आप संभवतः पहले ही इकाई विचार-मंथन– ध्वनि में विचार-मंथन के बारे में सीख चुके हैं, जिसमें आपने जाना है कि यह विद्यार्थियों के पूर्व-ज्ञान और विचारों को जानने का एक तरीका है। अवधारणा मानचित्रण एक बिल्कुल अलग पर एक पूरक तकनीक है, जो विचारों के संगठन और अवधारणाओं के बीच के सम्बन्ध स्थापित करती है। (शब्द ‘अवधारणा’ का उपयोग ऐसे किसी भी शब्द या वाक्यांश के अर्थ में किया जाता है, जिसका कोई वैज्ञानिक अर्थ हो।) अवधारणाओं को एक तीर से जोड़ा जाता है और शब्द, उस जुड़ाव के बारे में समझाते हैं। तीर की दिशा बताती है कि वाक्य किस दिशा में पढ़ा जाना चाहिए। इसका एक उदाहरण चित्र 1 में दिया गया है।
अवधारणा मानचित्र, देख कर सीखने वालों को विशेष रूप से आकर्षित करते हैं, पर सभी विद्यार्थी इनके उपयोग से लाभान्वित हो सकते हैं, क्योंकि ये मानचित्र असल में एक कार्यनीति है, जिसका उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। इस इकाई का लक्ष्य ‘जल प्रकरण’ के माध्यम से आपकी इस समझ को विकसित करना कि अवधारणा मानचित्रण का उपयोग शिक्षण कार्यनीति और मूल्यांकन के साधन के रूप में कैसे किया जा सकता है
आप जो विषय पढ़ाते हैं, आपके सभी विद्यार्थियों को उनमें से अधिकांश का कुछ न कुछ ज्ञान अवश्य होगा, परन्तु विद्यार्थियों के विचार और समझ अलग-अलग होंगे तथा यह आवश्यक नहीं कि वे वैज्ञानिक समझ के समान हों। एक शिक्षक होने के नाते आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप विषय के आरंभ में और अंत में, अपने विद्यार्थियों के ज्ञान और समझ का मूल्यांकन करें, जिससे आपको पता चल सके कि उन्होंने क्या सीखा है
अवधारणा मानचित्रण महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे–
संसाधन 1, ‘प्रगति और प्रदर्शन का मूल्यांकन करना’, आपको इस बारे में आन्तरिक जानकारी देता है कि आपको विद्यार्थियों की प्रगति पर नज़र रखने के लिए उनको सीखनें में मदद देने तथा उन्हें अधिक प्रभावी ढंग से विस्तृत योजना बनाने के लिए अवधारणा मानचित्रण जैसी तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता क्यों है? इससे पहले कि आप कोई अवधारणा मानचित्रण का कार्य स्वयं आज़माएं प्रारंभिक आकलन (फ़ॉर्मेटिव असेसमेंट) वाला अनुभाग पढ़ें, जिससे आप उनकी रचना करने में शामिल सोच को समझ सकें।
अब क्रियाकलाप 1 करके देखें।
इससे पहले कि आप अपने शिक्षण में अवधारणा मानचित्रों का उपयोग करने के बारे में अधिक जानें आपको मानचित्र बनाने की प्रक्रिया की प्रकृति को समझना होगा। संसाधन 2 उदाहरण द्वारा सरल मानचित्र बनाने के लिए समझाता है। पहले उसे पढ़ें और फिर निम्नांकित अवधारणाओं का उपयोग करते हुए अपने स्वयं के अवधारणा मानचित्र बनाएं–
अब इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए–
अवधारणा मानचित्र में प्रयुक्त शब्दों के बीच में संपर्क बनाने पर बल देने से आपको अपनी समझ को जानने में मदद मिलती है। अवधारणा मानचित्र बहुत सरल भी हो सकते हैं और बहुत जटिल तथा पदानुक्रमिक संरचना वाले भी है, जिनमें सामान्य अवधारणाएं शीर्ष पर होती हैं और अधिक विशिष्ट अवधारणाएं तल पर में होती हैं (देखें चित्र 2)।
आप अवधारणाओं को सामान्य से विशिष्ट में क्रमबद्ध किए बिना भी अवधारणा मानचित्रण का उपयोग कर सकते हैं। छोटे विद्यार्थियों के मामले में, आप कम और ऐसे शब्दों का उपयोग करेंगे जो आपके द्वारा सिखाए जा रहे विषय से निकट रूप से जुड़े हों और पदानुक्रम वाले मानचित्रों पर ध्यान नहीं देंगे। अधिक आयु वाले विद्यार्थियों के साथ, आप पदानुक्रमिक मानचित्र बनाने का प्रयास कर सकते हैं, पर ऐसे अवधारणा मानचित्रों के माध्यम से काफ़ी सारी मूल्यांकन जानकारी एकत्र की जा सकती है, जो पदानुक्रमिक नहीं हैं। आप अपने विद्यार्थियों की समझ की खोज करने के लिए अवधारणा मानचित्रों का उपयोग अपने शिक्षण में कर पाएं, इससे पहले आपको अपने विद्यार्थियों को उनसे परिचित कराना होगा। पर सबसे पहले आपको इस बात पर विचार करना होगा कि आप ऐसे मानचित्रों के अर्थ को किस प्रकास समझ सकते हैं।
अवधारणा मानचित्र निम्नांकित के द्वारा आपको बताएगा कि आपके विद्यार्थी क्या समझते हैं:
संसाधन 3 उस जल अवधारणा मानचित्र का एक और उदाहरण दिखाता है, जिसे आपने क्रियाकलाप 1 में बनाया था। इस अवधारणा मानचित्र की तुलना संसाधन 2 में दिए गए अवधारणा मानचित्र से करें। निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें–
संसाधन 3 में अवधारणा मानचित्र द्वारा उजागर की गई एक गलत धारणा यह है कि अणुओं के इर्द-गिर्द जल होता है। इससे यह संकेत मिलता है कि विद्यार्थी यह मानता है कि जल अणुओं से मिलकर नहीं बना, बल्कि अणु उसका भाग हैं। ‘इलेक्ट्रॉन’ की अवधारणा के पास का केवल एक संपर्क है जिससे यह संकेत मिलता है कि यह अवधारणा भली प्रकार समझी नहीं गई है। सरल संपर्क शब्दों और वाक्यांशों का उपयोग भी यह दर्शाता है कि विद्यार्थी में आत्मविश्वास या परिष्कृत समझ का अभाव है।
![]() विचार के लिए रुकें
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जब आपके विद्यार्थी अवधारणा मानचित्र बनाने में समर्थ हो जाएंगे, तो आप उनकी समझ और प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए इन मानचित्रों का उपयोग कर सकेंगे। सबसे पहला कदम है, अपने विद्यार्थियों को अवधारणा मानचित्र बनाना सिखाना। अगली कसे स्टडी यह दिखाती है कि एक शिक्षक ने अपने शिक्षण में अवधारणा मानचित्रों का उपयोग कैसे किया
श्रीमती मोहंती अपनी सातवीं कक्षा को जल के बारे में पढ़ाने जा रही थीं। वे समझाती हैं कि किस प्रकार उन्होंने जल चक्र के बारे में पढ़ाना शुरू करने से पहले अवधारणा मानचित्रण का उपयोग करके यह जाना कि उनके विद्यार्थी जल के बारे में क्या जानते हैं
मैं जानना चाहती थी कि मेरे विद्यार्थी जल के बारे में पहले से क्या जानते हैं? मैंने पाठ्यपुस्तक के अध्याय में से मुख्य शब्द पहले ही चुन लिए थे। कक्षा में मैंने डेस्क पर एक गिलास में गंदा पानी तथा दूसरे गिलास में साफ पानी रख दिया, जिससे सभी बच्चे उसे देख सकें। मैंने विद्यार्थियों से पूछा कि जब उन्होंने जल के बारे में सोचा और गंदे तथा साफ़ जल को देखा तो उनके मन में क्या आया? मैंने ब्लैकबोर्ड के बीचोंबीच एक गोले में ‘जल’ लिख दिया। जैसे-जैसे वे अपने विचार मुझे बताते गए, मैं उन्हें शब्द ‘जल’ के चारों ओर लिखती गई। जब सारे विचार समाप्त हो गए, तो मैंने उन दस मुख्य शब्दों के नीचे रेखा खींच दी, जो विषय में थे। इसके बाद मैंने उन्हें किसी सहपाठी के साथ कार्य करते हुये शब्दों के जोड़ों के बीच सम्पर्क बनाने के लिये कहा। मैंने उन्हें यह उदाहरण दिया–
बर्फ पिघलती है और बन जाती है जल।
इसके बाद मैंने जांचा कि वे इसे समझ गए हैं या नहीं। इसके लिए मैंने उन्हें दो और शब्द दिए, ‘जल’ और ‘भाप’।
फिर मैंने उनसे कहा कि उन्हें में 15 मिनट तक कार्य करना है और मुझे संपर्क शब्द ला कर देने हैं, और यदि वे चाहें, तो और संपर्क भी बना सकते हैं। यह बहुत ही रोचक था। विद्यार्थियों ने दो शब्दों को कई तरीकों से जोड़ना शुरू कर दिया, जैसे–
जल बदल कर बन जाता है भाप
भाप अलग है जल से
जब मैं निश्चित हो गई कि वे इसे समझ गए हैं, तो मैंने उनसे कहा कि वे किसी सहपाठी के साथ कार्य करते हुए, शब्दों के जोड़ों के बीच अधिकतम संभव संपर्क बनाएं। इसके बाद मैंने उन्हें दिखाया कि शब्दों को मानचित्र के रूप में कैसे जोड़ा जा सकता है, और फिर उन्होंने जोड़ियों में कार्य करते हुए अपने खुद के मानचित्र बनाए।
अवधारणा मानचित्रों ने विद्यार्थियों के पूर्व-ज्ञान के बारे में मुझे अधिक जानकारी दी। अधिकांश को जल की अवस्थाओं की अच्छी जानकारी थी, पर कुछ को ही प्रदूषण की अथवा वह होता कैसे है इसकी जानकारी थी। तो मैंने अगले पाठ को इसी पर केंद्रित करना तय किया।
![]() विचार के लिए रुकें शुरुआत में अवधारणा मानचित्र बनाना कठिन हो सकता है और विद्यार्थियों को इसे करके सिखाना ज़रूरी होता है? श्रीमती मोहंती ने अवधारणा मानचित्रण को समझने में अपने विद्यार्थियों की मदद कैसे किया? |
इस इकाई के अंत में संसाधन 4 में ‘पाठों की योजना बनाना’ में आपको योजना बनाने के कुछ ऐसे मुख्य सिद्धांत समझाए गए हैं, जिस पर आपका नियोजन अधिक केंद्रित रह सकता है।
जैसा कि हर नई चीज के साथ होता है, उसी प्रककार विद्यार्थियों को अवधारणा मानचित्र बनाना सीखने में सममय लगता है। अगली केस स्टडी में, श्रीमती भाटिया समझाती हैं कि उन्होंने अपने विद्यार्थियों को अवधारणा मानचित्रण के बारे में कैसे समझाया
मेरा नाम श्रीमती भाटिया है। मैं अपने विद्यार्थियों को जल का रसायन-विज्ञान पढ़ाते समय अवधारणा मानचित्रों का उपयोग करना चाहती थी।
सबसे पहले मुझे उन्हें यह सिखाना था कि अवधारणा मानचित्र कैसे बनाते हैं? इसे सिखाने के लिए मैंने बतौर मॉडल एक सरल, व परिचित विषय चुना जो उस विषय से अलग था जिसे मैं पढ़ाने जा रही थी। ऐसा मैंने इसलिए किया, क्योंकि मैं चाहती थी कि वे विषय की बजाए अवधारणा मानचित्रण की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करें। मैंने ‘देश’ विषय चुना था। हमने मन में उठे विचारों पर विचार-मंथन किया। मैंने छहः मुख्य शब्द चुने (‘देश’, ‘समुद्र’, ‘भूमि’, ‘राज्य’, ‘महाद्वीप’ और ‘‘सीमा’) जिससे उसे अधिकतम संभव सरल बनाया जा सके।। मैंने कागज़ के टुकड़ों पर वे शब्द इतने बड़े-बड़े लिखे कि सभी उसे देख सकें। मैंने उन्हें प्रक्रिया समझाई और ब्लैकबोर्ड पर अवधारणा मानचित्र बनाते हुए चरणों के बारे में बताया। मैंने उन्हें संलग्न करने के लिए प्रश्नों का उपयोग किया – जैसे, ‘राज्य और देश किस प्रकार जुड़े हैं?’
प्रक्रिया उन्हें दिखाने के बाद, मैंने उन्हें स्वयं मानचित्र बनाने का अवसर दिया। इस बार विषय था ‘सजीव वस्तुएं’। एक बार फिर, हमने मन में उठे विचारों पर विचार-मंथन किया। मैंने ब्लेकबोर्ड पर नौ मुख्य शब्दों पर गोले खींचे: ‘सजीव वस्तुएं’, ‘जानवर’, ‘पौधे’, ‘गाय’, ‘पेड़’, ‘घास’, ‘जल’, ‘वायु’ और ‘मनुष्य’। फिर उन्होंने स्वयं अपने मानचित्र बनाए। मैं उनके पास गई और शब्दों के जोड़ों के बीच संपर्क बनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया और उनकी मदद की। जब उन्होंने मानचित्र बना लिए, उसके बाद उन्होंने उसकी तुलना अपने किसी सहपाठी के मानचित्र से की।
![]() विचार के लिए रुकें श्रीमती भाटिया को अपने विद्यार्थियों को अवधारणा मानचित्रण के बारे में पढ़ाने के लिए क्या तैयारी करनी पड़ी होगी? |
आप क्रियाकलाप 4 कर पाएं इससे पहले आपको अपने विद्यार्थियों को अवधारणा मानचित्र बनाना सिखाना होगा।
कोई ऐसा विषय चुनें जिससे आपके विद्यार्थी परिचित हों, पर यह आवश्यक नहीं कि वह विषय वही हो, जो वे आगे पढ़ने जा रहे हैं। यह आवश्यक नहीं कि वह विषय आपके द्वारा पढ़ाई जा रही किसी चीज़ से संबंधित हो। यहां लक्ष्य यह है कि वे किसी पूरे विषय को शामिल करने वाले या उनकी समझ का मूल्यांकन करने वाले किसी अवधारणा मानचित्र को बनाने की बजाए उसकी तकनीक और प्रकृति को समझें।
सबसे पहले क्रियाकलाप की योजना बनाएं। आप निम्नलिखित सभी चरणों का पालन पाठ योजना के तौर पर कर सकते हैं या अपनी अपने इच्छानुसार उनमें संशोधन कर सकते हैं।
जल कैसा व्यवहार करता है?
जब आप यह क्रियाकलाप कर चुके हों, तो निम्नलिखित प्रश्नों पर अपने उत्तर नोट करें–
![]() विचार के लिए रुकें आप अपने कम आयु वाले विद्यार्थियों के लिए अवधारणा मानचित्रों का उपयोग कैसे कर सकते हैं? आप उन विद्यार्थियों की मदद कैसे कर सकते हैं? जिन्हें अवधारणा मानचित्रों का उपयोग करने में मुश्किल हो रही है? |
आप इन कुछ बातों पर विचार कर सकते हैं:
बात–चीत और बहस के माध्यम से अवधारणा मानचित्रण, सीखने की क्रिया को बढ़ावा दे सकता है। यह एक उद्देश्यपूर्ण क्रियाकलाप होता है, जिसमें कोई एक सही उत्तर नहीं होता है। यदि आप अपने विद्यार्थियों से दो से पांच के समूह में अवधारणा मानचित्र बनवाएं, तो आप संपर्कों पर की जा रही उनकी चर्चा को सुन सकते हैं। इससे न केवल आपको उनकी समझ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी, बल्कि आप उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे जहां उन्हें मुश्किल हो रही है। जब आप समूहों के इर्द-गिर्द घूमेंगे तो उन विद्यार्थियों को भी मदद दे सकेंगे जिन्हें मानचित्र बनाने की प्रक्रिया समझने के लिए अतिरिक्त मदद चाहिए। यदि विद्यार्थियों से अन्य समूहों के अवधारणा मानचित्रों पर टिप्पणियां करवाई जाएं, तो वे और भी ज्यादा सीख सकते हैं। अवधारणा मानचित्रण एक बेहद विद्यार्थी-केंद्रित क्रियाकलाप है, जिसे आसानी से व्यक्ति-विशेष को सिखाया जा सकता है।
![]() विचार के लिए रुकें इस तरह से अवधारणा मानचित्र का उपयोग करने के लिए आपकी शिक्षक की भूमिका पर क्या? व कैसे प्रभाव पड़ेगा? |
आप अपने शिक्षण में अवधारणा मानचित्रों का उपयोग कई तरीकों से कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आप अपने विद्यार्थियों को कुछ खाली बक्सों वाला अवधारणा मानचित्र देकर उनसे पूछ सकते हैं कि खाली बक्सों में क्या आएगा? इसी प्रकार आप उन्हें अवधारणा मानचित्र देकर, संपर्क शब्द पूरे करवा सकते हैं। संसाधन 5 अवधारणा मानचित्र के कुछ उदाहरण और उनके उपयोग के तरीकों का विस्तृत विवरण प्रदान करता है।
![]() विचार के लिए रुकें क्या आप अवधारणा मानचित्रों का उपयोग करने के कुछ और तरीके सुझा सकते हैं? |
कार्य करने के कई तरीके होने से विद्यार्थियों को आपस में बात करने के मौके मिलते हैं और इससे वे अपने विचार साझा कर पाते हैं और अपनी समझ एवं आत्मविश्वास विकसित करते हैं। एक शिक्षक के रूप में आप, ज्ञान दाता होने की बजाए वजाय एक मार्गदर्शक और एक सुगमकर्ता बन जाते हैं।
इस केस स्टडी में, श्रीमती कपूर अपनी छठवीं कक्षा को घुलनशीलता के बारे में पढ़ाते समय अवधारणा मानचित्र का उपयोग करती हैं।
मैं अपने पाठों में अवधारणा मानचित्रण का काफ़ी उपयोग करती हूँ। मेरे विद्यार्थियों को इसकी आदत हो चुकी है और उन्हें इसमें काफ़ी आनन्द आता है।
मैं अपनी कक्षा को घुलनशीलता के बारे में पढ़ा रही थी। विद्यार्थी यह खोज कर रहे थे कि जल में विभिन्न पदार्थों की घुलनशीलता क्या है? और तापमान, घुल सकने वाले पदार्थ की मात्रा को कैसे प्रभावित करता है? कुछ विद्यार्थियों को यह विषय कठिन लगता है, इसमें इतने सारे पारिभाषिक शब्द और अवधारणाएं हैं कि वे गलतफहमियों में आ जाते हैं। इस विषय के मुख्य विचारों को उनके मन में सुदृढ़ करने के लिए मैंने विषय के अवधारणा मानचित्र को ब्लैक बोर्ड पर बना दिया परन्तु उसमें सम्पर्क रेखायें नहीं बनायी [संसाधन 5]। विद्यार्थियों ने तीन या चार के छोटे-छोटे समूहों में कार्य करते हुए मानचित्र को पूरा कराया।
विद्यार्थियों ने इस क्रियाकलाप में काफी आनन्द लिया और यह उनके लिए काफ़ी उपयोगी भी रहा। इससे उन्हें पारिभाषिक शब्द और अवधारणाएं सीखने में मदद मिली साथ ही ढेर सारे रिकार्ड लिखने के स्थान पर उन्हें एक आरेखी दृश्य मिल गया। मुझे कुछ समूहों की मदद करनी पड़ी। इसके लिए मैंने उनसे प्रश्न पूछे, जिससे वे जोड़ों या शब्दों पर ध्यान केंद्रित करें। उन्हें यह याद करने में मदद की कि उन्होंने कक्षा में क्या किया था? परन्तु सभी समूहों ने अवधारणा मानचित्र पूरे कर लिए।
![]() विचार के लिए रुकें श्रीमती कपूर ने जिस तरीके से अवधारणा मानचित्र का प्रयोग किया, वह सीखने की कार्यनीति का मूल्यांकन होने से ज्यादा एक शिक्षण कार्यनीति कैसे है? |
आप, अपने शिक्षण को अनुकूलित कर सकें, इसके लिए आपके विद्यार्थी क्या समझते हैं? यह पता लगाने में अवधारणा मानचित्र हमेशा उपयोगी होते हैं। इस लिए अवधारणा मानचित्रण सीखने की कार्यनीति एक बेहद उपयोगी मूल्यांकन है। परन्तु, जब विद्यार्थी समूहों में कार्य करते हुए अवधारणा मानचित्र बनाते हैं, तब आपको इससे यह पता नहीं चलता कि वे अलग-अलग क्या समझते हैं? अतः बात–चीत करने और विचार साझे करने में इसका मूल्य अधिक है।
अब आप अपनी कक्षा को अवधारणा मानचित्रण का उपयोग करते हुए एक पाठ पढ़ाने जा रहे हैं। आप ऐसा तभी कर सकते हैं, जब आप अपने विद्यार्थियों को अवधारणा मानचित्र बनाना सिखा चुके हों।
आपको पहले से अवधारणा मानचित्र क्रियाकलाप का उद्देश्य तय करना होगा। उदाहरण के लिए क्या आप इसका उपयोग–
किसी विषय के अंत में अपने विद्यार्थियों की समझ का मूल्यांकन करने के लिए करेंगे?
वैकल्पिक तौर पर, आप संसाधन 6 में दिया गया कोई विचार प्रयोग कर सकते हैं।
इससे पहले कि आपके विद्यार्थी अवधारणा मानचित्रण क्रियाकलाप करें, आपको उन्हें यह याद दिलाना होगा कि अवधारणा मानचित्र कैसे बनाते हैं?
यदि आप इस क्रियाकलाप का उपयोग अपने विद्यार्थियों की समझ का मूल्यांकन करने के लिए कर रहे हैं, तो आप पहले से शब्द चुन सकते हैं और उनसे संसाधन 2 में दी गई कार्यविधि करवा सकते हैं। अवधारणा मानचित्र बनाने में थोड़ा समय लग सकता है। आपको क्रियाकलाप के लिए कितना समय देना है, यह आपके द्वारा चुने गए कार्य की प्रकृति पर निर्भर करेगा। सत्र से पहले इसे स्वयं करके देखना अच्छा विचार है।
जब आपके विद्यार्थी अवधारणा मानचित्र बनाएं, ततो उस दौरान आपको कक्षा मे घूम कर यह अवश्य जांचना चाहिए कि वे समझ रहे हों कि उन्हें क्या करना है, और यदि उन्हें कठिनाई हो रही हो, तो उनकी मदद करनी चाहिए। यदि संपर्क बनाने में उन्हें बहुत परेशानी हो रही हो, तो आप उनके साथ बैठ कर भी कार्य कर सकते हैं।
उनके मानचित्र एकत्र कर लें, जिससे बाद में आप उनका निरीक्षण कर सकें।
![]() विचार के लिए रुकें अवधारणा मानचित्र क्रियाकलाप पूरा कर लेने के बाद, निम्नलिखित प्रश्नों पर सोचें और रिकार्ड बनाएं:
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![]() वीडियो: निगरानी करना और फीडबैक देना |
अवधारणा मानचित्रण एक शक्तिशाली मूल्यांकन साधन है, जिससे आप अपने विद्यार्थियों की समझ को उजागर कर सकते हैं और जान सकते हैं कि वे अवधारणाओं को किस प्रकार जुड़ा हुआ देखते हैं। अवधारणा मानचित्र बनाने का कोई एक सही तरीका नहीं है और किसी विषय या अवधारणा-समूह के लिए कोई एक सही मानचित्र भी नहीं होता है। इस प्रकार, प्रत्येक व्यक्ति या समूह द्वारा बनाया गया अवधारणा मानचित्र, अनूठा होता है।
आप अवधारणा मानचित्रण को अपनी कक्षा के लिए अनुकूलित कर सकते हैं और कई तरीकों से इसका उपयोग कर सकते हैं। यह एक उपयोगी शिक्षण कार्यनीति भी है, जिसका उपयोग आप छोटे समूहकार्य और चर्चा के जरिए सीखने में अपने विद्यार्थियों की मदद करने के लिए भी कर सकते हैं। परन्तु, अवधारणा मानचित्रों का उपयोग करने का फ़ैसला लेने से पहले, आपको अपने विद्यार्थियों को इसे बनाना सिखाना होगा। ऐसा करने में समय खर्च करना पूर्णतः उपयुक्त है, क्योंकि जब विद्यार्थी अवधारणा मानचित्रण के सिद्धांत को समझ चुके हों, तो अपने शिक्षण में उपयोग हेतु यह एक बहुत सार्थक और उपयोगी तकनीक बन जाएगी।
विद्यार्थियों के शिक्षण का मूल्यांकन करने के दो उद्देश्य हैं:
निर्माणात्मक मूल्यांकन शिक्षा-प्राप्ति को बढ़ाता है, क्योंकि सीखने के लिए, अधिकांश विद्यार्थियों को:
शिक्षक के रूप में, अगर आप प्रत्येक पाठ में उपर्युक्त चार बिंदुओं पर ध्यान देंगे, तो आप अपने विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करेंगे। इस प्रकार पढ़ाने से पहले, पढ़ाते समय और पढ़ाने के बाद मूल्यांकन किया जा सकता है–
जब आप तय करते हैं कि विद्यार्थियों को पाठ या पाठों की श्रृंखला में क्या सीखना चाहिए? तो आपको उसे उनके साथ साझा करना चाहिए। सावधानी से अंतर करें कि विद्यार्थियों को आप क्या करने के लिए कह रहे हैं? और विद्यार्थियों से क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है? ऐसा प्रश्न पूछिये जिससे कि आपको इस बात का आकलन करने का अवसर प्राप्त हो कि क्या उन्होंने वास्तव में समझ लिया है या नहीं। उदाहरण के लिए–
विद्यार्थियों को जवाब देने से पहले सोचने के लिए कुछ सेकंड दें, या शायद विद्यार्थियों को पहले जोड़े या छोटे समूहों में अपने जवाब पर बात–चीत करने के लिए कहें। जब वे आपको अपना उत्तर बताएँ, आप जान जाएँगे कि क्या वे समझते हैं? कि उन्हें क्या सीखना है
आपके विद्यार्थियों में सुधार के लिए मदद करने के क्रम में आपको और उन्हें उनके ज्ञान और समझदारी की वर्तमान अवस्था को जानने की ज़रूरत पड़ेगी। जैसे ही आप वांछित शिक्षण परिणामों या लक्ष्यों को साझा कर लें, आप निम्नलिखित कर सकते हैं:
कहाँ से शुरुआत करनी है, यह जानने का मतलब है कि आप अपने विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक और रचनात्मक रूप से पाठ की योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी यह मूल्यांकन करने में सक्षम हों कि वे कितनी अच्छी तरह सीख रहे हैं, जिससे आप और वे, दोनों जान सकें कि उन्हें आगे क्या सीखने की ज़रूरत है। आपके विद्यार्थियों को स्वयं अपने शिक्षण का भार उठाने का अवसर प्रदान करने से उन्हें आजीवन शिक्षार्थी बनाने में मदद मिलेगी।
जब आप विद्यार्थियों से उनकी वर्तमान प्रगति के बारे में बात करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि उन्हें आपका फीडबैक उपयोगी और रचनात्मक, दोनों लगे। निम्नांकित के द्वारा इस काम को करें–
आपको विद्यार्थियों के लिए उनके शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए अवसर मुहैया कराने की ज़रूरत पड़ेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि पढ़ाई के मामले में विद्यार्थियों के वर्तमान स्तर और जहाँ आप उन्हें देखना चाहते हैं? इस अन्तर को भरने के लिए हो सकता है कि आपको अपनी पाठ योजना को संशोधित करना पड़े। ऐसा करने के लिए आपको निम्नलिखित कार्य करना होगा–
पाठों की रफ़तार को धीमा करके, अक्सर आप वास्तव में पढ़ाई को तेज़ करते हैं, क्योंकि आप विद्यार्थियों को उस पर सोचने और समझने का समय और आत्मविश्वास देते हैं जिसमें उन्हें सुधार लाने की ज़रूरत होती है। विद्यार्थियों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का मौक़ा देकर, और इस बात पर चिंतन करके कि अंतराल कहाँ पर है? और वे इसे किस प्रकार से ख़त्म कर सकते हैं आप उन्हें स्वयं का आकलन करने के तरीक़े मुहैया करा रहे हैं।
जब पढ़ाना-सिखना चल रहा हो और कक्षा-कार्य और गृह-कार्य निर्धारित करने के बाद, ज़रूरी है कि–
मूल्यांकन की चार प्रमुख स्थितियों में किये जाते हैं जिसकी नीचे चर्चा की गई है।
प्रत्येक विद्यार्थी, स्वयं अपनी गति और शैली में, स्कूल के अंदर और बाहर अलग प्रकार से सीखता है। इसलिए, विद्यार्थियों का मूल्यांकन करते समय आपको दो चीज़ें करनी होंगी:
भारत भर के सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे आम स्वरूप रिपोर्ट कार्ड के उपयोग के माध्यम से होता है, लेकिन इसमें आपको एक विद्यार्थी के सीखने या व्यवहार के सभी पहलुओं को रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं हो सकती है। इस काम को करने के कुछ सरल तरीक़े हैं, जिन पर भी आप विचार कर सकते हैं, जैसे कि–
जैसे ही सूचना और प्रमाण एकत्रित और अभिलिखित हो जाए, उसकी व्याख्या करना ज़रूरी है, जिससे यह समझ सकें कि प्रत्येक विद्यार्थी किस प्रकार सीख रहा है और प्रगति कर रहा है। ,इस पर सावधानी से विचार करने या विश्लेषण की आवश्यकता है। फिर आपको शिक्षण में सुधार करने, संभवतः विद्यार्थियों को फ़ीडबैक देकर या नए संसाधनों की खोज करके, समूहों को पुनर्व्यवस्थित करके, या शिक्षण बिंदु को दोहरा कर अपने निष्कर्षों पर कार्य करने की आवश्यकता है।
मूल्यांकन, विशिष्ट और विभेदक शिक्षण गतिविधियों की स्थापना द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को सार्थक रूप से सीखने के अवसर प्रदान करने, अधिक ज़रूरतमंद विद्यार्थियों की मदद पर ध्यान देना और अधिक समर्थ विद्यार्थियों को चुनौती देते हुए सार्थक शिक्षण अवसर उपलब्ध कराने में आप मदद कर सकते हैं।
अवधारणा मानचित्र बनाने का कोई एक तरीका नहीं होता है। परन्तु, ध्यान रखे जाने योग्य कुछ मुख्य सिद्धांत अवश्य हैं, जो इस प्रकार हैं–
चित्र R2.1 दो अवधारणाओं को जोड़ना।
चित्र R2.2 अवधारणा मानचित्र में तीर की दिशा महत्वपूर्ण होती है।
अवधारणा मानचित्र बनाने के निम्नलिखित निर्देश, व्हाइट व गनस्टोन (1992) रचित ‘‘समझ की टोह लेना’’ से लिए गए हैं।
चित्र R2.3 अवधारणाओं की छँटाई।
चित्र R2.4 अवधारणाओं को व्यवस्थित करना।
चित्र R2.5 अवधारणाओं को जोड़ना।
चित्र R2.6 विवरण जोड़ना।
अच्छे पाठों योजना बनाना ज़रूरी होता है। योजना बनाने से आपके पाठों को अधिक स्पष्ट और सुनियोजित करने में मदद मिलती है, जिसका अर्थ यह है कि विद्यार्थी सक्रिय होते हैं और इसमें रुचि लेते हैं। प्रभावी नियोजन में कुछ अंतर्निहित लचीलापन भी शामिल होता है जिससे अध्यापक पढ़ाते समय अपने विद्यार्थियों की शिक्षण-प्रक्रिया के बारे में कुछ पता चलने पर उसके प्रति अनुक्रिया कर सकें। पाठों की श्रृंखला के लिए योजना पर काम करने में विद्यार्थियों और उनके पूर्व-शिक्षण को जानना, पाठ्यचर्या के माध्यम से प्रगति के क्या अर्थ है? और विद्यार्थियों के पढ़ने में मदद करने के लिए सर्वोत्तम संसाधनों और गतिविधियों की खोज करना शामिल होता है।
नियोजन एक सतत प्रक्रिया है जो आपको अलग--अलग पाठों और साथ ही, एक के बाद एक विकसित होते सत्रों की श्रृंखला, दोनों की तैयारी करने में मदद करती है। पाठ योजना के चरण ये हैं–
जब आप किसी पाठ्यचर्या का पालन करते हैं, तो नियोजन का पहला भाग यह निश्चित करना होता है कि पाठ्यक्रम के विषयों और प्रसंगों को खंडों या टुकड़ों में किस सर्वोत्तम ढंग से विभाजित किया जाय। आपको विद्यार्थियों के प्रगति करने तथा कौशलों और ज्ञान का क्रमिक रूप से विकास करने के लिए उपलब्ध समय और तरीकों पर विचार करना होगा। आपके अनुभव या सहकर्मियों के साथ बात–चीत से आपको पता चल सकता है कि किसी विषय के लिए चार पाठ लगेंगे, लेकिन किसी अन्य विषय के लिए केवल दो। आपको इस बात से अवगत रहना चाहिए कि आप भविष्य में उस सीख पर अलग तरीकों से और अलग–अलग समयों पर तब लौट सकते हैं, जब अन्य विषय पढ़ाए जाएंगे या विषय को विस्तारित किया जाएगा।
सभी पाठ योजनाओं में आपको निम्नलिखित बातों के बारे में स्पष्ट रहना होगा–
आप उस शिक्षण का परिचय कैसे देंगे?
आप शिक्षण को सक्रिय और रोचक बनाना चाहेंगे जिससे विद्यार्थी सहज और उत्सुक महसूस करें। इस बात पर विचार करें कि पाठों की श्रृंखला में विद्यार्थियों से क्या करने को कहा जाएगा जिससे आप न केवल विविधता और रुचि बल्कि लचीलापन भी बनाए रखें। योजना बनाएं कि जब आपके विद्यार्थी पाठों की श्रृंखला में से प्रगति करेंगे तब आप उनकी समझ की जाँच कैसे करेंगे? यदि कुछ भागों को अधिक समय लगता है या वे जल्दी समझ में आ जाते हैं तो समायोजन करने के लिए तैयार रहें।
पाठों की शृंखला को नियोजित कर लेने के बाद, प्रत्येक पाठ को उस प्रगति के आधार पर अलग से नियोजित करना होगा जो विद्यार्थियों ने उस बिंदु तक की है। आप जानते हैं या पाठों की श्रृंखला के अंत में यह आप जान सकेंगे कि विद्यार्थियों ने क्या सीख लिया होगा? लेकिन आपको किसी अप्रत्याशित चीज को फिर से दोहराने या अधिक शीघ्रता से आगे बढ़ने की जरूरत हो सकती है। इसलिए प्रत्येक पाठ को अलग से नियोजित करना चाहिए जिससे आपके सभी विद्यार्थी प्रगति करें और सफल तथा शामिल महसूस करें।
पाठ की योजना के भीतर आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक गतिविधि के लिए पर्याप्त समय है और सभी संसाधन तैयार हैं, जैसे क्रियात्मक कार्य या सक्रिय समूहकार्य के लिए। बड़ी कक्षाओं के लिए सामग्रियों के नियोजन के हिस्से के रूप में आपको अलग अलग समूहों के लिए अलग अलग प्रश्नों और गतिविधियों की योजना बनानी पड़ सकती है।
जब आप नए विषय पढ़ाते हैं, आपको आत्मविश्वासी होने के लिए अभ्यास करने और अन्य अध्यापकों के साथ विचारों पर बातचीत करने के लिए समय की जरूरत पड़ सकती है।
तीन भागों में अपने पाठों को तैयार करने के विषय में सोचें। इन भागों पर नीचे चर्चा की गई है।
पाठ के शुरू में, विद्यार्थियों को समझाएं कि वे क्या सीखेंगे? और करेंगे, जिससे प्रत्येक को पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है? विद्यार्थी जो पहले से ही जो जानते हैं उन्हें उसे साझा करने की अनुमति देकर वे जो करने वाले हों उसमें उनकी दिलचस्पी पैदा करें।
विद्यार्थी जो कुछ पहले से जानते हैं उसके आधार पर सामग्री की रूपरेखा बनाएं। आप स्थानीय संसाधनों, नई जानकारी या सक्रिय पद्धतियों के उपयोग का निर्णय ले सकते हैं जिनमें समूहकार्य या समस्याओं का समाधान करना शामिल है। अपनी कक्षा में आप जिन संसाधनों और तरीकों का उपयोग करेंगे, उनकी पहचान करें। विविध प्रकार की गतिविधियों, संसाधनों, और समयों का उपयोग पाठ के नियोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप विभिन्न पद्धतियों और गतिविधियों का उपयोग करते हैं, तो आप अधिक विद्यार्थियों तक पहुँचेंगे, क्योंकि वे भिन्न तरीकों से सीखेंगे।
हमेशा यह पता लगाने के लिए समय (पाठ के दौरान या उसकी समाप्ति पर) रखें कि कितनी प्रगति की गई है। जाँच करने का अर्थ हमेशा परीक्षा ही नहीं होता है। आम तौर पर उसे शीघ्र और उसी जगह पर होना चाहिए जैसे– नियोजित प्रश्न या विद्यार्थियों को जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे प्रस्तुत करते देखना लेकिन आपको लचीला होने के लिए और विद्यार्थियों के उत्तरों से आपको जो पता चलता है उसके अनुसार परिवर्तन करने की योजना बनानी चाहिए।
पाठ को समाप्त करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है शुरू के लक्ष्यों पर वापस लौटना और विद्यार्थियों को इस बात के लिए समय देना कि वे एक दूसरे को और आपको उस शिक्षण से हुई उनकी प्रगति के बारे में बता सकें। विद्यार्थियों की बात को सुनकर आप सुनिश्चित कर सकेंगे कि आपको पता रहे कि अगले पाठ के लिए क्या योजना बनानी है?
प्रत्येक पाठ का पुनरावलोकन करें और इस बात को रिकार्ड करें कि आपने क्या किया? आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा? किन संसाधनों का उपयोग किया गया? और सब कुछ कितनी अच्छी तरह से संपन्न हुआ? जिससे आप अगले सत्र के लिए अपनी योजनाओं में सुधार या उनका समायोजन कर सकें। उदाहरण के लिए, आप निम्नलिखित का निर्णय कर सकते हैं–
सोचें कि आप विद्यार्थियों के सीखने में मदद के लिए क्या योजना बना सकते थे? या अधिक बेहतर कर सकते थे?
जब आप प्रत्येक पाठ में से गुजरेंगे आपकी पाठ संबंधी योजनाएं अपरिहार्य रूप से बदल जाएंगी, क्योंकि आप प्रत्येक होने वाली चीज का पूर्वानुमान नहीं कर सकते। अच्छे नियोजन का अर्थ है कि आप जानते हैं कि आप शिक्षण को किस तरह से करना चाहते हैं और इसलिए जब आपको अपने विद्यार्थियों के वास्तविक शिक्षण के बारे में पता चलेगा तब आप लचीले ढंग से उसके प्रति अनुक्रिया करने को तैयार रहेंगे।
अपने विद्यार्थियों की समझ का मूल्यांकन करने के लिए और अपने शिक्षण में तथा उनके सीखने की क्रिया में मदद करने के लिए अवधारणा मानचित्रों का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। साथ ही, आवश्यक नहीं कि प्रत्येक बार वे स्वयं ही मानचित्र बनाएं। आप निम्नांकित तरीकों से अवधारणा मानचित्रों का उपयोग कर सकते हैं–
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।