Skip to main content
Printable page generated Friday, 26 April 2024, 12:48 AM
Use 'Print preview' to check the number of pages and printer settings.
Print functionality varies between browsers.
Unless otherwise stated, copyright © 2024 The Open University, all rights reserved.
Printable page generated Friday, 26 April 2024, 12:48 AM

शिक्षक के द्वारा प्रश्न किया जाना : बल

यह इकाई किस बारे में है

बहुत से शिक्षक स्कूल में अपने पाठ के दौरान ढेर सारे प्रश्न पूछते हैं। लेकिन इनमें से कितने प्रश्न विद्यार्थियों के चिंतन में महत्वपूर्ण सहायता देते हैं। दरअसल शिक्षक अक्सर कक्षा में अपना आधे से अधिक समय प्रश्न पूछने में लगाते हैं। बहुत से प्रश्नों के लिए केवल एक शब्द के उत्तर की आवश्यकता होती है और विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए बहुत कम समय दिया जाता है। अतः बहुत से विद्यार्थी पाठ से जुड़ने को लेकर उत्साहित नहीं होते हैं।

फिर भी विद्यार्थियों के चिंतन और भागीदारी को प्रेरित करने के लिए कक्षा में प्रश्नों का अनेक तरीकों का उपयोग किया जा सकता है और उसे ज्यादा प्रभावी तरीके से बनाया जा सकता है। यह इकाई प्रश्नों के ऐसे सर्वाधिक प्रभावी प्रकारों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करती है। जिनका कि शिक्षक विद्यार्थियों के चिंतन को बढ़ावा देने और उनकी पढ़ाई को विस्तारित करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा यह आपको स्वयं अपने पाठों में भी इनमें से कुछ प्रविधियों और कौशलों को आज़माने का अवसर भी प्रदान करती है। बलों और उनके गुणधर्मों की खोज करने वाली गतिविधियों के ज़रिये आप इस बात का पता लगाएंगे कि किस प्रकार से प्रश्न विद्यार्थियों की गहन समझ को विकसित करने में मदद कर सकते हैं। प्रश्न पूछने के कौशलों को शिक्षण में वृद्धि करने के लिए विज्ञान के समस्त विषयों और अन्य विषयों में भी प्रयोग किया जा सकता है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • विद्यार्थियों के चिंतन और सीखने को प्रेरित करने के लिए आप विभिन्न प्रकार के प्रश्नों को पूछ सकते हैं।
  • विद्यार्थियों की समझ को विकसित करने के लिए व्यावहारिक विज्ञान के पाठों में प्रश्न पूछने की ज्यादा खुली प्रविधियों का उपयोग करने के नये तरीके और कौशल।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

शिक्षक के रूप में, विषय से सम्बन्धित और चुनौतीपूर्ण प्रश्नों को पूछने में सक्षम होना सीखना एक महत्वपूर्ण कौशल है, क्योंकि यह विद्यार्थियों के चिंतन को प्रेरित करता है और उनके उत्तर आपको उपयोगी जानकारी की एक श्रृंखला और उनके ज्ञान तथा वर्तमान विचारों की समझ प्रदान करता है। आकृति 1 उद्देश्य सहित प्रश्नों को पूछने के प्रमुख लाभों को चिह्नांकित करती है।

आकृति 1 प्रश्नों को पूछने के प्रमुख लाभ।

नियोजित और उदेश्य सहित तरीके से अच्छे प्रश्नों को पूछने से विद्यार्थियों की उपलब्धि में महत्वपूर्ण अंतर आएगा। प्रश्नों का उपयोग विद्यार्थियों को उनके विचारों, उनकी समझदारी और उनकी प्रगति के बारे में फीडबैक प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। अधिकतर विद्यार्थी इस प्रकार की जानकारी को प्राप्त करने में उत्साह दिखाते हैं, विशेष रूप से तब, जबकि यह सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से प्रदान की गयी हो। यह उनकी प्रगति को मापने में मदद करती है और उनमें आत्म-विश्वास का संचार करती है।

पाठ योजना बनाते समय महत्वपूर्ण काम यह होता है कि आप उन प्रश्नों के बारे में स्पष्ट हो जाएं जिसका कि आप शिक्षण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। विद्यार्थियों में बल की वैज्ञानिक अवधारना को विकसित करना इसका वस्तुओं की गति पर प्रभाव को भिन्न तरीके से बताना आसान काम नहीं है।

1 प्रश्न पूछना और सोचना

ऐसे प्रश्न पूछना महत्वपूर्ण है जिससे विद्यार्थी सिद्धान्त और अपने अनुभव को जोड़ते हुए खोज कर सके और स्वयं अपेक्षित हल को निकाल कर बल विषय में गहन समझ विकसित कर सकें। ऐसा करने के लिए आपको प्रश्न पूछने के कौशलों का रचनात्मक और गतिशील तरीकों से उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए, ताकि विद्यार्थी सोचने के लिए प्रोत्साहित हों।

केसेस स्टडी 1: दो शिक्षिकाएं और बल

श्रीमती सीमा अपने द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में अपनी कक्षा से पूछ रही हैं। यहां, उन्होंने जो किया, उसके बारे में बताती हैं।

अपने पाठ की शुरुआत में मैंने विद्यार्थियों से मुझे अपनी मेज़ पर पुस्तक को धक्का देते हुए देखने के लिए कहा और कक्षा से पूछा, ‘मैं क्या कर रही हूं?’ कक्षा में एक विद्यार्थी ने उत्तर दिया, ‘किताब को धक्का दे रही है’।

मैंने कहा,‘बढ़िया’, और बल इसी को तो कहते हैं। मेरे बाद कहो, ‘‘बल धक्के को कहते हैं।’’ मैंने जो करने के लिए कहा था कक्षा ने उसे किया, और मैंने उनसे दोबारा इसे कहने के लिए कहा। मैंने दोबारा पूछा कि बल क्या है? और उन्होंने तब तक इसे बार-बार दोहराया, जब तक कि मुझे लग नहीं गया कि वे इसे जान गये हैं।

इसके बाद, मैंने किताब को अपनी मेज़ पर अपनी तरफ खींची और विद्यार्थियों से पूछा, ‘मैं क्या कर रही हूं?’ उन्होंने जवाब दिया कि मैं किताब को खींच रही थी और मैंने कहा कि यह सही था। इसके बाद मैंने उनसे इसे दोहराने के लिए कहा, ‘खींचना बल है।’ इसके पहले कि हम पाठ्यपुस्तक और अगले हिस्से पर लौटें, मैंने उनसे कथन को कई बार दोहराने के लिए कहा।

श्रीमती शर्मा अपनी कक्षा के साथ बलों पर काम कर रही हैं। वह समझाती हैं कि उन्होंने किस प्रकार से अपने पाठ की शुरुआत की और फिर उसे जारी रखा।

सबसे पहले मैंने अपनी कक्षा से उसके समूहों को ऐसी ज्यादा से ज्यादा चीज़ों की सूची बनाने के लिए कहा, जो कि हिलती हैं। जब वे लिख रहे थे, तो मैं उनके पास गयी और प्रत्येक समूह को कुछ वस्तुएँ प्रदान की, जिसमें पत्थर से लेकर अखबार से ली गयी रिक्शा बाइक [आकृति 2] की तस्वीर तक, हर प्रकार की चीज़ों का एक मिश्रण था। संकलन में छोटी और बड़ी, भारी और हल्की वस्तुएं शामिल थीं।

आकृति 2 एक रिक्शा : ऐसी वस्तु का उदाहरण जो कि चलती है।

इसके बाद मैंने उनसे यह प्रश्न पूछा, ‘आप इन वस्तुओं को किस प्रकार से गतिमान बना सकते हैं?’ मैंने उन्हें समूह में चर्चा कर विचारों को जाँचने के लिए पर्याप्त समय दिया तथा अपने उत्तरों को कागज पर सूचीबद्ध करने के लिये कहा। उन्होंने इसे दीवार पर प्रदर्शित किया और विद्यार्थियों ने साथ मिलकर और मैंने सामान्य अवधारणाओं और उन शब्दों या शब्दावलियों को चुना, जिसका कि उन्होंने उपयोग किया था, जैसे कि ‘धक्का देना’, ‘खींचना’, ‘उठाना’, ‘गिराना’, ‘मजबूत’, ‘कमजोर’, ‘मुलायम’, ‘घर्षण’, ‘भारी’, ‘हल्का’ और ‘गतिशील’। इसके बाद मैंने उनसे पूछा, ‘क्या आप एक या दो वाक्य वर्णन कर सकते हैं, वस्तुएँ किस कारण गतिशील होती हैं?’ मैंने उन्हें समूह में बात–चीत करके विचारों को जाँचने के लिए पर्याप्त समय दिया तथा अपने उत्तरों को कागज पर सूचीबद्ध करने के लिये कहा।

विचार के लिए रुकें

  • आपकी समझ में इन दो शिक्षिकाओं में से कौन सी ज्यादा गहराई से सोचने और तथा गति और बलों के बारे में उनकी समझ को विकसित करने के लिए अपने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर रही है?
  • वह शिक्षिका इस काम को किस प्रकार से कर रही है? वह शिक्षण की किन रणनीतियों का उपयोग कर रही है?
  • उसका शिक्षण और प्रश्नों का उपयोग किस प्रकार से दूसरी वाली शिक्षिका से अलग है?

हम आसानी से देख सकते हैं कि दूसरी शिक्षिका श्रीमती शर्मा अपने विद्यार्थियों से उच्च स्तरीय किस्म के प्रश्नों को पूछने के साथ-साथ उनसे एक दूसरे के साथ अपने विचारों को बांटने के लिए कहकर ज्यादा व्यावहारिक तरीके से उनकी मदद कर रही हैं। पहले पाठ में विद्यार्थियों को बौद्धिक रूप से उतनी चुनौती नहीं दी जा रही है, जितनी कि दूसरे सत्र के विद्यार्थियों को दी जा रही है।

श्रीमती शर्मा प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उन्हें समय दे रही हैं और पूरक प्रश्नों की जांच-पड़ताल के साथ उनके कुछ प्रश्नों का अनुसरण करती हैं। उस बल के बीच में अंतर को महसूस कराती है। जिसको धक्का देने की आवश्यकता होती है, जैसे कि कक्षा के फर्श पर चटाई में यहां से वहां रखी गयी ईंट, और चिकने गोल पत्थर, गेंद को उसी सतह पर इधर से उधर धक्का देना कितना आसान है, विद्यार्थी अपने दिमाग में उन विचारों को बनाने में सक्षम होती है। जो कि उससे मेल खाता है, जिसे कि उन्होंने घटित होते महसूस किया है। यह उनके पर्यवेक्षणों के साथ सिद्धांत को जोड़ने में उनकी मदद करता है

शिक्षक के रूप में आपकी भूमिका यह बनती है कि आप अपने विद्यार्थियों में बलों के विज्ञान की समझ को क्रमिक रूप से विकसित करने में मदद करें। ऐसा करने के लिए आपको उनके विचारों की पड़ताल करनी होती है। गतिविधि 1 आपसे उन प्रश्नों के बारे में सोचने तथा अपने कौशल को बढ़ाने के तरीकों का पता लगाने के लिये कहती है, जिनका प्रयोग आपने अपनी कक्षा में किया था।

गतिविधि 1: वे प्रश्न जिनका आप उपयोग करते हैं

विज्ञान के उस पाठ के बारे में सोचें, जिसे कि आपने सप्ताह के दौरान पढ़ाया था और उस पर विस्तार से विचार किए तथा अपने विद्यार्थियों से कहा था कि अगर आप कर सकें तो अपने द्वारा पूछे गये सभी प्रश्नों की सूची बनाएं। उन्हें बिल्कुल भी नहीं बदलें। चाहे आपकी सूची जितनी भी छोटी हो अब उसे देखें, तथा इस बारे में सोचें कि इन प्रश्नों के बारे में सीखने में आपके विद्यार्थियों की कितनी मदद की है कि आप पाठ के दौरान क्या कर रहे थे? और किस बारे में बात कर रहे थे

  • आपके कितने प्रश्न हां या नहीं के उत्तरों से संबद्ध थे? कितने संभावित उत्तरों के बारे में सोचने? और या समस्या को हल करने के लिए विद्यार्थियों के समय लगाने से संबद्ध थे? (इन्हें प्रायः ‘खुले सिरों वाला’ प्रश्न कहा जाता है।)
  • क्या आप याद कर सकते हैं? कि विद्यार्थियों ने किस प्रकार से विभिन्न प्रकार के प्रश्नों का जवाब दिया था? किसने उत्तर दिया था? क्या यह हमेशा वही विद्यार्थी होता है? आपकी समझ में ऐसा क्यों होता है?
  • किसी विद्यार्थी को उत्तर देने के लिए कहने से पूर्व क्या आप विद्यार्थियों को सोचने के लिए समय प्रदान करते हैं?

ऊपर दिये गये प्रश्नों के उत्तर में अपनी कक्षाओं में प्रश्न पूछने के अपने उपयोग के बारे में कुछ टिप्पणियां तैयार करें। अपनी टिप्पणियों पर पूरी तरह से गौर करें और प्रश्न पूछने के स्वयं के कौशलों का आकलन करें। आपकी शक्तियां कहां पर निहित हैं? इसे तय करें और आगे पढ़ने से पहले इस बारे में सोचें कि आप किन कौशलों को बेहतर और विस्तारित बना सकते हैं और बनाना चाहेंगे। याद रखें कि शिक्षक के रूप में आपकी भूमिका बलों के बारे में समझ विकसित करने और उसके बारे में सीखने में विद्यार्थियों की मदद करना है। ऐसा करने के लिए आपको उनके वर्तमान विचारों को चुनौती देने तथा इस बात का पता लगाने की ज़रूरत होती है कि वे कितनी अच्छी तरह से तैयार हैं।

वीडियो: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना

2 प्रश्नों को पूछने के तरीके

जब आप प्रश्न पूछते हैं, तो क्या सभी विद्यार्थी प्रश्नों के बारे में सोचते हैं? आपको कैसे पता? आप किस तरह से सभी विद्यार्थियों को अधिक भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं?

शोध दर्शाते हैं कि बहुत से शिक्षक उत्तर देने के लिए कहने से पहले विद्यार्थियों को केवल एक सेकेंड का समय प्रदान करते हैं। क्या आप विद्यार्थियों को अपने उत्तरों के बारे में सोचने के लिए समय प्रदान करते हैं? शिक्षक भी अक्सर उन्हीं विद्यार्थियों से प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कहते हैं, जिन्होंने अपने हाथ पहले से उठा रखे होते हैं। पाठ चलता रह सकता है। लेकिन, किसी को उत्तर देने के लिए कहने से पहले मात्र कुछ और सेकेंड तक इंतज़ार करने से आप निम्नलिखित में वृद्धि को देखेंगेः

  • विद्यार्थी के उत्तरों की लंबाई
  • उत्तर देने वाले विद्यार्थियों की संख्या
  • विद्यार्थी के प्रश्नों की आवृत्ति
  • कम सक्षम विद्यार्थियों के पास से उत्तरों की संख्या
  • विद्यार्थियों के बीच सकारात्मक संवाद।

अगली गतिविधि आपसे यह देखने के लिए अपने अगले सत्र में इन प्रविधियों में से कुछ को आजमाने के लिए कहती है कि क्या यह आपके साथ होता है?

गतिविधि 2: चिंतन के समय में वृद्धि करना

बलों या किसी अन्य विषय पर अपने अगले पाठ की योजना बनाना और उन प्रश्नों के बारे में सोचना, जिन्हें कि आप पूछना चाहते हैं?

उन प्रश्नों की सूची बनायें जिन्हें कि आप पूछ सकते हैं? नीचे दिये गये प्रश्न इस बात का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि आप जिस तरह से अपने प्रश्नों को बनाते हैं, उसमें छोटा सा बदलाव किस प्रकार से इस बात को संभव बनाता है कि आपके विद्यार्थी बोलने से पहले सोचने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

  • अगर मेज के साथ-साथ आप इस ईंट को खींचते हैं, तो आपके विचार में क्या होगा?
  • अगर आप जोर से खींचते हैं, तो क्या होता है?
  • अगर हम कंक्रीट के खेल के मैदान में ईंट को रखते हैं और हम धक्का देते हैं, तो क्या घटित हो सकता है? क्या यह वही रहेगी? अगर, हां तो क्यों? अगर नहीं, तो क्यों?

इसके पहले कि आप विद्यार्थियों से उत्तर देने के लिए कहें, आपको उन्हें सोचने के लिए समय देना चाहिए। इसके बाद, जब आपकी अपनी कक्षा को पढ़ाते हैं तो हर बार जब आप प्रश्न पूछते हैं, तो स्वयं को थोड़ा अधिक समय तक रुकने की याद दिलायें और देखें कि क्या होता है? हो सकता है कि आप ज्यादा अल्प-भाषी विद्यार्थियों को संक्षिप्त पूरक प्रश्न पूछकर और अधिक सोचने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने पूछा है ‘अगर आप लट्ठे को ज्यादा ज़ोर से धक्का देते हैं, तो आपके विचार में क्या होगा?’, कुछ सेकेंड के बाद आप पूछ सकते हैं ‘उस दशा में लट्ठे की गति का क्या होगी? जबकि आप उसे और जोर से धक्का देते हैं?’ इस प्रकार के अन्य प्रश्नों के बारे में सोचें, जिनका कि आप उपयोग कर सकते हैं।

पाठ के बाद, प्रश्नों के अपने नये उपयोग पर विद्यार्थीयों की प्रतिक्रिया के बारे में सोचने के लिए समय निकालें। विद्यार्थियों से मिले महत्वपूर्ण उत्तरों और प्रतिक्रियाओं को रिकार्ड कर लें।

विचार के लिए रुकें

यह हो सकता है कि आपके अधिकतर विद्यार्थी आपके द्वारा किये गये सूक्षम परिवर्तनों से अवगत न हों, लेकिन इसका क्या प्रभाव पड़ा है? प्रश्न पूछने का प्रबंध आपने कितनी अच्छी तरह से किया है? क्या आप विराम देने और उन्हें ज्यादा देर तक सोचने देने में सफल रहे हैं? इसने उनकी भागीदारी को किस प्रकार से प्रभावित किया? पाठ में किसने भाग लिया, जवाब दिया या ज्यादा जुड़ाव रहा है?

आप यह कैसे जानते हैं? उन्होंने ऐसा क्या कहा? या किया? जिसकी वजह से आपने सोचा कि विद्यार्थी अधिक रुचि ले रहे हैं?

अपने विद्यार्थियों के चिंतन को विस्तारित करना

विद्यार्थियों की ज्यादा गहराई में जाकर सोचने में मदद करना और उनके उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना आपकी भूमिका का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। जैसा कि ऊपर इंगित किया गया ह, संकेतों या पूरक प्रश्नों का उपयोग करके, अपने प्रश्न पूछने को विस्तार देने से आप उन विद्यार्थियों का ध्यान आकृष्ट कर पाएंगे जो कि पढ़ाई को लेकर ज्यादा उदासीन हैं। इसके अलावा आप उस समय और अधिक प्रश्न पूछ सकते हैं जबकि विद्यार्थी सही उत्तर देता है, और उनसे पूछें कि उस दशा में क्या होगा? जबकि वे लट्ठे के एक दूसरे हिस्से पर जोर लगाते हैं, जिससे कि उन्हें इस बात का इशारा किया जा सके कि क्या घटित हो सकता है? प्रश्न पूछने के अपने कौशलों को विकसित करने और विस्तारित करने के लिए संसाधन 1, ‘चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना’ पढ़ें – विशेष रूप से ‘उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने’ वाले प्रश्नों के हिस्से को, क्योंकि इन विभिन्न विधियों को काम में लाकर विद्यार्थियों के विचारों का पता लगाने के लिए अलग - अलग सुझाव देता है।

विद्यार्थियों की भागीदारी को बढ़ाने का एक और तरीका अपने प्रश्नों को व्यवस्थित करने के लिए समय प्रदान करना है। जिससे विद्यार्थी प्रगतिशील हों और चिंतन को बढ़ायें। आवश्यक होने पर यह सुनिश्चित करने के लिए उनके उत्तरों की आगे और जांच करें कि वे वास्तव में समझते हैं और इसे अन्य स्थितियों से जोड़ सकते हैं।

विद्यार्थियों को ध्यान से सुनना

उपर्युक्त में से किसी भी काम को करने में समर्थ होने के लिए आपको विद्यार्थी जो कह रहे हैं, उसे ध्यानपूर्वक सुनने की ज़रूरत होती है और उन्हें अपनी बात कहने के लिए समय प्रदान करें। अगर आप विद्यार्थियों के बोलते समय प्रत्येक के प्रति संवेदनशील होते हैं, तभी उनमें उत्तर देने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास होगा।

आत्मविश्वास के इस निर्माण के साथ गलत या उत्तरों के संवेदनशील प्रबंधन की आवश्यकता जुड़ी हुई है। गलत उत्तरों को जिस तरह से लिया जाता है, वह इस बात को तय करेगा कि क्या विद्यार्थी शिक्षक के प्रश्नों का उत्तर देना जारी रखेंगे या नहीं। ‘यह गलत है’, ‘तुम मूर्ख हो’ या ‘नहीं’ अथवा दूसरी तरह से अपमान या दंड अक्सर विद्यार्थियों को आगे और परेशानी में पड़ने या मज़ाक उड़ाये जाने के भय से अपनी ओर से कोई और उत्तर देना बंद कर देते हैं। इसकी वजाय, अगर आप उत्तरों के उन हिस्सों को चुन सकें, जो कि सही हैं और सहायक ढंग से विद्यार्थी से अपने उत्तर के बारे में थोड़ा और सोचने के लिए कहें, तो आप अधिक सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकते हैं (आकृति 3)। इससे आपके छात्रों को अपनी गलतियों से सीखने में मदद मिलता है, जो कि नकारात्मक व्यवहार से नहीं मिलती है।

आकृति 3 विद्यार्थी जब काम कर रहे होते हैं, तो शिक्षक का उन्हें ध्यानपूर्वक सुनना।

ध्यानपूर्वक सुनने से आप न केवल उस उत्तर पर गौर करने में समर्थ होते हैं, जिसकी आप अपेक्षा कर रहे होते हैं, बल्कि इससे आप असाधारण या नवाचार उत्तरों के प्रति सतर्क भी होते हैं, जिसकी हो सकता है कि आपको अपेक्षा न रही हो। इस तरह के उत्तर गलतफहमियों को चिह्नांकित कर सकते हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत होती है अथवा वे एक नयी स्थिति को प्रदर्शित कर सकते हैं, जिन पर आपने विचार नहीं किया हो। उदाहरण के लिए, इनके प्रति आपकी प्रतिक्रिया ‘मैंने तो यह सोचा ही नहीं था। आप इस तरह से क्यों सोचते हैं? इसके बारे में मुझे और बतायें’ ये सब क्रिया प्रेरणा को बनाये रखने में बहुत महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

3 खुले सिरे वाली गतिविधियों का उपयोग करना

जब विद्यार्थी गतिविधियों पर काम करते हैं और वस्तुओं को साथ-साथ धक्का देते हैं और खींचते हैं, तो वे जिस चीज़ को महसूस करते हैं, उसे वर्णित करने के लिए शब्दों का स्वयं का कोश बना कर रहे होते हैं। विभिन्न प्रकार के प्रश्नों -विशेष रूप से ज्यादा खुले सिरों वाले प्रश्नों- का उपयोग करके आप विद्यार्थियों को अपने सहपाठियों के साथ सोचने और अपने विचारों को बांटने के लिए समय और अंतराल प्रदान करेंगे।

साथ मिलकर वे अपने व्यक्तिगत अनुभवों और साझे ज्ञान के आधार पर समझदारी को बना रहे हैं। हो सकता है कि उनके कुछ विचार अच्छी तरह से गढ़े नहीं गये हों, लेकिन खुला प्रश्नों द्वारा उपस्थित समस्याओं को हल करने के लिए दूसरे लोगों के साथ मिलकर काम करने के द्वारा वे अपने विचारों पर बात–चीत करने और उस बारे में सोचने में समर्थ होते हैं, जिसके बारे में उन्हें लगता है कि वे जानते हैं कि वह कितना सटीक था। साथ मिलकर वे बल क्या है? बल क्या करते हैं, इस बारे में स्वीकृत विज्ञान के अनुरूप अपने विचारों को समायोजित करने की शुरुआत कर सकते हैं।

नीचे दिया गया मामले का अध्ययन प्रदर्शित करता है कि किस प्रकार से एक शिक्षक इस बात का पता लगाने के लिए खुले प्रश्नों का उपयोग करता है? कि बलों के बारे में उसके विद्यार्थी क्या जानते हैं

केस स्टडी 2: खुले सिरे वाली गतिविधियों का एक समूह

श्रीमती दास विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक के अध्याय 11 पर काम कर रही हैं और कक्षा आठ के अपने विद्यार्थियों के साथ इस बात का पता लगा रही हैं कि चीज़ें किस तरह से गति करती हैं, उसके बारे में वे क्या जानते हैं? और क्या वे इस बात का वर्णन करने में सक्षम हैं कि बल क्या है? वे छोटी-छोटी गतिविधियों की एक ऐसी श्रृंखला का उपयोग करने का निर्णय लेती हैं जो विद्यार्थियों के साथ पाठ्यपुस्तक का उपयोग करने से पहले वे छोटी–छोटी गतिविधियों की एक ऐसी श्रृंखला का उपयोग करने का निर्णय लेती है जिससे कि उनकी कक्षा अपने विचारों को व्यक्त करें।

मैंने चार सरल गतिविधियों को उपयोग में लाने की योजना बनाई है, क्योंकि उनके लिए मुझे ढेर सारे उपकरण एक साथ नहीं जमा करने पड़ते हैं। गतिविधियों का यह ‘सर्कस’ मेरी कक्षा का परिचय काम पर बलों के संदर्भ में वास्तविक अनुभव कराएगा। जिससे मैं बलों की उनकी वर्तमान समझदारी का पता लगा सकूंगा। मैंने विद्यार्थियों से प्रत्येक स्टेशन (समूह) पर जो कहा गया है वह करने के लिये मैंने विद्याथिर्यों को कहा। ‘‘क्या हो रहा है? और क्यों?’’ प्रश्न के उत्तर द्वारा जो हुआ है उसे स्पष्ट करने का प्रयत्न करें।

मैंने उनसे उनके सामान्य जोड़ों में काम करने के लिए कहा। मैंने कुछ दिन पहले कम आत्म-विश्वासी और कम योग्य विद्यार्थियों का ज्यादा आत्मविश्वासी विद्यार्थियों के साथ जोड़ा बनाया था और उन सबको एक दूसरे की बात को ध्यान से सुनने और सहायता करने की याद दिलाई थी, जबकि वे इस बात को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि क्या घटित हो रहा है? मैंने उन्हें बताया कि किसी भी एक समय पर एक स्टेशन पर अधिकतम दो जोड़े तक हो सकते हैं, क्योंकि 48 विद्यार्थियों की मेरी कक्षा के लिए करने के लिए मेरे पास प्रत्येक गतिविधि के तीन समूह थे। मेरी कक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन मुहैया कराना मुश्किल है और विद्यार्थियों को इस तरह से संगठित करने का सुझाव एक सहकर्मी ने दिया था, जिसकी कक्षा भी बड़ी थी। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें बात करने और अपने विचारों को साझा करने का अवसर मिला।

मैंने प्रत्येक जोड़े को एक काम करने, प्रश्नों का उत्तर देने तथा बाद में कक्षा के साथ बांटने के लिए अपने विचारों को लिखने के लिए पांच मिनट का समय दिया। मैंने उन्हें अपनी आवाजें धीमी रखने की याद दिलाई जिससे वे अन्य कक्षाओं में व्यवधान नहीं डालें।

गतिविधियां इस प्रकार से थीं–

  • जितने तरीके से आप कर सकते हैं, उतने तरीकों से मेज़ पर किताब को इधर से उधर धक्का देना।
  • गेंद को नीचे ढलान पर सरका देना। इसके बाद दो अलग-अलग गेंदों को सरकाना और जो होता है उसे देखना।
  • कमर की ऊंचाई से कागज के एक चपटे टुकड़े को गिराना। फिर उसी ऊंचाई से मरोड़कर गोला बना हुए कागज के टुकड़े को गिराएं। फिर दोनों को अधिक ऊंचाई से आजमाएं।
  • गेंद को पहली सतह पर सरकाएं। फिर इसे दूसरी सतह पर सरकाएं।

हर एक पांच मिनट पर मैंने ताली बजायी और जोड़ों को अगली गतिविधि पर जाने के लिए कहा। 20 मिनट या इसके आसपास उन्होंने समस्त कामों को पूरा कर लिया था। एक समय ऐसा आया कि मुझे उन्हें रोकना पड़ा क्योंकि शोर बहुत अधिक हो गया था। मैं इस बात को लेकर वास्तव में प्रसन्न थी कि विद्यार्थी जो कुछ कर रहे थे, उसे लेकर बहुत अधिक उत्सुक और रोमांचित थे लेकिन मैं अन्य कक्षाओं को तंग नहीं करना चाहती थी। जब वे काम कर रहे थे तो मैं कक्षा में चारों ओर गयी और उनकी चर्चाओं और विचारों को ध्यानपूर्वक सुना और यदा-कदा इस प्रकार के प्रश्न पूछे कि ‘आप ऐसा क्यों सोचते हैं?’ या ‘क्या होगा अगर आप …?’ जिससे कि विद्यार्थियों की इस बारे में विचारों को विकसित करने में मदद की जा सके कि उनके विचार में क्या घटित हो रहा था?

उनके द्वारा समस्त चारों गतिविधियों को कर लिये जाने के बाद मैंने जोड़ों से चार के समूह बना लेने, अपने उत्तरों पर गौर करने के लिए कुछ मिनट लेने और ऐसे एक या दो कथनों को लिखने के लिए कहा, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे बलों के बारे में उन्होंने जो कुछ पाया है, उसके बारे में सत्य थे।

इसके बाद मैंने उनसे अपने विचारों को साझा करने के लिए कहा। मैं हर किसी को फीडबैक प्रदान करने का मौका देना चाहती थी, इसलिए मैं चार विद्यार्थियों के समूह में से एक समय में केवल एक उत्तर लिया और फिर उनके उत्तरों को ब्लैकबोर्ड पर दर्ज कर लिया। पाठ के आखिर तक विद्यार्थी इस बात पर सहमत हो गये थे कि बल धक्का देना या खींचना है, जिसे कि विभिन्न तरीकों से बदला जा सकता है। मैं खुश थी, क्योंकि इसके कारण मुझे बलों के असर को बदलने के तरीकों तथा न्यूटन के नियमों का उपयोग करके बलों को मापने के तरीकों पर गौर करने का अवसर मिला।

विचार के लिए रुकें

श्रीमती दास के पाठ में एकदम सरल सामग्रियों का उपयोग किया गया था और इसकी बहुत कम तैयारी करनी पड़ी थी। आप कदाचित गतिविधियों के ‘सर्कस’ को करने में सक्षम नहीं हों, लेकिन इस बारे में सोचें कि विज्ञान के अपने पाठों में आप किस तरह से ज्यादा खुले सिरे वाली गतिविधियों का उपयोग कर सकते हैं। अगर आपकी कक्षा बड़ी है, तो हो सकता है कि आप प्रयोगात्मक काम दो अर्धांशों में कर सकें, जिनमें से एक अर्धांश में वे अपनी पाठ्य-पुस्तक से अपना स्वयं का काम करेंगे, जब आप दूसरी से कर रहे होंगे; इसके बाद आप अगले पाठ की अदला-बदली करेंगी। खुले प्रश्नों का उत्तर देने की उसी गतिविधि को करने में विद्यार्थियों की मदद करने का एक दूसरा तरीका यह है कि अखबारों से कुछ तस्वीरें एकत्रित की जाए, जैसे कि अपने विचारों के बारे में बात करने में समूहों को समर्थ बनाने के लिए श्रीमती शर्मा ने तस्वीर का उपयोग किया है।

बलों के बारे में सैद्धांतिक विचारों को और गहराई से समझने में विद्यार्थियों की मदद करने के लिए यह ज़रूरी है कि उनके पास वह अनुभव हो, जो कि उन्हें बल को महसूस करने में समर्थ बनाता हो, जबकि यह वस्तुओं पर प्रभाव डालता है और उन्हें इस बारे में सोचने के लिए कहें कि क्या घटित हो रहा है? आपके द्वारा चुनौती भरे प्रश्नों का उपयोग किये जाने से उन्हें ज्यादा गहराई से सोचने में मदद मिलेगी।

गतिविधि 3: खुले सिरे वाली गतिविधि जांच–पड़ताल

इस गतिविधि के लिए आपको निम्नलिखित प्रश्नों के बारे में सोचना होगा और फिर इसके पहले कि आप अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधि को संपन्न कर सकें अपने पाठ की योजना बनानी होगी।

बलों के किन पहलुओं के बारे में आप अपने विद्याथिर्यों को सीखाना चाहते हैं? आप कदाचित चाह रहे हों कि वे कोई बिल्कुल सरल चीज करें, जैसे कि विभिन्न धक्कों और खिंचावों के असर का अन्वेषण करना या इस बात का पता लगाना कि आप किस प्रकार से दिशा को बदलने के लिए बल का उपयोग कर सकते हैं। इसके बाद आपको निम्नलिखित प्रश्नों और क्रियाकलापों के बारे में सोचने की ज़रूरत पड़ेगी, जिन्हें कि उस समय करना होगा। जब आप अपने पाठ योजना बनाते हैं–

  • आप बहुत अधिक संसाधनों का उपयोग किये बगैर इसे प्रयोगात्मक सत्र कैसे बना सकते हैं?
  • किन खुले प्रश्नों के बारे में आप चाहते हैं कि विद्यार्थी उनके बारे में सोचें और गतिविधियों के संबंध में उत्तर देने की कोशिश करें?
  • आप पाठ से किस प्रकार से परिचय करवाएंगे?
  • क्या आप सिर्फ एक गतिविधि का उपयोग करेंगे? या अधिक का?
  • अगर आपके पास सीमित संसाधन या स्थान है, तो हो सकता है कि कक्षा का कुछ हिस्सा उस वक्त दूसरे काम करे, जबकि दूसरे विद्यार्थी अपने विचारों का परीक्षण करते हैं और फिर अदला-बदली करते हैं।
  • विद्यार्थियों के काम करते समय आप उनकी किस प्रकार से मदद करेंगे? किस प्रकार के प्रश्न मदद करेंगे? और उनके चिंतन को कैसे गति प्रदान करेंगे? उदाहरणों में शामिल है ‘उस समय क्या होगा अगर …?’, ‘आपके विचार में ऐसा क्यों घटित हुआ था?’, ‘क्या यह हमेशा घटित होता है?’ और ‘आप परिणाम को किस प्रकार से बदल सकते हैं?’ इसके अतिरिक्त आपको इसके बारे में भी सोचने की ज़रूरत पड़ेगी कि आप उन लोगों की सहायता किस प्रकार से करेंगे? जिन्हें समझने के लिए अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है।
  • ऐसे सभी संसाधनों को एकत्रित करें और तैयार करें, जिनकी आपको ज़रूरत पड़ती है।

जब समूहों के पास आपका चक्कर लगता है, तो ज्यादा खुले प्रश्नों का उपयोग करके पाठ को पढ़ायें और अभ्यास करें।

पाठ के बाद, इस बात पर विचार करें कि पाठ में क्या अच्छा रहा? और आपको ऐसा क्यों लगता है कि यह ऐसा था। यह पुनः आपकी ज्यादा प्रभाव के साथ रणनीति का उपयोग करने में मदद करेगा।

विचार के लिए रुकें

जो घटित हुआ है उसके ऊपर विचार करने में निम्नलिखित प्रश्न आपकी मदद कर सकते हैं–

  • कौन सी चीज उस तरह से नहीं हुई, जिसकी कि आपने अपेक्षा की थी या जिसे कि आप चाह रहे थे? क्यों नहीं? अगली बार आप इसे किस तरह से बेहतर बना सकते हैं?
  • ज्यादा खुले प्रश्नों को पूछने का काम आप कितनी अच्छी तरह से करते हैं? क्या यह विद्यार्थियों को ज्यादा सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है?
  • क्या विद्यार्थी अधिक प्रेरित तथा पाठ से संबद्ध थे, और अगर ऐसा था तो कैसे?

विद्यार्थियों की पढ़ाई स्वाभाविक रूप से आश्चर्य, अन्वेशी, खोज, चिंतन और अधिक आश्चर्य विशेष रूप से उस समय जब उन्हें व्यावहारिक रूप से अन्वेषण करने और बलों की तरह के विषय के बारे में बात करने का अवसर प्रदान किया जाता है। इस प्रकार की गतिविधि उन्हें अधिक जटिल ज्ञान और परिष्कृत चिंतन की ओर ले जाती है। जिस तरह से ये प्रश्न स्वाभाविक जिज्ञासा को जागृत करते हैं इससे खुले प्रश्नों की शक्ति आती है और विद्यार्थियों को यह जानने के लिए प्रेरित करते हैं कि विश्व किस प्रकार से काम करता है? संसाधन 2, ‘पढ़ाई के लिए बात–चीत– विशेष रूप से वे हिस्से जिन पर ‘पढ़ाई के लिए बात–चीत क्यों जरूरी है’? और ‘कक्षा में शिक्षण गतिविधियों के लिए बात–चीत की योजना बनाना’ – का लेबल लगा हो, चिंतन के लिए बात–चीत के महत्व को समझने में आपकी मदद करेंगे।

वीडियो: सीखने के लिए बातचीत

खुले प्रश्नों का उपयोग विद्यार्थियों को यह दर्शाता है कि उनका शिक्षक उनका सम्मान करता है और अच्छे विचारों को प्रस्तुत करने के लिए उन पर विश्वास करता है, वे स्वयं से विचार करते हैं और मूल्यवान तरीकों से योगदान देते हैं। इसके फलस्वरूप उत्पन्न होने वाला स्वायत्तता, जुड़ाव और सामर्थ्य का बोध सीखने वाले के रूप में उन्हें आत्मविश्वास प्रदान करता है।

4 सारांश

परस्पर अधिक प्रभाव डालने वाले तरीकों से बलों के बारे में पढ़ाने से विज्ञान के पीछे के विचारों से ज्यादा गहराई से संबद्ध होने में विद्यार्थियों को मदद मिलती है। ज्यादा खुले प्रश्नों का उपयोग करने से पाठ अधिक संवादात्मक बनते हैं, विशेष रूप से उस समय जबकि विद्यार्थी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए जोड़ों या समूहों में काम करते हैं। यह समस्त विद्यार्थियों की भागीदारी में वृद्धि करता है और ज्यादा गहन पढ़ाई में सहायता करता है।

प्रश्नों विशेष के रूप में ज्यादा खुले प्रश्नों को तैयार करने और उनका उपयोग करने में अपने कौशलों को विकसित करना विज्ञान के समस्त विषयों में बेहद ज़रूरी है।

खुला प्रश्न शैक्षणिक और सामाजिक पढ़ाई का समर्थन करते हैं और बच्चों की स्वाभाविक जिज्ञासा को बढ़ाते हैं तथा उन्हें स्वयं से सोचने की चुनौती देते हैं। इसके फलस्वरूप ऐसे विद्यार्थी तैयार होते हैं जो कि प्रेरित होते हैं और जिनके उत्तर उनके सहपाठियों और जानकारी देते हैं।

खुले प्रश्न प्रायः इस तरह के वाक्यांशों के साथ शुरू होते हैं, जैसे कि ‘क्या होता है अगर …?’, ‘आप क्या सोचते हैं कि क्या घटित होगा?’ या ‘आप ऐसा क्यों कहते हैं?’ सरल अवधारणाएं, जैसे कि विद्यार्थियों को आपके प्रश्न का उत्तर देने से पहले सोचने के लिए थोड़ा अधिक समय देना, आपकी विद्यार्थियों की तरफ से बेहतर उत्तरों और ज्यादा बड़े विचार का कारण बनेंगी।

संसाधन

संसाधन 1: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना

शिक्षक हमेशा अपने विद्यार्थियों से प्रश्न पूछते रहते हैं; प्रश्नों का अर्थ ये होता है कि शिक्षक सीखने और सीखते रहने में अपने विद्यार्थियों की मदद कर सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार औसतन, एक शिक्षक अपने समय का एक-तिहाई हिस्सा विद्यार्थियों से सवाल पूछने में खर्च करता है (हेस्टिंग्स, 2003)। पूछे गए प्रश्नों में से, 60 प्रतिशत में तथ्यों को दोहराया गया था और 20 प्रतिशत प्रक्रियात्मक थे (हैती, 2012), जिनमें से ज्यादातर के उत्तर सही या गलत में थे। लेकिन क्या सिर्फ सही या गलत में उत्तर वाले सवाल पूछने से सीखने को प्रोत्साहन मिलता है?

विद्यार्थियों से कई अलग अलग तरह के प्रश्न पूछे जा सकते हैं। शिक्षक किस तरह के उत्तर और परिणाम पाना चाहते हैं, उनसे पता चलता है कि शिक्षक को किस तरह के प्रश्न पूछने चाहिए। शिक्षक सामान्यतः विद्यार्थियों से प्रश्न पूछते हैं ताकि वे–

  • जब कोई नया विषय या सामग्री प्रस्तुत की जाती है, तो वे विद्यार्थियों को इसे समझने के लिए मार्गदर्शन कर सकें
  • बेहतर ढंग से सोचने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर सकें
  • कोई त्रुटि दूर कर सकें
  • विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर सकें
  • समझ को जाँच सकें।

प्रश्नों का उपयोग आमतौर पर यह देखने के लिए किया जाता है कि विद्यार्थी क्या जानते हैं? इसलिए यह उनकी प्रगति का आंकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रश्नों का उपयोग प्रेरणा देने, विद्यार्थियों के सोचने के कौशल को बढ़ाने और जिज्ञासु मन विकसित करना में भी किया जा सकता है।उन्हें मोटे तौर पर दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

  • निचले स्तर के प्रश्न, जिनसे कि तथ्यों का स्मरण और पहले सिखाया गया ज्ञान शामिल होता है, प्रायः बंद सिरे के प्रश्नों (हां या नहीं में उत्तर)से संबद्ध होते हैं।
  • उच्च स्तर के प्रश्न, जिनके लिए ज्यादा सोचने की ज़रुरत होती है। उनके लिए विद्यार्थियों को पहले किसी उत्तर से सीखी गई जानकारी को एक साथ रखने या तार्किक रूप से किसी लक्ष्य का समर्थन करने की ज़रुरत पड़ सकती है। उच्च स्तर के प्रश्न प्रायः ज्यादा खुले सिरों वाले होते हैं।

खुले प्रश्न को पाठ्यपुस्तक पर आधारित, उत्तरों से परे सोचने को प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे प्रश्नों के उत्तर खोजने में समर्थ होते हैं। इनसे शिक्षकों को भी सामग्री के बारे में विद्यार्थी की समझ का आंकलन करने में मदद मिलती है।

विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रोत्साहित करना

कई शिक्षक एक सेकंड से भी कम समय में अपने प्रश्न का उत्तर चाहते हैं और इसलिए अक्सर वे स्वयं ही प्रश्न का उत्तर दे देते हैं प्रश्न को दूसरी तरह से दोहराते हैं (हेस्टिंग्स, 2003)। विद्यार्थियों को केवल प्रतिक्रिया देने का समय मिलता है उनके पास सोचने का समय ही नहीं होता! अगर आप उत्तर चाहने से पहले कुछ सेकंड इंतजार करते हैं तो विद्यार्थी को सोचने के लिए समय मिल जाएगा। इसका विद्यार्थियों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रश्न को प्रस्तुत करने के बाद इंतजार करने से निम्नांकित में वृद्धि होती है:

  • विद्यार्थियों के उत्तरों की लंबाई में
  • उत्तर देने वाले विद्यार्थियों की संख्या
  • विद्यार्थियों के प्रश्नों की बारंबारता
  • कम सक्षम विद्यार्थियों के पास से उत्तरों की संख्या
  • विद्यार्थियों के बीच सकारात्मक संवाद।

आपकी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है

आप दिए गए सभी उत्तरों को जितने सकारात्मक ढंग से स्वीकार करते हैं, विद्यार्थी भी उतना ही ज्यादा सोचना और कोशिश करना जारी रखेंगे। यह सुनिश्चित करने के कई तरीके हैं कि गलत उत्तरों और गलत धारणाओं को सुधार दिया जाए। यदि एक विद्यार्थी के मन में कोई गलत विचार है, तो आप निश्चित रूप से यह मान सकते हैं कि कई अन्य विद्यार्थियों के मन में भी वही गलत धारणा होगी। आप इसके लिए निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं–

  • उत्तरों के उन हिस्सों को चुन सकते हैं, जो सही हैं और एक सहायक ढंग से विद्यार्थी से अपने उत्तर के बारे में थोड़ा और सोचने के लिए कह सकते हैं। यह ज्यादा सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है और आपके विद्यार्थियों की अपनी गल्तियों से सीखने में मदद करता है। निम्नलिखित टिप्पणी यह दर्शाती है कि आप ज्यादा मददगार ढंग से किस प्रकार से गलत उत्तर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं: ‘आप वाष्पीकरण से बनते बादलों के बारे में सही थे लेकिन मुझे लगता है कि हमें वर्शा के बारे में आपने जो कहा है उसके बारे में थोड़ा और पता लगाने की जरूरत है। क्या आपमें से कोई और इस बारे में कुछ बता सकता है?’

  • विद्यार्थियों से मिलने वाले सभी उत्तर ब्लैकबोर्ड पर लिखें, और विद्यार्थियों से पूछें कि वे इनके बारे में क्या सोचते हैं? उनके अनुसार कौन-से उत्तर सही हैं? कोई अन्य उत्तर देने का कारण क्या रहा होगा? इससे आपको यह समझने का एक मौक़ा मिलता है कि आपके विद्यार्थी किस तरीके से सोच रहे हैं और आपके विद्यार्थियों को भी एक मित्रवत तरीके से अपनी गलत धारणाओं को सुधारने का अवसर मिलता है।

सभी उत्तरों को ध्यान से सुनकर और आगे समझाने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करके उन्हें महत्व दें। उत्तर चाहे सही हो या गलत, लेकिन यदि आप विद्यार्थियों से अपने उत्तरों को विस्तार में समझाने को कहते हैं, तो अक्सर विद्यार्थी अपनी गलतियाँ स्वयं ही सुधार लेंगे, आप एक विचारशील कक्षा का विकास करेंगे और आपको वास्तव में पता चलेगा कि आपके विद्यार्थी कितना सीख गए हैं और अब किस तरह आगे बढ़ना चाहिए। यदि गलत उत्तर देने पर अपमान या सज़ा मिलती है, तो दोबारा शर्मदिंगी या डांट के डर से आपके विद्यार्थी कोशिश करना ही छोड़ देंगे।

उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना

यह महत्वपूर्ण है कि आप प्रश्नों का एक ऐसा क्रम अपनाने की कोशिश करें, जो सही उत्तर पर ख़त्म न होता हो। सही उत्तरों के बदले फॉलो-अप प्रश्न पूछने चाहिए, जो विद्यार्थियों का ज्ञान बढ़ता है और उन्हें शिक्षक के साथ संलग्न होने का मौका देते है। यह आप इसके लिए पूछकर कर सकते हैं–

  • यह कैसे? या क्यों?
  • उत्तर देने का एक और तरीका
  • एक बेहतर शब्द
  • किसी उत्तर को सही साबित करने के लिए प्रमाण
  • संबंधित कौशल का एकीकरण
  • उसी कौशल या तर्क का किसी नई स्थिति में अनुप्रयोग।

विद्यार्थियों की ज्यादा गहराई में जाकर सोचने में मदद करना और उनके उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना आपकी भूमिका का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। निम्नलिखित कौशल अधिक उपलब्धि हासिल करने में विद्यार्थियों की मदद करते हैं:

  • प्रोत्साहन के लिए विद्यार्थियों को उचित संकेत देने की ज़रुरत पड़ती है। ऐसे संकेत जिनसे विद्यार्थियों को उनके प्रश्नों को विकसित करने और सुधार में मदद मिलती हो। उत्तर में सही क्या है? आप पहले इसे चुनकर इसके बाद जानकारी, आगे के प्रश्न तथा अन्य संकेत दे सकते हैं। (‘तो अगर आप कागज के अपने हवाई जहाज के आखिर में वजन रखते हैं तो क्या होगा?’)
  • जांच-पड़ताल अधिक जानकारी पाने की कोशिश करने, एक अव्यवस्थित उत्तर को या आंशिक रूप से सही उत्तर को सुधारने की कोशिश में विद्यार्थी जो कहना चाहते हैं, उसे स्पष्ट करने में उनकी मदद करने से संबंधित है। (‘तो इस सबका जो अर्थ है उसके बारे में आप मुझे और क्या बता सकते हैं?’)
  • फिर से ध्यान केंद्रित करना सही उत्तरों के आधार पर विद्यार्थियों के ज्ञान को उस ज्ञान से जोड़ने से संबंधित होता है, जो उन्होंने पहले सीखा है। यह उनकी समझदारी को विकसित करता है। (‘आपकी बात सही है, लेकिन पिछले सप्ताह हमने अपने स्थानीय पर्यावरण विषय के बारे में जो पढ़ रहे थे, यह उससे किस प्रकार संबंधित है?’)
  • प्रश्नों को अनुक्रित करने का अर्थ है ऐसे क्रम में प्रश्न पूछना, जिन्हें सोच का विस्तार करने हेतु बनाया गया है। प्रश्नों के द्वारा विद्यार्थियों को सारांश बनाने, तुलना करने, समझाने और विश्लेषण करने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। ऐसे प्रश्न तैयार करें, जिनसे विद्यार्थियों को सोचने की प्रेरणा मिले, लेकिन उन्हें इतनी ज्यादा भी चुनौती न दें कि प्रश्न का अर्थ ही खो जाए। (‘स्पष्ट करें कि आप अपनी पहले की समस्या से किस प्रकार उबरे। उससे क्या फर्क पड़ा? आपको क्या लगता है? आगे आपको किस चीज का सामना करने की जरूरत पड़ेगी?’)
  • सुनने से आप न केवल अपेक्षित उत्तर पर गौर करने में समर्थ होते हैं, बल्कि इससे आप असाधारण या नवाचारों उत्तरों के प्रति सतर्क भी होते हैं,जिसकी हो सकता है कि आपको अपेक्षा न रही हो। इससे यह भी दिखाई देता है कि आप विद्यार्थियों के विचारों को महत्व देते हैं और इसलिए इस बात की ज्यादा संभावना होती है कि वे सुविचारित उत्तर देंगे। इस तरह के उत्तर गलतफहमियों को चिह्नांकित कर सकते हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत होती है अथवा वे एक नयी पहुंच व्यक्त सकते हैं। जिन पर आपने विचार नहीं किया हो। (‘मैंने इसके बारे में सोचा नहीं था। आप इस तरह से क्यों सोचते हैं? इसके बारे में मुझे और जानकारी दें।’)

एक शिक्षक के रूप में, आपको ऐसे प्रश्न पूछने चाहिए जो प्रेरित करने वाले और चुनौतीपूर्ण हों, ताकि आप अपने विद्यार्थियों से रोचक और आविष्कारक उत्तर पा सकें। आपको उन्हें सोचने का समय देना चाहिए और आप सचमुच यह देखकर चकित रह जाएंगे कि आपके विद्यार्थी कितना कुछ जानते हैं और आप सीखने में उनकी प्रगति में कितनी अच्छी तरह मदद कर सकते हैं।

याद रखें कि प्रश्न यह जानने के लिए नहीं पूछे जाते कि शिक्षक क्या जानते हैं? बल्कि वे यह जानने के लिए पूछे जाते हैं कि विद्यार्थी क्या जानते हैं? यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपको कभी भी अपने स्वयं के प्रश्नों का जवाब नहीं देना चाहिए! आखिरकार यदि विद्यार्थियों को यह पता ही हो कि वे आगे कुछ सेकंड तक चुप रहते हैं, तो आप स्वयं ही उत्तर दे देंगे, तो फिर उन्हें उत्तर देने का प्रोत्साहन कैसे मिलेगा?

संसाधन 2: सीखने के लिए बातचीत

सीखने के लिए बातचीत क्यों जरूरी है?

बातचीत मानव विकास का हिस्सा है, जो सोचने-विचारने, सीखने और विश्व का बोध प्राप्त करने में हमारी मदद करती है। लोग भाषा का इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और बोध को विकसित करने के लिए औज़ार के रूप में करते हैं। अत:, विद्यार्थियों को उनके शिक्षण अनुभवों के भाग के रूप में बात करने के लिए प्रोत्साहित करने का अर्थ होगा उनकी शैक्षणिक प्रगति का बढ़ना। सीखे गए विचारों के बारे में बात करने का अर्थ होता है–

  • उन विचारों को परखा गया है
  • तार्किक क्षमता विकसित और सुव्यवस्थित है
  • जिससे विद्यार्थी अधिक सीखते हैं।

किसी कक्षा में रटा-रटाया दोहराने से लेकर उच्च श्रेणी की चर्चा तक विद्यार्थी बात–चीत के विभिन्न तरीके होते हैं।

पारंपरिक तौर पर, शिक्षक की बातचीत का दबदबा होता था और वह विद्यार्थियों की बातचीत या विद्यार्थियों के ज्ञान के मुकाबले अधिक मूल्यवान समझी जाती थी। यद्यपि, पढ़ाई के लिए बातचीत में पाठों का नियोजन शामिल होता है ताकि विद्यार्थी इस ढंग से अधिक बात करें और अधिक सीखें कि शिक्षक विद्यार्थियों के पहले के अनुभव के साथ संबंध कायम करें। यह किसी शिक्षक और उसके विद्यार्थियों के बीच प्रश्न और उत्तर सत्र से कहीं अधिक होता है क्योंकि इसमें विद्यार्थी की अपनी भाषा, विचारों और रुचियों को ज्यादा समय दिया जाता है। हम में से अधिकांश कठिन मुद्दे के बारे में या किसी बात का पता करने के लिए किसी से बात करना चाहते हैं, और अध्यापक बेहद सुनियोजित गतिविधियों से इस सहज-प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।

कक्षा में शिक्षण गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना

शिक्षण की गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना महज साक्षरता और शब्दों में कहने के लिए नहीं है, यह गणित एवं विज्ञान के काम तथा अन्य विषयों के नियोजन का हिस्सा भी है। इसे समूची कक्षा में, जोड़ी कार्य या सामूहिक कार्य में, वाटर की गतिविधियों में, भूमिका पर आधारित गतिविधियों में, लेखन, वाचन, प्रायोगिक खोज और रचनात्मक कार्य में योजनाबद्ध किया जा सकता है।

यहां तक कि साक्षरता और गणना के सीमित कौशलों वाले नन्हें विद्यार्थी भी उच्चतर श्रेणी के चिंतन कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें दिया जाने वाला कार्य उनके पहले के अनुभव पर आधारित और आनंदायी हो। उदाहरण के लिए, विद्यार्थी तस्वीरों, चित्रों या वास्तविक वस्तुओं से किसी कहानी, पशु या आकृति के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं। विद्यार्थी भूमिका निभाते समय कठपुतली या पात्र की समस्याओं के बारे में सुझावों और संभावित समाधानों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।

जो कुछ आप विद्यार्थियों को सिखाना चाहते हैं, उसके इर्दगिर्द पाठ की योजना बनायें और इस बारे में सोचें, और साथ ही इस बारे में भी कि आप किस प्रकार की बातचीत को विद्यार्थियों में विकसित होते देखना चाहते हैं। कुछ प्रकार की बातचीत अन्वेषी होती है, उदाहरण के लिए: ‘इसके बाद क्या होगा?’, ‘क्या हमने इसे पहले देखा है?’, ‘यह क्या हो सकता है?’ या ‘आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि वह यह है?’ कुछ अन्य प्रकार की वार्ताएं ज्यादा विश्लेषणात्मक होती हैं, उदाहरण के लिए विचारों, साक्ष्य या सुझावों का आकलन करना।

इसे रोचक, मज़ेदार और सभी विद्यार्थियों के लिए संवाद में भाग लेना संभव बनाने की कोशिश करें। विद्यार्थियों को उपहास का पात्र बनने या गलत होने के भय के बिना दृष्टिकोणों को व्यक्त करने और विचारों का पता लगाने में सहज होने और सुरक्षित महसूस करने की जरूरत होती है।

विद्यार्थियों की वार्ता को आगे बढ़ाएं

शिक्षण के लिए बात–चीत अध्यापकों को निम्नलिखित अवसर प्रदान करती है:

  • विद्यार्थी जो कहते हैं उसे सुनना
  • विद्यार्थियों के विचारों की प्रशंसा करना और उस पर आगे काम करना
  • इसे आगे ले जाने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना।

सभी उत्तरों को लिखना या उनका औपचारिक आकलन नहीं करना होता है, क्योंकि बात–चीत के जरिये विचारों को विकसित करना शिक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपको उनके शिक्षण को प्रासंगिक बनाने के लिए उनके अनुभवों और विचारों का यथासंभव प्रयोग करना चाहिए। सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी बात–चीत अन्वेषी होती है, जिसका अर्थ होता है कि विद्यार्थी एक दूसरे के विचारों की जांच करते हैं और चुनौती पेश करते हैं ताकि वे अपने प्रत्युत्तरों को लेकर विश्वस्त हो सकें। एक साथ बातचीत करने वाले समूहों को किसी के भी द्वारा दिए गए उत्तर को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। आप समूची कक्षा की सेटिंग में ‘क्यों?’, ‘आपने उसका निर्णय क्यों किया?’ या ‘क्या आपको उस हल में कोई समस्या नजर आती है?’ जैसे जांच वाले प्रश्नों के अपने प्रयोग के माध्यम से चुनौतीपूर्ण विचारशीलता को तैयार कर सकते हैं। आप विद्यार्थी समूहों को सुनते हुए कक्षा में घूम सकते हैं और ऐसे प्रश्न पूछकर उनकी विचारशीलता को बढ़ा सकते हैं।

अगर विद्यार्थियों की बात–चीत, विचारों और अनुभवों की कद्र और सराहना की जाती है तो वे प्रोत्साहित होंगे। बातचीत करने के दौरान अपने व्यवहार, सावधानी से सुनने, एक दूसरे से प्रश्न पूछने, और बाधा न डालना सीखने के लिए अपने विद्यार्थियों की प्रशंसा करें। कक्षा में कमजोर बच्चों के बारे में सावधान रहें और उन्हें भी शामिल किया जाना सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करें। कामकाज के ऐसे तरीकों को स्थापित करने में थोड़ा समय लग सकता है, जो सभी विद्यार्थियों को पूरी तरह से भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हों।

विद्यार्थियों को स्वयं से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें

अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करें जहां अच्छे चुनौतीपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं और जहां विद्यार्थियों के विचारों को सम्मान दिया जाता है और उऩकी प्रशंसा की जाती है। विद्यार्थीयों मे उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर भय होगा या अगर उन्हें लगेगा कि उनके विचारों का मान नहीं किया जाएगा, तो वे प्रश्न नहीं पूछेंगे। विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करना उनको जिज्ञासा दर्शाने के लिए प्रोत्साहित करता है, उनसे अपने शिक्षण के बार में अलग ढंग से विचार करने के लिए कहता है और उनके नजरिए को समझने में आपकी सहायता करता है।

आप कुछ नियमित समूह या जोड़े में कार्य करने, या शायद ‘विद्यार्थियों के प्रश्न पूछने का समय’ जैसी कोई योजना बना सकते हैं ताकि विद्यार्थी प्रश्न पूछ सकें या स्पष्टीकरण मांग सकें। आप–

  • अपने पाठ के एक भाग को ‘अगर आपका प्रश्न है तो हाथ उठाएं’ नाम रख सकते हैं।
  • किसी विद्यार्थी को हॉट-सीट पर बैठा सकते हैं और दूसरे विद्यार्थियों को उस विद्यार्थी से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जैसे कि वे पात्र हों, उदाहरण के लिए– पाइथागोरस या मीराबाई
  • जोड़ों में या छोटे समूहों में ‘मुझे और अधिक बताएं’ खेल सकते हैं
  • मूल पूछताछ का अभ्यास करने के लिए विद्यार्थियों को कौन/क्या/कहां/कब/क्यों वाले प्रश्न ग्रिड दे सकते हैं
  • विद्यार्थियों को कुछ डेटा (जैसे कि विश्व डेटा बैंक से उपलब् ध डेटा, उदाहरण के लिए– पूर्णकालिक शिक्षा में बच्चों की प्रतिशतता या भिन्न देशों में स्तनपान की विशेष दरें) दे सकते हैं, और उनसे उन प्रश्नों के बारे में सोचने के लिए कह सकते हैं, जिससे डेटा के बारे में पूछ सकते हैं
  • विद्यार्थियों के सप्ताह भर के प्रश्नों को सूचीबद्ध करते हुए प्रश्न दीवार डिज़ाइन कर सकते हैं।

जब विद्यार्थी प्रश्न पूछने और उन्हें मिलने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुक्त होते हैं तो उस समय आपको रुचि और विचारशीलता के स्तर को देखकर हैरानी होगी। जब विद्यार्थी अधिक स्पष्टता और सटीक से संवाद करना सीख जाते हैं, तो नहीं केवल अपनी मौखिक और लिखित शब्दावलियां बढ़ाते हैं, अपितु उनमें नया ज्ञान और कौशल भी विकसित होता है।

संसाधन 3: प्रश्न पूछने में सामान्य गलतियाँ

अक्सर यह कहा जाता है कि ‘प्रश्न केवल उतने ही अच्छे होते हैं, जितना कि उनके द्वारा प्राप्त होने वाले उत्तर’। अगर आप अपने विद्यार्थियों से प्रश्न पूछ रहे हैं, तो आप उन्हें उत्तर देने या भाग लेने से हतोत्साहित नहीं करना चाहते। प्रश्न पूछने में सामान्य गलतियाँ हैं–

  • एक साथ ढेर सारे प्रश्न पूछना
  • प्रश्न पूछना और स्वयं उसका उत्तर प्रदान करना
  • बहुत जल्दी कठिन प्रश्न पूछना
  • हमेशा एक ही प्रकार के प्रश्न पूछना
  • धमकाने वाले अंदाज में प्रश्न पूछना
  • जांच करने वाले प्रश्नों का उपयोग नहीं करना
  • सोचने के लिए विद्यार्थियों को पर्याप्त समय नहीं देना
  • उत्तरों की अनदेखी करना
  • गलत उत्तरों को ठीक नहीं करना
  • उत्तरों के उद्देश्यों को देखने में असफल रहना
  • उत्तरों को जोड़ने में असफल रहना

अगर आप इनमें से कोई काम करते हैं, तो इस बारे में सोचें कि आप किस प्रकार से अपनी पहुंच को अनुकूलित कर सकते हैं और इसके विपरीत करने का तरीका निकाल सकते हैं। विद्यार्थियों के कार्य-निष्पादन में सुधार के लिए देखें।

References

Blosser, P.E. (1990) ‘The role of the laboratory in science teaching’, Research Matters – to the Science Teacher, no. 9001, 1 March. Available from: https://www.narst.org/ publications/ research/ labs.cfm (accessed 5 August 2014).
Broggy, J. (2011) ‘The art of asking thought-provoking questions: their role in encouraging student participation in the science classroom’ (online), National Centre for Excellence and Science Teaching and Learning, Resource and Research Guides, vol. 2, no. 13. Available from: http://www.nce-mstl.ie/ _fileupload/ Thought%20-%20Provoking%20Questions.pdf (accessed 5 August 2014).
Brown, G. and Wragg, E. (1993) Questioning. London: Routledge.
Elstgeest, J. (2001) ‘The right question at the right time’ in Harlen, W. (ed.) Primary Science: Taking the Plunge, pp. 25–35. Portsmouth, NH: Heinemann.
Hastings, S. (2003) ‘Questioning’, TES Newspaper, 4 July. Available from: http://www.tes.co.uk/ article.aspx?storycode=381755 (accessed 22 September 2014).
Hattie, J. (2012) Visible Learning for Teachers: Maximising the Impact on Learning. Abingdon: Routledge.
TESSA (undated) ‘Using questioning to promote thinking’ (online). Available from: http://www.tessafrica.net/ files/ tessafrica/ kr_allkeyresources.pdf (accessed 9 September 2014).

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है, जब तक कि अन्यथा निर्धारित न किया गया हो। यह लाइसेंस TESS-India, OU और UKAID लोगो के उपयोग को वर्जित करता है, जिनका उपयोग केवल TESS-India परियोजना के भीतर अपरिवर्तित रूप से किया जा सकता है।

कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।

वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।