शिक्षक प्रयोग प्रदर्शन के तहत विद्यार्थियों को कोई प्रयोग, प्रक्रिया या परिघटना को दर्शाते हैं। यह एक युक्ति है, जिसका उपयोग विज्ञान के शिक्षण में प्रायः किया जाता है। यह इकाई इस बारे में आपकी समझ विकसित करने में आपकी मदद करती है कि प्रयोग प्रदर्शन का उपयोग प्रभावी रूप से कैसे किया जा सकता है, जो कि इस मामले में, भोजन के बारे में पढ़ाने के दौरान है।
आप विभिन्न कारणों से प्रयोग प्रदर्शन का उपयोग कर सकते हैं। आप प्रयोग प्रदर्शन की योजना कैसे बनाते हैं? और उसका संचालन कैसे करते हैं? इसका इस बात पर उल्लेखनीय प्रभाव होगा कि आपके विद्यार्थी कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और अनुभव से क्या सीखते हैं? शिक्षण में प्रभावी प्रयोग प्रदर्शन का उपयोग असरदार ढंग से कर पाना आसान नहीं है, पर विद्यार्थियों की सीख पर जो प्रभाव मिलेगा वह गहरा हो सकता है। इस इकाई में प्रयोग प्रदर्शन के विभिन्न उद्देश्यों, प्रयोग प्रदर्शन को संभालने में शिक्षक की भूमिका और योजना बनाने के निहितार्थो के बारे में बताया गया है। इसमें आपको अपने विद्यार्थियों की सीखने पर प्रयोग प्रदर्शन का उपयोग करने से पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन करने का अवसर मिलेगा।
जब आप कोई नई चीज़ सीख रहे होते हैं, जैसे कोई व्यंजन बनाना या किसी मशीन को चलाना, तो अगर कोई व्यक्ति उसी कार्य का प्रयोग प्रदर्शन आपके सामने कर दें, तो उससे सीखना काफी आसान हो जाता है। हो सकता है कि प्रयोग प्रदर्शन, एक सरल सी शिक्षण युक्ति प्रतीत हो। पर विद्यार्थियों को संलग्न करने और उनकी सीख को अधिकतम करने में शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शिक्षक का प्रयोग प्रदर्शन महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि–
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आपके विद्यार्थी पाठ में पूरी तरह संलग्न हों और सक्रिय रूप से इसमें भाग लें, इसके लिए आपका यह विचार हो सकता है कि उन्हें हमेशा ही करके सीखना चाहिए। निश्चित रूप से विद्यार्थियों को विज्ञान में प्रायोगिक कार्य स्वयं करने का अवसर दिया जाना चाहिए। इससे उन्हें उपकरणों को संभालने और उनका उपयोग करने का कौशल विकसित करने, निर्णय लेने, आँकड़े एकत्र करने और वे जो कर व सीख रहे हैं उसके बारे में सक्रिय रूप से सोचने का अवसर मिलता है।
प्रयोग प्रदर्शन, सीखने की क्रिया में उद्देश्यपूर्ण सहभागिता के लिए उपयोगी अवसर प्रदान करते हैं, जिससे पाठ्यपुस्तक में दी गई अवधारणाओं की समझ में वृद्धि की जा सकती है। विज्ञान के शिक्षकों का यह तर्क है कि ‘विद्यार्थी के सीखने की क्रिया में एक महत्वपूर्ण प्रकरण बन सकने वाले किसी रोचक विषयवस्तु कभी-कभी अविस्मरणीय, प्रयोग प्रदर्शन’ की संभावना हमेशा रहती है (वेलिंगटन एवं आयरसन, 2012)।
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प्रयोग प्रदर्शन से एक साझा अनुभव मिलता है, जिससे आप अपने विद्यार्थियों का ध्यान ऐसे कुछ विशेष पहलुओं पर केंद्रित करवा सकते हैं, जो हो सकता है कि उनसे छूट जाते। आप अपनी व्याख्याओं के समर्थन के लिए और विद्यार्थियों की समझ को सहारा देने के लिए प्रयोग प्रदर्शनों का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, भोजन के विषय में पढ़ाते समय प्रयोग प्रदर्शन से विद्यार्थी यह प्रेक्षण प्राप्त कर सकते हैं कि भोजन के पकते समय उसमें कैसे बदलाव होते हैं?
विद्यार्थी अपना प्रायोगिक कार्य स्वयं क्यों नहीं कर सकते? इसके कई कारण भी हैं। उदाहरण के लिए, विद्यार्थियों की संख्या बहुत अधिक होने पर, संभव है कि पर्याप्त समय, स्थान व संसाधन उपलब्ध न हों। एक शिक्षक के तौर पर, आपको अपने पेशेवर ज्ञान का उपयोग यह निर्णय लेने के लिए यह करना है कि प्रयोग प्रदर्शन का उपयोग करना कब उपयुक्त रहेगा? शिक्षक के तौर पर आपके लिए सबसे आसान क्या है? यह देखने के वजाय आपको अपने विद्यार्थियों के सीख के आधार पर निर्णय को उचित ठहराना होगा। सभी प्रक्रियाएं और परिघटनाएं कक्षा में किए जाने वाले प्रयोग प्रदर्शनों के लिए उपयुक्त हों, ऐसा नहीं है। कुछ इतनी जटिल या लंबी हो सकती हैं कि कक्षा में उन्हें करना व्यावहारिक न हो।
आपके विद्यार्थियों के लिए, प्रयोग प्रदर्शन में ‘कक्षा के प्रयोग की तुलना में बेहतर होने, अधिक दृश्य होने, अधिक स्पष्ट होने और अधिक प्रभावी होने’ का सार्मथ्य है। (वेलिंगटन एवं आयरसन, 2012, पृ. 165). परन्तु इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि विद्यार्थी कम सक्रिय रूप से संलग्न हों, ज्यादा कुछ नहीं सीखें और बोर हो जाएं। तो, प्रश्न यह उठता है कि एक शिक्षक होने के नाते आप विद्यार्थियों की सहभागिता को अधिकतम कैसे कर सकते हैं? उनकी सीख को सहारा कैसे दे सकते हैं? और उनमें रुचि जागृत कैसे कर सकते हैं?
आंशिक रूप से इस प्रश्न का उत्तर यह सुनिश्चित करना है कि आप प्रयोग प्रदर्शन के उद्देश्य के बारे में स्पष्ट हों और जानते हों कि आप उसके ज़रिए क्या उपलब्ध करना चाहते हैं?
प्रयोग प्रदर्शनों के कई संभव उद्देश्य हैं। इन्हें तीन मुख्य प्रकारों में श्रेणीबद्ध किया जा सकता है–
ये सभी महत्वपूर्ण हैं और किसी एक अकेले प्रयोग प्रदर्शन से एक से अधिक उद्देश्यों की पूर्ति की जा सकती है। प्रयोग प्रदर्शन के उद्देश्य से आपके द्वारा योजना बनाने और प्रयोग प्रदर्शन के संचालन के तरीके पर असर पड़ेगा।
भोजन एक ऐसा विषय है, जिसमें विद्यार्थियों को रुचि होती है। यह उनके दिन-प्रतिदिन के जीवन का हिस्सा है और उनकी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण भाग है। भोजन के विषय को पढ़ाने की क्रिया को विद्यार्थियों के अनुभव तथा उनके भावी जीवन के साथ जोड़ना अपेक्षाकृत आसान है। घर के प्रसंग में छोटे विद्यार्थियों को भोजन से परिचित कराया जा सकता है। इस केस स्टडी में, श्रीमती शहनाज़ भोजन पकाते समय उसमें होने वाले बदलावों के बारे में छोटे विद्यार्थियों की कक्षा को पढ़ाती हैं।
मैंने उनमें रुचि जागृत करने के लिए तथा वे ज्यादा ध्यान से अवलोकन करें, इसके लिए विभिन्न खाद्य पदार्थों जैसे– चावल, पालक, रोटी और सब्जियों को पकाने का एक प्रयोग प्रदर्शन किया। सबसे पहले मैंने खाद्य-पदार्थों को पकाने से पहले विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें देखें और उनका वर्णन करें। उन्होंने जो शब्द इस्तेमाल किए, उन्हें मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया। भोजन पकाने के प्रयोग प्रदर्शन के दौरान, मैंने विद्यार्थियों से प्रश्न पूछे ताकि उनका ध्यान केंद्रित रहे और उनकी रुचि बनी रहे। साथ ही मैंने कमज़ोर नज़र वाले विद्यार्थियों को खाद्य पदार्थ छू कर महसूस करने दिए उन्होंने उन चीजों के वर्णन में कुछ अलग शब्द बताए, जिन्हें मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया।
यह मेरे पाठ का एक अंश है:
श्रीमती शहनाज़ चावल को पकाने से पहले वह कैसा है?
विद्यार्थियों ने वर्णनकारी शब्द दिए और मैंने वे शब्द ब्लैकबोर्ड पर लिख दिए। मैंने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया कि वे रंग, आकृति और सतही बनावट पर विचार करें और प्रश्नों के उपयोग से उन्हें खाद्य-पदार्थों को नज़दीक से देखने को प्रेरित किया उदाहरण के लिए–
श्रीमती शहनाज़ यह किस रंग का है?
विद्यार्थी सफेद।
श्रीमती शहनाज़ क्या यह ऐसा सफेद है? (मैंने एक सफेद वस्तु की ओर इशारा किया।)
विद्यार्थी नहीं, यह उससे कुछ भूरा है।
श्रीमती शहनाज़ बहुत अच्छे। चलो देखते हैं कि चावल के उबलने पर क्या होता है। (मैंने उबलते हुए पानी में चावल डाले।) आपके विचार में क्या होगा?
विद्यार्थी यह और ज्यादा सफेद हो जाएगा।
श्रीमती शहनाज़ तुम्हें कैसे पता?
विद्यार्थी मेरी मां घर पर चावल पकाती हैं, मैंने देखा है।
श्रीमती शहनाज़ जिन-जिन विद्यार्थियों को चावल खाना पसंद है, वे हाथ उठाएं।
सभी विद्यार्थी अपने-अपने हाथ उठाते हैं।
श्रीमती शहनाज़ किस-किसको कच्चे चावल खाना पसंद है?
सभी विद्यार्थी अपने हाथ नीचे कर लेते हैं। वे हँसते हैं और अजीब-अजीब चेहरे बनाते हैं, मतलब कि वे बताते हैं कि ऐसा करना मूर्खतापूर्ण होगा।
श्रीमती शहनाज़ जब तक चावल पक रहे हैं, हम पालक को देखेंगे। पालक पकने से पहले कैसा है?
मैंने एक कटोरे में पालक रख दिया और विद्यार्थियों ने प्रश्न का उत्तर दिया। मैंने उनके उत्तरों को ब्लेकबोर्ड पर लिख दिया।
श्रीमती शहनाज़ किस-किसने पका हुआ पालक खाया है? जब वह पक जाता है तो क्या होता है?
विद्यार्थियों ने घर के अपने अनुभव के आधार पर अपनी-अपनी जानकारी के बारे में बताया। मैंने पालक को पकाया और विद्यार्थियों ने एकाग्रचित्त हो कर उसे बदलते हुए देखा। जो हो रहा था उस पर उनका ध्यान केंद्रित रखने के लिए मैंने उनसे कुछ प्रश्न पूछे, जैसे –
‘किस खाद्य-पदार्थ में सबसे ज्यादा बदलाव आया?’
वीडियो: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना |
आपके लिए इस समय संसाधन 1, ‘सोचने की क्रिया को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछना’ पर नज़र डालना उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
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किसी भी प्रयोग प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है, सीखने में विद्यार्थियों की मदद करना। केस स्टडी1 1 में, श्रीमती शहनाज़ के विद्यार्थियों ने सीखा कि विभिन्न प्रकार के खाद्य-पदार्थों को पकाने पर वे किस प्रकार बदलते हैं, और इससे उनके प्रेक्षण कौशल के विकास में भी मदद हुई। श्रीमती शहनाज़ ने अपने विद्यार्थियों की सोचने की क्रिया को विस्तार देने के लिए अपने प्रश्न पूछने के कौशल का उपयोग किया। जैसे कि, विद्यार्थी के उत्तर को मात्र स्वीकार कर लेने की वजाय, उन्होंने पूछा कि विद्यार्थी को कैसे पता कि चावल सफेद हो जाएगा।
परन्तु, जहां एक ओर प्रयोग प्रदर्शन से अवधारणाओं और प्रक्रियाओं का सीधा प्रेक्षण संभव हो पाता है, वहीं दूसरी ओर आप यह मान कर नहीं चल सकते कि विद्यार्थी प्रेक्षण मात्र से ही वैज्ञानिक समझ विकसित कर लेंगे। शिक्षक होने के नाते आप किसी प्रयोग प्रदर्शन से समझने और सीखने में अपने विद्यार्थियों की मदद करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। आपकी भूमिका एक मध्यस्थ और व्याख्याकार की है (मोंक एवं ओस्बोर्न, 2000)।
विद्यार्थी निष्क्रिय प्रेक्षकों के रूप में नहीं सीखेंगे उनका सक्रिय रूप से संलग्न होना ज़रूरी है। इसके लिए श्रीमती शहनाज़ ने अपने विद्यार्थियों का ध्यान इस बात पर केंद्रित किया कि पकाए जाने पर खाद्य-पदार्थ किस प्रकार बदलते हैं? और प्रश्न पूछने के द्वारा उनके निकटता से प्रेक्षण करने के कौशल को प्रोत्साहित किया। उन्होंने विषय को विद्यार्थियों के अनुभवों से भी जोड़ा।
विद्यार्थियों को संलग्न करने का एक और तरीका यह है कि उन्हें कोई भूमिका या कार्य दिया जाए, जिससे उनके प्रेक्षण केंद्रित हो जाएं। उदाहरण के लिए, अधिक आयु वाले विद्यार्थी प्रयोग प्रदर्शन के आगे बढ़ने के साथ-साथ परिणाम और प्रेक्षण अपनी पुस्तकों में लिख सकते हैं।
विद्यार्थियों को प्रयोग प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से संलग्न करने और वे जो प्रेक्षण करते हैं, उसके बारे में सोचने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने का एक विशिष्ट तरीका है पूर्वानुमान-प्रेक्षण-व्याख्या (प्रेडिक्ट-ऑब्जर्व-एक्स्प्लेन) पीओई नामक तकनीक का उपयोग करना, जिसका वर्णन व्हाइट एवं गनस्टोन (1992) द्वारा किया गया है:
उनके विचारों को चुनौती देने का एक तरीका है पीओई का इस्तेमाल करना, परन्तु इसका उपयोग केवल तब ही किया जा सकता है जब विद्यार्थियों के पूर्वानुमानों का कोई आधार हो। इससे आपको उनकी समझ के बारे में मूल्यवान, गहरी जानकारी मिलेगी। अनुमानों के आधार पर लगाए गए पूर्वानुमानों से उपयोगी मूल्यांकन जानकारी नहीं मिलती है।
विचार के लिए रुकें मंड परीक्षण एक आसान परीक्षण है जिसमें खाद्य-पदार्थ पर आयोडीन का घोल डाला जाता है। यदि मंड (स्टार्च) अनुपस्थित है, तो आयोडीन का घोल पीले या नारंगी रंग का ही बना रहता है। जब मंड उपस्थित होता है, तो नीला या काला रंग दिखता है। इस खाद्य परीक्षण का प्रयोग प्रदर्शन करने के लिए आप पीओई तकनीक का उपयोग कैसे कर सकते हैं? |
पीओई का उपयोग करने के द्वारा, आप बतौर एक शिक्षक, अपने विद्यार्थियों से उनके मौजूदा ज्ञान और समझ को व्यवहार में लाने को कह रहे हैं। अपने विद्यार्थियों से उनके पूर्वानुमानों का औचित्य सिद्ध करने के लिए कहने से आप यह पता लगा सकेंगे किक उनके मन में पहले से क्या विचार मौजूद हैं। विद्यार्थियों को, जो हो रहा है, उसका प्रेक्षण करने को कहने से आप उनके मौजूदा विचारों का मूल्ययांकन कर सकते हैं और उन्हें चुनौती दे सकते हैं। कसे स्टडी 2 में आप जानेंगे कि किकस प्रकार एक शिक्षिका, श्रीमती मोहंती ने मंड परीक्षण कके अपने प्रयोग प्रदर्शन में पीओई का उपयोग किया।
हालांकि, इस बात की संभावना है कि विद्यार्थी विभिन्न खाद्य-पदार्थों से परिचित हों पर हो सकता है कि जो खाद्य-पदार्थ वे खाते हैं उनके और पोषक तत्वों के समूहों के बीच संपर्क बनाने में उन्हें कठिनाई होती हो। आंशिक तौर पर ऐसा इसलिए है, क्योंकि ‘कार्बोहाइड्रेट’, ‘विटामिन’ या ‘मंड’ जैसी चीजें, अमूर्त अवधारणाएं हैं। आप मंड का बैग नहीं खरीदते हैं अथवा कटोरी भर प्रोटीन नहीं खातते हैं। इस विषय को पढ़ाने में चुनौती यह है कि पोषक तत्व समूहों और कैसे वे विभिन्न खाद्य-पदार्थों में पाए जाते हैं इस संबंध में विद्यार्थियों की अवधारणात्मक समझ को विकसित कैसे किया जाए शब्दों के अशुद्ध उपयोग से आसानी से भ्रम पैदा हो सकता है, जैसे ‘कार्बोहाइड्रेट’, ‘मंड’ और ‘शर्करा’। अतैव यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि शर्करा और मंड, दोनों ही कार्बोहाइड्रेट हैं, और मंड का खाद्य-परीक्षण करते समय, ‘कार्बोहाइड्रेट’ शब्द का उपयोग करने की बजाए ‘मंड’ शब्द का उपयोग करें।
इस केस स्टडी में एक शिक्षिका, श्रीमती मोहंती खाद्य परीक्षणों के बारे में पढ़ाते वक्त इस्तेमाल किए गए एक प्रयोग प्रदर्शन की तैयारी के बारे में बताती हैं। कक्षा बड़ी होने या सुरक्षा की दिक्कतों के चलते, कक्षा में खाद्य पदार्थों का परीक्षण करना मुश्किलो सकता है। ऐसी स्थितियों में शिक्षक द्वारा प्रयोग प्रदर्शन एक उपयोगी कार्यनीति है। कक्षा 6 के 60 विद्यार्थियों को पाठ पढ़ाया जाना था।
मैं चाहती थी कि विद्यार्थी यह सीखें कि कुछ खाद्य-पदार्थों में मंड होता है और यह कि खाद्य-पदार्थ में मंड की उपस्थिति का पता एक आसान से परीक्षण द्वारा लगाया जा सकता है। मैं चिंतित थी कि यदि प्रत्येक विद्यार्थी परीक्षण करता है, तो काफी भोजन व्यर्थ हो जाएगा। साथ ही में आयोडीन भी अपर्याप्त थी। इसलिए मैंने खाद्य-पदार्थों में मंड की उपस्थिति का परीक्षण दिखाने के लिए प्रयोग प्रदर्शन का उपयोग करने का फ़ैसला लिया।
प्रयोग प्रदर्शन की योजना बनाते समय, मैंने मंड-युक्त और मंड-विहीन, दोनों प्रकार के खाद्य-पदार्थों को शामिल करने का निर्णय लिया, ताकि विद्यार्थी परीक्षण के परिणामों का अंतर देख सकें। मैं उन्हें बहुत से अलग-अलग प्रकार के खाद्य पदार्थ दिखाना चाहती थी, इसलिए मुझे प्रयोग प्रदर्शन के लिए बड़ा स्थान चाहिए था। सभी विद्यार्थी प्रयोग प्रदर्शन देख सकें, इसके लिए मैंने प्रयोग प्रदर्शन फ़र्श पर करने का निर्णय लिया। कुछ विद्यार्थी फ़र्श पर बैठ गए, कुछ उनके पीछे कुर्सिसयों पर तथा कुछ पीछे खड़े हो गए। मैंने तय किया कि कम प्रेरित विद्यार्थियों को तथा, जिन्हें सीखने में मुश्किल होती है, उन्हें सबसे आगे बैठाया जाए, ताकि उन्हें संलग्न होने का सर्वोत्तम मौका मिले। ससाथ ही, पीछे वाले विद्यार्थी भी देख सकें यह सुनिश्चित करने के लिए, मैंने परखनलिययों की बजाए छोटी-छोटी तश्तरियों पर खाद्य-पदार्थों का परीक्षण करने का निर्णय लिया क्योंकि परखनलियां बहुत छोटी होती हैं [चित्र 1]।
परीक्षण के बारे में समझा देने के बाद, मैंने उन्हें मंड और आयोडीन की अभिक्रिया दिखाई और फिर विभिन्न खाद्य-पदार्थों पर परीक्षण किया। मैं विद्यार्थियों में रुचि जागृत करना चाहती थी, पर यह कोई बहुत रोचक खाद्य परीक्षण नहीं है। तो मैंने ससोचा कि मैं विद्यार्थियों से पूर्वानुमान लगवाऊंगी। कुछ खाद्य-पदार्थों का परीक्षण करने के बाद, मैंने उनसे पूर्वानुमान लगाने को कहा कि परीक्षण सकारात्मक होगा या नकारात्मक, इसके लिए उन्हें हाथ उठाकर बताना था। प्रत्येक श्रेणी के लिए उनका उत्तर लिखा जाना था। इससे मुझे यह भी पता चला कि विद्यार्थियों ने मंड-युक्त खाद्य-पदार्थों के विचार को समझा किया है या नहीं।
ब्लैकबोर्ड पर मैंने परिणामों के लिए चार स्तंभों वाली एक तालिका बनाई, पहले स्तंभ में खाद्य-पदार्थ का प्रकार, दूसरे में उसका मूल रंग, तीसरे में रंग का बदलाव और चौथे में मंड की उपस्थिति का निष्कर्ष [चित्र 1]। मैंने प्रत्येक खाद्य-पदार्थ का नाम पहले स्तंभ में लिख दिया। पहले मैंने प्रत्येक खाद्य पदार्थ के परीक्षण के बाद परिणाम को किसी विद्यार्थी द्वारा लिखवाने के लिए सोचा, पर बाद में मैंने तय किया कि यदि विद्यार्थी अपने स्वयं के प्रेक्षण और अनुमान एवं निष्कर्ष अपनी पुस्तकों ममें लिखें तो वे अधिक संलग्न रहेंगे।
खाद्य-पदार्थ का प्रकार | खाद्य-पदार्थ का मूल रंग | रंग में परिवर्तन | क्या मंड उपस्थिति है? |
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यह देख कर मैं बहुत प्रभावित हुई कि मेरे सभी विद्यार्थी इसमें बहुत रुचि ले रहे थे और उन्होंने बहुत ही विचारपूर्ण उत्तर दिए। मैंने देखा कि कैसे वे हो रही घटनाओं के बारे में एक-दूसरे से बात कर रहे थे? क्योंकि वे अलग ढंग से बैठे थे और आसानी से बात कर पा रहे थे।
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जैसा कि आप श्रीमती मोहंती के अनुभव से देख सकते हैं कि प्रयोग प्रदर्शन की योजना बनाना और विद्यार्थियों के बड़े समूह को संभालते हुए प्रयोग प्रदर्शन करना एक काफी जटिल शिक्षण युक्ति है।। परन्तु, यह तथ्य आपकी सारी कोशिशों को सार्थक बना देता है कि प्रयोग प्रदर्शन का आपके विद्यार्थियों की सीखने की क्रिया पर इतना सकारात्मक असर पड़ सकता है।
श्रीमती मोहंती को अपना प्रयोग प्रदर्शन करते समय संसाधनों और विद्यार्थियों का प्रबंधन करना पड़ा था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक विद्यार्थी प्रयोग प्रदर्शन देख पाए। अपने विद्यार्थियों को प्रयोग प्रदर्शन के ईद-गिर्द इकट्ठा करने का मतलब यह होगा कि कुछ विद्यार्थी उसे देख नहीं पाएंगे, अतः आपको इस बारे में सोचना होगा कि उनका कितना नजदीक होना ज़रूरी है। यह जांचना होगा कि सभी विद्यार्थी शामिल हों। कक्षा में पीछे बैठे वंचित या वर्जित किए जा रहे, हाशिये पर धकेल दिए गए समूहों के विद्यार्थियों को अनदेखा करना आसान है। यह सुनिश्चित करना आपका दायित्व है कि ऐसा न हो। श्रीमती मोहंती ने सुनिश्चित किया कि कमज़ोर विद्यार्थी सबसे आगे रहें। उन्होंने उनको भी शामिल किया, जिन्हें सीखने में कठिनाई होती थी। विद्यार्थियों को आगे बैठाया गया, ताकि वे उन्हें मदद दे सकें। आपको विद्यार्थियों की सुविधा पर भी ध्यान देना होगा। लंबे प्रयोग प्रदर्शनों के लिए, विद्यार्थियों को बैठा देना ज्यादा बेहतर है, क्योंकि असुविधाजनक स्थिति में ध्यान केंद्रित करना कठिन होता है। कुछ स्थितियों में, विद्यार्थी खड़े रह सकते हैं। सभी मामलों में, आपको यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यार्थी सुरक्षित रहते हुए देख सकते हों और आवश्यक सावधानियां बरत सकते हों। बड़ी कक्षाओं में, आप चाहें तो दो बार प्रयोग प्रदर्शन कर सकते हैं, ताकि आप जो कर रहे हैं और जो घटित रहा है उसे देखने का सर्वोत्तम का हर किसी को मिले।
जब आप प्रयोग प्रदर्शन करें, तो आपको समझाते जाना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं। मेज को अस्त-व्यस्त किए बिना, प्रयोग प्रदर्शन को व्यवस्थित ढंग से संचालित करना महत्वपूर्ण है। अव्यवस्थता न ध्यान भंग करती है, बल्कि यदि आपके विद्यार्थियों को क्रियाकलाप स्वयं करना हो, तो उस मामले में उनके सामने बुरा उदाहरण। महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित करना सुनिश्चित करें जैसे कि दिखाई देने या महसूस कर सकने वाला परिवर्तन या कोई प्रस्तुत सावधानी जिसे बरतना आवश्यक हो।
प्रश्न पूछने से आपको विद्यार्थियों में रुचि जागृत करने और उनकी समझ को विकसित करने में मदद मिलेगी (देखें संसाधन 1, ‘सोचने की क्रिया को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछना’)। प्रयोग प्रदर्शन के दौरान ब्लैकबोर्ड का उपयोग कुशलता से करना भी महत्वपूर्ण है। आप उसका उपयोग करके प्रक्रिया के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाल सकते हैं, प्रेक्षण लिख सकते हैं और विद्यार्थियों के उत्तर लिख सकते हैं। ब्लैकबोर्ड पर अपने उत्तर देखने से विद्यार्थी प्रेरित होंगे और पाठ में उनकी रुचि लगातार बनी रहेगी।
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विद्यार्थियों से उनके घर के अनुभव के बारे में पूछना, वे क्या महसूस करते और सोचते हैं? इस बारे में पूछना, और उनके प्रेक्षण को केंद्रित करना, ये सभी उनकी रुचि हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण तरीके हैं। आपके विद्यार्थियों का प्रतिक्रिया देने का तरीका भी आपको यह बताता है कि वे रुचि ले रहे हैं या नहीं। ऊब गये विद्यार्थियों द्वारा अभद्रता की जाने की संभावना, रुचि ले रहे विद्यार्थियों की तुलना में अधिक होती है। एकाग्रचित्त विद्यार्थी ध्यान लगाने में शांत रहेंगे, परन्तु प्रश्नों का उत्तर देते समय बातचीत अधिक हो सकती है। रुचि नहीं ले रहे विद्यार्थी प्रश्न पूछने या उत्तरों में योगदान देने के लिए प्रेरित नहीं होंगे।
अपने प्रयोग प्रदर्शनों की योजना ध्यानपूर्वक बननाने से उनकी सफलता की संभावना भी बढ़ेगी। श्रीमती मोहंती की योजना (संसाधन 2) एक मार्गदर्शक के रूप में, आपको स्वयं प्रयोग प्रदर्शन की योजना बनाने और चरणों के बारे में सोचने में मदद करेगी। जब आप योजना बनाएं उसमें प्रयोग प्रदर्शन के अधिगम उद्देश्यों को शामिल करें:
अपनी योजना और पूछे जाने वाले प्रश्न लिख लें,, जिससे प्रयोग के लिए वे आपके पास तैयार हों। यदि आपके स्कूल में कोई और विज्ञान शिक्षक हो तो अपनी योजनाएं उनके साथ साझा करें, ताकि आपके पास जो भी प्रश्न हों उनका स्पष्टीकरण पाने में आपको मदद मिले।
वीडियो: पाठों की कार्ययोजना बनाना |
यदि आप चाहते हैं कि आपके विद्यार्थी अपना असली सामर्थ्य हासिल करें, तो अच्छे ढंग से योजना बनाना आपके लिए अति महत्वपूर्ण है। जब आप प्रयोग प्रदर्शनों की योजना बनाने में और सिखाने के उद्देश्यों की पहचान करने में अधिक पारंगत हो जाएंगे, तो यह प्रक्रिया और भी तेजी से हो जाएगी। कभी-कभी किसी सामान्य प्रयोग प्रदर्शन को पहले स्वयं करके उसका अभ्यास कर लेना उपयोगी रहता है। योजना बनाने और प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद पाने के लिए, संसाधन 3, ‘पाठों की योजना बनाना’ पढ़ें।
किसी अवधारणा या प्रक्रिया का प्रयोग प्रदर्शन करने के दौरान प्रश्न पूछने की उपयोगी तकनीकों और उपयुक्त व्याख्याओं का संयोजन तैयार करना सर्वाधिक चुनौतिपूर्ण कार्यों में से एक कार्य है।
इन कौशलों का संयोजन तैयार करने में अपना आत्मविश्वास बढ़ाने का एक मजेदार तरीका यह है कि अपेक्षाकृत आप घर पर किसी अधिक परिचित कार्य में उनका अनौपचारिक अभ्यास करें।
सुरक्षित परिवेश में प्रयोग प्रदर्शन आज़मा लेने के बाद अब समय है कि आप अपना पाठ पढ़ाएं।
अब आप अपनी कक्षा को अपना पाठ पढ़ाने जा रहे हैं।
पढ़ाने वाले दिन यह जांचें कि आपके पास जरूरत के सभी उपकरण और सामग्रियां उपलब्ध हों। यदि समय बचाने के लिए आवश्यक हो तो आप रसायन पहले से तैयार कर सकते हैं।
विषय का परिचय दें, पहले जो पढ़ाया जा चुका है, उससे विषय को जोड़ें तथा विद्यार्थियों से प्रश्न पूछ कर विषय का उनका पूर्व-ज्ञान सुनिश्चित करें। कक्षा को प्रयोग प्रदर्शन का उद्देश्य समझाएं।
जब आप प्रयोग प्रदर्शन करें उस समय तो मुख्य बिंदु समझाते जाएं, जांचें कि विद्यार्थी उन्हें समझ गए और उन्हें आपसे प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें। जहां प्रासंगिक हो वहां उन्हें पीओई से संलग्न करें।
प्रयोग प्रदर्शन पूरा कर लेने के बाद, निम्नांकित प्रश्नों पर सोचें और नोटस बनाएं.
क्या सुधारा जा सकता है? तथा आप उसमें क्या बदलाव करेंगे?
प्रयोग प्रदर्शन एक ऐसी युक्ति है, जिसका उपयोग विज्ञान के कई प्रकरणों या उपविषयों के शिक्षण में और कई परिस्थितियों या प्रसंगों में किया जा सकता है। प्रयोग प्रदर्शन को सभी आयु के विद्यार्थियों, बहुत छोटों से लेकर वयस्कों तक के साथ प्रयोग किया जा सकता है। पीओई तकनीक तब विशेष रूप से उपयोगी होती है, जब आप चुनौतीपूर्ण अवधारणाएं, जैसे बल, विद्युत, प्रकाश संश्लेषण या दाब आदि पढ़ा रहे होते हैं। प्रयोग प्रदर्शन और पीओई का उपयोग करने से, आप पता लगा सकते हैं कि विज्ञान की इन अवधारणाओं के बारे में आपके विद्यार्थी पहले से क्या जानते हैं? और आप उन्हें ऐसा अनुभव दे सकते हैं जो उनके मन में संभवतः मौजूद अवैज्ञानिक विचारों को विस्तारित करेगा या उन्हें चुनौती देगा।
आदर्श रूप से, विज्ञान सीखना प्रमाणों पर आधारित होना चाहिए। प्रयोग प्रदर्शन से विद्यार्थियों को प्रेक्षण के जरिए सीखने में मदद मिलती है, और यह ऐसे मामलों में उपयुक्त होता है, जब स्कूल के सभी विद्यार्थियों को वह प्रयोग या अन्वेषण अलग-अलग करवाने के लिए आवश्यक संसाधनों या समय का वहन नहीं कर सकता है। केवल शिक्षक या पाठ्य-पुस्तक द्वारा दी गई व्याख्याओं की तुलना में इससे विद्यार्थियों को संलग्न होने के अधिक अवसर मिल सकते हैं।
अन्य किसी भी शिक्षण युक्ति की तरह, प्रयोग प्रदर्शन के लिए भी योजना बनाना महत्वपूर्ण है। प्रयोग प्रदर्शन को कक्षा में संचालित करने से पहले उसका अभ्यास करने से भी मदद मिलती है। कोई प्रयोग प्रदर्शन करने के दौरान, यदि आपको कोई ऐसे परीक्षण करने हों, जिनमें आपको सावधानीपूर्वक इस्तेमाल होने वाले रसायनों या उपकरणों का उपयोग करना हो तो आपको अपने विद्यार्थियों को बरती जाने वाली सावधानियों के बारे मे सचेत कर देना होगा।
जब शिक्षक प्रयोग प्रदर्शन सामग्री के साथ कक्षा में पहुंचता है, तो विद्यार्थी और अधिक रुचि लेते हैं और पाठ के प्रति और उत्सुक हो जाते हैं। उनकी रुचि कायम रखना महत्वपूर्ण है, और इसके लिए आपके द्वारा प्रश्न पूछना और उनका ध्यान केंद्रित रखने वाली अन्य कार्यनीतियां अपनाना ज़रूरी हो जाता है। प्रयोग प्रदर्शन के दौरान कक्षा को संभालना भी महत्वपूर्ण है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पीछे बैठे विद्यार्थियों समेत कोई भी विद्यार्थी, सीखने की प्रक्रिया से वंचित न हो।
प्रयोग प्रदर्शन आपके विद्यार्थियों की सीखने की क्रिया में अच्छा-खासा बदलाव ला सकते हैं। अपने शिक्षण कार्य में उन्हें शामिल करना स्पष्ट रूप से उचित है।
शिक्षक हमेशा अपने विद्यार्थियों से प्रश्न पूछते रहते हैं प्रश्नों का अर्थ ये होता है कि शिक्षक सीखने और सीखते रहने में अपने विद्यार्थियों की मदद कर सकते हैं। एक शिक्षक औसतन अपना एक तिहाई समय विद्यार्थियों से प्रश्न पूछने में बिताता है (हेस्टिंग्स, 2003)। पूछे गए प्रश्नों में से, 60 प्रतिशत में तथ्यों को दोहराया गया था और 20 प्रतिशत प्रक्रियात्मक थे (हैती, 2012), जिनमें से ज्यादातर के उत्तर सही या गलत में थे। लेकिन क्या सिर्फ सही या गलत में उत्तर वाले सवाल पूछने से सीखने को प्रोत्साहन मिलता है?
विद्यार्थियों से कई अलग अलग तरह के प्रश्न पूछे जा सकते हैं। शिक्षक किस तरह के उत्तर और परिणाम पाना चाहते हैं? उनसे पता चलता है कि शिक्षक को किस तरह के प्रश्न पूछने चाहिए। शिक्षक आमतौर पर विद्यार्थियों से प्रश्न पूछते हैं, ताकि वे.
प्रश्नों का उपयोग आमतौर पर यह देखने के लिए किया जाता है कि विद्यार्थी क्या जानते हैं? इसलिए यह उनकी प्रगति का आंकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रश्नों का उपयोग प्रेरणा देने तथा विद्यार्थियों के सोचने के कौशल को बढ़ाने और मन में जिज्ञासा विकसित करना में भी किया जा सकता है। उन्हें मोटे तौर पर दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है.
खुला प्रश्न विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तक पर आधारित वास्तविक उत्तरों से परे जाकर सोचने को प्रोत्साहित करते हैं, इनसे शिक्षकों को भी सामग्री के बारे में विद्यार्थी की समझ का आंकलन करने में मदद मिलती है।
कई शिक्षक एक सेकंड से भी कम समय में अपने प्रश्न का उत्तर चाहते हैं और इसलिए अक्सर वे स्वयं ही प्रश्न का उत्तर दे देते हैं या प्रश्न को दूसरी तरह से दोहराते हैं (हेस्टिंग्स, 2003)। विद्यार्थियों को केवल प्रतिक्रिया देने का समय मिलता है उनके पास सोचने का समय ही नहीं होता! अगर आप उत्तर लिए कुछ सेकंड इंतजार करते हैं तो विद्यार्थी को सोचने के लिए समय मिल जाएगा। इसका विद्यार्थियों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रश्न को प्रस्तुत करने के बाद इंतजार करने से निम्नांकित में वृद्धि होती है:
आप दिए गए सभी उत्तरों को जितने सकारात्मक ढंग से स्वीकार करते हैं, विद्यार्थी भी उतना ही ज्यादा सोचना और कोशिश करना जारी रखेंगे। यह सुनिश्चित करने के कई तरीके हैं कि गलत उत्तरों और गलत धारणाओं को सुधार दिया जाए, और यदि एक विद्यार्थी के मन में कोई गलत विचार है तो आप निश्चित रूप से यह मान सकते हैं कि कई अन्य विद्यार्थियों के मन में भी वही गलत धारणा होगी। आप निम्नलिखित का प्रयास कर सकते हैं:
सभी उत्तरों को ध्यान से सुनकर और आगे समझाने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करके उन्हें महत्व दें। उत्तर चाहे सही हो या गलत, लेकिन यदि आप विद्यार्थियों से अपने उत्तरों को विस्तार में समझाने को कहते हैं, तो अक्सर विद्यार्थी अपनी गलतियाँ स्वयं ही सुधार लेंगे इस तरह आप एक विचारशील कक्षा का विकास करेंगे और आपको वास्तव में पता चलेगा कि आपके विद्यार्थी कितना सीख गए हैं? और अब आपको किस तरह आगे बढ़ना चाहिए? यदि, गलत उत्तर देने पर अपमान या सज़ा मिलती है, तो दोबारा शर्मिंदगी या डांट के डर से आपके विद्यार्थी कोशिश करना ही छोड़ देंगे।
यह महत्वपूर्ण है कि आप प्रश्नों का एक ऐसा क्रम अपनाने की कोशिश करें, जो सही उत्तर पर ख़त्म न होता हो। सही उत्तरों के बदले फॉलो-अप प्रश्न पूछने चाहिए, जो विद्यार्थियों का ज्ञान बढ़ता है और उन्हें शिक्षक के साथ संलग्न होने का मौका देते है। आप इसके लिए बात.चीत कर सकते हैं.
विद्यार्थियों की ज्यादा गहराई में जाकर सोचने में मदद करना और उनके उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना आपकी भूमिका का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। निम्नलिखित कौशल अधिक उपलब्धि हासिल करने में विद्यार्थियों की मदद करते हैं:
एक शिक्षक के रूप में, आपको ऐसे प्रश्न पूछने चाहिए जो प्रेरित करने वाले और चुनौतीपूर्ण देते हों, ताकि आप अपने विद्यार्थियों से रोचक और आविष्कारक उत्तर पा सकें। आपको उन्हें सोचने का समय देना चाहिए और आप सचमुच यह देखकर चकित रह जाएंगे कि आपके विद्यार्थी कितना कुछ जानते हैं और आप सीखने में उनकी प्रगति में कितनी अच्छी तरह मदद कर सकते हैं।
याद रखें कि प्रश्न यह जानने के लिए नहीं पूछे जाते कि शिक्षक क्या जानते हैं? बल्कि वे यह जानने के लिए पूछे जाते हैं कि विद्यार्थी क्या जानते हैं? यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपको कभी भी अपने स्वयं के प्रश्नों का जवाब नहीं देना चाहिए! यदि विद्यार्थियों को यह पता ही हो कि वे आगे कुछ सेकंड तक चुप रहते हैं, तो आप स्वयं ही उत्तर दे देंगे, तो फिर उन्हें उत्तर देने का प्रोत्साहन कैसे मिलेगा?
विषय: मंड का परीक्षण
कक्षा: VII
अवधि: 40 मिनट
सामान्य लक्ष्य: विद्यार्थी यह समझ सकेंगे कि खाद्य-पदार्थों में मंड की उपस्थिति का परीक्षण किया जा सकता है।
अनुदेशात्मक उद्देश्य: इस पाठ के बाद विद्यार्थी.
परिचय: विद्यार्थियों में रुचि और उत्सुकता जागृत होगी और कुछ सरल प्रश्न जैसे, ‘कार्बोहायड्रेट युक्त खाद्य-पदार्थ क्यों आवश्यक हैं?’ और ‘पौधों में कार्बोहायड्रेट का भंडारण किस प्रकार होता है?’, के द्वारा, विषय के उनके पूर्व-ज्ञान की जांच भी हो जाएगी। इसके बाद उत्तरों को ब्लैकबोर्ड पर लिखा जाएगा और उनका उपयोग करते हुए विद्यार्थियों को यह बताया जाएगा कि खाद्य-पदार्थ में मंड का पता लगाने के लिए एक सरल सा परीक्षण किया जा सकता है और वे देखेंगे कि इसे कैसे किया जाता है।
उपकरण व सामग्रिय्रयां: साफ परखनलियों समेत एक परखनली की रैक, एक ड्रॉपर, विभिन्न प्रकार के खाद्य-पदार्थ, टिंक्चर आयोडीन और जल।
शिक्षण सहायक सामग्री: ऊर्जा देने वाले खाद्य-पदार्थों के चित्र वाला एक चार्ट तथा ब्लैकबोर्ड।
बैठने की व्यवस्था इस प्रकार की जाती है कि प्रत्येक विद्यार्थी प्रयोग प्रदर्शन देख सके।
प्रयोग प्रदर्शन का उद्देश्य | विद्यार्थियों में रुचि जागृत करना विद्यार्थियों को मंड का परीक्षण दिखाना |
अधिगम उद्देश्य | प्रयोग प्रदर्शन के अंत तक, विद्यार्थी इनमें समर्थ हो जाएंगे:
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आवश्यक संसाधन | विभिन्न खाद्य-पदार्थ, जैसे रोटी, चावल, फल, बीज, पालक, पनीर आदि। आयोडीन और पिपेट छोटी तश्तरियां कचरे की बाल्टी |
प्रयोग प्रदर्शन की योजना | ||
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सुरक्षा | विद्यार्थी कई भिन्न प्रसंगों में शब्द‘ऊर्जा’ का सामना करेंगे। इससे वे भौतिकी (ऊर्जा स्थानान्तरण), रसायन विज्ञान (ऊर्जा उत्पन्न कैसे की जाती है) और जीव-विज्ञान (जीवित प्राणी ऊर्जा कैसे प्राप्त करते हैं) में सीखी गई बातों को एक साथ रख पाएंगे। | |
विद्यार्थियों की स्थिति | पहले सूची बना लें कि किसे सबसे आगे फर्श पर बैठाएं, कुछ को कुर्सियों पर बैठाएं और लंबे विद्यार्थियों को पीछे खड़ा करें। | |
परिचय | भोजन में उपस्थित पोषक-तत्वों पर किए गए कार्य की समीक्षा करें किन खाद्य-पदार्थों में कौन से पोषक तत्व उपस्थित हैं, इसकी पहचान खाद्य-परीक्षण से करते हैं | |
चरण 1 | मंड-युक्त खाद्य-पदार्थ का परीक्षण कर सकारात्मक अभिक्रिया दर्शाएं मंड-विहीन खाद्य-पदार्थ का परीक्षण कर नकारात्मक अभिक्रिया दर्शाएं | विद्यार्थियों से अभिक्रियाओं का वर्णन करने के लिए कहें। विद्यार्थियों से अभिक्रियाएं ब्लैकबोर्ड पर लिखने को कहें। |
चरण 2 | भिन्न-भिन्न खाद्य पदार्थों का परीक्षण करें। खाद्य-पदार्थों के नाम ब्लैकबोर्ड पर बनाई गई परिणाम तालिका में लिखें। | विद्यार्थी तालिका की नक़ल उतारते हैं और अपने परिणाम एवं अपने निष्कर्ष लिखते हैं। |
चरण 3 | चार और (दो मंड-युक्त और दो मंड-विहीन) खाद्य पदार्थों का परीक्षण करें | मंड-युक्त खाद्य पदार्थों के विचार को सुदृढ़ करने के लिए, विद्यार्थियों से परिणाम का पूर्वानुमान लगाने को कहें |
चरण 4 | प्रश्नों के साथ सारंश देकर प्रयोग प्रदर्शन समाप्त करें | मंड का परीक्षण क्या है? किस प्रकार के खाद्य-पदार्थ मंड-युक्त होते हैं? किस प्रकार के खाद्य-पदार्थ मंड-विहीन होते हैं? |
विषय-वस्तु | शिक्षक क्रियाकलाप | विद्यार्थी क्रियाकलाप | शिक्षण सहायक सामग्री | ब्लैकबोर्ड सारांश |
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कुछ खाद्य-पदार्थों में कार्बोहायड्रेट की भरपूर मात्रा होती है और उनसे हमें ऊर्जा मिलती है। उन्हें हम ऊर्जादायी खाद्य-पदार्थ कहते हैं। कार्बोहायड्रेट एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है और पौधों में यह मंड एवं शर्करा के रूप में भंडारित रहता है। | ‘ऊर्जादायी खाद्य-पदार्थ’ के चित्रों की ओर संकेत करते हुए कहते है की ‘कुछ खाद्य-पदार्थ हमें ऊर्जा देते हैं, पर क्या हमारे हाथ में कटोरा भर चावल या आलू पकड़ लेने से यह संभव हो जाएगा?’ | उत्तर देते हैं कि उसे खाना आवश्यक है। | ऊर्जादायी खाद्य-पदार्थों के चित्रों वाला चार्ट | विद्यार्थियों के उत्तर |
आयोडीन से खाद्य-पदार्थ का परीक्षण करके मंड की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है। | आयोडीन का तनु विलयन तैयार करता है और कहतेहै कि मंड पर आयोडीन डालने से वह नीला-काला हो जाता है | प्रयोग प्रदर्शन का प्रेक्षण करते हैं | खाद्य-पदार्थों में मंड की उपस्थिति का परीक्षण करना मंड में आयोडीन डालने से वह नीला-काला हो जाता है | |
मंड में आयोडीन डालने पर वह नीले-काले रंग का हो जाता है, इसलिए केवल मंड-युक्त खाद्य पदार्थों का रंग ही बदल कर नीला-काला हो जाएगा | प्रत्येक प्रकार के खाद्य-पदार्थ की थोड़ी सी मात्रा एक-एक परखनली में रखता है और विद्यार्थियों से आयोडीन डालने से पहले और बाद का रंग लिखने के लिए कहते है। इसके बाद, खाद्य-पदार्थ पर आयोडीन की कुछ (एक या दो) बूंदें डालता है | आयोडीन डालने से पहले और बाद के रंग के बारे में प्रतिक्रिया देते हैं | खाद्य-पदार्थ और रंग-परिवर्तन इंगित करने वाली तालिका | |
परीक्षण करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां के बारे में विद्यार्थियों के बताता है | संक्षेप में सावधानियां नोट करते हैं |
अच्छे पाठों की योजना बनाना ज़रूरी होता है। योजना बनाने से आपके पाठों को अधिक स्पष्ट और सुनियोजित करने में मदद मिलती है, जिसका अर्थ यह है कि विद्यार्थी सक्रिय होते हैं और इसमें रुचि लेते हैं। प्रभावी नियोजन में कुछ अंतर्निहित लचीलापन भी शामिल होता है ताकि अध्यापक पढ़ाते समय अपने विद्यार्थियों की शिक्षण-प्रक्रिया के बारे में कुछ पता चलने पर उसके प्रति अनुक्रिया कर सकें। पाठों की श्रृंखला के लिए योजना पर काम करने में विद्यार्थियों और उनके पूर्व-शिक्षण को जानना, पाठ्यचर्या के माध्यम से प्रगति के क्या अर्थ है? और विद्यार्थियों के पढ़ने में मदद करने के लिए सर्वोत्तम संसाधनों और गतिविधियों की खोज करना शामिल होता है।
नियोजन एक सतत प्रक्रिया है जो आपको अलग-अलग पाठों और साथ एक के ऊपर एक के बाद एक विकसित होते पाठों की श्रृंखला, दोनों की तैयारी करने में मदद करती है। पाठ योजना के चरण ये हैं.
जब आप किसी पाठ्यचर्या का पालन करते हैं , तो नियोजन का पहला भाग यह निश्चित करना होता है कि पाठ्यक्रम के विषयों और प्रसंगों को खंडों या टुकड़ों में किस सर्वोत्तम ढंग से विभाजित किया जाय। आपको विद्यार्थियों के प्रगति करने तथा कौशलों और ज्ञान का क्रमिक रूप से विकास करने के लिए उपलब्ध समय और तरीकों पर विचार करना होगा। आपके अनुभव या सहकर्मियों के साथ चर्चा से आपको पता चल सकता है कि किसी विषय के लिए चार सत्र लगेंगे, लेकिन किसी अन्य विषय के लिए केवल दो। आपको इस बात से अवगत रहना चाहिए कि आप भविष्य में उस सीख पर अलग तरीकों से और अलग अलग समयों पर कब लौट सकते हैं जब अन्य विषय पढ़ाए जाएंगे या विषय को विस्तारित किया जाएगा।
सभी पाठ योजनाओं में आपको निम्न बातों के बारे में स्पष्ट रहना होगा.
आप शिक्षण को सक्रिय और रोचक बनाना चाहेंगे ताकि विद्यार्थी सहज और उत्सुक महसूस करें। इस बात पर विचार करें कि पाठों की श्रृंखला में विद्यार्थियों से क्या करने को कहा जाएगा ताकि आप न केवल विविधता और रुचि बल्कि लचीलापन भी बनाए रखें। योजना बनाएं कि जब आपके विद्यार्थी पाठों की श्रृंखला में से प्रगति करेंगे तब आप उनकी समझ की जाँच कैसे करेंगे यदि कुछ भागों को अधिक समय लगता है या वे जल्दी समझ में आ जाते हैं तो समायोजन करने के लिए तैयार रहें।
पाठों की श्रृंखला को नियोजित कर लेने के बाद, प्रत्येक पाठ को उस प्रगति के आधार पर अलग से नियोजित करना होगा जो विद्यार्थियों ने उस बिंदु तक की है। आप जानते हैं या पाठों की श्रृंखला के अंत में यह आप जान सकेंगे कि विद्यार्थियों ने क्या सीख लिया होगा, लेकिन आपको किसी अप्रत्याशित चीज को फिर से दोहराने या अधिक शीघ्रता से आगे बढ़ने की जरूरत हो सकती है। इसलिए हर पाठ को अलग से नियोजित करना चाहिए ताकि आपके सभी विद्यार्थी प्रगति करें और सफल तथा सम्मिलित महसूस करें।
पाठ की योजना के भीतर आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक गतिविधि के लिए पर्याप्त समय है और कि सभी संसाधन तैयार हैं, जैसे क्रियात्मक कार्य या सक्रिय समूहकार्य के लिए। बड़ी कक्षाओं के लिए सामग्रियों के नियोजन के हिस्से के रूप में आपको अलग अलग समूहों के लिए अलग अलग प्रश्नों और गतिविधियों की योजना बनानी पड़ सकती है।
जब आप नए विषय पढ़ाते हैं, आपको आत्मविश्वासी होने के लिए अभ्यास करने और अन्य अध्यापकों के साथ विचारों पर बातचीत करने के लिए समय की जरूरत पड़ सकती है।
तीन भागों में अपने पाठों को तैयार करने के बारे में सोचें। इन भागों पर नीचे चर्चा की गई है।
पाठ के शुरू में, विद्यार्थियों को समझाएं कि वे क्या सीखेंगे? और करेंगे, ताकि हर एक को पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है? विद्यार्थी जो पहले से ही जो जानते हैं उन्हें उसे साझा करने की अनुमति देकर वे जो करने वाले हों उसमें उनकी दिलचस्पी पैदा करें।
विद्यार्थी जो कुछ पहले से जानते हैं उसके आधार पर सामग्री की रूपरेखा बनाएं। आप स्थानीय संसाधनों, नई जानकारी या सक्रिय पद्धतियों के उपयोग का निर्णय ले सकते हैं जिनमें समूहकार्य या समस्याओं का समाधान करना शामिल है। अपनी कक्षा में आप जिन संसाधनों और तरीकों का उपयोग करेंगे, उनकी पहचान करें। विविध प्रकार की गतिविधियों, संसाधनों, और समयों का उपयोग पाठ के नियोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप विभिन्न पद्धतियों और गतिविधियों का उपयोग करते हैं, तो आप अधिक विद्यार्थियों तक पहुँचेंगे क्योंकि वे भिन्न तरीकों से सीखेंगे।
हमेशा यह पता लगाने के लिए समय (पाठ के दौरान या उसकी समाप्ति पर) रखें कि कितनी प्रगति की गई है। जाँच करने का अर्थ हमेशा परीक्षा ही नहीं होता है। आम तौर पर उसे शीघ्र और उसी जगह पर होना चाहिए – जैसे नियोजित प्रश्न या विद्यार्थियों को जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे प्रस्तुत करते देखना लेकिन आपको लचीला होने के लिए और विद्यार्थियों के उत्तरों से आपको जो पता चलता है उसके अनुसार परिवर्तन करने की योजना बनानी चाहिए।
पाठ को समाप्त करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है शुरू के लक्ष्यों पर वापस लौटना और विद्यार्थियों को इस बात के लिए समय देना कि वे एक दूसरे को और आपको उस शिक्षण से हुई उनकी प्रगति के बारे में बता सकें। विद्यार्थियों की बात को सुनकर आप सुनिश्चित कर सकेंगे कि आपको पता रहे कि अगले पाठ के लिए क्या योजना बनानी है?
हर पाठ का पुनरावलोकन करें और यह बात रिकार्ड करें कि आपने क्या किया? आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा? किन संसाधनों का उपयोग किया गया और सब कुछ कितनी अच्छी तरह से संपन्न हुआ? ताकि आप अगले पाठों के लिए अपनी योजनाओं में सुधार या उनका समायोजन कर सकें। उदाहरण के लिए, आप निम्नलिखित के सम्बन्ध में निर्णय कर सकते हैं.
सोचें कि आप विद्यार्थियों के सीखने में मदद के लिए क्या योजना बना सकते थे? या अधिक बेहतर कर सकते थे।
जब आप हर पाठ में से गुजरेंगे आपकी पाठ संबंधी योजनाएं अपरिहार्य रूप से बदल जाएंगी, क्योंकि आप हर होने वाली चीज का पूर्वानुमान नहीं कर सकते। अच्छे नियोजन का अर्थ यह है कि आप जानते हो कि आप शिक्षण को किस तरह से करना चाहते हैं और इसलिए जब आपको अपने विद्यार्थियों के वास्तविक शिक्षण के बारे में पता चलेगा तब आप लचीले ढंग से उसके प्रति अनुक्रिया करने के लिए तैयार रहेंगे।
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।