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विचार मंथन: बल और गति के नियम

यह इकाई किस बारे में है

इस इकाई में आपको कक्षा से संबंधित एक तकनीक की जानकारी दी जाएगी जिसे ‘विचार मंथन‘ कहा जाता है, जिससे विद्यार्थी बिना किसी अवरोध के सृजनात्मक रूप में स्वतंत्रतापूर्वक सोच सकते हैं।

विचार मंथन में आपके विद्यार्थियों से विचारों को एकत्र करना शामिल होता है। यह एक सरल तकनीक है जिससे विद्यार्थी बिना किसी अवरोध के सृजनात्मक और स्वतंत्रता से सोच सकते हैं। उत्प्रेरक के रूप में एक प्रारम्भिक ‘संकेत’ का प्रयोग किया जाता है और फिर इसके बाद विद्यार्थियों को उस संकेत के साथ जुड़े हुए विचारों को प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

ऐसा करना सफल साबित होता है क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान आपके विद्यार्थियों के सुझावों के प्रति कोई आलोचना या निर्णय शामिल नहीं होते हैं। इससे विद्यार्थी यह महसूस करते हैं कि वे अपने सभी विचारों को प्रस्तुत कर सकते हैं। चाहे वे कितने असंगत, गलत या मूर्खता से भरे या असंबद्ध ही क्यों न दिखाई दें। इसके अतिरिक्त, उनके मन में मुक्त अवस्था से संबंधित प्रक्रिया के दौरान जो भी विचार पैदा होते हैं, वे उनको स्वीकार कर सकते हैं।

तथाकथित रूप से इन्हें, ‘असंगतपूर्ण’ (वाइल्ड–कार्ड) विचार कहा जाता है। जिनसे सृजनात्मक विचार प्रक्रिया की उत्पत्ति होती है। सामान्यतः पर इनके कारण विचारों का एक प्रवाह पैदा होगा जो किसी असामान्य, नवीन या कल्पनाशील उत्तर की ओर अग्रसर करता है। इससे भी अच्छी बात यह होगी कि, इनसे अन्यथा असम्बद्ध अवधारणाओं या विषयों को जोड़ा जा सकेगा। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले कुछ विचार उपयोगी साबित नहीं होंगे, परन्तु ऐसा होना भी आपत्तिजनक नहीं है।

इस प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रथम चरण में, सभी विचार स्वीकार्य हैं तथा उन्हें एक व्यक्ति द्वारा लिखा जाना चाहिए। विचार मंथन में कम से कम विद्यार्थियों की एक जोड़ी, विद्यार्थियों का समूह या पूरी कक्षा शामिल हो सकती है। प्रयोग में लाया गया ‘संकेत’ व्यापक होना चाहिए जिससे विचारों को विस्तारित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

एक बार जब सभी विचारों को एकत्र कर लिया जाता है, तब उनका प्रयोग आगे शिक्षण में सहायता के लिए भिन्न–भिन्न तरीकों से किया जा सकता है। इस इकाई से आपको यह सीखने में मदद मिलेगी कि विचार मंथन सत्र का आयोजन किस प्रकार से करें? तथा अपने शिक्षण में सुधार करने के लिए मंथन सत्र से प्राप्त विचारों को किस प्रकार से प्रयोग में लाया जाए?

इस इकाई में कक्षा IX के विषय ‘बल और गति के नियम’ विषय पर आधारित हैं। विचार मंथन एक ऐसी तकनीक है जिसका प्रयोग पूरे विज्ञान पाठ्यचर्या के लिए किया जा सकता है। इसका प्रयोग अन्य तकनीकों, जैसे माइंड मैपिंग या प्रोजेक्ट कार्य के संयोजन के साथ भी किया जा सकता है।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं ?

  • अपने विद्यार्थियों के साथ किस प्रकार से विचार मंथन गतिविधि करें ?
  • विचार मंथन के लिए उपयुक्त संकेत को किस प्रकार से चुनें ?
  • और आगे सीखने में मदद के लिए विचार मंथन सत्र के परिणामों का प्रयोग किस प्रकार से करें ?

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है ?

विचार मंथन से आप अपने विद्यार्थियों के बारे में अनेक बातें जान सकते हैं। उनके विचारों को सावधानीपूर्वक सुनने से आप यह जान पाएंगे कि जिस विषय को आप पढ़ाने वाले हैं, उसके बारे में वे पहले से क्या जानते हैं? जो कुछ आपने अभी तक पढ़ाया है, उसके बारे में उन्हें क्या याद है? वे किसी समस्या के संबंध में कैसे प्रतिक्रिया करेंगे? और उनके लिए क्या बातें महत्वपूर्ण हैं? इससे उन्हें सृजनात्मक रूप से सोचने और विचारों तथा विषयों के बीच संबंध स्थापित करने का अवसर भी मिलता है।

तेजी से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऐसे लोगों की जरूरत होती है जो सृजनात्मक रूप से सोच सकें और समस्याओं का समाधान कर सकें। सृजनात्मक रूप से विचार करने में समर्थ विद्यार्थियों को अच्छा कार्य करने वाला समझा जाता है। सृजनात्मकता का संबंध केवल याद करने से नहीं है। इसका संबंध ज्ञान के वास्तविक प्रयोग से भी है। इसका संबंध सुझाव देने, एवं विस्तार करने और विकल्प प्रदान करने से भी होता है। इसका संबंध विभिन्न प्रकरणों और विषयों के बीच संपर्क स्थापित करने से है।

यदि विद्यार्थियों को सृजनात्मक विचारशील व्यक्ति बनना है, तो उन्हें मूल विचारों को प्रस्तुत करने के लिए अलग से सोचने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि वे इस बारे में निर्भय महसूस करें कि उनके विचारों का स्वागत किया जाएगा तथा खुले दिल से उन्हें स्वीकार किया जाएगा।

विचार मंथन का मुख्य लाभ यह है कि इसके परिणामस्वरूप आपमें और आपके विद्यार्थियों में सृजनात्मक विचार कौशल का विकास होता है। चित्र 1 में उन अन्य लाभों के उदाहरण दिए गए हैं जो विचार मंथन के माध्यम से आपके विद्यार्थी प्राप्त कर सकते है।

चित्र 1 विचार मंथन के परिणामस्वरूप कक्षा को प्राप्त होने वाले लाभ।

विचार मंथन एक बहु उपयोगी तकनीक है क्योंकि इसका प्रयोग किसी भी विषय के साथ इसका उपयोग शीघ्रतापूर्वक किया जा सकता है। क्योंकि यह एक समूह–आधारित गतिविधि है, इसलिए तुलनात्मक रूप से बड़ी कक्षाओं में इसका प्रयोग करना आसान है। इससे आपके विद्यार्थियों को अपने विचारों के बारे में बात करने के लिए और एक दूसरे से सीखने का अवसर मिलता है। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संसाधन 1 ‘शिक्षण के लिए बातचीत करें’ को पढ़ें।

1 विचार मंथन किस प्रकार करें

सबसे पहले, आपको विचार मंथन के लिए अपने किसी पिछले अनुभव पर प्रकाश डालना चाहिए। नोट कर लें कि इस इकाई में ‘विचार मंथन’ का प्रयोग तथा विचार मंथन की प्रक्रिया में भागीदारी करना दोनो रूपों में ही किया गया है।

विचार के लिए रुकें

  • क्या, आपने स्वयं कभी विचार मंथन करने का प्रयास किया है?
  • क्या, आपके विचार से यह ऐसी बात है जिससे आपके विद्यार्थी परिचित होंगे?

इस बात की संभावना है कि आपने अपने विचारों को बांटने के लिए अपने सहकर्मियों के साथ काम किया होगा। ‘वास्तविक’ विचार मंथन में विचार खुले तौर पर और विस्तृत होता है। कुछ प्रारम्भिक विचारों को अंततः अस्वीकार कर दिया जाएगा, लेकिन प्रथम चरण में यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक विद्यार्थी जो कुछ भी सोचते हैं, उन्हें उसका योगदान करने का अवसर मिलना चाहिए। यदि उन्होने ऐसा पहले कभी नहीं किया है, तो आपके विद्यार्थियों को इस प्रकार से सोचने और काम करने का आदी होने से पहले कुछ कोशिशें करनी पड़ सकती हैं।

विचार मंथन एक अनौपचारिक प्रक्रिया है। इसके साथ केवल कुछ सरल नियम जुड़े हैं। इसके लिए कोई बहुत बड़ी व्यवस्था या पहले से तैयारी नहीं करनी पड़ती है। ऐसा किसी पाठ या पाठों के क्रम में कभी भी किया जा सकता है। इसके लिए कोई या नियत समय सीमा नहीं है। जब विचार मंथन का कार्य समूह में किया जाता है तो इसके सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं।

इस प्रक्रिया की शुरूआत एक संकेत के साथ की जाती है, जो एक प्रश्न, शब्द, वक्तव्य, चित्र के रूप में हो सकता है। विद्यार्थियों को उस संकेत से संबंधित किसी भी पहलू पर सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। बिना किसी फैसले के उनके सभी विचारों को रिकॉर्ड किया जाता है। विचार उत्पत्ति सत्र की समाप्ति के बाद ही, उत्तरों पर चर्चा की जाती है और उनका मूल्यांकन किया जाता है, या तो उन्हें रखा जाता है या अस्वीकार कर दिया जाता है।

विचार मंथन के नियम

  • आलोचना की अनुमति नहीं दी जाती है: विचारों के संबंध में प्रतिकूल फैसले को बाद के लिए रोके रखा जाना चाहिए।
  • अपरम्परागत रूप से सोचने का स्वागत है: विचार जितना अधिक असंगत होंगे, उतना ही बेहतर है। अनुचित विचारों को बाद में अस्वीकार किया जा सकता है।
  • मात्रा एक अच्छी बात है: जितने अधिक विचार होंगे, प्रक्रिया उतना ही बेहतर काम करती है।
  • संयोजन और सुधार अपेक्षित हैं: विद्यार्थियों को अपने विचारों का योगदान करने के अतिरिक्त, उन्हें ये सुझाव देने चाहिए कि दूसरों के विचारों को किस प्रकार से बेहतर विचार बनाया जा सकता है, या किस प्रकार से दो या अधिक विचारों को संयोजित करके एक नया विचार विकसित किया जा सकता है।

गतिविधि 1: अपने सहकर्मियों के साथ ‘बल और गति के नियम’ पर विचार मंथन करें

यह गतिविधि आप स्वयं ही या अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर कर सकते हैं। आपको बस एक कागज, एक पैन तथा वस्तुतः आपकी कल्पनाओं की आवश्यकता होगी!

आपके लिए इस गतिविधि का उद्देश्य यह सीखना है कि किस प्रकार से विचार मंथन किया जाए। जैसे–जैसे आप विचार मंथन की प्रक्रिया में आगे बढ़ते हैं, आप सृजनात्मक रूप से यह भी सोच पाएंगे कि विद्यार्थी बल और गति के बारे में जिस जानकारी को प्राप्त करेंगे उसे वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में किस प्रकार से प्रयोग कर पाएंगे? तथा इन विचारों को आप अपने पाठों में भी इस्तेमाल कर पाएंगे।

अपने विद्यार्थियों के दैनिक कार्यों पर विचार करें तथा आप सभी जितने अधिक उदाहरणों को सोच सकते हैं, उन्हें लिख लें जिनमें उनके द्वारा इस विषय के संदर्भ में उनके द्वारा सीखी जाने वाली चीजें वे क्या कर रहे हैं? इससे जुड़ी हैं। उदाहरण हैं: दरवाजा खोलना, रेहड़ी को उठाना या साईकिल में तेल डालना। ये सभी वैज्ञानिक सिद्धान्तों को दर्शाते हैं, जैसे– लीवर तथा घर्षण। जो खेल वे खेलते हैं, जो काम वे घर पर करते हैं, और परिवहन के जिस साधन का वे प्रयोग करते हैं, उन पर विचार करें। आप इस विचार को विस्तारित करते हुए ऐसे कार्यों को शामिल कर सकते हैं जो हो सकता है वे अनिवार्य रूप से न करते हों। विद्यार्थी, उन्हें टेलीविज़न पर या फिल्मों में देख सकते हैं, जैसे पैराशूट से कूदना, समान्तर दौड़ने वाली रेलगाड़ियां या अंतरिक्ष में यात्रा करना।

आशा है कि आपने कागज पर विचारों को इकट्ठा कर लिया होगा। प्रक्रिया उपयोगी रही होगी, क्योंकि इससे आपको ‘बल और गति के नियम’ विषय के शिक्षण के बारे में अधिक सृजनात्मक रूप से सोचने के लिए प्रोत्साहित किया होगा। जब आप कुछ वैज्ञानिक सिद्धान्तों को समझाएंगे तो आप इन उदाहरणों का प्रयोग करने में सक्षम होंगे। यद्यपि, विचार मंथन करना, विचारों को एकत्र करने से कहीं अधिक होता है। आपको शिक्षण में मदद के लिए विचारों का प्रयोग करना होगा।

उन सभी विचारों को रेखांकित करें जो आपके विद्यार्थियों के रोज़मर्रा के जीवन से जुड़े हैं। यह गृहकार्य से संबंधित अभ्यास का हिस्सा हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप अपने विद्यार्थियों से ऐसी कुछ गतिविधियों के पीछे निहित विज्ञान को समझाने के लिए कह सकते हैं, जिनकी उनके द्वारा करने की संभावना है। उनको बल से संबंधित तीरों के साथ बल से जुड़े रेखाचित्रों को बनाना चाहिए।

खेल से सम्बन्धित सभी विचारों पर घेरा बनाएं। क्या इनमें से कुछ ऐसे हैं? जिन्हें कक्षा में या कक्षा से बाहर जाकर दिखाया जा सकता है। पाठ्य विवरण को देखें तथा दो या तीन सरल कार्यों को निष्पादित करें जिनमें आपके विद्यार्थी भाग ले सकते हैं।

विचार के लिए रुकें

  • आपकी विचार मंथन संबंधी गतिविधि कैसी रही? क्या यह आपके लिए सरल या कठिन अनुभव था?
  • आप विचार मंथन का प्रयोग करके ‘बल और गति के नियम’ के बारे में आप कितने सृजनशील हो पाए थे।
  • आप अपने विचार मंथन सत्र के परिणामों का प्रयोग किस प्रकार से ‘बल और गति के नियम’ के बारे में अपने पाठों की योजना बनाने में सहायता के लिए कर सकते हैं?

2 एक बेहतर विचार मंथन संकेत के लिए क्या होना जरूरी है?

आपको विचार मंथन सत्र के उद्देश्यों पर दो दृष्टिकोणों से विचार करना चाहिएः

  • आपके विद्यार्थियों को किस विज्ञान से सीखने में मदद मिल सकेगी?
  • इस प्रक्रिया में वे कौन से कौशल सीखेंगे?

आपके द्वारा जिस संकेत को चुना जाएगा वह उस विज्ञान पर आधारित होगा जिसके बारे में आप चाहते हैं कि आपके विद्यार्थी उसे सीखें, तथा आपकी सत्र व्यवस्था उन कौशलों पर निर्भर करती है जिनका आप अभ्यास कराना चाहते हैं।

संकेत के रूप में ‘बल’ जैसे सरल शब्द के इस्तेमाल से विषय के आरम्भ में आप इस बात का पता लगाने में समर्थ हो सकेंगे कि आपके विद्यार्थी पहले से क्या जानते हैं? ‘हमारे दैनिक जीवन में बल हमारी किस प्रकार से सहायता करते हैं?’ या ‘यदि घर्षण न हो तो दुनिया कैसी होगी?’ जैसे अधिक विशिष्ट संकेत संभवतः विद्यार्थियों की गलतफहमियों का पता लगाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हो सकते हैं।

ऐसा संकेत चुनना महत्वपूर्ण होता है जिससे अनेक विचारों की उत्पत्ति होगी, इसलिए यहां पर खुला प्रश्न होना चाहिए या कोई ऐसी समस्या जिसका कोई एक सही उत्तर न हो।

चित्र 2 एक सरल प्रश्न का उदाहरण एक उपयुक्त संकेत हो सकता है। उदाहरण के लिएः आप रोलर स्केट को घूमने से कैसे रोक सकते हैं?

गतिविधि 2: विचार मंथन के लिए उपयुक्त संकेतों पर विचार करना

यह आपके लिए नियोजन गतिविधि है जिसे आप स्वयं या दूसरे अध्यापकों के साथ कर सकते हैं। इस गतिविधि का उद्देश्य आपको उचित संकेतों के बारे में सोचने में मदद करना है।

याद रखें कि संकेत कोई प्रश्न, शब्द, वक्तव्य, चित्र हो सकता है।

जिस संकेत का आप विचार मंथन सत्र के लिए प्रयोग करेंगे वह इस बात पर निर्भर करेगा कि आप अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहते हैं? कुछ संभावित शिक्षण परिणाम निम्नलिखित हो सकते हैं–

  • यह पता लगाना कि आपके विद्यार्थी बल और गति के बारे में पहले से ही क्या जानते हैं
  • एक विषय के बारे में किसी विशेष मुद्दे पर गहन विचार करना।
  • विभिन्न प्रकरणों और विषयों के बीच में संबंध स्थापित करना।
  • रोज़मर्रा की जिंदगी के साथ विज्ञान का रिश्ता जोड़ना।

प्रत्येक शिक्षण परिणाम के लिए, उस उपयुक्त संकेत पर विचार करें, जिसके कारण आपके विद्यार्थी बलों और गति के नियमों के बारे में विस्तारपूर्वक सोच पाएंगे।

जब आप काम पूरा कर लेते हैं, तो संसाधन 2 में दी गई तालिका के साथ अपने विचारो की तुलना करें।

अंत में, उस विषय पर सोचें जिसे आप अगली बार पढ़ाएंगे। दो विचार मंथन संकेतों के बारे में योजना बनाए जिनका प्रयोग आप उस विषय के संदर्भ में कर पाएंगे।

3 विचार मंथन प्रतिक्रियाएं

विचार मंथन प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करने के अलग–अलग तरीके हैं। आप अपने विद्यार्थियों को जिस तरीके से जानकारी को रिकॉर्ड करने के लिए कहेंगे, वह इस बात पर निर्भर करेगा कि आप उस गतिविधि से क्या हासिल करना चाहते हैं

केस स्टडी 1: श्रीमती गुप्ता द्वारा ‘बल और गति के नियम’ के संबंध में विचार मंथन सत्र का आयोजन किया गया।

बलों और गति को पढ़ाने से पहले, मैंने प्राथमिक विज्ञान पाठ्यचर्या को देखा। मैंने पाया कि मेरे विद्यार्थियों ने बलों तथा घर्षण, को पढ़ा था, लेकिन गति के संबंध में कुछ नहीं पढ़ा था। मैंने यह सोचा कि यह जानना सहायक हो सकता है कि उन्हें इस विषय के बारे में क्या याद है?

इस कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या अधिक थी (लगभग 80 विद्यार्थी) इसलिए, मैंने उन्हें आठ–आठ के समूहों में बांट दिया। मेरे पास बड़ा कागज नहीं था, इसलिए मैंने A4 आकार के दो कागजों को एक साथ जोड़ कर उसे A3 आकार का पेपर कागज दिया। प्रत्येक समूह के पास एक कागज था। मैंने उन्हें एक तरफ ‘बल’ और दूसरी तरफ ‘घर्षण’ लिखने के लिए कहा। मैंने उन्हें प्राथमिक स्कूल के बारे में सोचने के लिए कहा तथा उन्हें प्रत्येक विषय के बारे में जो कुछ भी उन्हें याद था, लिखने के लिए दस मिनट का समय दिया। दस मिनट के बाद, मैंने कागजों को एकत्र किया।

फिर मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिखा कि ‘घर्षण कब उपयोगी होता है?’ ‘घर्षण कब एक समस्या होती है?’ प्रत्येक समूह को कुछ नोट्स दिए गए तथा उन्हें एक प्रश्न के लिए जितने उत्तर याद हों, उन सभी को लिखने के लिए कहा गया। जब वे दूसरा विचार मंथन कर रहे थे, तो मैंने दूसरी गतिविधि से जुड़े कागज को दीवार पर चिपका दिया। लेकिन मैं उनकी बातों को अभी भी सुन रही थी। एक विद्यार्थी, संजय के पास कुछ आश्चर्यजनक विचार थे। सामान्यतः पर वह चुप रहता है, लेकिन ऐसा लगता था कि उसे इस गतिविधि में मज़ा आ रहा था।

जब उन्होंने काम पूरा कर लिया, तो मैंने उन्हें आसपास घूमने और दीवार पर पोस्टरों को देखने के लिए कुछ मिनटों का समय दिया, जबकि मैं नोट्स को ब्लैकबोर्ड पर लगा रही थी। और अंत में, मैंने नोटस् से कुछ विचारों को पढ़ा। वे जल्द ही समझ गए कि जटिल विषय था। कभी–कभी आपको की जरूरत होती है और कभी इसे कम करने की आवश्यकता होती है। इससे घर्षण को कम करने के कुछ तरीकों पर चर्चा की शुरूआत संभव हुई।

दूसरी गतिविधि करते हुए जब लगभग आधा समय बीत गया था। प्रधानाचार्या कक्षा में आईं क्योंकि किसी ने शोर के बारे में शिकायत की थी। वह घूर रही थीं और मुझे चिंता हो रही थी। लेकिन जब मैंने उन्हें पोस्टर दिखाए तो उन्हें समझ में आया कि मेरी कक्षा के विद्यार्थी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मैंने समझाया कि मुझे विचार मंथन करने से यह पता चला कि उन्हें घर्षण के बारे में अधिक याद नहीं है, तथा मुझे अगले दिन के लिए न्यूटन के गति के पहले नियम से संबंधित पाठ की फिर से योजना बनानी होगी।

श्रीमती गुप्ता की कक्षा में विचार मंथन से संबंधित प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करने के लिए छोटे और बड़े दोनो कागजों (A3 शीटस् ) का इस्तेमाल किया गया था। आप ब्लैकबोर्ड या फ्लिपचार्ट का प्रयोग भी कर सकते हैं – यह इस पर निर्भर करता है कि आपके पास क्या उपलब्ध है? तथा आप अब आगे कौन सा काम करना चाहते हैं? विचार मंथन के परिणामों को बनाए रखना उपयोगी होता है? विशेष रूप से जब इसका प्रयोग कक्षा के विद्यार्थियों को किसी खास विषय में पूर्वज्ञान का पता लगाने के लिये कर रहे हों। यदि आपने विचार मंथन के परिणामों को ब्लैकबोर्ड पर नोट किया है, तो आप भावी संदर्भ के लिए इसकी मोबाइल फोन से फोटो ले सकते हैं। रिकॉर्ड रखने से, आप तथा आपकी कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा यह देखा जा सकता है कि विषय के दौरान उनके विचार किस प्रकार से विकसित होते हैं।

4 विचार मंथन को पूरा करना

एक बार जब विचार प्राप्त किए जा चुके हों, तो आपको इस बात पर विचार करना होगा कि उनका किस प्रकार से इस्तेमाल किया जाए। विचारों की मात्र उत्पत्ति करना पर्याप्त हो सकता है और आप विचार मंथन के परिणामों को दीवार पर चिपका सकते हैं, जिससे यदि आपके विद्यार्थी चाहें तो उनका संदर्भ ले सकें। यद्यपि, जैसा कि आपने गतिविधि 1 मे देखा, विचारों का प्रयोग करने से आगे की सृजनशीलता विकसित की जा सकती है। गतिविधि के दौरान, आपसे गृहकार्य गतिविधि की डिज़ाइनिंग और अपने शिक्षण को संवर्धित और विचार मंथन के परिणामों का प्रयोग करने के लिए कहा गया था।

ऐसे और भी दूसरे तरीके हैं जिनका प्रयोग विचार मंथन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए कर सकते हैं। आप अपने विद्यार्थियों को निम्नलिखित के लिए कह सकते हैं–

  • तीन (या पांच, या दस) सबसे उपयुक्त (महत्वपूर्ण, या प्रभावकारी) विचारों को चुनने के लिए
  • स्वरूपों या आपसी सम्बन्धों की खोज करने के लिए स्वरूपों या समबन्धों को देखना
  • सटीकता पर चर्चा करने के लिए आपको कुछ विचारों को सही करने की जरूरत हो सकती है, यदि वे वैज्ञानिक रूप से गलत हैं
  • सूची तैयार करने के लिए सबसे आसान लेकिन संभवतः सबसे कम कल्पानात्मक विकल्प
  • माइंड मैप या संकल्पना मैप (कन्सेप्ट मैप) तैयार कर करने के लिए संबंधित इकाईयों को देखें
  • पोस्टर तैयार करने के लिए
  • वॉयस क्लिप रिकार्ड करने के लिए आप मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं
  • उनकी अंतिम सहमति को दर्शाने के लिए कार्टून तैयार करना।

यदि आप चाहते हैं कि आपके विद्यार्थी माइन्ड मैप तैयार करें। उदाहरण के लिए किसी विषय का सारांश तैयार करने के लिए विचार मंथन से एक उपयोगी प्रारम्भिक बिन्दु मिल सकता है। ब्लैकबोर्ड पर विचारों को लिखें, इसके बाद अपने विद्यार्थियों को जोड़ी के रूप में काम करते हुए विचारों को माइंड मैप में व्यवस्थित करने के लिए कहें।

5 अपनी कक्षा में विचार मंथन गतिविधि का आयोजन करना

अगला चरण अपनी कक्षा में विचार मंथन करने से संबंधित व्यवहारिक बातों पर विचार करना है। इसमें तीन महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं:

  • आप यह सुनिश्चित करने के लिए क्या करेंगे कि इस गतिविधि से शिक्षण में मदद मिलती है?
  • आप, विचार मंथन से प्राप्त होने वाले विचारों का प्रयोग किस प्रकार से करेंगे?
  • आप अपनी कक्षा को किस प्रकार से व्यवस्थित करेंगे? क्या, आप पूरी कक्षा के साथ काम करेंगे अथवा अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को समूहों में बांट देंगे? आप समूहों की व्यवस्था किस प्रकार से करेंगे?

सामान्यतः विद्यार्थियों की उपलब्धि के संदर्भ में समूहों में विचार मंथन जितना अधिक विविधतापूर्ण संभव हो, उतना होना चाहिए। आप कभी–कभी विद्यार्थियों को उपलब्धि के आधार पर समूहों में बांटने पर विचार कर सकते हैं और उन्हें भिन्न–भिन्न जटिलता के संकेत दे सकते हैं, जिससे आप अपने विद्यार्थियों के लिए गतिविधि में विविधता ला सकें।

गतिविधि 3: ’बल और गति के नियम’ विषय के कठिन भाग को प्रस्तुत करने के लिए विचार मंथन गतिविधि की योजना बनाना

इस गतिविधि से आपको अपनी कक्षा के साथ ’बल और गति के नियम’ विषय के कठिन भाग के संबंध में विचार मंथन गतिविधि को तैयार करने में मदद मिलेगी।

वलों और गति विषय के संबंध में किसी एक खास पहलू को चुनें जो आपके विद्यार्थियों को कठिन लगता है। उदाहरण के लिए, यह, ‘जड़ता और द्रव्यमान’, ‘संवेग का संरक्षण’ या न्यूटन के गति के तीन नियमों में से कोई नियम हो सकता है।

जिन शिक्षण परिणामों को आप विचार मंथन से प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें लिखें। उस विज्ञान से संबंधित एक शिक्षण परिणाम होना चाहिए जिसे आप चाहते हैं कि वे सीखें, तथा एक उन कौशलों से संबंधित होना चाहिए जिनको आप बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए–

  • प्रारम्भिक स्कूल में उन्होने जो कुछ कार्य किया उसके आधार पर यह पता लगाना कि आपकी कक्षा के विद्यार्थी द्रव्यमान के संबंध में क्या जानते और समझते हैं।
  • विद्यार्थियों को एक–दूसरे को सुनने और सामूहिक रूप से टीम में काम करने का अवसर देना।

उस संकेत के बारे में विचार करें जिन्हें आप अपने विद्यार्थियों को दे सकते हैं। आपने जिन विचारों पर गतिविधि 2 में सोचा था, उनमें से कोई विचार आप उन्हें दे सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आपके संकेत उनके लिए रूचिकर हों तथा जिससे वे जो कुछ जानते हैं, उस पर विचार करना शुरू कर सकें। इस बात का निर्णय करें कि आप अपने विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाओं को किस प्रकार से रिकॉर्ड और व्यवस्थित करेंगे। क्या आप बड़े कागज का इस्तेमाल करेंगे? उनकी पुस्तकों का? या ब्लैकबोर्ड का?

अपने विद्यार्थियों को किस प्रकार से समूहों में रखेंगे, इसकी योजना बनाएं। आपको इस बात पर विचार करना होगा कि आप अपने विद्यार्थियों को यह किस प्रकार से समझाएंगे कि उन्हें क्या करना है? तथा नियम क्या–क्या हैं? विचार मंथन से संबंधित इन नियमों को पोस्टर पर लिख दें ताकि आपको बार–बार उनका उल्लेख न करना पड़े।

अंत में, आप इस बात पर विचार करें कि आप अब आगे क्या करेंगे? जिससे उनके शिक्षण को आगे बढ़ाया जा सके। और फिर सबसे पहले अवसर पर अपनी योजना को लागू करें।

विचार के लिए रुकें

  • क्या आपके सभी विद्यार्थियों ने भाग लिया?
  • क्या कोई ऐसे विद्यार्थी थे जिन्होंने भाग नहीं लिया था?
  • आप यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि अगली बार उन सभी द्वारा भागीदारी की जाती है?

6 विचार मंथन के लिए भिन्न–भिन्न कार्य प्रणालियां

यहां पर एक अध्यापक द्वारा बताई गई बातों को पढ़ें कि किस प्रकार उन्होंने अपनी कक्षा में विचार मंथन तकनीक का प्रयोग किया था।

केस स्टडी 2: श्री प्रसाद द्वारा अपने पहले विचार मंथन सत्र के बारे में यह विचार प्रस्तुत किए गए

श्री प्रसाद अपनी IX कक्षा के विद्यार्थियों को बल से संबंधित विषय को पढ़ाना शुरू करने वाले थे। उन्होंने इस विचार मंथन सत्र के संचालन के लिए इस इकाई में पढ़े गए कुछ विचारों को अपनाने का निर्णय किया।

मैंने अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को उनके सामान्य समूहों में बांट दिया। मैंने हर समूह को एक छोटी गेंद दी, जिसे समूह के मध्य में डेस्क के ऊपर रखा गया था। मैंने प्रत्येक समूह को एक बड़ा कागज भी दिया। प्रत्येक समूह में से किसी एक विद्यार्थी को स्वयंसेवक के रूप में लेखन कार्य करने के लिए कहा। पेज के बीच में उन्होने ‘बल’ शब्द को लिखा।

मैंने तीनों समूहों को गेंद को लुढ़काने के लिए जितने तरीकों पर वे सोच सकते थे, सोचने के लिए कहा। मैंने दूसरे तीन समूहों को गेंद के लुढ़कने को रोकने के लिए जितने तरीकों पर वे सोच सकते थे, सोचने के लिए कहा। उन्होंने बहुत ही जल्द चर्चा शुरू कर दी, अनेक विचारों पर मंथन किया तथा एक–दूसरे को दिखाने के लिए उन्होंने गेंद का इस्तेमाल करना शुरू किया। एक–दूसरे के साथ मिलकर उन्होंने नए विचारों पर सोचना शुरू किया। मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई कि शांत रहने वाले विद्यार्थियों ने भी सुझाव दिए तथा अक्सर कुछ अलग प्रकार के विचारों को पेश किए जाने पर हंसी मजाक भी किया जा रहा है।

दस मिनट के बाद, मैंने चर्चा को रोका तथा उनसे कहा, ‘आपका पसंदीदा विचार कौन सा है, आप इसे शेष कक्षा को किस प्रकार दिखाएंगे? तथा इसका प्रदर्शन कौन करेगा?’ तब प्रत्येक समूह आगे आया और उन्होंने प्रदर्शन करके दिखाया। इस प्रकार हमारे पास तीन बहुत ही अलग–अलग उदाहरण थे कि गेंद किस प्रकार से लुढ़कना शुरू कर सकते है? और इसे किस प्रकार से रोका जा सकता है

फिर से उनके समूहों में, मैंने उनसे कहा, ‘अपने विचार मंथन से संबंधित विचारों की सूची को देखें, प्रदर्शन के बारे में विचार करें, तथा इस बात पर निर्णय करे कि आपके सभी विचारों में से क्या बात सर्वसामान्य रूप से उभर रही है? मैंने प्रत्येक समूह से पूछा कि वे किस निर्णय पर पहुंचे हैं तथा इसके बाद उनके उत्तरों को (कि गेंद तभी लुढ़कने लगी थी या रूक गई थी, जब इस पर बल का प्रयोग किया गया था) बल से संबंधित रेखाचित्र के साथ जोड़ा, जिसे मैंने पोस्टर पर तैयार किया था।

अब यह विचार मंथन गतिविधि समाप्त हो चुकी थी, लेकिन मुझे पूरा विश्वास था कि वे न्यूटन के गति के पहले नियम को समझ चुके थे। मैंने विद्यार्थियों से अपने कागजों और अपनी गेंदों को आगे लाने के लिए कहा तथा हमने विचार मंथन की सूची को दीवार पर लगा दिया जिससे यदि हमें बाद में इसे देखने की जरूरत हो तो हम ऐसा कर सकें। मैं उनके सृजनात्मक विचारों से वास्तव में बहुत ही प्रभावित था।

श्री प्रसाद ने इस इकाई से विचार को लिया और इसे अपनाया। अनेक सफल अध्यापकों में इस बात की योग्यता होती है कि वे दूसरे पाठों में प्रयोग में लाई जाने वाली शिक्षण तकनीकों या अपनी कक्षा के संदर्भों में प्रयुक्त तकनीकों को ‘अपना’ सकते हैं। विचार मंथन के उपरांत होने वाली चर्चा शिक्षण में बहुत उपयोगी होती है। विद्यार्थी उत्तरों को तैयार करने के लिए एक–दूसरे के साथ काम करते हैं नहीं कि उन्हें अध्यापक द्वारा उत्तर बताए जाते हैं।

7 सारांश

इस इकाई में आपको और आपकी कक्षा के विद्यार्थियों को एक ऐसी तकनीक उपलब्ध कराने पर विचार किया गया जिसके अंतर्गत सृजनात्मक विचारण कौशलों को समर्थित किया जाता है। इससे आपको अपने विद्यार्थियों के सोचने की शक्ति तथा पूर्व ज्ञान को जानने में सहायता मिलती है। इस तकनीक को विचार मंथन के रूप में जाना जाता है।

विचार मंथन का प्रयोग किसी भी विषय में विज्ञान के शिक्षण की मदद के लिए किया जा सकता है। यह विशिष्ट रूप से पिछले विषयों को दोहराने में उपयोगी होता है। यह अपने सभी विद्यार्थियों को पाठ में शामिल करने और ‘शिक्षण के लिए बातचीत करें’ को बढ़ावा देने का अच्छा तरीका है।

तकनीक के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं–

  • उचित संकेत पर विचार करना
  • उत्तरों को किस प्रकार से रिकॉर्ड करना है? इसकी योजना बनाना
  • विज्ञान के शिक्षण में मदद के लिए उत्तरों के साथ क्या किया जाए? यह योजना बनाना

संसाधन

संसाधन 1: सीखने के लिए बातचीत

सीखने के लिए बातचीत क्यों जरूरी है?

बातचीत मानव विकास का भाग है, जो सोचने–विचारने, सीखने और विश्व का बोध प्राप्त करने में हमारी मदद करती है। लोग भाषा का इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और बोध को विकसित करने के लिए औज़ार के रूप में करते हैं। अतः, विद्यार्थियों को उनके शिक्षण अनुभवों के भाग के रूप में बात करने के लिए प्रोत्साहित करने का अर्थ होगा उनकी शैक्षणिक प्रगति का बढ़ना। सीखे गए विचारों के बारे में बात करने का अर्थ होता है–

  • विद्यार्थियों के विचारों को परखा गया है
  • तार्किक क्षमता विकसित और सुव्यवस्थित है

  • जिससे विद्यार्थी अधिक सीखते हैं।

किसी कक्षा में रटा–रटाया दोहराने से लेकर उच्च श्रेणी की चर्चा तक विद्यार्थी वार्तालाप के विभिन्न तरीके होते हैं।

पारंपरिक तौर पर, शिक्षक की बातचीत का दबदबा होता था और वह विद्यार्थियों की बातचीत या विद्यार्थियों के ज्ञान के मुकाबले अधिक मूल्यवान समझी जाती थी। यद्यपि, पढ़ाई के लिए बातचीत में पाठों का नियोजन शामिल होता है ताकि विद्यार्थी इस ढंग से अधिक बात करें और अधिक सीखें कि शिक्षक विद्यार्थियों के पहले के अनुभव के साथ संबंध कायम करें। यह किसी शिक्षक और उसके विद्यार्थियों के बीच प्रश्न और उत्तर सत्र से कहीं अधिक होता है। इसमें विद्यार्थी की अपनी भाषा, विचारों और रुचियों को ज्यादा समय दिया जाता है। हम में से अधिकांश कठिन मुद्दे के बारे में या किसी बात का पता करने के लिए किसी से बात करना चाहते हैं, और अध्यापक सुनियोजित गतिविधियों से इस सहज–प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।

कक्षा में शिक्षण गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना

शिक्षण की गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना महज साक्षरता और शब्दावली के लिए नहीं है, यह गणित एवं विज्ञान के काम तथा अन्य विषयों के नियोजन का भाग भी है। इसे पूरी कक्षा में, जोड़ी कार्य या सामूहिक कार्य में, आउटडोर गतिविधियों में, भूमिका पर आधारित गतिविधियों में, लेखन, वाचन, प्रायोगिक खोज और रचनात्मक कार्य में योजनाबद्ध तरीके से किया जा सकता है।

यहां तक कि साक्षरता और गणना के सीमित कौशलों वाले छोटे विद्यार्थी भी उच्चतर श्रेणी के चिंतन कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें दिया जाने वाला कार्य उनके पहले के अनुभव पर आधारित और आनंदप्रद हो। उदाहरण के लिए, विद्यार्थी चित्रों, आरेखणों या वास्तविक वस्तुओं से किसी कहानी, पशु या आकृति के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं। विद्यार्थी भूमिका निभाते समय कठपुतली या पात्र की समस्याओं के बारे में सुझावों और संभावित समाधानों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।

जो कुछ आप विद्यार्थियों को सिखाना चाहते हैं, उसके इर्दगिर्द पाठ की योजना बनायें और इस बारे में सोचें, और साथ ही इस बारे में भी कि आप किस प्रकार की बातचीत को विद्यार्थियों में विकसित होते देखना चाहते हैं। कुछ प्रकार की बातचीत खोजपरक होती है, उदाहरण के लिएः ’इसके बाद क्या होगा?’, ’क्या हमने इसे पहले देखा है?’, ’यह क्या हो सकता है?’ या ’आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि वह यह है?’ कुछ अन्य प्रकार की बात–चीत ज्यादा विश्लेषणात्मक होती हैं, उदाहरण के लिए विचारों, साक्ष्य या सुझावों का आकलन करना।

इसे रोचक, मज़ेदार और सभी विद्यार्थियों के लिए संवाद में भाग लेना संभव बनाने की कोशिश करें। विद्यार्थियों को उपहास का पात्र बनने या गलत होने के भय के बिना दृष्टिकोणों को व्यक्त करने और विचारों का पता लगाने में सहज होने और सुरक्षित महसूस करने की जरूरत होती है।

विद्यार्थियों की वार्ता को आगे बढ़ाएं

शिक्षण के लिए वार्ता अध्यापकों को निम्न अवसर प्रदान करती हैः

  • विद्यार्थी जो कहते हैं उसे सुनना
  • विद्यार्थियों के विचारों की प्रशंसा करना और उस पर आगे काम करना
  • इसे आगे ले जाने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना।

सभी उत्तरों को लिखना या उनका औपचारिक आकलन नहीं करना होता है, क्योंकि वार्ता के जरिये विचारों को विकसित करना शिक्षण का महत्वपूर्ण भाग है। आपको उनके शिक्षण को प्रासंगिक बनाने के लिए उनके अनुभवों और विचारों का यथासंभव प्रयोग करना चाहिए। अच्छे विद्यार्थी वार्ता पर गम्भीर होते है, जिसका अर्थ होता है कि विद्यार्थी एक दूसरे के विचारों की जांच करते हैं और चुनौती पेश करते हैं जिससे वे अपने प्रत्युत्तरों को लेकर विश्वस्त हो सकें। एक साथ बातचीत करने वाले समूहों को किसी के भी द्वारा दिए गए उत्तर को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। आप पूरी कक्षा की सेटिंग में ‘क्यों?’, ‘आपने उसका निर्णय क्यों किया?’ ‘क्या आपको उस हल में कोई समस्या नजर आती है?’ जैसे जांच वाले प्रश्नों के अपने प्रयोग के माध्यम से चुनौतीपूर्ण विचारशीलता को तैयार कर सकते हैं। आप विद्यार्थी समूहों को सुनते हुए कक्षा में घूम सकते हैं तथा प्रश्न पूछकर उनकी विचारशीलता को बढ़ा सकते हैं।

अगर विद्यार्थियों की वार्ता, विचारों और अनुभवों की कद्र और सराहना की जाती है तो वे प्रोत्साहित होंगे। बातचीत करने के दौरान अपने व्यवहार, सावधानी से सुनने, एक दूसरे से प्रश्न पूछने, और बाधा न डालना सीखने के लिए अपने विद्यार्थियों की प्रशंसा करें। कक्षा में कमजोर विद्यार्थियों के बारे में सावधान रहें और उन्हें भी शामिल किया जाना सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करें। कामकाज के ऐसे तरीकों को स्थापित करने में थोड़ा समय लग सकता है, जो सभी विद्यार्थियों को पूरी तरह से भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हों।

विद्यार्थियों को खुद से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें

अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करें जहां अच्छे चुनौतीपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं और जहां विद्यार्थियों के विचारों को सम्मान दिया जाता है और उऩकी प्रशंसा की जाती है। विद्यार्थी प्रश्न नहीं पूछेंगे अगर उन्हें उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर भय होगा या अगर उन्हें लगेगा कि उनके विचारों का मान नहीं किया जाएगा। विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करना उनको जिज्ञासा दर्शाने के लिए प्रोत्साहित करता है, उनसे अपने शिक्षण के विषय में अलग ढंग से विचार करने के लिए कहता है तथा उनके नजरिए को समझने में आपकी सहायता करता है।

आप कुछ नियमित समूह या जोड़े में कार्य करने, या शायद ‘विद्यार्थियों के प्रश्न पूछने का समय’ कोई योजना बना सकते हैं जिससे विद्यार्थी प्रश्न पूछ सकें या स्पष्टीकरण मांग सकें। आप–

  • अपने पाठ के इस भाग से ‘अगर आपका प्रश्न है तो हाथ उठाएं’।
  • किसी विद्यार्थी को हॉट–सीट पर बैठा सकते हैं और दूसरे विद्यार्थियों को उस विद्यार्थी से प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए पाइथागोरस या मीराबाई
  • जोड़ों में या छोटे समूहों में ‘मुझे और अधिक बताएं’ खेल, खेल सकते हैं
  • मूल पूछताछ का अभ्यास करने के लिए विद्यार्थियों को कौन/क्या/कहां/कब/क्यों वाले प्रश्न ग्रिड दे सकते हैं
  • विद्यार्थियों को कुछ आंकड़ा (जैसे कि विश्व डेटा बैंक से उपलब्ध डेटा, उदाहरणतः पूर्णकालिक शिक्षा में बच्चों की प्रतिशतता या भिन्न देशों में स्तनपान की विशेष दरें) दे सकते हैं, और उनसे उन प्रश्नों के बारे में सोचने के लिए कह सकते हैं जो आप इस आंकड़ों के बारे में पूछ सकते हैं
  • विद्यार्थियों के सप्ताह भर के प्रश्नों को सूचीबद्ध करते हुए प्रश्न दीवार डिज़ाइन कर सकते हैं।

जब विद्यार्थी प्रश्न पूछने और उन्हें मिलने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुक्त होते हैं तो उस समय आपको रुचि और विचारशीलता के स्तर को देखकर हैरानी होगी। जब विद्यार्थी अधिक स्पष्टता और सटीकता से संवाद करना सीख जाते हैं, तो वे न केवल अपनी मौखिक और लिखित शब्दावलियां बढ़ाते हैं, अपितु उनमें नया ज्ञान और कौशल भी विकसित होता है।

संसाधन 2: बलों और गति पर विचार मंथन करने के लिए कुछ संकेत

तालिका R2.1 ‘बल और गति’ पर विचार मंथन करना।
शिक्षण परिमामसंकेत (प्रॉम्प्ट)टिप्पणी
यह पता लगाना कि आपकी कक्षा के विद्यार्थी बल और गति के बारे में पहले से क्या जानते हैं‘बल और गति’अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को इस बात पर सोचने के लिए प्रोत्साहित करें कि उन्होंने प्राथमिक स्कूल में क्या सीखा था
किसी खास विषय के बारे में गहराई से सोचना

‘यदि घर्षण न होता तो दुनिया कैसी होती?’

‘एक लुढ़कती हुई गेंद की कल्पना करें। इसे रोकने के सभी तरीकों पर विचार करें।‘

वास्तव में इससे उनकी कल्पना की जांच होगी तथा वे घर्षण के परिणामों को सोच पाएंगे।

इससे विद्यार्थियों को यह समझने में मदद मिलेगी कि चीजों को चलाने के लिए बल की आवश्यकता होती है या उन्हें चलने से रोकने के लिए बल की जरूरत होती है।

विभिन्न प्रकरणों और विषयों के बीच में संबंध बनाना।‘ऊर्जा’विद्यार्थियों ने भिन्न–भिन्न संदर्भों में ‘ऊर्जा’ शब्द को सुना होगा। इससे उन्हें उन बातों को संजोने में सहायता मिलेगी जो कुछ उन्होने भौतिकी (उर्जा अंतरण), रसायन शास्त्र (ऊर्जा की उत्पत्ति कैसे करें?) तथा जीव विज्ञान (सजीव प्राणी अपनी ऊर्जा किस प्रकार प्राप्त करते हैं?) आदि विषयों में सीखीं थी।
रोज़मर्रा की जिंदगी के साथ विज्ञान को जोड़ना।

‘आज आपने कौन–कौन से लीवरों का प्रयोग किया?’

‘हमारे दैनिक जीवन में बल हमारी किस प्रकार से सहायता करते हैं?’

बच्चों के खेलकूद के मैदान की चित्र, या कोलार्ज और पुलियों से युक्त भवन स्थल की चित्र

इन संकेतों से विद्यार्थियों को यह बात समझने में सहायता मिलेगी कि विज्ञान उनके आसपास मौजूद है, न कि केवल विज्ञान की कक्षाओं में।

याद रखें कि चित्रों और को भी संकेतों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

अतिरिक्त संसाधन

References

Doyle, W. (1983) ‘Academic work’, Review of Educational Research, vol. 53, no. 2, pp. 159–99.
Fowler, G. (2013) ‘Let creativity fly in the classroom’, TESPro, vol. 2, no. 31, pp. 4–7.
Osborn, A.F. (1953) Applied Imagination: Principles and Procedures of Creative Problem Solving. New York, NY: Charles Scribner's Sons.
Rao, Z. (2007) ‘Training in brainstorming and developing writing skills’, ELT Journal, vol. 61, no. 2, pp. 100–106.
Wellington, J.J. and Ireson, G. (2012) Science Teaching, Science Learning. London, UK: Routledge.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।