कहानी सुनाना, हजारो वर्शो से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। कई कहानियाँ तो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती रही है। लोक कथाओं के साथ–साथ भारतीय समकालीन लेखकों द्वारा लिखित कहानी और कविताएं प्रारम्भिक विज्ञान कक्षा के लिए एक समृद्ध शिक्षण अधिगम साधन के रूप में प्रयोग कर सकते है।
कहानियों को सुनना, पढ़ना विद्यार्थियों को स्वंय अपनी समझ बनाने में समर्थ बनाती है। कथाएँ और कविताएं नये विषयों और शब्दावली का परिचय, अमूर्त विचारों तथा वर्तमान वैज्ञानिक समस्याओं को समझाने में प्रयुक्त होती हैं। इस प्रकार ये अर्थपूर्ण वैज्ञानिक पूछताछ के लिये उत्कृष्ट आधार प्रदान करते हैं।
यह ईकाई एक प्रकार से प्रारभिक विज्ञान सिखाने के लिये लोक और समकालीन कहानियों और कविताओं के प्रयोग करने सम्बन्धी समझ को उभारेगी।
विज्ञान सीखना प्रेरक और रुचिकर हो सकता है क्योंकि यह दैनिक जीवन से जुड़ा हुआ है। स्थानीय संसाधनों का उपयोग, जैसे कि लोग, स्थान, वस्तुएं, पौधे, जानवर तथा खनिज जो एक पाठ को अधिक वास्तविक और प्रेरक बना सकते हैं। आप किसी नये प्रसंग का प्रारंभ या परिचय किस प्रकार करते हैं? कैसे विद्यार्थी भागीदारी करते हैं या में नहीं? कक्षा को सक्रिय बनाये रखना कितना सरल है? यह सब कक्षा–कक्ष में एक विशेष अंतर पैदा कर सकता है।
यह ईकाई, पर्यावरण को कहानी और कविताओं द्वारा रचनात्मक ढंग से विषय में प्रवेश करने के लिए एक अच्छी सोच पैदा करेगी तथा अधिगम अनुभवों को अभिवृद्वि करने में सहायक होगी। नवाचार जो उत्सुकता और स्व-अधिगम को प्रोत्साहन दे प्रसंग के प्रति जागरुक करके प्रत्येक विद्यार्थी में एक सकारात्मक स्थायी अनुभव पैदा कर सकता है। सभी को कहानी सुनना पसंद है, जिसके कारण इसमें अधिक विद्यार्थी प्रतिभाग करेंगे।
यह ईकाई कहानियों और कविताओं पर एक रचनात्मक सोच के रूप में ध्यान केन्द्रित करती हैं लेकिन उससे अधिक है कि आप इस ईकाई में क्या पढ़ते और सीखते है? जो अन्य नीतियों पर भी लागू होता है। कथाएँ और कविताएं या विशेष रूप से पाठ के लिये लिखे नये भाग, आपके विद्यार्थियों के लिये उचित अर्थ में विज्ञान से परिचय कराने के लिये वास्तविक संदर्भ दिये जाएं।
जैसे ही आप अपने पाठ की योजना बनाते हैं आप प्राय: यह सोचते हैं कि लोक कथाएं नवीन विषय का परिचय कैसे करा सकते हैं? यदि आपका अगला प्रसंग स्थानीय पर्यावरण में प्रदूषण से संबन्धित है तो आप, राज्य की नदियों के सम्बन्ध में चर्चा करेगें या किस प्रकार की गंदगी पायी है उसकी जॉच कर सकते है। लेकिन, एक परंपरागत कथा, या विशेषकर नदी की धारा, खाई पर लिखी कहानी या कविता स्थानीय जल आपूर्ति के प्रदूषण की में जांच कार्यों की स्थिति में प्रारंभिक प्रोत्साहन के रूप में कार्य कर सकती है।
विद्यार्थियों के स्व-अनुभवों से शुरुआत करना महत्वपूर्ण है खासतौर से छोटे विद्यार्थियों के साथ क्योंकि उन्हें बाहरी दुनिया में जीवन का अधिक अनुभव नहीं होता है। जिससे आपके विद्यार्थी तुरन्त अपने आपको पर्यावरण से जोड़ नही पाते जिससे जानकारी को अर्थ प्रदान करना कठिन होता है फ़िर भी यदि आप किसी वस्तु का प्रयोग करते है जो स्थानीय हो और उनके लिये समसामयिक हो तो आपको बेहतर सफ़लता प्राप्त होगी। संसाधन 1, ‘स्थानीय संसाधनों का उपयोग’, उन तरीकों का सुझाव देता है कि आप स्थानीय संसाधनों का प्रयोग कर सकते हैं । आपको कुछ मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता होगी जिससे आप विद्यार्थियों में विज्ञान के किसी शीर्षक पर विभिन्न अनुभव बाँट सकें। अधिकांश विद्यार्थी अपने अनुभवों को बांटने के लिये तैयार हैं जो न केवल उन्हें आत्म विश्वास देगा बल्कि आपको यह बतायेगा कि वह पहले से क्या जानते हैं? ताकि आप उनके विचारों को विकसित करने के लिये योजना बनाएं न कि उन्हें वह जानकारी सिखाएं जो वह पहले से जानते हैं।
अपने पाठ में प्रेरक तत्वों की विविधताओं के प्रयोग का कौशल सीधे–सीधे आपकी प्रवृत्ति, व्यक्तित्व, तथा उत्साह से संबन्धित है और आपके विद्यार्थियों को अच्छी तरह से सीखने में सहायता करने के उत्तरदायित्व से सम्बंधित है। आपके विद्यार्थियों के प्रति आपकी समझ उन्हें अपेक्षित अधिगम लक्ष्यों के प्रति ध्यान केन्द्रित करने में सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगी। यह क्षमताओं को आपके लिये और अधिक उपयोगी, कार्यकुशल और रोचक बनाता है, क्योंकि आप विभिन्न रुचियों, सक्षमताओं और प्रत्येक विद्यार्थी के लिये सीखने के तरीके में महत्व रखते हैं।
अधोलिखित केस स्टडी इस बारे में बताती है कि एक अध्यापिका किस प्रकार कविताओं को नाटकीय एवं रचनात्मक तरीक से प्रयोग करके विद्यार्थियों का पूरा ध्यान वृक्षो के बारे में पाठ की शुरूआत करने के लिए आकृष्ट करती है।
सुश्री सिंह, स्कूल की एक नयी अध्यापिका कक्षा तीन के विद्यार्थियों के साथ मध्य प्रदेश में काम कर रही हैं। उन्होंने सभी बच्चों से एक वृक्ष की तस्वीर लाने या एक वृक्ष का चित्र बनाने और कक्षा में लाने के लिये कहा। अध्यापिका उनके द्वारा एकत्रित शाखाओं और पत्तियों से एक वृक्ष का मॉडल बनाया मॉडल को एक पात्र पर उनके योगदान के रूप में रख दिया। अध्यापिका हरे रंग का सलवार कुर्ता और वृक्ष के तने के रूप में दिखने के लिये भूरे रंग की सलवार पहनती हैं। अध्यापिका ने मॉडल चित्र के साथ कैसे समझाया? उन्होनें आगे क्या किया? तथा उनके विद्यार्थियों ने क्या प्रतिक्रिया दी?
पाठ की शुरुआत में मैं अपने वृक्ष के मॉडल को कक्षा में ले आयीं मॉडल को मेज़ पर रख कर मेज के पास खड़ी हो गयीं। विद्यार्थी बेहद उत्सुक थे मेरे द्वारा मॉडल में लगाई गयी पत्तियों और फ़ल के कारण विद्यार्थियों ने सुझाव दिया कि यह एक आम का पेड़ हो सकता है।
जैसे ही मैंने कक्षा में प्रवेश किया कुछ विद्यार्थियों ने मेरी वेशभूषा को देखकर कहा, ‘‘ओह आप अच्छी लग रही हैं मिस सिंह’’ ‘‘आपने वृक्ष के जैसे कपड़े पहने है’’ जैसे वाक्यों के साथ टिप्पणी की। मैं प्रसन्न हो गयी, क्योंकि वह समझ गये थे कि मैं क्या करना चाह रही थी विद्यार्थियों ने वृक्ष के मॉडल को बेहद पसंद किया और कहा कि यह उनके चित्रों जैसा है। मैंने उन्हें धन्यवाद दिया जिन विद्यार्थियों के पास चित्र थे उन्हें मॉडल के चारों ओर की दीवार पर लगाने के लिए कहा, इसके बाद विद्यार्थियों को बैठाकर कहा कि जब मैं वृक्ष पर कविका पढूँ, उस समय आप ध्यान से सुने। संसाधन–2 कविता एवं चित्र को देखें।
कविता पढ़ने के बाद और यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें कविता पसंद आई? मैंने विद्यार्थियों से वृक्षों के विषय में प्रश्न पूछना प्रारंभ कर दिया।
आप वृक्ष से क्या प्राप्त कर सकते हैं? हमने इस पर चर्चा की और यहां पर हमारी बात–चीत की कुछ अंश हैं, जो यह प्रदर्शित करते हैं कि विद्यार्थी इस चर्चा में कितना जुड़ना चाहते थे?
मैंने पूछा, “आपको एक वृक्ष से क्या मिलता है?’
उन्होनें उत्तर दिया: “जूस, आम, गेरेंडल, फ़ल, काटी रमरो फूल, छाया, मिस, काठ देये, मिस लकड़ी लकड़ी …”
मैंने कहा, ‘‘सचमुच यह लाजवाब है’’ पर क्या आप सोचते हैं कि स्कवैश एक लंबे वृक्ष पर उगता है? (लम्बाई बताने के लिए इशारे का प्रयोग किया) जेरेंडल क्या है? क्या इसको कल मेरे लिये लाएंगे?
कुछ विद्यार्थियों ने साथ में उत्तर दिया इसको, ‘हाँ, मिस, मेरो घरमा गेरेन्डेल को पेड़ हो?“
मैंने पूछा, “क्या तुम्हारे कहने का मतलब है कि तुम्हारे घर पर गेरेंडल का वृक्ष है? “
विद्यार्थी ने उत्तर दिया , “हां, मिस”
मैंने पूछा, “कटी रमरो फ़ूल” का मतलब क्या होता है?’
एक लड़की बाहर आई और मेरे पोशक पर बने एक फ़ूल को दिखाकर कहती है, यह कितना सुंदर है। “
मैंने फिर कहा, ‘“कटी रमरो फ़ूल”, “फ़ूल कितने सुंदर हैं”; “रमरोड फ़ूल”, “सुंदर फूल”, क्या ये सही है?’
दूसरा विद्यार्थी (लगातार दुहराते हुये): ‘काठ, गुड़.....’
मैंने उससे पूछा, “काठ” क्या है? और “गुड़” क्या है ?’
विद्यार्थी डेस्क की तरफ़ इशारा करके कहता है, ‘‘यह लकड़ी की बनी है, काठ लकड़ी है’’। मैं कल गुड़ लाऊंगा; यह खाने में बहुत मीठा होता है। मेरे बाबा के घर में, एक बहुत बड़ा कड़ाहा “गुड़” बनाने के लिये है, बहुत लोग सुबह रस लेकर आते है। एक बहुत बड़ा कड़ाह, मिस यह मीठे पानी की तरह होता है, खजूर के वृक्ष से बनता है। वे “रस” को उबालते हैं और “गुड” बनाते हैं।
मैंने कहा, ‘‘इसका मतलब जगरी (JAGGERY) को गुड़ कहते है। हमारे लिए कल थोड़ा लेकर आना ” कल हमारे लिये कुछ लेकर आना।’’
एक विद्यार्थी कहती है वह लायेगी।
विद्यार्थी, जिस प्रकार से वृक्षों के उपयोग और उनके बारे में अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे उसे देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। मैंने बोर्ड पर लिखें विचारों को देखा वे इतने प्रेरित और उत्साहपूर्वक वृक्ष के सम्बन्ध में अपने अनुभवो को बता रहे थे, ऐसे में उन्हें रोकना मेरे लिए बहुत मुश्किल था।
मैंने विद्यार्थियों द्वारा आगे बढ़ाये विचारों के स्तर और विषय में ली गई वास्तविक रुचि से बहुत खुश थी। यह उनके और मेरे लिये एक मजेदार पाठ था, और उन्होनें वृक्षों के बारे में गहनता से बात–चीत करते हुए कक्षा से बाहर गये।
मेरा अगला पाठ उनके द्वारा लायी गयी विभिन्न पत्तियों और फ़लों की संरचनाओं को उपयोग करते हुए ध्यान से देखना होगा, ताकि हम स्थानीय क्षेत्र में उनकी पहचान कराने में सक्षम हो जॉए।
विचार के लिए रुकें
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अध्यापक द्वारा बनाया गया मॉडल, कविता, चित्र ये सभी विद्यार्थियों के मस्तिश्क में, वृक्ष के सम्बन्ध में बहुत सारे विचार पैदा किये कि वृक्ष किस प्रकार भोजन से लकड़ी तक की सामग्री देकर लोगों की मदद करते है आदि से सम्बन्धित प्रश्नों के हल ढूढ़ने में समर्थ बन रहे थे। पहली गतिविधि कुछ मायनों में सरल थी परन्तु आपको पढ़ने और चुनने में सावधानी रखनी होगी, ताकि आपके विद्यार्थियों को प्रेरित किया जा सके तथा यह उनकी समझ के स्तर के अनुरूप हो।
अपनी पसंदीदा कहानियों के विषय में सोचना, या तो लिखित कहानियां हों या अनुभवी कहानी कहने वालों द्वारा कही गयी कहानियां। हम किसी कहानी का प्रयोग अपने विद्यार्थियों के साथ पर्यावरण के सम्बन्ध में बात–चीत व जानकारी प्राप्त के लिए कर सकते है।
छोटे विद्यार्थियों के लिये आपको आसानी से उपलब्ध होने वाली कहानी की किताब से किसी को चुनना जो एक पर्यावरण के विषय में एक प्रसंग या मुद्दे से परिचय कराने में आपकी सहायता कर सकती है।
ऐसी कहानियों, जिन्हें आप जानते या सुना सकते है और किताबें, जो आपकी पहुंच में हों उनको सूचीबद्ध करके विज्ञान पाठ को पढ़ाने में प्रयोग कर सकते है। यदि आपके पास इंटरनेट उपलब्ध हो तो आप ऑनलाइन कहानियों और कविताओं को खोज सकते हैं, जिनका आप किसी पाठ को प्रारंभ करने के लिये प्रेरक तत्व के रूप में प्रयोग कर सकते है।
इसमें कुछ समय लगेगा और यह सतत चलता रहेगा, क्योंकि नयी किताबें और कहानियां सदैव प्रकाशित की जाती है, और कहानियॉ सुनी जाती हैं। यह कक्षा के लिये रुचिकर पाठ योजना बनाने के लिये आपको एक संसाधन के रूप में मदद करती है।
विचार के लिए रुकें क्या, आपने इस कार्य का आनंद उठाया? यदि आपने कहानियों के संकलन में आनंद प्राप्त किया? है तो क्या आप कल्पना कर सकते हैं? कि आपके विद्यार्थी इनमें से कुछ कहानियों को सुनने में कितना पसंद करेंगे? तथा विद्यार्थियों को प्रेरित करने में इसका कितना प्रभाव पड़ा होगा? जो पाठयचर्या आप पढ़ाते हैं उसमें कितनी कहानियां डाल सकते हैं? |
वीडियो: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए |
आपका, कहानियों और कविताओं का संसाधन विज्ञान के बहुत सारे प्रसंगों को रूचिकर बनाने व प्रेरित करने के लिये में भी आपकी मदद कर सकता है। पाठ्य पुस्तकों में कुछ कहानियॉ दी गई है जिसकों गतिविधि में संसाधन के रूप में प्रयोग कर सकते है। इन संसाधनों को आप अन्य अध्यापकों के साथ बॉट सकते है यदि कोई पंसदीदा कहानी आपको उनसे प्राप्त होती है तो उसको अपने संसाधन की फाइल से जोड़ ले।
अगली केस स्टडी यह दर्शाता है कि कैसे एक अध्यापक एक विशिष्ट कहानी सुनाने वाले का कक्षा में प्रयोग करता है। इसे पढ़िए और सोचिये कि कैसे आप इससे कुछ मिलते-जुलते प्रयोग कर सकते हैं? संभवत: यह अधिक सरल हो लेकिन आपके विद्यार्थियों पर समान प्रभाव डालने वाले।
कुमारी अनीता जोधपुर, राजस्थान के एक सरकारी विद्यालय में अध्यापिका हैं। वह राजस्थान के विश्नोई संप्रदाय से सम्बन्ध रखती है। अपनी कक्षा के लिये वृक्षों के संरक्षण पर एक पाठ योजना तैयार कर रही हैं। वह बताती हैं कि कैसे स्थानीय समारोह में जाने के बाद उन्होनें विद्यार्थियों को वृक्ष संरक्षण के बारे में रोचक तरीकों से परिचित कराने का निर्णय लिए।
मैं मारवाड उत्सव में गयी थी (अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है) मैं वहां उदयपुर (राजस्थान राज्य का एक शहर) के एक लोकगीत गाने वाले कलाकार मंगीलाल से मिली। मांगीलाल के पास एक आदम कद की ‘कावड़’ थी [लकड़ी का एक छोटा मंदिर या पवित्र स्थल], जिस पर विष्नोइयों द्वारा अपने गॉव के संरक्षण से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं को बड़े अच्छे ढंग से प्रदर्शित किया गया था।
मैंने यह प्रदर्शन देखा और यह पूछने का निर्णय किया कि क्या वे हमारे विद्यालय आकर हमारे विद्यार्थियों को नये प्रसंग से परिचय कराने के लिये और बिश्नोईयों की बहादुरी के कारनामों की कहानी कहने और गाने के लिए आ सकते है? मंगीलाल ने बेहद दिलचस्पी दिखाई, मैंने कहा कि मैं उनके आगमन संबन्धी स्वीकृतियों व अनुमति की सारी आवश्यक व्यवस्था कर दूंगी। [आंगतुकों और उनके आगमन के आयोजन के बारे में संसाधन 3 देखिए] अगले दिन मैं प्रधानाध्यापक से मिली और उन्हें प्रदर्शन करवाने के लिए राजी कर लिया तथा बताया कि कैसे यह सभी विद्यार्थियों में जागरुकता पैदा करने में लाभप्रद होगा? अपने आगमन के दिन मांगीलाल मिस्त्री जल्दी आ गये ताकि वह छोटे और बडे दोनो विद्यार्थियों के साथ अपना प्रदर्शन कर सकें। वह अपनी सुविधा के लिए वही सुंदर कावड़, व चमकीले चित्रों से रंगा एक लाल बक्सा लिये हुए थे। [चित्र 1].
मांगीलाल ने विद्यार्थियों से स्थानीय समुदाय में वृक्षों के महत्व के बारे में प्रश्न पूछते हुए शुरुआत किया, जैसे ही प्रतिक्रियाओं का ढेर लग गया, मंगीलाल ने बिश्नोईयों की कहानी को गाकर सुनाना प्रारंभ कर दिया। मंगीलाल कहानी को सुनाते है तथा जैसे–जैसे कहानी आगे बढ़ती है उसके नाटकीय दृश्टान्त के साथ–साथ वे कबाड़ के एक–एक दरवाजे को खोलते जाते है जो उन्हें कहानी सुनाने में मद्द करती है।
कहानी ने विद्यार्थियों को बॉधे रखा तथा जैसे ही वे बोले, विद्यार्थियों द्वारा प्रश्नों की भरमार हो गयी? उन्होनें अपनी कहानी को वृक्षो के विषय में प्रश्नों के माध्यम से विस्तार दिया। उन्होने पूछा, ‘वृक्षों के बिना जीवन कैसा होगा’? क्या आप उनके बिना रह सकते हैं? क्या हमें उनको बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए? यदि हां, तो कैसे?’ विद्यार्थियों ने प्रतिक्रिया दी और निम्नवत वाक्यांशों से सहमत हुए।
विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाएं भावपूर्ण थीं, जैसे उन्होनें कहा:
मैंने मांगीलाल को कहानी सुनाने के लिये धन्यवाद दिया और उन्हें पाठ के अगले हिस्से से जुड़ने के लिये आमंत्रित किया। आगे की परिचर्चा जीवंत थी क्योंकि ने उनके समक्ष अपने विचारों का अंबार लगा दिया। मांगीलाल और मैंने प्रश्नों के उत्तर दिए तथा उन्हें वृक्षों के संरक्षण में आने वाली समस्याओं के विषय में सोचने के लिए प्रोत्साहित करते हुए अधिक खुले प्रश्न पूछे।
पाठ के अंत में मैंने विद्यार्थियों से मांगीलाल को उनकी अद्भुत कहानी कहने के लिये धन्यवाद कहने के पश्चात उनके विचारों को ब्लैक–बोर्ड पर लिखा, मैंने विद्यार्थियों को सोचने के लिए कहा कि हम क्या कर सकते हैं? उसे अगले सत्र में बात–चीत करेगे। विद्यार्थी अन्तराल के लिये कक्षा से धीरे से बाहर निकल गये, लेकिन कई विद्यार्थी कावड़ को नज़दीक से देखने और मंगीलाल से बात करने चले गये।
यह गतिविधि आपको पर्यावरण विषय में कहानी, कविता का प्रयोग करते हुये पाठ पढ़ाने के विषय में बताती है। कहानी, कविता का प्रयोग करते हुए नये प्रसंग या पाठ का अपने विद्यार्थियों से परिचय कराना, पर्यावरणीय मुद्दे पर रुचिकर एवं प्रेरक विचार बनाना। इसके संभावित तरीकों के लिये संसाधन 4 पढिये।
आप विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहते हैं? इसके विषय में किसी आंगतुक या कहानी कहने वाले को संक्षिप्त में बताएं, ताकि वह आपकी सहायता कर सके।
‘रैट स्नेक’ (संसाधन 5 देखे ) एक कहानी है जिसका आप चाहें तो प्रयोग कर सकते हैं लेकिन वहां कई अन्य कहानी भी हैं। अब अपना पाठ पढ़ाइये और जैसे-जैसे यह आगे बढ़े, ध्यान दीजिये कि विद्यार्थी पाठ में कैसे भागीदारी ले रहे हैं। तथा विद्यार्थियों द्वारा दी गयी टिप्पणी व उनकी बातचीत को दर्ज करें।
विचार के लिए रुकें पाठ के बाद चिन्तन करें कि क्या अच्छा हुआ और क्यों?
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वीडियो: कहानी सुनाना, गाने, नाटिका और नाटक |
किसी पाठ के दौरान अपने विद्यार्थियों से स्थानीय पौधों, पशुओं से सम्बंधित कहानियों के विषय में पूछने में कुछ मिनट बितायें, जो उन्होंने अपने परिवारों में सुनी हों? टीवी में देखी हों या फिर अखबारों में पढ़ी हों। विद्यार्थियों को अपनी कहानियों को बांटने का समय दें तथा कहानी की एक संक्षिप्त रूपरेखा लिखने के लिये कहें। प्रत्येक समूह एक या अधिक कहानियां प्रस्तुत कर सकता है। इन्हे एक फ़ोल्डर या एक किताब में एकत्रित करें, ताकि कक्षा में सभी जब अपना कार्य जल्दी समाप्त कर लें और जब उनके पास समय हो तो वे इन्हें देख सकें। यह विद्यार्थी संसाधन निर्माण करने का एक तरीका है जो उनकी रुचि को प्रेरित करेगा और उन्हें पर्यावरण के मुद्दों के विषय में सोचने के लिए सहायक होगा।
कोई कहानी, कविता पढ़ने जैसी गतिविधियां कक्षा के वातावरण को जीवंत बनाती हैं यदि आप उनकी कल्पना को समझ सकें तो आप विद्यार्थी की व्यक्तिगत रुचियों और भागीदारी को बेहद शीघ्रता से जान सकते हैं। अन्य गतिविधियां जैसे कि गीत, नाटक, रोल प्ले का उपयोग उन तरीकों के समान कर सकते जैसा कि संसाधन 6 में सुझाया गया है। कहानी सुनाना, गीत, रोल प्ले एवं नाटक’ आपको कार्य की योजना बनाते तथा चुनाव करते समय अनेकों विचार तथा दिशा देती है। ऐसी गतिविधियां विद्यार्थियों को अधिक समझने तथा पर्यावरण के प्रति भावनात्मक संवेदना विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह चीजों को याद रखने में विद्यार्थियों की सहायता करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और पर्यावरण के प्रति विद्यार्थियों में अधिक सहानुभूति विकसित करते हैं।
विद्यार्थियों को आपने जब नवाचारी तरीकों से किसी नये प्रसंग से परिचय कराते है तो उस समय आपने उनके अत्याधिक रूचि और उल्लास को महसूस किया होगा। शायद आपने यह भी देखा होगा कि कितने अधिक विद्यार्थियों ने इस पाठ के सीखने में प्रतिभाग किया। सिद्धान्तों को बिना दैनिक जीवन से जोड़े समझाना बहुत सारे विद्यार्थियों के लिए कठिनाई होती है। यह उनके अधिगम के लिए वास्तविक सामग्री प्रदान करती है।
कहानी जैसे रचनात्मक और प्रेरक माध्यम से किसी प्रसंग की भूमिका प्रदान करने के लाभ तथा प्रभाव ये हैं–
एक कक्षा में पर्यावरण का अध्ययन करते समय एक अध्यापक के सामने मुख्य चुनौती विद्यार्थी के प्राकृतिक संसार के सम्बन्ध में उनकी जानकारी पर निर्माण करना तथा उस जानकारी को समझने और प्रयोग करने में सहायता करने की होती है। इस इकाई के द्वारा आपको इनके पता लगाने के तरीकों से परिचित कराया गया है कि आपके विद्यार्थी स्थानीय पर्यावरण के विषय में पहले से क्या जानते हैं? पर्यावरण विज्ञान, विषयवस्तु से सम्बन्धित विद्यार्थियों की रूचियों के अनुरूप रणनीतियॉ बनाना जो विद्यार्थियों के उत्साह को बनाये रखने में सहयोग प्रदान करती है। विद्यार्थियों को इस प्रकार प्रोत्सहित करके आप उनको अभिप्रेरित कर सकते है। इस प्रकार के अनुभव पर आधारित अधिगम से विद्यार्थी कभी नही भूलेगें।
शिक्षण के लिए केवल पाठ्यपुस्तकों का ही नहीं – बल्कि अनेक शिक्षण संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। यदि आप विभिन्न ज्ञानेंद्रियों (दृष्टि, श्रवण, स्पर्श, गंध, स्वाद) का उपयोग करने वाले तरीकों का प्रयोग करते हैं, तो आप विद्यार्थियों को सीखने के लिए विभिन्न तरीके देते है जिससे विद्यार्थी सीखते है। आपके आस–पास ऐसे संसाधन उपलब्ध हैं जिनका उपयोग कक्षा–कक्ष में कर सकते हैं, जो आपके विद्यार्थियों की सीखने–सिखाने में मदद कर सकते है। कोई भी स्कूल बिना किसी या थोड़ी सी लागत से अपने स्वयं के शिक्षण संसाधनों को पैदा कर सकता है। इन सामग्रियों को स्थानीय स्तर से प्राप्त करके, पाठयचर्या और विद्यार्थियों के जीवन के बीच संबंध बनाए जाते हैं।
आपको अपने पर्यावरण में ऐसे लोग मिलेंगे जो विविध प्रकार के विषयों में पारंगत हैं। आपको कई प्रकार के प्राकृतिक संसाधन भी मिलेंगे। इससे आपको स्थानीय समुदाय के साथ संबंध जोड़ने, उसके महत्व को प्रदर्शित करने, विद्यार्थियों को उनके पर्यावरण की बहुलता और विविधता को देखने के लिए प्रोत्साहित करने, और संभवतः सबसे महत्वपूर्ण रूप से, विद्यार्थियों के शिक्षण में समग्र दृष्टिकोण – यानी, स्कूल के भीतर बाहरी शिक्षा को अपनाने की ओर काम करने में सहायता मिल सकती है।
लोग अपने घरों को यथासंभव आकर्षक बनाने के लिए कठिन मेहनत करते हैं। उस पर्यावरण के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण है जहाँ आप अपने विद्यार्थियों को शिक्षित करने की अपेक्षा करते हैं। आपकी कक्षा और स्कूल को पढ़ाई को एक आकर्षक जगह बनाने के लिए आप जो कुछ भी करेगें हैं उसका आपके विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अपनी कक्षा को रोचक और आकर्षक बनाने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं – उदाहरण के लिए, आप–
यदि आप गणित में रूपये–पैसे या मात्रा पर काम कर रहे हैं, तो आप बाज़ार के व्यापारियों या दर्जियों को कक्षा में आमंत्रित कर सकते हैं और उन्हें यह समझाने के लिए कह सकते हैं कि वे अपने काम में गणित का उपयोग कैसे करते हैं। इसके अतिरिक्त यदि आप कला विषय के अंतर्गत पैर्टनं और आकारों जैसे विषय पर काम कर रहे हैं तो आप मेहंदी डिजाइनरों को स्कूल में बुला सकते हैं ताकि वे भिन्न-भिन्न आकारों, डिजाइनों, परम्पराओं और तकनीकों को समझा सकें। अतिथियों को आमंत्रित करना तब सबसे उपयोगी होता है जब प्रत्येक व्यक्ति को समय का साझा करने तथा शैक्षिक लक्ष्यों के बारे में स्पष्टता हो।
आपके पास स्कूल समुदाय में विशेषज्ञ उपलब्ध हो सकते हैं जैसे रसोइया या संरक्षक जिन्हें विद्यार्थियों द्वारा अपने विस्य वस्तु के संबंध में चर्चा किया जा सकता है अथवा वे उनके साथ साक्षात्कार कर सकते हैं; उदाहरण के लिए, खाना पकाने में इस्तेमाल की जाने वाली मात्राओं का पता लगाने के लिए या स्कूल के मैदान, भवनों पर मौसम का कैसे प्रभाव पड़ता है।
आपकी कक्षा के बाहर ऐसे अनेक संसाधन उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग आप अपने पाठों में कर सकते हैं। आप पत्तों, मकड़ियों, पौधों, कीटों, पत्थरों या लकड़ी जैसी वस्तुओं को एकत्रित कर सकते हैं या अपनी कक्षा से एकत्रित करने को कह सकते हैं। इन संसाधनों को कक्षा में लाकर संदर्भित पाठों को रूचिकर ढंगसे प्रदर्शित कर सकते है। एकत्रित की गई वस्तुओं से चर्चा, प्रयोग कर सकते है। जैसे वर्गीकरण से संबंधित गतिविधि, सजीव निर्जीव वस्तुएं। बस की समय सारणियों या विज्ञापनों जैसे संसाधन भी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं जो स्थानीय समुदाय के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं – इससे शब्दों को पहचानने, गुणों की तुलना करने या यात्रा के समय की गणना करने के कार्य निर्धारित करके इन्हें शौक्षिक संसाधनों में बदला जा सकता है।
कक्षा में बाहर से वस्तुएं लाई जा सकती हैं- तथा बाहरी स्थान भी आपकी कक्षा का विस्तार हो सकते हैं। आम तौर पर सभी विद्यार्थियों के लिए चलने-फिरने और अधिक आसानी से देखने के लिए बाहर अधिक जगह होती है। जब आप सीखने के लिए अपनी कक्षा को बाहर ले जाते हैं, तो आप वहॉ विद्यार्थियों से निम्नलिखित गतिविधियो को कर सकते हैं–
यह दर्शाना कि घेरे पर हर बिन्दु केन्द्रीय बिन्दु से समान दूरी पर होता है
साक्षात्कार और सर्वेक्षण आयोजित करना
कक्षा के बाहर, विद्यार्थियों का शिक्षण, वास्तविकताओं तथा उनके स्वयं के अनुभवों पर आधारित होता है जो शायद अन्य संदर्भों में अधिक लागू हो सकता है।
यदि आपके कक्षा के बाहर के काम में स्कूल परिसर को छोड़ना शामिल हो तो जाने से पहले आपको स्कूल के मुख्याध्यापक की अनुमति लेनी चाहिए, समय सारणी बनानी चाहिए, सुरक्षा की जाँच करनी चाहिए और विद्यार्थियों को नियम स्पष्ट कर दें। विद्यार्थियों को यह बात स्पष्ट रूप से पता होनी चाहिए कि किस संबंध में उन्हें जानकारी करनी होगी।
चाहें तो आप मौजूदा संसाधनों को अपने विद्यार्थियों के लिए कहीं अधिक उपयुक्त बनाने हेतु उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं। ये परिवर्तन छोटे से हो सकते हैं किंतु बड़ा अंतर ला सकते हैं, विशेष तौर पर यदि आप शिक्षण को कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, आप स्थान और लोगों के नाम बदल सकते हैं यदि वे दूसरे राज्य से संबंधित है, गाने में व्यक्ति के लिंग को बदल सकते हैं, कहानी में शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे को शामिल कर सकते हैं। इस तरह से आप संसाधनों को अधिक समावेशी और अपनी कक्षा तथा उनकी शिक्षण-प्रक्रिया के लिए उपयुक्त बना सकते हैं।
साधन संपन्न होने के लिए अपने सहकर्मियों के साथ काम करें, संसाधनों को विकसित करने तथा उन्हे अनुकूलित करने के लिए आपके बीच में से ही कई कुशल व्यक्ति मिल जाएंगे। एक सहकर्मी के पास संगीत, जबकि दूसरे के पास कठपुतलियाँ बनाने या कक्षा के बाहर के विज्ञान को नियोजित करने के कौशल हो सकते हैं। आप अपनी कक्षा में जिन संसाधनों को उपयोग करते हैं उन्हें अपने सहकर्मियों के साथ साझा कर सकते हैं जिससे अपने स्कूल के सभी क्षेत्रों में एक प्रभावी शिक्षण पर्यावरण बनाने में आप सबकी सहायता हो सके।
I’m a little maple, oh so small,
In years ahead, I’ll grow so tall!
With a lot of water, sun, and air,
I will soon be way up there!
Deep inside the soil my roots are found,
Drinking the water underground.
Water from the roots my trunk receives,
Then my trunk starts making leaves.
As I start to climb in altitude,
Leaves on my branches will make food.
Soon my trunk and branches will grow wide,
And I’ll grow more bark outside!
I will be a maple very tall,
Losing my leaves when it is fall.
But when it is spring, new leaves will show.
How do trees grow? Now you know!
स्थानीय विशेषज्ञ, प्रदर्शनकर्ताओं या कहानी सुनने वालों को विद्यालय में आमंत्रित करना सभी विद्यार्थियों और अध्यापको के लिये भी एक बहुत प्रेरणास्पद अनुभव हो सकता है। आगे की योजना बनाना और यह जांचना कि जो आप चाहते हैं, क्या आंगतुक वह कर सकता है? यदि आप किसी आगन्तुक को विद्यालय में आमंत्रित करते है तो आपको इस विषय में पता लगाना आवश्यक व महत्तवपूर्ण हो जाता है कि निर्धारित तारीख पर आगन्तुक कार्य कर सकते है।
विज्ञान में प्रयोग करने के लिये कहानियों का चयन करते समय आपको यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो जाता है कि आप जिस प्रंसग को पढ़ा रहे हैं यह उससे सम्बंधित हो साथ ही आप पाठ में कहानी का प्रयोग कैसे कर सकते हैं। किसी ऐसी कहानी, को पढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है, जिसकी आपके विज्ञान विषय से कोई प्रासंगिकता न हो। जब कभी भी आप करें, आपको विद्यार्थियों की कहानियों पर ध्यान देना चाहिये तथा उन शीर्षकों को नोट करना चाहिए जो कि आगे पाठ में सहायक हो सकते हैं। एक रोचक कहानी वह होती है जिसमें निम्नलिखित गुण होते है।
जब आपने प्रयोग की जाने वाली कहानी का चयन कर लिया हो, तब आपको अपने पाठ की योजना बनाना चाहिए तथा सोचे कि उस कहानी को आप कैसे और कब पढ़ाएंगे। उदाहरण के लिए, क्या, आप पूरी कहानी पढ़ाना चाहते हैं? या आप इसका केवल वह भाग पढ़ाना चाहते हैं, विद्यार्थियों के लिये कहानी के आधार पर एक समस्या या जांच नियत कर सकें? संभव है कि आप कहानी पढ़ें और विद्यार्थी विभिन्न व्यक्तियों या जानवरों की भूमिका निभाएं और कहानी के अंदर के विचार का पता लगाएं। पर्यावरणीय आधारित कहानियों के साथ यह प्राय: संभव है, विशेष रूप से जिन्हें आस पास के ऐसे विषयों जैसे वृक्षों के संरक्षण या प्रदूषण के प्रश्नों को खोजने के लिये विशेष रूप से लिखा गया हो।
आप कहानी कहां और कैसे पढ़ाते हैं, यह भी इसके प्रभाव पर असर डालता है। एक ऐसा कमरा जहां सूर्य का पर्याप्त प्रकाश नहीं पड़ता है वहां प्रकाश के बारे में कहानी पढ़ाना विद्यार्थियों के लिये महौल बना सकता है। वैकल्पिक रूप से, छाया का पता लगाते समय बाहर एक कहानी पढ़ाना विद्यार्थियों को छाया की तरफ़ देखने में सहायक होता है।
एक स्कूल के रूप में अध्यापक साथ मिल कर कहानियों या विज्ञान प्रसंगों की सूची बना सकते हैं, जिससे विद्यार्थियों को विज्ञान सीखने में अधिक आनंद आये।
नीचे की कहानी को अपने आप में पिढ़ए और सोचिये कि आप अपने विज्ञान पाठ में किस प्रकार इसका प्रयोग कर सकते हैं।
एक रैट स्नेक धान के खेत के किनारे एक बिल में रहता था। रैट स्नेक खेत और गोदाम में आने वाले चूहों को खा जाता था। एक दिन सांप बहुत भूखा था और गोदाम में आये चूहे का पीछा कर रहा था। लेकिन चूहा बहुत चालाक था- वह तेजी से दौड़ा और गोदाम मे जाकर छिप गया। सांप किसी दूसरे चूहे की तलाश में चला गया।
चूहा अब कुछ समय के लिये बिना चिंता किये जितना चाहे उतना चावल खा सकता था। अन्य दूसरे चूहों की तरह वह एक दिन में 50 ग्राम के करीब चावल खाता था।
एक दिन चूहे ने आठ बच्चों को जन्म दिया। एक मादा चूहा तीन सप्ताह में बच्चे पैदा करती है। चूहे और उसके बच्चे बिना किसी भय के साथ बड़े हुये, क्योंकि खेत की रखवाली करने वाले किसान ने सांप को मार डाला क्योंकि वह नहीं जानता था कि रैट स्नेक जहरीले नही होते हैं और न ही मनुष्यों के लिये हानिकारक।
जल्द ही चूहे के आठ बच्चे बड़े होगये और उन्होंने चावल खाना शुरु कर दिया।
बच्चे चूहे लगभग पांच सप्ताह की आयु से बच्चे पैदा कर सकते हैं। वह सभी इसी गोदाम में चावल खाते हैं। छ: सप्ताह बाद हमारी पहली चुहिया नानी बन गयी, इसके चार बच्चों ने अब खुद के बच्चे दिये - प्रत्येक ने आठ!
पांच सप्ताह में ये बच्चे चावल खाना शुरु कर देंगे और अब कई चूहे हैं, जो एक दिन में 50 ग्राम चावल खाते हैं। एक चूहा 30 दिन में 1.5 किलोग्राम चावल खा जाता है, लेकिन चूहे चावल ही नहीं, जो भी दाने, पके भोजन और सब्जियां पाते हैं, खा जाते हैं। वे कई कीटाणु साथ लाते हैं जो मनुष्यों में बीमारियों को फैलाने का कारण बनते हैं। नि:संदेह, गोदाम में और भी अन्य चूहे हैं, जिससे की जनसंख्या वृद्धि निरंतर होती रहती है।
आप कैसे सोचते है कि चूहे हमें प्रभावित करते हैं? बिना निर्दयी हुए हम चूहों की संख्या को कैसे सीमित कर सकते हैं? हमें यह क्यों करना चाहिये?
विद्यार्थी उस समय सबसे अच्छे ढंग से सीखते हैं जब वे शैक्षिक अनुभव से सक्रिय रूप से जुड़े होते हैं। दूसरों के साथ परस्पर संवाद और अपने विचारों को साझा करने से आपके विद्यार्थी अपनी समझ की गहराई बढ़ा सकते हैं। कथावाचन, गीत, भूमिका अदा करना और नाटका कुछ ऐसी विधियाँ हैं, जिनका उपयोग पाठ्यचर्या के कई क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिनमें गणित और विज्ञान भी शामिल हैं।
कहानियाँ हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाने में मदद करती हैं। कई पारम्परिक कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी से चली आ रही हैं। जब हम छोटे थे तब वे हमें सुनाई गई थीं और हम जिस समाज में पैदा हुए हैं, उसके कुछ नियम व मान्यताओं को कहानियॉ हमें समझाती हैं।
कहानियाँ कक्षा शिक्षक के लिए बहुतुत सशक्त माध्यम होती हैं वे–
समस्याओं के बारे में वास्तविकता से अलग संदर्भ में सोचने में मदद कर सकती हैं।
जब आप कहानियाँ सुनाते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप उनकी आँखों में देखें। यदि आप विभिन्न पात्रों के लिए भिन्न स्वरों का उपयोग करते हैं और उदाहरण के लिए उपयुक्त समय पर अपनी आवाज़ की तीव्रता और सुर को बदलकर फुसफुसाते या चिल्लाते हैं, तो उन्हें आनन्द आएगा। कहानी की प्रमुख घटनाओं का अभ्यास कीजिए ताकि आप इसे पुस्तक के बिना स्वयं अपने शब्दों में मौखिक रूप से सुना सकें। कक्षा में कहानी को मूर्त रूप देने के लिए आप वस्तुओं या कपड़ों जैसी सामग्री भी ला सकते हैं। जब आप कोई नई कहानी सुनाएँ तो उसका उद्देश्य समझाना न भूलें और विद्यार्थियों को इस बारे में बताएँ कि वे क्या सीख सकते हैं? आपको प्रमुख शब्दावली उन्हें बतानी होगी व कहानी की मूलभूत संकल्पनाओं को बारे में उन्हें जागरूक रखना होगा। आप कोई लोककथा सुनाने वाला भी स्कूल में ला सकते हैं, लेकिन सुनिश्चत करें कि जो सीखा जाना है, वह कहानी सुनाने वाले व विद्यार्थियों दोनों को स्पष्ट हो।
कहानी सुनाना व सुनने के अतिरिक्त भी विद्यार्थियों को कई गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। विद्यार्थियों से कहानी में आए सभी रंगों के नाम लिखने, चित्र बनाने, प्रमुख घटनाएँ याद करने, संवाद बनाने या अंत को बदलने को कहा जा सकता है। उन्हें समूहों में बॉटकर करके चित्र या सामग्री देकर कहानी को किसी और परिप्रेक्ष्य में कहने के लिए कहा जा सकता है। किसी कहानी का विश्लेषण करके, विद्यार्थियों से कल्पना में से तथ्य को अलग करने, किसी अद्भुत घटना के वैज्ञानिक स्पष्टीकरण पर चर्चा करने या गणित के प्रश्नों को हल करने के लिए कहा जा सकता है।
विद्यार्थियों से अपनी कहानी बनाने को कहना बहुत सशक्त उपाय है। यदि आप उन्हें काम करने के लिए कहानी का कोई ढाँचा, सामग्री व भाषा देंगे, तो विद्यार्थियों को गणित व विज्ञान के जटिल विचारों पर भी अपनी बनाई कहानियाँ कह सकते हैं। वास्तव में, वे अपनी कहानियों की उपमाओं के द्वारा विचारों से खलते हैं, अर्थ का अन्वेषण करते हैं और कल्पना को समझने योग्य बनाते हैं।
कक्षा में गीत और संगीत के उपयोग से अलग–अलग विद्यार्थियों को योगदान करने, सफल होने और उन्नति करने का अवसर मिल सकता है। एक साथ मिलकर गाने से जुड़ाव बनता है और इससे सभी विद्यार्थी खुद को इसमें शामिल महसूस करते हैं क्योंकि यहाँ ध्यान किसी एक व्यक्ति के प्रदर्शन पर केंद्रित नहीं होता। गीतों के सुर और लय के कारण उन्हें याद रखना सरल होता है और व बोलने से भाषा विकास में मदद मिलती है।
संभव है कि आप आत्मविश्वासी गायक न हों, लेकिन निश्चित रूप से आपकी कक्षा में कुछ अच्छे गायक होंगे, जिन्हें आप अपनी मदद के लिए बुला सकते हैं। आप गीत को जीवंत बनाने और संदेश व्यक्त करने में सहायता के लिए गतिविधि और हावभाव का उपयोग कर सकते हैं। आप उन गीतों का उपयोग कर सकते हैं जो आपको मालूम हैं। अपने उद्देश्य के अनुसार उनके शब्दों में बदलाव कर सकते हैं। गीत जानकारी को याद करने तथा उनको याद रखने का भी एक उपयोगी तरीका हैं – यहाँ तक कि सूत्रों और सूचियों को भी एक गीत या कविता के रूप में रखा जा सकता है। आपके विद्यार्थी दोहराव के उद्देश्य से गीत या भजन बनाना रचनात्मक भी हो सकते हैं।
भूमिका गतिविधि वह होती है, जिसमें विद्यार्थी कोई भूमिका निभाते हैं और किसी छोटे परिदृश्य के दौरान, वे उस भूमिका में बोलते और अभिनय करते हैं। वे जिस पात्र की भूमिका निभा रहे हैं, उसके व्यवहार और उद्देश्यों को अपना लेते हैं। इसके लिए कोई स्क्रिप्ट नहीं दी जाती, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि विद्यार्थियों को शिक्षक द्वारा पर्याप्त जानकारी दी जाए, जिससे वे उस भूमिका को समझ सकें। भूमिका निभाने वाले विद्यार्थियों को अपने विचारों और भावनाओं को शीघ्रता से अभिव्यक्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
भूमिका निभाने के कई लाभ हैं क्योंकि–
भूमिका निभाने से छोटे विद्यार्थियों को अलग अलग सामाजिक स्थितियों में बात करने का आत्मविश्वास विकसित करने में मदद मिल सकती है, उदाहरण के लिए,किसी स्टोर में खरीददारी करने, किसी स्थानीय स्मारक पर पर्यटकों को रास्ता दिखाने या एक टिकट खरीदने का अभिनय करना। आप कुछ वस्तुओं और चिह्नों के द्वारा सरल दृश्य तैयार कर सकते हैं, जैसे ‘कैफे’, ‘डॉक्टर की सर्जरी’ या ‘गैरेज’। अपने विद्यार्थियों से पूछें, ‘यहाँ कौन काम करता है?’, ‘वे क्या कहते हैं?’ और ‘हम उनसे क्या पूछते हैं?’ और उन्हें इन क्षेत्रों की भूमिकाओं में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें, तथा उनकी भाषा के उपयोग का अवलोकन करें।
नाटक करने से पुराने विद्यार्थियों के जीवन के कौशलों का विकास हो सकता है। उदाहरण के लिए, कक्षा में हो सकता है कि आप इस बात का पता लगा रहे हों कि टकराव को किस प्रकार से खत्म किया जाए। इसके बजाय अपने स्कूल या समुदाय से कोई वास्तविक घटना लें। आप इसी तरह के लेकिन इससे भिन्न किसी परिदृश्य का वर्णन कर सकते हैं जिसमें वही समस्या उजागर होती हो। विद्यार्थियों को भूमिकाएँ आवंटित करें या उन्हें अपनी भूमिकाएँ खुद चुनने को कहें। आप उन्हें योजना बनाने का समय दे सकते हैं या उनसे तुरंत भूमिका अदा करने को कह सकते हैं। भूमिका अदा करने की प्रस्तुति पूरी कक्षा को दी जा सकती है या विद्यार्थी छोटे समूहों में भी कार्य कर सकते हैं, ताकि किसी एक समूह पर ध्यान केंद्रित न रहे। ध्यान दें कि इस गतिविधि का उद्देश्य भूमिका निभाने का अनुभव लेना और इसका अर्थ समझाना है। आप उत्कृष्ट अभिनय प्रदर्शन या बॉलीवुड के अभिनय पुरस्कारों के लिए अभिनेता नहीं ढूँढ रहे हैं।
भूमिका अदा करने का उपयोग विज्ञान और गणित में भी करना संभव है। विद्यार्थी अणुओं के व्यवहार की नकल कर सकते हैं, और एक-दूसरे से संपर्क के दौरान कणों की विशेषताओं का वर्णन कर सकते हैं या उनके व्यवहार को बदलकर ऊष्मा या प्रकाश के प्रभाव को दर्शा सकते हैं। गणित में विद्यार्थी कोणों या आकृतियों की भूमिका निभाकर उनके गुणों और संयोजनों को खोज सकते हैं।
कक्षा में नाटक का उपयोग अधिकतर विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए एक अच्छी रणनीति है। नाटक कौशलों और आत्मविश्वास का निर्माण करता है। इसका उपयोग विषय के बारे में विद्यार्थियों की समझ का आकलन करने के लिए भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यह दिखाने के लिए कि संदेश किस प्रकार से मस्तिष्क से कानों, आंखों, नाक, हाथों और मुंह तक जाते हैं और वहां से फिर वापस आते हैं, टेलीफोनों का उपयोग करके मस्तिष्क किस प्रकार काम करता है इसके बारे में अपनी समझ पर एक नाटक किया गया। संख्याओं को घटाने के तरीके को भूल जाने के भयानक परिणामों पर एक लघु, मज़ेदार नाटक युवा विद्यार्थियों के मन में सही पद्धतियों को स्थापित कर सकता है।
नाटक प्रायः कक्षा, स्कूल अभिभावकों और स्थानीय समुदाय के प्रस्तुतीकरण के लिए किया जाता है। यह लक्ष्य विद्यार्थियों को कुछ कार्य करने का मौका देगा तथा अभिप्रेरित करेगा। नाटक तैयार करने की रचनात्मक प्रक्रिया से पूरी कक्षा को जोड़ा जाना चाहिए। यह जरूरी है कि विद्यार्थियों के आत्मविश्वास के स्तरों के अंतरों को ध्यान में रखा जाये। प्रत्येक विद्यार्थी का अभिनेता होना जरूरी नहीं है; विद्यार्थी अन्य तरीकों से योगदान कर सकते हैं संयोजन करना, वेशभूषा, प्रॉप्स, मंच पर मददगार जो उनकी प्रतिभाओं और व्यक्तित्व से अधिक नजदीकी से जोड़ती है।
यह विचार करना आवश्यक है कि अपने विद्यार्थियों के सीखने में मदद करने के लिए आप नाटक का उपयोग क्यों कर रहे हैं? क्या यह भाषा विकसित करने (उदा. प्रश्न पूछना और उत्तर देना), विषय के ज्ञान (उदाहरण खनन का पर्यावरण पर प्रभाव), या विशिष्ट कौशलों (उदा. टीम वर्क) का निर्माण करने के लिए है? सावधानी बरते की नाटक करने के लक्ष्य पीछे सीखने का उद्देश्य कही खो न जाए।
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संसाधन 2: मेईश गोल्डिश द्वारा ‘वृक्ष की वृद्धि’। [Resource 2: ‘Growth of a Tree’ by Meish Goldish.]
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।