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भौतिक मॉडलों का उपयोगः कक्षा 10 में विद्युत् का शिक्षण

यह इकाई किस बारे में है

विज्ञान को प्रायः एक ’कठिन विषय’ माना जाता है। माध्यमिक स्कूलों के विद्यार्थी जिस समय सार्वजनिक परीक्षाएं देते हैं, उनकी विज्ञान में सफलता अमूर्त विचारों और मॉडलों को समझने के साथ ही अंकों के ज्ञान, लिखने–पढ़ने के सामर्थ्य और तथ्यपरक ज्ञान के भंडार को जानने की क्षमता पर निर्भर करती है। शिक्षक विद्यार्थियों को संरचित अनुभव प्रदान करते हुए उनकी समझ को बढ़ाते है जो विद्यार्थियों को मॉडलों के विकास करने में मद्द प्रदान करती है। ये मॉडल विद्यार्थियों को जानकारी और अवधारणाओं को प्रभावी ढंग से आत्मसात करने योग्य बनाते हैं, जिससे विद्यार्थी उन्हें सिर्फ याद ही नहीं रखते, बल्कि उनका यथोचित उपयोग भी करते हैं।

विद्यार्थियों को परिष्कृत मानसिक मॉडल विकसित करने के लिये मदद करने का एक तरीका है भौतिक मॉडलों का उपयोग करना। वस्तुओं या अवधारणाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली चीज़ों का उपयोग करते हुए विद्यार्थियों को किसी विषय में अपनी समझ विकसित करने में मदद करने में भौतिक मॉडल सहायक होते हैं। विद्यार्थी इन सामग्रियों के साथ काम करते हैं’, तो पाठयपुस्तक पढ़ने या द्वि–आयामी चित्र देखने की अपेक्षा उनकी अधिक गहरी समझ बनती है। भौतिक मॉडलों के साथ, विद्यार्थी व्यवहार, तारतम्य और जुड़ाव के बारे में जानते हैं, और भविष्यवाणियाँ करते हैं। विद्यार्थियों को अलग अलग मॉडलों की क्षमता और सीमाएं को भी जानना चाहियें।

इस यूनिट में विद्यार्थियों द्वारा विद्युत को समझने के लिये भौतिक मॉडलों के उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा। आप भौतिक मॉडलों के बारे में जो सीखेंगे वह अन्य विषयों पर भी लागू होगा। आप अन्य TESS–India यूनिट में विद्यार्थियों को मानसिक मॉडल विकसित करने में मदद करने के बारे में सीख सकते हैं।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • अच्छे मॉडलों के लक्षण, प्रकार तथा समानताऍ।
  • विद्युत के बारे में पढ़ाने के लिए प्रयुक्त भौतिक मॉडलों की क्षमता एवं सीमाएं।
  • विद्युत के बारे में आपके विद्यार्थियों को बेहतर तरीके़ से समझने में मदद के लिए भौतिक मॉडलों करने के उपयोग के कुछ तरीक़े।

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

अनेक विद्यार्थियों को विद्युत एक कठिन या चुनौतीपूर्ण विषय लगता है। इसका एक कारण यह है कि विद्युत के बारे में सीखने के लिये अमूर्त अवधारणाएं तथा आंखों से नहीं दिखने वाली वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, जैसे आवेश और इलेक्ट्रॉन।

भौतिक मॉडल और इसके समान अन्य समाग्री से अमूर्त अवधारणाओं को ’मूर्त स्वरूप’ प्रदान करने में मदद मिलती हैः

  • विद्यार्थियों को ऐसी वस्तुओं या प्रक्रियाओं को कल्पना में देखने में मदद करके जिन्हें वे सीधे नहीं देख सकते (जैसे, किसी वस्तु के आकार या किसी प्रक्रिया में लगने वाला समय बहुत बड़ा या बहुत छोटा हो)
  • किसी जटिल समस्या को सरल बनाने में
  • विद्यार्थियों वस्तुओं को उलट–पुलट कर देख सकते हैं जिससे वह अवधारणा उनके मन में और पक्की हो जाएं या किसी प्रणाली के अलग अलग भागों के बीच के संबंध को जान सकते हैं।
  • मॉडल को उलट–पुलट करके विद्यार्थी यह देख सकते हैं कि वह जिस वस्तु का मॉडल है वह वस्तु कैसे काम करती है।

विद्युत की पढ़ाई भौतिक मॉडलों के साथ करने से विद्यार्थी अपनी कल्पनाओं को परख सकते हैं, भविष्यवाणियाँ कर सकते हैं और इसके प्रभावी मानसिक मॉडल विकसित कर सकते हैं।।

मॉडल और इसके जैसी अन्य सामग्री दोनों की ही अपनी क्षमता और सीमाएं होती हैं। एक सन्दर्भ में काम करने वाला मॉडल हो सकता है कि दूसरे सन्दर्भ में काम न करे। ’सही’ मॉडल से मदद मिलती है, लेकिन ’गलत’ मॉडल से सीखने में कठिनाई आ सकती है। विद्युत परिपथों के भौतिक मॉडलों का अंदाज़ा करने में एक अच्छे मॉडल की विशेषताओं के बारे में सोचना पड़ता है। इसका संबंध संपूर्ण वैज्ञानिक कौतूहल से है, सिर्फ विद्युत से नहीं।

1 विद्यार्थियों को विद्युत के बारे में क्या कठिनाई महसूस होती है?

अवधारणाएं अमूर्त होने के अलावा, ऐसा भी संभव है कि विद्यार्थी ने रोज़मर्रा के अनुभव के आधार पर विद्युत के बारे में गलतफहमियां बना ली हों। उदारहण के लिये, छोटे विद्यार्थी किसी विद्युत उपकरण को एक ही तार से विद्युत की सप्लाई से जुड़ा देखते हैं, लेकिन उन्हे यह सीखना पड़ता है कि इस उपकरण के चलने के लिये इसके अंदर एक पूरा परिपथ होना जरूरी है।

अनुसंधान से पता चला है कि विद्युत परिपथ के बारे में कुछ गलतफहमियाँ बड़े विद्यार्थियों में भी पाई जाती हैं। इन गलतफहमियों में शामिल हैं वे उदाहरण जो तालिका 1 में दिये हैं।

तालिका 1 विद्युत परिपथों की गलतफहमियाँ
विद्यार्थी का विचारमान्य वैज्ञानिक विचार
बैटरी से विद्युत प्रवाह या आवेश मिलता हैबैटरी वह विभान्तर प्रदान करती है जो आवेश को परिपथ में चलाने के लिये आवश्यक होता है।
परिपथ के घटको (उपकरणों) द्वारा विद्युत धारा का उपयोग कर लेते है।किसी भी श्रेणी परिपथ में प्रवाह एकसमान होता है। इन गलतफहमियों को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम विद्यार्थियों को बत्ती के दोनों ओर अमीटर के एक समान आंकड़े दिखाते हुए उसके विपरीत सबूत दें, लेकिन कुछ विद्यार्थी अब भी इसी विचार को मान सकते हैं

कुछ विद्यार्थियों को वोल्टेज और धारा या धारा और ऊर्जा में विभेद करना भी कठिन हो सकता है।

कुछ विद्यार्थियों के लिये, से आसान परिपथ के आरेख के अनुरूप तारों और उपकरणों से जोड़ना कठिन हो सकता है जिन्हें वे परिपथों के साथ काम करते समय देखते हैं। कई परिपथों की बनावट में समझने के लिये जब तक आप परिपथ मे कौन–सी चीज़ कहाँ जुड़ी है जैसे कि ये श्रेणी क्रम में जुड़ी है या समांतर क्रम में आदि पूछते हुए परिपथ का वर्णन नहीं करेंगे तो आपके विद्यार्थियों के लिए इसके महत्वपूर्ण भाग को समझना कठिन हो सकता है।

केस स्टडी 1: विद्युत के बारे में सीखते समय आने वाली कठिनाइयाँ

हाल ही में एक प्रशिक्षण के दौरान, कुमारी जोशी ने सीखा कि वे कौन–सी बातें हैं जो विद्युत के बारे में सीखते समय विद्यार्थियों के लिए कठिन लगती हैं।

प्रशिक्षण सत्र में उन कठिनाइयों पर चर्चा की जो कई विद्यार्थियों के सामने आती हैं जब वे विद्युत के बारे में सीखते हैं और ये भी देखा कि पाठ के दौरान हमारा सामना इनसे कहाँ पर हो सकता है।

हमने शुरूआत बैटरी के कार्य के बारे में चर्चा करते हुये किया। लेकिन जल्दी ही ग़लतफहमी में डालने वाली और बातें भी सामने आईं। मैंने इसके बारे में पहले नहीं सोचा था, लेकिन जैसे हम चर्चा करते गए, मुझे अहसास हुआ कि मेरे पढ़ाए हुए कई विद्यार्थियों में यह समस्या देखी है। उन्हें लगता था कि बैटरी ही आवेश प्रदान कर रही है, और वह ऐसा करती रहेगी क्योंकि आवेश परिपथ के उपकरणों से प्रवाह के कारण ’खर्च’ हो जा रहा है। विद्यार्थियों को यह विश्वास नहीं है कि आवेश तो पहले से ही था और बैटरी ने आवेश को चलाने के लिये विभवांतर प्रदान किया है। स्विच को बंद (ऑन) करने से हर चीज़ एकसाथ कैसे चालू हो सकती है? परिपथ में प्रति सेकेण्ड प्रति मिली। पर आवेश में कमी होने का कोई मतलब नहीं रह जाता यदि आवेश पहले से ही वहॉ मौजूद न हो ...

जब हम कक्षा 10 के विद्युत पाठ में आने वाली कठिनाइयों पर चर्चा कर रहे थे। तब मुझे अहसास हुआ कि इन गलतफहमियों और कठिनाइयों के कारण तो बार–बार समस्याएं आएंगी। मुझे अपने पाठों की योजना बनाते समय इन कठिनाइयों का ध्यान रखना होगा।

विचार के लिए रुकें

  • विद्युत के विषय में आपके विद्यार्थियों को कौन–सी बात विशेषकर कठिन लगी?
  • जब आप विद्युत के बारे में पढ़ा रहे थे तब क्या ऊपर वर्णन की गई गलतफहमियों में से कोई आपने देखी?

गतिविधि 1: विद्यार्थियों को विद्युत के बारे में पढ़ाने की तैयारी करना

किसी विशेष पाठों के दौरान आपके विद्यार्थियों को किस प्रकार की कठिनाइयाँ आ सकती हैं इस बात को ध्यान में रखते हुए यह गतिविधि विद्युत के बारे में पढ़ा ने की योजना बनाने में आपकी मदद करेगी।

कक्षा X की पाठयपुस्तक के विद्युत से सम्बन्धित पाठ के प्रत्येक भाग को देखिये और पहचानिये कि प्रत्येक भाग में कौन–कौन से मुख्य बिंदु और कठिनाइयों हैं। अपने विचारों को दर्ज करने के लिये तालिका 2 का उपयोग करें। (एक अन्य गतिविधि में आप इन कठिनाइयों का सामना करने की कुछ संभावित रणनीतियॉ देखेंगे।)

जब आप यह कार्य समाप्त कर लें, तब संसाधन 1 से अपने लिखे हुए का मिलान करें, जिसमें कुछ संभावित टिप्पणियाँ सम्मलित हो।

तालिका 2 विद्यार्थियों को विद्युत के बारे में पढ़ाने की योजना बनाना।
खण्डगतिविधिमुख्य शैक्षणिक बिंदु / इस गतिविधि और साथ के पाठ से विद्यार्थियों को मुझे क्या सिखाना है?कठिनाइयों के स्त्रोत?
1

परिपथ में आवेश (कूलम्ब में मापा जाता है) का प्रति सेकंड प्रवाह ही विद्युत धारा (एम्पीयर में मापा जाता) है

अमीटर द्वारा मापी गयी विद्युत धारा पारम्परिक प्रवाह की माप + से – की और होता है।

विद्युत धारा और इलेक्ट्रॉन एक चालक से हो कर जाते हैं। विद्युत धारा का प्रवाह तुरंत होता है, लेकिन इलेक्ट्रान की गति लगभग 1 मि.मि. प्रति सेकंड होती है

आवेश दिखाई नहीं देता है।

इलेक्टॉनों की धीमी गति को तुरंत चलने वाले विद्युत प्रवाह से जोड़ते हुए करते है।

2
3
44.1
4.2
4.3
55.1
66.1
6.1.2
77.1
7.1.2
88.1

2 विद्युत के बारे में सीखने में मदद के लिये मॉडलों का उपयोग करना।

शिक्षक अनेक मॉडलों और मॉडल जैसी अन्य वस्तुओं का उपयोग करके विज्ञान की अवधारणाओं के बारे में विद्यार्थियों के ज्ञान और समझ को विकसित करते हैं।

मॉडल और मॉडल जैसी अन्य वस्तुओं, अपरचित अवधारणाओं को विद्यार्थियों के दैनिक जीवन के परिचित अनुभवों से जोड़ते है। उदाहरण के लिये, विद्युत परिपथों का वर्णन करने के लिये अक्सर जिस समानता का उपयोग किया जाता है वह है– ’चालक में बहता हुआ विद्युत धारा वैसा ही है जैसे नदी या पाइप में बहता हुआ पानी’।

भौतिक मॉडलों में ठोस, वास्तविक वस्तुओं का उपयोग करके किसी वस्तु के भाग या प्रणाली को दर्शाने के लिये किया जाता है। (चित्र 1)। विद्यार्थी वास्तविक वस्तुओं को छू कर अवधारणाओं, प्रक्रियाओं और संबंधों का वर्णन तथा उनकी खोज करते हैं। उदाहरण के लिये, किसी विद्युत परिपथ के विभवांतर में बदलाव का प्रभाव दर्शाने के लिये आप ऐसी किसी पटरी को झुका कर दिखा सकते हैं जिस पर कंचे हों, जब पटरी सीधी होती है तब कंचे लुढ़कते नहीं हैं, लेकिन जब वह झुकी होती तब कंचे ऊंचाई से नीचे की ओर लुढ़कते हैं। (कंचे विद्युत प्रवाह हैं और झुकाव विभवांतर है।) यदि विभवांतर नहीं हो, तो परिपथ में विद्युत धारा बहेगी ही नहीं। लेकिन यदि आप विभवांतर बढ़ा दें, तो धारा का बहाव बढ़ेगा।

चित्र 1 भौतिक मॉडल को बनाता हुआ विद्यार्थियों का एक समूह। चेन लगा हुआ एक पेंसिल केस मानों एक परिवर्तनशील प्रतिरोधक है।

कम्प्यूटर पर बनने वाले मॉडलों को भौतिक मॉडल में सम्मिलित किया जाता है। विद्यार्थियों को भी मॉडल के हिस्से के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, विद्यार्थियों के साथ एक वार्तालाप गतिविधि की जा सकती है जिसमें एक व्यक्ति बैटरी है जो उस रस्सी के घेरे को खींचता है जिसे समूह ने सहारा दे रखा है; चलती हुई रस्सी परिपथ में चलते हुए आवेश को दर्शाती है। इंटरनेट पर अनेक कम्प्यूटर से बनने वाले मॉडल उपलब्ध हैं। आप अपने विद्यार्थियों को किसी इंटरनेट कैफे पर जा कर मॉडल ढूंढ़ने के लिये कह सकते हैं।

विद्यार्थियों के साथ किसी भी मॉडल का उपयोग करने में एक अहम बात है कि पूरी प्रक्रिया यह परस्पर संवादात्मक होना चाहिये। आप विद्यार्थियों को सीधे नहीं बताएं कि मॉडल क्या है? आप उनसे प्रश्न पूछें जैसे कि ’मॉडल के इस भाग का क्या मतलब है?’ या, ’इस मॉडल में प्रतिरोध किससे दर्शाया गया है?’,तथा विद्यार्थियों को उनके विचार रखने के लिये प्रोत्साहित करें। विद्यार्थी उस समय अधिक सीखेंगे यदि वे स्वयं मॉडल में सम्मिलित आपसी संबंधों को पहचानेंगे, बजाय इसके कि उन्हें केवल बता दिया जाए।

विद्यार्थियों को समूह में काम करना चाहिये और एक–दूसरे के साथ अपने विचारों पर चर्चा करनी चाहिये। मॉडल का उपयोग करना और उसके बारे में चर्चा करने से आपके विद्यार्थियों को अपनी समझ बढ़ाने में मदद मिलेगी, तथा जब आप उनकी बातें और चर्चा को सुनेंगे तो आपको और अच्छी तरह से समझ आएगा कि समस्याएं कहां पर हैं।

केस स्टडी 2: विद्युत परिपथों के लिये वार्तालाप गतिविधि का मॉडल

श्री पटेल ने स्थानीय डायट में एक प्रशिक्षण में भाग लिया था और विद्युत परिपथों के लिये एक वार्तालाप गतिविधि का मॉडल देखा। (इन दोनों मॉडलों का विवरण आप संसाधन 2 में देख सकते हैं।)

पिछले सप्ताह मैंने विद्युत पढ़ाने से सम्बन्धित विषय पर आधारित प्रशिक्षण सत्र में प्रतिभाग किया। मुझे पहले तो आश्चर्य हुआ जब प्रशिक्षक ने हमें बताया कि हम विद्युत के लिये एक मॉडल का प्रयोग करने वाले हैं जिसे ’रस्सी का मॉडल’ कहते हैं। मैंने यह मॉडल पहले नहीं देखा था मुझे तब और भी आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि यह एक वार्तालाप गतिविधि जैसा था! मैं लौट कर स्कूल गया और कक्षा X के साथ प्रयोग किया।

कक्षा X में 50 विद्यार्थी थे तो मैंने बारह–बारह के दो और तेरह–तेरह के दो समूह बनाए। हर समूह के पास एक डोरी थी। मैंने उन्हे इसे हल्के से पकड़े रखने के लिए कहा। एक विद्यार्थी ने उसे खींचा।

फिर मैंने हर समूह में से एक विद्यार्थी को चुपके से डोरी को ज्यादा कस कर पकड़ने को कहा। खींचने वाले को डोरी को हिलाना ज्यादा कठिन हो गया और कस कर पकड़ने वाले को अपना हाथ कुछ गर्म लगने लगा।

मैंने श्यामपट पर कुछ प्रश्न लिखेः

  • इस मॉडल में डोरी खींचने वाला किसको दर्शा रहा है?
  • हिलती हुई डोरी किसका प्रतीक है?
  • जब कोई डोरी को ज्यादा कस कर पकड़ता है तो क्या होता है? यह किसका प्रतीक है?
  • यह मॉडल किसी परिपथ में बहती धारा का प्रतीक कैसे है?
  • इस मॉडल से क्या मदद मिलती है?

मैंने अपने विद्यार्थियों को चार के समूह में बाँटा और प्रश्नों के उत्तर देने के लिये कहा। जब वे काम कर रहे थे तब मैंने सभी के पास जा कर उनकी बातें सुनी।

दस मिनट के बाद, मैंने कुछ समूहों में से एक–एक विद्यार्थी को अपने उत्तरों का वर्णन करने के लिए कहा।

आखिर में, मैंने उन्हें फिर सभी विद्यार्थियों को समूहों में बाँटा और हमने फिर वही सब उपर्युक्त जैसा किया। इस बार जब वे डोरी को हिला रहे थे, तब मैंने मॉडल की मुख्य विशेषताओं को दर्शाने के लिये प्रश्नों के उत्तरों का वर्णन किया।

इस मॉडल के बारे में अच्छी बात यह है कि सभी डोरी एक समय एक साथ हिलने लगाती है। एक परिपथ में आवेश भी एक ही साथ चलता रहता है। यही वह बात थी जिसे कई विद्यार्थी समझ नहीं पा रहे थे जब पिछले साल मैंने कक्षा X को विद्युत के बारे में पढ़ाया था। विद्यार्थी सोच रहे थे कि आवेश बैटरी से आता है और परिपथ में घूमता है बजाय इसके कि वह हमेशा वहाँ होता है और जब विभवांतर लाया जाए तब चलना शुरू करता है।

जब किसी ने डोरी को कस कर पकड़ा, तो वह प्रतिरोध लगाने जैसा था। विद्यार्थी ने देखा कि डोरी तो अब भी परिपथ में ही थी, इसका मतलब आवेश परिपथ से जाता नहीं है, जैसा उनमें से कुछ को लग रहा था। कुछ ऊर्जा प्रतिरोध के कारण परिपथ से बाहर निकल रही थी, इसलिए प्रतिरोध बने विद्यार्थी के हाथ गर्म हो रहे थे।

पूरे कार्यक्रम में सिर्फ लगभग 20 मिनट लगे लेकिन मुझे पक्का पता है कि मेरे विद्यार्थियों को विद्युत परिपथ को बेहतर ढ़ंग से समझाने में मदद मिली।

विचार के लिए रुकें

  • विद्युत के बारे में पढ़ाने के लिये आपने किन समानताओं का उपयोग किया उनमें से कौन–सी उपयोगी रहीं?
  • क्या आपने विद्युत के बारे में पढ़ाने के लिये किसी भौतिक मॉडल का उपयोग किया है? वे कौन–से थे?

वार्तालाप गतिविधियों के बारे में अधिक जानकारी के लिये देखें संसाधन 2।

गतिविधि 2: मॉडलों का उपयोग करना

मॉडलों का उपयोग कैसे किया जा रहा है तथा अधिक मॉडलों का उपयोग करना कहां तक सहायक हो सकता है इस पर विचार कराते हुए यह गतिविधि आपको विद्युत के बारे में पढ़ाने की योजना बनाने में मदद करेगी।

आपको गतिविधि 1 में बनाई हुई तालिका की आवश्यकता होगी। तालिका 3 में बताए अनुसार, तालिका में दाईं ओर एक और कॉलम बनाइये।

सम्बन्धित पाठ को फिर से पिढ़ये और पाठ में कौन–से मॉडल और मॉडल से मिलती–जुलती वस्तुओं (समानताऍ) का उपयोग किया गया है।

अन्य मॉडल या समानताएं जोड़ें जो आपके अनुसार सहायक हो सकते हैं।

उदाहरण के लिये पहली पंक्ति भरी गई है। आप रस्सी के मॉडल ’मिठाइयाँ और कप’ नामक अन्य मॉडलों के बारे से संसाधन 3 में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

जब आप तालिका पूरी कर लें, तब अपनी टिप्पणियों को संसाधन 4 से मिला कर देखें।

तालिका 3 पाठयपुस्तक में दिये गये पाठ के साथ कौनसे मॉडल या समानताएं को जोड़ा जा सकता है।
खण्डगतिविधिमुख्य शैक्षणिक बिंदु / इस गतिविधि और साथ के पाठ से विद्यार्थियों को मुझे क्या सिखाना है?कठिनाइयों के स्त्रोत?यहां कौन–से मॉडल या समानताएं उपयोग में आ रही हैं या लाई जा सकती हैं?
1.1

आवेश (कूलम्ब में मापा जाने वाला) का प्रति सेकंड प्रवाह ही विद्युत धारा (एम्पीयर में मापा जाने वाला) है अमीटर द्वारा मापी गयी विद्युत धारा का पारम्परिक प्रवाह की माप + से – की ओर होती है।

विद्युत धारा और इलेक्ट्रॉन एक चालक से हो कर जाते हैं। विद्युत धारा का प्रवाह तुरंत होता है, परन्तु चलन की गति लगभग 1 मि.मि. प्रति सेकंड – 1 होती है

आवेश ऐसी वस्तु नहीं जिसे देखा जा सके इलेक्ट्रॉन के बहाव की दिशा और पारम्परिक प्रवाह को लेकर भ्रम

इलेक्ट्रॉन्स की धीमी गति और धारा के शीघ्र बहाव में मेंल

उपयोग किये जा रहे विद्युत धारा एक प्रवाह के रूप में परिपथ एक सत्त बन्द पथ होता है।परिपथ में किसी प्रकार की टूट हो जाने विद्युत धारा का प्रवाह रूक जाता है।

रस्सी का मॉडल को भी देखें।

1.2  
1.3  
1.41.4.1   
1.4.2   
1.4.3  
1.51.5.1   
1.5.2   
1.5.3  
1.61.6.1   
1.6.2   
1.7   

3 मॉडलों और समानताओं का सामर्थ्य और सीमाएं

मॉडलों और मॉडलो जैसी मिलती–जुलती वस्तुओं (समानताएँ) के इस्तेमाल करने की कुछ सामान्य क्षमता और सीमाएं भी होती हैं, लेकिन प्रत्येक मॉडल और समानता की अपनी सामर्थ्य और सीमाएं भी हैं।

साधारण मॉडल कुछ ही परिस्थितियों में सही काम कर सकते हैं तथा कोई मॉडल जो एक संदर्भ में सही हो वह अन्य सन्दर्भ में गलत भी हो सकता है। कभी–कभी, किसी सन्दर्भ में आप दो या अधिक मॉडलों का उपयोग कर सकते हैं, प्रत्येक का तरीका अलग हो सकता है।

मॉडल या समानता का चुनाव महत्वपूर्ण है। यदि आपके विद्यार्थी किसी वस्तु या परिस्थिति से परिचित नहीं हों, तो उसे आप मॉडल या समानता का हिस्सा नहीं बनाएं, क्योंकि इससे विद्यार्थी भ्रम में पड़ सकते हैं।

अपने मॉडल से उत्पन्न होने वाले संभावित अतिरिक्त गलत फहमियों के बारे में भी जानकारी होना महत्वपूर्ण है। कभी–कभी, शिक्षक के तौर पर आप जिन बातों पर ध्यान नहीं देते उनसे विद्यार्थी विचलित हो सकते हैं, जब विद्यार्थी मॉडल के बारे में सोच कर रहे हों तब कुछ बातें अलग तरह से कर सकते हैं।

उदाहरण के लिये, आप एक ’रोलर कोस्टर’ मॉडल का उपयोग विद्युत परिपथ में विद्युत विभव की आवश्यकता को दर्शाने के लिये करें। यह इस विचार को दर्शाता है कि कार को स्वयं से चलाकर लुढ़काने के पहले उसे खीच कर किसी ऊँची जगह पर ले जाना पड़ता है। और यह विचार कि परिपथ में आवेश सिर्फ घूमता रहता है इससे मेल खाता है कि गाड़ियाँ पटरी पर सिर्फ चलती रहती हैं और चलने के दौरान कोई उनमें से उतरता नहीं। यह उपयुक्त मॉडल हो सकता है, लेकिन संभव है कि आप जो सिखाना चाहते हों, उसके बजाय विद्यार्थी का ध्यान इस पर जाए कि ’रोलर कोस्टर की पहली पहाड़ी सबसे बड़ी होती है’ और तय कर लें कि जब आप परिपथ में जितना आगे चलेंगे उतनी कम ऊर्जा उपलब्ध होगी।

आपको तभी पता चलेगा कि आपके मॉडल के साथ गलतफहमियाँ भी आ गई हैं जब आप अपने विद्यार्थियों से मॉडल के बारे में प्रश्न पूछेंगे और उनकी समझ के बारे में जानने के लिये ध्यान से सुनेंगे। विद्यार्थियों को चित्र बनाने या आपके दिये चित्रों में जानकारी या टिप्पणियाँ जोड़ने के लिये कह कर भी ऐसी बातों का पता लगा सकते हैं। विद्यार्थियों की समझ का पता लगाने के बारे में अधिक जानकारी अधोलिखित यूनिट में पा सकते हैं यूनिट समझ की जाँच-कार्य तथा ऊर्जा में, और मुख्य संसाधन ‘प्रगति और प्रदर्शन का मूल्यांकन’ से प्राप्त कर सकते हैं।

गतिविधि 3: विद्युत परिपथ के दो वार्तालाप गतिविधि के मॉडलों की तुलना

इस गतिविधि से आपको कक्षा के साथ भौतिक मॉडलों का उपयोग और मूल्यांकन करने का अनुभव प्राप्त होगा। इस गतिविधि के आपको संसाधन – 2 की आवश्यकता होगी।

पढ़ाने के दौरान आप कभी भी इनमें से किसी भी मॉडल को दिखा और उपयोग कर सकते हैं, लेकिन विद्यार्थियों से इनकी तुलना और मूल्यांकन विषय के अंत में ही करवाना ठीक रहेगा क्योंकि इससे विद्यार्थी अपनी समझ का पता स्वयं लगा सकेंगे। पाठ से पहले अपने विद्यार्थियों को समूहों में बाँटिये और तय कीजिये कि आप गतिविधि को दोनों मॉडलों के बारे में ज्यादा नहीं बताते हुए यह जानने का प्रयास करे कि वे किस प्रकार शुरू करने वाले हैं?

आपको एक निर्देश सूची या चार्ट पेपर देना होगा जिसमें प्रत्येक मॉडल के आप अपने विद्यार्थियों से जो प्रश्न पूछेंगे वह भी शामिल हों। विद्यार्थियों के प्रत्येक समूह को दोनों मॉडलों पर काम करना है। कुछ समूह रस्सी के मॉडल से शुरू कर सकते हैं, जबकि दूसरे ’मिठाई’ मॉडल के साथ। फिर आप सभी को रोकें जिससे वे अन्य मॉडल का उपयोग करने वाले समूह से अपने साधनों की अदला–बदली करें।

समूह में जब विद्यार्थी काम कर रहे हों तब उनके बीच घूमें। उन्हें एक–दूसरे के साथ अपने विचार बांटने के लिए प्रोत्साहित करें। हमेशा से ज्यादा शोर के लिये तैयार रहें, खासकर यदि विद्यार्थी बड़े घेरों में अपनी आवाज़ सुनाने के लिये ज़ोर से बोल रहे हों।

जब सभी विद्यार्थी दोनों मॉडलों पर काम कर लिया हो तब पूरी कक्षा के साथ प्रश्नों पर चर्चा करें।

हर मॉडल की क्षमता तथा सीमाओं पर अपने विद्यार्थियों को अपने समूह में चर्चा करने को कहें। इन विचारों पर पूरी कक्षा के साथ चर्चा करें।

4 सारांश

इस यूनिट में आपने सीखा कि वे कौन–सी बातें हैं जो विद्युत सम्बन्धी पाठ को कठिन विषय बनाती हैं और कैसे मॉडलों का उपयोग आपके शिक्षण कार्य देने में मदद कर सकती है।

केस स्टडी 2 और गतिविधि 3 में विद्युत परिपथ के बारे में पढ़ाने की एक तकनीक, वार्तालाप गतिविधि, के बारे में बताया गया। हालांकि, मॉडलों का उपयोग करने के कई तरीके हैं और गतिविधि 2 में आपने कई विषयों की पहचान की जिनमें मॉडल के उपयोग से विद्यार्थियों की समझ विकसित की जा सकती है।

कभी–कभी लगता है कि कक्षा X तक आते–आते विद्यार्थियों को भौतिक मॉडलों की जगह मानसिक मॉडल बनाने चाहिएं। लेकिन, समझ के विकास की प्रक्रिया के लिये भौतिक मॉडल बहुत मददगार होते हैं तथा यहाँ तक कि यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी भी भौतिक मॉडलों से लाभ उठा सकते हैं, जैसे कि, रसायनशास्त्र में अणुओं के मॉडल बना कर समावयवता के अलग अलग रूपों को समझना।

अगले विषय को पढ़ाने के लिये, यह पहचानने के लिए कि विद्यार्थियों को अवधारणा सम्बन्धी कठिनाइयाँ कहाँ पर आ सकती हैं और कहाँ पर मॉडलों का उपयोग सहायक होगा तथा इस पर भी विचार करें कि कौन–से मॉडल और समानताएं सबसे उचित होंगी

सहकर्मियों के साथ अपनी गतिविधियों की योजनाओं पर चर्चा करें: –

  • आप किस प्रकार के मॉडल या समानताओं का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं?
  • इस मॉडल की क्षमता और सम्भावित सीमाएं क्या हैं?
  • अपने समूह में आप इन गतिविधियों को कैसे शामिल करेंगे?
  • आप किन खास विशेषताओं की ओर ध्यान आकर्षित करेंगे?

एक शिक्षण योजना बनाएं जिसमें कम–से–कम एक मॉडल–आधारित गतिविधि शिक्षण क्रम में शामिल हो।

संसाधन

संसाधन 1: विद्युत विषय में कठिनाई के स्त्रोत

यह संसाधन गतिविधि 1 में उपयोग किया गया है।

तालिका R1.1 विद्युत विषय में आपके विद्यार्थियों को कहाँ कठिनाई आ सकती है?
खण्डगतिविधिमुख्य शैक्षणिक बिंदु / इस गतिविधि और साथ के पाठ से विद्यार्थियों को मुझे क्या सिखाना है?कठिनाई के स्त्रोत? संभाव्य गलतफहमियाँ?
1.1

आवेश (कूलम्ब में मापा जाने वाला) का प्रति सेकंड प्रवाह ही विद्युत धारा (एम्पीयर में मापा जाता है) है। अमीटर द्वारा मापा गया विद्युत धारा। पारम्परिक धारा की माप + से – तक होती है।

विद्युत धारा और इलेक्ट्रॉन एक चालक से हो कर जाते हैं। विद्युत धारा तुरंत होता है, लेकिन इलेक्ट्रान चलन की गति लगभग 1 मि.मि. प्रति सेकंड होती है

आवेश ऐसी वस्तु नहीं है जिसे देखा जा सके।

इलेक्ट्रॉन के बहाव की दिशा और पारम्परिक धारा को लेकर भ्रम

इलेक्ट्रॉन्स की धीमी गति और धारा की तत्क्षणता में मेल

1.2

चालक में विभवांतर के कारण आवेश उसमें से प्रवाहित होता है

विभवांतर = प्रति यूनिट आवेश पर किया गया काम

1 वोल्ट = 1 जूल प्रति कूलम्ब वोल्टमीटर द्वारा मापा गया

यह विचार कि बैटरी विद्युत प्रवाह देती है वोल्टेज नहीं
1.3आम तौर पर उपयोग किये जाने वाले हिस्सों के लिये पारम्परिक चिह्न
1.41.4.1किसी चालक के लिये वोल्टेज और विद्युत धारा का आपसी संबंध। अलग अलग बैटरी की संख्या के लिये प्रदर्शित किया गया है। ओम के नियम वोल्टेज और धारा के बीच ग्राफ द्वारा व्यक्त करते है।

वोल्टेज और विद्युत धारा के बीच ग़लतफहमी

परिपथ के रेखाचित्र के अनुसार वास्तविक परिपथ बनाना।

परिपथ में वोल्टमीटर और अमीटर के संयोजन

1.4.2हिस्सों को बदलने से धारा प्रभावित होती है। प्रतिरोध की अवधारणा, प्रतिरोध बढ़ने से धारा कम होता है

संभावित गलतफहमी ’हिस्सों द्वारा धारा को सोख लिया जाता है’

पाठ की चर्चा में चालक में से इलेक्ट्रॉनों के हो कर गुजरने का मानसिक मॉडल

1.4.3

चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारण

तार की प्रतिरोधकता लंबाई जितना ज्यादा होगी, प्रतिरोध भी उतना ही ज्यादा होगा।

चालाक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल जितना ज्यादा होगा उतना ही प्रतिरोध कम

विद्युत धारा को मापते हुए प्रतिरोध का अनुमान लगाना प्रतिरोध को सीधे मापना नहीं

चालान के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का नियम प्राप्त करने के लिये, विद्यार्थियों को याद दिलाना होता है कि व्यास दुगुना करने से क्षेत्रफल चौगुना होता है

आपसी सम्बन्ध को याद रखना

1.51.5.1श्रेणी में प्रतिरोधक श्रेणी परिपथ में कहीं भी धारा एक समान बहती है धारा प्रतिरोध की कुल मात्रा पर निर्भर करता है।परिपथ को परिपथ रेखाचित्र के रूप में व्यक्त करना से मिलाना। धारा सोख लिया जाना’ गलतफहमी
1.5.2

श्रेणी में प्रतिरोधकों के लिये, कुल विभवांतर प्रत्येक प्रतिरोध के विभवांतरों का योग।

V = IR के रूप में, श्रेणी में प्रतिरोधकों का कुल प्रतिरोध = प्रत्येक प्रतिरोध का योंग का योग

परिपथ को परिपथ रेखाचित्र के रूप में व्यक्त करना
1.61.6.1

तीन प्रतिरोधक समांतर हों, तो प्रत्येक प्रतिरोधक का विभवांतर और तीनों प्रतिरोधों के विभवांतर समान होगा।

परिपथ के अखंडित भाग में धारा = प्रत्येक प्रतिरोधक के धारा का योग

परिपथ को परिपथ रेखाचित्र के अनुरूप व्यक्त करना।

गणनाएं समझने के लिये कठिन हो सकती हैं।

गतिविधि के बाद कुल प्रतिरोध की गणना कठिन हो सकती है। कुल प्रतिरोध में कमी आना शुरू में सहज ज्ञान के विपरीत होता है

1.71.7.1

जब विद्युत धारा किसी चालक में से गुजरता है तब कुछ ऊर्जा गर्मी के रूप में निकल जाती है

बल P = VI

ऊर्जा H = V I t

ऊर्जा cap h equals cap i squared times cap r

 
1.7.2गर्मी के प्रभाव के व्यावहारिक अनुप्रयोग हीटर, टोस्टर, फिलामेंट वाले बल्ब, फ्यूज़ आदिक्या, सभी विद्यार्थी इन उदाहरणों को पहचानते होंगे?
12.8

विद्युत बल P = V I I

P = R

cap p equals cap i squared times cap r

बल को वाट्स में मापा जाता है

ऊर्जा की व्यापारिक यूनिट = किलोवाट घंटा (kW h) = 3.6 × 106 जूल।

विद्युत उपकरणों द्वारा आवेश सोख नहीं लिया जाता। हम उपयोग की गई ऊर्जा का पैसा देते हैं, आवेश का नहीं

ऊर्जा और आवेश में ग़लतफहमी

संसाधन 2: वार्तालाप गतिविधि

वार्तालाप गतिविधि में विद्यार्थियों को एक भूमिका निभानी होती है और, किसी छोटे प्रसंग के दौरान, वे उस भूमिका में बोलते और अभिनय करते हैं, उस पात्र की आदतें और प्रवृत्तियाँ ले लेते हैं जिसे वह निभा रहे हैं। इसमें स्क्रिप्ट नहीं होती लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों को पर्याप्त जानकारी दी जाती है जिससे वे भूमिका निभाने में सक्षम हों। भूमिका निभा रहे विद्यार्थियों से कहा जाना चाहिये कि अपने विचार और भावनाएं सहज तरीके से व्यक्त करें।

वार्तालाप गतिविधि के कई लाभ हैं, क्योंकि यह–

  • दूसरों की भावनाओं से वास्तविक जीवन की घटनाएं पैदा करते हुए समझ विकसित करते है।
  • निर्णय–क्षमता के विकास को बढ़ावा देती है
  • सीखने में विद्यार्थियों का सक्रिय सहयोग होता है तथा सभी विद्यार्थियों को योगदान देने का अवसर मिलता है
  • उच्च स्तर की सोच को बढ़ावा देती है

वार्तालाप गतिविधि में भाग लेने से छोटे विद्यार्थियों को अलग–अलग सामाजिक स्थितियों में बात करने से आत्मविश्वास को विकसित करने में मदद मिल सकती है, उदाहरण के लिए, मान ले कि किसी स्टोर की दुकान पर, स्थानीय स्मारक के लिये पर्यटकों को रास्ता बताते हैं या कोई टिकट खरीदते हैं। आप कुछ सामग्री और निशानों के साथ, जैसे ’होटल’, ’डॉक्टर’ या ’गैरेज’ के साथ आसान घटनाएं बना सकते हैं। अपने विद्यार्थियों से पूछें, ’यहाँ कौन काम करता है?’, ’ये क्या कहते हैं?’ और ’हम इनसे क्या पूछते हैं?’,विद्यार्थियों से इन भूमिकाओं पर आपस में बातें करने के लिये प्रोत्साहित करें तथा उनके द्वारा उपयोग में लाई गयी भाषा को सुने।

वार्तालाप गतिविधि से बड़े विद्यार्थियों के जीवन कौशलों का विकास हो सकता है। उदाहरण के लिए, कक्षा में हो सकता है कि आप इस बात का पता लगा रहे हों कि विद्यार्थियों के आपसी विवाद को किस प्रकार सुलझाया जाए। अपने स्कूल या समाज के किसी उदाहरण को लेने के बजाय, आप विद्यार्थियों की उन समस्याओं पर आधारित कोई ऐसी घटना ले सकते हैं जिसका संबंध वहां से नहीं हो। विद्यार्थियों को भूमिकाएं दें या उनसे कहें कि वे ही चुन लें। आप विद्यार्थियों को योजना बनाने का समय दे सकते हैं या उन्हें तुरंत ही वार्तालाप गतिविधि शुरू करने को कह सकते हैं। वार्तालाप गतिविधि कक्षा के सामने की जा सकती है, या विद्यार्थी छोटे समूहों में काम कर सकते हैं जिससे कोई और उन्हें नहीं देखे। ध्यान दें कि वार्तालाप गतिविधि का उद्देश्य है भूमिकाओं का खेल और इससे क्या शिक्षा मिलती है? आप शानदार अभिनय या बॉलीवुड अभिनेताओं के पुरस्कारों की अपेक्षा नहीं करें।

विज्ञान और गणित में भी वार्तालाप गतिविधि का उपयोग किया जा सकता है। विद्यार्थी अणुओं के व्यवहार की नकल कर सकते हैं, आपसी व्यवहार में कणों के गुण ले सकते हैं या गर्मी या प्रकाश का प्रभाव दर्शाने के लिये हाव–भाव बदल सकते हैं। गणित में, विद्यार्थी कोण या किसी आकार की भूमिका अदा कर सकते हैं जिससे वे उसके गुणों और संयोग के बारे में जानें।

संसाधन 3: विद्युत परिपथों के बारे में पढ़ाने के लिये दो मॉडल

इस संसाधन का संदर्भ केस स्टडी 2 में और उपयोग गतिविधि 2 में किया गया है।

प्रत्येक मॉडल को पूरा करने में किसी समूह को सारे साधन और निर्देश मिल जाने के बाद लगभग पाँच मिनट लगते हैं।

नोट: इन दोनों मॉडलों के लिये, विद्यार्थियों को निर्देशों को बिना बताएं कि सारी विशेषताएं और क्रियाएं किनके प्रतीक हैं उनका पालन करने दे। प्रश्नों द्वारा उनका ध्यान आकर्षित करें तथा विद्यार्थी को स्वयं ही उत्तर खोजने के लिए प्रोत्साहित करें।

प्रत्येक मॉडल के निर्देशों के बाद उत्तर और टिप्पणियाँ दी गई हैं।

मिठाइयाँ और कप

जरूरी सामान

आवरण में लिपटी मिठाइयाँ, दो बक्से और कुछ कागज के कप। आधी मिठाइयाँ एक बक्से में और आधी दूसरे में रखें।

यह मॉडल तब सही काम करता है जब आपके पास लगभग 20 मिठाइयाँ हों और घेरे में दस विद्यार्थी हों, साथ ही एक दर्शक और एक प्रश्न पढ़ने वाला व्यक्ति हो। यदि आप इससे बड़े समूह और अधिक मिठाइयाँ लेते हैं, तो घेरे में मिठाइयाँ घुमाने में बहुत अधिक समय लगेगा।

कैसे खेलें

शुरू करने से पहले, समूह में से एक विद्यार्थी को निर्देश और प्रश्न को ज़ोर से पढ़ कर सुनाने के लिये कहें।

  • एक को छोड़ कर सभी को घेरे में खड़ा करें। घेरे के बाहर का विद्यार्थी कार्यवाही देखेगा।
  • एक विद्यार्थी के पास वह बक्सा है जिसमें आधी मिठाइयाँ हैं। वह हर एक सेकंड में एक मिठाई अपने दाईं ओर खड़े व्यक्ति को देता है, जो उसे तुरंत ही अपने दाईं ओर खड़े व्यक्ति को देता है और इस तरह चलता रहता है। (घेरे के बाहर एक व्यक्ति को रखने से सुविधा हो सकती है जो हर एक सेकंड पर टेबल पर आवाज़ करे।)
  • घेरे में एक विद्यार्थी के पास एक कप है। जब उनके पास मिठाई आती है, तब उसे आगे बढ़ाने से पहले एक सेकेण्ड के लिए रख लेता है। जल्दी ही बक्से की सारी मिठाइयां घेरे में समान गति से घूमने लगती हैं। बक्सा लिये विद्यार्थी के बाईं ओर के विद्यार्थी के पीछे दर्शक को खड़ा करें, और वे एक ताली बजाएं जब उनके सामने वाला विद्यार्थी बक्से वाले विद्यार्थी को मिठाई दे। मिठाई के कई चक्कर पूरे होने दें जिससे सभी एक लय में हो जाएं तब फिर आप बदलाव करें।
  • अब एक और विद्यार्थी को एक कप दें। अब मिठाइयाँ किस गति से परिपथ में घूम रही हैं (दर्शक ने कितनी बार ताली बजाई)?
  • अब समूह में किसी और को मिठाइयों का दूसरा बक्सा दें जिसमें आधी मिठाइयाँ हैं। वे भी हर सेकंड में एक मिठाई देते हैं, तो अब दो विद्यार्थी घेरे में मिठाइयाँ बाँट रहे हैं जिससे हर सेकंड में दो मिठाइयाँ चल रही हैं)। इससे घेरे में मिठाइयों के चलने की गति बढ़ती है, और दर्शक विद्यार्थी दुगुनी गति से ताली बजाता है।

प्रश्न

  • मिठाई बाँटने वाला विद्यार्थी किसका प्रतीक है?
  • मिठाई किसका प्रतीक है?
  • कप किसका प्रतीक है?
  • एक और विद्यार्थी मिठाई बाँटने लगता है वह किसका प्रतीक है और इसका क्या प्रभाव होता है?

उत्तर और टिप्पणियाँ

  • मिठाई बाँटने वाला विद्यार्थी बैटरी के समान है जो आवेश को परिपथ में चलाती है। (इस मॉडल से ऐसा लग सकता है कि बैटरी से आवेश आता है, जोकि गलत है। बैटरी से आवेश सिर्फ चलता है।)
  • मिठाइयाँ आवेश हैं। आप देख सकते हैं कि मिठाइयाँ समान संख्या में चल रही हैं। मिठाइयों के चलने की दर प्रवाह है। दर्शक जितनी तेज़ी से ताली बजाता है, परिपथ में धारा उतनी ही तेज से बह रही है। दर्शक एक अमीटर के समान है, जो प्रवाह में बदलाव की दर को मापता है।
  • कपों के कारण मिठाइयों का प्रवाह धीमा होता है। ये प्रतिरोध या बत्ती की तरह काम करते हैं। (वास्तविक परिपथ में यहाँ से ऊर्जा बाहर निकलती है, लेकिन इस मॉडल में इसे देखना मुश्किल है।)
  • मिठाइयाँ बाँटने वाला दूसरा विद्यार्थी एक और बैटरी की तरह है। एक और बैटरी जोड़ने से धारा बढ़ता हैः दर्शक के सामने से मिठाइयाँ अब दुगुनी तेज़ी से गुजऱ रही हैं। अधिक मिठाइयाँ लेकर किसी को जोड़ने में समस्या यह है कि ऐसा लगता है कि एक और बैटरी जोड़ने से आवेश बढ़ गया है, जबकि घूमने वाला आवेश समान होना चाहिये। केवल उसके चलने की गति बढ़ती है।

सामर्थ्य

परिपथ में चलने वाला आवेश समान रहता है यह दर्शाने के लिये यह मॉडल अच्छा है। मिठाइयाँ समूह के बाहर नहीं जातीं, और प्रतिरोध जोड़ने पर प्रवाह कम होता है।

सीमाएं

मॉडल से ऐसा लगता है कि बैटरी से आवेश आता है और आवेश को परिपथ में गति करने में थोड़ा समय लगता है। इस मॉडल से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि ऊर्जा का स्थानांतरण कहाँ हो रहा है।

रस्सी का मॉडल

जरूरी सामान

हल्की रस्सी का एक (बड़ा) घेरा बनाएं, जिस पर यदि हर एक मीटर पर निशान बना हो तो ज्यादा अच्छा है, जिससे आप इसके चलने की गति देख सकें। रस्सी जितनी बड़ी होगी, आप उतने अधिक विद्यार्थी को इस वार्तालाप गतिविधि के समूह में रख सकते हैं।

कैसे खेलें

शुरू करने से पहले, समूह में से एक विद्यार्थी को निर्देश दे कि वह प्रश्न ज़ोर से पढ़ कर सुनाएं।

  • सभी एक घेरा बना कर खड़े होते हैं, जिससे रस्सी बहुत कसेगी नहीं, लेकिन कहीं भी उसमें झोल भी नहीं आएगा।
  • एक विद्यार्थी एक ही गति से रस्सी को खींचता है।
  • अन्य सभी को रस्सी बहुत हल्के से पकड़ना है जिससे वह चल सके।
  • एक विद्यार्थी अन्य की अपेक्षा अधिक कस कर पकड़े और ध्यान दे कि क्या होता है? ध्यान दें कि कोई भी बहुत कस कर नहीं पकड़े – यह रस्साकसी का खेल नहीं है! खींचने वाले व्यक्ति को एक समान ताकत से खींचना है, धीरे–धीरे ताकत को बढ़ाना नहीं है।

प्रश्न

  • इस मॉडल में डोरी खींचने वाला क्या है?
  • हिलती हुई डोरी किसका प्रतीक है?
  • जब कोई रस्सी को अपेक्षाकृत कस कर पकड़ता है, तो यह किसका प्रतीक है?

उत्तर और टिप्पणियाँ

  • रस्सी खींचने वाला व्यक्ति बैटरी है। जब वह रस्सी खींचता है, तो परिपथ को ऊर्जा मिलती है।
  • चलती हुई रस्सी परिपथ में चलता हुआ आवेश है।
  • जब कोई रस्सी को अपेक्षाकृत कस कर पकड़ता है, तो उनके हाथ गर्म होने लगते हैं और रस्सी को खींचना थोड़ा कठिन होता है। कस कर पकड़ना बढ़ा हुआ प्रतिरोध है। किसी के हाथ गर्म होना परिपथ से ऊर्जा बाहर जाने का प्रतीक है। पकड़ने वाला व्यक्ति बल्ब या प्रतिरोधी के समान है।

सामर्थ्य

इस मॉडल से पता चलता है कि सारा आवेश परिपथ में एक ही समय चलता है, और इसमें प्रतिरोध और ऊर्जा स्थानांतरण में संबंध का पता चलता है।

सीमाएं

जब रस्सी कस कर पकड़ी हो तब रस्सी खींचने वाला व्यक्ति यदि ज़ोर लगा कर खींचे, तो ऐसा लग सकता है कि प्रतिरोध बढ़ने पर बैटरी को ज्यादा काम करना पड़ता है जिससे प्रवाह समान रहे।

संसाधन 4: विद्युत के बारे में पढ़ाने के लिये मॉडल और समानताओं का उपयोग

इस संसाधन का उपयोग गतिविधि–2 में किया गया है। तालिका R3.1 में उपयोग किये गए मॉडल और समानताओं की पहचान की गई है और दूसरे ऐसे मॉडलों के सुझाव दिये हैं जो सहायक हो सकते हैं।

तालिका R4.1 विद्युतुत के बारे में पढ़ाने के लिये मॉडल और समानताओं का उपयोग।
खण्डगतिविधिमुख्य शैक्षणिक बिंदु / इस गतिविधि और साथ के पाठ से विद्यार्थियों को मुझे क्या सिखाना है?कठिनाइयों के स्त्रोत?यहाँ पर किन मॉडल या समानताओं का उपयोग हो रहा है या किया जा सकता है?
1.1

आवेश (कूलम्ब में मापा जाने वाला) का प्रति सेकंड धारा ही विद्युत प्रवाह (एम्पीयर में मापा जाने वाला) है

अमीटर द्वारा मापा गया विद्युत धारा पारम्परिक धारा की माप + से – तक होती है।

विद्युत प्रवाह और इलेक्ट्रॉन एक चालक से हो कर जाते हैं। विद्युत प्रवाह तुरंत होता है, लेकिन आवेश के चलने की गति लगभग 1 मि मि. प्रति सेकंड – 1 होती है

आवेश ऐसी वस्तु नहीं जिसे देखा जा सके इलेक्ट्रॉन के बहाव की दिशा और पारम्परिक धारा को लेकर भ्रम

इलेक्ट्रॉन्स की धीमी गति और धारा की तत्क्षणता का मेल

उपयोग किये जा रहे: बहाव के रूप में विद्युत धारा परिपथ एक सतत चलने वाला बंद रास्ता है – किसी भी टूट से प्रवाह रूकता है

रस्सी का मॉडल भी देखें।

1.2

चालक में विभवांतर के कारण आवेश उसमें से प्रवाहित होता है विभवांतर = प्रति यूनिट आवेश पर किया गया काम।

1 वोल्ट = 1 जूल प्रति कूलम्ब वोल्टमीटर द्वारा मापा जाता है।

यह विचार कि बैटरी विद्युत धारा देती है वोल्टेज नहीं

उपयोग किये जा रहे: पानी को नीचे की ओर बहने के लिये गुरूत्वीय विभवांतर की आवश्यकता होती है। आवेश को बहने के लिये विद्युतीय विभवांतर की आवश्यकता होती है

रस्सी का मॉडल भी देखें।

1.3आम तौर पर उपयोग किये जाने वाले हिस्सों के लिये पारम्परिक चिह्न। 
1.41.4.1किसी चालक के लिये वोल्टेज और विद्युत धारा का आपसी सम्बन्ध ओम का नियम वोल्टेज व धारा के बीच ग्राफ द्वारा व्यक्त करते है। अलग अलग बैटरी की संख्या के लिये V विरूद्ध I के ग्राफ से प्राप्त ओहम का नियमवोल्टेज और विद्युत धारा के बीच ग़लतफहमी परिपथ के रेखाचित्र सम्बन्ध के अनुसार वास्तविक परिपथ बनाना वोल्टमीटर और अमीटर के संयोजनउपयोग किये जा रहे–परिपथ के प्रतीक के लिये परिपथ रेखाचित्र (सारी गतिविधियों में उपयोग किया गया)
1.4.2हिस्सों को बदलने से धारा प्रभावित होती है। प्रतिरोध की अवधारणा–प्रतिरोध बढ़ने से धारा कम होती है।संभावित गलतफहमी ’हिस्सों द्वारा धारा को सोख लिया जाता है’ पाठ की चर्चा में चालक में से इलेक्ट्रॉनों के हो कर गुजरने का मानसिक मॉडलसंभावित सहायक–रस्सी का मॉडल, मिठाई का मॉडल–
1.4.3

चालक के प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारण

तार का प्रतिरोध या लंबाई जितनी ज्यादा, प्रतिरोध भी उतना ही ज्यादा

अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल जितना ज्यादा, है उतना ही प्रतिरोध कम होगा।

विद्युत धारा को मापते हुए प्रतिरोध का अनुमान लगाना – प्रतिरोध को सीधे मापना नहीं।

अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का नियम प्राप्त करने के लिये, विद्यार्थी को याद दिलाना होता है कि व्यास दुगुना करने से क्षेत्रफल चौगुना होता है

आपसी आपसी सम्बन्ध को याद रखना

संभावित सहायक: (ऐसा कुछ जिसका अभिनय किया जा सके?) भीड़भरे गलियारे में बक्सों का ढेर ले कर चलना।

टकराने से बक्से गिरने लगते हैं गलियारा जितना बड़ा होगा उतने कम बक्से गिरेंगे और जितना संकरा होगा, टकराने की बारम्बारता उतनी ज्यादा होगी।

1.51.5.1श्रेणी में प्रतिरोधः श्रेणी परिपथ में कहीं भी धारा एक समान बहती है। प्रवाह प्रतिरोध की कुल मात्रा पर निर्भर करता हैपरिपथ को परिपथ रेखाचित्र के अनुरूप व्यक्त करना – ’प्रवाह सोख लिया जाना’ गलतफहमी मिठाई का मॉडल को भी देखें।
1.5.2

श्रेणी में प्रतिरोधकों के लियेः प्रत्येक प्रतिरोध के विभवांतरों का योग कुल विभवांतर है।

V = IR,के रूप में, श्रेणी में प्रतिरोधकों का कुल प्रतिरोध = प्रत्येक प्रतिरोध का योग

परिपथ को परिपथ रेखाचित्र के अनुसार व्यक्त करना
1.5.3

जब तीन प्रतिरोधक समांतर हों: प्रत्येक प्रतिरोधक का विभवांतर और तीनों का कुल विभवांतर समान होगा

परिपथ के अखंडित भाग में धारा = प्रत्येक प्रतिरोधक के धारा का योग

परिपथ को परिपथ रेखाचित्र के अनुसार व्यक्त करना गणनाएं समझने के लिये कठिन हो सकती हैं गतिविधि के बाद कुल प्रतिरोध की गणना कठिन हो सकती है; कुल प्रतिरोध में कमी आना शुरू में सहज ज्ञान के विपरीत होता है

संभावित सहायक– विभवांतर के लिये ढलान का मॉडल। किसी चौड़ी प्लास्टिक की फनेल में ऊपर से तीन छर्रे (बॉलबेयरिंग) एक साथ छोड़ें (नीचे एक प्याला रखें)। प्रत्येक का मार्ग अलग होगा लेकिन गिरने की दूरी हर बार एक ही होगी।संभावित सहायक– विद्युत प्रवाह का मॉडल जिसमें समूह तीन अलग–अलग मार्गों से जा कर फिर एक जगह मिलते हैं। प्रतिरोध में कमी का प्रभाव, जैसे सामान पहुँचाने के लिये एक की जगह तीन गाड़ियों का उपयोग
1.6

जब विद्युत प्रवाह किसी चालक में से गुजरता है तब कुछ ऊर्जा गर्मी के रूप में निकल जाती है

बल -P = VI

ऊर्जा H = Vt

ऊर्जा cap h equals cap i squared times cap r

 संभावित सहायक– रस्सी का मॉडल
1.7-गर्मी के प्रभाव के व्यावहारिक अनुप्रयोगः हीटर, टोस्टर आदि, फिलामेंट वाले बल्ब, फ्यूज़क्या सभी विद्यार्थी इन उदाहरणों को पहचानते होंगे?
1.8 

विद्युत बलः

P = V I

P = V/R

cap p equals cap i squared times cap r

बल को वाट्स में मापा जाता है

ऊर्जा की व्यापारिक यूनिट = किलोवाट घंटा (kW h) = 3.6 × 106 जूल।

विद्युत उपकरणों द्वारा आवेश सोखा नहीं जाता। हम उपयोग की गई ऊर्जा का पैसा देते हैं, आवेश का नहीं

ऊर्जा और आवेश में ग़लतफहमी 

अतिरिक्त संसाधन

References

Boohan, R. (2002) ‘Learning from models, learning about models’, in Amos, S. and Boohan, R. (eds) Aspects of Teaching Secondary Science. London, UK: RoutledgeFalmer.
Driver, R., Squires, A., Rushworth, P. and Wood-Robinson, V. (1994) Making Sense of Secondary Science. London, UK: Routledge.
National Strategies (2008) Science Teaching Unit: Explaining How Electric Circuits Work. London, UK: Department for Children, Schools and Families. Available from: http://webarchive.nationalarchives.gov.uk/ 20110202093118/ http://nationalstrategies.standards.dcsf.gov.uk/ node/ 286751 (accessed 21 May 2014).
Strawson, R. (2011) ‘Electricity and magnetism’ in Sang, D. (ed.) Teaching Secondary Physics. London, UK: John Murray.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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