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स्थानीय संसाधनों का उपयोगः जीवन प्रक्रियाएं

यह इकाई किस बारे में है

इस यूनिट में आप उन कार्यनीतियों को विकसित करेंगे जिनसे आपको अपने अध्यापन में सुधार करने के लिए स्थानीय पर्यावरण का उपयोग करने में मदद मिलेगी। आपको जितना संभव हो सके शिक्षण पर्यावरण को किस प्रकार से आकर्षक बनाया जाए, आप किस प्रकार से वैज्ञानिक उपकरणों को तत्काल तैयार कर सकते हैं कि किस प्रकार से अपने विद्यार्थियों का संसाधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं। स्थानीय समुदाय में मौजूद विशेषज्ञता का प्रयोग करने में सफल हो सकेंगे। इन बातों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

दुनिया में किसी भी स्थान पर विज्ञान विषय के किसी भी अध्यापक से पूछ कर देखिए, कि क्या उनके विचार में उनके पास अपनी संतुष्टि के अनुसार विज्ञान को पढ़ाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं तो इस बात की अधिक संभावना है कि उनका उत्तर ‘नहीं’ होगा! ऐसा विशेष रूप से उन अध्यापकों के बारे में सही है जो ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। कठिनाइयों पर ध्यान केन्द्रित करना सरल होता है, लेकिन विज्ञान के अच्छे अध्यापक साधन संपन्न होते हैं। यहां तक कि उनके पास वैज्ञानिक उपकरणों तक पहुंच नहीं होने पर भी वे विज्ञान को पढ़ाने के लिए कामचलाऊ प्रबंध कर सकते हैं और स्थानीय संसाधनों का प्रयोग कर सकते हैं। वे अपनी कक्षा में शिक्षण पर्यावरण और वैज्ञानिक विचारों तथा विद्यार्थियों के जीवन में किस प्रकार से रिश्ता कायम किया जाए, इस पर भी विचार करते हैं। बिना संसाधनों की उपलब्धता के विज्ञान को पढ़ाने की कोशिश, अनुभवी और ज्ञानवान अध्यापकों सहित सभी के लिए एक बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है।

इस यूनिट में आपको यह सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि संसाधनों के रूप में आपके पास क्या है? न कि आपके पास किस चीज का अभाव है। इसमें यह दर्शाया जाता है कि किस प्रकार से स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का अधिक कल्पनाशील और प्रभावी ढंग से प्रयोग किया जाए जिससे आप साधन सम्पन्न अध्यापक बन सकें। इन कार्यनीतियों को प्रदर्शित करने हेतु प्रयुक्त शिक्षण विषय दसवीं कक्षा के लिए जीवन प्रक्रियाएं हैं। दर्शायी गई सभी कार्यनीतियों को विज्ञान के पाठ्यक्रम में अन्यत्र प्रयोग करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • आपके पास उपलब्ध संसाधनों का सर्वाधिक लाभ किस प्रकार उठाएं?
  • विज्ञान शिक्षण में सहायता के लिए विभिन्न स्थानीय संसाधनों का उपयोग कैसे करें?
  • शिक्षण पर्यावरण को यथासंभव आकर्षक बनाने के लाभ।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

विज्ञान एक व्यावहारिक विषय है जो हम सभी के जीवन से जुड़ा है। साथ ही वैज्ञानिक संकल्पनाओं को समझने के लिए, विद्यार्थियों को क्रियात्मक कौशल सीखने और स्कूल में उनके द्वारा सीखे जाने वाले विज्ञान और उनके रोज़मर्रा के जीवन में संबंध कायम करने में समर्थ होने की आवश्यकता है। इन पाठों में अपने विद्यार्थियों को सक्रिय रूप से भागीदार बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, आपको उनकी भागीदारी और उन्हें प्रेरित करने के तरीकों को खोजना होगा, पाठ्यपुस्तक में विज्ञान के ज्ञान को उनके जीवन के साथ सम्बद्ध करना होगा। यदि विद्यार्थियों को प्रेरित किया जाता है और उनमें दिलचस्पी जगाई जाती है, तो वे अधिक प्रभावी ढंग से सीख पाएंगे।

क्रियात्मक काम करना, एक तरीका है जिससे आप अधिक सक्रिय रूप से भागीदारी करने के लिए विद्यार्थियों की मदद कर सकते हैं, तथा इस इकाई की एक गतिविधि से आपको व्यावहारिक उपकरणों की तत्काल व्यवस्था करने के संबंध में सोचने में सहायता मिलेगी। यद्यपि, आप इस बात पर भी विचार कर सकते हैं कि पर्यावरण शिक्षण को किस प्रकार से बढ़ाया जायें तथा आपके स्कूल या स्थानीय समुदाय में विशेषज्ञता का किस प्रकार से लाभ उठाया जाए।

1 चुनौतीपूर्ण संदर्भ में एक साधन सम्पन्न अध्यापक होना

इस खण्ड का उद्देश्य उन संसाधनों पर ध्यान केन्द्रित करने में आपकी मदद करना है जो आपके पास अपने स्कूल में उपलब्ध हैं, जिससे आपकी विज्ञान पढ़ाने में मदद की जा सके। केस स्टडी 1 में यह वर्णन किया गया है कि अध्यापकों के एक समूह द्वारा साधन सम्पन्न होने की चुनौती के संबंध में किस प्रकार से प्रतिक्रिया व्यक्त की गई थी।

केस स्टडी 1: अध्यापक इस बात पर विचार–विमर्श करते हैं कि साधन सम्पन्न किस प्रकार से बना जाए

इस तरह की चुनौतीपूर्ण स्थितियों में काम करने वाले शिक्षकों के एक समूह द्वारा हाल ही में इस बारे में सुझावों पर विचार–विमर्श किया गया कि इस तरह की कठिन स्थितियों के बावजूद किस प्रकार से साधन सम्पन्नता हासिल की जाए। उन्होंने अनेक विचार प्रस्तुत किए– नीचे सूची में उन आठ विचारों को दिया गया है जिन्हें सर्वाधिक उपयोगी माना गया था–

  • शिक्षण के साधन के रूप में स्थानीय पर्यावरण का अधिकतम उपयोग करें। सभी स्कूलों में एक ऐसा पर्यावरण होता है, जिसका चर्चा, खोज और कक्षा के डेटा के स्रोत के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
  • अध्यापन में साधन के रूप में स्थानीय समुदाय का अधिकतम उपयोग करें। विगत काल में चीजें किस प्रकार से होती थीं, यह याद रखने के लिए और रोज़मर्रा के मुद्दों पर माता–पिता से राय प्राप्त करने तथा लोक कथाओं के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं। पाठों के लिए दिन के अंत में जो कुछ शेष बाजार में बच जाता है अथवा फार्म से सामग्रियां जैसे पौधे (प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों का प्रयोग करें), चूजे के पैर (मासंपेशियों और कण्डारों को देखने के लिए), मछली (गलफड़ों तथा बाह्य संरचना को देखने के लिए) खोजने में भी मदद कर सकते हैं।
  • वर्तमान में चल रही संचार प्रणाली का दोहन करें। इस समय तकरीबन सभी समुदायों के पास अनेक चैनलों की उपलब्धता के साथ रेडियो उपलब्ध है। बहस और चर्चा को उत्प्रेरित करने के लिए कुछ कार्यक्रमों का प्रयोग करें।
  • स्कूल के आसपास की कबाड़ से शिक्षण सामग्री के साधन तैयार करें। पुराने बॉक्स, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और यहां तक कि प्लास्टिक की बोतलों से शिक्षण सामग्री को तैयार किया जा सकता है। चर्चा समूह में एक अध्यापिका ने यह बताया कि किस तरह से उसने ऐसी सामग्रियों का प्रयोग करके ज्वालामुखी का मॉडल तैयार किया था। मॉडल को ज्वालामुखी के काम करने के तरीके को दिखाने के लिए प्रयोग जा सकता है।
  • सीधे तौर पर अथवा पत्रों के आदान–प्रदान के माध्यम से दूसरे स्कूलों के साथ सहयोग करें। यह विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक प्रेरणादायक हो सकता है तथा इससे सूचना के सभी संभव आदान–प्रदान सामने आते हैं (उदाहरण के लिए शहरी और ग्रामीण स्कूलों के बीच में सूचना के आदान–प्रदान से रूचिकर तुलनाएं की जा सकती हैं।)
  • स्कूल को स्थानीय समुदाय को संसाधन बनने दें। एक शिक्षिका ने वर्णन किया कि किस प्रकार माताओं द्वारा कुछ पाठों में भाग लिया गया और उन्होंने स्वयं अपनी साक्षरता में सुधार किया।
  • स्कूल में बगीचे लगाना एक छोटे से क्षेत्र में पौधों को उगाकर एक बगीचा बनाया जा सकता है जहां सभी आयु के विद्यार्थियों को पौधारोपण के विकास के चरणों की समझ बनाने हेतु प्रतिभाग करा सकते हैं।
  • मौजूदा विषयों के बारे में अधिक जानकारी के लिए वेबसाइटों को देखने के उद्देश्य से स्थानीय कस्बे के साइबर कैफे का इस्तेमाल करें।

संसाधनों के प्रयोग के संबंध में और अधिक विचारों के लिए संसाधन 1 देखें।

विचार के लिए रुकें

  • इस केस स्टडी के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
  • क्या आपने इनमें से किसी विचार का प्रयोग अपने अध्यापन में किया है?

गतिविधि 1: संसाधनों को खोजने के लिए विचार–विमर्श करना

केस स्टडी 1 की तरह यह वह गतिविधि है जिसे आप विज्ञान के अपने सहयोगियों के समूह के साथ सर्वश्रेष्ठ अच्छी प्रकार से कर सकते हैं। इस गतिविधि का मुख्य उद्देश्य आपके स्कूल में आपके पास उपलब्ध संसाधनों के प्रति आपकी जागरूकता को बढ़ाना है। आपको पास उपलब्ध उन संसाधनों को देखकर एक सुखद आश्चर्य हो सकता है कि इनके विषय में आपको इससे पहले जानकारी नहीं थी।

अगले विषय के बारे में विचार करें जिसे आप पढ़ाने जा रहे हैं–

  • आपके स्कूल में आपके आस–पास तथा अपने सहयोगियों के समूह के पास उपलब्ध सभी संसाधनों पर विचार–विमर्श करें।
  • उन सभी संसाधनो पर विचार करें जिनकी आप उपलब्धता चाहते हैं ?
  • उन विकल्पों पर विचार–विमर्श करें जिनका आप विकल्प के रूप में प्रयोग कर सकते हैं ?

यदि, आप विचार–विमर्श की तकनीकों से परिचित नहीं हैं, तो इस विषय से संबंधित इकाई को देखना आपके लिए लाभदायक हो सकता है।

इस गतिविधि का संबंध आपमें एक ऐसी प्रवृत्ति विकसित करना है जिसके अंतर्गत आप संसाधनों की समस्याओं के बारे में कल्पनाशीलता और सृजनात्मक रूप से सोच सकें। ऐसी स्थिति हो सकती है कि आप कुछ संसाधनों से संबंधित सभी मुद्दों के बारे में किसी विकल्प के बारे में वास्तव में नहीं सोच पाएं। यदि ऐसा है तो घबराएं नहीं। जैसे–जैसे आप इस इकाई और अगली इकाइयों में आगे बढ़ते हैं, विचार आने शुरू हो जाते हैं, इसलिए संभव है कि आप बाद में इस खण्ड को फिर से देखना चाहें।

चित्र 1 यह अध्यापिका अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को पत्तियां एकत्र करने के लिए स्कूल के मैदान में ले गई है। वे पत्तियों को अपनी कक्षा में ले जाएंगे और हाथों में पकड़े जाने वाले लेंस और सूक्ष्मदर्शियों से उनका अध्ययन करेंगे (पाठ्य पुस्तिका में गतिविधि 6.3)।

2 शिक्षण पर्यावरण के बारे में विचार करते हुए

लोग अपने घरों के आसपास के परिवेश को यथासंभव अधिक सुखद बनाने के लिए बहुत अधिक समय और ऊर्जा लगाते हैं। अपनी कक्षा को आकर्षक और दिलचस्प बनाने से आपको अपने विद्यार्थियों को विज्ञान सीखने में शामिल करने में मदद मिलेगी। पत्रिकाएं और समाचार पत्र सहायक सामग्री के रूप में होते हैं क्योंकि उनमें ऐसे लेख और तस्वीरें होती हैं जो कि विज्ञान के पाठ्यक्रम से जुड़े होते हैं। आप अपने विद्यार्थियों के कार्यों को प्रदर्शित भी कर सकते हैं।

गतिविधि 2: अपनी कक्षाओं को अधिक रूचिकर और उत्साहपरक बनाना।

प्रदर्शित करने के लिए रूचिकर वस्तुओं चित्रों की एक फाइल या बॉक्स में रखना शुरू करें। अपने आसपास के परिवेश को लेकर सजग रहें। अपने राज्य, देश और दुनिया के बारे में मौजूदा और समकालीन विषयों की अद्यतन जानकारी रखें। किसी भी स्रोत से विज्ञान से संबंधित मिली किसी जानकारी या खबर को रखना उपयोगी साबित होता है। आप नहीं कह सकते कि कब यह उपयोगी साबित हो जाएगी!

जब आप अनेक चित्र और लेख एकत्र कर लेते हैं, तो वर्तमान में आपके द्वारा पढ़ाए जा रहे विषय से संबंधित प्रदर्शन बनाएं। आप अपने कुछ विद्यार्थियों के कार्य भी शामिल कर सकते हैं और आप कुछ विद्यार्थियों को प्रदर्शन तैयार करने में मदद करने के लिए भी कह सकते हैं।

केस स्टडी 2 में, श्री गुप्ता ने यह वर्णन किया कि किस प्रकार से उन्होंने दीवारों पर प्रदर्शन तैयार करके और संबंधित सामग्री को एकत्र करके कक्षा के पर्यावरण में सुधार किया था।

केस स्टडी न 2: श्री गुप्ता अपनी कक्षा को सजाते–संवारते हैं

श्री गुप्ता ने बताया कि उन्होंने किस प्रकार से कम खर्च में पत्रिकाओं तथा समाचार पत्रों की कतरनों का प्रयोग करके अपनी कक्षा को रंगारंग रूप में सजाया था।

मुझे किसी रिश्तेदार से मिलने के लिए एक दिन पास के शहर में जाना पड़ा था। हम होटल में थे और मैं उनकी प्रतीक्षा कर रहा था तो मैंने देखा कि कतरन (किटंग) में मेजों पर कुछ पत्रिकाएं रखी थीं तथा उनमें अनेक दुर्लभ जानवरों और उनके निवास स्थलों की बहुत अच्छी तस्वीरें थीं। मुझे ध्यान आया कि इनका प्रयोग कक्षा में दीवारों पर प्रदर्शन के लिए किया जा सकता है। मैंने रिसेप्शनिस्ट से पूछा कि क्या उनके पास पुरानी पत्रिकाएं हैं? जिन्हें मैं ले जा सकता हूं। उसने मुझे बहुत सी पत्रिकाएँ दे दीं। बाद में मैं कुछ दूसरे होटलों में गया और उन्होने मुझे कुछ पत्रिकाएं और यात्रा संबंधी पुस्तकें दीं। मुझे इस बात को लेकर आश्चर्य हुआ कि इनको इकठ्ठा करना कितना आसान था।

घर पर मैंने पुराने समाचार पत्रों से भी तस्वीरें खोजीं, तथा पत्रिकाओं में उपलब्ध चित्रों को सावधानी से इनको काट कर अलग निकाल लिया। हमें ‘जीवन प्रक्रियाएं’ विषय को पढ़ना शुरू करना था, इसलिए मैंने उस विषय के संबंध में तीन प्रदर्शन तैयार किए थे। एक प्रदर्शन पर, मैंने पौधों की तस्वीरें लगाई थीं, जिनके साथ कुछ प्रश्न भी थे जैसे– ‘पौधे अपना भोजन किस प्रकार से बनाते हैं?’ ‘पौधों में परिवहन प्रणालियां क्या होती हैं?’ मैंने पानी के एक कलश में एक सफेद फूल भी लगाया था। मैंने पानी में कुछ खाद्य रंगों को डाला तथा धीरे–धीरे फूल नीला हो गया। यह उस समय बहुत उपयोगी साबित हुआ जब हमने ‘पौधों में परिवहन’ खण्ड़ को पढ़ाया था।

दूसरे प्रदर्शन में मैंने खेलकूद में लगे लोगों की चित्र को लगाया था, जिनमें ‘वह अपनी ऊर्जा कहां से प्राप्त करता है?’ और उसे किस प्रकार की पौष्टिक भोजन की आवश्यकता है?’ आदि प्रश्न लगाए थे। अंत में मैंने चिकित्सीय सहायता के कुछ विज्ञापनों और एक अस्पताल की तस्वीर को लगाया था, जिससे एक स्वस्थ दिल को बनाए रखने से संबंधित प्रदर्शन को तैयार किया जा सके। मैंने सभी कतरनों को अपनी कक्षा की दीवार पर टांग दिया था। उनको आकर्षक बनाने के लिए उनको क्रमवार लगाने में मेरा कुछ समय लगा। मैंने कुछ सफेद कागजों पर प्रश्न भी लिखे, जो मेरे द्वारा काम पूरा कर लिए जाने पर बैनर की तरह दिखाई दे रहे थे।

मेरी सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों ने जब पहली बार कमरे में प्रवेश किया तो सभी की प्रतिक्रिया आश्चर्य तथा रूचिपूर्ण थी। उसके बाद, कुछ विद्यार्थियों ने मुझे मेरे प्रदर्शन से प्रेरित होकर उन्हें मिली कुछ चित्रों को मुझे लाकर दिया था। विषय के संबंध में शिक्षण के समय, तत्काल चर्चा के लिए मैं प्रदर्शन करने में समर्थ रहा। इससे कमरा घर जैसा दिखाई देने लगा था और ऐसा करना बहुत आसान भी था। मेरे विद्यार्थियों को विषय के प्रति उनका जुड़ाव देखने को मिला जो हम उस समय कक्षा में पढ़ रहे थे।

3 संसाधनों के रूप में स्थानीय समुदाय और पर्यावरण का उपयोग करना

आपका स्थानीय समुदाय और पर्यावरण एक सरल एवं महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में उपलब्ध है। आपके स्थानीय समुदाय में, ऐसे लोग होते हैं जिन्हें विज्ञान के अनेक विषयों में विशेषज्ञता हासिल होती है। आपके स्थानीय पर्यावरण में भी आपकी अनेक प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँच होती है। चित्र 2 में इन संसाधनों का प्रयोग करने के लाभों का वर्णन किया गया है।

चित्र 2 स्थानीय समुदाय और पर्यावरण संसाधनों का प्रयोग करने के लाभ

अपनी कक्षा में स्थानीय विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग करना

शिक्षण सामग्री के रूप में स्थानीय समुदाय की अक्सर उपेक्षा की जाती है। मान लीजिए कि आप दसवीं कक्षा के साथ परिसंचरण के संबंध में कुछ काम कर रहे हैं। आप इस विषय को अपने विद्यार्थियों के समक्ष किस प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं जिससे उनकी रूचि को आकर्षित किया जा सके? एक तरीका यह हो सकता है कि आप ह्दय और वे किस प्रकार से रोगियों के रक्तदाब की माप करते हैं, के बारे में बताने के लिए स्थानीय चिकित्सक या किसी नर्स को आमंत्रित कर सकते हैं। मूत्र का त्याग के विषय के लिए आप गुर्दा प्रत्यारोपण करवाने वाले व्यक्ति से गुर्दे के रोग और शल्य चिकित्सा के बारे में बताने के लिए कह सकते हैं। यह विद्यार्थियों या कर्मचारियों में से किसी का रिश्तेदार या पारिवारिक मित्र हो सकता है। श्वसन के लिए आप किसी को यह स्पष्ट करने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं कि किस प्रकार से लैक्टिक एसिड उनके क्षमता को प्रभावित करता है।

आपके विद्यार्थी यह जानने के इच्छुक होंगे कि ये आंगतुक क्या करते हैं? और वे प्रश्न पूछना चाहेंगे, इसलिए इसे सावधानीपूर्वक नियोजित किया जाना चाहिए। यदि आप ऐसा करने का निर्णय लेते हैं तो आपको इस बात को लेकर स्पष्ट होना होगा कि आपके विद्यार्थियों को इस अनुभव से क्या सीखना चाहिए और फिर मुलाकात के लिए तैयारी करने हेतु गतिविधि 3 में दिये गये कदमों का अनुसरण करें।

केस स्टडी 3: श्रीमती कुमार द्वारा एक आगंतुक को आमंत्रित करती हैं

एक शाम मैं अपनी एक सहेली के साथ शहर में गई हुई थी। वह नर्स है? और उसने दिल के रोग से पीड़ित लोगों के चिकित्सालय में अभी हाल में एक नई नौकरी शुरू की थी। मैंने दसवीं कक्षा के साथ ‘जीवन प्रक्रियाएं’ विषय की अभी शुरूआत ही की थी। जब हम बातचीत कर रहे थे, तो मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा! मैंने अपनी सहेली को स्कूल में आने और विद्यार्थियों से बात करने के लिए बुलाने का निर्णय किया।

हमने यह फैसला किया कि वह ब्लड प्रेशर मापने की मशीन को साथ लेकर आएगी। उसने मेरा रक्तदाब मापा और उसने 15 मिनट तक मेरे विद्यार्थियों से ब्लड प्रेशर मापने की मशीन को मापने के महत्व, ब्लड प्रेशर मापने की मशीन के बहुत उच्च होने के कारणों तथा उपलब्ध उपचारों के बारे में बात की। मेरे पास ह्दय के रेखाचित्र वाला पोस्टर था, जिसका इस्तेमाल उसने अपने स्पष्टीकरण में किया।

विद्यार्थियों ने पहले से ही कुछ प्रश्नों को तैयार कर रखा था, जो उन्होने पूछे। परन्तु चर्चा आगे बढ़ती चली गई क्योंकि उनके मन में अधिक से अधिक प्रश्न पैदा होते चले गए। पाठ के समाप्त हो जाने के बाद काफी बड़ी संख्या में विद्यार्थी वहां रूक गए थे क्योंकि वे नर्स बनने के लिए प्रशिक्षण के बारे में अधिक जानना चाहते थे।

विचार के लिए रुकें

  • क्या आप किन्हीं अन्य स्थानीय आगन्तुकों के बारे में सोच सकते हैं जो आपको ’जीवन प्रक्रियाएं’ पढ़ाने में सहायता कर सकते हों?
  • क्या आप स्थानीय आंगतुकों के कोई और उदाहरण सोच सकते हैं, जो विज्ञान पाठ्यक्रम के किसी अन्य भाग को पढ़ाने में आपकी सहायता कर सकते हों?

अगली गतविधि में यह समझाया गया है कि ऐसी मुलाकात की व्यवस्था किस प्रकार से करें। यदि आपके संपर्क में कोई उपयुक्त व्यक्ति है, तो आप ’जीवन प्रक्रियाओं’ पर अपने काम के भाग के रूप में इस गतिविधि को कैसे कर सकते हैं? या आप तब तक प्रतीक्षा कर सकते हैं जब तक कि आपको कोई ऐसा नया विषय नहीं मिल जाता, जिसके लिए आपके पास उपयुक्त व्यक्ति उपलब्ध है। जब भी आप ऐसा करते हैं, तो इसके लिए आपको समय रहते योजना बनानी होगी।

गतिविधि 3: अपनी कक्षा में स्थानीय विशेषज्ञ को आमंत्रित करना

उस विशेषज्ञ की पहचान करें जिसे आप अपनी कक्षा में आने के लिए कह सकते हैं।

भाग 1: मुलाकात से पहले

  • अपने प्रधानाचार्य/मुख्याध्यापक से आंगतुक को आमंत्रित करने की अनुमति माँगें।
  • यह पहचान करें कि आप किसे आमंत्रित करना चाहेंगे।
  • उनसे यह पूछें कि क्या वह आना पसंद करेंगे?
  • मुलाकात के बारे में और वे क्या जानना चाहेंगे, इस संबंध में बात करें?
  • उन्हें आंगतुक के लिए एक निमंत्रण लिखने के लिए कहें।
  • अपनी कक्षा के विद्यार्थियों के साथ उन प्रश्नों की योजना बनाएं जो वे पूछना चाहते हैं। प्रश्नों से संबंधित इकाई अथवा प्रश्नों को तैयार करने में अपने विद्यार्थियों को किस प्रकार से शामिल करें, इसके उदाहरण देखें।
  • अपनी कक्षा के विद्यार्थियों के साथ इस बात पर सहमति व्यक्त करें कि ऐसा कौन करेगा?
  • इस बात पर चर्चा करें कि आपके विद्यार्थी आगन्तुक के आने पर किस प्रकार से बैठेंगे– पक्तियों में या घोड़े की नाल के आकार में ताकि सभी एक दूसरे को देख सकें?
  • अपने मेहमान के साथ मुलाकात की पुष्टि करें तथा उन्हें बताएं कि क्या होगा?
  • उन्हें अपने विद्यार्थियों को दिखाने के लिए अपने साथ कुछ लाने के लिए कहें।

भाग 2: मुलाकात के दिन

निर्धारित समय पर स्कूल के गेट पर कुछ विद्यार्थी आंगतुक की अगवानी कर उन्हें कक्षा में लाएँगे। अपने विद्यार्थियों से आगन्तुक का परिचय करवाएं तथा यदि उपयुक्त हो तो वे अपने साथ क्या लेकर आए हैं? यह दर्शाते हुए वे क्या करते हैं? इस संबंध में उन्हें थोड़े समय के लिए (1015 मिनट) बोलने का अनुरोध करें?

अपने विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।

मुलाकात समाप्त होने के बाद अपने किसी विद्यार्थी से कक्षा की ओर से आगन्तुक के आने हेतु आभार व्यक्त करने के लिए कहें।

भाग 3: मुलाकात के बाद

इस बात पर विचार करें कि आपके विद्यार्थियों ने जो कुछ सुना और देखा है, उसका आप कैसे इस्तेमाल करेंगे। उन्हें समूहों में अपने विचारों को साझा करने और जो कुछ उन्होंने सीखा है उसमें से महत्वपूर्ण चीजों की सूचियां या पोस्टर बनाने के लिए कहें।

आप विषय के बारे में उनके द्वारा अधिक सीखने के लिए विचारों और जानकारी का प्रयोग करके अधिक पाठों की योजना बना सकते हैं।

विद्यार्थी भी विषय के संबंध में अधिक शोध कर सकते हैं। वे दूसरी कक्षाओँ या अपने अभिभावकों के साथ विशेष बैठक या प्रदर्शनी में अपने विचारों को साझा कर सकते हैं।

स्थानीय पर्यावरणीय संसाधनों का प्रयोग करना

स्थानीय पर्यावरण से विज्ञान शिक्षण में सहायता मिल सकती है। आपके स्थानीय पर्यावरण में भी आपकी अनेक प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँच होती है। बाह्य पर्यावरण पर संसाधन एकत्र करने के स्थान के रूप में विचार करने के साथ–साथ इसका प्रयोग आपकी कक्षा के विस्तार के लिए भी किया जा सकता है। संसाधनों के लिए स्थानीय पर्यावरण का किस तरह से इस्तेमाल किया जाए, यहां इस संबंध में कुछ विचार दिए गये हैं।

जीव–जंतु और वनस्पति

आपका स्कूल चाहे कहीं भी स्थित हो, वहां से आप अनेक जीव जंतुओं या वनस्पति को कुछ समय के लिए एकत्र करके अपनी कक्षा में ला सकते हैं जिससे आपके विद्यार्थी अन्वेषण और अवलोकन कर सकें। आप स्वयं इन जीव–जंतुओं या वनस्पति को एकत्र कर सकते हैं अथवा आप इन्हें एकत्र करने के लिए अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को बाहर ले जा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, पत्तियां लाने से विद्यार्थी उनका अधिक गहराई से अध्ययन करने में समर्थ होंगे। बीजों से पौधे उगाने से विद्यार्थी यह समझ सकेंगे कि उनकी देखभाल किस तरह से की जाए। मैनटिस (एक खास किस्म का कीड़ा), कतिपय मकड़ियों, चूहे, तितलियों, गिलहरी या अन्य कीटों को थोड़े समय के लिए स्थितियों तथा कंटेनरों में रखा जा सकता है।

यह स्पष्ट रूप से समझ लें कि आपके विद्यार्थी क्या सीखेंगे? और सुरक्षित रूप से जीव–जंतुओं का अवलोकन करने के लिए उन्हें कुछ समय दें जिससे वे भयभीत न हों और न ही वे प्राणियों को भयभीत करें। यह सुनिश्चित करें कि वे जानवरों और पौधों का सम्मान करते हैं और समुदाय के लिए उनके महत्व को समझते हैं।

कीटों या जानवरों को कक्षा में रखने से एक बेहतर शिक्षण परिवेश का सृजन होता है। प्रायोगिक कार्यों को करने के लिए भी पौधों का इस्तेमाल किया जा सकता है। ’जीवन प्रक्रियाएं’ नामक अध्याय में एक विषय है प्रकाश संश्लेषण। यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा विद्यार्थियों के लिए इसे समझना कठिन है, इसलिए व्यावहारिक कार्य करना बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। ’पौधों को समझना’ से संबंधित संसाधन 2 में दी गई प्रश्नोत्तरी के माध्यम से आप स्वयं भी पौधों के संबंध में अपनी समझ की जांच कर सकते हैं।

गतिविधि 4: प्रकाश संश्लेषण को प्रदर्शित करना

ऐसे तीन प्रयोग हैं जिनको प्रकाश संश्लेषण को दिखाने के लिए करना अपेक्षाकृत रूप से आसान है। आपकी पाठ्यपुस्तक में इनका वर्णन किया गया है।

  • तालाब की खरपतवार: प्रकाश संश्लेषण के दौरान उत्पादित गैस को एकत्र करना। यदि आप पानी में डूबी हुई तालाब की खर पतवार पर प्रकाश डालते हैं, तो आप देख सकते हैं कि गैस के बुलबुले पैदा हो रहे हैं। प्रकाश की तीव्रता जितनी अधिक होती है, उतने अधिक बुलबुले पैदा होते हैं।
  • स्टार्च के लिए पत्तियों की जांच करना: पत्तियों को उबलते पानी में डाला जाना चाहिए तथा फिर क्लोरोफिल को हटाने के लिए इन्हें एथानोल में डुबाया जाना चाहिए। इसके बाद यह साबित करने के लिए की स्टार्च मौजूद है, उनकी आयोडीन के साथ जांच की जा सकती है। यदि बहुरंगी पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है, तो स्टार्च का पैटर्न मूल पत्ती पर हरे रंग के पैटर्न के अनुसार ही होता है।
  • कार्बन डाईऑक्साइड का महत्व: दो पौधों को पारदर्शी प्लास्टिक थैलों में पैक किया जाता है। एक बैग में उस रसायन को डालें जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर लेगा (उदाहरण के लिए, पोटेशियम हाइड्रोक्साइड या सोडियम हाइड्रोक्साइड)। दो घंटों के बाद पत्तियों की स्टार्च के लिए जांच करें। जिस बैग में रसायन डाला गया था, उसमें कम स्टार्च होनी चाहिए।

प्रत्येक प्रयोग के लिए, पूर्ण विधि का प्रयोग करें तथा यदि आपके पास सुझाए गए उपकरण उपलब्ध नहीं हैं, तो विकल्प के बारे में सोचिए। यदि रसायनों के प्रयोग के लिए कहा गया है, तो तत्काल उपलब्ध विकल्पों पर विचार करें। उदाहरण के लिए, ओवन (चूल्हा) क्लीनर में आमतौर पर सोडियम हाइड्रोक्साइड होता है तथा प्रयोग 3 में उसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

जब आप प्रकाश संश्लेषण के बारे में पढ़ा रहे हैं, तो प्रयोग प्रदर्शन के लिए अथवा कक्षा में प्रयोग के लिए इनमें से कुछ या सभी प्रयोगों को आजमाएं और करें।

स्थानीय सामग्रियां

ऐसी बहुत सी अन्य चीजें हैं जिन्हें आप स्थानीय पर्यावरण से एकत्र कर सकते हैं– फिर आप चाहे ग्रामीण परिवेश में हों या शहरी – इनसे आपको कक्षा में मदद मिल सकती है। इनमें अध्ययन करने के लिए चट्टानें तथा पत्थर और गत्ता, कागज, तार, लकड़ी, वस्त्र तथा प्लास्टिक के कंटेनर आदि जैसी दोबारा बनाने योग्य सामग्रियां शामिल हो सकती हैं।

इन सभी और अन्य अनेक सामग्रियों को बहुत समय लेकर एकत्र किया जा सकता है जिससे जब भी आपको उनकी आवश्यकता हो, आप उनका तत्काल उपयोग कर सकें। उदाहरण के लिए, जब आप चाहते हैं कि आपकी कक्षा द्वारा विज्ञान से संबंधित पोस्टर तैयार किए जाएं तो प्रत्येक समूह द्वारा लिखने के लिए कुछ कार्ड हमेशा आपके पास होंगे। हमेशा पूछें कि क्या आपको दिखाई देने वाली सामग्री को आप अपने साथ ला सकते हैं। अपनी कक्षा से अपने पाठों के पहले सामग्रियों को जुटाने में आपकी मदद करने के लिए कहें।

4 संसाधनों के रूप में विद्यार्थियों का इस्तेमाल करना

नौवीं और दसवीं कक्षा में विद्यार्थी ‘मानव जीवविज्ञान’ के बारे में थोड़ा अध्ययन करते हैं। अधिकांश कार्य सीधे तौर पर उनके शरीर से जुड़ा रहता है। उदाहरण के लिए, जब वे कोहनी से अपनी बाजुओं को मोड़ते हैं तब वे इस बात को महसूस कर सकते हैं कि उनकी मांसपेशियां सिकुड़ती और फैलती हैं। स्वभाविक रूप से विद्यार्थियों को अपने शरीर में रूचि होती है। विद्यार्थी विज्ञान जो आप सिखाना चाहते हैं इसलिए उन्हें उन चीजों से जोड़ें जिन्हें वे स्वयं ही देख सकें जो उनके लिए बहुत प्रेरणात्मक होता है। स्वयं के साथ विज्ञान को जोड़ने से उन्हें यह सीखने में भी मदद मिल सकती है कि स्वस्थ जीवन किस प्रकार से व्यतीत करें। उदाहरण के लिए, ‘हम बीमार क्यों होते हैं?’ वे स्वयं अपने जीवन पर विचार कर सकते हैं जिससे वे व्यक्तिगत स्वच्छता और स्वस्थ बने रहने में जुड़ाव को समझ सकें। केस स्टडी 4 में, उदिता ने पाचन तंत्र के बारे में पढ़ाने का तरीका खोजा है।

केस स्टडी 4: अध्यापिका उदिता यह समझा रही हैं कि उन्होंने मानव पाचन तंत्र के बारे में किस प्रकार से पढ़ाया था

श्री सिंहउदिता, आज जब मैं आपकी कक्षा के पास से गुजरा, तो मैंने देखा कि आप कुछ बहुत रूचिकर काम कर रही थीं। यदि आप मुझे इसके बारे में बताएँ तो मैं आपका बहुत आभारी रहूंगा। आपके विद्यार्थी बहुत तन्मयता से पढ़ रहे थे!
अध्यापिका उदितानिश्चित रूप से, श्रीमान सिंह। मैं मानव पाचन तंत्र के बारे में पाठ पढ़ा रही थी। मैंने अपने विद्यार्थियों से अपनी पाठ्यपुस्तकों को बन्द करने के लिए कहा, क्योंकि मैं यह देखना चाहती थी कि उन्हें क्या याद है? मैंने ब्लैकबोर्ड पर उन अंगों के नाम लिखे जो कि पाचन तंत्र का हिस्सा होते हैं। मैंने अपने विद्यार्थियों को पांच–पांच के समूहों में विभाजित किया। प्रत्येक समूह के पास कैंची, कुछ कागज, एक टेप तथा एक पेन था। उन्हें प्रत्येक अंग को दर्शाने के लिए एक आकृति तैयार करनी थी और फिर किसी मानीटर पर उसे चिपकाना था जिससे यह दिखाया जा सके कि यह अंग शरीर में कहां पर है?
श्री सिंहआपने समूहों में विभाजन कैसे किया था?
अध्यापिका उदितामैंने यह सुनिश्चित किया था कि प्रत्येक समूह में उच्च और निम्न क्रिया कलाप करने वाले विद्यार्थी हैं। मुझे आशा थी कि उच्च निष्पादन करने वाले विद्यार्थी, दूसरे विद्यार्थियों की सहायता करेंगे। मैंने अभ्यास को पूरा करने के लिए उन्हें लगभग दस मिनट का समय दिया। इसके बाद स्वयंसेवक आगे बढ़कर एक लाइन में खड़े हो गए जिनके कपड़ों पर कागज की आकृतियां लगी हुई थीं जिससे यह दर्शाया जा सके कि अंग कहां पर होते हैं? यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वे कितने अलग नजर आ रहे थे, प्रत्येक खुश था।
श्री सिंहइसके बाद आपने क्या किया?
अध्यापिका उदितामैने उन्हें यह भी समझाया कि उन्हें सही सापेक्षिक आकार तथा अंगों की समीपवर्ती स्थितियों को बताने पर श्रेय भी दिया जाएगा। प्रत्येक समूह ने स्वयंसेवकों पर चिन्हित करने के लिए अपनी पाठ्यपुस्तक में पाचन तंत्र के रेखाचित्र का प्रयोग किया। इसके बाद मैंने प्रत्येक समूह से यह बताने के लिए कहा कि उन्होंने किस स्वयंसेवक को अधिकतम अंक दिए हैं, और यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?
श्री सिंहऐसा लगता था कि वे इस गतिविधि का आनन्द ले रहे थे। क्या आपके विचार से उन्होंने पाचन तंत्र के बारे में कुछ सीखा?
अध्यापिका उदिताजी हां, उन्होंने सीखा। सबसे पहले तो, उनमें से कुछ विद्यार्थियों को इससे आवश्यक अंगों के नाम याद रखने में सहायता प्राप्त हुई। आकार बनाकर उन अंगों के आकार और उनकी स्थिति के बारे में विचार करते हुए उन्हें उस अंग के कार्य और पाचन की प्रक्रिया के समय क्या होता है? इस पर भी विचार करना पड़ा था। मैने उनकी बातचीत को सुना था तथा यह सुन सकती थी कि कुछ उच्च विद्यार्थी जल्दी पूर्ण करके अपने समूह के दूसरे सदस्यों को पाचन के बारे में समझा रहे थे। बहुत अधिक शोर हो रहा था, लेकिन सभी विज्ञान की चर्चा कर रहे थे। मैंने मोबाइल फोन से प्रत्येक स्वयंसेवक की तस्वीर खींची तथा इन तस्वीरों का प्रयोग इस बात को याद रखने के लिए करुंगी कि वे कहां गलत थे जिससे मैं कल की पाठ योजना और अच्छी बना सकूं।

विचार के लिए रुकें

उन दो तरीकों की पहचान करें जिन्हें आपने इस इकाई के दौरान सीखा है तथा जिनका आप अपनी कक्षा में इस्तेमाल कर सकते हैं और वे दो विचार जिन पर आप और आगे काम करना चाहते हैं।

5 सारांश

इस इकाई में आपने उन कुछ तरीकों के बारे में जाना जिनमें ‘जीवन प्रक्रियाएं’ पाठ को पढ़ाने में आपकी सहायता के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग कर सकते हैं। इन सभी तरीकों का प्रयोग विज्ञान की पाठ्यचर्या के अनेक अन्य पहलुओं के शिक्षण के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।

इस यूनिट का मुख्य विचार यह है कि एक साधन संपन्न अध्यापक के रूप में आप इस बात पर अपने विचार केंद्रित करें कि,’‘थोड़े सृजनात्मक और कल्पनाशील चिंतन से यह संभव है’’ न कि, ‘यह असंभव है क्योंकि हमारे पास संसाधन नहीं है’। आपकी सोच में बदलाव आने में कुछ समय लग सकता है। आपके पास कुछ अनुभव है, इसलिए आप साधन संपन्न अध्यापक बनने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

संसाधन

संसाधन 1: स्थानीय संसाधनों का प्रयोग करना

केवल पाठ्यपुस्तकों के अलावा शिक्षण के लिए अनेक शिक्षण संसाधनों का प्रयोग किया जा सकता है। यदि आप ऐसे भिन्न–भिन्न तरीकों से शिक्षण करते हैं, जिनमें विद्यार्थी अलग–अलग इंद्रियों (दृश्य, श्रवण, स्पर्श, गंध, स्वाद) का प्रयोग करते हैं, तो आप उन अलग अलग तरीकों को अपील कर पाएंगे जिनसे विद्यार्थी सीखते हैं। आपके आसपास संसाधन भरे पड़े हैं जिनका आप अपनी कक्षा में प्रयोग कर सकते हैं, तथा जिनसे विद्यार्थियों के शिक्षण में सहायता मिल सकती है। स्कूल बहुत कम खर्च या मुफ्त में अपने शिक्षण संसाधनों को तैयार कर सकता है। स्थानीय रूप से इन सामग्रियों को प्राप्त करने से, पाठ्यक्रम और विद्यार्थियों के जीवन के बीच में संबंध जोड़े जाते हैं।

आप अपने आसपास के पर्यावरण में ऐसे लोगों को खोज पाएंगे जो अनेक विषयों के संबंध में अनुभव रखते हैं; आप अनेक प्राकृतिक संसाधनों को भी खोज सकते हैं। इससे आपको स्थानीय समुदाय के साथ संबंध बनाने में, इसके महत्व को दिखाने में, विद्यार्थियों को उनके पर्यावरण की समृद्धि और विविधता को देखने के लिए उत्प्रेरित करने में, और सबसे महत्वपूर्ण रूप से, आपको विद्यार्थियों के शिक्षण के लिए एक समावेशी कार्य पद्धति अर्थात स्कूल में और स्कूल के बाहर सीखने, की दिशा में काम करने में सहायता मिल सकती है।

अपनी कक्षा का अधिकतम उपयोग करना

लोग के लिए जितना संभव हो सकता है, अपने घरों को आकर्षक बनाने के लिए काम करते हैं। उस पर्यावरण के बारे में सोचना सर्वाधिक उपयुक्त होता है, जिसमें आप यह आशा करते हैं कि आपके विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करेंगे। शिक्षण के लिए अपनी कक्षा और स्कूल को आकर्षक बनाने के लिए जो कुछ भी आप कर सकते हैं, उससे विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ऐसे अनेक कार्य हैं जिन्हें आप विद्यार्थियों के लिए अपनी कक्षा को रूचिकर और आकर्षक बनाने के लिए कर सकते हैं– उदाहरण के लिए, आप;

  • पुरानी पत्रिकाओं और ब्रोशर आदि से पोस्टर बना सकते हैं
  • वर्तमान विषय से संबंधित वस्तुएं और कलाकृतियों को ला सकते हैं
  • अपने विद्यार्थियों के कार्य को प्रदर्शित कर सकते हैं
  • नवीन ज्ञान को सीखने के लिए तत्पर रहें, जिससे विद्यार्थियों में उत्सुकता बनी रहे और वे नई बातों को सीखने के प्रति उत्साहित रहें।

अपनी कक्षा में स्थानीय विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग करना

यदि आप पैसे के संबंध में या गणित में मात्राओं के बारे में काम कर रहे हैं, तो आप व्यापारियों या दर्जियों को अपनी कक्षा में बुला सकते हैं। जिससे वे आकर यह समझा सकें कि वे अपने कार्य में गणित का इस्तेमाल किस तरह से करते हैं? वैकल्पिक रूप से, यदि आप मेहंदी डिजाइनरों को स्कूल में बुला सकते हैं? वे भिन्न–भिन्न आकारों, डिजाइनों, परम्पराओं और तकनीकों को समझा सकें। मेहमान को आमंत्रित करना उस समय सबसे बेहतरीन रूप से काम करता है जब उसे शैक्षिक लक्ष्यों की जानकारी हो।

आपके पास स्कूल समुदाय में विशेषज्ञ उपलब्ध हो सकते हैं जैसे (रसोइया या देखभालकर्ता) जिन्हें विद्यार्थियों द्वारा अपने शिक्षण के संबंध में प्रतिबिंबित किया जा सकता है अथवा उनके साथ साक्षात्कार कर सकते हैं; उदाहरण के लिए, पकाने में इस्तेमाल की जाने वाली मात्राओं का पता लगाने के लिए, या स्कूल के मैदान या भवनों पर मौसम संबंधी स्थितियों का कैसे प्रभाव पड़ता है।

बाहरी पर्यावरण का इस्तेमाल करना

आपकी कक्षा के बाहर ऐसे अनेक संसाधन उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग आप पाठों में कर सकते हैं। आप पत्तियों, मकड़ियों, पौधों, कीटों, चट्टानों या लकड़ी जैसी वस्तुओं को एकत्र कर सकते हैं (अथवा कक्षा को एकत्र करने के लिए कह सकते हैं)। इन संसाधनों को अंदर लाने से कक्षा में रूचिकर प्रदर्शन तैयार किए जा सकते हैं जिनका संदर्भ पाठों में किया जा सकता है। इनसे चर्चा या प्रयोग आदि करने के लिए वस्तुएं प्राप्त हो सकती हैं जैसे वर्गीकरण से संबंधित गतिविधि, या सजीव या निर्जीव वस्तुएं। इस सम्बन्ध में अन्य संसाधन भी हो सकते हैं जैसे समय सारणियां या विज्ञापन, जो संभवतः तत्काल उपलब्ध हो सकते हैं तथा आपके स्थानीय समुदाय से संबंधित भी हो सकते हैं– शब्दों की पहचान करने, गुणवत्ताओं की तुलना करने या यात्रा समयों की गणना करने जैसे कार्यों को तय करके इनका प्रयोग शिक्षण संसाधनों के रूप में किया जा सकता है।

लेकिन बाहरी स्थान भी आपकी कक्षा का विस्तार हो सकते हैं। विद्यार्थियों को बाहर ले जाकर कक्षा का विस्तार कर सकते हैं बाहर जाने पर सभी विद्यार्थी अधिक आसानी से देख सकते हैं। जब आप सीखने के लिए कक्षा को बाहर ले जाते हैं, तो वे निम्नलिखित गतिविधियो को भी कर सकते हैं।

  • दूरियों का अनुमान लगाना और उनका माप करना
  • यह दर्शाना कि घेरे पर हर बिन्दु केन्द्रीय बिन्दु से समान दूरी पर होता है
  • दिन के भिन्न–भिन्न समय पर परछाई की लंबाई को रिकार्ड करना
  • संकेतों और निर्देशों को पढ़ना
  • साक्षात्कार और सर्वेक्षण आयोजित करना
  • सौर पैनलों का पता लगा सकते हैं
  • फसल के विकास और वर्शा की निगरानी कर सकते हैं

कक्षा–कक्ष के बाहर सीखने की प्रक्रिया तथा उनके स्वयं के अनुभवों पर आधारित होता है, अन्य संदर्भों में अधिक लागू किया जा सकता है।

यदि, बाहर काम करने के लिए आपको स्कूल परिसर से बाहर जाना पड़ता है, तो बाहर जाने से पहले आपको स्कूल के मुखिया से अनुमति लेनी चाहिए, समय की योजना बनाएं, सुरक्षा की जांच करें और विद्यार्थियों को स्पष्ट रूप से नियम बता दें। इससे पहले कि आप बाहर जाएं, विद्यार्थियों को यह बात स्पष्ट रूप से पता होनी चाहिए कि किस संबंध में जानकारी प्राप्त की जाएगी।

संसाधनों को अनुकूलित करना

चाहें तो आप मौजूदा संसाधनों को विद्यार्थियों के लिए कहीं अधिक उपयुक्त बनाने हेतु उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं। ये परिवर्तन छोटे हो सकते हैं लेकिन इनसे अंतर बहुत बड़ा पड़ सकता है, विशेष रूप से यदि कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए शिक्षण को प्रासंगिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, आप स्थान और लोगों के नाम बदल सकते हैं यदि वे दूसरे राज्य से संबंधित है। या गाने में व्यक्ति के लिंग को बदल सकते हैं। या कहानी में शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे को शामिल कर सकते हैं। इस प्रकार से आप संसाधनों को कक्षा और उनके शिक्षण के लिए अधिक समावेशी और उपयुक्त बना सकते हैं।

साधन संपन्न होने के लिए सहकर्मियों के साथ काम करें। संसाधनों को विकसित करने और उन्हे अनुकूलित करने के लिए आपके बीच ही आपको कई कुशल व्यक्ति मिल जाएंगे। कोई सहकर्मी संगीत में कुशल हो सकता है। दूसरा कठपुतली बनाने या बाह्य विज्ञान से जुड़ी व्यवस्थाएं करने में कुशल हो सकता है। आप कक्षा में प्रयोग में लाए जाने वाले संसाधनों को सहकर्मियों के साथ साझा कर सकते हैं जिससे आप स्कूल के सभी क्षेत्रों में एक समृद्ध शिक्षण पर्यावरण का सृजन कर सकें।

संसाधन 2: पौधों को समझना

इस गतिविधि से आपको यह देखने का अवसर मिलेगा कि आपको कोई गलतफ़हमियां तो नहीं हैं तथा आप दूसरों की आम गलतफ़हमियों के बारे में अधिक जान पाएंगे।

आप पौधों के बारे में क्या जानते हैं? निम्नलिखित प्रश्न आपको पता लगाने में सहायता करेंगे

यहाँ पौधों के बारे में कुछ कथन दिए गए हैं– ये सही हैं अथवा गलत?

  • सभी पौधे रात में कार्बन डाइआक्साइड का इस्तेमाल करते हैं।
  • पौधे एक प्रक्रिया दिन में और दूसरी प्रक्रिया रात में निष्पादित करते हैं।
  • पौधों में कार्बन डाइआक्साइड का इस्तेमाल उसी उद्देश्य के लिए किया जाता है जिस उद्देश्य से जानवरों में आक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता है।
  • पौधे के आहार का एक हिस्सा सूरज की रोशनी है।
  • पौधे मृदा में शर्करा का आहार के रूप में सेवन करते हैं।
  • पौधे आक्सीजन छोड़ते हैं।
  • पौधे कार्बन डाइआक्साइड छोड़ते हैं।
  • पौधे दिन के समय आक्सीजन का इस्तेमाल करते हैं।
  • पौधे दिन के समय कार्बन डाइआक्साइड का प्रयोग करते हैं।
  • कार्बन डाइआक्साइड और पानी पौधों का आहार होते हैं।

उत्तर

  • गलत: पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से ‘भोजन’ (शर्करा) बनाने के लिए कार्बन डाइआक्साइड का प्रयोग करते हैं। ऐसा करने के लिए पौधों को सूरज की रोशनी की आवश्यकता होती है (पराबैंगनी विकिरण)।
  • गलत: आम गलतफ़हमी यह है कि पौधे दिन के समय प्रकाश संश्लेषण की क्रिया और रात में श्वसन करते हैं। सभी सजीव चीजों की तरह वे हर समय श्वसन करते हैं। श्वसन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से जमा किए गए आहार को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, जिसकी आवश्यकता जीवित रहने के लिए सजीव प्राणियों को होती है।
  • गलत: यह गलतफहमी इसलिए पैदा होती है क्योंकि पौधों को जानवरों के विपरीत माना जाता है।
  • गलत: बच्चों में आहार और पौष्टिकता के संबंध में बहुत अधिक मानव–केन्द्रित दृष्टिकोण होता है, इसलिए जो कुछ भी पौधे द्वारा प्रयोग में लाया जाता है या ग्रहण किया जाता है, उसे आहार माना जाता है।
  • गलत: यह गलतफ़हमी बड़े पैमाने पर व्याप्त है कि जानवरों की तरह पौधे अपना आहार बाह्य पर्यावरण से लेते हैं। आखिर, दुकानों पर आपको पौधों के आहार की बोतलें खरीदने को भी तो मिलती हैं! पौधे मृदा से शर्करा प्राप्त करते हैं, यह इस गलतफ़हमी और इस विचार के बीच की बात है कि पौधों का आहार शर्करा होती है।
  • सही: ऑक्सीजन प्रकाश संश्लेषण का सह–उत्पाद है और इसे पत्तियों के छोटे छिद्रों द्वारा प्रदान किया जाता है जिन्हें रन्ध्र कहा जाता है।
  • सही: पौधे निरन्तर श्वसन करते रहते हैं तथा श्वसन से कार्बन डाइआक्साइड अपशिष्ट पदार्थ की उत्पत्ति होती है। प्रकाश संश्लेषण और श्वसन दोनों दिन के प्रकाश में एक साथ होते हैं, लेकिन कार्बन डाइआक्साइड लिया जाता है और ऑक्सीजन छोड़ा जाता है।
  • सहीः पौधे श्वसन के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग करते हैं
  • सहीः पौधे प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइआक्साइड का प्रयोग करते हैं।
  • गलत: बच्चों में आहार और पौष्टिकता के संबंध में बहुत अधिक मानव–केन्द्रित दृष्टिकोण होता है, इसलिए जो कुछ भी पौधे द्वारा प्रयोग में लाया जाता है या ग्रहण किया जाता है, उसे आहार माना जाता है। उनके लिए यह समझना कठिन हो जाता है कि पौधे अपना आहार (शर्करा) CO2और पानी से स्वयं तैयार करते हैं।

अतिरिक्त संसाधन

References

Daluba, N.E. (2012) ‘Evaluation of resource availability for teaching science in secondary schools: implications for Vision 20:2020’, Journal of Emerging Trends in Educational Research and Policy Studies, vol. 3, no. 3, pp. 363–7.
Musa, M.J. (1996) ‘Teaching chemistry by improvisation using local available materials’, Children – In-science and Technology (CIST) Journal, vol. 6, no. 2, pp. 50–56.
The Open University, ‘Level 1: Being a biology specialist’, in Science Specialism Module: Biology. PGCE Science, Level 1 modules. Available from: https://learn2.open.ac.uk/ mod/ oucontent/ view.php?id=141675&section=1 (accessed 2 June 2014).
Yitbarek, S. (2012) ‘Low-cost apparatus from locally available materials for teaching-learning science’, African Journal of Chemical Education, vol. 2, no. 1 (Special Issue), pp. 32–47.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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