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प्रारंभिक पठन

यह इकाई किस बारे में है

इस इकाई में, आप सीखेंगे कि अपनी कक्षा में प्रारंभिक पठन का अध्यापन कैसे किया जाए, इसमें किस प्रकार सहायता दी जाए, इसकी योजना कैसे बनाई जाए और इसका आकलन कैसे किया जाए। पढ़ना शायद आपके छात्रों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण और सशक्त बनाने वाले कौशलों में से एक है। आपके छात्रों के प्रारंभिक पठन में सहायता देने और इसे प्रोत्साहित करने में आपकी भूमिका उनके भविष्य की शैक्षिक और जीवन की सफलता में महत्वपूर्ण है।

पढ़ने का कौशल सीखना जन्मजात विकासात्मक प्रक्रिया नहीं है। इसके बजाय, इसमें समय की एक अवधि के दौरान नियमित अभ्यास करना शामिल होता है। ऐसा अभ्यास अनौपचारिक रूप से (घर में या समुदाय में) और औपचारिक रूप से (स्कूल में) हो सकता है. पढ़ने के कई रास्ते होते हैं, जिनमें से कुछ आपने खुद उपयोग किए होंगे।

आप एक शिक्षक हैं यह तथ्य इस बात को सूचित करता है कि आप एक कुशल और आत्मविश्वासी पाठक हैं और आप जानकारी व मनोरंजन दोनों ही उद्देश्यों के लिए अलग अलग प्रकार के पाठ को पढ़ सकते हैं। मुद्रित पाठ को पढ़ने के साथ-साथ, आप किसी कंप्यूटर या मोबाइल फोन की स्क्रीन पर भी पाठ को पढ़ सकते हैं। आपने यह जटिल कौशल कैसे सीखा? इस इकाई में आप पाठक बनने की अपनी यात्रा को और साथ ही आपके छात्रों की इस यात्रा में आपके सहयोग को देखेंगे।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • प्रारंभिक पठन के लिए ऐसे पाठों की योजना किस प्रकार बनाई जाए, जो आकर्षक और मज़ेदार हों।
  • छोटे छात्रों द्वारा पढ़ना सीखने के आरंभिक चरणों के दौरान दिखाए जाने वाले व्यवहारों की पहचान किस प्रकार की जाए।
  • प्रारंभिक पठन के विकास का आकलन करने और उसमें सहायता करने के तरीके।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

आरंभिक पठन सिखाना छात्रों को केवल वर्णों और शब्दों की पहचान करने में सक्षम बनाने तक सीमित नहीं है। यह पूरे पाठ का अर्थ समझ पाने में आपके छात्रों की मदद करने से संबंधित है। इससे उनका भाषा का ज्ञान और दुनिया की समझ बढ़ती है। जिन बच्चों को पढ़ने में मज़ा आता है और जो कुशल एवं वाक्पटु पाठक बन जाते हैं वे अक्सर स्कूल के सभी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके सभी छात्र इसमें जुड़ें और उनके पठन में प्रगति हो यह महत्वपूर्ण है कि आप–

  • उन्हें प्रेरित और प्रोत्साहित करें
  • उनका अवलोकन और आकलन करें
  • उनकी निगरानी के द्वारा प्राप्त होने वाली जानकारी का उपयोग आप इस आवश्यक कौशल के विकास के लिए उनके लिए ज़रूरी अध्यापन और सहायता की योजना बनाने में करें।

1 पढ़ने की शुरुआत – ‘कौन?’, ‘क्या?’, ‘कहाँ?’, ‘क्यों?

आपके प्रारंभिक पठन अनुभवों के बारे में आपको क्या याद है? नीचे वर्णित अनुभवों के साथ उनकी तुलना किस प्रकार की जा सकती है?

केस स्टडी 1: पढ़ना सीखने की स्मृतियाँ

निम्नलिखित उद्धरणों में , सात भारतीय शिक्षक पढ़ना सीखने के अपने प्रारंभिक अनुभवों को याद करते हैं। जब आप उनके संस्मरण पढ़ते हैं, तो टिप्पणियाँ दर्ज करें कि किसने पढ़ने में उनकी मदद की, उन्होंने क्या पढ़ा , कहाँ पढ़ा , और क्यों पढ़ा।

  • a. मेरी माँ कई पारंपरिक कथाएँ सुनाया करती थीं, जिन्हें सुनकर मेरा और मेरी बहनों का मनोरंजन होता था। कभी-कभी वे उन्हें लिखती थीं और उनके चित्र बनाती थीं। उन्होंने हमें भी प्रोत्साहित किया कि हम रिसाइकिल किए गए कागज़ से और पत्रिकाओं के कट-आउट से अपनी चित्र पुस्तिका बनाएँ। मेरे पास उन पुस्तकों का एक छोटा-सा कलेक्शन था, जो हमने साथ मिलकर बनाई थीं।
  • b. मेरे दादाजी बहुत सख्त मिज़ाज व्यक्ति थे। हर दिन वे मुझे शब्दकोश के पाँच शब्द याद करवाते थे। हमारे घर में वही एकमात्र पुस्तक थी। एक बार, जब वे मुझे पैसे नहीं दे रहे थे, तो मैंने उनसे कहा ‘आप बहुत कंजूस हैं!’ इससे वे चिढ़ गए, लेकिन वे हँसने भी लगे। मेरे पास एक व्यापक शब्दावली थी, लेकिन मैंने कहानियों की कोई किताब नहीं पढ़ी थीं।
  • c. मेरे बचपन में, पिताजी हर दिन शाम को हमें वेदों से एक अंश पढ़कर सुनाते थे। इसके बाद वे हमसे इसकी व्याख्या करने को कहते थे। वे परिच्छेद जटिल और समझने में कठिन होते थे। एक दिन मेरी दीदी ने चुपचाप वेद लिए और अगला परिच्छेद मुझे पढ़कर सुनाया। उन्होंने इसका अर्थ भी इतना स्पष्ट रूप से बताया कि मुझे वह समझ आ गया। उस दिन शाम को पिताजी मुझसे बहुत प्रसन्न हुए!
  • d. मेरी दादी एक लकड़ी से मिट्टी में शब्द बनाती थीं और मुझसे उनका अर्थ पूछती थीं। शब्दों से मेरा वही पहला परिचय था। इसके बाद मेरी बहन ने अपनी स्कूल की पाठ्यपुस्तक से मुझे पढ़ना सिखाया। उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मेरी ऊंचाई ज्यादा थी और मैं अपनी उम्र से बड़ा लगता था, इसलिए उसे चिंता थी कि अगर स्कूल जाने पर मैं पढ़ नहीं सका, तो लोग मुझे चिढ़ाएंगे।
  • e. मेरे घर में और गाँव में कोई पठन सामग्री नहीं थी। पहली बार मैंने लिखे हुए शब्द स्कूल जाने पर ही देखे थे। मेरी शिक्षिका मेरी प्रेरणा की स्त्रोत थी। वे कई रोमांचक कहानियाँ सुनाती थीं और हम ज़मीन पर बैठकर उन्हें सुनते थे। मुझे वे कहानियाँ आज भी याद हैं। इसके बाद उन्होंने वे कहानियाँ बड़े-बड़े अक्षरों में चार्ट पेपर पर लिख दीं, ताकि हर कोई उन शब्दों को देख सके। चूंकि मुझे वे कहानियाँ पहले ही याद हो गई थीं, इसलिए मुझे लगा कि मैं उन्हें आसानी से पढ़ सकता हूँ।
  • f. मेरे स्कूल के शिक्षक ने मुझे कविताएँ याद करना सिखाया। समय के साथ-साथ इनकी लंबाई बढ़ती गई। लंबी कविता को याद करना मज़ेदार होता था। मैं अपने माता-पिता को कविता सुनाकर प्रभावित किया करता था। कभी-कभी वे मुझसे घर आए मेहमानों को कविता सुनाने को कहते थे। मुझे रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता Independence Day आज भी याद है। मुझे उसकी शुरूआती पंक्तियाँ बहुत पसंद हैं: ‘When the mind is without fear/And the head is held high/Where knowledge is free…’. बहुत बड़ी उम्र तक मैंने किताबों में कविताएँ नहीं पढ़ीं।
  • g. वयस्क होने से पहले तक मुझे पढ़ने में रुचि नहीं थी। मेरे स्कूल के शिक्षक हमारी कक्षा में सिर्फ पाठ्यपुस्तक का ही उपयोग करते थे। हम पाठ पढ़ते थे और अभ्यास पूरा करते थे। इसकी सामग्री बहुत उबाऊ थी और मेरी रुचियों से बिल्कुल अलग थी। मैंने घर में जो कहानियाँ सुनी थीं, वे कहीं ज्यादा रोचक थीं, मुझे रात में देर तक जागकर अपने चाचाजी से रामायण की कहानियाँ सुनना बहुत अच्छा लगता था। उम्र बढ़ने पर मुझे सिनेमा देखने जाना पसंद था। वास्तव में सभी फ़िल्में कहानियाँ ही होती हैं।

विचार के लिए रुकें

इन उद्धरणों के बारे में आपकी टिप्पणियों से क्या पता चलता है?

  • कौन? क्या यह देखकर आपको अचरज हुआ कि इन्हें व्यक्तिगत रूप से पढ़ना सिखाने के लिए मुख्य रूप से इतने सारे अलग–अलग लोगों का उल्लेख किया गया है? एक व्यक्ति को एक प्रेरक शिक्षक याद हैं; दूसरे ने अपने परिवार के एक सदस्य के बारे में बात की है। आपके छात्रों को स्कूल से बाहर चाहे जो भी अतिरिक्त सहायता मिलती हो, लेकिन उनकी प्रारंभिक पठन सफलता में आपका योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • क्या? पठन सीखना कई तरह की स्त्रोत सामग्रियों पर आधारित होना चाहिए और इसमें विभिन्न गतिविधियाँ शामिल होनी चाहिए। कहानियाँ सुनना, कविताएँ दोहराना, किताबें बनाना और शब्दों को याद करना इन अनुभवों में उल्लेख किए गए केवल कुछ ही तरीके हैं।
  • कहाँ? पठन सीखने की प्रक्रिया कई अलग अलग परिवेशों में हो सकती है। एक स्थान पर बच्चों का पढ़ने से परिचय करवाया जा सकता है और दूसरे स्थान पर वे सीखना जारी रख सकते हैं।
  • क्यों? जिन लोगों को कथावाचन और पठन आकर्षक और मज़ेदार लगता है, बच्चे आसानी से उनकी नकल करने लगते हैं।

उपरोक्त उदाहरण बताते हैं कि पठन सीखना एक इंटरएक्टिव प्रक्रिया है, जिसमें कई तरह के लोग, सामग्री के स्त्रोत और अनुभव शामिल होते हैं। क्या यहाँ वर्णित पद्धतियों और संसाधनों में से कोई आपकी कक्षा में भी मौजूद हैं? क्यों या क्यों नहीं?

गतिविधि 1: पढ़ना सीखने की आपकी यादें

अब आप पढ़ना सीखने की अपनी यादों के बारे में बताएंगे। चित्र 1 में बने चार्ट के बीच में अपना नाम लिखें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देकर अन्य चार हिस्सों को पूरा करें:

  • पठन से आपका परिचय किसने करवाया?
  • आपने सबसे पहली बार क्या पढ़ा था?
  • आपने यह कहाँ पढ़ा था?
  • ऐसा क्यों हुआ था?
चित्र 1 पढ़ना सीखने की आपकी यादें

अपनी यादें किसी सहकर्मी के साथ बाँटें। पढ़ना सीखने के आपके अनुभवों में क्या समानताएं और अंतर हैं?

क्या आप अपने प्रारंभिक पठन अनुभवों का उपयोग अपने कक्षा अध्यापन में करते हैं? क्यों या क्यों नहीं?

विचार के लिए रुकें

अब इस चार्ट को अपनी कक्षा के छात्रों के नज़रिए से देखें। चार्ट के बीच में आपके नाम की जगह आपके किसी छात्र के नाम की कल्पना करें।

  • हालांकि, पठन से आपके छात्रों को परिचित करवाने में स्कूल से बाहर के लोगों की भी भूमिका हो सकती है, लेकिन एक शिक्षक के रूप में, आप ही इस चार्ट में ‘कौन’ वाले हिस्से में हैं। अपने छात्रों के लिए पठन का रोल-मॉडल बनें। उन्हें दिखाएँ कि आपको किताबें और पढ़ना पसंद हैं।
  • आपके छात्र कक्षा में ‘क्या’ पढ़ते हैं, यह आपकी ज़िम्मेदारी है। ऐसे संसाधनों और गतिविधियों को ढूंढें, जिनसे उन्हें पाठक बनने की प्रेरणा मिले। आपके छात्र कक्षा से बाहर क्या पढ़ते हैं इसमें भी रुचि दिखाएँ।
  • इस चार्ट में, ‘कहाँ’ उनके स्कूल को संदर्भित करता है; लेकिन आपके छात्रों के लिए घर, मंदिर या मस्जिद भी उनके प्रारंभिक पठन अनुभवों के लिए महत्वपूर्ण स्थान हो सकते हैं।
  • पठन का ‘क्यों’ प्रत्येक छात्र के लिए अलग होगा। उनमें से कुछ छात्र जिज्ञासा के कारण पढ़ेंगे, जबकि कुछ अन्य बाध्यता के कारण पढ़ेंगे।

केस स्टडी 2: ‘बस पर बक्से’

इंदौर में कक्षा एक की शिक्षिका श्रीमती लता बताती हैं कि किस प्रकार उन्होंने अपने छोटे छात्रों को ‘बस पर बक्से’ नामक एक सरल कहानी के द्वारा आकर्षित किया (संसाधन 1 देखें).

यह कहानी बहुत सरल है: यह एक बस में चढ़ने वाले अलग अलग लोगों की कहानी है, जिनमें से हर एक के पास एक बक्सा होता है। प्रत्येक बक्से में कुछ अलग सामान है। धीरे-धीरे बस पूरी तरह भर जाती है और किसी नए व्यक्ति के आने की जगह नहीं बचती।

कहानी सुनाने से पहले, मैंने कुछ ऐसी चीजों के बारे में सोचा, जो बक्से में हो सकती हैं। मैंने सबसे पहले छात्रों को कार्डबोर्ड का एक बड़ा बक्सा दिखाया, जो मैं अपने घर से लाई थी। वे इसे देखकर काफी रोमांचित थे। इसके बाद मैंने उन्हें कहानी सुनाई। जब भी वाक्यांश ‘… और उस बक्से में थे…’ कहती, तो मैं अपने छात्रों को इसमें शामिल करती थी। मैंने बक्से में रखने के लिए जो वस्तुएँ सोचीं, उनमें एक बटन और एक बकरी शामिल थे।

हर प्रकरण में, मैंने छात्रों से कहा कि वे कक्षा के सामने खड़े होकर हावभाव के द्वारा उस वस्तु का वर्णन करें। लबानी ने एक बटन का प्रदर्शन करने के लिए अपना अंगूठा और पहली अंगुली साथ मोड़ ली और पद्मज ने एक बकरी का संकेत देने के लिए अपने हाथ पर चार उंगलियाँ ‘चलाई’।

एक बार सुनाने के बाद, मैंने उन्हें दोबारा कहानी सुनाई और इस बार हर हिस्से के बाद मैंने विराम लिया, ताकि मेरे छात्र मेरे पीछे उसे दोहराएँ। इसके बाद मैंने कहानी फिर से सुनाई, और मेरे छात्रों ने हावभाव के द्वारा उसका प्रदर्शन करते हुए मेरे साथ कहानी दोहराई।

दो दिन बाद, मैंने अपने छात्रों की जोड़ियाँ बनाईं, जिनमें मैंने ज्यादा आत्मविश्वास वाले छात्रों को यथासंभव कम आत्मविश्वास वाले छात्रों के साथ रखा, और उनसे कहा कि वे अपनी याददाश्त के अनुसार ‘Boxes on the Bus’ की कहानी एक दूसरे को सुनाएँ।

दो छात्र पिछले सत्र में मौजूद नहीं थे, इसलिए मैंने ऐसी जोड़ियाँ चुनीं, जो उनकी सहायता कर सकें और उन्हें समझा सकें कि उन्होंने पहले क्या सीखा है, और अनुपस्थित छात्रों को उनके साथ तीन के समूह में रखा।

मैंने पूरी कक्षा को कुछ रंगीन पत्रिकाओं से कहानियों की विषयवस्तु से संबंधित चित्र काटने, उन्हें मैं जो कार्डबोर्ड का बक्सा लाई थी उस पर चिपकाने तथा उनके बगल में लेबल लगाने के लिए शब्द लिखने में अपनी मदद करने के लिए आमंत्रित किया।

अगले सप्ताह, मुझे एक नाव यात्रा के बारे में चित्र पुस्तिका मिली, जिससे मुझे दूसरी कहानी बनाने की प्रेरण मिली। इस बार उसे ‘नाव पर बक्से’ नाम दिया गया। इस संस्करण के लिए, मैंने खुद बताने के बजाय अपने छात्रों से सुझाव मांगे कि प्रत्येक बक्से में क्या रखा जाये।

विचार के लिए रुकें

निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार करें और यदि संभव हो, तो अपने किसी सहकर्मी के साथ उन पर चर्चा करें:

  • वह क्या है, जो ‘Boxes on the Bus’ को एक पठन गतिविधि बनाता है?
  • श्रीमती लता के छात्र भाषा के बारे में क्या सीख रहे थे?
  • वे वर्णों और ध्वनियों के बारे में क्या सीख रहे थे?

दूसरों के विचारों के साथ अपने विचारों की तुलना करें।

छात्रों को प्रारभिक पठन गतिविधियों में एक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। श्रीमती लता की कक्षा के छोटे छात्र ‘Boxes on the Bus’ की कहानी में सक्रिय रूप से भाग ले रहे थे क्योंकि:

  • वे साथ मिलकर कहानी सुन रहे थे
  • वे मुख्य वाक्यांश ‘…और इस बक्से में थे …’ को दोहराकर तथा उनके सहपाठियों द्वारा बनाए गए हावभावों की नकल करके अपनी आवाज़ और शरीर का उपयोग कर रहे थे
  • चित्रों और लेबल के द्वारा बक्से को सजाकर वे परिचित कहानी की ध्वनियों को अक्षरों, शब्दों और वाक्यांशों के साथ जोड़ पाने में सक्षम थे।

कोई मज़ेदार कहानी कई बार सुनना छात्रों को बहुत अच्छा लगता है। इससे वे पात्रों को जान सकते हैं, आगे क्या होने वाला है यह सोच सकते हैं और वह कहानी दोबारा खुद सुना सकते हैं।

गतिविधि 2: एक सरल कहानी को बढ़ाने के लिए संसाधन ढूँढना

इस गतिविधि के लिए, आप स्थिति अध्ययन 2 की कहानी ‘बस पर बक्से’ पर अथवा अपनी पसंद की किसी अन्य कहानी पर आधारित कुछ प्रारंभिक पठन गतिविधियों की योजना बनाएँगे। सबसे पहले अपनी कक्षा, स्कूल, घर और समुदाय में देखें। कहानी सुनाने में सुधार के लिए कौन-से संसाधन उपलब्ध हैं?

निम्नलिखित पर विचार करें:

  • उपयुक्त वस्तुएँ
  • चित्र
  • योगदान कर सकने वाले लोग
  • वस्तुएँ बनाने के लिए सामग्रियाँ।

आपने जिन संसाधनों की पहचान की है, उनका उपयोग करके कहानी को आगे बढ़ाने के लिए यथासंभव ज्यादा से ज्यादा विचार लिखें। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • कई कहानियाँ चित्रों या वस्तुओं के माध्यम से दर्शाई जा सकती हैं। ‘Boxes on the Bus’ की कहानी के लिए, आप अलग अलग आकारों वाले बक्से, एक खिलौना बस, एक बस का पोस्टर और प्रत्येक बक्से में रखी वस्तुएँ दर्शाने के लिए कई छोटी-छोटी चीजें या पत्रिकाओं के चित्रों का उपयोग कर सकते हैं।
  • क्या आपने कुछ ऐसे व्यक्तियों के बारे में सोचा, जो यह कहानी सुनाने में योगदान कर सकते हैं? क्या स्कूल के किसी छात्र के परिवार के कोई सदस्य बस चलाते हैं? यदि ऐसा है, तो उन्हें - या यदि छात्र बड़ी उम्र का है, तो उसे - इस बारे में बताने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है।
  • अपने छात्रों के साथ मिलकर आप कहानी के शब्दों और चित्रों का एक पोस्टर बना सकते हैं।
  • आप एक सरल नाटिका भी तैयार कर सकते हैं, जिसमें एक छात्र बस ड्राइवर की भूमिका निभाएगा। कक्षा को दो समूहों में बाँटें। एक समूह के छात्र अपने साथ एक बक्से में कोई सामान लेकर बस में चढ़ेंगे। दूसरे समूह के छात्र अनुमान लगाएँगे कि हर बक्से में क्या सामान है। चाहें तो आप एक धुन तैयार कर सकते हैं और अपने छात्रों को कहानी गाकर सुनाने को कह सकते हैं।

अपनी कक्षा में अपने विचारों और संसाधनों को आज़माने के लिए एक योजना बनाएँ। यह याद रखें कि एक या दो बड़ी गतिविधियों की बजाय कुछ दिनों तक चलने वाली कई छोटी-छोटी गतिविधियाँ आपके छोटे छात्रों में सीखने को बढ़ावा देने में ज्यादा प्रभावी होती हैं। अपने विचारों के बारे में अपने सहकर्मियों के साथ चर्चा करें और फिर उन्हें अपनी पाठ योजना में शामिल करें।

विचार के लिए रुकें

  • गतिविधियों की इस श्रृंखला से आपके छात्रों ने क्या सीखा? आप कैसे कह सकते हैं?
  • क्या हर कोई सक्रिय रूप से शामिल था? इसे सुनिश्चित करने के लिए आप अलग ढंग से क्या कर सकते थे?

कथावाचन - अपनी याददाश्त से कहानियाँ सुनाना - आपके छात्रों का पठन से परिचय करवाने का एक तरीका है। यह कहानियों के प्रवाह से उनका परिचय करवाता है और इस बारे में उनकी रुचि जगाता है कि आगे क्या होगा। कहानी के बारे में आपके प्रश्नों के लिए उनके जवाबों से आप आकलन कर सकते हैं कि उन्होंने क्या सीखा है। क्या वे अपने आप कहानी फिर से सुना सकते हैं या इसके लिए उन्हें आपकी सहायता की ज़रुरत होती है। यह अवश्य जांचें कि आपके सभी छात्र इसे समझ गए हैं। यदि आपको लगता है कि वे इसे समझ नहीं सके हैं, तो कहानी अलग अलग तरीकों से दोबारा सुनाएँ।

प्रारंभिक पठन कौशल का विकास करने में अपने छात्रों की सहायता करने का एक और तरीका उन्हें ऊँची आवाज़ में पुस्तकें पढ़कर सुनाना है।

2 अपने छात्रों को ऊँची आवाज़ में पढ़कर सुनाना

ऊँची आवाज़ में पुस्तकें पढ़कर सुनाने और ऐसा करते समय पुस्तक के शब्दों पर अपनी ऊँगली रखने से आपके छात्रों को यह समझने में मदद मिलेगी कि छपे हुए शब्दों में अर्थ छिपा होता है। वे सीखेंगे कि किताब किस तरह पकड़ी जाती है और पन्ने कैसे पलटे जाते हैं तथा किस प्रकार पाठ शुरू से अंत तक, बाएँ से दाएँ और ऊपर से नीचे तक एक क्रम में होता है।

चित्र 1 छपे हुए पन्नों पर शब्दों को पढ़ते समय उन पर अपनी ऊँगली रखने से छात्रों को यह सीखने में मदद मिलेगी कि शब्दों में अर्थ होते हैं।

जब आप पढ़ने की अच्छी पद्धतियों का नमूना देंगे, तो आपके छात्र आपकी नकल करेंगे। वे पुस्तकों को खुद ‘पढ़ने’ की कोशिश करेंगे, जिसमें वे कभी-कभी अपनी याददाश्त से कहानी के शब्दों को याद करेंगे, कभी चित्रों से संकेत लेंगे और कभी-कभार अपने अनुभव और कल्पना के आधार पर खुद ही कहानी बना लेंगे। ये सभी इस बात को प्रोत्साहित करने वाले संकेत हैं कि उनमें अच्छी पठन पद्धतियों का विकास हो रहा है, इसलिए जब वे ऐसा करते हैं, तो उन पर अवश्य ध्यान दें और उन्हें प्रोत्साहित करें।

केस स्टडी 3: एक पठन रोल मॉडल

सुश्री सरोज बिहार में एक प्राथमिक शिक्षिका हैं। यहाँ वे बता रही हैं कि किस तरह वे अपने छोटे छात्रों के लिए एक पठन रोल मॉडल बनने का प्रयास करती हैं।

चाहे कोई कविता हो या लघुकथा, उसे मैं हर दिन अपने छात्रों को ऊँची आवाज़ में पढ़कर सुनाती हूँ। मैं बहुत सावधानी से किताब खोलती हूँ, ध्यानपूर्वक पृष्ठ पलटती हूँ, कोई कविता या कहानी चुनती हूँ। और अभिव्यक्ति के साथ इसे पढ़ती हूँ ऐसा करते समय पाठ पर अपनी ऊँगली घुमाती जाती हूँ और साथ बने चित्र अपने छात्रों को दिखाती हूँ। अक्सर मैं अलग अलग अवसरों पर एक ही कविता या कहानी एक से ज्यादा बार पढ़ती हूँ।

जब से मैं ऐसे करती आ रही हूँ, मैंने देखा है कि मेरे छोटे छात्र भी किताब को ध्यानपूर्वक संभालने लगे हैं, वे उसे सही तरीके से पकड़ते हैं, एक-एक करके पृष्ठ पलटते हैं, चित्रों को ध्यान से देखते हैं और कभी-कभी शब्दों के नीचे ऊँगली फिराते हैं। बारी-बारी से उनका अवलोकन करके - उनमें से कौन चित्र देख रहा है, पढ़ने का दिखावा कर रहा है, पढ़ने की कोशिश कर रहा है अथवा अधिकांश या सभी शब्द पढ़ रहा है, इस पर ध्यान देकर - मैं इस कौशल के विकास में उनमें से हर एक की प्रगति की निगरानी कर सकती हूँ।

गतिविधि 3: अपने छात्रों को ऊँची आवाज़ में पढ़कर सुनाना

स्थिति अध्ययन 3 और संसाधन 2 का उपयोग सन्दर्भ के रूप में करके, अपने छात्रों को ऊँची आवाज़ में पढ़कर सुनाने के एक सत्र की योजना बनाएँ, उसे लागू करें और उसका मूल्यांकन करें। यदि संभव हो, तो एक सहकर्मी के साथ अपने विचारों और निष्कर्षों पर चर्चा करें।

अगले अनुभाग में कुछ ऐसी रणनीतियों का वर्णन किया गया है, जिनका उपयोग आपके छोटे छात्र उनके प्रारंभिक पठन में कर सकते हैं।

3 पठन के तरीके

छोटे छात्र अलग अलग तरीकों से पढ़ना सीखते हैं:

  • कहानियों को सुनकर और वे जो भाषा सुनते हैं, उसे दोहराकर। ऐसा करके वे भाषा के खण्डों– अभिव्यक्ति, वाक्यांश और वाक्य को पढ़ते हैं और आत्मसात करते हैं।
  • बारी-बारी से हर अक्षर और शब्द को पढ़कर इससे वे अच्छी तरह जान जाते हैं कि शब्द कैसे बनते हैं और हर शब्द का मतलब क्या होता है।
  • पृष्ठ पर लिखे शब्दों को पढ़ने और समझने में उनकी मदद करने के लिए चित्रों का उपयोग करें।

वास्तव में ज्यादातर छात्र इन सभी रणनीतियों के मिश्रण का उपयोग करते हैं।

केस स्टडी 4: सुश्री दाईमा के छात्रों की पठन रणनीतियाँ

मध्यप्रदेश में कक्षा एक की शिक्षिका सुश्री दाईमा, अपने छोटे छात्रों की कुछ पठन रणनीतियों का वर्णन कर रही हैं।

नभी एक उत्साही और नाटकीय कथावाचिका थी। वह नियमित रूप से अपने सहपाठियों को कहानियाँ सुनाती थी। उनमें से कुछ याददाश्त से सुनाई जाती थी, जबकि कुछ तो उसी समय बना ली जाती थीं। जब मैं कक्षा में कहानियाँ सुनाती थी, तब वह बहुत ध्यानपूर्वक सुनती थी और मेरे साथ मुख्य शब्दों व वाक्यांशों को दोहराती थी। जब नभी खुद ऊँची आवाज़ में पढ़ती थी, तो वह कुछ गलतियाँ करती थी, जैसे ‘गधे’ की जगह ‘घोड़ा’ बोलना, लेकिन उसके ये बदले हुए शब्द भी हमेशा अर्थपूर्ण ही होते थे। मैंने नभी की शब्दों की पहचान में सुधार करने के लिए उसे कुछ सरल पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना तय किया। मैंने उसे रंगों के बारे में एक किताब दी। नभी ने किताब के कवर को देखा, जल्दी-जल्दी पन्ने पलटे और रोमांचित होकर कहा, ‘यह किताब तो रंगों के बारे में है! यह इस बारे में है कि हमें कहाँ लाल रंग की चीजें दिखाई दे सकती हैं, कहाँ पीली, कहाँ नीली - कार में, सड़क में, घर में, फूलों में। मैं इसे पढ़ सकती हूँ!’। धीरे-धीरे मैंने नभी को हर शब्द पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

बचन की अपने पठन को शुद्ध बनाने में बहुत रुचि थी। वह हर शब्द के अक्षरों को धीरे-धीरे और सही ढंग से बोलता था। जब वह किसी अनजान शब्द पर पहुँचता, तो पढ़ना रोक देता था। इस शब्द के लिए संघर्ष करते-करते वह पाठ का अर्थ भूल जाता था और निराश हो जाता था। मैंने उसे मेरी कहानियों को

सुनने और अपने शब्दों में उन्हें दोबारा सुनाने के लिए प्रोत्साहित किया। मैंने उसे अपने साथ और अन्य छात्रों के साथ मिलकर ऊँची आवाज़ में पढ़ने के लिए भी आमंत्रित किया और उसे समझाया कि छोटी-मोटी गलतियाँ होने पर भी वह परेशान न हो।

मैं कक्षा में जो कहानियाँ सुनाती थी, उन्हें सुनना प्रमिला को बहुत पसंद था। मैं अक्सर देखती थी कि वह कहानियों की उन्ही किताबों को बाद में पढ़ती थी। एक दिन, जब वह चित्रों और सरल वाक्यों वाली एक किताब में खोई हुई थी, तब मैंने उससे पूछा कि क्या वह मेरे लिए एक पन्ना पढ़ सकती है। उसने कहानी बिल्कुल सही सुना दी, लेकिन उसने पाठ को नहीं देखा और न ही पृष्ठ के किसी भी शब्द की ओर संकेत किया। मैंने उसकी तारीफ़ की, चित्रों को छिपा लिया और उसे फिर से वह कहानी मुझे सुनाने को कहा। चित्रों के मार्गदर्शन के बिना, इस बार उसे कठिनाई हुई। हालांकि, जब मैंने चित्र उजागर कर दिए, तो वह जारी रखने में सक्षम थी। उसने कहानी याद कर ली थी, लेकिन फिर भी वह अभी पढ़ना सीख रही थी। मैंने पढ़ने में उसका साथ दिया और हर शब्द पर ऊँगली रखकर संकेत किया, ताकि वह पाठ को उस परिचित कहानी के साथ जोड़ सके।

इस केस स्टडी में, सुश्री दाईमा ने देखा कि उनके छात्र पढ़ना सीखने के लिए विशिष्ट रणनीतियों का उपयोग करते थे और उनमें से हर एक की आगे बढ़ने में सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे।

विचार के लिए रुकें

  • क्या आपकी कक्षा में भी नभी, बचन और प्रमिला जैसे छात्र हैं?
  • क्या आपकी कक्षा में कोई छात्र हैं, जो ऊपर वर्णित रणनीतियों से अलग रणनीतियों का उपयोग करते हैं?

पढ़ने का कोई एक ही तरीका नहीं है। इसलिए शिक्षकों को अपने छात्रों को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे इस जटिल कौशल में महारत हासिल करने और इसका अभ्यास करने के अलग अलग तरीकों को आज़माएँ।

संसाधन 3 में इस बारे में ज्यादा विचार दिए गए हैं कि किस तरह प्रभावी रूप से अपने छात्रों की निगरानी की जाए और उन्हें फीडबैक दिया जाए। छात्रों को प्रोत्साहित करने वाला फीडबैक देने से उन्हें उनके प्रारंभिक पठन के विकास में सहायता मिल सकती है।

गतिविधि 4: अपनी कक्षा में पठन का अवलोकन करना

अपने छात्रों को उपयुक्त सहायता देने में सक्षम होने के लिए, यह सुनिष्चित करना महत्वपूर्ण है कि वे किस तरह की पठन रणनीतियों का उपयोग करते हैं। एक सारणी इस जानकारी को दर्ज करने का एक अच्छा तरीका हो सकती है। इसके बाद इस जानकारी के द्वारा आप इस बात की योजना बना सकेंगे कि उनके पठन विकास में किस तरह सर्वश्रेष्ठ तरीके से सहायता की जाए। एक नमूना नीचे सारणी 1 में दिया गया है।

बारी-बारी से अपने छात्रों का अवलोकन करते समय, उनके नाम उन पठन रणनीतियों के नीचे लिखें, जो उन पर लागू होती हैं। ऊपर केस स्टडी 4 में वर्णित नभी, बचन और प्रमिला की पठन रणनीतियों के आकलन का अभ्यास करने से आपको मदद मिल सकती है। सुनिश्चित करें कि कुछ समय में आप अपनी कक्षा के सभी छात्रों के लिए सारणी भर लें।

सारणी 1 अपने छात्रों की पठन रणनीतियों का अवलोकन करना
अनुमानयाददाश्तपूर्वानुमान लगाने के लिए चित्रों का उपयोग करते हैंशब्द के पहले अक्षर से पूर्वानुमान लगाते हैंहर शब्द को अलग अलग पढ़ते हैंपाठ के हिस्सों को पढ़ते हैंप्रत्येक शब्द की ओर संकेत करते हैंवाक्यों के नीचे ऊँगली घुमाते हैं

क्या आपके कुछ छात्र इन रणनीतियों के मिश्रण का उपयोग करते हैं?

क्या आपने कोई अन्य रणनीतियाँ देखी हैं, जिनका उपयोग आपके छात्र करते हैं? यदि हाँ, तो उन्हें अपनी सारणी में जोड़ें।

एक जैसी रणनीतियों का उपयोग करने वाले छात्रों को पहचानें और उन्हें उसके अनुसार समूह में रखें। अपने पाठों की योजना इस प्रकार बनाएँ कि आप समय के साथ-साथ उनकी अलग अलग ज़रूरतों के अनुसार प्रतिक्रिया दे सकें। कुछ छात्रों को अलग से आपकी सहायता की ज़रुरत हो सकती है।

अन्य के साथ आप छोटे समूहों में काम करने में सक्षम हो सकते हैं। अलग अलग रणनीतियों का उपयोग करने वाले पाठकों की जोड़ियाँ बनाने पर विचार करें, ताकि आप देख सकें कि क्या वे एक दूसरे से सीख सकते हैं।

पूरे स्कूली वर्ष के दौरान आपके छोटे छात्रों की पठन प्रगति के रिकॉर्ड विकसित करने के लिए सारणी की प्रतियों का उपयोग करें।

मुख्य संसाधन प्रगति और प्रदर्शन का मूल्यांकनको पढ़ने से भी आपको मदद मिल सकती है।

वीडियो: प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना

वीडियो: प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना

4 सारांश

प्रारंभिक पठन सिखाना एक, पारस्परिक–क्रिया है। यह आकर्षक और मज़ेदार प्रक्रिया होनी चाहिए। चाहे इसमें कहानी सुनाना शामिल हो या बोलकर पढ़ना, इसके द्वारा बच्चों को वाक्यांश दोहराने, हावभावों का उपयोग करने, आगे क्या होने वाला है इसका अनुमान लगाने, बाद में कहानी को फिर से याद कर पाने और इससे संबंधित नाटक या कला की गतिविधियाँ करने के मौके मिलने चाहिए।

छोटे छात्रों के साथ, प्रतिदिन एक संक्षिप्त पठन सत्र लंबे, ज्यादा अनियमित सत्रों की तुलना में अधिक प्रभावी होता है। जब छात्र पठन के नमूने देखते हैं और नियमित रूप से पुस्तकों का उपयोग करते हैं, तो वे खुद भी उन्हें पढ़ने की कोशिश करते हैं।

एक पाठक बनने के कई रास्ते हैं। मज़ेदार गतिविधियों, अभ्यास और समय-समय पर मिलने वाली सहायता के द्वारा, आपके छात्र वाक्पटु, आत्मविश्वासी पाठक बन सकते हैं, जिससे उन्हें आगे के शिक्षण के लिए एक मज़बूत आधार मिलेगा।

संसाधन

संसाधन 1: ‘बस पर बक्से’ (Boxes on the Bus)

बस स्टेशन पर रुकी। एक बूढ़ा व्यक्ति बस में सवार हुआ। उसके हाथ में एक भूरा बक्सा था और उस बक्से में थी… [एक टोपी]। इसके बाद एक माँ और उसका बच्चा बस में चढ़े। उसके हाथ में एक सफ़ेद बक्सा था और उस बक्से में था … [एक कंगन]। इसके बाद, एक लकडहारा बस में चढ़ा। उसके पास एक बहुत लंबा लकड़ी का बक्सा था और उस बक्से में थी … [एक कुल्हाड़ी]। इसके बाद एक रसोइया बस में चढ़ा। उसके हाथ में था एक चपटा, गोल बक्सा और उस बक्से में थी … [एक रोटी]।

जब तक आप चाहें, तब तक इस कहानी को जारी रखें। जब बस में बहुत भीड़ हो गई, तो ड्राइवर ने कहा, ‘अब मैं और ज्यादा लोग या बक्से नहीं ले जा सकता! दरवाज़े बंद हो रहे हैं! बीप बीप!’

उपरोक्त उदाहरण के समान आकृतियाँ, रंग और बक्से किस सामग्री से बने हैं, यह बताकर आप कहानी की जटिलता को बढ़ा सकते हैं। उनकी सामग्री में वर्णनात्मक शब्द जोड़कर या बहुवचन वाली या न गिनी जा सकने वाली चीजें जोड़कर (उदाहरण के लिए, ‘उसके पास धातु का एक भारी बक्सा था और उस बक्से में चमड़े के पुराने जूते/थोड़ा आटा/तीन बड़े कद्दू थे’), या बक्सों से आ रहे शोर का ज़िक्र करके (जैसे ‘वह एक बहुत छोटा बक्सा ले जा रही थी और उस बक्से में से चरमराने की आवाज़ आ रही थी’) इनकी सामग्रियों को और चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं। इस कहानी के द्वारा छात्रों को अलग अलग व्यवसायों और लोगों द्वारा उनके कामों में उपयोग किए जाने वाले औज़ारों का भी परिचय मिल सकता है।

इस प्रकार बक्सों और उनकी सामग्रियों की सूची लंबी होती जाने पर, यह कहानी एक मेमोरी गेम बन जाती है।

संसाधन 2: ऊँची आवाज़ में पढ़ने के सत्र की योजना

तैयारी

  • ऊँची आवाज़ में बोलकर सुनाने के लिए एक सरल कहानी चुनें। पुस्तक पर्याप्त रूप से इतनी बड़ी होनी चाहिए, ताकि आपके सभी छात्र उसके शब्दों और चित्रों को देख सकें।
  • सुनिश्चित कर लें कि आप उस कहानी से पहले से ही परिचित हैं।
  • स्कूल में किसी सहकर्मी को या घर में अपने परिवार को वह कहानी हावभावों के साथ पढ़कर सुनाने का अभ्यास करें और पुस्तक को इस तरह पकड़ें कि जब आप कहानी पढ़ रहे हों, उसी समय आपके छात्र भी इसे देख सकें।
  • यदि कोई अपरिचित शब्द या अवधारणाएं मिलती हैं, तो उन्हें नोट करें और यह याद रखें कि कुछ छात्र स्कूल की भाषा में कम आत्मविश्वासी होंगे।

कहानी पढ़ने से पहले

  • अपने छात्रों को अपने आस-पास इकट्ठा करें, ताकि वे किताब को अच्छी तरह देख सकें।
  • अपने छात्रों से कहानी की थीम से जुड़े किसी अनुभव के बारे में बात करें, जो शायद उनके साथ भी हुआ हो।
  • यदि कहानी में कोई ऐसे मुख्य शब्द हैं, जो शायद आपके छात्रों को मालूम न हों, तो छात्रों को उनसे परिचित करवाएँ और उनके अर्थ के बारे में बात करें। यह विशिष्ट रूप से उन छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनके घर की भाषा स्कूल की भाषा से अलग है।
  • सबसे पहले अपने छात्रों को पुस्तक का कवर दिखाएँ। एक छोटे भाग की ओर संकेत करें और वह पढ़कर सुनाएँ। कवर पर बने चित्र के बारे में बात करें और अपने छात्रों से पूछें कि क्या वे अनुमान लगा सकते हैं कि कहानी किस बारे में है।

कहानी पढ़ना

  • पाठ को अभिव्यक्ति सहित पढ़ें और हर पात्र के लिए अलग अलग आवाज़ों का उपयोग करें।
  • वाक्यों को पढ़ते समय शब्दों के नीचे अपनी ऊँगली घुमाएँ।
  • अपने छात्रों से कहें कि वे साथ बने चित्रों में क्या हो रहा है, इसका वर्णन करें:
    • ‘आपको चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?’
    • ‘आपके विचार से क्या हो रहा है?’
  • जहाँ उपयुक्त हो, वहाँ अगला पन्ना पलटने से पहले, अपने छात्रों को यह अनुमान लगाने के लिए आमंत्रित करें कि आगे क्या होने वाला है, इसके लिए उनसे प्रश्न पूछें, जैसे:
    • ‘पता नहीं, आगे क्या होगा?’
    • ‘आपको क्या लगता है, वह अब क्या कहेगा?’
कहानी पढ़ने के बाद

कहानी के बारे में बात करें। अपने छात्रों से इस तरह के प्रश्न पूछें, जैसे:

  • ‘आपको कौन-सा भाग सबसे ज्यादा अच्छा लगा?’
  • ‘आपका पसंदीदा पात्र कौन-सा था? क्यों?’

छोटे छात्रों से बहुत विस्तृत उत्तर पाने की उम्मीद न करें। जब आप प्रक्रिया का और पठन के आनंद का नमूना देते हैं, तो इस चर्चा को आनंददायक बनाएँ। अपने स्वयं के विचार व्यक्त करना भी न भूलें!

आकलन के अवसर

  • आपने अपने छात्रों को जो कहानी पढ़कर सुनाई, उसके प्रति उनकी प्रतिक्रिया कैसी थी?
  • क्या ऐसा लगा कि उनमें से कुछ छात्र इसे नहीं समझ पा रहे थे? यदि हाँ, तो इसका कारण क्या रहा होगा?
  • क्या उनमें से किसी ने इसके बाद कहानी के मुख्य शब्दों या अभिव्यक्तियों में से किसी का उपयोग किया?
  • क्या आपने किसी छात्र को कहानी पढ़ने के बाद में स्वयं ही वह पुस्तक उठाते हुए और आपके पठन व्यवहार की नकल करते हुए उस पर नज़र डालते हुए देखा?

संसाधन 3: निगरानी करना (मानीटिरंग) और फीडबैक देना

छात्रों के कार्यप्रदर्शन में सुधार करने में लगातार निगरानी करना और उन्हें प्रतिक्रिया देना शामिल होता है, ताकि उन्हें पता रहे कि उनसे क्या अपेक्षित है और उन्हें कामों को पूरा करने पर प्रतिक्रिया प्राप्त हो। आपकी रचनात्मक प्रतिक्रिया के माध्यम से वे अपने कार्यप्रदर्शन में सुधार कर सकते हैं।

निगरानी (मानीटिरंग) करना

प्रभावी शिक्षक अधिकांश समय अपने छात्रों की निगरानी करते हैं। सामान्य तौर पर, अधिकांश शिक्षक अपने छात्रों के काम की निगरानी। वे कक्षा में जो कुछ करते हैं उसे सुनकर और देखकर करते हैं। छात्रों की प्रगति की निगरानी करना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे उन्हें निम्नलिखित में मदद मिलती है:

  • अधिक ऊँचे ग्रेड प्राप्त करना
  • अपने कार्यप्रदर्शन के बारे में अधिक सजग रहना और अपनी सीखने की प्रक्रिया के प्रति अधिक जिम्मेदार होना
  • अपनी सीखने की प्रक्रिया में सुधार करना
  • प्रादेशिक और स्थानीय मानकीकृत परीक्षाओं में उपलब्धि का पूर्वानुमान करना।

इससे आपको एक शिक्षक के रूप में निम्नलिखित बातें तय करने में भी मदद मिलती है:

  • कब प्रश्न पूछें या प्रोत्साहित करें
  • कब प्रशंसा करें
  • चुनौती दें या नहीं
  • एक काम में छात्रों के अलग अलग समूहों को कैसे शामिल करें
  • गलतियों के विषय में क्या करें।

छात्र सबसे अधिक सुधार तब करते हैं जब उन्हें उनकी प्रगति के बारे में स्पष्ट और शीघ्र प्रतिक्रिया दी जाती है। निगरानी (मानीटिरंग) करते रहने से आप बच्चों को नियमित रूप से प्रतिक्रियाएं दे पाने में सक्षम बनेंगे, जैसे– वे कैसे काम कर रहे हैं और उनके सीखने की प्रक्रिया को उन्नत बनाने में उन्हें किस चीज की जरूरत है।

आपके सामने आने वाली चुनौतियों में से एक होगी अपने छात्रों की उनके स्वयं के सीखने के लक्ष्यों को तय करने में मदद करना, जिसे स्व-निगरानी भी कहा जाता है। छात्र, विशेष तौर पर, कठिनाई अनुभव करने वाले छात्र, अपनी स्वयं की सीखने की प्रक्रिया का बोझ उठाने के आदी नहीं होते हैं। लेकिन आप किसी परियोजना के लिए अपने स्वयं के लक्ष्य या उद्देश्य तय करने, अपने काम की योजना बनाने और समय सीमाएं तय करने। एवं अपनी प्रगति की स्व-निगरानी करने में किसी भी छात्र की मदद कर सकते हैं। स्व-निगरानी के कौशल की प्रक्रिया का अभ्यास और उसमें महारत हासिल करना उनके लिए विद्यालय और उनके सारे जीवन में उपयोगी साबित होगा।

विद्यार्थियों की बात सुनना और प्रेक्षण करना

अधिकांश समय, शिक्षक स्वाभाविक रूप से छात्रों की बात सुनते और उनका प्रेक्षण करते हैं; यह निगरानी करने का एक सरल साधन है। उदाहरण के लिए, आप:

  • अपने छात्रों को ऊँची आवाज में पढ़ते समय सुन सकते हैं
  • जोड़ियों या समूहकार्य में चर्चाएं सुन सकते हैं
  • छात्रों को कक्षा के बाहर या कक्षा में संसाधनों का उपयोग करते देख सकते हैं
  • समूहों के काम काम करते समय उनकी शारीरिक भाषा का प्रेक्षण कर सकते हैं।

सुनिश्चित करें कि आप जो विचार एकत्रित करते हैं वे छात्रों के सीखने की प्रक्रिया या प्रगति का सच्चा प्रमाण हों। सिर्फ वही बात रिकार्ड करें जो आप देख सकते हैं, सुन सकते हैं, उचित सिद्ध कर सकते हैं या जिस पर आप विश्वास कर सकते हैं।

जब छात्र काम करें, तब कमरे में घूमें और संक्षिप्त प्रेक्षण नोट्स बनाएं। आप कक्षा सूची का उपयोग करके नोट कर सकते हैं कि किन छात्रों को अधिक मदद की जरूरत है, साथ ही किसी भी उभरती गलतफहमी को भी नोट कर सकते हैं। इन प्रेक्षणों और नोट्स का उपयोग आप सारी कक्षा को प्रतिक्रिया देने या समूहों अथवा व्यक्ति विशेष को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए कर सकते हैं।

प्रतिक्रिया देना

प्रतिक्रिया वह जानकारी होती है जो आप किसी छात्र को यह बताने के लिए देते हैं कि उन्होंने किसी घोषित लक्ष्य या अपेक्षित परिणाम के संबंध में कैसा कार्य किया है। प्रभावी प्रतिक्रिया छात्र को:

  • जानकारी देती है कि क्या हुआ है
  • इस बात का मूल्यांकन करती है कि कोई कार्यवाही या काम कितनी अच्छी तरह से किया गया
  • मार्गदर्शन देती है कि कार्यप्रदर्शन को कैसे सुधारा जा सकता है।.

जब आप हर छात्र को प्रतिक्रिया देते हैं, तब उसे यह जानने में उनकी मदद करनी चाहिए कि:

  • वे वास्तव में क्या कर सकते हैं
  • वे अभी क्या नहीं कर सकते हैं
  • उनका काम अन्य लोगों की तुलना में कैसा है
  • वे कैसे सुधार कर सकते हैं।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रभावी प्रतिक्रिया छात्रों की मदद करती है। आप नहीं चाहते कि आपकी प्रतिक्रिया के अस्पष्ट या अन्यायपूर्ण होने के कारण सीखने की प्रक्रिया में कोई रूकावट आए। प्रभावी प्रतिक्रिया:

  • हाथ में लिए गए काम और छात्र द्वारा सीखी जा रही बात पर संकेंद्रित होती है
  • स्पष्ट और ईमानदार होती है और छात्र को बताती है कि उसके सीखने की प्रक्रिया के बारे में क्या अच्छी बात है और उसे कहाँ सुधार करना चाहिए
  • कार्यवाही के योग्य होती है और छात्र को ऐसा कुछ करने को कहती है जिसे करने में वे सक्षम होते हैं
  • छात्र के समझ सकने योग्य उपयुक्त भाषा में दी जाती है
  • सही समय पर दी जाती है – यदि वह बहुत जल्दी दी गई तो छात्र सोचेगा ‘मैं यही तो करने जा रहा था!’; बहुत देर से दी गई तो छात्र का ध्यान और कहीं चला जाएगा और वह वापस लौटकर वह नहीं करना चाहेगा जिसके लिए उसे कहा गया है।

प्रतिक्रिया चाहे बोली जाए या छात्रों की वर्कबुकों में लिखी जाए, वह तभी अधिक प्रभावी होती है यदि वह नीचे दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करती है।

प्रशंसा और सकारात्मक भाषा का उपयोग करना

जब हमारी प्रशंसा की जाती है और हमें प्रोत्साहित किया जाता है तो आमतौर पर हम उस समय के मुकाबले काफी अधिक बेहतर महसूस करते हैं, जबकि हमारी आलोचना की जाती है या हमारी गलती सुधारी जाती है। पुर्नबलन और सकारात्मक भाषा समूची कक्षा और सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए प्रेरणादायक होती है। याद रखें कि प्रशंसा विशिष्ट होनी चाहिए और उसका लक्ष्य छात्र की बजाय उसके द्वारा किया गया काम होना चाहिए, अन्यथा वह छात्र की प्रगति में मदद नहीं करेगी। ‘शाबाश’ विशिष्ट शब्द नहीं है, इसलिए निम्नलिखित में से कोई बात कहना बेहतर होगा:

संकेत देने के साथ-साथ सुधार का उपयोग करना

अपने छात्रों के साथ आप जो बातचीत करते हैं वह उनके सीखने की प्रक्रिया में मदद करती है। यदि आप उन्हें बताते हैं कि उनका उत्तर गलत है और संवाद को वहीं समाप्त कर देते हैं, तो आप सोचने और स्वयं प्रयास करने में उनकी मदद करने का अवसर खो देते हैं। यदि आप छात्रों को संकेत देते हैं या आगे कोई प्रश्न पूछते हैं, तो आप उन्हें अधिक गहराई से सोचने को प्रेरित करते हैं और उत्तर खोजने तथा अपने स्वयं के सीखने का दायित्व लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। उदाहरण के लिए, आप बेहतर उत्तर के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। किसी समस्या पर किसी अलग दृष्टिकोण को प्रेरित करने के लिए निम्नलिखित जैसी बातें कह सकते हैं:

दूसरे विद्यार्थियों को एक दूसरे की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना उपयुक्त हो सकता है। आप यह काम निम्नलिखित जैसी टिप्पणियों के साथ शेष कक्षा के लिए अपने प्रश्नों को प्रस्तुत करके कर सकते हैं:

छात्रों को हां या नहीं के साथ सुधारना स्पेलिंग या संख्या के अभ्यास की तरह के कामों के लिए उपयुक्त हो सकता है, लेकिन यहां पर भी आप विद्यार्थियों को उभरते प्रतिमानों (पैटर्न) पर नजर डालने या समान उत्तरों से संबंध बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं या चर्चा शुरू कर सकते हैं कि कोई उत्तर गलत क्यों है।

स्वयं सुधार करना और समकक्षों से सुधार करवाना प्रभावी होता है और आप इसे छात्रों से दिए गए कामों को जोड़ियों में करते समय स्वयं अपने और एक दूसरे के काम की जाँच करने को कहकर प्रोत्साहित कर सकते हैं। एक समय में एक पहलू को सही करने पर ध्यान केंद्रित करना सबसे अच्छा होता है ताकि भ्रम में डालने वाली ढेर सारी जानकारी न हो।

अतिरिक्त संसाधन

References

Clay, M.M. (2005) Literacy Lessons Designed for Individuals. Portsmouth, NH: Heinemann.
Graham, J. and Kelly, A. (2000) Reading under Control: Teaching Reading in the Primary School , 2nd edn. London: David Fulton Publishers, in association with the University of Surrey.
IT Tragedy (undated) ‘Independence Day poem kids Hindi English short long [sic]’ (online). Available from: http://www.ittragedy.com/ independence-day-poem-kids-hindi-english-short-long/ (accessed 23 October 2014).
Jhingran, D. (2005) Language Disadvantage: The Learning Challenge in Primary Education . New Delhi: APH Publishers.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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