बच्चों में अपनी दुनिया को सहज रूप से छानबीन करने की सहज प्रवृत्ति होती है। बंद इमारतों के बाहर सीखना, सीखने को रचनात्मक, आनंददायी और रुचिपूर्ण बना देता है। यह पाठ्यचर्या के सभी क्षेत्रों में उत्तम कार्यप्रथा का अभिन्न अंग है। विद्यालय तथा उसके बाहरी परिवेश में वास्तविक दुनिया के सम्बन्ध में व्यावहारिक अनुभव देने में सामर्थ्य है, जो व्यक्ति को संलग्न करते हैं और वैज्ञानिक चिंतन उद्दीप्त करते हैं। इससे प्राथमिक विज्ञान में विशुद्ध प्रायोगिक कार्य करने के लिए अवसर मिलता है।
भारत के राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (2005) में कहा गया है कि बच्चा कुदरती रूप से सीखता होता है, तथा ज्ञान और समझ उसके क्रियाकलापों के परिणाम होते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि बच्चे जिज्ञासु होते हैं। वे लगातार प्रश्न पूछते हैं। बच्चे अपने इर्द-गिर्द के विश्व को समझने के लिए एक तरीके के रूप में पर्यावरण या परिवेश की छानबीन करना अच्छा लगता है।
बंद इमारत से बाहर की सीखने की क्रिया में किसी स्थानीय उद्यान का भ्रमण या दूर तक की यात्रा को शामिल किया जा सकता है। परन्तु विद्यालय के मैदानों और बिल्कुल पास के परिवेश की छानबीन भी समान रूप से प्रभावी हो सकती है।
यह इकाई इस बात की जांच-पड़ताल करती है कि किस प्रकार कक्षा से बाहर पाठ पढ़ाए जाने पर, विद्यार्थियों की प्रेरणा और मुख्य वैज्ञानिक अवधारणाओं की समझ में सुधार आ सकता है। यह इकाई पौधों और उनके वास स्थलों पर केंद्रित है।
एक शिक्षक के रूप में आपकी भूमिका विद्यार्थियों को विज्ञान सीखने में सक्षम बनाने की है, तथा ऐसा करने के लिए स्थानीय परिवेश आपको कई परिस्थितियां और अवसर देता है। विज्ञान एक प्रायोगिक विषय है जो हमारे जीवन के प्रासंगिक है। अतः बाहरी परिवेश का उपयोग करने से विज्ञान को दैनिक जीवन से जोड़ने में मदद मिल सकती है। स्थानीय समुदाय और उसके संसाधनों का उपयोग करके विद्यार्थियों को आपके द्वारा पढ़ाई गईं विज्ञान की अवधारणाओं एवं विचारों से दिन-प्रतिदिन की समस्याएं हल करने में या अपना जीवन अधिक प्रभावी ढंग से जीने के बीच में सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलेगी।
यह इकाई आपको शिक्षण प्रक्रिया में गुणवत्ता लाने के लिए बाहरी परिवेश को कक्षा के विस्तार के रूप में प्रयोग करने पर आधारित है। यह इस बात की भी छानबीन करती है कि आप अपने शिक्षण के लिए स्थानीय परिवेश का उपयोग एक संसाधन के रूप में कैसे कर सकते हैं
बाहरी परिवेश की छानबीन एवं स्थानीय संसाधनों के उपयोग प्राथमिक विज्ञान कई विषय–वस्तु क्षेत्रों की समझ बनाने के लिए उपयुक्त हैं।
यह आपके लिए योजना बनाने की गतिविधि है। आप अपने विद्यार्थियों में पर्यावरणीय मुद्दों की समझ विकसित करने के लिए स्थानीय परिवेश का उपयोग करने जा रहे हैं।
योजना बनाने के लिए, आपको पहले बाहर जा कर अपने विद्यालय के मैदानों और स्थानीय क्षेत्र में घूमना होगा। इस दौरान, ऐसे क्षेत्रों की सूची बनाएं, जो प्राथमिक विज्ञान पाठ्यचर्या, विशेषकर पर्यावरणीय अध्ययन को पुष्ट कर बाहरी परिवेश में सीखने का अवसर दे सकते हैं। आप सोचें कि इन क्षेत्रों का उपयोग किस प्रकार कर सकते हैं? उदाहरण के लिए आप किन क्षेत्रों का उपयोग पौधों की संरचना आरै उनके वास स्थलों की जांच-पड़ताल करने के लिए कर सकते हैं?
श्रीमती गुप्ता बताती हैं कि कैसे उन्होनें विज्ञान के पाठों को और अधिक प्रेरक बनाने के लिए अपने प्रयासों के फलस्वरूप विद्यालय के मैदानों का उपयोग पौधों पर अपना कार्य शुरू करने के लिए किया।
चूंकि मैं एक ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाती हूँ जहां आस-पास खेत और पेड़-पौधे हैं, मैंने अपने विद्यार्थियों को विद्यालय के मैदानों के इर्द-गिर्द उगने वाले विभिन्न पौधों की खोज करने के लिए भेजा। इस कार्य की जानकारी मैंने प्रधानाचार्य को दी तो वह बहुत खुश हुए, क्योंकि वे हमारे पाठों में और अधिक अन्योन्यक्रिया से युक्त कार्यनीतियों का प्रयोग करने के लिए पूरे स्टाफ़ को प्रोत्साहित कर रहे थे।
उस दिन, सबसे पहले मैंने अपनी कक्षा को बताया कि हम क्या करने जा रहे हैं तथा उन्हें समझाया कि हमें क्या कार्य करना है? इसके बाद, मैंने उन्हें बाहर जाकर कार्य करने के लिए कुछ सरल नियम बताए। जो काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि मेरी कक्षा काफ़ी बड़ी है। मैंने विद्यार्थियों यह भी समझाया कि पौधों के नमूने इस तरह से इकट्ठे करें कि पौधों को नुकसान न पहुँचे अथवा किसी एक पौधे या क्षेत्र से बहुत अधिक नमूने न लिए जाएं।
विद्यार्थियों को अलग–अलग तरह के अधिक से अधिक पौधों की खोज करनी थी, इस कार्य के लिए प्रत्येक जोड़ी को अधिकतम् छहः पौधे एकत्र करने थे। सभी विद्यार्थी एक जैसे पौधे एकत्र न कर लें इस कारण उन्हें एक–दूसरे से बात करने की आवश्यकता पड़ रही थी। विद्यार्थियों को अपना कार्य बिना शोर मचाये करना था जिससे दूसरी कक्षाओं को परेशानी न हो। जब विद्यार्थी पौधे खोज रहे थे, तो उस समय मैं बाहर गई और उनके कार्य को देखा व सुना। मुझे उनकी बातचीत बेहद रोचक लगी क्योंकि वे काफ़ी पौधों को पहचान गए परन्तु पानी भरी नाली/मोरी के किनारे मौजूद पौधों को वे नहीं पहचान सके।
कुछ मिनटों बाद मैंने सभी विद्यार्थियों को बुला लिया और हम एक पेड़ के नीचे बैठ गए तथा पौधे वहां रख दिए। विद्यार्थियों ने जोड़ियों में काम किया था। अब मैंने उन जोड़ियों से कहा कि वे चार-चार के समूह बना लें और देखें कि उनके पास ऐसे कितने अलग-अलग पौधे हैं जिनके नाम वे बता सकते हैं?
इसके बाद मैंने उनसे पूछा कि वे पौधे एक-दूसरे से अलग कैसे हैं? विद्यार्थियों ने उत्तर में पत्तों की आकृति, पुष्प वृंत आदि के बारे में बताया तथा इनकी विशेषताओं के विषय में वर्णन करने के लिए कई तरह के शब्दों का प्रयोग किया। मैंने चार-चार के प्रत्येक समूह से उनके नमूने कक्षा में ले जाने को कहा। मैंने उन्हें अख़बार का एक पेज देते हुए उस पर पौधे रख देने को कहा और उसके बाद हमने पौधों को अगले पाठ शुरू होने तक अख़बार के बीच पन्नों में दबा दिया।
अगले पाठ में, मैंने उन्हें बताया कि हम विभिन्न विशेषताओं को और सूक्षमता से देखेंगे। हम इसकी छानबीन करेंगे कि कैसे कुछ पौधों की विशेषताएं एक दूसरे से मिलती-जुलती हैं उनकी आकृतियां और स्वरूप बहुत अलग होते हैं। विद्यार्थियों ने अपने पौधों को छाटाँ, और बाद में हमने उन्हें दबा कर चपटा बनाने के लिए परन्तु पुरानी पाठ्यपुस्तकों के पन्नों के बीच दबा दिया।
विद्यार्थियों द्वारा बाहर जाकर के उनके समझदारी भरे व्यवहार से मैं खुश थी तथा साथ ही उन्हें पौधों की तलाश में रुचि और उत्साह से लगा देख कर मैं प्रोत्साहित भी हुई। मैंने प्रायः देखा था कि विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों के पौधों वाले पाठ पंसद नहीं आते थे, परन्तु विद्यार्थियों द्वारा पौधों के सम्बन्ध समूह में किए गये कार्य के नतीजे को देखकर मैं बहुत आश्वस्त हुई।
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सोचें कि पाठ्यपुस्तक के नए अध्याय की प्रारंभिक गतिविधि के रूप में आप अपने विद्यार्थियों के साथ कैसे अपमार्जक खोज सकते है। आप अपनी कक्षा के साथ इसकी व्यवस्था कैसे करेंगे?
हो सकता है कि आप पौधों की बजाए पदार्थों के संबंध में काम कर रहे हों, तो उस परिस्थिति में विद्यार्थी विभिन्न पदार्थ एकत्र करेंगे और फिर विभिन्न समूहों में उनकी छँटाई करने में समय व्यतीत करेंगे।
आप अपने कक्षा को बाहर जाकर वस्तुएँ एकत्र करने के लिए संगठित करने की योजना बना लें। आपको अपने प्रधानाध्यापक को यह सूचित कर देना चाहिए कि आप अपने विद्यार्थियों को विद्यालय के मैदान में ले जा रहे हैं।
पाठ पढ़ाकर अपने विद्यार्थियों से प्रतिक्रिया लें तथा आवश्यकतानुसार उनका सहयोग करें।
ऐसे पाठों के लिए की गई तैयारी बहुत सरल होती है इसमें आपको कम या बिल्कुल संसाधन एकत्र नहीं करने होते हैं क्योंकि संसाधन जुटाने का कार्य आपके विद्यार्थी गतिविधि के रूप में करते हैं। संसाधनों के प्रयोग करके और बेहतर शिक्षक बनने तथा उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने का यह एक तरीका है।
![]() वीडियो: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए |
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आपमें से कई शिक्षक ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थितियों में कार्य करते हैं जहां विद्यालय में आपके पास बहुत ही कम उपकरण या संसाधन होते हैं, गतिविधियों को कक्षा से इतर या आगे ले जाने से आपका शिक्षण और अधिक सशक्त हो जाता है। अगले केस स्टडी को पढ़ने और गतिविधि 3 करने से पहले संसाधन 1, ‘स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना’ पढ़ें।
अगले केस स्टडी में, मात्र छहः शिक्षकों वाले एक विद्यालय के स्टाफ़ ने समूह के रूप में साथ मिलकर यह छानबीन की कि कैसे वे स्थानीय परिवेश का उपयोग करके अधिक संसाधन–युक्त बन सकते हैं
एक शिक्षिका श्रीमती नीलिमा समझाती हैं कि प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कैसा महसूस किया और एक शिक्षिका के तौर पर उनमें क्या अन्तर आया है? श्रीमती नीलिमा अपनी कक्षा के लिए एक वाह्य गतिविधि करने की योजना बनाई जिसमें समूहों में कार्य करते हुए विद्यार्थियों को अपने पास के परिवेश में वास स्थलों की पहचान करनी थी। उन्होंने अपनी योजना बनाने से पहले गतिविधि को बेहतर ढंग से आयोजित कर पाने के लिए, संसाधन 2, ‘समूह कार्य का उपयोग करना’ को पढ़ लिया था।
हमारे प्रधानाचार्य अच्छे शिक्षक हैं और वे अपनी कक्षाओं को पढ़ाते समय प्रायः स्थानीय परिवेश का उपयोग करते हैं। एक बार हमारी साप्ताहिक बैठक में प्रधानाचार्य हमसे कहा कि हम सोचें कि स्थानीय परिवेश का और अधिक उपयोग कैसे किया जा सकता है? हमारी बातचीत के दौरान उन्होंने हमारे विचार सुने और इसके फलस्वरूप स्थानीय परिवेश के उपयोग करने के लिए कई नये सुझाव आए। जैसे–
मैंने पहले ऐसी वस्तुओं को फिर से उपयोग करने की संभावनाओं के बारे में नहीं सोचा था। मैं इस सूची को देख कर काफ़ी उत्साहित थी। अब यह महत्वपूर्ण है कि हम कब और कैसे इसका उपयोग कर सकते हैं?ये महत्वपूर्ण था।
हमने, सबसे पहले विद्यार्थियों को स्थानीय क्षेत्र से कुछ चीज़ें एकत्र करने के लिए प्रोत्साहित किया और उनके लिए ऐसी चीजों की एक सूची बनाने में मदद की जिनकी तलाश उन्हें करनी थी।
मैं कक्षा VII में वन-कटाई के बारे में पढ़ाने जा रही थी। मैंने प्रधानाचार्य से स्थानीय वन प्रबंधक को उनके सामने आने वाली समस्याओं के बारे में विद्यार्थियों से बात करने हेतु आमंत्रित करने की अनुमति ले ली।
मैं अपने पाठ की योजना बनाने के लिए और वन प्रबंधक को आमंत्रित करने तथा उन्हें किस प्रकार अपने शिक्षण प्रक्रिया के लक्ष्यों के बारे में बताया जाए इस संदर्भ में विचार करने के लिए मैं उनके घर चली गयी।
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यह अच्छा होगा कि आप उन संसाधनों की सूची बनाएं, जो आपके विद्यालय में उपलब्ध हैं। तथा यह सोचें कि आपके पास जो संसाधन उपलब्ध हैं उसमें और कैसे अभिवृद्धि कर सकते हैं। इससे आपको पता चला कि आपके शिक्षण में सहयोग के लिए क्या-कुछ उपलब्ध है। संसाधनों का उपयोग आपको और अधिक कल्पनाशील ढंग से सोचने के लिए प्रोत्साहित भी करता है। अन्य सहकर्मियों से बात करने से आपको पता चलेगा कि किसी नियोजित गतिविधि को कहाँ–कहाँ से संसाधनों मिल सकते हैं। आपके विद्यार्थियों पर अधिक सक्रिय तरीकों से सीखने का प्रभाव दिखेगा।
स्थानीय बाहरी परिवेश का उपयोग करने से–
विद्यार्थियों के चिंतन कौशल के विकसित होने के लिए बढ़ावा मिलता है।
उपर्युक्त लाभ, आपके विद्यार्थियों की विषय के प्रति उनकी समझ को बढ़ायेगा तथा स्थानीय क्षेत्र/मोहल्ले के साथ उन्हें जोड़ेगा। शिक्षक के तौर पर, आप अपने विद्यार्थियों को कक्षा से बाहर विद्यालय के मैदानों या दूर ले जाकर विभिन्न विषय-वस्तुओं को शामिल कर सकते हैं, जिससे सीखने की क्रिया प्राकृतिक स्थितियों में हो।
यदि आप किसी ग्रामीण विद्यालय में हैं, तो आप अपने विद्यार्थियों को खेतों, फार्मों या तालाबों तक ले जा सकते हैं। यदि आप किसी शहरी विद्यालय में पढ़ाते हैं, तो विद्यार्थियों को उद्यानों, बागीचों, पौधशालाओं या चिड़ियाघर जैसे स्थानों पर ले जा सकते हैं।
अगली केस स्टडी में शिक्षक विद्यालय के मैदान में छोटे-छोटे निवास स्थलों की छानबीन करती हैं।
जब श्रीमती गीता ने विद्यार्थियों से वास स्थलों के सम्बन्ध में वर्णन करने के लिए कहा तो उन्होंने अनुभव किया कि वे अपेक्षाकृत विशाल वासस्थलों के बारे में बता रहे थे। और विद्यार्थी ऐसे छोटे वास स्थलों का उदाहरण नहीं दे सके जो उनके आस–पास मिल सकते हैं। उन्होंने एक कक्षा से बाहर गतिविधि करने की योजना बनाई ताकि उनके विद्यार्थी अपने समीप के परिवेश में वास–स्थलों की पहचान सकें।
गतिविधि करने की योजना बनाने के पहले मैं छोटे-छोटे वास–स्थलों की तलाश में विद्यालय के मैदानों में घूमी। मैंने खड़जे वाले रास्ते के खड़ंजे में मौजूद एक दरार, एक बड़ा सा पत्थर, पेड़ की एक सड़ती हुई शाखा और घास से ढकी भूमि का एक टुकड़ा देखा था। मैंने प्रत्येक समूह के लिए प्रश्नों का एक-एक सेट तैयार किया, जिससे उन्हें अपने वास स्थलों का अवलोकन करने और उसकी जांच-पड़ताल करने में मदद मिल सके। मैंने यह भी ध्यान रखा कि जिस क्षेत्र का उपयोग वे करने वाले थे, वह सुरक्षित हो तथा भी हानिकारक पौधों या वस्तुओं से मुक्त हो, इसके बाद मैंने प्रधानाचार्य को बताया कि मैं क्या करना चाहती थी।
मैंने कक्षा में गतिविधि का परिचय देते हुए विद्यार्थियों से प्रश्न किया कि वासस्थान क्या होता है और वे जिस परिभाषा पर सहमत हुए उसे बोर्ड पर लिख दिया:
‘वास–स्थल वह स्थान होता है जहां पौधों व जंतुओं का संकलन निवास करता है जो उन्हें भोजन एवं आश्रय देता है। ’
मेरी कक्षा में 32 विद्यार्थी हैं, इसलिए मैंने उन्हें चार-चार के समूहों में बाँट दिया और उन्हें बताया कि उन्हें क्या करना है मैंने बोर्ड पर निर्देश लिख दिए थे। वे बाहर उन स्थानों पर गए जिन्हें मैंने अंकित किया था और अपने-अपने वास–स्थलों में उन्होंने जांच-पड़ताल की।
सबसे पहले तो उन्हें यह देखना था कि जिस स्थान पर वे गये हैं, वह वास स्थल है या नहीं। इस पर चर्चा करने के लिए मैंने उन्हें समय दिया। इसके बाद मैं हर समूह के पास गई और विद्यार्थियों से यह समझाने को कहा कि वे अपने निर्णय पर कैसे पहुँचे हैं? यदि वे अनिश्चित थे या जहां समूह के अंदर कोई मतभेद था वहां हमने फिर से परिभाषा की मदद ली जिस पर हम सहमत हुए थे। मेरे विद्यार्थी इस बात पर सहमत हो गये कि पत्थर और खड़ंजा वास–स्थल नहीं थे। और उनके विचार में घास का वह टुकड़ा और पेड़ की शाखा वास–स्थल थे।
मेरे विद्यार्थियों के लिए मैंने यह कार्य निर्धारित किया था:
उसे वास–स्थल सिद्ध करने के लिए आप किन प्रमाणों की तलाश करेंगे और किस प्रकार के आँकड़े एकत्र करेंगे?
उनके क्षेत्र में क्या उग रहा था या निवास कर रहा था, इसके आँकड़े विद्यार्थियों जुटाए वे यह कार्य उनको मिली सजीव वस्तुओं का चित्र बना कर या सूची बना के कर सकते थे और अन्य प्रमाण भी ला सकते थे। परन्तु उस स्थान पौधे या जंतु को कोई हानि नहीं पहुँचाना था।
बाहर विद्यार्थियों के कुछ समूहों ने क्षेत्र में वास स्थलों की पहचान तुरंत कर ली वहीं कुछ समूहों को उनकी खोज में मदद की आवश्यकता पड़ी। कुछ विद्यार्थियों को स्थ्ल मिले छोटे-छोटे जीवों के चित्र बनाए, वहीं दूसरों ने लेबल व नोटस जोड़े।
विद्यार्थियों ने उनके वास–स्थल में मिली मिट्टी और पौधों से संबंधित नमूने एकत्र किए। कुछ विद्यार्थी पत्थर को उठाने पर उसके नीचे छोटी-छोटी मकड़ियां और दीमकें देख कर चकित हुए। विद्यार्थियों ने नोट किया कि पत्थर के नीचे की मिट्टी नम थी तथा उन्होनें सड़ती हुई वनस्पतियों के नमूने लिए।
एक समूह ने खड़ंजे की दरार से बाहर उग रहे छोटे-छोटे पौधों को ध्यान से देखा। उन्होनें आवर्धक लेंस का उपयोग किया और देखा कि चींटियां, पौधों की पत्तियों की निचली सतह से लटक रहे छोटे- छोटे कीड़ों को खा रही थीं।
मैंने सीटी बजाई और अपने विद्यार्थियों से अपने-अपने समूहों में घास पर बैठ जाने के लिए कहा। उसके बाद मैंने उनसे कहा कि वह वास–स्थल है उनके इस दावे के समर्थन में उन्हें जो भी प्रमाण मिला हो, उसे प्रस्तुत करें।
मेरे विद्यार्थी इस बात पर सहमत हुए कि वास–स्थलों की उनकी समझ में परिवर्तन हुआ था। वे जान चुके थे कि पत्थर के नीचे की जगह और ऐसे ही कई क्षेत्र छोटे-छोटे वास–स्थल हो सकते हैं।
मेरे विद्यार्थियों को व्यावहारिक अनुभव मिलने का उनकी सीख पर सीधा प्रभाव पड़ा था। मैंने विद्यालय के मैदानों में जिन वास–स्थलों की पहचान की थी, उनके बारे में मैं उन्हें कक्षा में बता कर भी बात ख़त्म कर सकती थी, परन्तु मुझे लगा कि उन्हें खुद वास–स्थलों की छानबीन करने का अवसर देना उनके लिए कहीं अधिक प्रेरक रहा और जिससे उनकी समझ विकसित हुई।
यह उत्साह आगे के पाठों में भी बना रहा जिनमें हमने मिले जीवों की पहचान की और प्रत्येक वास–स्थल का एक चार्ट बनाया।
![]() वीडियो: समूहकार्य का उपयोग करना |
अपने पाठ को कक्षा से बाहर पढ़ाने से आपकी योजना पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। जब विद्यार्थी प्राथमिक विज्ञान को जानने-समझने के लिए विद्यालय के मैदानों का उपयोग करने के अभ्यस्त हो जाएंगे तब यह आपके पाठों का अभिन्न अंग बन जाएगा। अपेक्षाकृत बड़ी कक्षाओं के साथ आपको इन गतिविधियों को क्रमबद्ध करना पड़ेगा ताकि वे कम संख्या में समूहों में बाहर जाए। साथ ही, यदि आपके पास विशेष शैक्षिक आवश्यकताओं वाले विद्यार्थी हैं तो आपको उन्हें किसी सहयोगी समूह में रखने की तथा इस दौरान उन पर ज्यादा नज़र रखना पड़ सकता है।
अगली गतिविधि में आप कक्षा–कक्ष से बाहर के एक पाठ की योजना बनाएंगे।
अपनी कक्षा के साथ आप जिस विषय-बिंदु को पढ़ाने जा रहे हैं, उस पर पाठ्य-पुस्तक से एक गतिविधि चुन लें। उदाहरण के लिए, संबंधित पाठ्यपुस्तक के पौधे, जीव एवं उनके परिवेश पर आधारित पाठ को चुन सकते हैं।
एक विस्तृत पाठ योजना बनाएं जिसमें विद्यालय के मैदान या आपके विद्यालय के समीप के किसी क्षेत्र या मोहल्ले के किसी खुले क्षेत्र का उपयोग किया गया हो। आपको निम्नांकित प्रश्नों पर विचार करना होगा–
जब आप योजना बना चुके हों तो अपने विद्यार्थियों के साथ पाठ संचालित करें।
![]() विचार के लिए रुकें योजना बना लेने और पाठ पढ़ाने के बाद निम्नांकित के बारे में संक्षिप्त नोटस बनाएं–
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अधिक दूर के क्षेत्रों की विद्यालयी यात्रा अत्यधिक सार्थक हो सकती है। सुनियोजित यात्रा ऐसे संसाधनों तक पहुंचा देगी जो कक्षा में या विद्यालय के मैदानों में उपलब्ध नहीं होते। विद्यालयी यात्राएं समृद्ध और स्मरणीय अनुभव प्रदान करती हैं ये विद्यार्थियों के दृश्टिकोण को विस्तार देते हैं तथा उनमें आत्म-विश्वास पैदा करते हैं।
ऐसी यात्रा का आयोजन करने में अतिरिक्त नियोजन (योजना बनाने) करने की आवश्यकता होगी और ये यात्राएं, परिवहन संबंधी समस्याओं, बड़ी कक्षाओं और लागत के चलते हमेशा संभव नहीं हो सकती हैं। हालांकि, यदि यात्रा संभव हो, तो सबसे पहले हमेशा सुरक्षा संबंधी मुद्दों के बारे में सोचना चाहिए। जब उसकी व्यवस्था हो जाए में करेंगे। (चित्र 1 में योजना के चरण दर्शाए गये हैं)।
इस इकाई में पौधों और वास–स्थलों से संबंधित विचारों और गतिविधियों की छानबीन की है। हालांकि, बाहर खुले स्थानों की गतिविधियों को प्राथमिक स्तर के विज्ञान के अन्य कई क्षेत्रों में से जोड़ा जा सकता है।
स्वयं या किसी सहकर्मी के साथ ऐसी अन्य गतिविधियों की सूची बनाएं जिसे आप अगले विषय-बिंदु को पढ़ाने जा रहे हैं उससे संबंधित हों और कक्षा के बाहर की जा सकती हों। पाठ की योजना बनाने के लिए इस जानकारी का उपयोग करें और फिर अपनी योजना संचालित करें।
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ऐसी कई संभावनाएं हैं, जिनका आप उपयोग कर सकते हैं। संसाधन 3 में एक सूची है, जिनसे आप स्थानीय परिवेश के उपयोग को विस्तार दे सकेंगे।
यह आवश्यक नहीं कि विद्यार्थी की कक्षा की सीमाओं के अन्दर ही सीखें। विद्यार्थी बाहर होने पर और अपने साथियों के साथ कम औपचारिक परिस्थितियों में घुलने-मिलने पर, कम-से-कम उतना तो सीख ही सकते हैं जितना कक्षा के अंदर। बाहर खुले स्थान का पाठ सुसंगठित मानते हैं। इस प्रकार से पाठ सीखने की क्रिया को एक रोमांचक, सक्रिय, सामाजिक एवं रुचिकर प्रक्रिया बना सकता है, जिसमें आपके विद्यार्थी व्यावहारिक विज्ञान का अनुभव कर सकते हैं।
कक्षा के परिवेश में प्रायः पाठ्यपुस्तकें, पोस्टर एवं अन्य शिक्षण सामग्रियां आवश्यक होती हैं। इस के विपरीत, प्रकृति लगभग हमेशा, सीखने के वे सभी संसाधन देती है जिनकी आवश्यकता आपको होगी। इस प्रकार बाहर खुले में सीखना, सीमित संसाधनों वाली कक्षाओं के लिए पूरक और वर्धक हो सकता है। पास के वाह्य परिवेश का उपयोग करना, बड़ी कक्षाओं के लिए विशेष रूप से मूल्यवान है क्योंकि इससे विद्यार्थियों को बैठने, चित्र बनाने, लिखने, आपस में बातचीत करने तथा इधर-उधर घूमने के लिए अधिक स्थान मिलता है।
कक्षा से बाहर सीखना लगभग कभी भी और कहीं भी हो सकता है – विद्यालय के मैदान में, किसी पास के उद्यान, किसी बगीचे या पौधशाला, खेत पर, तालाबों, झीलों और नदियों के किनारे या संग्रहालयों में। सीखने के एक अत्यावश्यक तरीके के रूप में, इसे गर्मियों तक सीमित नहीं करना चाहिए अथवा इसे परीक्षाओं के बाद के ‘योज्य’ का रूप नहीं देना चाहिए। बल्कि इसे नियमित शिक्षण गतिविधि का हिस्सा होना चाहिए। यह एक शक्तिशाली साधन है जो संप्राप्ति में वर्धन करता है। सामाजिक, भावनात्मक और व्यक्तिगत विकास को आधार देता है, तथा विद्यार्थियों के स्वास्थ्य एवं कुशलक्षेम में भी योगदान देता है।
अध्यापन के लिए पाठ्यपुस्तकों के साथ दूसरे शिक्षण संसाधनों का भी उपयोग किया जा सकता है। आपके इर्दगिर्द ऐसे संसाधन उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आप कक्षा में कर सकते हैं जिनसे आपके विद्यार्थी और अधिक सीख सकते हैं। आप के आस–पास संसाधन से भरे पड़े हैं जिनका आप अपनी कक्षा में प्रयोग कर सकते हैं, तथा विद्यालय स्कूल शून्य या थोड़ी लागत से अपने स्वयं के शैक्षिक संसाधन से करा सकता है। इन सामग्रियों को आस–पास से प्राप्त करके, पाठ्यक्रम और विद्यार्थी–जीवन के मध्य एक संबंध बनाते हैं।
आपके आस–पास ऐसे लोग मिलेंगे जो अलग–अलग प्रकार के विषयों में पारंगत हैं। आपको कई प्रकार के प्राकृतिक संसाधन भी मिलेंगे। इससे आपको स्थानीय समुदाय के साथ संबंध जोड़ने, उसके महत्व को बताने, छात्रों को पर्यावरण की प्रचुरता और विविधता को देखने के लिए प्रोत्साहन देने और संभवतः सबसे जरूरी विद्यार्थियों के शिक्षण को एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने में मदद मिलेगी – यानी, स्कूल के भीतर और बाहर सीखने में मदद मिलेगी।
लोग अपने घरों को यथासंभव आकर्षक बनाने के लिए कठिन मेहनत करते हैं। उस पर्यावरण के बारे में सोचना भी महत्वपूर्ण है जहाँ आप छात्रों को शिक्षित करते हैं। आपकी कक्षा और विद्यालय को पढ़ाई के लिए आकर्षक जगह के रूप में विकसित के लिए आप जो करते हैं उसका आपके विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अपनी कक्षा को रोचक और आकर्षक बनाने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं – उदाहरण के लिए, आप–
यदि आप गणित में पैसे या परिमाणों पर काम कर रहे हैं तो आप बाज़ार के व्यापारियों या दर्जियों को कक्षा में बुलाकर उन्हें यह समझाने को कह सकते हैं कि वे अपने काम में गणित का उपयोग कैसे करते हैं? वैकल्पिक रूप से यदि आप कला विषय के अंतर्गत परिपाटियों और आकारों जैसे विषय पर काम कर रहे हैं, तो आप मेहंदी डिजाइनरों को स्कूल में बुला सकते हैं ताकि वे भिन्न-भिन्न आकारों, डिजाइनों, परम्पराओं और तकनीकों को समझा सकें। जब हर व्यक्ति को यह स्पष्ट हो कि इस काम का संबन्ध शैक्षणिक लक्ष्य–प्राप्ति से है और समयोचित अपेक्षाएँ साझा की जा सके।
आपके पास ऐसे विशेषज्ञ उपलब्ध हो सकते हैं जैसे रसोइया या देखभालकर्ता जिनसे विद्यार्थियों के शिक्षण में सहायता मिल सकती है। वे उनके साथ साक्षात्कार कर सकते हैं; उदाहरण के लिए, पकाने में इस्तेमाल की जाने वाली मात्राओं का पता लगाने के लिए, स्कलू के मैदान या भवनों पर मौसम संबंधी स्थितियों का कैसे प्रभाव पड़ता है?
आपकी कक्षा के बाहर ऐसे अनेक संसाधन उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग आप अपने पाठों में कर सकते हैं। आप पत्तों, मकड़ियों, पौधों, कीटों, पत्थरों या लकड़ी जैसी वस्तुओं को एकत्रित कर सकते हैं या अपनी कक्षा से एकत्रित करने को कह सकते हैं। इन संसाधनों को अंदर लाने से कक्षा में रूचिकर प्रदर्शन तैयार किए जा सकते हैं जिन्हें शिक्षण करते समय सम्बन्धित पाठों के लिए सन्दर्भित किया जा सकता है। इनसे चर्चा या प्रयोग आदि करने के लिए वस्तुएं प्राप्त हो सकती हैं जैसे वर्गीकरण से संबंधित गतिविधि सजीव या निर्जीव वस्तुएं। बस की समय सारणी या विज्ञापन जैसे संसाधन भी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं जो स्थानीय समुदाय के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं– शब्दों को पहचानने, गुणों की तुलना करने या यात्रा के समय की गणना करने के कार्य निर्धारित करके शिक्षा के संसाधनों में बदला जा सकता है।
कक्षा में बाहर से वस्तुएं लाई जा सकती हैं- लेकिन बाहरी स्थान भी कक्षा का विस्तार हो सकते हैं। आम तौर पर सभी विद्यार्थियों के लिए चलने-फिरने और अधिक आसानी से देखने के लिए बाहर अधिक जगह होती है। जब आप सीखने के लिए अपनी कक्षा को बाहर ले जाते हैं तब विद्यार्थी निम्नलिखित गतिविधियो को कर सकते हैं–
बाहर, के शिक्षण में विद्यार्थी वास्तविकताओं तथा स्वयं के अनुभवों से सीखते हैं तथा इसे अन्य संदर्भों में अधिक लागू किया जा सकता है।
यदि आपके इस काम में विद्यालय–परिसर को छोड़ना पड़े तो जाने से पहले आपको स्कूल के मुख्याध्यापक की अनुमति लेनी चाहिए, समय सारणी बना लेनी चाहिए सुरक्षा की जाँच कर लेनी चाहिए और विद्यार्थियों को नियम स्पष्ट करने चाहिए। इससे पहले कि आप बाहर जाएं आपको और आपके विद्यार्थियों को यह बात स्पष्ट रूप से पता होनी चाहिए कि किस संबंध में जानकारी प्राप्त करने का लक्ष्य है।
चाहें तो आप मौजूदा संसाधनों को अपने विद्यार्थियों के लिए कहीं अधिक उपयुक्त बनाने हेतु उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं। ये परिवर्तन छोटे से हो सकते हैं किंतु बड़ा अंतर ला सकते हैं विशेष तौर पर यदि आप शिक्षण को कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए प्रासंगिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए आप स्थान और लोगों के नाम बदल सकते हैं यदि वे दूसरे राज्य से संबंधित है गाने में व्यक्ति के लिंग को बदल सकते हैं, कहानी में शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे को शामिल कर सकते हैं। इस तरह से आप संसाधनों को अधिक समावेशी तथा अपनी कक्षा और शिक्षण-प्रक्रिया के लिए उपयुक्त बना सकते हैं।
साधन संपन्न होने के लिए अपने सहकर्मियों के साथ काम करें। संसाधनों को विकसित और उन्हे अनुकूलित करने के लिए आपके बीच ही कई कुशल व्यक्ति मिल जाएंगे। एक सहकर्मी के पास संगीत, जबकि दूसरे के पास कठपुतलियाँ बनाने या विज्ञान के क्रियाकलापों को नियोजित करने का कौशल हो सकता हैं। आप अपनी कक्षा में उपयोग किये जा सकने वाले संसाधनों का अपने सहकर्मियों के साथ साझा कर अपने विद्यालय के सभी क्षेत्रों में एक व्यापक शिक्षण पर्यावरण बनाने में आप सभी की सहायता कर सकते हैं।
समूहकार्य एक व्यवस्थित, सक्रिय, अध्यापन कार्यनीति है जो विद्यार्थियों के छोटे समूहों को एक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ये छोटे समूह संरचित गतिविधियों के माध्यम से अधिक सक्रिय और अधिक प्रभावी शिक्षण को प्रोत्साहित करते हैं।
समूहकार्य विद्यार्थियों को सोचने, संवाद कायम करने, विचारों के आदान-प्रदान करने तथा निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करके सीखने के लिये उन्हें प्रेरित करने का बहुत ही प्रभावी तरीका हो सकता है। आपके विद्यार्थी दूसरों को सिखा सकते हैं तथा उनसे सीख भी सकते हैं। यह शिक्षण का शक्तिशाली और सक्रिय स्वरूप है।
समूहकार्य में विद्यार्थियों का समूहों में बैठना काफी नहीं होता है। इसमें स्पष्ट उद्देश्य के साथ सीखने के लिये साझा कार्य करना तथा उसमें योगदान करना शामिल होता है। आपको इस बात को लेकर स्पष्ट होना होगा कि आप पढ़ाई के लिए सामूहिक कार्य का उपयोग क्यों कर रहे हैं? और यह जानना होगा कि भाषण देने, जोड़ियों में कार्य या विद्यार्थियों के स्वयं से कार्य करने से कैसे बेहतर है। इस तरह समूहकार्य को सुनियोजित और उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए।
आप समूहकार्य का उपयोग कब और कैसे करेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पाठ से आप क्या–क्या सीखना चाहते हैं? आप समूहकार्य को पाठ के आरंभ, अंत या बीच में शामिल कर सकते हैं। लेकिन आपको पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी। आप, जो कार्य अपने विद्यार्थियों से पूरा करवाना चाहते हैं तो समूहों को नियोजित करने के सर्वोत्तम ढंग के बारे में सोचना होगा।
एक अध्यापक के रूप में समूहकार्य की सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं यदि आप निम्नलिखित की योजना अग्रिम रूप से बना लेते हैं–
विद्यार्थीयों को जो सीखना है, उसी के अनुसार हम उन्हें काम आवंटित करते हैं। समूहकार्य में भाग लेकर वे एक-दूसरे को सुनने, विचारों को समझाने और आपसी सहयोग से काम करना सीखेंगे। फिर भी उनका मुख्य लक्ष्य जो विषय पढ़ा रहे हैं, वह सीखना होता है। इन कार्यों के लिए कुछ उदाहरणों हो सकते हैं–
चार से आठ के समूह आदर्श होते हैं किंतु यह आपकी कक्षा भौतिक पर्यावरण, फर्नीचर तथा कक्षा की दक्षता और आयु के दायरे पर निर्भर करेगा। आदर्श रूप से समूह में हर एक के लिए एक दूसरे से मिलना, बिना चिल्लाए बात करना और समूह के परिणाम में योगदान करना आवश्यक होगा।
आप अच्छे समूहकार्य के प्रबंधन के लिए दिनचर्याएं और नियम तय कर सकते हैं। जब आप नियमित रूप से समूहकार्य का उपयोग करते हैं, तो विद्यार्थियों को पता चल जाएगा कि आप क्या अपेक्षा करते हैं? और वे इसे रुचिपूर्ण ढंग से कर पाएंगे। टीम और समूह में काम करने के लाभ की पहचान करने के लिए आरंभ में कक्षा के साथ काम करना एक अच्छा विचार है। आपको चर्चा करनी चाहिए कि समूहकार्य में अच्छा व्यवहार क्या होता है? तथा संभव हो तो ‘नियमों’ की एक सूची बनाएं जिसे प्रदर्शित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए – एक दूसरे के लिए सम्मान, सुनना, एक दूसरे की सहायता करना, एक से अधिक विचार को आजमाना, आदि।
समूहकार्य के बारे में स्पष्ट रूप से बता देना महत्वपूर्ण है जिसे ब्लैक–बोर्ड पर लिखा भी जा सकता है। आपको–
पाठ के दौरान, यह देखने और जाँच के लिए घूमें कि समूह किस तरह से काम कर रहे हैं। यदि कार्य ठीक से नहीं कर पा रहें हैं या अटक रहे हैं तो जहाँ जरूरत हो वहाँ सलाह प्रदान करें।
आप कार्य के दौरान समूहों में बदलाव चाहते हैं, तब दो तकनीकें आजमाई जा सकती हैं – वे बड़ी कक्षा के प्रबंधन में खास तौर पर उपयोगी होती हैं।
कार्य के अंत में, जो कुछ सीखा गया है उसका सार बनाएं और आपको नज़र आई किसी भी गलतफहमी को सुधारें। आप चाहें तो सारे समूहों का फीडबैक सुन सकते हैं, या केवल एक या दो समूहों से पूछ सकते हैं जिनके पास आपको लगता है कि कुछ अच्छे विचार हैं। विद्यार्थियों की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया को संक्षिप्त रखें और उन्हें अन्य समूहों के काम पर फीडबैक देने को प्रोत्साहित करें जिसमें वे पहचान सकते हैं कि क्या अच्छा किया गया था? क्या बात दिलचस्प थी और किस चीज़ को और विकसित किया जा सकता था?
यदि, आप कक्षा में समूहकार्य करना चाहते हैं। आपको प्रभावी रूप से समूहकार्य का नियोजन कठिन लग सकता है क्योंकि कुछ विद्यार्थी–
शैक्षिक लक्ष्य कहाँ तक प्राप्त हुए और विद्यार्थियों की कैसी प्रतिक्रिया रही? क्या वे सभी लाभान्वित हुए? इस पर विचार करने के अलावा, समूहकार्य के प्रबंधन में प्रभावी बनने के लिए उपरोक्त सभी बिंदुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण होता है। सामूहिक कार्य, संसाधनों, समयों या समूहों की रचना में आप द्वारा किए जा सकने वाले समायोजनों पर सावधानी से विचार करें और उनकी योजना बनाएं।
शोध से पता चला है कि विद्यार्थियों की उपलब्धि बढ़ाने के लिए हर समय समू ह में का र्य करना आवश्यक नहीं है। हर पाठ में समूह कार्य का उपयोग करना ज़रूरी नहीं है। आप चाहें तो समूहकार्य का उपयोग एक पूरक तकनीक के रूप में कर सकते हैं। उदाहरण के लिए विषय परिवर्तन के बीच या कक्षा में चर्चा को तुरन्त शुरु करने के साधन के रूप में कर सकते हैं। इसका उपयोग विवाद का सुलझाने या अनुभव के आधार पर किए जाने वाली शिक्षण गतिविधि, समस्या हल करने के अभ्यास करने या विषय–समीक्षा के लिये भी किया जा सकता है।
मनुष्य | सामग्रियां | भौतिक प्रक्रम |
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हृदय गतिं: दौड़ लगाने से पहले और बाद में हृदय गति मापें। व्यायाम करने पर हमारा हृदय तेजी से क्यों धड़कता है? वह धीमा कैसे पड़ता है? व्यायाम करने से पहले और बाद में विद्यार्थियों की हृदयगति नोट करें और आँकड़े को ग्राफ़ का रूप देकर कक्षा में तुलना करें। | सामग्री खोजना: विद्यालय के इर्द-गिर्द सामग्रियों की खोज करें और मिलने वाली सामग्रियों को अभिलेखित करें। विद्यार्थी कैसे बता सकते हैं कि सामग्री क्या है? उसके गुण-धर्म क्या हैं? उसका उपयोग किस लिए किया जाता है? क्या सामग्री समय गुज़रने के साथ बदल गई हैं? | पतंग को डिजाइन करें और बनाएं: प्रयोग हेतु सर्वोत्तम सामग्रियों और आकृति का पता लगाएं। क्या बिना पूँछ की पतंग उड़ सकती है? पतंग कैसे उड़ती है? उसे हवा में कैसे बनाए रखा जा सकता है? |
लंबी कूद: लंबी कूद कूदने वाला बढ़िया खिलाड़ी बनने के लिए क्या चाहिए? क्या व्यक्ति के कूदने की दूरी और उसकी ऊर्विका (Femur) की लंबाई/या किसी दूसरे लक्षण में, आपस में कोई सहसंबंध है? | मृदा परीक्षण: अलग–अलग स्थानीय क्षेत्रों से मिट्टी के नमूने एकत्र करें। यदि आवर्धक लेंस हों तो उनका उपयोग कर समानता और भिन्नता को नोट करें। मृदा की पहचान के लिए वर्गीकरण कुंजी का उपयोग करें। मिट्टी को छानें और विभिन्न कणों की पहचान करें। | बलों की छानबीन: दरवाजा खोलने, बंद करने में, या खेलते समय किन बलों का प्रयोग होता है? प्रयुक्त हो रहे बलों को दर्शाते हुए चित्र बनाएं। |
पेशियाँ और संधियां: पेशियों और संधियों के कार्य करने के तरीके को स्पष्ट करने के लिए मैदान में खेले जाने वाले खेलों का उपयोग करें। विद्यार्थियों से यह समझाने को कहें कि जब वे दौड़ते, कूदते या गेंद पकड़ते हैं, तो उसकी संधियों और पेशियों में क्या आरै कैसे होता है? | प्राकृतिक और मानव-निर्मित पदार्थ: मानव-निर्मित और प्राकृतिक पदार्थ खोजने के लिए विद्यालय की छानबीन करें। उनके लक्षण क्या हैं? क्या समय गुज़रने के साथ, धूप या बारिश से उनमें बदलाव होता है? | ऊर्जा स्थानान्तरण: पता लगाएं कि किसी पौधे, एक कप पानी और रंगीन कागज़ को एक सप्ताह तक धूप में छोड़ देने पर उनके साथ क्या होता है? समय गुज़रने के साथ देखें और नोट करें। रात में बदली होने पर क्या होगा? |
भोजन की खोज: बाहर किसी खुले स्थान में खाद्य-पदार्थों के चित्र छुपा दें। विद्यार्थी तीन खाद्य पदार्थों के चित्र खोज, जिन्हें वे खाते हैं और जिनमें प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, वसा तथा रेशे होते हैं। क्या, विद्यार्थी खाद्य-पदार्थों का उपयोग कर संतुलित आहार तैयार कर सकते हैं? | बदलती अवस्थाएं: वर्षा के बाद या मिट्टी पर पानी उड़ेल कर, अवलोकन करें कि समय बीतने पर जल का क्या होता है? जल कहां चला जाता है? पानी में नमक या चीनी घोलें। परिवर्तन को वापस करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? | छाया: विद्यार्थी जोड़ियों में एक-दूसरे की छाया के इर्द-गिर्द उसकी आकृति खींच सकते हैं। विद्यालय प्रारम्भ होने और समाप्त होने के समय पर छाया में क्या अंतर होता है? अंतरों को नोट करें और कारण बताकर स्पष्ट करें। |
प्रकाश तरंगें: बाहर अलग रंगों वाली वस्तुएं देखने के लिए लाल और हरे फ़िल्टरों का उपयोग करें। मूल रंग और फ़िल्टरों के माध्यम से देखा गया रंग लिखें। आपने क्या देखा? ऐसा क्यों होता है? | ||
तेज़ कारें: पता लगाएं कि किन सतहों पर खिलौना कारें धीमी चलती हैं और किन पर तेज़। क्यों? |
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कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।