पष्ट रहना कि प्रगति करने के लिए आपके विद्यार्थियों के लिए क्या आवश्यक है?
  • तय करना कि आप कौन से ऐसे तरीके से पढ़ाने जा रहे हैं जिसे विद्यार्थी समझेंगे और आपको जो पता लगेगा उसके प्रति अनुक्रिया करने के लचीलेपन को कैसे बनाए रखेंगे?
  • पीछे मुड़कर देखना कि अध्याय कितनी अच्छी तरह से चला और आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा ताकि भविष्य के लिए योजना बना सकें।

पाठों की श्रृंखला की योजना बनाना

जब आप किसी पाठ्यचर्या का पालन करते हैं, तो नियोजन का पहला भाग यह निश्चित करना होता है कि पाठ्यक्रम के विषयों और प्रसंगों को खंडों या टुकड़ों में किस प्रकार सर्वोत्तम ढंग से विभाजित किया जाय। आपको विद्यार्थियों के प्रगति करने तथा कौशलों और ज्ञान का क्रमिक रूप से विकास करने के लिए उपलब्ध समय और तरीकों पर विचार करना होगा। आपके अनुभव या सहकर्मियों के साथ चर्चा से आपको पता चल सकता है कि किसी विषय के लिए चार सत्र लगेंगे। लेकिन किसी अन्य विषय के लिए केवल दो। आपको इस बात से अवगत होना चाहिए कि आप भविष्य में उस सीख पर अलग तरीकों से और अलग अलग समयों पर तब लौट सकते हैं, जब अन्य विषय पढ़ाए जाएंगे या विषय को विस्तारित किया जाएगा।

सभी पाठ योजनाओं में आपको निम्न बातों के बारे में स्पष्ट रहना होगा।

  • विद्यार्थियों को आप क्या पढ़ाना चाहते हैं?
  • आप उस शिक्षण का परिचय कैसे देंगे?
  • विद्यार्थियों को क्या और क्यों करना होगा?

आप शिक्षण को सक्रिय और रोचक बनाना चाहेंगे ताकि विद्यार्थी सहज और उत्सुक महसूस करें। इस बात पर विचार करें कि पाठों की श्रृंखला में विद्यार्थियों से क्या करने को कहा जाएगा ताकि आप न केवल विविधता और रुचि बल्कि लचीलापन भी बनाए रखें। योजना बनाएं कि जब आपके विद्यार्थी पाठों की श्रृंखला में से प्रगति करेंगे तब आप उनकी समझ की जाँच कैसे करेंगे? यदि कुछ भागों को अधिक समय लगता है या वे जल्दी समझ में आ जाते हैं तो समायोजन करने के लिए तैयार रहें।

अलग-अलग पाठों की तैयारी करना

पाठों की श्रृंखला को नियोजित कर लेने के बाद, प्रत्येक पाठ को उस प्रगति के आधार पर अलग से नियोजित करना होगा, जो विद्यार्थियों ने उस बिंदु तक की है। आप यह जानते हैं कि पाठों की श्रृंखला के अंत में यह आप जान सकेंगे कि विद्यार्थियों ने क्या सीख लिया होगा? लेकिन आपको किसी अप्रत्याशित चीज को फिर से दोहराने या अधिक शीघ्रता से आगे बढ़ने की जरूरत हो सकती है। इसलिए हर पाठ को अलग से नियोजित करना चाहिए ताकि आपके सभी विद्यार्थी प्रगति करें और सफल तथा सम्मिलित महसूस करें।

पाठ की योजना के भीतर आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक गतिविधि के लिए पर्याप्त समय है और कि सभी संसाधन तैयार हैं, जैसे क्रियात्मक कार्य या सक्रिय समूहकार्य के लिए। बड़ी कक्षाओं के लिए सामग्रियों के नियोजन के हिस्से के रूप में आपको अलग अलग समूहों के लिए अलग अलग प्रश्नों और गतिविधियों की योजना बनानी पड़ सकती है।

जब आप नए विषय पढ़ाते हैं तो आपको आत्मविश्वासी होने के लिए अभ्यास करने और अन्य अध्यापकों के साथ विचारों पर बातचीत करने के लिए समय की जरूरत पड़ सकती है।

तीन भागों में अपने पाठों को तैयार करने के बारे में सोचें। इन भागों पर नीचे चर्चा की गई है।

1 परिचय

पाठ के शुरू में, विद्यार्थियों को समझाएं कि वे क्या सीखेंगे? और करेंगे। जिससे प्रत्येक एक को पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है? विद्यार्थी जो पहले से ही जानते हैं उन्हें उसे साझा करने की अनुमति देकर तथा जो करने वाले हों उसमें उनकी दिलचस्पी पैदा करें।

2 पाठ का मुख्य भाग

विद्यार्थी जो कुछ पहले से जानते हैं उसके आधार पर सामग्री की रूपरेखा बनाएं। आप स्थानीय संसाधनों, नई जानकारी या सक्रिय पद्धतियों के उपयोग का निर्णय ले सकते हैं जिनमें समूहकार्य या समस्याओं का समाधान करना शामिल है। अपनी कक्षा में आप जिन संसाधनों और तरीकों का उपयोग करेंगे, उनकी पहचान करें। विविध प्रकार की गतिविधियों, संसाधनों, और समयों का उपयोग करना पाठ के नियोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप विभिन्न पद्धतियों और गतिविधियों का उपयोग करते हैं, तो आप अधिक विद्यार्थियों तक पहुँचेंगे, क्योंकि वे भिन्न तरीकों से सीखेंगे।

3 शिक्षण की जाँच करने के पाठ की समाप्ति

हमेशा यह पता लगाने के लिए समय (पाठ के दौरान या उसकी समाप्ति पर) रखें कि कितनी प्रगति की गई है। जाँच करने का अर्थ हमेशा परीक्षा ही नहीं होता है। आम तौर पर उसे शीघ्र और उसी जगह पर होना चाहिए जैसे नियोजित प्रश्न या विद्यार्थियों को जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे प्रस्तुत करते देखना लेकिन आपको लचीला होने के लिए और विद्यार्थियों के उत्तरों से आपको जो पता चलता है उसके अनुसार परिवर्तन करने की योजना बनानी चाहिए।

पाठ को समाप्त करने का यह एक अच्छा तरीका हो सकता है कि शुरू के लक्ष्यों पर वापस लौटना और विद्यार्थियों को इस बात के लिए समय देना कि वे एक दूसरे को और आपको उस शिक्षण से हुई उनकी प्रगति के बारे में बता सकें। विद्यार्थियों की बात को सुनकर आप सुनिश्चित कर सकेंगे कि आपको पता रहे कि अगले पाठ के लिए क्या योजना बनानी है?

पाठों की समीक्षा करना

प्रत्येक पाठ का पुनरावलोकन करें और इस बात को रिकार्ड करें कि आपने क्या किया? आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा, किन संसाधनों का उपयोग किया गया? और सब कुछ कितनी अच्छी तरह से संपन्न हुआ ताकि आप अगले पाठों के लिए अपनी योजनाओं में सुधार या उनका समायोजन कर सकें। उदाप्रत्येकण के लिए, आप निम्न का निर्णय कर सकते हैं–

  • गतिविधियों में बदलाव करना
  • खुले और बंद प्रश्नों की एक श्रृंखला तैयार करना
  • जिन विद्यार्थियों को अतिरिक्त सहायता चाहिए उनके साथ सत्र आयोजित करना।

सोचें कि आप विद्यार्थियों के सीखने में मदद के लिए क्या योजना बना सकते थे? या अधिक बेहतर कर सकते थे?

जब आप प्रत्येक पाठ में से गुजरेंगे आपकी पाठ संबंधी योजनाएं अपरिहार्य रूप से बदल जाएंगी, क्योंकि आप प्रत्येक होने वाली चीज का पूर्वानुमान नहीं कर सकते। अच्छे नियोजन का अर्थ यह है कि आप जानते हो कि शिक्षण को किस तरह से करना चाहते हैं और इसलिए जब आपको अपने विद्यार्थियों के वास्तविक शिक्षण के बारे में पता चलेगा तब आप लचीले ढंग से उसके प्रति अनुक्रिया करने के लिए तैयार रहेंगे।

अतिरिक्त संसाधन

References

Baines, E., Blatchford, P. and Chowne, A. (2007) ‘Improving the effectiveness of collaborative groupwork in primary schools: effect on science attainment’, British Educational Research Journal, vol. 33, no. 5, pp. 663–80.
Deakin University Australia (undated) ‘Floating and sinking’ (online). Available from: https://www.deakin.edu.au/ arts-ed/ education/ sci-enviro-ed/ early-years/ pdfs/ floating-sink.pdf (accessed 4 August 2014).
Howe, C., Tolmie, A., Thurston, A., Topping, K., Christie, D., Livingston, K., Jessiman, E. and Donaldson, C. (2007) ‘Groupwork in elementary science: towards organisational principles for supporting pupil learning’, Learning and Instruction, vol. 17, no. 5, pp. 549–63.
Vygotsky, L. (1978) Thought and Language. Cambridge, MA: MIT Press.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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चित्र 1: जेन डेवरू द्वारा फोटोग्राफ से अनुकूलित (Figure 1: adapted from photograph by Jane Devereux)।

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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।