विद्यार्थियों को प्राथमिक विज्ञान के विभिन्न वैज्ञानिक विषय-बिंदुओं, जिनमें कुपोषण जैसे कुछ अधिक संवेदनशील विषय-बिंदु भी शामिल हैं, प्रायः विद्यार्थियों से हमारी यह अपेक्षा रहती है कि वे वैज्ञानिक विचारों और प्रमाणों को स्वीकार कर लें उन्हें इस बात पर विचार करने का अवसर दे कि यह सत्य है या नही। सत्य है तो किस प्रकार से सत्य है कक्षा में चर्चा का उपयोग करने से विद्यार्थी से संबंधित प्रमाणों पर विचार करते हैं, अपना मत कायम करते हैं और अपने दृष्टिकोण का औचित्य सिद्ध करते हैं। ऐसा करने से उन्हें अपना वस्तुनिष्ठ चिंतन कौशल विकसित करने में मदद मिलती है।
यह इकाई कक्षा में चर्चाओं को आरंभ करने, उन्हें संचालित करने एवं उन्हें निष्कर्ष पर पहुंचाने के तरीकों पर विचार करने के द्वारा प्राथमिक विज्ञान में विद्यार्थी संवाद को सुगम बनाने की प्रक्रिया पर चर्चा करेगी। कुपोषण और आहार की प्रभावी चर्चा में सहयोग देने वाली विभिन्न कार्यनीतियों की खोज की जिससे यह स्पष्ट किया जा सके कि कैसे विभिन्न कार्यनीतियों को कक्षा में लागू किया जा सकता है।
चर्चा करना एक सक्रिय पद्धति है जो विद्यार्थियों को वैज्ञानिक अवधारणाओं, मुद्दों एवं नैतिकता के अर्थ की रचना करने और उन्हें समझने में सहयोग देती है। कुपोषण जैसे विषय-बिंदु के संबंध में आपके विद्यार्थियों के अपने-अपने विचार होंगे। ये विचार या समझ, उनकी संपूर्ण विद्यालयी शिक्षा के दौरान विज्ञान के पिछले पाठों से और उनके व्यक्तिगत एवं पारिवारिक अनुभवों से निर्मित हुए होंगे। स्वास्थ्यकर भोजन करने के महत्व पर विचार करने के लिए विद्यार्थियों को अवसर प्रदान करने के द्वारा उनके ज्ञान को और विस्तार देने से उनके जीवन संबंधी निर्णयों पर प्रभाव पड़ेगा जो वयस्क होने की प्रक्रिया से गुजरने के दौरान लेंगे।
प्रभावी चर्चाओं में, विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जाता है कि अवधारणाओं और विचारों की खोज करते समय एक-दूसरे से अधिकांश बातचीत स्वयं ही करें। इस बातचीत के द्वारा ही हम प्रायः विषय के बारे में अधिक गहराई से सोचना आरंभ करते हैं। यह न केवल विद्यार्थियों को एक-दूसरे से सीखने में सक्षम बनाने में सहयोगी है, बल्कि इससे वे गलतफहमी वाले विचार भी आपके सामने आ जाते हैं जो उनके मन में हो सकते हैं, जिससे आप बाद में प्रत्यक्ष रूप से सीखने के तरीके तैयार कर सकते हैं। प्रारंभिक अवस्था से ही विद्यार्थियों की विज्ञान के बारे में बात करने और अपने विचारों को साझा करने में मदद करने एवं उन्हें समर्थन देने से बाद के जीवन में अपनी बात के पक्ष में तर्क रखने में अधिक सक्षम हो जाएंगे।
‘चर्चा’ एक व्यापक शब्द है, जिसका अर्थ है, दो या अधिक लोगों के समूह के बीच अन्वेषी अन्योन्यक्रिया (खोज करने की दिशा में लक्षित बातचीत एवं व्यवहार)। ‘बहस’ (वाद-विवाद) चर्चा का एक अधिक औपचारिक (और संभावित रूप से अधिक गहन) रूप है जिसमें सामान्यतः दो भिन्न या परस्पर विरोधी दृश्टिकोण अथवा ‘पक्ष’ शामिल होते हैं। यह इकाई ‘चर्चा’ शब्द का उपयोग दोनों प्रकार की सामूहिक अन्योन्यक्रिया को शामिल करने के लिए करती है।
श्रीमती आशा गोयल प्रायः अपने पाठों के बारे में अपनी सहकर्मी सुमन से बात करती हैं। सुमन ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे विद्यार्थियों को विषय-बिंदु पर चर्चा करने दें।
सुमन ने मुझे बताया कि उसने एक विज्ञान शोधपत्रिका में एक लेख पढ़ा था, जिसमें बताया गया था कि किस प्रकार की चर्चा विद्यार्थियों के सोचने में मदद कर सकती है। और यह लेख पढ़ने के बाद श्रीमती सुमन ने कक्षा के साथ चर्चा की थी। मैं उत्साह से और विद्यार्थियों ने कैसी प्रतिक्रिया इस बारे में उसके विवरण से प्रभावित हुई तो मैं भी ऐसा करके देखने पर सहमत हो गई। मैं बहुत घबराई हुई थी, परन्तु उसकी मदद से मैंने ‘स्वास्थ्यकर आहार/भोजन क्या है?’ इसकी खोज के लिए एक सत्र की योजना तैयार कर ली।
मैंने कक्षा IV के विद्यार्थियों को समझाया कि मैं क्या करवाना चाहती हूँ? मैं विज्ञान की समस्याओं के बारे में बात करने में विद्यार्थियों की मदद, जोड़ी में कार्य और छोटे समूहों के उपयोग द्वारा करती आ रही थी।यह अपेक्षाकृत विद्यार्थियों के समूहों का उपयोग करने का निर्णय लिया। अधिक खुले-छोर वाली चर्चा थी इस कारण तो मैं इस बारे में निश्चित नहीं थी कि वे इसे जोड़ियों में करने में सक्षम हो सकेंगे। मैंने पाँच-पाँच
मैंने भोजन के दो चित्र बनाए थे, जिन्हें मैंने ब्लैकबोर्ड पर लगा दिया। एक चित्र ऐसे भोजन का था, जिसमें केवल कार्बोहायड्रेट थे दूसरा चित्र सब्जियों, चिकन और कार्बोहायड्रेट के मिश्रित भोजन का था। मैंने उनसे यह सोचने के लिए कहा कि क्या इनमें से कोई भोजन संतुलित है? और यदि है तो कौन सा? मैंने उन्हें बात करने के लिए कुछ मिनट दिए और फिर उनसे कुछ टिप्पणियां मांगीं। मैंने उनके मुख्य विचारों को ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया। उन्होंने कुछ इस तरह की टिप्पणियां और प्रश्न दिए, ‘दोनों भोजन ठीक हैं!’, ‘मुझे चिकन पसंद नहीं है, इसलिए मैं वह वाला भोजन नहीं खाऊंगा’, ‘क्या सभी भोजनों का संतुलित होना ज़रूरी है?’ और ‘क्या होगा यदि आप केवल सब्जियां खाएं? क्या वह संतुलित होगा?’ मैं इनसे काफ़ी प्रभावित हुई और फिर मैंने विद्यार्थियों से इस बारे में आगे बातचीत करने को कहा कि एक संतुलित भोजन के बजाय संतुलित आहार से क्या समझते हैं?
इसके उत्तर में और भी अधिक टिप्पणियां और प्रश्न सामने आए। इससे मुझे दिखाई दे गया कि उन्होंने संतुलित आहार के बारे में कितना समझा था। परन्तु साथ ही इससे उनकी समझ के बीच के रिक्त स्थान भी साफ़-साफ़ दिखाई दिए, विशेषकर इस बारे में कि कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन आदि के बीच किस प्रकार का संतुलन होना आवश्यक है, और संतुलित आहार नहीं लेने का प्रभाव क्या होता है?
मेरे अगले सत्र में उन सभी को इस बारे में अधिक जानकारी का पता लगाने के लिए अवसर दिया जाएगा कि स्वास्थ्यकर आहार लेने में क्या-कुछ शामिल है? उनके वर्तमान ज्ञान का आकलन करने का यह एक बहुत अच्छा तरीका था और विद्यार्थी बातचीत के दौरान बहुत जोशपूर्ण थे। मैं यह देख कर बहुत खुश थी कि उन्होंने एक-दूसरे को कितनी अच्छी तरह से सुना, तब भी जब उनके विचार, वक्ता से मेल नहीं खाते थे।
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अच्छी चर्चा में विद्यार्थी से विद्यार्थी की और शिक्षक से विद्यार्थी की बातचीत शामिल होती है। जब विद्यार्थी, शिक्षक के हस्तक्षेप या अन्योन्यक्रिया के बिना, एक-दूसरे से बात करते हैं, तब उनके बीच जो अन्योन्यक्रिया होती है वह अपेक्षाकृत अधिक मुक्त होती है। विद्यार्थी जोख़िम लेने और आधे-अधूरे विचार साझा करने के लिए तैयार होते हैं।
यद्यपि कुछ विद्यार्थी पूरी कक्षा की चर्चा के आरंभ में बोलने में संकोच या अनिच्छा दर्शा सकते हैं, क्योंकि वे अपनी अज्ञानता जाहिर करना नहीं चाहते हैं। यदि ऐसा है, तो एक ऐसी सहयोग करने की संस्कृति का निर्माण करना आवश्यक है, जो विद्यार्थियों को यह बात जानने में पर्याप्त भरोसा दिलाए कि उनके योगदानों को स्वीकार किया जाएगा और उन्हें संवेदनशील ढंग से संभाला जाएगा।
शिक्षक होने के नाते, आपको इस बारे में रुचि होनी चाहिए कि विषय-बिंदु पर प्रत्येक विद्यार्थी को क्या कहना है? और अधिक गहरे-चिंतन को प्रोत्साहित करना, विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण प्राप्त करना और हर किसी के प्रश्नों और योगदानों को मान देने वाला कक्षा का परिवेश निर्मित करना, प्रभावी चर्चा की कुंजियां हैं। अपेक्षाकृत कम आयु के विद्यार्थियों के साथ आप जिस प्रकार की चर्चा की योजना तैयार करते हैं, उनमें अधिक आयु के विद्यार्थियों की तुलना में उनके सीमित ज्ञान एवं अनुभव और बौद्धिक विकास की उनकी भिन्न अवस्था को ध्यान में रखना आवश्यक है।
कक्षा में चर्चाएं मुक्त-प्रवाह वाली बातचीतों का रूप ले सकती हैं उन्हें अधिक संरचित तरीके से संचालित किया जा सकता है। चर्चा को चरणों में व्यवस्थित करना और विद्यार्थियों को संगठित करना, जैसे जोड़ियों, समूहों या पूरी कक्षा का उपयोग करना आवश्यक हो सकता है। संसाधन 1, ‘जोड़ी में कार्य का उपयोग करना’, जोड़ी में कार्य का उपयोग करने के लाभ सारांश रूप में बताता है और अगला क्रियाकलाप करने में आपकी मदद कर सकता है’
पोषण या कुपोषण से संबंधित किसी ऐसे विषय-बिंदु या मुद्दे के बारे में सोचें, जिसके बारे में आपके विद्यार्थी अपने पास बैठने वाले विद्यार्थी से बात कर सकते हों। आप विज्ञान की दृष्टि से और अधिक प्रभावी ढंग से चर्चा करने में सक्षम होने की दृष्टि से, उन्हें इस अनुभव से क्या सिखाना चाहते हैं?
यही आपके विद्यार्थियों की आयु और योग्यता के अन्तर्गत उन प्रश्नों के प्रकार का निर्धारण करेगा, जो आप पूछ सकते हैं । उदाहरण के लिए, ‘यदि आप खाना न खाएं तो आपके शरीर को क्या होगा?’ या ‘यदि आप केवल चावल खाएं तो क्या होगा?’ जैसे प्रश्न कम आयु वाले विद्यार्थियों के साथ स्पष्ट रूप से प्रयोग किए जा सकते हैं। इनका उपयोग अधिक आयु वाले विद्यार्थियों के साथ भी किया जा सकता है। परन्तु उनके मामले में आप, हम भोजन क्यों खाते हैं? और यदि हम समझदारी से भोजन नहीं खाएं, तो उसके क्या प्रभाव होंगे? इस प्रकार के विचारों से कहीं अधिक गहरे आदान-प्रदान की अपेक्षा करेंगे।
विद्यार्थी जिस प्रश्न पर चर्चा करने जा रहे हैं उसकी पहचान कर लेने के बाद, यह सोचें कि आप क्रियाकलाप का परिचय कैसे देंगे? जोड़ियां कैसे संगठित करेंगे? यदि आपकी कक्षा बड़ी है, तो सुविधा के लिए, विद्यार्थी अपने बाईं ओर के विद्यार्थी से बात कर सकते हैं।
क्या मुद्दे के बारे में बात करने में मदद पाने के लिए आपके विद्यार्थियों को कोई अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता होगी। यदि हां, तो उन्हें वह कहां से मिलेगी? वह इंटरनेट, रेडियो, टेप, टीवी या पाठ्यपुस्तक से मिल सकती है या आप ब्लैकबोर्ड पर कुछ तथ्य लिख सकते हैं। उनकी बातचीत के दौरान आपकी भूमिका क्या होगी? क्या आप कक्षा में घूमते हुए उनकी बात सिर्फ सुनेंगे या जोड़ियों के साथ बातचीत भी करेंगे? यदि बातचीत करेंगे तो कब और क्यों?
अपनी योजना लिख लें और उसके बाद चर्चा आयोजित करें।
वीडियो: सीखने के लिए बातचीत |
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जैसे ही विद्यार्थी एक-दूसरे को सुनने और प्रतिक्रिया देने के कौशल को विकसित कर चुके हों, तब वे कक्षा चर्चा में संलग्न हो सकते हैं। अपने विद्यार्थियों के लिए साथ कार्य करने, अपने विचारों के बारे में समझाने और सहयोगात्मक ढंग से समस्याएं हल करने के अधिकाधिक संभावित अवसरों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। ये गतिविधियां वैज्ञानिक चर्चा में भाग लेते समय उनकी सहायता करेंगी।
गतिविधि 1 में हो सकता है कि आपको यह ज्ञात हो कि विद्यार्थियों से जोड़ियों में कार्य करने को कहने से चर्चा की गहराई सीमित हुई है। परन्तु, शुरूआती बिंदु के रूप में यह एक सुरक्षित एवं अधिक सरल सन्दर्भ है जिसमें विद्यार्थी विचार का साझा करना और एक-दूसरे को अवधारणाएं को समझाना शुरू कर सकते हैं।
बड़ी कक्षा में, विद्यार्थियों से जोड़ियों में काम करने के लिए कहना, आपके लिए कक्षा में घूमकर उनकी बातें सुनना कठिन बना देता है। परन्तु आप उन विद्यार्थियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जिनके बारे में आपको ज्ञात है कि वे अपनी बात कहने में कम आत्मविश्वासी हैं। विज्ञान के अपने ज्ञान के बारे में अनिश्चित हैं। समूह चर्चा और पूरी-कक्षा चर्चा का उपयोग करना शुरू करने में, आपको और आपके विद्यार्थियों को समय लगेगा और इसके लिए तैयारी भी करनी होगी, परन्तु आत्मविश्वास, प्रेरणा और रुचि की दृष्टि से जो लाभ प्राप्त होंगे वे आसानी से दिखेंगे, उपलब्धि में वृद्धि (और गहरी जानकारी के लिए देखें संसाधन 2, ‘समूहकार्य का उपयोग करना’)। समूहों के साथ, आपके लिए निगरानी हेतु कम संख्या में पृथक इकाइयां होंगी और आप शीघ्र यह सुन व देख सकेंगे कि कैसे और विद्यार्थी कार्य व परिस्थिति पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
अगले केस स्टडी में श्री भाना समूहों का उपयोग कर रहे हैं; देखें कि किस प्रकार से वे अपने विद्यार्थियों का सहयोग करते हैं।
वीडियो: समूहकार्य का उपयोग करना |
श्री भाना ने अपने विद्यार्थियों को कक्षा चर्चा के माध्यम से कुपोषण के कारणों के बारे में पढ़ाने का निर्णय लिया। उन्होंने इस शिक्षण कार्यनीति को चुना क्योंकि कुपोषण के कारण जटिल एवं विवादास्पद होते हैं। जिसमें कई जैविक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों का संयोजन शामिल होता है। साथ ही, ऐसा करने से उनके विद्यार्थी शामिल मुद्दों में से कुछ के साथ सीधे जुड़ने में भी समर्थ हो सकेंगे।
मैंने कक्षा को चार-चार के समूहों में संगठित कर पाठ आरंभ किया। मैंने विद्यार्थियों को समझाया कि वे दो प्रश्नों पर चर्चा करने जा रहे हैं। मेरे द्वारा पूछा गया पहला प्रश्न था ‘कुपोषण का अर्थ क्या है?’ मैंने उन्हें अपने विचार साझा करने के लिए पाँच-मिनट की समय सीमा दिया।
मैं चाहता था कि चर्चाएं मुक्त-प्रवाही हों, इसलिए मैंने समूहों में भूमिकाएं तय नहीं किया और न ही उनसे अपने विचार लिखने को कहा। मैं कक्षा में घमू ता रहा, और कोई हस्तक्षेप किए बिना सावधानी से अपने विद्यार्थियों की चर्चाएं सुनता रहा। इससे मुझे यह निर्धारित करने का अवसर मिला कि शब्द ‘कुपोषण’ से उन्होंने क्या समझा है?
पाँच मिनटों के बाद, मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे बारे में बात कर रहे थे उसे बाकी कक्षा के साथ साझा करें। जब उन्होंने अपनी बात कही, मैंने उनके विचार दोहराए और उन्हें ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया जो उनमें शामिल थे। ‘कुपोषण का अर्थ है पर्याप्त भोजन नहीं मिलना’ और ‘इसका अर्थ मैंने समझाया कि मैं सत्र के अंत में उनके साथ कुपोषण की कुछ परिभाषाएं साझा करूंगा।
इसके बाद मैंने उनसे दूसरा प्रश्न पूछा, ‘कुपोषण के परिणाम क्या होते हैं?’ जब मैंने उनकी चर्चाएं सुनीं तो मैंने ध्यान दिया कि कुछ विद्यार्थी अपने विचारों को समझाने में कठिनाई महसूस कर रहे थे। इसलिए उनकी मदद करने के लिए मैंने हर समूह से एक-दो अतिरिक्त प्रश्न पूछे, जैसे ‘क्या आप समझा सकते हैं कि कुपोषण वाले मरीज के लक्ष्ण क्या है? किस प्रकार आपके शरीर के लिए हानिकारक है?’ और ‘आपका शरीर किन-किन तरीकों से उचित ढंग से कार्य करना बंद कर सकता है?’
इसके बाद प्रत्येक समूह ने जो चर्चा की थी उसे बाकी की कक्षा के साथ साझा किया। एक बार फिर, मैंने उनके योगदानों को दोहराया और उनके बारे में ब्लैकबोर्ड पर नोटस लिख दिए। मैंने उन्हें कुपोषण की परिभाषाएं [देखें संसाधन 3] देकर और मानव शरीर पर पड़ने वाले उसके प्रभावों का संक्षिप्त विवरण देकर पाठ समाप्त किया।
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चर्चा के दौरान शिक्षक के रूप में श्री भान की भूमिका थी विषय-बिंदु के परिचय का प्रबंधन करना (जिसमें किन्हीं भी परिचयात्मक प्रश्नों को प्रस्तुत करना शामिल था), समूहों का गठन करना और उनकी निगरानी करना, तथा विद्यार्थियों के विचारों को सारांश रूप देना।
यद्यपि प्रेक्षक की भूमिका, आपको आपके विद्यार्थियों की समझ और चिंतन प्रक्रिया की अंदरूनी जानकारी देने में मूल्यवान हो सकती है, परन्तु कभी-कभी हस्तक्षेप करना और विद्यार्थियों को प्रेरित करना भी सहायक हो सकता है। ध्यानपूर्वक अतिरिक्त प्रश्न पूछने से आपके विद्यार्थियों को बेहतर ढंग से अपने विचारों को स्पष्ट करने, अपनी बात को विस्तार देने और अपने तर्कों को समझाने के लिए मदद मिल सकती है। निम्नलिखित प्रकार के प्रेरक प्रश्न किसी विषय-बिंदु के बारे में अधिक व्यापक ढंग से और अधिक गहराई से सोचने में आपके विद्यार्थियों की मदद कर सकते हैं–
इस बारे में सोचें कि आप क्या चाहते हैं? कि कुपोषण के विषय-बिंदु के अंदर, उसके बारे में विद्यार्थियों को किस चीज के बारे में अधिक सीखना चाहिए? इसके बाद एक प्रश्न तैयार करें जिस पर वे छोटे-छोटे समूहों में चर्चा कर सकते हों।
इसके बाद, यह तय करें कि आप समूहों का गठन कैसे करेंगे? विचारों के मिश्रण को प्रोत्साहित करने के लिए दोस्तों के समूह हो सकते हैं या मिश्रित योग्यता वाले समूह हो सकते हैं। इससे विद्यार्थियों को एक-दूसरे का अधिक सहयोग करने और विभिन्न दृष्टिकोण एवं योग्यता के प्रति समझ और संवेदनशीलता विकसित करने में मदद मिलेगी।
क्या उन्हें किसी अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता है? यदि हाँ, तो आप उन्हें वह कैसे देंगे? चर्चा के दौरान और उसके बाद आप अपने विद्यार्थियों की मदद कैसे करेंगे? पाठ की योजना बनाने के बाद कक्षा का संचालन करें।
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वीडियो: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना |
गतिविधि 2 के अंत में या अगले पाठ के आरंभ में अपनी कक्षा से यह पूछने में कुछ मिनट लगायें कि उनके विज्ञान के पाठों में चर्चा करने के अनुभव के बारे में उनके विचार क्या हैं ? हो सकता है कि कुछ विद्यार्थी सीधे आपसे बात करना नहीं चाहें , परन्तु वे समूह में बात कर सकते हैं। उसके बाद आपको समूहों के विचारों का लिखित फ़ीडबैक दे सकते हैं। उनके लिए एक - दो प्रश्न तैयार करें , जैसे –
फीड बैक देने के लिए कहने से पहले उन्हें बात करने के लिए समय दें।
गतिविधि 2 पर स्वयं चिंतन करने के साथ-साथ उनके फीडबैक का उपयोग करते हुए अपने चर्चा से पाठों की मज़बूत बातों को पहचानें तथा चर्चा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आपको जिन क्षेत्रों पर कार्य करने की ज़रूरत है उन क्षेत्रों की पहचान करें। जब आप अगली चर्चा गतिविधि करें, तो आप सुधार के अपने लक्ष्यों के बारे में खुद को याद दिला सकें।
कक्षा चर्चाओं के दौरान, सामान्यतः विद्यार्थियों को उनकी सोच तथा वे जिन बातों को सत्य मानते हैं उन्हें मुक्त रूप से व्यक्त करने की अनुमति होनी चाहिए। उनको शिक्षक होने के नाते, आप उनसे कह सकते हैं कि वे अपने विचारों को स्पष्ट करें और वे जो सोचते हैं उसका औचित्य सिद्ध करें। उनसे उनके विचारों के प्रमाण मांगें उन्होंने ऐसा क्या देखा या सुना है?
अपने विद्यार्थियों को बात करते हुए सुनने से आपको उनकी वैज्ञानिक समझ की गहरी जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे आप उन गलतफहमियों की पहचान भी कर सकेंगे जो आपके विद्यार्थियों में हो सकते हैं। जिससे आप चर्चा के अंत में या आगे के पाठों में उन्हें दूर कर सकेंगे। ऐसा करने में विद्यार्थियों की मदद करने के लिए, आपको उन्हें अलग-अलग ढंग से संरचित करने और विभिन्न प्रकार की चर्चाएं देनी होंगी। मुख्य संसाधन ‘सीखने के लिए बात करें’ बातचीत का उपयोग करने के लाभ यह है कि आप और ऐसी कुछ कार्यनीतियां को बताता है जिनका उपयोग आप कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, संसाधन 4 में विकल्प दिए गए हैं। इनमें से कुछ विकल्प, अधिक आयु वाले, अधिक अनुभवी और सक्षम विद्यार्थियों के लिए बहुमूल्य अभ्यास हैं, जो मुद्दों पर विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार करने के मामले में बेहतर होंगे।
जब श्रीमती पांड्या शिक्षक बनने का प्रशिक्षण ले रहीं थीं, तो उन्हें गुब्बारा बहस गतिविधि के बारे में जानने को मिला। गुब्बारा बहस का सिद्धांत यह है कि एक गर्म हवा का गुब्बारा बहुत तेजी से नीचे जा रहा है। भार घटाने और यात्रियों को बचाने के लिए, टोकरी में से कुछ चीज़ों को नीचे फेंकना आवश्यक है। टोकरी में मौजूद किसी यात्री की भूमिका लेते हुए, कि किसी वस्तु या अवधारणा विशेष का ‘उत्तरदायित्व’ लेता है, और उसे इस बारे में तर्क प्रस्तुत करने होते हैं।
मैंने अपनी कक्षा को समझाया कि गुब्बारा बहस क्या होती है? फिर उन्हें पाँच-पाँच के समूहों में बाँट दिया। मैंने समझाया कि पाँच विद्यार्थियों का प्रत्येक समूह, गुब्बारे की टोकरी में बैठा एक यात्री है। उसे इस बारे में तर्क देना हैं कि उसके खाद्य- पदार्थों को टोकरी में क्यों रहने दिया जाना चाहिए? मैंने प्रत्येक समूह के विद्यार्थियों को कार्डों का एक सेट दिया, जिन पर खाद्य-पदार्थों के निम्नांकित समूह लिखे थे–
विद्यार्थियों ने बारी-बारी से एक-दूसरे के विचार और तर्क सुने कि खाद्य पदार्थो को क्यों नही फेंका जाना चाहिए? मैंने ऐसे कुछ विद्यार्थियों की पहचान की जिन्हें उनके द्वारा सीखे गए ज्ञान को लागू करने में मुश्किल हो रही थी। प्रश्नों के माध्यम से उनका सहयोग किया। इसके बाद प्रत्येक समूह ने बाकी कक्षा को समझाया कि खाद्य-पदार्थ टोकरी में क्यों रहने चाहिए?
हमने गुब्बारा से कौन सा खाद्य समूह फेंका जाना चाहिए? इस पर मत-संग्रह करके चर्चा को समाप्त किया। विद्यार्थियों को किसी एक उत्तर पर सहमत होने में कठिनाई हुई, क्योंकि उन्होंने समझ लिया था कि सभी खाद्य-पदार्थ समूह मानव शरीर में अपनी-अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अंत में हम सहमत हुए कि यदि शर्करा को अलग वस्तु के रूप में यानि वसाओं से अलग सूचीबद्ध किया गया होता तो हम उसे टोकरी से बाहर फेंक देते।
विचार के लिए रुकें किसी ऐसे दृष्टिकोण, जो आवश्यक नहीं कि स्वयं का हो, के पक्ष में तर्क देने से आपके विद्यार्थियों को किसी विषय-बिंदु के बारे में सोचने और समझने में मदद कैसे मिलती है? |
बहस के लिए उपयुक्त विषय-बिंदुओं में आदर्श रूप से दो या अधिक परस्पर विरोधी दृष्टिकोण होने चाहिए, जिससे विद्यार्थियों का एक पक्ष व दूसरे पक्ष के बीच के तनाव को पूरी तरह समझने का मौका मिले। इन विषय-बिंदुओं को प्रायः प्रस्तावों या प्रश्नों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
कक्षा में विद्यार्थियों से किसी अन्य विषय पर या गुब्बारा बहस की व्यवस्था करनी है। (देखें संसाधन 4)। आप वे श्रेणियां चुन सकते हैं जो श्रीमती पांड्या ने अपनी कक्षा के लिए प्रयोग की थीं, या फिर गुब्बारा बहस के लिए आप अपनी खुद की श्रेणियां बना सकते हैं। कक्षा के दो दलों के बीच सीधी बहस के लिए, आपको कुपोषण के कारणों के बारे में एक कथन तैयार करना होगा। यदि सीधी बहस कर रहे हों तो कथन का समर्थन और विरोध करने के लिए विद्यार्थियों का चुनाव करें। या गुब्बारा बहस के लिए, उन विद्यार्थियों का चुनाव करें जिन्हें गुब्बारे में अपने स्थान की रक्षा करनी होगी। अपने तर्क की तैयारी के लिए गृहकार्य देकर उन्हें इसके लिए समय दें और जो जानकारी उन्हें चाहिए हो वह प्रदान करें। जिससे वे बहस के दौरान उपयोगी प्रश्न पूछ सकें।
बहस वाले दिन, जो विद्यार्थी बोलने जा रहे हैं, उन्हें ऐसी जगह एक साथ बैठने या खड़े होने का निर्देश दें, जहां से सभी लोग उन्हें देख व सुन सकें। उन्हें किस क्रम में बोलना है इस बारे में स्पष्ट निर्देश दें और बहस आरंभ करें। प्रत्येक वक्ता के लिए समय सीमित रखें। अंत में, प्रश्नों हेतु समय दें और फिर विद्यार्थियों से कहें कि वे, जिसे गुब्बारे ‘से बाहर फेंकना है’ उसके लिए या दो परस्पर विरोधी विचारों में से जिसका समर्थन करते हैं उसके लिए मतदान करें।
सभी विद्यार्थियों, विशेषकर वक्ताओं को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दें और पूछें कि क्या वे मतदान के परिणाम से खुश हैं?
चर्चा को शिक्षण कार्यनीति के रूप में अपनाने का एक मुख्य लाभ यह है कि इससे विद्यार्थियों को तर्कपूर्ण ढंग से संगठित होने और की उपस्थिति में अपने विचार व्यक्त करने तथा अधिक आत्मविश्वास के साथ अधिक प्रभावी ढंग से संचार करने की अपनी योग्यता को विकसित करने में मदद मिलती है। इसी प्रकार, विद्यार्थी द्वारा प्रस्तुत किए गए विभिन्न दृष्टिकोणों को सम्मान देना भी सीख सकते हैं। इससे ऐसे विद्यार्थियों को भी एक मंच मिलता है जो सार्वजनिक रूप से बोलने को देखने व सुनने के मामले में कम आत्मविश्वासी हैं इससे वे अपनी स्वयं की समझ में विश्वास बना व बढ़ा सकते हैं।
विद्यार्थियों के लिए चर्चा, विचारों की खोज करने और उन्हें साझा करने का, विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण सामाजिक व नैतिक मुद्दों पर विभिन्न दृष्टिकोणों से खोज करने का एक प्रभावी तरीका है। कुपोषण एक ऐसा विषय-बिंदु है जो संवेदनशील मुद्दों को शामिल करने वाली चर्चा के कई अवसर प्रदान करता है। इस इकाई के दौरान आपको प्रोत्साहित किया गया है कि आप बहस की योजना बनाते समय जिन कारकों को ध्यान में रखना है उनके बारे में सोचें। इनमें शामिल हैं–
रोज़ाना की स्थितियों में लोग काम करते हैं, साथ-साथ दूसरो से बोलते हैं। उनकी बात सुनते हैं, तथा देखते हैं कि वे क्या करते हैं? और कैसे करते हैं? प्रायः लोग इसी तरह से सीखते हैं। जब हम दूसरों से बात करते हैं, तो हमें नए विचारों और जानकारियों का पता चलता है। कक्षाओं में अगर सब कुछ शिक्षक पर केंद्रित होता है, तो अधिकतर विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई को प्रदर्शित करने के लिए या प्रश्न पूछने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। कुछ विद्यार्थी केवल संक्षिप्त उत्तर दे सकते हैं और कुछ बिल्कुल भी नहीं बोल सकते। बड़ी कक्षाओं में, स्थिति और भी बदतर है, जहां ब हुत कम विद्यार्थी ही कुछ बोलते हैं।
जोड़े में कार्य विद्यार्थियों के लिए ज्यादा बात करने और सीखने का एक स्वाभाविक तरीका है। यह उन्हें विचार करने और नए विचारों तथा भाषा को कार्यान्वित करने का अवसर देता है। यह विद्यार्थियों को नए कौशलों और संकल्पनाओं के माध्यम से काम करने और बड़ी कक्षाओं में भी अच्छा काम करने का सुविधाजनक तरीका प्रदान करता है।
जोड़े में कार्य करना सभी आयु वर्गों और लोगों के लिए उपयुक्त होता है। यह विशेष तौर पर बहुभाषी, बहुस्तरीय कक्षाओं में उपयोगी होता है, क्योंकि एक दूसरे की सहायता करने के लिए जोड़ों को बनाया जा सकता है। यह सर्वश्रेष्ठ तब काम करता है जब आप विशिष्ट कार्यों की योजना बनाते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रियाओं की स्थापना करते हैं कि आपके सभी विद्यार्थी शिक्षण में शामिल हैं और प्रगति कर रहे हैं। एक बार इन प्रक्रियाओं को स्थापित कर लेने के बाद, आपको पता लगेगा कि विद्यार्थी तुरंत जोड़ों में काम करने के अभ्यस्त हो जाते हैं और इस तरह सीखने में आनंद लेते हैं।
आप शिक्षण के अभीष्ट परिणाम के आधार पर विभिन्न प्रकार के कामों का जोड़े में करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। जोड़े में कार्य को अवश्य ही स्पष्ट और उपयुक्त होना चाहिए ताकि सीखने में अकेले काम करने के मुकाबले साथ मिलकर काम करने में अधिक मदद मिले। अपने विचारों के बारे में बात करके, आपके विद्यार्थी स्वचालित रूप से खुद को और विकसित करने के बारे में विचार करेंगे।
जोड़े में कार्य करने में शामिल हो सकते हैं:
जोड़े में कार्य करने का अर्थ सभी को काम में शामिल करना है। चूंकि विद्यार्थी भिन्न होते हैं, इसलिए जोड़ों का प्रबंधन इस तरह से करना चाहिए कि प्रत्येक को जानकारी हो कि उन्हें क्या करना है, वे क्या सीख रहे हैं और आपकी अपेक्षाएं क्या हैं? अपनी कक्षा में जोड़े में कार्य करने के लिए निम्नलिखित काम करने होगें।
जोड़े में कार्य के दौरान, विद्यार्थियों को बताएं कि उनके पास प्रत्येक काम के लिए कितना समय है और उनकी नियमित जांच करते रहें। उन जोड़ों की प्रशंसा करें जो एक दूसरे की मदद करते हैं और काम पर बने रहते हैं। जोड़ों को आराम से बैठने और अपने स्वयं के हल ढूंढने का समय दें विद्यार्थियों को विचार करने और अपनी योग्यता दिखाने से पूर्व ही जल्दी से उनके साथ शामिल होने का प्रलोभन हो सकता है। अधिकांश विद्यार्थी प्रत्येक के बात करने और काम करने के वातावरण का आनंद लेते हैं। जब आप कक्षा में देखते हुए और सुनते हुए घूम रहे हों तो नोट बनाएं कि कौन से विद्यार्थी एक साथ आराम में हैं, प्रत्येक उस विद्यार्थी के प्रति सचेत रहें जिसे शामिल नहीं किया गया है, और किसी भी सामान्य गलतियों, अच्छे विचारों या सारांश के बिंदुओं को नोट करें।
कार्य के समाप्त होने पर आपकी भूमिका उनके बीच की कड़ियां जोड़ने की है जिनको विद्यार्थियों ने बनाया है। आप कुछ जोड़ों का चुनाव उनका काम दिखाने के लिए कर सकते हैं, या आप उनके लिए इसका सार प्रस्तुत कर सकते हैं। विद्यार्थियों को एक साथ काम करने पर उपलब्धि की भावना का एहसास करना पसंद आता है। आपको हर जोड़े से रिपोर्ट लेने की जरूरत नहीं है, इसमें काफी समय लगेगा लेकिन आप उन विद्यार्थियों का चयन करें जिनके बारे में आपको अपने अवलोकन से पता है कि वे कुछ सकारात्मक योगदान करने में सक्षम होंगे और जिससे दूसरों को सीखने को मिलेगा। यह उन विद्यार्थियों के लिए एक अवसर हो सकता है जो आमतौर पर अपना विश्वास कायम करने हेतु योगदान करने में संकोच करते हैं।
यदि आपने विद्यार्थियों को हल करने के लिए समस्या दी है, तो आप कोई नमूना उत्तर भी दे सकते हैं और फिर उनसे जोड़ों में उत्तर में सुधार करने के संबंध में चर्चा करने के लिए कह सकते हैं। इससे अपने खुद के शिक्षण के बारे में विचार करने और अपनी गलतियों से सीखने में उनकी सहायता होगी।
यदि आप जोड़े में कार्य करने के लिए नए हैं, तो उन बदलावों के संबंध में रिकार्ड बनाना महत्वपूर्ण है जिन्हें आप कार्य, समयावधि या जोड़ों के संयोजनों में करना चाहते हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आप इसी तरह सीखेंगे और इसी तरह अपने अध्यापन में सुधार करेंगे। जोड़े में कार्य का सफल आयोजन करना स्पष्ट निर्देशों और उत्तम समय प्रबंधन के साथ-साथ संक्षिप्त सार संक्षेपण से जुड़ा है। यह सब अभ्यास से आता है।
समूहकार्य एक व्यवस्थित, सक्रिय, अध्यापन कार्यनीति है जो विद्यार्थियों के छोटे समूहों को एक आम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ये छोटे समूह संरचित गतिविधियों के माध्यम से अधिक सक्रिय और अधिक प्रभावी शिक्षण को प्रोत्साहित करते हैं।
समूहकार्य के लाभ समूहकार्य विद्यार्थियों को सोचने, संवाद कायम करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करके सीखने हेतु उन्हें प्रेरित करने का बहुत ही प्रभावी तरीका हो सकता है। आपके विद्यार्थी दूसरों को सिखा सकते हैं और उनसे सीख भी सकते हैं। यह शिक्षण का शक्तिशाली और सक्रिय स्वरूप है।
समूहकार्य में विद्यार्थियों का समूहों में बैठना ही अधिक नहीं होता है। इसमें स्पष्ट उद्देश्य के साथ सीखने के साझा कार्य पर काम करना और उसमें योगदान करना शामिल होता है। आपको इस बात को लेकर स्पष्ट होना होगा कि आप पढ़ाई के लिए सामूहिक कार्य का उपयोग क्यों कर रहे हैं? और जानना होगा कि यह भाषण देने, जोड़े में कार्य या विद्यार्थियों के स्वयं से कार्य करने पर तरजीह देने योग्य क्यों है? इस तरह समूहकार्य को सुनियोजित और उद्देश्यपूर्ण होना आवश्यक है।
आप समूहकार्य का उपयोग कब? और कैसे करेंगे? यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पाठ के अंत में आप कौन सा शिक्षण पूरा करना चाहते हैं। आप समूहकार्य को पाठ के आरंभ में, अंत में या बीच में शामिल कर सकते हैं, लेकिन आपको पर्याप्त समय निर्धारित करना होगा। आपको उस कार्य के बारे में जो आप अपने विद्यार्थियों से पूरा करवाना चाहते हैं और समूहों को नियोजित करने के सर्वोत्तम ढंग के बारे में सोचना होगा।
एक अध्यापक के रूप में, आप समूहकार्य की सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं यदि आप निम्न की योजना बनाते हैं–
वह काम जो आप विद्यार्थियों को पूरा करने को कहते हैं वह इस पर निर्भर होता है कि आप उन्हें क्या सिखाना चाहते हैं? समूहकार्य में भाग लेकर, वे एक-दूसरे को सुनने, अपने विचारों को समझाने और आपसी सहयोग से काम करने जैसे कौशल सीखेंगे। यद्यपि, उनके लिए मुख्य लक्ष्य है जो विषय आप पढ़ा रहे हैं उसके बारे में कुछ सीखना। कार्यों के कुछ उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
क्या, मैंने प्रस्तुतिकरण से कुछ सीखा?
चार से आठ के समूह आदर्श होते हैं किंतु यह कक्षा के भौतिक पर्यावरण और फर्नीचर, तथा कक्षा की दक्षता और आयु के दायरे पर निर्भर करेगा। आदर्श रूप से समूह में प्रत्येक के लिए एक दूसरे से मिलना, बिना चिल्लाए बात करना और समूह के परिणाम में योगदान करना आवश्यक होगा।
आप अच्छे समूहकार्य के प्रबंधन के लिए दिनचर्यां और नियम तय कर सकते हैं। जब आप नियमित रूप से समूहकार्य का उपयोग करते हैं, तो विद्यार्थियों को पता चल जाएगा कि आप क्या अपेक्षा करते हैं? टीमों और समूहों में काम करने के लाभों की पहचान करने के लिए आरंभ में कक्षा के साथ काम करना एक अच्छा विचार है। आपको चर्चा करनी चाहिए कि समूहकार्य में अच्छा व्यवहार क्या होता है? और संभव हो तो ‘नियमों’ की एक सूची बनाएं जिसे प्रदर्शित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ‘एक दूसरे के लिए सम्मान’, ‘सुनना’, ‘एक दूसरे की सहायता करना’, ‘एक से अधिक विचार को आजमाना’, आदि।
समूह कार्य के बारे में स्पष्ट मौखिक सलाह देना महत्वपूर्ण है जिसे ब्लैकबोर्ड पर संदर्भ के लिए लिखा भी जा सकता है। आपको–
पाठ के दौरान, यह देखने और जाँच करने के लिए घूमें कि समूह किस तरह से काम कर रहे हैं। यदि वे कार्य से विचलित हो रहे हैं या अटक रहे हैं तो जहाँ जरूरत हो वहाँ सलाह प्रदान करें।
आप कार्य के दौरान समूहों को बदलना चाहते हैं। जब आप समूहकार्य के बारे में आत्मविश्वास महसूस करने लगें तब दो तकनीक आजमाई जा सकती हैं। बड़ी कक्षा को प्रबंधित करते समय खास तौर पर उपयोगी होती हैं।
कार्य के अंत में , जो कुछ सीखा गया है उसका सारांश बनाएं और आपको नज़र आई किसी भी गलतफहमी को सुधारें। आप चाहें तो प्रत्येक समूह का फीडबैक सुन सकते हैं। केवल एक या दो समूहों से पूछ सकते हैं जिनके पास आपको लगता है कि कुछ अच्छे विचार हैं। विद्यार्थियों की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया को संक्षिप्त रखें और उन्हें अन्य समूहों के काम पर फीडबैक देने को प्रोत्साहित करें जिसमें वे पहचान सकते हैं कि क्या अच्छा किया गया था ? क्या बात दिलचस्प थी और किस बात को और विकसित किया जा सकता था?
यदि आप अपनी कक्षा में समूहकार्य को अपनाना चाहते हैं तो भी आपको कभी-कभी इसका नियोजन कठिन लग सकता है क्योंकि कुछ विद्यार्थी:
सीखने के परिणाम कहाँ तक प्राप्त हुए और विद्यार्थियों ने कितनी अच्छी तरह से अनुक्रिया की (क्या, वे सभी लाभान्वित हुए?) इस पर विचार करने के अलावा, समूहकार्य के प्रबंधन में प्रभावी बनने के लिए उपरोक्त सभी बिंदुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण होता है। सामूहिक कार्य, संसाधनों, समयों या समूहों की रचना में आप द्वारा किए जा सकने वाले समायोजनों पर सावधानी से विचार करें और उनकी योजना बनाएं।
शोध से पता चला है कि विद्यार्थियों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पाने के लिए समूहों में सीखने का प्रत्येक समय उपयोग करना आवश्यक नहीं है, इसलिए आपको प्रत्येक पाठ में उसका उपयोग करने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो समूहकार्य का उपयोग एक पूरक तकनीक के रूप में कर सकते हैं, उदाहरण के लिए विषय परिवर्तन के बीच अंतराल या कक्षा में चर्चा को अकस्मात शुरु करने के साधन के रूप में कर सकते हैं। इसका उपयोग विवाद को हल करने या कक्षा में अनुभव आधारित शिक्षण गतिविधियाँ और समस्या का हल करने के अभ्यास शुरू करने या विषयों की समीक्षा करने के लिए भी किया जा सकता है।
यह करना महत्वपूर्ण है:
इसके बाद विद्यार्थी अपनी सूची को अन्य समूहों की सूचियों के सामने रख कर उसकी तुलना कर सकते हैं।
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चित्र 1: जेन डेवरू से अनुकूलित। ख्थ्पहनतम 1रूं कंचजमक तिवउ श्रंदम क्मअमतमनगण्
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