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विद्यार्थियों द्वारा प्रश्न किया जाना: चीजों को छाँटना और वर्गीकृत करना

यह इकाई किस बारे में है

सीखने की प्रक्रिया में सहायता करने के लिये शिक्षक अपने पाठों में जिस प्रकार के प्रश्नों का प्रयोग करते हैं, उन पर बहुत बात–चीत और अनुसन्धान होता है। विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों अथवा कथनों के प्रकार की जाँच करना, प्रश्न पूछने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। विद्यार्थियों को उनके आसपास की दुनिया के सम्बन्ध में प्रश्न पूछने के लिये प्रोत्साहित करना विद्यार्थियों की विज्ञान में रुचि को बढाने का एक भाग है। बहुत से विद्यार्थी पहले से ही बहुत से प्रश्न पूछते हैं, अक्सर जब आप अथवा अभिभावक अत्यधिक व्यस्त होते हैं, तब बहुत से विद्यार्थी अधिक प्रश्न पूछते हैं। इसलिये उनका उत्तर देना सदा सुविधाजनक नहीं होता है। लेकिन यदि विद्यार्थियों के प्रश्नों को समय न दिया जाये, तो विज्ञान में उनकी रुचि के जाने की आशंका रहती है।

यह यूनिट विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों और कथनों के प्रकारों का अन्वेषण करता है। यह ऐसे प्रश्नों के समाधानों पर भी ध्यान देता है, जिससे विद्यार्थियों की रुचि को बढ़ावा मिले। साथ ही, यह उन्हें अधिक उद्देश्यपूर्ण प्रश्न पूछने के लिये प्रोत्साहित करता है, जो खोजों द्वारा अधिक गहरी समझ को और प्रेरित करता है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • विद्यार्थियों के विभिन्न प्रकार के प्रश्नों का समाधान।
  • अपने विद्यार्थियों को उनके अपने उद्देश्यपूर्ण प्रश्नों को पूछने में सहायता करना।
  • विज्ञान में वस्तुओं और सामग्रियों को छाँटना और वर्गीकरण का महत्व।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

अपने विद्यार्थियों को सभी प्रकार की सामग्रियों और वस्तुओं के सम्बन्ध में प्रश्न पूछने के लिये प्रोत्साहन देना तथा उनके विज्ञान में सीखने के लिये महत्वपूर्ण है। इससे उनकी रुचि को बढ़ावा देने और ध्यान आकर्षित करने का यह एक तरीका है। विद्यार्थियों को अपनी वैज्ञानिक साक्षरता को विकसित करने की आवश्यकता है। जिससे वे अपनी जीवनशैली और काम के सम्बन्ध में जानकारी का चुनाव कर सकें। अतः विज्ञान की गतिविधियों और निष्कर्ष परिणामों को लेकर ऊपर बात–चीत करने की सक्षमता को अपने विद्यार्थियों में विकसित करने योग्य एक अत्यंत महत्वपूर्ण कौशल है।

विद्यार्थियों के प्रश्न आपको उन विवादों और समस्याओं के सम्बन्ध में अंतदृर्ष्टि देते हैं जिन्हें वे समझने का प्रयास कर रहे हैं और उनका अर्थ निकालने के लिये संभवतः संघर्ष कर रहे हैं। जैसे-जैसे वे इन प्रश्नों को हल करते जाते हैं, वैसे-वैसे वे नए विचारों अथवा प्रेक्षणों को, अपने पूर्व ज्ञान से जोड़ने का प्रयास करते हैं। अतः, यह आवश्यक है कि शिक्षक होने के रूप में आप उनके प्रश्नों पर ध्यान दें और प्रभावकारी ढंग से उनका समाधान करें। विद्यार्थियों के प्रश्न आपको उनके सीखने का मूल्यांकन करने में सहायता करते हैं।

छाँटन करने और वर्गीकरण करने की क्षमता सबके लिये एक महत्वपूर्ण कौशल है, जिसमें सबसे बढ़िया सामग्री, वस्तु अथवा एक कार्य को प्रभावी ढंग से करने के तरीके को चुनने की अनुमति देता है। प्रभावी ढंग से छँटाई और वर्गीकरण करने की कुंजी हैं छँटाई की जाने वाली वस्तुओं के सम्बन्ध में प्रश्न करने में सक्षम होना जिससे समानतायें और भिन्नतायें पहचानी जा सकें। वस्तुओं और सामग्रियों के संग्रह विद्यार्थियों को अपने प्रश्न हल करने में सहायता देने के लिये अच्छे शुरूआती अवसर प्रस्तुत करते हैं।

1 विद्यार्थी प्रश्न क्यों पूछते हैं

विभिन्न कारणों से थ्वद्यार्थीथी छोटी आयु से ही प्रश्न पूछना प्रारंभ कर देते हैं, जिनमें उनके आसपास की दुनिया के सम्बन्ध में कौतुहलता सम्मिलित है। अक्सर वे इसलिये प्रश्न करते हैं, जिससे कि वे जो जानते हैं, उनसे कड़ियाँ जोड़ने में सहायता पा सकें।

विद्यार्थियों के सभी प्रश्नों के उत्तर देना सरल नहीं होता और कुछ प्रश्नों के उत्तर तुरंत देना आवश्यक भी नहीं होता लेकिन उन सभी प्रश्नों का आदर किया जाना चाहिये और सभी को गंभीरता से लिया जाना चाहिये। यह सदा सरल नहीं होता जब आप व्यस्त होते हैं अथवा आप जो पढ़ा रहे हैं, उसके सन्दर्भ में वह प्रश्न अप्रासंगिक प्रतीत होता है। यद्यपि, प्रश्न को स्वीकार करना और उसका उत्तर देना विद्यार्थियों को प्रदर्षित षित करता है कि आप उनके निवेदन और विचारों को महत्व देते हैं। यह उनको अपने परिवेश के सम्बन्ध में जिज्ञासु बने रहने के लिये प्रोत्साहित करेगा। परन्तु उनके प्रयासों को अनदेखा करने अथवा उनकी हँसी उड़ाने से विज्ञान में उनकी भागीदारी पर और सीखनेवाले के रूप में उनका अपने ऊपर के विश्वास पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।

गतिविधि 1: विद्यार्थियों के प्रश्नों का विश्लेषण करना

विद्यार्थियों द्वारा किये गये प्रश्नों की इस सूची को देखें (हार्लेन, 1985 से रूपांतरित):

  1. शिशु कुत्ते को क्या कहा जाता है?
  2. मैं बीमार क्यों पड़ती हूँ?
  3. यदि मैं लाल और नीले पेंट को मिलाऊँ, तो मुझे कौनसा रंग मिलेगा?
  4. साँप कितने समय तक जीवित रहते हैं?
  5. क्या दूसरे ग्रहों पर लोग होते है?
  6. मैं स्वयं को तालाब में क्यों देख सकता हूँ?
  7. एक गाड़ी कैसे काम करती है?
  8. आकाश नीला क्यों है?
  9. यदि ईश्वर ने दुनिया बनायी, तो ईश्वर को किसने बनाया?
  10. अगली बार वर्षा कब होगी?

इन सभी स्वैच्छिक प्रश्नों के उत्तर आप कैसे देंगे? इनमें से किन प्रश्नों का उत्तर देना आपके लिये सरल होगा? किनका उत्तर देना कठिन होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?

विद्यार्थियों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के आधार पर आप कुछ ऐसी कार्यनीतियाँ प्रयोग में ला सकते हैं, जिससे आपको प्रश्न का उत्तर देने में सहायता मिले और विद्यार्थियों की रुचि बनी रहे। यह आवश्यक नहीं है कि सभी प्रश्नों का उत्तर तुरंत दिया जाये अथवा बिल्कुल दिया भी जाये। सभी प्रश्न लाभकारी प्रश्न नहीं होते, जो ‘प्रायोगिक’ विज्ञान की ओर अवश्य ले जायें, लेकिन फिर भी उन्हें किसी प्रकार की प्रतिक्रिया की अवश्य आवश्यकता होती है; ऐसा हो सकता है कि आपको उत्तर पता नहीं है और आप पता लगायेंगे अथवा आप उत्तर नहीं दे सकते, क्योंकि यह किसी को पता नहीं है।

इनमें से कुछ प्रश्नों का बहुत सरलता से उत्तर दिया जा सकता है, क्योंकि विद्यार्थियों को केवल सूचना चाहिये। अन्य प्रश्न इतने सरल नहीं हैं। उदाहरण के लिये, प्रश्न 9 का उत्तर आपके निजी विश्वासों पर आश्रित है। प्रश्न 5 के लिये, आप ‘नहीं’, नहीं कह सकते और आपका कुछ कहना भी आवश्यक है, जैसे कि ‘हम अभी तक नहीं जानते हैं’। अन्य सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जा सकता है, लेकिन कुछ प्रश्न छोटी आयु के विद्यार्थियों के लिये अधिक कठिन हैं। इसका कारण यह है कि व्याख्या समझने के लिये उनके पास उपयुक्त अनुभव नहीं है। आपकी थोड़ी सावधानीपूर्वक की गयी पूछताछ की सहायता से प्रश्न 3 का प्रयोग सम्मिलित विज्ञान के कुछ पहलुओं की खोज को प्रारंभ करने के लिये किया जा सकता है। ये अधिक लाभकारी प्रकार के प्रश्न हैं क्योंकि ये संभावित और आगे किये जा सकने वाले कार्य अथवा खोज की ओर संकेत देते हैं।

कुछ प्रश्नों के उत्तर आपको ज्ञात नहीं भी हो सकते जब तक कि आप थोड़ी अनुसंधान न कर लें। कई शिक्षक अपने विद्यार्थियों को स्वयं के प्रश्न हल करने देने से डरते हैं, यह सोचकर कि कहीं विद्यार्थियों के प्रश्न के उत्तर देने में वे असफल न हो जायें।

2 विद्यार्थी किन प्रकारों के प्रश्न पूछते हैं?

अब केस स्टडी 1 पिढ़ये।

केस स्टडी 1: श्रीमती दास के विद्यार्थी वस्तुओं को छाँटने और वर्गीकृत करने के लिये प्रश्न करते हैं।

श्रीमती दास कक्षा III के 57 विद्यार्थियों को पढ़ाती हैं। स्थानीय संसाधनों का प्रयोग करके स्थानीय पर्यावरण और विज्ञान की खोज करने में वह अपने विद्यार्थियों की सहायता करने में अति इच्छुक हैं। वे विस्तार से बताती हैं कि कैसे उन्होंने एक छँटाई की गतिविधि व्यवस्थित की और अपने विद्यार्थियों को वस्तुओं के सम्बन्ध में प्रश्न करने के लिये प्रोत्साहित किया।

मैंने सदा अपनी कक्षा के साथ क्रियात्मक गतिविधियाँ करने में आनंद प्राप्त किया है। मैं चाहती थी कि वे सजीव और निर्जीव वस्तुओं के बीच के अंतर का पता करें। इसलिये मैंने कक्षा के आसपास से और बाहर से वस्तुओं का एक समूह इकट्ठा किया। मैंने छोटे जानवरों के कुछ चित्र भी सम्मिलित किये, जो मैंने पत्रिकाओं से काटे थे। मैंने दो लेबल तैयार किये (‘जीवित’ और ‘जीवित नहीं’) और उन्हें अपने विद्यार्थियों के सामने मेज़ पर रख दिये [आकृति 1]।

आकृति 1 एक कक्षा गतिविधि के लिये लेबल।

मैंने छहः विद्यार्थियों वाले दो समूहों के साथ काम किया जबकि बाक़ी की कक्षा ने अन्य काम किये। मैंने यह दो सत्रों में किया, जिसमें पहले में पाँच समूह थे और दूसरे में भी समान थे। मैंने विद्यार्थियों की प्रत्येक जोड़ी को एक वस्तु दी और उन्हें यह सोचने के लिये कहा कि अपनी वस्तु के सम्बन्ध में वे किन प्रश्नों का उत्तर चाहते थे। सभी ने ऐसे प्रश्नों का सुझाव दिया–

  • यह क्या है?
  • क्या यह पौधा है अथवा जानवर है?
  • यह कहाँ रहता है?
  • यह क्या खाता है?
  • क्या यह वास्तविक है?
  • यह आपको कहाँ मिला?
  • क्या यह मृत है?
  • क्या यह जीवित है?
  • क्या यह खतरनाक है?
  • क्या यह ज़हरीला है?

ये सभी उस प्रकार के प्रश्न थे, जो आप इस आयु के विद्यार्थियों द्वारा पूछे जाने की अपेक्षा रखते हैं। उनका अधिक ध्यान उनको नाम देने और सरल सूचना को अपनी वर्तमान समझ और अनुभव में स्थित करने पर केन्द्रित था।

जब उन सब ने काम कर लिया, तब मैंने उनसे पूछा कि इन प्रश्नों के क्या कोई उत्तर दे सकता है? वे कुछ प्रश्नों के उत्तर दे पाये, लेकिन दूसरों के नहीं। अधिकतर, वे वस्तुओं को नाम बताने में सक्षम थे जिसमें अधिकतर जानवरों के चित्र सम्मिलित थे, अपेक्षाकृत वे उतनी संख्या में पौधों को नाम नहीं बता पाये, केवल थोड़े से अन्य वस्तुओं को ही नाम बता सके। उनके प्रश्न ‘क्या यह मृत है?’ को लेते हुए मैंने विद्यार्थियों से पूछा कि वे क्या वस्तुओं को ‘जीवित’ और ‘जीवित नहीं’ में छाँट पाए।

सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया - उन्होंने भी, जो सामान्यतः पूरी-कक्षा की बात–चीतों में प्रश्नों के उत्तर देने से हिचकते हैं। जब समूह अपनी बात–चीत को लेकर संघर्ष की स्थिति में आया तब मैंने प्रश्न पूछे, अन्यथा मैं केवल सुनती रही। मैंने एक समूह से पूछा कि उन्होंने एक सूखे पत्ते को ‘जीवित नहीं’ में क्यों डाला था? और अन्य समूह से पूछा कि उन्होंने अपने सूखे पत्ते को ‘जीवित’ में क्यों डाला था? यह स्पष्ट था कि वे पत्ते को लेकर दुविधा में थे और इसलिये हमने बात–चीत की क्या वह कभी जीवित भी था? अंत में हम उसे ‘कभी सजीव’ नामक एक नए समूह में जोड़ने के लिये सहमत हुए।

मेरे विद्यार्थियों को एक धातु के टुकड़े के सम्बन्ध में यह तय करना सरल लगा, लेकिन एक सूती कपडे के टुकड़े को वर्गीकृत करना कठिन लगा। ऐसा इसलिये था, क्योंकि वह कभी जीवित था और अब एक कपड़ा बना दिया गया था। बात–चीत ने और उनके प्रश्न पूछने ने मेरे विद्यार्थियों को सजीव और निर्जीव वस्तुओं के बीच के अंतर के सम्बन्ध में सोच को सुस्पष्ट करने में सहायता दी। संवादात्मक कार्य के कारण उनका कौतुहल जाग उठा।

विचार के लिए रुकें

  • इस प्रकार की गतिविधि विद्यार्थियों को कैसे अधिक सक्रिय और जिज्ञासु बनने में अथवा और अधिक लाभकारी प्रश्नों को पूछने में सहायता करती है?

3 विद्यार्थियों के प्रश्नों को वर्गीकृत करना

यह सीखने के लिये कि विद्यार्थियों के प्रश्नों का कैसे समाधाना किया? विद्यार्थी जिन प्रकारों के प्रश्न पूछते हैं उनके समबन्ध में आपको अपनी समझ को विस्तृत करने और उनके समाधान के लिये कौशलों को विकसित करने की आवश्यकता है। सारणी 1 (हार्लेन और अन्य, 2003 से रूपांतरित) विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के पाँच मुख्य वर्गों को सूचीबद्ध करता है।

सारणी 1 विद्यार्थियों के प्रश्नों का वर्गीकरण।
वर्गविद्यार्थियों के प्रश्नों का वर्गीकरणविद्यार्थियों के प्रश्न
(a)प्रश्न, जो वास्तव में कथन हैं, लेकिन जिन्हें प्रश्नों के रूप में व्यक्त किया जाता हैपक्षी इतने चतुर क्यों होते हैं कि वे अपनी चोंच से घोंसले बना लेते हैं?
(b)प्रश्न जिन्हें सरल तथ्यात्मक उत्तर चाहियेपक्षी का घोंसला कहाँ पाया गया?
(c)प्रश्न जिन्हें अधिक जटिल उत्तर चाहियेकुछ पक्षी पेड़ों पर घोंसले बनाते हैं और कुछ भूमि पर क्यों?
(d)प्रश्न, जो विद्यार्थी (विद्यार्थियों) द्वारा जाँच को प्रेरित करेघोंसला किससे बना हुआ है?
(e)दार्शनिक प्रश्नपक्षी ऐसे क्यों बनाये गये हैं कि वे उड़ पायें और दूसरे जानवर नहीं?

सारणी 1 में सूचीबद्ध प्रश्नों के वर्गों की पहचान करना सीखना

गतिविधि 2: विद्यार्थियों के प्रश्नों के समाधान के तरीके

एक शिक्षक कक्षा में एक डाली पर कुछ इल्लियाँ लेकर आये, जिससे वे अपने विद्यार्थियों को अवसर दे सकें कि उन्होंने जो देखा उसके सम्बन्ध में प्रश्न कर सकें। काम को करने से पहले आप मुख्य संसाधन ‘सीखने के लिये बातचीत ’ भी पढ़ सकते हैं। इससे आपकी इस विषय के सम्बन्ध में समझ बढ़ेगी कि सीखने में सहायता के लिये कक्षा में बातचीत करना इतना आवश्यक क्यों है? जो आप पढ़ें उसे अपने एक सहभागी के साथ काम को करने के अनुभव के साथ जोड़ें।

विद्यार्थियों द्वारा किये गये प्रश्नों की सूची को देखें। उसके बाद प्रश्नों को वर्गीकृत करने के लिये संसाधन 1 की सारणी का प्रयोग करें। विचार करें कि आप कैसे प्रश्न का समाधान कर सकते हैं? संभव है कि आप इस गतिविधि को एक सहभागी के साथ करना चाहें, क्योंकि अक्सर केवल जब आप किसी और के साथ बातचीत करना प्रारंभ करते हैं, तो एक ऐसी समस्या के बारे में आप अपने विचारों को और सोचने की प्रक्रिया को विकसित करते हैं।

  1. उन्हें इल्लियाँ क्यों कहा जाता है?
  2. क्या वे कीड़े हैं?
  3. वे क्या खाते हैं?
  4. क्या वे मुझे देख पा रहे हैं?
  5. क्या वे तितलियों में बदल जायेंगे?
  6. उन्हें छूना कैसा लगता है?
  7. यह प्यूपा में कैसे बदल जाता है?
  8. इनकी आयु कितनी है?
  9. ये इतने कुलबुलाते हुए क्यों हैं?
  10. कुछ वस्तुएँ किसी और में क्यों बदल जाती हैं? जैसे कि टेडपोल मेंढकों में?

विचार के लिए रुकें

  • आपको यह काम कितना सरल लगा?
  • विद्यार्थियों की सहायता करने से पहले किन प्रश्नों, के सम्बन्ध में आपको अनुसन्धान करने की आवश्यकता पड़ती?
  • कैसे आप इनमें से कुछ प्रश्नों को प्रभावकारी प्रश्न बना सकते हैं? जिनकी आपके विद्यार्थियों द्वारा खोज की जा सके?

संसाधनों 2 और 3 को देखें, जो प्रत्येक प्रकार के प्रश्न के समाधान के तरीकों का संक्षिप्तीकरण करते हैं तथा उपर्युक्त प्रश्नों पर प्रतिक्रिया करने के संभव तरीके प्रदान करते हैं। यह आपको विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर देने अथवा फिर विद्यार्थियों के प्रश्नों के समाधान में अधिक कुशल बनने में सहायता देने के लिये है। अपने विद्यार्थियों को सुनकर और उन्हें प्रश्न करने के अवसर देकर प्रश्नों के प्रकारों को पहचानने तथा उनके समाधान का अभ्यास करें। इसके बाद अनुसंधान अथवा जब भी संभव हो प्रायोगिक गतिविधियों द्वारा विद्यार्थियों को अधिक लाभकारी प्रश्नों की स्वयं खोज करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये। नीचे दिया गया विडियो संसाधन भी यह दृष्टान्त देता है कि बातचीत करना और अपने प्रश्न को तैयार करना सीखने को बढ़ावा देते हैं।

4 विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिये प्रोत्साहित करना

अपने विद्यार्थियों को प्रश्न करने में सहायता देने के लिये पहला चरण है उनकी रूचि को बढ़ावा देना। ऐसा करने के लिये उन्हें उन सामग्रियों के साथ सीधे संपर्क में लाना चाहिये जो उनके कौतुहल को बढ़ाता है। यह उतना कठिन नहीं है जितना शायद प्रतीत हो क्योंकि विद्यार्थी ऐसी कई वस्तुओं में रुचि दिखायेंगे, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखी होंगी या ऐसे वस्तुओं के समूह की ओर आकर्षित होंगे, जिन्हें आपने एक साथ देखने की अपेक्षा नहीं की होगी। वस्तुएँ, जिनका आपके विद्यार्थियों के लिये एक विशिष्ट अर्थ हो वे भी उनका कौतुहल बढ़ा सकती हैं और बात–चीत का प्रारंभ कर सकती हैं। आप यह जितना अधिक करेंगे, उतना ही आपके विद्यार्थियों द्वारा किये गये प्रश्नों की गुणवत्ता बेहतर होती जाएगी। पहले प्रकार के प्रश्न, जो आपके विद्यार्थी पूछेंगे, वे हैं, ‘आप क्यों उन्हें कक्षा में लेकर आये?’ ‘वे उनके साथ क्या करने जा रहे हैं?’

केस स्टडी 2: श्रीमती कल्पना अपने विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिये प्रोत्साहित करती हैं

कक्षा IV के विद्यार्थियों के साथ काम करती हुई श्रीमती कल्पना स्कूल के आसपास और समुदाय में पाए जाने वाले कई विभिन्न प्रजातियों के पौधों और जानवरों की पहचान करने के लिये मानदंड की योजना बनाने तथा प्रयोग करने पर काम प्रारंभ कर रही हैं।

मैंने निश्चय किया कि मेरे विद्यार्थियों के साथ मैंने जो पहला चरण लेना था, वह था पौधों और जानवरों की मुख्य विशेषताओं के संबंध में उनकी समझ को विकसित करना। फिर वे इसे जीवित वस्तुओं के संग्रह में समानताएँ और अंतर देखने के आधार के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। पहले पाठ में मैंने उनके साथ जानवरों की सामान विशेषताओं को खोजा। यह करने के लिये मैंने भारत में पाये जाने वाले बहुत सारे जानवरों के चित्र इकट्ठे किये, जिन्हें मैंने पत्रिकाओं और समाचारपत्रों से काट कर निकाले थे। पहले मैंने विद्यार्थियों को अपने साथियों के साथ इस विषय पर बात करने के लिये कहा कि सभी जानवरों के सम्बन्ध में वे क्या प्रश्न पूछ सकते थे? उसके बाद मैंने चित्रों को दीवार पर प्रदर्शित किये, जिससे कि सभी उन्हें देख पायें। मेरी कक्षा जोड़ियों में काम करने की आदी है। मैंने जिन चित्रों का प्रयोग किया उसमें बाघ, हाथी, गाय, बन्दर और एक घोड़ा था।

कुछ मिनटों के बाद, मैंने स्वयंसेवकों से प्रश्नों का सुझाव देने के लिये कहा, जिन्हें मैंने ब्लैकबोर्ड पर रिकॉर्ड किये। फिर मैंने उन्हें कहा कि वे खोज करें कि जानवरों को वर्गीकृत करने के लिये अपने प्रश्नों को मानदंड के रूप में प्रयोग करके वे उनकी छँटाई कैसे कर सकते थे? किन जानवरों का रंग समान था से लेकर क्या जानवर शिशुओं को जन्म देते थे? तक के प्रश्न होते हैं। उनके मानदंडों, जो प्रश्नों के हल निकले थे उसमें ये समानतायें शामिल थीं। एक सिर, दो आँखें, एक मुँह, दाँत, नाक, नासिका छिद्र, पूँछ, चार पाँव, शरीर और त्वचा, जिन्हें मैंने ब्लैकबोर्ड पर सूचीबद्ध किये।

आगे, मैंने पूछा कि जब उन्होंने चित्रों को देखा, तब जानवरों के बीच कौन से अंतर वे देख पाये। विद्यार्थियों ने उदाहरणों के रूप में रंग, माप, आकार, त्वचा और त्वचा पर विभिन्न पैटर्न्स बताये। आगे, हमने बात–चीत की जानवरों की समूहों में छँटाई करने के लिये कौन सी विशेषताएँ सबसे बढ़िया थीं और हमारे पास समान विशेषताएँ क्यों हैं? मैंने सुझाव दिया कि हमारे बीच अंतर होते हैं, लेकिन हम सभी समान समूह के सदस्य हैं (अर्थात मनुष्य), और इसलिये हमारी समान विशेषताएँ हैं। अगले सत्र में मैं विभिन्न प्रकार के पक्षियों, विशेषकर स्थानीय पक्षियों के कुछ और चित्र लाने का विचार कर रही हूँ। फिर मैं विद्यार्थियों से सोचने के लिये कहूँगी कि इतने भिन्न प्रकार के पक्षियों में अंतर करने के लिये वे कौनसे मानदंडों का प्रयोग कर सकते हैं। इससे वे देखेंगे कि जब वे जानवरों और पौधों के एक समूह की छँटाई और वर्गीकरण करते हैं, तब उन्हें कितने ध्यान के साथ और अधिक समीप होकर देखना पड़ता है।

मैं प्रसन्न थी कि जानवरों के समूह बनाने में और उनके द्वारा किये गए प्रश्नों की गुणवत्ता के सम्बन्ध में बातें करने में मेरे विद्यार्थी रुचि दिखा रहे थे।

विचार के लिए रुकें

  • आप अपने विद्यार्थियों के साथ कैसे ऐसा ही कुछ कर सकते हैं?

आपके व्यावसायिक निर्णय पर निर्भर होता है कि किन प्रश्नों के उत्तर देने हैं और किन्हें खोजों के लिये प्रेरणा के रूप में प्रयोग करना है। प्रत्येक प्रश्न के लिये खोज करना सदा संभव नहीं होता है, लेकिन विद्यार्थियों को उनके अपने प्रश्नों को करने देने का समय देना, उन्हें किसी भी विषय के सम्बन्ध में अधिक गहराई से सोचने पर बाध्य करता है। इसी एक कारण से ही, यह एक अति योग्य गतिविधि है।

गतिविधि 3: अपने विद्यार्थियों के साथ प्रश्न करना

आप अपनी कक्षा को जो अगला विषय पढ़ायेंगे, उसके सम्बन्ध में सोचिये। ऐसी वस्तुओं का एक संग्रह इकट्ठा करें जो उनके कौतुहल को बढ़ावा दे। आपके विद्यार्थियों की आयु और जो विषय आप पढ़ा रहे हैं, उसके अनुसार ये कुछ सरल खिलौने, बीजों का संग्रह अथवा विभिन्न प्रकार की पत्तियों का संग्रह हो सकता है।

  • यह सुनिष्चित करें कि आप विद्यार्थियों को कैसे व्यवस्थित करेंगे। क्या आप पूरी कक्षा के साथ काम करने जा रहे हैं अथवा एक बार में एक समूह के साथ? संसाधन 5 में मुख्य संसाधन ‘समूह कार्य का प्रयोग करना’ देखें, विशेष रूप से समूहों की योजना बनाने और व्यवस्था करने के सम्बन्ध में अनुच्छेद को पढ़ें।
  • अपने विद्यार्थियों से सरल प्रश्न पूछें, ‘इन वस्तुओं के सम्बन्ध में आप क्या जानना चाहेंगे?’
  • उन्हें या तो जोड़ियों में या छोटे समूहों में वस्तुओं के सम्बन्ध में बात करने का समय दें तथा उनसे कहें कि वे जो जानना चाहते हैं, उन प्रश्नों को लिखें।
  • अपने विद्यार्थियों को कहें कि वे अपने प्रश्नों को दीवार पर प्रदर्शित करें अथवा उनसे कहें कि बारी–बारी से प्रत्येक समूह अपने प्रश्नों की फीडबैक दें।
  • ब्लैकबोर्ड पर उनके प्रश्नों को लिखें और उनसे पूछें कि क्या विद्यार्थी उनमें से किसी का भी उत्तर दे सकते हैं। कक्षा में कोई और उनके लिये उत्तर दे सकता है या आप दे सकते हैं।
  • उन्हें बताएँ कि बाकी प्रश्नों के उत्तर जैसे-जैसे वे विषय पढ़ते जायेंगे, उन्हें मिलते जायेंगे। प्रश्नों को दीवार पर ही छोड़ दें अथवा उन्हें नोट कर लें जिससे आप बाद में उन पर दोबारा आ सकें और विद्यार्थी देख पायें कि उन्होंने कौनसे प्रश्नों के उत्तर दे दिये हैं।
  • उनसे पूछें कि क्या उन्होंने अभ्यास करने में आनंद उठाया और क्यों?

पाठ के बाद, प्रश्नों को अधिक समीप से देखें और उन प्रश्नों को पहचानें, जिन्हें विद्यार्थी अपनी पाठ्यपुस्तक में से अथवा अन्य विज्ञान की पुस्तक में से दे सकते हों अथवा अपने विचारों की खोज करके दे पायें।

विचार के लिए रुकें

  • आपके विद्यार्थियों ने काम के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?
  • अपने विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाओं और भागीदारी के सम्बन्ध में आपको सबसे अधिक क्या आश्चर्यचकित कर गया?
  • इस गतिविधि को सँभालते हुए आपको कैसा अनुभव हुआ?

वीडियो: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना

विडियो को देखने से आपको इस यूनिट में मिले विचारों में से कुछ को संगठित करने में सहायता मिलेगी।

5 विद्यार्थियों की रुचि आकर्षित करना

अब केस अध्ययन 3 पढ़ें।

केस स्टडी 3: श्री कुमार विद्यार्थियों के कौतुहल को बढ़ावा देते हैं

पौधों को वर्गीकृत करने के तरीकों का खोज करके श्री कुमार उनके सम्बन्ध में अपनी कक्षा VIII के विद्यार्थियों का ज्ञान विकसित करने पर कार्य कर रहे थे। वे अपने विद्यार्थियों के कौतुहल को बढ़ावा देना चाहते थे। उन्होंने व्याख्या की विषय को प्रारंभ करने के लिये उन्होंने क्या किया?

मैंने स्थानीय पेड़ों से पत्तों का संग्रह किया और कक्षा के एक ओर एक मेज़ पर उन्हें रख दिया। मैंने उन्हें नाम नहीं दिया, लेकिन उन्हें एक से दस तक की संख्याएँ दी। मैंने एक सूचना लगायी जिसके अनुसार मेरे विद्यार्थियों को पत्तों को देखना था और विचार करना था कि उनके सम्बन्ध में वे किस प्रकार के प्रश्न पूछना चाहेंगे? मैंने ‘प्रश्न’ का लेबल लगे एक डिब्बे के साथ एक कलम और कागज़ के कुछ छोटे टुकड़े छोड़ दिये। विद्यार्थियों को अपने कागज़ के टुकड़े पर अपना नाम नहीं लिखना था।

मैं निश्चित नहीं था कि मुझे कुछ प्रश्न मिलेंगे अथवा नहीं, लेकिन कई विद्यार्थियों ने प्रदर्शन को देखा, जैसे-जैसे वे अन्दर आये और मैंने उन्हें पत्तों को दिखाते हुए और उनके सम्बन्ध में बातें करते हुए देखा। कुछ विद्यार्थियों ने उन्हें पहचानने का प्रयास किया और अन्य विद्यार्थी प्रश्नों के बारे में सोच रहे थे। सप्ताह के अंत में मैंने डिब्बे में सात प्रश्न पाये। इससे मुझे प्रसन्नता हुई, विशेष रूप से इसलिये क्योंकि वे अच्छे प्रश्न थे, जैसे कि–

  • हम पत्तों का वर्गीकरण कैसे करते हैं?
  • पत्तों के शिरा पैटर्न्स भिन्न क्यों होते हैं?
  • पत्तों के इतने सारे भिन्न आकार क्यों होते हैं?
  • क्या, सभी पत्तों की अंदरूनी संरचना समान होती है?
  • पत्ते क्या करते हैं?

मैंने कक्षा को बताया कि मैं अगले सत्र में उनके कुछ प्रश्नों का प्रयोग करूँगा। मैंने यह सोचने की योजना बनाई कि विद्यार्थियों की संभावित खोजों में कौनसे प्रश्नों का प्रयोग हो सकता था। मेरा पहला विचार आकारों के आधार पर पत्तों की छँटाई और वर्गीकरण के तरीकों को देखने से सम्बंधित थे। मैंने एक शीट [देखें संसाधन 5] तैयार की, जिससे विद्यार्थियों को उन मानदंडों और प्रश्नों के बारे में सोचने के सम्बन्ध में सहायता मिले जिनका प्रयोग वे उनकी छँटाई के लिये कर सकते थे।

विचार के लिए रुकें

  • क्या आपने कभी अपने विद्यार्थियों को उनके प्रश्नों के लिये ऐसे पूछा है?
  • क्या अपने अगले विषय के सम्बन्ध में रुचि को बढ़ावा देने के लिये एक प्रश्न डिब्बे की योजना का प्रयोग कर सकते हैं?

विद्यार्थियों को अर्थपूर्ण और प्रभावकरी प्रश्नों को करने के लिये सन्दर्भ देकर उनको अपने आसपास की दुनिया के सम्बन्ध में और अधिक जिज्ञासु और सक्रिय बनने के लिये प्रोत्साहित कर रहे हैं। कौतुहल को बढ़ावा देना विज्ञान की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण भाग है,यह वस्तुएँ क्या होती हैं? और वे जो भी करती हैं, क्यों करती हैं? के सम्बन्ध में रुचि को प्रोत्साहित करता है। विद्यार्थी जानने और समझने की चाह रखते हैं। ऐसे अनुभव इस पर प्रभाव डालते हैं कि आपके विद्यार्थी अपने परिवेश के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करते हैं? और अपनी दुनिया के लिये कैसी संवेदना विकसित करते हैं?

गतिविधि 4: विद्यार्थियों के प्रश्नों को प्रोत्साहित करने के अन्य तरीके

विचार करें कि अगले विषय के सम्बन्ध में कैसे आप अपने विद्यार्थियों के कौतुहल को बढ़ावा दे सकते हैं? अपनी कक्षा में आप कौनसा छोटा बदलाव ला सकते हैं? जो आपके विद्यार्थियों की रुचि को बढ़ा देगा और वे प्रश्न पूछेंगे? उदाहरण के लिये, क्या आप निम्नलिखित में से कुछ कर सकते हैं?

  • एक समस्या के सम्बन्ध में समाचारपत्र से एक लेख को प्रदर्शित करें और एक कागज़ का पन्ना छोड़ दें जिसमें विद्यार्थी प्रश्न पूछ सकें। समस्या के सम्बन्ध में वे और अधिक क्या जानना चाहेंगे।
  • एक प्रदर्शन की व्यवस्था करें, जो विद्यार्थियों को उनके प्रश्नों को उसमें जोड़ने के लिये कहता है।
  • एक फोटो का प्रयोग करें।
  • एक वस्तु अथवा वस्तुओं के संग्रह का प्रयोग करें।
  • प्रत्येक नए विषय के लिये एक प्रश्न डिब्बे की व्यवस्था करें।
  • यह पहचानें कि आप क्या करना चाहते हैं? उसके बाद उसे व्यवस्थित कर दें और प्रश्नों के लिये एक समय सीमा तय करके अपने विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया देखें।

विचार करें कि उनके प्रश्नों का आप कैसे उत्तर देंगे? याद रखें कि आपको तुरंत ही सभी प्रश्नों के उत्तर नहीं देने हैं और आप शायद संसाधन 2 को दोबारा देखना चाहते हों। जो दिखाता है कि प्रश्नों के विभिन्न वर्गों के लिये आप कैसी प्रतिक्रिया कर सकते हैं?

विचार के लिए रुकें

  • आपके विद्यार्थी प्रेरणा के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं?
  • किस प्रकार के प्रश्नों को उन्होंने उत्पन्न किया और आप उनका कैसे समाधान करते हैं?

अधिकतर विद्यार्थियों द्वारा पौधे जैसा विषय रोमांचक नहीं समझा जाता। लेकिन अधिक व्यावहारिक, प्रायोगिक गतिविधियाँ - जैसे विद्यार्थियों को चित्र और वस्तुओं को संभालने, विभिन्न विशेषताओं के सम्बन्ध में बात करने और उनकी संरचना, आकार और रंग के सम्बन्ध में प्रश्न करने के लिये प्रोत्साहित करने से - उनके अधिक रुचिकर बनाने और याद रखने की सम्भावना रहती है। इसलिये रुचि बढाने के लिये अपनी बात–चीत के कौशल के प्रयोग से और विद्यार्थियों को प्रश्न करने के लिये प्रोत्साहित करने से विज्ञान में जान आ जायेगी संसाधन 6 ‘सोच को बढ़ावा देने के लिये प्रश्न पूछने का प्रयोग करना’ देखें।

विद्यार्थियों को केवल यह कहने से ‘यह एक आम का पत्ता है’। सही जैविक नाम देना आवश्यक नहीं है कि जिससे उन्हें सूचना को याद रखने में सहायता मिले क्योंकि यहाँ कोई सन्दर्भ नहीं है। विद्यार्थियों को प्रश्न करने की अनुमति देना और इनको प्रारंभिक बिंदु के रूप में प्रयोग करना जो उन्हें विषय पर बहुत अधिक नियंत्रण देगा। आपके विद्यार्थियों द्वारा किये गये अधिक प्रभावकारी प्रश्न फिर अनुसन्धान अथवा खोज की ओर प्रेरित कर सकते हैं जो उनकी रुचि को भी प्रोत्साहित करता है।

6 सारांश

इस यूनिट ने अन्वेषण किया है कि विद्यार्थियों को कैसे अपने प्रश्न करने में सहायता दी जाये? और यह विज्ञान के प्रति सकारात्मक प्रवृत्तियों को कैसे प्रोत्साहित करता है और प्रश्न पूछने वाले और आलोचनात्मक चिंतन को विकसित करने की ओर काम करता है। ऐसी गतिविधियाँ खोज सम्बन्धी काम की ओर प्रेरित करती हैं, जो विद्यार्थियों को विषय के सम्बन्ध में अधिक गहराई से सोचने में और वर्तमान स्वीकृत विचारों की ओर अपनी समझ को व्यवस्थित करने में सहायता करती हैं।

अधिक संवादात्मक ढंग से काम करना, आपके और विद्यार्थियों दोनों के लिए पुरस्कार लाता है। एक शिक्षक होने के कारण पाठ में क्रियाशील और उत्साहपूर्ण ढंग से सम्मिलित होना। अपने विद्यार्थियों के साथ मिलकर उनके विचारों की खोज करना और उनकी सोच को विस्तृत करना अधिक संतोषजनक है। उनके पूछने के कौशल को प्रोत्साहित करके वे जो पहले से ही जानते हैं, आप स्वयं को उसके सम्बन्ध में और अधिक अंतदृर्ष्टि प्राप्त कराते हैं, तथा उनके सीखने में सहायता करने के लिये अधिक क्रियाशील हो सकते हैं। आपके द्वारा सम्मान पाने का और उनसे उनके विचारों के पूछे जाने का अर्थ यह है कि विद्यार्थी अधिक आत्मविश्वासी बन जायेंगे और अपने काम के प्रति और अधिक आकर्षित हो जायेंगे। इससे उनकी उपलब्धि बढ़ जायेगी।

संसाधन

संसाधन 1: विद्यार्थियों के प्रश्नों का वर्गीकरण करना

यह सारणी गतिविधि 2 के साथ प्रयोग की जानी है।

सारणी R1.1 विद्यार्थियों के प्रश्नों का वर्गीकरण करना।
प्रश्नवर्गप्रश्न पर कैसे कार्य करेंगे?
1
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10

संसाधन 2: विद्यार्थियों के प्रश्नों को निपटाने के लिये प्रवाह आरेख

आकृति R2.1 विद्यार्थियों के प्रश्नों पर कार्य के लिये प्रवाह आरेख

संसाधन 3: विद्यार्थियों के प्रश्नों पर कार्य के तरीके

सारणी R3.1 विद्यार्थियों के प्रश्नों पर कार्य करने के तरीके।
प्रश्नवर्गप्रश्न को कैसे निपटायें
1. उन्हें इल्लियाँ क्यों कहा जाता है?(b) अथवा शायद (e)

‘उनके विकास की इस अवस्था को, जो कि उनके तितली बनने से पहले का है,

यह नाम दिया गया है, लेकिन मैं नहीं जानती कि इसका नाम यह क्यों है।’

2. क्या वे कीड़े हैं?(b)‘नहीं, यद्यपि वे कुछ ढंगों से कीड़ों के जैसे दिखते हैं।’
3. वे क्या खाते हैं?(d)‘उसका तो आप पता लगा सकते हैं अथवा देख भी सकते हैं, क्योंकि पाठ के लिये हम उन्हें कक्षा में रखते हैं। क्या आप बता सकते हैं कि हम यह कैसे कर सकते हैं?’
4. क्या वे मुझे देख पा रहे हैं?(d)‘हम पता लगाने का प्रयास कर सकते हैं। आप यह कैसे करेंगे?’
5. क्या वे तितलियों में बदल जायेंगे?(b) और (d)‘जी, हाँ। यदि हम उन्हें सही ढंग से रखें, तो आप स्वयं ही वह देख पायेंगे’
6. उन्हें छूना कैसा लगता है?(b) लेकिन शायद (a)‘उन्हें न छूना ही सबसे बढ़िया है, क्योंकि उनके कुछ बाल आपकी त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं। वे बहुत कोमल दिखायी पड़ते हैं। आपके विचार से उन्हें छूने पर कैसा लगता है?’
7. यह प्यूपा में कैसे बदल जाता है?(c)‘वे एक खोल बना लेते हैं और फिर उसके भीतर वे धीरे-धीरे बदलते हैं। लेकिन भीतर क्या होता है? इसका पता आप बाद में अपनी विज्ञान की कक्षाओं में लगा सकते हैं।’
8. इनकी आयु कितनी है?(b) अथवा (d)यदि पता हो, तो विद्यार्थियों को बता दें कि कब वे तितलियाँ बनते हैं; यदि पता नहीं हो, तो वे खोज सकते हैं कि कितनी अवधि तक वे इल्लियाँ बने रहते हैं।
9. ये इतने कुल बुलाते हुए क्यों हैं?(a)‘वे सदा हिलते रहते हैं, हैं ना?’
10. कुछ वस्तुएँ किसी कुछ और में क्यों बदल जाती हैं? जैसे एक टेडपोल से एक मेंढक बनना?(e) अथवा शायद (c)यदि इस प्रश्न को (e) के रूप में वर्गीकृत किया जाये, तो यह कुछ ऐसा नहीं है, जिसे हम जानते हैं अथवा ढूँढ सकते हैं।

Footnotes  

(हार्लेन और अन्य, 2003 से अनुकूलित)

संसाधन 4: समूहकार्य का उपयोग करना

समूहकार्य एक व्यवस्थित, सक्रिय, अध्यापन कार्यनीति है जो विद्यार्थियों के छोटे समूहों को एक आम लक्ष्य की प्राप्त के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ये छोटे समूह संरचित गतिविधियों के माध्यम से अधिक सक्रिय और अधिक प्रभावी सीखने की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं।

समूह में कार्य करना

समूह कार्य आपके विद्यार्थियों को सोचने, संवाद कायम करने, समझने और विचारों के आदान–प्रदान करने तथा निर्णय लेने के लिये प्रेरित करने का बहुत ही प्रभावी तरीका हो सकता है। आपके विद्यार्थी दूसरों को सिखा भी सकते हैं और उनसे सीख भी सकते हैं। यह सीखने का एक सशक्त और सक्रिय तरीका है।

समूहकार्य में विद्यार्थियों का समूहों में बैठना ही अधिक नहीं होता है; इसमें स्पष्ट उद्देश्य के साथ सीखने को साझा करने के कार्य को करना और उसमें योगदान करना शामिल होता है। आपको इस बात को लेकर स्पष्ट होना होगा कि आप सीखने के लिए समूहकार्य का उपयोग क्यों कर रहे हैं? और जानना होगा कि यह भाषण देने, जोड़ी में कार्य या विद्यार्थियों के स्वयं अपने बलबूते पर कार्य करने के ऊपर तरजीह देने योग्य क्यों है? इस तरह समूहकार्य को सुनियोजित और प्रयोजनपूर्ण होना चाहिए।

समूहकार्य को नियोजित करना

आप समूहकार्य का उपयोग कब और कैसे करेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अध्याय के अंत तक आप कौन सी सीखने की प्रक्रिया पूरी करना चाहते हैं? समूहकार्य को आप अध्ययन के आरंभ से अंत या उसके बीच में शामिल कर सकते हैं, लेकिन आपको पर्याप्त समय का प्रावधान करना होगा। आपको उस काम के बारे में जो आप अपने विद्यार्थियों से पूरा करवाना चाहते हैं और समूहों को संगठित करने के सर्वोत्तम तरीके के बारे में सोचना होगा।

एक शिक्षक के रूप में आप निम्न बातों को अपनी योजना में सम्मिलित कर समूहकार्य को सुनिश्चित कर सकते हैं –

  • सामूहिक गतिविधि के लक्ष्य और अपेक्षित परिणाम
  • गतिविधि के लिए आबंटित समय, जिसमें फीडबैक या सारांश कार्य शामिल है
  • समूहों को कैसे बाँटें? (कितने समूह, प्रत्येक समूह में कितने विद्यार्थी, समूहों के लिए मापदंड)
  • समूहों को कैसे संगठित करें? (समूह के विभिन्न सदस्यों की भूमिका, आवश्यक समय, सामग्रियाँ, रिकार्ड करना और रिपोर्ट करना)
  • कोई भी आकलन कैसे किया तथा रिकार्ड किया जाएगा? (व्यक्तिगत आकलनों को सामूहिक आकलनों से अलग पहचानने का ध्यान रखें)
  • समूहों की गतिविधियों पर आप कैसे निगरानी रखेंगे?

समूहकार्य के काम

वह काम जो आप अपने विद्यार्थियों को पूरा करने को कहते हैं वह इस पर निर्भर होता है कि आप उन्हें क्या सिखाना चाहते हैं? समूहकार्य में भाग लेकर, वे एक-दूसरे को सुनने, अपने विचारों को समझाने और आपसी सहयोग से काम करने जैसे कौशल सीखेंगे। परन्तु उनका मुख्य लख्य उस विषय को सीखना है, जिसे आप पढ़ा रहें हैं। कार्यों के कुछ उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं–

  • प्रस्तुतिकरण: विद्यार्थी समूहों में काम करके शेष कक्षा के लिए प्रस्तुतिकरण तैयार कर सकते हैं। यह तब सबसे बढ़िया काम करता है जब प्रत्येक समूह के पास विषय का अलग अलग पहलू होता है, ताकि उन्हें एक ही विषय को कई बार सुनने की बजाय एक दूसरे की बात सुनने के लिए प्रेरित किया जा सके। प्रस्तुतिकरण करने के लिए प्रत्येक समूह को दिए गए समय के बारे में काफी सख्ती बरतें और अच्छे प्रस्तुतिकरण के लिए मानकों को तय करें। इन्हें शिक्षण से पहले बोर्ड पर लिखें। विद्यार्थी मानकों का उपयोग अपने प्रस्तुतिकरण की योजना बनाने और एक दूसरे के काम का आकलन करने के लिए कर सकते हैं। मानकों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं–
    • क्या प्रस्तुतिकरण स्पष्ट था?
    • क्या प्रस्तुतिकरण संरचित था?
    • क्या प्रस्तुतिकरण से मैंने कुछ सीखा?
    • क्या प्रस्तुतिकरण ने मुझे सोचने पर मजबूर किया?
  • समस्या का हल करना: विद्यार्थी किसी समस्या या समस्याओं की श्रृंखला को हल करने के लिए समूहों में काम करते हैं। इसमें विज्ञान में प्रयोग करना, गणित में समस्याओं को हल करना, अंग्रेजी में किसी कहानी या कविता का विश्लेषण करना, तथा इतिहास में प्रमाण का विश्लेषण करना आदि शामिल हो सकता है।
  • किसी शिल्पकृति या उत्पाद का सृजन करना: विद्यार्थी किसी कहानी, नाटक के अंश, संगीत के अंश, किसी अवधारणा को समझाने के लिए मॉडल, किसी मुद्दे पर समाचार रिपोर्ट या जानकारी का सारांश बनाने या किसी अवधारणा को समझाने के लिए पोस्टर को विकसित करने के लिए समूहों में काम करते हैं। नए विषय के आरंभ में विचारमंथन या दिमागी नक्शा बनाने के लिए समूहों को पाँच मिनट देकर आप इस बारे में बहुत कुछ जान सकेंगे कि उन्हें पहले से क्या पता है? इससे अध्याय को उपयुक्त स्तर पर स्थापित करने में आपको मदद मिलेगी।

  • विभेदित काम: समूहकार्य अलग अलग आयु या दक्षता स्तरों वाले विद्यार्थियों को किसी उपयुक्त काम पर मिलकर काम करने का अवसर प्रदान करता है। उच्चतर दक्षता वालों को काम को स्पष्ट करने के अवसर से लाभ मिल सकता है, जबकि कम दक्षता वाले विद्यार्थियों को कक्षा की बजाय समूह में प्रश्न पूछना अधिक आसान लग सकता है, तथा वे अपने सहपाठियों से सीखेंगे।
  • बात–चीत: विद्यार्थी किसी मुद्दे पर विचार करते हैं और एक निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। इसके लिए आपकी ओर से काफी तैयारी की जरूरत पड़ सकती है ताकि सुनिश्चित हो कि विद्यार्थियों के पास विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के लिए पर्याप्त ज्ञान है, लेकिन किसी बात–चीत या वाद-विवाद को आयोजित करना आप और उन, दोनों के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है।

समूहों को संगठित करना

चार या आठ के समूह आदर्श होते हैं लेकिन यह आपकी कक्षा के आकार, भौतिक पर्यावरण फर्नीचर, तथा आपकी कक्षा की दक्षता और आयु के दायरे पर निर्भर करेगा। आदर्श रूप से समूह में हर एक को एक दूसरे से मिलने, बिना चिल्लाए बातचीत करने और समूह के परिणाम में योगदान करना चाहिए।

  • यह तय करें कि आप विद्यार्थियों को कैसे? और क्यों? समूहों में विभाजित करेंगे। उदाहरण के लिए, आप समूहों को मित्रता, रुचि या मिश्रित दक्षता के अनुसार विभाजित कर सकते हैं। अलग अलग तरीकों से प्रयोग करें तथा समीक्षा करें कि प्रत्येक कक्षा के लिए क्या सर्वोत्तम ढंग काम करता है
  • इस बात की योजना बनाएं कि समूह के सदस्यों को आप क्या भूमिकाएं देंगे? (उदाहरण के लिए, नोट्स लेने वाला, प्रवक्ता, टाइम कीपर या उपकरण का संग्रहकर्ता), और कि इसे कैसे स्पष्ट करेंगे

समूहकार्य का प्रबंधन करना

अच्छे समूहकार्य को प्रबंधित करने के लिए आप दैनिक कार्य और नियम निर्धारित कर सकते हैं। जब आप समूहकार्य का नियमित रूप से उपयोग करते हैं, तब विद्यार्थियों को पता चल जाता है कि आप क्या चाहते हैं? और वे उसे आनंदमय पाएंगे। आरंभ में टीमों और समूहों में मिलकर काम करने के लाभों को पहचानने के लिए आपकी कक्षा के साथ काम करना एक अच्छा विचार होता है। आपको बात–चीत करनी चाहिए कि अच्छा समूहकार्य का व्यवहार क्या होता है? और संभव हो तो ‘नियमों’ की एक सूची बना सकते हैं जिसे प्रदर्शित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ‘एक दूसरे के लिए सम्मान’, ‘सुनना’, ‘एक दूसरे की सहायता करना’, ‘एक विचार से अधिक को आजमाना’ आदि।

समूहकार्य के बारे में स्पष्ट मौखिक निर्देश देना महत्वपूर्ण है जिसे ब्लैकबोर्ड पर संदर्भ के लिए लिखा भी जा सकता है। आपको:

  • अपनी योजना के अनुसार अपने विद्यार्थियों को उन समूहों की ओर निर्देशित करना होगा जिनमें वे काम करेंगे। ऐसा आप शायद कक्षा में ऐसे स्थानों को निर्दिष्ट करके कर सकते हैं जहाँ वे काम करेंगे या किसी फर्नीचर या विद्यालय के बैगों को हटाने के बारे में निर्देश देकर कर सकते हैं।
  • कार्य के बारे में बहुत स्पष्ट होना और उसे बोर्ड पर लघु निर्देषों या चित्रों के रूप में लिखना चाहिए। शिक्षण कार्य शुरू करने से पहले विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने की अनुमति प्रदान करें।

अध्याय के दौरान, कमरे में घूमकर देखें और जाँचें कि समूह किस प्रकार काम कर रहे हैं? यदि वे कार्य से विचलित हो रहे हैं या अटक रहे हैं तो जहाँ जरूरत हो वहाँ सलाह प्रदान करें।

आप कार्य के दौरान समूहों को बदलना चाहते हैं। जब आप समूहकार्य के बारे में आत्मविश्वास महसूस करने लगें तब दो तकनीकें आजमाई जा सकती हैं – वे बड़ी कक्षा को प्रबंधित करते समय खास तौर पर उपयोगी होती हैं–

  • ‘विशेषज्ञ समूह’: प्रत्येक समूह को अलग अलग कार्य दें, जैसे विद्युत उत्पन्न करने के एक तरीके पर शोध करना या किसी नाटक के लिए किरदार विकसित करना। एक उपयुक्त समय के बाद, समूहों को पुनर्गठित करें ताकि हर नया समूह सभी मूल समूहों से आए एक ‘विशेषज्ञ’ से बने। फिर उन्हें ऐसा काम दें जिसमें सभी विशेषज्ञों के ज्ञान की तुलना करना शामिल हो। जैसे यह निश्चय करना कि किस तरह के पॉवर स्टेशन का निर्माण करना है या नाटक के अंश को तैयार करने का निर्णय करना।
  • ‘दूत’: यदि काम में कुछ बनाना या किसी समस्या का हल करना शामिल है, तो कुछ देर बाद, प्रत्येक समूह से किसी अन्य समूह को एक दूत भेजने के लिए भी कहें। वे विचारों या समस्या के हलों की तुलना कर सकते हैं और फिर वापस अपने समूह को सूचित कर सकते हैं। इस तरह से, समूह एक दूसरे से सीख सकते हैं।

काम के अंत में, इस बात का सारांश बनाएं कि क्या सीखा गया है? और नज़र आने वाली गलतफहमियों को सही करें। आप चाहें तो प्रत्येक समूह की प्रतिक्रिया सुन सकते हैं, या केवल एक या दो समूहों से पूछ सकते हैं जिनके पास आपको लगता है कि अच्छे विचार हैं। विद्यार्थियों की रिपोर्टिंग को संक्षिप्त रखें और उन्हें अन्य समूहों के काम पर प्रतिक्रिया देने को प्रोत्साहित करें, जिसमें उन्हें पहचानना चाहिए कि क्या अच्छी तरह से किया गया है? क्या दिलचस्प था और किसे आगे और विकसित किया जा सकता है?

यदि आप अपनी कक्षा में समूहकार्य को अपनाना चाहते हैं तो आपको कभी-कभी इसका नियोजन कठिन लग सकता है क्योंकि कुछ विद्यार्थी–

  • सक्रिय सीखने की प्रक्रिया का प्रतिरोध करते हैं और उसमें संलग्न नहीं होते
  • हावी होने लगते हैं
  • खराब अंतर्वैयक्तिक कौशलों या आत्मविश्वास के अभाव के कारण भाग नहीं लेते हैं।

समूहकार्य को प्रभावी बनने के लिए, शिक्षण के परिणाम कितनी हद तक पूरे हुए और आपके विद्यार्थियों ने कितनी अच्छी तरह से प्रतिक्रिया की (क्या वे सभी लाभान्वित हुए?) जैसी बातों पर विचार करने के अतिरिक्त, उपरोक्त सभी बिंदुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण होता है। समूह के काम, संसाधनों, समय-सारणियों तथा समूहों की रचना में किसी भी समायोजन पर विचार करें और सावधानीपूर्वक उनकी योजना बनाएं।

शोध ने सुझाया है कि समूहों में सीखने की प्रक्रिया को हर समय ही विद्यार्थियों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभावों से युक्त होना जरूरी नहीं है, इसलिए आप हर अध्याय में इसका उपयोग करने के लिए बाध्य नहीं हैं। आप चाहें तो समूहकार्य का उपयोग एक पूरक तकनीक के रूप में कर सकते हैं, उदाहरण के लिए विषय परिवर्तन के बीच अंतराल या कक्षा में बात–चीत को अकस्मात शुरु करने के साधन के रूप में कर सकते हैं। कक्षा में इसका उपयोग विवाद को हल करने या कक्षा में अनुभव आधारित शिक्षण गतिविधियाँ, और समस्या का हल करने में प्रकरण की पूर्नावृत्ति में कर सकते हैं।

संसाधन 5: सरल अथवा अधिक जटिल छँटाई के लिये पत्तों के आकार

आकृति R5.1 छँटाई के साथ प्रयोग के लिये पत्तों के आकार (स्रोत: निक्स, बेतारीख)

संसाधन 6: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना

शिक्षक हमेशा अपने विद्यार्थियों से प्रश्न पूछते रहते हैं; प्रश्नों का अर्थ ये होता है कि शिक्षक सीखने और सीखते रहने में अपने विद्यार्थियों की मदद कर सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार औसतन, एक शिक्षक अपने समय का एक-तिहाई हिस्सा विद्यार्थियों से प्रश्न पूछने में खर्च करता है (हेस्टिंग्स, 2003)। पूछे गए प्रश्नों में से, 60 प्रतिशत में तथ्यों को दोहराया गया था तथा 20 प्रतिशत प्रक्रियात्मक थे (हैती, 2012), जिनमें से ज्यादातर के उत्तर सही या गलत में थे। लेकिन क्या सिर्फ सही या गलत में उत्तर वाले प्रश्न पूछने से सीखने को प्रोत्साहन मिलता है?

विद्यार्थियों से कई अलग अलग तरह के प्रश्न पूछे जा सकते हैं? शिक्षक किस तरह के उत्तर और परिणाम पाना चाहते हैं? उनसे पता चलता है कि एक शिक्षक को किस तरह के प्रश्न पूछने चाहिए? शिक्षक आमतौर पर विद्यार्थियों से प्रश्न पूछते हैं, ताकि वे–

  • विद्यार्थियों को नये प्रकरण या विषयवस्तु समझाने के लिये मार्गदर्शन कर सकें।
  • बेहतर ढंग से सोचने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर सकें।
  • कोई त्रुटि दूर कर सकें।
  • विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर सकें ।
  • समझ को जाँच सकें।

प्रश्नों का उपयोग आमतौर पर यह देखने के लिए किया जाता है कि विद्यार्थी क्या जानते हैं? इसलिए यह उनकी प्रगति का आंकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रश्नों का उपयोग प्रेरणा देने, विद्यार्थियों के सोचने के कौशल को बढ़ाने और जिज्ञासु मन विकसित करने में भी किया जा सकता है। उन्हें मोटे तौर पर दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है–

  • निचले स्तर के प्रश्न, जिनसे कि तथ्यों का स्मरण और पहले सिखाया गया ज्ञान शामिल होता है, प्रायः बंद सिरे के प्रश्नों (हां या नहीं में उत्तर) से संबद्ध होते हैं।
  • उच्च स्तर के प्रश्न, जिनके लिए ज्यादा सोचने की ज़रुरत होती है। उनके लिए विद्यार्थियों को पहले किसी उत्तर से सीखी गई जानकारी को एक साथ रखने या तार्किक रूप से किसी दलील का समर्थन करने की ज़रुरत पड़ सकती है। उच्च स्तर के प्रश्न प्रायः ज्यादा खुले सिरों वाले होते हैं।

खुले प्रश्न विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तक पर आधारित, यथाशब्द जवाबों से परे सोचने को प्रोत्साहित करते हैं, इसलिए उत्तरों की श्रेणी खींच निकालते हैं। इनसे शिक्षकों को भी सामग्री के बारे में विद्यार्थी की समझ का आंकलन करने में मदद मिलती है।

विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए प्रोत्साहित करना

कई शिक्षक एक सेकंड से भी कम समय में अपने प्रश्न का उत्तर चाहते हैं और इसलिए अक्सर वे स्वयं ही प्रश्न का उत्तर दे देते हैं या प्रश्न को दूसरी तरह से दोहराते हैं (हेस्टग्सिं, 2003)। विद्यार्थियों को केवल प्रतिक्रिया देने का समय मिलता है – उनके पास सोचने का समय ही नहीं होता! अगर आप उत्तर के आने से पहले कुछ सेकंड इंतजार करते हैं तो विद्यार्थी को सोचने के लिए समय मिल जाएगा। इसका विद्यार्थियों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रश्न को प्रस्तुत करने के बाद इंतजार करने से निम्नांकित में वृद्धि होती है–

  • विद्यार्थियों के उत्तरों की लंबाई
  • उत्तर देने वाले विद्यार्थियों की संख्या
  • विद्यार्थियों के प्रश्नों की बारंबारता
  • कम सक्षम विद्यार्थियों के पास से उत्तरों की संख्या
  • विद्यार्थियों के बीच सकारात्मक संवाद।

आपकी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है

आप दिए गए सभी उत्तरों को जितने सकारात्मक ढंग से स्वीकार करते हैं, विद्यार्थी भी उतना ही ज्यादा सोचना और कोशिश करना जारी रखेंगे। यह सुनिश्चित करने के कई तरीके हैं कि गलत उत्तरों और गलत धारणाओं को सुधार दिया जाए, और यदि एक विद्यार्थी के मन में कोई गलत विचार है, तो आप निश्चित रूप से यह मान सकते हैं कि कई अन्य विद्यार्थियों के मन में भी वही गलत धारणा होगी। आप निम्नलिखित का प्रयास कर सकते हैं–

  • उत्तरों के उन हिस्सों को चुन सकते हैं, जो सही हैं और एक सहायक ढंग से विद्यार्थी से अपने उत्तर के बारे में थोड़ा और सोचने के लिए कह सकते हैं। यह ज्यादा सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है और आपके विद्यार्थियों की अपनी गलतियों से सीखने में मदद करता है। निम्नलिखित टिप्पणी यह दर्शाती है कि आप ज्यादा मददगार ढंग से किस प्रकार से गलत उत्तर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं? ‘आप वाष्पीकरण से बनते बादलों के बारे में सही थे लेकिन मुझे लगता है कि बारिश के बारे में आपने जो कहा है उसके बारे में थोड़ा और पता लगाने की जरूरत है। क्या आपमें से कोई और इस बारे में कुछ बता सकता है?’
  • विद्यार्थियों से मिलने वाले सभी उत्तर ब्लैकबोर्ड पर लिखें, और विद्यार्थियों से पूछें कि वे इनके बारे में क्या सोचते हैं? उनके अनुसार कौन-से उत्तर सही हैं? कोई अन्य उत्तर देने का कारण क्या रहा होगा? इससे आपको यह समझने का एक मौक़ा मिलता है कि आपके विद्यार्थी किस तरीके से सोच रहे हैं? और आपके विद्यार्थियों को भी एक मित्रवत तरीके से अपनी गलत धारणाओं को सुधारने का अवसर मिलता है।

सभी उत्तरों को ध्यान से सुनकर और आगे समझाने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करके उन्हें महत्व दें। उत्तर चाहे सही हो या गलत, लेकिन यदि आप विद्यार्थियों से अपने उत्तरों को विस्तार में समझाने को कहते हैं, तो अक्सर विद्यार्थी अपनी गलतियाँ स्वयं ही सुधार लेंगे। आप एक विचारशील कक्षा का विकास करेंगे और आपको वास्तव में पता चलेगा कि आपके विद्यार्थी कितना सीख गए हैं और अब किस तरह आगे बढ़ना चाहिए। यदि गलत उत्तर देने पर अपमान या सज़ा मिलती है, तो दोबारा शर्मिंदगी या डांट के डर से आपके विद्यार्थी कोशिश करना ही छोड़ देंगे।

उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना

यह महत्वपूर्ण है कि आप प्रश्नों का एक ऐसा क्रम अपनाने की कोशिश करें, जो सही उत्तर पर समाप्त न होता हो। सही उत्तरों के बदले फॉलो-अप प्रश्न पूछने चाहिए, जो विद्यार्थियों का ज्ञान बढ़ता है और उन्हें शिक्षक के साथ संलग्न होने का मौका देते है। यह आप इसके लिए बात–चीत कर सकते हैं–

  • यह कैसे? और क्यों
  • उत्तर देने का एक और तरीका
  • एक बेहतर शब्द
  • किसी उत्तर को सही साबित करने के लिए प्रमाण
  • संबंधित कौशल का एकीकरण
  • उसी कौशल या तर्क का किसी नई स्थिति में अनुप्रयोग।

विद्यार्थियों की ज्यादा गहराई में जाकर सोचने में मदद करना और उनके उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना आपकी भूमिका का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। निम्नलिखित कौशल अधिक उपलब्धि हासिल करने में विद्यार्थियों की मदद करते हैं:

  • प्रोत्साहन के लिए विद्यार्थियों को उचित संकेत देने की ज़रुरत पड़ती है – ऐसे संकेत जिनसे विद्यार्थियों को उनके प्रश्नों को विकसित करने और सुधार में मदद मिलती हो। उत्तर में सही क्या है? आप पहले इसे चुनकर इसके बाद जानकारी दें आगे के प्रश्न तथा अन्य संकेत दे सकते हैं। (‘तो अगर आप कागज के अपने हवाई जहाज के अंतिम सिरे पर वजन रखते हैं तो क्या होगा?’)
  • जांच-पड़ताल अधिक जानकारी पाने की कोशिश करने, एक अव्यवस्थित उत्तर को या आंशिक रूप से सही उत्तर को सुधारने की कोशिश में विद्यार्थी जो कहना चाहते हैं, उसे स्पष्ट करने में उनकी मदद करने से संबंधित है। (‘तो इस सबका जो अर्थ है उसके बारे में आप मुझे और क्या बता सकते हैं?’)

  • फिर से ध्यान केंद्रित करना सही उत्तरों के आधार पर विद्यार्थियों के ज्ञान को उस ज्ञान से जोड़ने से संबंधित होता है, जो उन्होंने पहले सीखा है। यह उनकी समझ को विकसित करता है। (‘आपकी बात सही है, लेकिन पिछले सप्ताह हमने अपने स्थानीय पर्यावरण विषय के बारे में जो पढ़ रहे थे, यह उससे किस प्रकार संबंधित है?’)
  • प्रश्नों को अनुक्रित करने का अर्थ है ऐसे क्रम में प्रश्न पूछना, जिन्हें सोच का विस्तार करने हेतु बनाया गया है। प्रश्नों के द्वारा विद्यार्थियों को सारांश बनाने, तुलना करने, समझाने और विश्लेषण करने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। ऐसे प्रश्न तैयार करें, जिनसे विद्यार्थियों को सोचने की प्रेरणा मिले, लेकिन उन्हें इतनी ज्यादा भी चुनौती न दें कि प्रश्न का अर्थ ही खो जाए। (‘स्पष्ट करें कि आप अपनी पहले की समस्या से किस प्रकार उबरे। उससे क्या फर्क पड़ा? आपको क्या लगता है? आगे आपको किस चीज का सामना करने की जरूरत पड़ेगी?’)

  • सुनने से आप न केवल अपेक्षित उत्तर पर गौर करने में समर्थ होते हैं, बल्कि इससे आप असाधारण या खोजी उत्तरों के प्रति सतर्क भी होते हैं, हो सकता है कि जिसकी आपको अपेक्षा न रही हो। इससे यह भी दिखाई देता है कि आप विद्यार्थियों के विचारों को महत्व देते हैं और इसलिए इस बात की ज्यादा संभावना होती है कि वे सुविचारित उत्तर देंगे। इस तरह के उत्तर गलतफहमियों को चिह्नांकित कर सकते हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत होती है अथवा वे एक नयी पहुंच दर्शा सकते हैं, जिन पर आपने विचार नहीं किया हो। (‘मैंने इसके बारे में सोचा नहीं था। आप इस तरह से क्यों सोचते हैं इसके बारे में मुझे और जानकारी दें।’)

एक शिक्षक के रूप में, आपको ऐसे प्रश्न पूछने चाहिए जो प्रेरित करने वाले और चुनौतीपूर्ण हों, ताकि आप अपने विद्यार्थियों से रोचक और आविष्कारक उत्तर पा सकें। आपको उन्हें सोचने का समय देना चाहिए और आप सचमुच यह देखकर चकित रह जाएंगे कि आपके विद्यार्थी कितना कुछ जानते हैं और आप सीखने में उनकी प्रगति में कितनी अच्छी तरह मदद कर सकते हैं।

याद रखें कि प्रश्न यह जानने के लिए नहीं पूछे जाते कि शिक्षक क्या जानते हैं? बल्कि वे यह जानने के लिए पूछे जाते हैं कि विद्यार्थी क्या जानते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपको कभी भी अपने स्वयं के प्रश्नों का जवाब नहीं देना चाहिए! आखिरकार यदि विद्यार्थियों को यह पता ही हो कि वे आगे कुछ सेकंड तक चुप रहते हैं, तो आप स्वयं ही उत्तर दे देंगे, तो फिर उन्हें उत्तर देने का प्रोत्साहन कैसे मिलेगा?

अतिरिक्त संसाधन

References

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Sherrington, R. (ed.) (1998) ASE Guide to Primary Science Education. Hatfield: ASE.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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गतिविधि 1: हार्लेन, डब्ल्यू (1985) से रूपांतरित सोच-विचार के बाद ठोस कदम उठाना। पोर्ट्समाउथ, एनएच: हाइनमैन (Activity 1: adapted from Harlen, W. (1985) Taking the Plunge. Portsmouth, NH: Heinemann)।

आकृति R2.1: हांर्लेन, डब्ल्यू. (1992) विज्ञान पढ़ाना। लन्दन: डेविड फल्टन प्रकाशक (Figure R2.1: Harlen, W. (1992) The Teaching of Science. London: David Fulton Publisher)।

सारणी R3.1: हार्लेन, डब्ल्यू., मैक्रो, सी., रीड, के. और शिलिंग, एम. (2003) प्राथमिक विज्ञान में प्रगति करना। लन्दन: रॉउटलेजफालमर (Table 3.1: adapted from Harlen, W., Macro, C., Reed, K. and Schilling, M. (2003) Making Progress in Primary Science. London: RoutledgeFalmer)।

आकृति R5.1: निक्स, S. (बेतारीख) ‘एक पेड़ के भाग, पेड़ के इन भागों को एक पेड़ की पहचान करने में प्रयोग करें’ यहाँ पायें http://forestry.about.com/ od/ treephysiology/ ss/ part_of_tree_2.htm (Figure R5.1:  Nix, S. (undated) ‘Parts of a tree, use these tree parts to identify a tree’ in http://forestry.about.com/ od/ treephysiology/ ss/ part_of_tree_2.htm.

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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।