Skip to main content
Printable page generated Friday, 14 February 2025, 11:54 AM
Use 'Print preview' to check the number of pages and printer settings.
Print functionality varies between browsers.
Unless otherwise stated, copyright © 2025 The Open University, all rights reserved.
Printable page generated Friday, 14 February 2025, 11:54 AM

प्रायोगिक कार्य तथा जांच-पड़ताल : कक्षा 9 में गुरूत्वाकर्षण पढ़ाना

यह इकाई किस बारे में है

प्रायोगिक कार्य विज्ञान शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसमें अनेक गतिविधियां शामिल होती हैं तथा इसका प्रयोग अनेक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे–

  • किसी अवधारणा या विचार को स्पष्ट करना जिससे ज्ञान के सृजन की प्रक्रिया के दौरान प्राप्त साक्ष्य से विद्यार्थियों को तर्क-वितर्क विकसित करने में मदद की जा सके।
  • व्यवहारिक, बुद्धिमत्तायुक्त प्रयोगशाला कौशल सीखना तथा माइक्रोस्कोप जैसे विज्ञान के उपकरणों के प्रयोग को सीखना
  • अवलोकनात्मक कौशलों को सीखना, जैसे कोशिका की संरचना या रसायन को गर्म करने पर परिवर्तनों का अवलोकन करना
  • विशिष्ट विज्ञान पूछताछ कौशल विकसित करना जैसे उपयुक्त परीक्षण तैयार करना या साक्ष्य की समालोचनात्मक परीक्षण करना (विज्ञान में खोज)
  • ‘विज्ञान की प्रकृति’ तथा वैज्ञानिक किस प्रकार से काम करते हैं इसका अनुभव और समझ विकसित करना।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCERT, 2005) में यह कहा गया है कि विज्ञान में नवाचार और सृजनशीलता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, तथा ‘पूछताछ संबंधी कौशल का समर्थन और इसे मजबूत किया जाना चाहिए’ (पृष्ठ 49)। प्रायोगिक कार्य, और विज्ञान के प्रति विशेष रूप से खोज परक कार्यप्रणाली से आपके विद्यार्थियों द्वारा यह सीखने में मदद मिल सकती है कि वैज्ञानिक किस प्रकार से काम करते हैं तथा वे स्वयं के पूछताछ संबंधी कौशल का विकास कर सकते हैं।

इस इकाई में प्रायोगिक कार्यप्रणालियों के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी गयी है - विशेष रूप से खोज परक प्रायोगिक कार्य प्रणालियां- जिससे विद्यार्थियों को गुरूत्वाकर्षण के बारे में सीखने में मदद मिल सके। आप इस इकाई में जो रणनीतियाँ और तकनीक सीखेंगे वे दूसरे विषयों पर भी लागू होंगी।

आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं

  • किस प्रकार से विद्यार्थियों को सामूहिक प्रायोगिक कार्य के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण के बारे में सीखने में मदद मिल सकती है।
  • प्रायोगिक कार्य के संबंध में खोज संबंधी कार्य प्रणालियों का महत्व।
  • प्रभावी खोज कार्य के लिए योजना कैसे तैयार करें?
  • प्रायोगिक कार्य के प्रभाव का किस प्रकार मूल्यांकन करें?

यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है

विज्ञान एक प्रायोगिक विषय है। यद्यपि प्रायोगिक गतिविधियों से विद्यार्थियों को सीखने में मदद मिल सकती है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना तैयार करना अपेक्षित है, जिससे वे प्रभावी साबित हों। कुछ प्रायोगिक गतिविधियां विद्यार्थियों को मानक प्रक्रियाओं का अभ्यास करने के अवसर देती हैं, जिनमें वैज्ञानिक अवधारणाओं तथा विज्ञान की प्रकृति को समझने के लिए अधिक गहन चिन्तन अपेक्षित नहीं होता है। इस इकाई से आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि आपके विद्यार्थी वैज्ञानिक विचारों तथा प्रक्रियाओं के बारे में सोचने और साथ ही प्रायोगिक कौशल को सीखने पर विचार करने के लिए अवसर के रूप में प्रायोगिक गतिविधियों का इस्तेमाल करते हैं।

खोज संबंधी प्रायोगिक कार्य में प्रश्न पूछे जाते हैं कि,– ‘कौन से कारक प्रभावित करते हैं …?’, ‘क्या इसके बीच कोई संबंध है…?’, ‘… के संभावित कारण क्या हो सकते हैं…?’ खोज संबंधी कार्य को निष्पादित करने के लिए, विद्यार्थियों को संबंधित विज्ञान अवधारणाओं के बारे में सोचना और उन्हें लागू करना होता है, और साथ ही विज्ञान संबंधी कौशलों और तकनीकों को इस्तेमाल करना होता है।

इस इकाई में यह सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है कि जो प्रायोगिक कार्य आप करते हैं, वह उद्देश्यपूर्ण है। विज्ञान के बारे में और वैज्ञानिक किस प्रकार से कार्य करते हैं? आदि बातों को सीखने में उससे सहायता मिलती है। यह महत्वपूर्ण है कि प्रायोगिक कार्य की योजना सावधानीपूर्वक बनाई जाए जिससे इसमें बिना अतिरिक्त समय लगाये सीखने में बढ़ोत्तरी हो।

1 किस प्रकार का प्रायोगिक कार्य?

प्रभावी प्रायोगिक कार्य महत्वपूर्ण होता है जिससे अधिक प्रभावी रूप से सीखा जा सकता है। इसमें ‘हैंड्स ऑन’ और ‘माइन्ड्स ऑन’ (शारीरिक और बौद्धिक सक्रियता) दोनो ही होते हैं। अनेक विस्तृत प्रकार के प्रायोगिक कार्य हैं, जिनमें से प्रत्येक के लाभ और नियोजन मुद्दे में शामिल हैं–

  • प्रदर्शन (प्रयोग करके दिखाना)
  • ढांचागत प्रयोग
  • ‘रोटेटिंग’ प्रयोग या ‘सर्कस’ प्रयोग
  • खोज
  • समस्या समाधान।

प्रदर्शन करने के अतिरिक्त, सभी प्रकार के प्रायोगिक कार्यों में विद्यार्थियों द्वारा जोड़ी में या समूहों में काम करना शामिल होता है। खोज करने और समस्या का समाधान करने से संबंधित प्रयोगों से विद्यार्थियों को स्वतंत्र व सृजनात्मक कार्य करने का अवसर मिलता है। जबकि ढांचागत प्रायोगिक गतिविधियां मानक तकनीकों से परिचित होने तथा उनका अभ्यास करने के लिए अच्छी होती हैं। सर्कस प्रयोगों से उपकरणों की आवश्यकता में कमी करने में सहायता मिल सकती है। आप संसाधन 1 में प्रत्येक किस्म के प्रायोगिक कार्य के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

किस प्रकार के प्रायोगिक कार्य का इस्तेमाल किया जाए यह विकल्प गतिविधि के उद्देश्य तथा साथ ही समय और संसाधन संबंधी सीमाओं पर निर्भर करता है। ‘उद्देश्य’ और ‘विद्यार्थियों को क्या सीखना चाहिए’? का सम्बन्ध संकल्पनात्मक विज्ञान संबंधी जानकारी या प्रयोगशाला प्रक्रियाओं से होता है। इसका सम्बन्ध खोज कौशलों, प्रस्तुतीकरण सम्प्रेषण कौशलों और साथ ही समूह कार्यकरण कौशलों से भी है। विद्यार्थियों को सभी कौशलों द्वारा पढ़ाया जाना चाहिए तथा उनका अभ्यास किया जाना चाहिए।

समूह प्रायोगिक गतिविधियों को करने के लिए नियमित बातों को पढ़ाने पर समय व्यतीत करना उपयोगी साबित होता है। इससे विद्यार्थी के मुख्य उद्देश्य पर अधिक समय व्यतीत करने में समर्थ होंगे क्योंकि वे यह जानते होंगे कि प्रायोगिक गतिविधि में उनसे क्या अपेक्षा की जाती है?

एक प्रभावी समूह प्रायोगिक पाठ उस पाठ से पहले प्रभावी योजना पर निर्भर करता है। आपको सर्वश्रेष्ठ गतिविधि को चुनना होगा और साथ ही इसके समय, संगठन तथा आप प्रायोगिक गतिविधि के दौरान क्या करेंगे? इन सभी बातों पर विचार करना होगा।

किसी भी गतिविधि के लिए यह सोचना महत्वपूर्ण है, कि ‘हम क्या चाहते हैं कि विद्यार्थी क्या सीखें?’ और ‘इस गतिविधि में शिक्षण कहां पर होना चाहिए?’

विचार के लिए रुकें

  • आपके द्वारा किस प्रकार के प्रायोगिक कार्य का प्रयोग किया गया है?
  • आपको सबसे अधिक आनन्द किस प्रकार के प्रायोगिक कार्य में आता है?
  • आप किस प्रकार के प्रायोगिक कार्य के साथ सबसे अधिक सहज महसूस करते हैं?
  • आपके द्वारा अन्य अध्यापकों को किस प्रकार के प्रायोगिक कार्य को इस्तेमाल करते हुए देखा गया है?

केस स्टडी 1: गुरूत्वाकर्षण पढ़ाना और गतिविधियों का इस्तेमाल करना

श्री गुप्ता ने गुरूत्वाकर्षण से संबंधित कक्षा IX की प्रायोगिक गतिविधियों से जुड़ी अपनी योजनाओं की समीक्षा करने का फैसला किया।

इससे पहले, मैंने कक्षा IX के साथ अधिकांश प्रायोगिक गतिविधियों के लिए प्रदर्शन करना चुना था। इस वर्ष मैं पाठों में कुछ अलग प्रकार के प्रायोगिक कार्य को शामिल करना चाहूंगा। अगला प्रकरण गुरूत्वाकर्षण होगा, इसलिए मैंने कक्षा IX के गुरूत्वाकर्षण से जुड़ी भिन्न-भिन्न गतिविधियों की समीक्षा करके यह तय करने का निर्णय किया कि कौन-कौन सी गतिविधियों को प्रदर्शन के लिए रखा जाए और कौन-कौन सी गतिविधियों को सामूहिक प्रायोगिक गतिविधियों के रूप में रखने पर अधिक उपयोगी साबित होंगी।

मेरे निर्णय तीन मुद्दों से प्रभावित होंगे–

  • कक्षा IX में अनेक विद्यार्थी हैं और मेरे पास बहुत से उपकरण नहीं हैं।
  • मैंने समूह प्रायोगिक कार्य के संबंध में कोई बहुत अधिक कार्य पहले नहीं किया है, तथा मुझे इस बात की भी थोड़ी चिंता है कि समूहों में काम करने के दौरान कुछ विद्यार्थियों को संभालना कठिन हो सकता है।
  • किसी गतिविधि की योजना बनाने के लिए मुझे कोई भी तरीका क्यों न चुनना पड़े? मेरे विद्यार्थियों को उस गतिविधि से संबंधित उद्देश्य जल्दी से समझ में आना चाहिए और उनका ध्यान इधर-उधर भटकना नहीं चाहिए।

आज मैंने अध्याय की सभी प्रायोगिक गतिविधियों के लिए एक तालिका तैयार की है। मैंने प्रत्येक गतिविधि के लिए जानकारी को एकत्र किया तथा प्रदर्शन करके दिखाने या एक सामूहिक प्रायोगिक गतिविधि का इस्तेमाल करने के कारणों को भी उल्लिखित किया–

तालिका
गतिविधिमहत्वपूर्ण शिक्षण बिन्दुगतिविधि का प्रकारकारण और टिप्पणियां
1स्थिर रफ्तार पर वृत्ताकार गति में त्वरण शामिल होता है। वृत्ताकार गति के लिए वस्तु पर बल का प्रयोग किया जाना चाहिए जो कि वृत्त के केन्द्र की ओर लगने वाला होना चाहिए। इस बल के बिना, वस्तु एक सीधी रेखा में चलती है। गुरूत्वाकर्षण बल के कारण चन्द्रमा धरती के चारो ओर अपनी कक्षा में बना रहता है, आदि।अध्यापक द्वारा प्रदर्शन।जब पत्थर को छोड़ा जाता है तब होने वाला प्रक्षेप्य जोखिम- अधिक जोखिमपूर्ण होता है। मुझे इसे नियंत्रित करना होगा! इस प्रयोग का प्रदर्शन शीघ्रता से किया जा सकता है तथा विद्यार्थियों का ध्यान भी बना रहेगा
2गुरूत्वाकर्षण बल - जब किसी वस्तु को ऊपर की ओर फेंका जाता है तो वह वस्तु धरती पर वापस आ जाती हैं। मुक्त अवस्था में गिरती हुई वस्तुएं धरती की सतह की ओर निरन्तर त्वरण प्रदर्शित करती हैंअध्यापक प्रदर्शन द्वारा।संभावित जोखिम/नियंत्रण मुद्दा - अति उत्साह से पत्थर फेंकना! मुझे यह करना होगा
3वायु प्रतिरोध का प्रभाव यह है कि जितनी तेजी से पत्थर गिरता है, उतनी तेजी से कागज नहीं गिरता है। लेकिन वायु के प्रतिरोध के बिना, सभी वस्तुएं एक समान गति पर नीचे गिरती हैं।हवा वाले हिस्से के संबंध में चुनिंदा विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शन करना तथा इसके बाद अध्यापक का प्रदर्शन। यदि, वैक्यूम पम्प उपलब्ध नहीं है तो चन्द्रमा पर अंतरिक्ष यात्री के वीडियो क्लिप का डेमो। आप क्लिप को अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड कर सकते हैं तथा इसे सभी को दिखा सकते हैं।कुछ विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी अधिक प्रेरणादायक साबित होगी।
4पानी में पैदा होने वाले उत्प्लावक बल के विरूद्ध हवा से भरी बोतल को पानी के नीचे बनाए रखने के लिए उसे नीचे की ओर धकेलने की आवश्यकता। त्पेक्ष - द्रव्य में किसी वस्तु पर उर्ध्वगामी बलसमूह प्रयोग यदि विद्यार्थी स्वयं ही बल का अनुभव करते हैं तो इसे अधिक समय तक याद रखा जा सकता है। यह अधिक मौज-मस्ती भरा होता है। यदि वे अति-उत्साही हैं, तो यह विद्यार्थियों की भागीदारी के साथ प्रदर्शन हो सकता है।
5कील पानी में डूब जाती है, लेकिन कॉर्क तैरता रहता है। यदि भार उत्पेक्ष बल से अधिक है तो वस्तु डूब जाती है। उत्पेक्ष बल, द्रव्य के घनत्व और वस्तु के घनत्व पर निर्भर करता है; यदि वस्तु का घनत्व द्रव्य के घनत्व से अधिक होता है, तो वस्तु डूब जाती हैअतिरिक्त निर्देशित प्रश्न के साथ प्रदर्शन।विद्यार्थी यह सोचते हैं कि उन्हें पहले से ही उत्तर मालूम है। निर्देशित प्रश्नों के साथ त्वरित प्रदर्शन से शामिल बलों के बारे में उनकी समझ की जांच करने का अवसर प्राप्त होगा
6स्प्रिंग तुला/विस्तारित तुला/टाउट स्टि्रंग द्वारा मापा गया स्पष्ट वजन द्वारा पानी में और अधिक नीचे धकेला जाता है - ऐसा द्रव्य की ओर से उत्पेक्ष बल के कारण होता है।समूह प्रयोगइसके लिए बहुत अधिक उपकरणों की आवश्यकता नहीं पड़ती है और स्प्रिंग/स्ट्रिंग/ इलास्टिक बैंड के प्रभाव को विद्यार्थियों द्वारा स्वयं अनुभव करना उपयोगी साबित होता है

इसलिए मैं इस विषय में केवल दो गतिविधियों के लिए प्रदर्शनों के स्थान पर समूह प्रयोगों का प्रयास करने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन कुछ प्रदर्शनों के लिए मैं विद्यार्थी सहायकों की अधिक सेवाएं प्राप्त करूंगा।

गतिविधि 1: प्रायोगिक गतिविधियों का नियोजन करना

इस गतिविधि से आपको अपनी कक्षा के लिए प्रायोगिक गतिविधियों की योजना बनाने में मदद मिलेगी।

श्री गुप्ता द्वारा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा तैयार पाठ्यपुस्तक का प्रयोग किया जाता है। जिस प्रकार की तालिका श्री गुप्ता ने गुरूत्वाकर्षण अध्याय के लिए बनाई थी, उसी प्रकार की एक तालिका बनाने के लिए अपनी स्वयं की पाठ्यपुस्तक का प्रयोग करें। उन विविध प्रायोगिक गतिविधियों को देखें जिन्हें आप कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए संसाधन 1 का प्रयोग करें कि आप दो भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रयोगों की योजना बनाते हैं। आपके द्वारा गुरूत्वाकर्षण को पढ़ाने के संदर्भ में इस योजना का उपयोग करने के लिए इसे अपने पास रखें।

विचार के लिए रुकें

  • जब आप प्रायोगिक कार्य की योजना बनाते हैं तो आपके महत्वपूर्ण मुद्दे कौन-कौन से होते हैं?

स्पष्ट रूप से आप अपने पास उपलब्ध उपकरणों तथा यदि आवश्यक है, तो उन्हें किस प्रकार से सुधारना है। आदि पर विचार करते हैं। आपको इस बात पर भी विचार करना होगा कि अपने विद्यार्थियों को किस प्रकार से समूहों में व्यवस्थित करें? वे वास्तव में क्या करेंगे? तथा ऐसा करके वे क्या सीखेंगे? आप संसाधन 2 ‘पाठों की योजना बनाना’ में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

गतिविधि 2: एक ढांचागत प्रयोग की योजना बनाना

इस गतिविधि से आपको प्रायोगिक कार्य की योजना बनाने में मदद मिलेगी जिससे विद्यार्थियों को गुरूत्वाकर्षण के बारे में सीखने में सहायता किया जा सकता है। आपको संसाधनों 1 और 3 का संदर्भ ग्रहण करना होगा।

इस गतिविधि में आप ढांचागत प्रयोग के लिए योजना बनाएंगे। (उदाहरण के लिए, पाठ्यपुस्तक से उत्प्लावकता के बारे में पढ़ाना।) इस गतिविधि से संबंधित महत्वपूर्ण शिक्षण बिन्दुओं को तालिका 1 में नोट किया गया है।

ढांचागत प्रयोग की महत्वपूर्ण विशेषताओं तथा लाभों की पहचान करने के लिए संसाधन 1 का प्रयोग करें। इसके बाद संसाधन 3 को देखें। नीचे दी गई जाँच सूची (तालिका 2) का प्रयोग करते हुए, इस गतिविधि को अपनी कक्षा के साथ करने की योजना तैयार करने में इसकी सहायता ले सकते हैं। कुछ बॉक्स आंशिक रूप से पहले से ही भरे हुए हैं।

तालिका 2 ढांचागत प्रयोग जांच सूची।
मुद्दे और जानकारीअपेक्षित कार्रवाई/नोट्स
मेरी विद्यार्थियों से क्या सीखने की अपेक्षा है?
भावी नियोजन: मुझे कौन-कौन से उपकरण चाहिए?

सिंक्स की उपलब्धता

बाउल्स (पात्र या बर्तन) - इतने बड़े कि बोतलें उनमें डूब जाएं।

ढ़क्कन सहित प्लास्टिक की बोतलें

इस बात की जांच करें कि प्रत्येक समूह के लिए पर्याप्त बाउल्स (पात्र या बर्तन आदि) या सिंक्स उपलब्ध हैं।

विद्यार्थियों से पाठ के संबंध में प्रयोग करने के लिए ढ़क्कन वाली छोटी बोतलें लाने के लिए कहें।

समय: प्रायोगिक गतिविधि में कितना समय लगेगा? मुझे उपकरणों आदि की व्यवस्था करने और गतिविधि के बाद उन्हें हटाने के लिए कितना समय देना चाहिए?

समूह: यह कितने बड़े होने चाहिए? प्रत्येक समूह में कौन होना चाहिए? प्रत्येक समूह द्वारा कहां काम किया जाएगा?
सुरक्षा: सम्भावित समस्याएं क्या हो सकती हैं?पानी की छींटें या रिसाव - फिसलनयुक्त फर्शसुनिश्चित करें कि विद्यार्थी किसी भी प्रकार के रिसाव को तत्काल पोंछ देते हैं
मुद्दे और जानकारीअपेक्षित कार्रवाई/नोट्स
शिक्षण की व्यवस्था कहां की जाती है? विद्यार्थियों द्वारा किन-किन महत्वपूर्ण बातों को रिकार्ड करना चाहिए?

मेरे विद्यार्थियों को वह कौन सी जानकारी है जिसे गतिविधि को करने से पहले जानना चाहिए? क्या मुझे पाठ्यपुस्तक गतिविधि में किसी प्रश्न या जानकारी को शामिल करने की आवश्यकता है?

इस गतिविधि को करने के लिए मेरे विद्यार्थियों को किन-किन सामान्य या मानक प्रक्रियाओं को करना होगा?

अब अपने विद्यार्थियों के साथ इस प्रायोगिक गतिविधि को करने के लिए इस योजना का प्रयोग करें। क्या सभी विद्यार्थियों को गतिविधि में शामिल किया गया था? क्या सभी विद्यार्थियों को शामिल किया गया था? क्या आप इन विद्यार्थी समूहों का अगली बार प्रयोग करेंगे?

2 गुरूत्वाकर्षण के संबंध में प्रायोगिक कार्य के लिए खोज संबंधी कार्यप्रणाली का प्रयोग करना

खोज से संबंधित कार्यप्रणाली का प्रयोग करने से आपके विद्यार्थियों को इस बात के संबंध में मदद मिल सकती है कि वैज्ञानिक किस प्रकार से काम करते हैं। इससे वे प्रश्न पूछने के लिए तथा अपने विचारों की जांच करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। उन्हें यह भी विचार करना होगा कि वे क्या घटित होने वाला है? और क्यों ऐसा होने की अपेक्षा कर सकते हैं? तथा वे अपने पूर्वानुमानों के साथ अपने परिणामों की तुलना कर सकते हैं।

विज्ञान विषय के अध्यापक अनेक उद्देश्यों से खोज विधियों का प्रयोग करते हैं, अलग-अलग अध्यापक, भिन्न-भिन्न तरीके से खोज करेंगे। खोज करने का कोई ‘सही’ तरीका नहीं होता है। आपको उद्देश्य के आधार पर फैसला करना होता है। जिन परिणामों को आप समझाना चाहते हैं, उसके लिए गतिविधि की योजना बनानी पड़ती है।

खोज में सामान्यतः निम्नलिखित में से एक या अधिक शिक्षण गतिविधियां शामिल हो सकती हैं–

  • प्रश्न पूछना।
  • योजना बनाना।
  • अवलोकन करना।
  • प्रायोगिक कौशलों का प्रयोग करना।
  • आंकड़ों का विश्लेषण करना और परिपाटियों पर विचार करना।
  • समझाना और पूर्वानुमान लगाना।

कुछ खोज सापेक्षिक रूप से बन्द होते हैं। इस संबंध में एकमत बनाने का दृष्टिकोण मौजूद रहता है। इस प्रकार की खोज के उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं–

  • ‘प्रतिक्रिया की दर पर तापमान के प्रभाव की खोज करना।’
  • ‘स्प्रिंग के विस्तार तथा भार के बीच में संबंध की खोज करना (हुक का नियम)।’

  • ‘पेन्डुलम की अवधि का प्रयोग करते हुए g के मान का निर्धारण करना।’

इस प्रकार के खोज में, कुछ विद्यार्थियों को अपने अपेक्षित परिणामों की जानकारी हो सकती है, लेकिन उन्हें अभी भी उपरोक्त सूचीबद्ध अनेक शिक्षण गतिविधियों में शामिल होने की आवश्यकता होगी।

यह सीखने के लिए कि वैज्ञानिक किस प्रकार से काम करते हैं, विद्यार्थियों को किसी ऐसे अवसर की आवश्यकता होती है जहां वे किसी ऐसी चीज की खोज कर सकें जहां पर उत्तर अज्ञात है। उदाहरण के लिए, वे यह खोज कर सकते हैं कि कौन सा पेय पदार्थ सबसे अधिक अम्लयुक्त है। इस मामले में, उन्हें सावधानी से यह सोचना होगा कि किस प्रकार से एक स्पष्ट जांच की जाए, कौन-कौन सी माप आदि की जाए तथा वे किस प्रकार यह निर्णय करेंगे कि कौन सा पदार्थ सर्वाधिक था?

आप अपने विद्यार्थियों को यह कहने की बजाए कि कौन-कौन से कारकों की खोज करें, यह कह कर खोज को अधिक खुला बना सकते हैं कि वे उन कारकों की पहचान करें जिनकी वे खोज करेंगे। खोज जितनी अधिक खुली होगी, विद्यार्थियों को अंतर्निहित विज्ञान की उनकी समझ बूझ के आधार पर यह सोचना होगा कि क्या होगा? तथा इस बात पर विचार करना होगा कि इन पूर्वानुमानों की तुलना में उनके परिणाम क्या दर्शाते हैं? खुले-सिरे वाली खोज में निम्नलिखित तरह के प्रश्न हो सकते हैं कि सर्वश्रेष्ठ विधि कौन सी हो सकती है?’ या ‘मैं इस बात का कैसे पता लगा सकता/सकती हूं कि कौन–सा सर्वाधिक संभव कारण क्या है?’

यदि आपके विद्यार्थी यह सुनने के आदी हैं कि क्या करना है? तो आप उनसे यह आशा नहीं कर सकते हैं कि किसी खोज की योजना कैसे बनानी है? आपको इसे प्रक्रिया का चुनाव, या वे किन परिणामों की आशा कर सकते हैं तथा वे अपने परिणामों का विश्लेषण किस प्रकार से करेंगे। आदि जैसे पहलूओं पर चर्चा करने के लिए अधिक अवसर प्रदान करके उनके खोज से संबंधित कौशल का सृजन करना होगा।

सामान्यतः पाठ्यपुस्तक में दी गई गतिविधियां खोज परक न होकर ढांचागत प्रयोग होते हैं। यद्यपि, आप कुछ गतिविधियों को अनुकूलित कर सकते हैं जिससे उन्हें खोज से ही मिलती जुलती बनाया जा सके तथा आपके विद्यार्थियों के खोज संबंधी कौशल के विकास में मदद की जा सके।

केस स्टडी 2: विद्यार्थियों की खोज कौशलों का विकास करने में सहायता करना

श्रीमती बुलसारा द्वारा स्थानीय प्रशिक्षण सत्र के दौरान सहकर्मियों के साथ खोज कौशलों का विकास करने के लिए कुछ कार्यनीतियों पर चर्चा की गई।।

जब मैं पिछले सप्ताह प्रशिक्षण सत्र में गई थी तो हमने कुछ ऐसी बातों पर विचार किया था जो हमें प्रायोगिक गतिविधियों के दौरान करना चाहिए जिससे विद्यार्थियों के खोज संबंधी कौशल के विकास में मदद की जा सके।

प्रशिक्षक ने अध्यापकों के प्रत्येक समूह को दो सुझाव दिए थे। हमसे यह पूछा था कि आपके विचार से ये हमारे विद्यार्थियों के लिए किस प्रकार से सहायक हो सकते हैं। दो सुझाव निम्नलिखित थे–

  • जब आप अपने विद्यार्थियों को उनके द्वारा की जाने वाली प्रायोगिक गतिविधि के बारे में बता रहे हैं, तो उनसे यह पूर्वानुमान लगाने के लिए कहें कि क्या होगा? और उनसे यह बताने के लिए कहें कि वे ऐसा क्यों सोचते हैं?
  • जब विद्यार्थी काम कर रहे हों, तो उनसे यह पूछें कि क्या उनके परिणाम अपेक्षानुसार हैं? और क्यों?

हमने विचार किया कि पूर्वानुमान के बारे में कहना उपयोगी था क्योंकि इसका अर्थ है कि आपको विद्यार्थियों को इस बारे में विचार करना होगा कि वे पहले से क्या जानते हैं? तथा और उन्हें इस जानकारी को इस स्थिति से जोड़ना होगा। यदि विद्यार्थी पूर्वानुमान लगाते हैं। लेकिन वे यह नहीं बता सकते हैं कि ऐसा क्यों होगा? तो इसका अर्थ है कि उन्होंने कुछ नहीं समझा है। इसलिए आपको उनकी मदद करनी होगी।

हमने विचार किया कि दूसरा सुझाव पहले वाले सुझाव से संबंधित है। आप अपने परिणामों से आश्चर्यचकित नहीं हो सकते हैं यदि आपको इस बात की कुछ आशा नहीं है कि क्या होने चाहिए? यदि परिणाम आपके द्वारा पूर्वानुमान से कुछ भिन्न हैं, तो आपको इस बात पर विचार करना होगा कि ऐसा क्यों हुआ। संभव है कि आपकी प्रक्रिया में कुछ गलती हुई हो?

अब, हमें अपने दो सुझाव देने थे। यहां पर हमारे दो विचार दिए गये हैं–

  • इससे पहले कि आपके विद्यार्थी कोई प्रायोगिक गतिविधि शुरू करें, उनसे यह पूछें कि वे क्या माप करने जा रहे हैं? या क्या अवलोकन करने जा रहे हैं? वे ऐसा क्यों करने जा रहे हैं? तथा वे ऐसा किस प्रकार से करेंगे। हमने विचार किया कि यह उपयोगी साबित होगा क्योंकि कभी-कभी विद्यार्थी चरणबद्ध तरीके से निर्देशों का पालन करते हैं तथा वे गतिविधि पर पूर्ण रूप से विचार नहीं करते हैं या इस बात पर विचार नहीं करते हैं कि वे ऐसा किसी खास तरीके से क्यों कर रहे हैं?
  • जब विद्यार्थी काम कर रहे हैं, तो उनसे यह पूछें कि क्या उन्होंने पर्याप्त माप या अवलोकन आदि कर लिए हैं अथवा नहीं। हमने यह विचार किया कि यह उपयोगी साबित होगा क्योंकि विद्यार्थियों के पास कम से कम पांच माप होनी चाहिए इससे पहले कि उन्हें अपने परिणामों का ग्राफ तैयार करना हो। साथ ही, जैसे ही वे अपने परिणामों को देखेंगे, तो उन्हें इस बात में समर्थ होना चाहिए कि क्या कोई त्रुटि सामने आ रही है? या कुछ परिणाम ‘असामान्य’ दिखाई दे रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि उन्हें कुछ और माप आदि लेनी होंगी ताकि वे इस बात की जांच कर सकें कि क्या ‘असामान्य’ रीडिंग गलत थी? या वास्तव में कुछ ऐसा हो रहा है जिस पर उन्हें अधिक गहराई से देखने की जरूरत है।

विचार के लिए रुकें

  • आप क्या सुझाव देंगे?

श्रीमती बुलसारा ने यह बात स्पष्ट की है कि आप इस बात पर सावधानी से विचार करें कि आप जिन प्रायोगिक गतिविधियों को सामान्यतः पर करते हैं, उन्हे अधिक विचारणीय रूप से किस प्रकार से प्रस्तुत करें जिससे विद्यार्थियों की खोज कौशल के विकास में मदद की जा सके। गतिविधि 3 में आप तुलनात्मक रूप से अधिक खोज के तरीके से किसी मानक प्रयोग पर कार्य करेंगे; केस स्टडी 3 में, श्री राजा ने अपनी कक्षा को खुली खोज में व्यवस्थित किया और परिणामों के संबंध में विचार प्रस्तुत किए।

गतिविधि 3: गतिविधि को अनुकूलित करना

इस गतिविधि से आपको किसी विद्यार्थी की खोज का प्रबन्धन करने में अपने कक्षा संबंधी अभ्यास का विकास करने में मदद मिलेगी।

इस गतिविधि में आप कक्षा IX की पाठ्यपुस्तक आधारित आर्किमीडिज के सिद्धांत के लिए निर्देशों और सम्बद्ध पाठ के मौजूदा सेट से शुरूआत करेंगे। आप गतिविधि को अनुकूलित करेंगे जिससे यह अधिक खोजपरक हो जाए।

इस प्रयोग को करने का उद्देश्य क्या है? इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को आर्कीमीडिज़ के सिद्धान्त को समझने मे मदद करना है। इस वर्णित गतिविधि से अभी भी ऐसा किया जा सकेगा, परन्तु इसमें प्रश्नों से सम्बद्ध कुछ निर्देशों को बदल दिया जाएगा। आपके विद्यार्थियों की संवेग तथा दबाव से संबंधित सोच में विस्तार करने के लिए प्रयास किया जाएगा।

इन निर्देशों और प्रश्नों को ब्लैकबोर्ड पर लिखें–

  1. एक पत्थर का टुकड़ा लें और इसे रबड़ की स्ट्रिंग या स्प्रिंग तुला के साथ बांध दें। तुला या स्ट्रिंग को इस प्रकार से पकड़ें जिससे पत्थर लटकता रहे। तुला पर या स्ट्रिंग की लंबाई पर क्या रीडिंग आ रही है?
  2. धीरे-धीरे आप पत्थर को पानी के एक पात्र में डुबाएंगे। आपके विचार से स्ट्रिंग की लंबाई पर रीडिंग में क्या होगा? आपके विचार से ऐसा क्यों होगा?
  3. पत्थर को पानी में डुबाएं तथा सावधानीपूर्वक इस बात को देखें कि स्ट्रिंग की लंबाई पर रीडिंग में क्या बदलाव होता है? नई रीडिंग को रिकार्ड करें। क्या यह वही थी जिसका आपने अनुमान लगाया था? जब पत्थर पूरी तरह से डूब जाता है, तो क्या होता है? पानी के स्तर में कितनी वृद्धि हुई है? (इससे आपको पत्थर के आयतन का पता चलेगा।)
  4. भिन्न-भिन्न आकार के पत्थरों के साथ इस प्रयोग को दोहराएं। पत्थर के आयतन और तराजू पर रीडिंग में परिवर्तन के बीच में क्या संबंध है?
  5. कारण सहित पूर्वानुमान– अन्य द्रव्यों जैसे तेल या शीरे में पत्थर को डुबाने का क्या प्रभाव होगा?
  6. पूर्वानुमान और कारण: मान लें कि हम पत्थर को एक छोटी थाली में रखते हैं, पानी के अंदर और बाहर इस थाली का वजन करते हैं, और फिर पानी में तथा पानी के बाहर इसका वजन करने से पहले इसे फॉयल या मिट्टी (जिसका समान आयतन है) कस कर लपेटते हैं। हम क्या अवलोकन करते हैं?

भिन्न-भिन्न द्रव्यों का इस्तेमाल करने के परिणामस्वरूप विद्यार्थी विस्तार में परिवर्तन का (तथा इसलिए भार में स्पष्ट परिवर्तन) द्रव्य के भिन्न-भिन्न घनत्वों में उत्क्षेप में परिवर्तन के साथ सह-संबंध स्थापित कर पाएंगे। द्रव्य का घनत्व जितना अधिक होता है। प्रतिस्थापित किए जाने पर यह उतना ही अधिक उत्क्षेप प्रदान करता है।

अंतिम बिन्दु से विद्यार्थियों को यह पता लग जाना चाहिए कि प्रतिस्थापन के आयतन को बढ़ाने से (थाली में पत्थर को रखने से) वजन की कमी में वृद्धि होती है। जितना अधिक पानी को प्रतिस्थापित किया जाता है, उत्क्षेप उतना ही अधिक होता है।

चित्र 1 जब विद्यार्थी समूह में काम करते हैं, तो उनकी भूमिकाएं निर्धारित करना एक अच्छी बात साबित होती है। इस चित्र में समूह के लीडर द्वारा यह निर्धारित किया जा रहा है कि लेखन कार्य कौन करेगा? उपकरणों को एकत्र और उनकी कौन सेटिंग करेगा? और प्रयोग कौन करेगा?

केस स्टडी 3: कक्षा में खोज

श्रीमती बुलसारा द्वारा अपने विद्यार्थियों के साथ एक खोज की गई है।

डाइट में एक प्रशिक्षण सत्र में भाग लेने के कारण, मैं अपने विद्यार्थियों द्वारा एक उचित खोज करने के प्रति बहुत उत्सुक थी। मैंने हेलीकॉप्टर तैयार करने का निर्णय किया (संसाधन 5 देखें)।

सबसे पहले मैंने एक सरल हेलीकॉप्टर तैयार किया। मैं कुर्सी पर खड़ी हुई और मैंने हैलीकॉप्टर ऊर्ध्वाधर रूप से नीचे गिरा दिया। मैंने राकी से इसके गिरने में लगने वाले समय को नोट करने के लिए कहा। तब मैंने अपने विद्यार्थियों से पूछा कि हम इसे तेजी से किस प्रकार गिरा सकते हैं। किसी ने सुझाव दिया कि ‘पंखों’ को छोटा करके। फिर मैंने पेपर का एक क्लिप लगा दिया, और इसे फिर से गिराया। मैंने समझाया कि, मैं यह चाहती हूं कि प्रत्येक समूह द्वारा हेलीकॉप्टर के बारे में कुछ परिवर्तन पर विचार किया जाना चाहिए तथा इसके बाद इसके नीचे गिरने में लगने वाले समय पर उस परिवर्तन के प्रभाव की जांच करनी चाहिए।

उन्होंने छहः-छहः विद्यार्थियों के समूह में काम किया। कुछ समूहों ने पंखों को छोटा बना दिया, कुछ ने पेपर क्लिप जोड़ दिए तथा एक समूह ने भिन्न भिन्न प्रकार के कागज़ों के हेलीकॉप्टर बनाए। उनको यह फैसला करना था कि समय की माप कैसे की जाए? तथा उनके परिणामों को किस प्रकार से रिकार्ड किया जाए? मैंने प्रत्येक समूह से इसे सारांश में प्रस्तुत करने के लिए एक प्रश्न लिखने के लिए कहा कि वे क्या पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं?

जुन्ता के समूह को यह अहसास हुआ कि समय की सही-सही माप करना कठिन है, इसलिए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि एक ही व्यक्ति द्वारा इसे हर बार किया जाए तथा प्रत्येक ड्रॉप के लिए उन्होंने तीन माप लिया जिससे वे औसत समय निकाल सकें।

उनके पास बहुत ही कम समय में बहुत सी रीडिंग उपलब्ध थीं, इसलिए उनके पास परिणामों को किस प्रकार से प्रस्तुत करना है तथा अपने निष्कर्ष को किस प्रकार से समझाना है, इसके लिए बहुत अधिक समय था।

मेरे विद्यार्थियों ने वास्तव में पाठ का आनन्द लिया तथा प्रत्येक इसमें शामिल था। जब मैंने इसके बाद इस पर विचार किया, तो मुझे यह अहसास हुआ कि उन्होंने ऐसे अनेक काम किए हैं जो वास्तविक वैज्ञानिक करते हैं। उन्होंने खोज के लिए एक प्रश्न पर विचार किया। उन्होंने यह योजना बनाई कि इसे स्पष्ट व सही कैसे जांचा जाए? समय का सर्वश्रेष्ठ प्रबन्धन करने के लिए उन्होंने परीक्षण किए। उन्होंने यह निर्णय किया कि अपने परिणामों को किस प्रकार से रिकॉर्ड करना है तथा उन्होंने निष्कर्ष को लिखा था। दूसरे शब्दों में, उन्होंने कुछ ऐसी चीज का पता लगाया था, जिसे वे पहले से नहीं जानते थे।

मैंने प्रत्येक समूह से कहा, ‘आपने क्या किया है? इसका वर्णन करने के लिए एक पोस्टर तैयार करें और इसे शेष कक्षा के समक्ष प्रस्तुत करें।’ अंत में, मैंने उनसे यह पूछा कि वे अपने निष्कर्ष के प्रति कितने विश्वस्त थे। उन्हें क्या कठिन लगा? तथा वे अपने परिणामों की विश्वसनीयता में कैसे सुधार कर सकते थे?

3 प्रायोगिक गतिविधि की प्रभाविकता का आकलन करना

विचार के लिए रुकें

उन दो प्रायोगिक गतिविधियों पर विचार करें जो आपके विद्यार्थियों के बीच में सफल साबित हुई थीं। वे किस प्रकार की गतिविधियां थी? आपने ऐसा क्या देखा जिससे आपने यह सोचा कि वे विशेष रूप से प्रभावी थीं?

इस इकाई में इसके बारे में जानकारी दी कि आप किस प्रकार से प्रायोगिक कार्य की योजना बनाते हैं? और उसे निष्पादित करते हैं, जिससे उसे अधिक प्रभावी बनाया जा सके। लेकिन किसी प्रायोगिक गतिविधि के प्रभाव का आकलन आप किस प्रकार से कर सकते हैं? क्या कोई गतिविधि प्रभावी है? जहां पर–

  • प्रत्येक के द्वारा निर्देशों के एक सेट का अनुपालन किया जा रहा है और अपेक्षित परिणाम प्राप्त किए जा रहे हैं?
  • प्रत्येक यह सीखता है कि किसी खास तकनीक का निष्पादन कैसे किया जाए?
  • विद्यार्थी अवलोकन को देखकर आश्चर्यचकित हैं कि क्या हो रहा है? इस संबंध में उन्हें अपनी समझ पर पुनर्विचार करना पड़ता है?

आप किसी गतिविधि के प्रभाव का आकलन अपेक्षित के संदर्भ में कर सकते हैं। पहले चरण में यह स्पष्ट होना चाहिए कि आप गतिविधि से क्या अपेक्षा करते हैं? फिर यह निर्णय करते हैं कि पाठ के दौरान या बाद में साक्ष्य के रूप में आप किस चीज पर विचार करते हैं

गतिविधि 4: अपने नियोजन तथा कक्षा में अभ्यास का विकास करना

इस गतिविधि से आपको अपनी योजना तथा कक्षा में अभ्यास के विकास में मदद मिलेगी।

आप अपने पाठ संबंधी योजना में अपेक्षित शिक्षण परिणामों की तुलना में किसी गतिविधि की प्रभाविकता का आकलन करने के लिए एक जांच सूची का प्रयोग करेंगे।

  • गुरूत्वाकर्षण से संबंधित कक्षा IX की पाठ्यपुस्तक आधारित एक ऐसी गतिविधि को चुनें जिस पर आप आगे कार्य करना चाहेंगे।
  • आपको संसाधन 3 की भी आवश्यकता होगी। इसमें किसी गतिविधि के लिए सुझाए गए महत्वपूर्ण उद्देश्यों तथा परिणामों की सूची शामिल है।
  • गुरूत्वाकर्षण के शिक्षण के संबंध में आप किस प्रकार अपनी चुनी हुयी गतिविधि के प्रयोग की इच्छा रखते हैं। इस गतिविधि का महत्वपूर्ण उद्देश्य क्या है? आप इससे किस प्रकार के परिणाम या परिणामों की अपेक्षा करते हैं? उदाहरण के लिए, क्या महत्वपूर्ण उद्देश्य फिर से याद करना? प्रायोगिक कौशल में सुधार करना या साक्ष्य का मूल्यांकन करना है?
  • प्रत्येक महत्वपूर्ण उद्देश्य या परिणाम के लिए, जांच सूची में एक या अधिक प्रश्न दिए गए हैं। जिन्हें आपको अपने आप से पूछना है। इससे पहले कि आप इन्हें अपनी पाठ योजना में शामिल करते हैं। आपको यह निर्णय करना है कि आपको निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर देने के लिए साक्ष्य कब प्राप्त होगा–
    • क्या आप अपने विद्यार्थियों द्वारा कार्य करने के दौरान अवलोकन करेंगे?
    • क्या आपको अपने विद्यार्थियों से उनके कार्य करने के दौरान प्रश्न पूछने होंगे या पूर्ण सत्र के दौरान?
    • क्या आपको अपने विद्यार्थियों के लिखित कार्य को देखने की आवश्यकता पड़ेगी?
  • अपनी पाठ योजना में इन अतिरिक्त नोट्स को शामिल कर लें।
  • अपनी संशोधित योजना का प्रयोग करते हुए गतिविधि को निष्पादित करें।
  • पाठ के बाद, अपने साक्ष्य की समीक्षा करें। आपके विचार से, आपके साक्ष्य के आधार पर यह गतिविधि कितनी प्रभावी थी? इस गतिविधि को फिर से करने से पहले आप क्या परिवर्तन करेंगे?

4 सारांश

इस इकाई में आपने यह सीखा है कि किस प्रकार से समूह प्रायोगिक कार्य में कुछ विधियों से गुरूत्वाकर्षण के शिक्षण में सहायता मिल सकती है, तथा साथ ही आपने खोज कार्य प्रणालियों के महत्व के बारे में भी जानकारी प्राप्त की है। आपने समूह प्रायोगिक कार्य को अधिक प्रभावी बनाने के तरीकों के बारे में भी सीखा है। मौजूदा प्रायोगिक गतिविधियों का प्रयोग करने और अनुकूलित करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया था। आप इस कार्यप्रणाली को दूसरी कक्षा IX और X के प्रकरणों के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं। प्रत्येक प्रायोगिक गतिविधि की प्रभाविकता की जांच करना और भिन्न-भिन्न प्रायोगिक कार्य प्रणालियों का इस्तेमाल करने के अवसरों को खोजना महत्वपूर्ण होता है।

संसाधन

संसाधन 1: विभिन्न प्रकार के प्रायोगिक कार्य और उनके प्रयोग

भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रायोगिक कार्यों में अध्यापकों और विद्यार्थियों की विभिन्न प्रकार की आवश्यकतायें होती हैं तथा अलग-अलग तरह के लाभ भी होते हैं। तालिका R1.1 में कुछ प्रकार के प्रायोगिक कार्य की विशेषताओं और लाभों को सारांश रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस इकाई में समूह प्रायोगिक कार्य पर बल दिया गया है, इसलिए ‘प्रदर्शन’ को मात्र तुलना करने के उद्देश्य से शामिल किया गया है।

तालिका R1.1 कुछ प्रकार के प्रायोगिक कार्य की विशेषताएं और लाभ।
प्रायोगिक कार्य के प्रकारअध्यापक क्या करते हैं/विद्यार्थी क्या करते हैंइस कार्यप्रणाली को क्यों चुनें? संभाव्य लाभ क्या हैं?
प्रदर्शनअध्यापक द्वारा प्रायोगिक गतिविधि की जाती है और विद्यार्थी उसे देखते हैं

अधिक जोखिमपूर्ण या जटिल प्रायोगिक गतिविधियों के लिए: अधिक नियंत्रण रखें

सुनिश्चित करें कि विद्यार्थी सही प्रक्रियाओं और अपेक्षित परिणामों को देखते हैं।

जहां पर विशेष उपकरणों की आवश्यकता है वही उपकरण का प्रयोग करें। उपकरणों के इस्तेमाल को कम से कम करें।

अध्यापक चुने गए मुख्य बिन्दु पर ध्यान केन्द्रित करा सकते हैं।

ढांचागत प्रयोग

विद्यार्थी समूहों में काम करते हैं

सभी समूह लगभग एक ही समय पर एक ही प्रकार का काम करते हैं।

विद्यार्थियों द्वारा कार्य प्रतिपादित करने के लिए अध्यापक निर्देश देते हैं तथा उत्तर प्राप्त करने के लिए उनसे प्रश्न पूछते हैं?

गतिविधि का प्रबन्धन करने के लिए अध्यापक घूमते हैं।

‘हैंड्स ऑन’ गतिविधि

मानक प्रक्रियाओं को सीखने और उनका अभ्यास करने के लिए बेहतर है।

सभी विद्यार्थियों की सक्रिय रूप से भागीदारी की संभावना होती है।

समूह चर्चा द्वारा विद्यार्थियों की एक दूसरे की सहायता करने की संभावना होती है।

‘रोटेटिंग’ या ‘सर्कस’ प्रयोग

कक्षा के आसपास अनेक गतिविधि स्टेशन हैं। जितने विद्यार्थियों के समूह हैं उतने ही गतिविधि स्टेशन हैं। विद्यार्थियों का प्रत्येक समूह एक ‘स्टेशन’ से दूसरे ‘स्टेशन’ पर जाता है और प्रत्येक स्टेशन पर गतिविधि को निष्पादित करता है

अध्यापक द्वारा प्रत्येक स्टेशन पर समूहों की आवाजाही का प्रबन्धन किया जाता है।

उपकरणों की आवश्यकता कम होती है।

चूंकि प्रत्येक गतिविधि अपेक्षाकृत छोटी होती है, इससे पाठ को शीघ्रतापूर्वक पूरा किया जा सकता है।

खोज

विद्यार्थियों के प्रत्येक समूह द्वारा खोज की जाती है

अध्यापक द्वारा सम्पूर्ण गतिविधि की देखभाल की जाती है और यथासम्भव सहायता प्रदान करने के लिए अध्यापक इधर-उधर आते-जाते रहते हैं।

सभी विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी की सम्भावना

अवधारणाओं को लागू करने तथा विचारों को परखने की संभावना

अधिक खुले कार्य की सम्भावनायें

वैज्ञानिक पूछताछ (सामान्य रूप से, या विशिष्ट पहलूओं के संदर्भ में) के लिये विद्यार्थियों को बेहतर अवसर प्राप्ति की संभावनायें

समस्या समाधान‘खोज’ की तरह

सभी विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी की सम्भावनायें

अवधारणाओं को लागू करने तथा विचारों को परखने की संभावना

अधिक खुले कार्य की सम्भावनायें

संसाधन 2: पाठों का नियोजन करना

योजना बनाना और तैयारी करना क्यों महत्वपूर्ण है?

अच्छे पाठों की योजना बनानी चाहिए। योजना आपके पाठों को स्पष्ट और समयबद्ध बनाने में मदद करती है, यानी विद्यार्थी सक्रिय और विषय में रूचि ले सकते हैं। प्रभावी योजना में लचीलापन अंतर्विष्ट होता है जिससे शिक्षक पढ़ाते समय अपने विद्यार्थियों के सीखने के स्तर के बारे में जो पता लगाते हैं उस पर प्रतिक्रिया कर सकें। पाठों की श्रृंखला की योजना बनाने में विद्यार्थियों और उनके पूर्व ज्ञान के बारे में जानना शामिल है। जिसका अभिप्राय यह है कि पाठ्यक्रम के माध्यम से उनकी प्रगति को जानना और विद्यार्थियों को सीखने में मदद करने के लिए उत्तम संसाधनों और गतिविधियों का पता लगाना।

योजना एक सतत प्रक्रिया है, जो आपको अलग–अलग सत्रों और सत्रों की श्रंखला दोनों तरह के निर्माण की तैयारी में मदद करती है और इस प्रक्रिया में प्रत्येक पाठ अपने पूर्व पाठ के आधार पर बनाया जाता है। पाठ योजना के चरण हैं–

  • अपने विद्यार्थियों की जरूरतों के बारे में स्पष्ट होना ताकि वे प्रगति कर सकें।
  • यह तय करना कि आप विद्यार्थियों को किस प्रकार पढ़ाने वाले हैं जिससे विद्यार्थी विषय को समझें और पढ़ाते समय आप जो पाते हैं उस पर प्रतिक्रिया करने के लिए किस प्रकार लचीलापन बनाए रखें।
  • इस पर वापस गौर करना कि पाठ कितनी अच्छी तरह पढ़ाया गया और आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा? जिससे भविष्य की योजना बनाई जा सके।

पाठों की श्रृंखला की योजना बनाना

जब आप किसी पाठ्यचर्या का अनुसरण कर रहे हों, तो योजना के प्रथम चरण में पाठ्यचर्चा में विषयों और प्रकरणों को अच्छी तरह खण्डों या अंशों में विभाजित करना होता है। आपको उपलब्ध समय और साथ ही उन तरीक़ों पर विचार करना होगा जिसके आधार पर विद्यार्थी प्रगति और क्रमशः कौशल तथा ज्ञान का निर्माण कर सकें। सहकर्मियों के साथ अपने अनुभव साझा करने या विचार-विमर्श करने से आप जान सकते हैं कि कोई एक प्रकरण पढ़ाने में चार पाठ लग सकते हैं, जब कि दूसरे में केवल दो।

सभी पाठ योजनाओं में आपको निम्न के बारे में स्पष्ट होने की आवश्यकता होगी–

  • आप विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहते हैं
  • आप उस ज्ञान की किस प्रकार जानकारी देंगे।
  • विद्यार्थियों को क्या करना होगा और क्यों?

आप चाहेंगे कि अभ्यास (ज्ञान) सक्रिय और रोचक हो, जिससे विद्यार्थी सीखने में सहज महसूस करें और उनकी उत्सुकता बनी रहे। इस पर विचार करें कि पाठों दौरान विद्यार्थियों से न केवल विविधता और दिलचस्पी, बल्कि लचीलापन भी बनाएँ रखें। योजना बनाएँ कि पाठों की श्रृंखला जब प्रगति पर हो, तब आप किस प्रकार अपने विद्यार्थियों की समझ को परखेंगे। यदि कुछ क्षेत्रों में अधिक समय लगे या जल्दी से समझे जाएँ तो लचीले बने रहने के लिए तैयार रहें।

व्यक्तिगत पाठों की तैयारी करना

पाठों की श्रृंखला की योजना तैयार करने के बाद, आपको विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त प्रगति के आधार पर प्रत्येक पाठ की योजना अलगअलग तैयार करनी होगी। आप जानते हैं कि पाठों की श्रृंखला के अंत में विद्यार्थियों को क्या सीख जाना चाहिए? या उन्हें क्या करने में सक्षम होना चाहिए? लेकिन आपको अचानक से कुछ दोबारा पढ़ाने या शीघ्रता से आगे बढ़ने की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए प्रत्येक पाठ की अच्छी योजना बनाई जाये ताकि आपके सभी विद्यार्थी प्रगति करें और सफल तथा अपने को जुड़ा हुआ महसूस करें।

पाठ योजना के अंदर आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक गतिविधि के लिए पर्याप्त समय है और व्यावहारिक कार्य या सक्रिय सामूहिक कार्य जैसे क्रियाकलापों के लिए संसाधन तैयार हैं। बड़ी कक्षाओं को सामग्री की योजना बनाने के लिये आपको विभिन्न समूहों के लिए अलग-अलग प्रश्नों और गतिविधियों की योजना बनाने की आवश्यकता हो सकती है।

जब आप नए प्रकरण पढ़ा रहे हों, तो आपको अन्य शिक्षकों के साथ अभ्यास करने और विचार-विमर्श के लिए समय निकालने की जरूरत हो सकती है जिससे आप आश्वस्त महसूस करें।

अपने पाठों को तीन भागों में तैयार करने के बारे में सोचें। इन भागों पर नीचे चर्चा की गई है।

1 परिचय

किसी पाठ की शुरूआत में, विद्यार्थियों को समझाएँ कि वे क्या सीखने और करने वाले हैं? जिससे हर कोई जान लें कि उनसे क्या उम्मीद की जा रही है। विद्यार्थियों को पहले से ज्ञात जानकारी साझा करने की अनुमति देकर उन्हें सिखाए जाने वाले विषय के बारे में उनमें दिलचस्पी पैदा करें।

2 पाठ का मुख्य भाग

विद्यार्थियों को पहले से ज्ञात जानकारी के आधार पर विषयवस्तु को रेखांकित करें। आप स्थानीय संसाधनों, नई जानकारी या सामूहिक कार्य या समस्या-समाधान सहित सक्रिय तरीक़ों को इस्तेमाल करने का निर्णय ले सकते हैं। उपयोग किए जाने वाले संसाधनों और उन तरीकों को पहचानें जिनका आप अपनी कक्षा में इस्तेमाल करेंगे। विविध गतिविधियों, संसाधनों, और समयों का प्रयोग करना पाठ योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप विभिन्न तरीक़ों और गतिविधियों का उपयोग करते हैं, तो आप अधिक विद्यार्थियों तक पहुँच सकते हैं, क्योंकि वे विभिन्न तरीक़ों से सीखेंगे।

3 शिक्षण की जाँच के लिए पाठ का अंत

प्रगति के बारे में जानने के लिए हमेशा समय प्रदान करें (पाठ के दौरान या पाठ के अंत में)। जाँच का मतलब हमेशा परीक्षा ही नहीं है। सामान्यतः यह त्वरित और मौके पर ही होगी - जैसे कि पहले से योजनाबद्ध प्रश्न या विद्यार्थियों द्वारा सीखे गए पाठ के प्रस्तुतिकरण पर ग़ौर करना। लेकिन विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाओं से आपको जो पता लगा है उसके अनुसार स्वयं को लचीला बनाना और शिक्षण में बदलाव करने की योजना तैयार करना होगा।

पाठ को समाप्त करने का एक अच्छा तरीक़ा है प्रारंभिक लक्ष्यों की ओर वापस जाना और उस शिक्षण से अपनी प्रगति के बारे में विद्यार्थियों द्वारा एक दूसरे तथा आपको बताने के लिए समय प्रदान करना। विद्यार्थियों को सुनकर आप आश्वस्त हो सकते हैं कि अगले पाठ के लिए आपको क्या योजना तैयार करना है?

पाठों की समीक्षा करना

प्रत्येक पाठ का पुनरावलोकन करें और रिकॉर्ड रखें कि आपने क्या पढ़ाया? आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा? किन संसाधनों का उपयोग किया गया और वह कितनी अच्छी तरह पढ़ाया जा सका? जिससे आगे के पाठों की अपनी योजना में आप सुधार या समायोजन कर सकें। उदाहरण के लिए आप निम्नलिखित तय कर सकते हैं:

  • गतिविधियों को बदलना या उनमें विविधता लाना।
  • खुले और बंद सवालों की श्रृंखला तैयार करना।
  • अतिरिक्त मदद की जरूरत वाले विद्यार्थियों के साथ अतिरिक्त अलग सत्र चलाना।

विचार करें कि विद्यार्थियों को सीखने में मदद करने के लिए आप और भी बेहतर तरीक़े से क्या योजना बना सकते थे? या कर सकते थे?

जब आप प्रत्येक पाठ पढ़ाएँगे तो आपकी पाठ की योजना निश्चित रूप से बदलेंगी, क्योंकि घटित होने वाली हर चीज़ का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते। अच्छी योजना का मतलब है कि आप जानते हो कि किस प्रकार का शिक्षण संपन्न हो। आप अपने विद्यार्थियों के वास्तविक शिक्षण स्तर का पता लगाने के लिए क्या करना होगा? इस पर लचीले ढंग से प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार रहें।

संसाधन 3: समूह प्रायोगिक गतिविधियों के लिए मुद्दों की योजना बनाना

जैसे कि किसी प्रभावी पाठ के लिए होता है, प्रभावी प्रायोगिक कार्य का संबंध पाठ से पूर्व नियोजन तथा इसके दौरान बेहतर प्रबन्धन करने से होता है। समूह प्रायोगिक गतिविधियों से अध्यापकों और विद्यार्थियों के लिए अनेक चुनौतियां और लक्ष्य पैदा होते हैं। इस संसाधन में समूह प्रायोगिक कार्य की प्रभाविकता में सुधार करने के लिए कुछ निर्धारित कार्ययोजनाओं पर विचार किया गया है।

मुद्दा 1: प्रभावी समूह

प्रभावी समूह कार्य में, समूह में हर किसी को यह पता होता है कि क्या करना है? वह समझता है कि वे जो कुछ कर रहे हैं, उसका क्या उद्देश्य है तथा समूह के कार्य में सकारात्मक योगदान करता है।

इसका अर्थ है कि प्रत्येक–

  • प्रत्येक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है तथा वह जानता है कि भूमिका का प्रभावी निर्वहन कैसे करना है?
  • प्रत्येक कोई चर्चाओं और निर्णय लेने में योगदान करता है (कोई भी ‘निष्क्रिय’ नहीं रहता है या जो कुछ दूसरे कह रहे हैं, उनकी नकल नहीं करता है)।

आप निम्नलिखित द्वारा समूहों को अधिक प्रभावी रूप से काम करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं:

  • गतिविधि के लिए उचित आकार के समूह को चुनकर, किसी को समूह चर्चाओं और निर्णयों में शामिल किया जा सके
  • पहचान करके कि कौन किस समूह से संबंधित होगा?
  • स्पष्ट रूप से यह पहचान करके कि क्या किए जाने की आवश्यकता है? (अर्थात उपकरणों को लगाना, माप लेना, माप को रिकार्ड करना) जिससे समूह के सदस्य इन उत्तरदायित्वों को साझा कर सकें। कुछ र्कायों के लिए यह आवश्यक हो सकता है कि उन्हें एक ही समूह में अनेक लोगों द्वारा किया जाता है
  • यदि आवश्यक हो तो आपके द्वारा प्रत्येक समूह सदस्य को भूमिकाएं सौंपे। प्रत्येक समूह को ऐसा करने के लिए उत्तरदायी बनायें।
  • जांच करके कि गतिविधि के दौरान प्रत्येक समूह कितने अच्छे से काम करता है तथा प्रभावी समूह कार्य के उदाहरणों की प्रशंसा करें।

यह बात ध्यान में रखें कि मिश्रित समूहों में लड़कों की उपकरणों पर नियंत्रण करने की प्रवृति होती है तथा वे विद्यार्थियों से रिकॉर्डिंग तथा साफ-सफाई का कार्य करवाते हैं!

मुद्दा 2: सुरक्षा

किसी भी प्रायोगिक गतिविधि के लिए योजना बनाने के दौरान जोखिम आकलन करना एक अनिवार्य हिस्सा है। जहां समूह कार्य शामिल होता है, वहां नियोजन में न केवल किसी खास रसायन, उपकरण या प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने से सम्बद्ध जोखिमों पर ध्यान दिया जाना शामिल होता है। अपितु बड़ी संख्या में विद्यार्थियों द्वारा गतिविधि को किए जाने के प्रभाव पर भी ध्यान दिया जाना शामिल होता है। सुरक्षित समूह प्रायोगिक गतिविधि की योजना बनाने में निम्नलिखित शामिल हैं।

  • पाठ से पूर्व सभी संभावित जोखिमों की पहचान करना। सुनिश्चित करें कि आपने होने वाली किसी दुर्घटना के संबंध में कार्रवाई करने के लिए योजना बनाई है।
  • कमरे के आसपास अनावश्यक आवाजाही को न्यूनतम रखें। इससे लोगों और उपकरणों के बीच संभावित टकराहट कम होती है, तथा आपके लिए यह देखना आसान हो जाता है कि क्या किया जा रहा है?
  • आप निम्नलिखित द्वारा भी दुर्घटनाओं के जोखिम को कम कर सकते हैं–
    • सुरक्षित रूप से काम करने के लिए व्यवस्थाएं तय करके।
    • एक साथ की जाने वाली गतिविधियों की संख्या को सीमित करके।

    • आवश्यक विभिन्न रसायनों की संख्या को न्यूनतम तक सीमित रखके।
    • विद्यार्थियों को भंडार में रखी गई रसायनों की बोतलों तक पहुंच प्रदान करने की बजाए, उन्हें उचित एवं थोड़ी मात्राओं में रसायनों को प्रदान करके।
  • यह सुनिश्चित करें कि इससे पहले कि आप उन्हें खोज के हिस्से के रूप में प्रक्रिया का इस्तेमाल करने की अनुमति देते हैं, आपके विद्यार्थी की प्रक्रिया को निष्पादित करने का सही और सुरक्षित तरीका जानते हैं। किसी भी संभावित जोखिम तथा उनके संबंध में कैसे कार्यवाही करनी है? को शामिल करें।
  • यह सुनिश्चित करें कि आपके विद्यार्थी इस बात से अवगत है कि यदि किसी प्रायोगिक गतिविधि के दौरान वे जल जाते हैं/झुलस जाते हैं/या स्वयं को चोट पहुंचा बैठते हैं, कोई रसायन बिखर जाता है या कोई उपकरण क्षतिग्रस्त हो जाता है तो उन्हें क्या करना है?

प्रारम्भिक तौर पर निम्नलिखित कार्य करें–

  • सुनिश्चित करें कि विद्यार्थियों को गतिविधि से संबंधित किसी भी विशिष्ट सुरक्षा पहलू की जानकारी है
  • किसी ऐसी प्रक्रिया को प्रदर्शित करके दिखाएं जिसका प्रयोग विद्यार्थियों द्वारा पहले से ही नियमित रूप से नहीं किया जाता है।

मुद्दा 3: प्रायोगिक गतिविधियों के लिए व्यवस्थाएं निर्धारित करना

प्रायोगिक गतिविधियों के लिए कुछ मूलभूत व्यवस्थाओं को निर्धारित करने से आपके द्वारा दिए जाने वाले स्पष्टीकरणों में कमी आती है, जिससे विद्यार्थी प्रायोगिक गतिविधि पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। व्यवस्थाओं को में निम्नलिखित प्रकार से शामिल हो सकते हैं–

  • प्रायोगिक गतिविधि के लिए तैयार होना– किसे दूर रखना है? किसे अपने साथ ले जाना है? और कहां जाना है?
  • आसपास सुरक्षित रूप से घूमना।
  • प्रायोगिक गतिविधि की सेटिंग करना– जांच करना, कि क्या चाहिए? आधारभूत पकरणों को एकत्र करना? विशिष्ट वस्तुओं को इकठ्ठा करना।
  • मूलभूत तकनीकें– पिपेट का इस्तेमाल करना, मापक सिलेण्डर का इस्तेमाल करना, फिल्टर पेपर को मोड़ना, बीकर या टेस्ट ट्यूब में किसी चीज को गर्म करना।
  • गर्म वस्तुओं, बिखर चुके द्रव्यों या टूटे हुए शीशे को तुरन्त प्रायोगिक कक्ष से हटाना।
  • सफाई करना।
  • ‘सभी के ध्यानार्थ’– ऐसे भी अवसर हो सकते है जब आपको प्रायोगिक गतिविधि को रोकना पड़ सकता है। कारण चाहे कोई भी क्यों न हो? यह महत्वपूर्ण है कि विद्यार्थियों को यह पता होना चाहिए कि जब उन्हें ध्यान देने के लिए कहा जाए, तो उनसे क्या अपेक्षा की जाती है?

मुद्दा 4: सीमित समय और संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना

आपने किसी भी प्रकार की समूह प्रायोगिक गतिविधि का प्रयोग करने का निर्णय क्यों न किया हो? हमेशा शुरूआत और पूर्ण सत्र के लिए समय देना याद रखें!

विद्यार्थी प्रायोगिक गतिविधि को करने के लिए प्रति व्याकुल हो सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ मिनट का समय लेना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक को यह जानकारी है कि वे जो कुछ कर रहे हैं उसका क्या अर्थ है और किसी खास गतिविधि को क्यों किया जा रहा है? सत्र की समाप्ति (जब प्रत्येक चीज को हटा दिया गया हो) पर भी कुछ मिनट का समय लेना भी महत्वपूर्ण होता है, जिससे कुछ मिनट का समय पूर्ण सत्र पर खर्च किया जा सके। प्रयोग के दौरान अनेक भिन्न-भिन्न कार्य निष्पादित किये जाते हैं, तथा इसलिए विद्यार्थियों की इन सभी ‘कार्यों में सामंजस्य स्थापित’ करने में सहायता करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, और विद्यार्थियों के कक्षा से बाहर जाने से पहले शिक्षण परिणामों पर फिर से ध्यान केन्द्रित करना भी अति महत्वपूर्ण है। आपके द्वारा जिस प्रकार से प्रायोगिक गतिविधि की व्यवस्था की जाती है, उससे आपके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले संसाधनों के संबंध में एक बड़ा अंतर पैदा हो सकता है। ‘सर्कस प्रायोगिक गतिविधियां’ और ‘साझा खोज’ ऐसी दो कार्य प्रणालियां हैं, जिनसे अपेक्षित संसाधनों की मात्रा में कमी आ सकती हैं।

कार्यप्रणाली 1: ‘सर्कसया रोटेटिंग प्रयोग

‘सर्कस’ या ‘रोटेटिंग प्रयोग’ के अंतर्गत उपकरणों के अनेक सेटों का प्रयोग किए बिना समूह प्रायोगिक गतिविधियों को करने का तरीका प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार के प्रयोग में अनेक लघु गतिविधियां शामिल होती हैं। प्रत्येक गतिविधि को भिन्न ‘स्टेशन’ पर कमरे के अलग हिस्से में किया जाता है। प्रत्येक समूह प्रत्येक स्टेशन पर जाता है तथा गतिविधि को निष्पादित करता है इसके बाद पुनः दूसरे स्टेशन की ओर आगे बढ़ जाता है। इसका सबसे आसान तरीका है कि स्टेशन को कमरे के किनारों पर स्थापित किए जाएं तथा समूहों को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन की ओर घड़ी की सुईयों की तरह घूमते हुए पहुंचना चाहिए।

इस प्रकार की गतिविधि को अच्छे से करने के लिए, योजना बनाने के दौरान अनेक बातों पर विचार किया जाना चाहिए–

  • इसे केन्द्रित रखें: कम संख्या में महत्वपूर्ण विचारों के प्रभावी समर्थन के लिए सर्कस का प्रयोग करें।
  • स्टेशनों की संख्या को सीमित रखें: जितने अधिक स्टेशनों पर जाना होगा, प्रयोग में उतना ही अधिक समय लगेगा, क्योंकि आने-जाने में अधिक समय लगता है।
  • छोटे समूहों से विद्यार्थियों को आसानी से अपनी भागीदारी का अहसास होता है: आप जितने प्रायोगिक स्टेशन को प्रदान करते हैं, समूहों की संख्या भी उतनी ही होनी चाहिए। यदि आप दो पूर्ण, समान सर्कसों का प्रयोग कर सकते हैं, तो आपको समूह के आकार को आधा कर देना चाहिए
  • गतिविधियों के परिणामस्वरूप विद्यार्थी अवलोकन और विचार (तथा चर्चा) करने के लिए प्रेरित होने चाहिए, न कि सिर्फ उपकरणों का ऐसे ही इस्तेमाल कर लेने के लिए: सर्कस में कुछ स्टेशन केवल कोई वस्तु या चित्र हो सकते है जो कि प्रश्न की सहायता के उद्देश्य को पूरा करते हैं।
  • हर किसी को यह स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए कि सर्कस प्रायोगिक गतिविधि किस तरह से प्रयोग की जाती है: उन्हें प्रत्येक स्टेशन पर कितनी देर होना चाहिए? आप किस प्रकार से संकेत करेंगे अब रूकने का समय है तथा अगले स्टेशन पर जाएं? प्रत्येक समूह को उस क्रम की जानकारी होनी चाहिए जिसमें वह स्टेशनों पर जाएगा। यदि यह घड़ी की सुईयों के अनुसार अगले स्टेशन पर जाने का प्रश्न नहीं है (उदाहरण के रूप में), तो आपको प्रत्येक स्टेशन की संख्या या अक्षर से पहचान करनी होगी तथा प्रत्येक समूह को एक क्रम सूची प्रदान करना?
  • प्रत्येक गतविधि को सरल, लघु और स्पष्ट रखें: जब विद्यार्थी स्टेशन पर पहुंचते हैं, तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि उन्हें क्या करना है? तथा उन्हें किसकी खोज करनी है? क्या उन्हें कुछ रिकॉर्ड करना है? उन्हें अगले समूह के लिए कार्य को किस प्रकार से छोड़ना है?
  • जब वे प्रतीक्षा कर रहे हैं तो उन्हें क्या करना है? आर्दश रूप में प्रत्येक समूह को बराबर समय लेना चाहिए। व्यवहारिक रूप से कुछ समूह दूसरे समूहों की तुलना में किसी गतिविधि को अधिक तेजी से पूरा करेंगे। संभवत: आप पूरी कक्षा के लिए विचारार्थ एक समस्या तय कर सकते हैं तथा पाठ के अंत में सुझाव दे सकते हैं।

कार्यप्रणाली 2: साझा खोज

जहां पर अनेक कारकों की खोज की जानी हो, तो यदि भिन्न-भिन्न समूह पर किसी एक खास गतिविधि की खोज करने का उत्तरदायित्व लेते हैं तो इससे समय और संसाधनों की बचत हो सकती है। प्रत्येक समूह द्वारा पूरी कक्षा को रिपोर्ट दी जाती है जिससे प्रत्येक किसी को सभी परिणामों से लाभ मिल सके।

मुद्दा 5: ‘हैंड्स ऑन’ तथा ‘माइन्ड्स ऑन’

‘हैंड्स ऑन’, ‘माइन्ड्स ऑन’ वाक्यांशों का प्रयोग प्रायः संग्रहालय में परस्पर संपर्क करने वाली प्रदर्शनियों से संबंधित डिज़ाइनों के संबंध मे किया जाता है, लेकिन, इसका प्रयोग कक्षा-आधारित गतिविधियो के लिए किया जा सकता है। इसका संदर्भ यह सुनिश्चित करने के महत्व पर है कि विद्यार्थी न केवल ‘काम करने में व्यस्त’ हैं अपितु अनुभव से वे सक्रिय रूप से सीख भी रहे हैं। ऐसा संभव हो सके, इसके लिए विद्यार्थियों को गतिविधि के उद्देश्य को जानना होगा तथा साथ ही यह भी समझना होगा कि उन्हें क्या करना है?

प्रारम्भिक तौर पर निम्नलिखित कार्य करें–

  • अधिकतम चार शिक्षण परिणामों की पहचान करें
  • प्रायोगिक गतिविधि के दौरान पूछे जाने वाले या देखे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों पर सीधा ध्यान
  • जो कुछ पहले से ही जानते हैं, उन बातों के साथ वे क्या करने जा रहे हैं? का सह संबंध स्थापित करने में मदद करना।

प्रायोगिक गतिविधि के दौरान–

  • इस बात की जांच करें कि विद्यार्थी यह समझते हैं कि वे विज्ञान के निहितार्थ के संबंध में क्यों कुछ कर रहे हैं? नहीं कि ऐसा वे केवल औपचारिक रूप से निष्पादित कर रहे हैं
  • विद्यार्थियों से पूर्वानुमान लगाने के लिए कहें (तथा उन्हें स्पष्ट करने के लिए कहें)
  • विद्यार्थियों से इस बात पर टिप्पणियां करने के लिए कहें कि उन्होंने क्या अवलोकन किया है या कर रहे हैं। क्या इसी बात की उनसे अपेक्षा थी?

पूर्ण सत्र के दौरान:

  • विद्यार्थियों के प्रत्येक समूह से सारांश रूप से उनके द्वारा पता लगाई गई बातों को प्रस्तुत करने के लिए कहें। क्या यही उनसे प्रत्याशित था? या उन्होंने किसी असामान्य या अप्रत्याशित जानकारी का पता लगाया था।

संसाधन 4: प्रायोगिक गतिविधि की प्रभाविकता का आकलन करना

यह पहचान करें कि प्रायोगिक गतिविधि का महत्वपूर्ण उद्देश्य क्या होना चाहिए? तथा आप इसकी जांच करने के लिए क्या कर सकते हैं? उद्देश्य पर आधारित कुछ ऐसे प्रश्न दिये गये हैं, जिन्हें आपको पूछना चाहिए। उन्हें तालिका R4.1 में सूचीबद्ध किया गया है।

तालिका R4.1 पूछे जाने वाले ऐसे प्रश्न जिनका आकलन संभव होता है और सक्रिय रूप से इसके उद्देश्य पर निर्भर हैं।

महत्वपूर्ण उद्देश्य या परिणाम

अपने आप से पूछने के लिए कुछ प्रश्न
अभिप्रेरणक्या ऐसा लगता था कि विद्यार्थी मन लगाकर कार्य कर रहे थे? क्या उन्होंने आपको बताया कि उन्हें इसमें आनन्द आया था?
संकल्पनात्मक ज्ञान और समझ - स्मरण करने में सुधारक्या विद्यार्थी यह बता पाए कि निम्नलिखित पाठ में उन्होंने क्या देखा? क्या किया या क्या पता लगा पाए?
संकल्पनात्मक ज्ञान और समझ तथा विचारों का अनुप्रयोगक्या विद्यार्थी खोज के दौरान अपेक्षित रूप से विचारों का अनुप्रयोग कर पाए थे?
प्रायोगिक कौशलक्या विद्यार्थी सही ढंग से उपकरणों को व्यवस्थित कर पाए थे? क्या वे अपेक्षा के अनुसार प्रक्रियाओं को निष्पादित कर पाए? क्या विद्यार्थी वे देख पाए जो आप उनसे देखने की आशा करते थे?
विज्ञान की प्रकृति या वैज्ञानिक पूछताछ के बारे में सीखनाक्या विद्यार्थी आपको बता पाए कि उन्होंने क्या सीखा था? क्या उन्हें खोज का उद्देश्य समझ में आया था?
वैज्ञानिक विधि कौशलों का विकास करना एवं खोज की योजना बनानाक्या विद्यार्थियों को यह समझ में आया था कि उनसे क्या करने के लिए कहा जा रहा था? क्या विद्यार्थी अपेक्षित रूप से योजना तैयार कर पाए थे?
वैज्ञानिक विधि कौशलों का विकास करना तथा डेटा का रखरखाव करनाक्या विद्यार्थी अपेक्षित रूप से डेटा को संग्रहित और प्रस्तुत कर पाए थे? क्या वे अपेक्षा अनुसार डेटा विषलेषित कर पाए थे?
वैज्ञानिक विधि कौशलों का विकास करना तथा साक्ष्य का आकलन करनाक्या जैसा अपेक्षा था, विद्यार्थी उसी तरीके से साक्ष्य का मूल्यांकन कर पाए थे? क्या वे अपेक्षा के अनुसार महत्वपूर्ण विशेषताओं की पहचान कर पाए थे? क्या विद्यार्थी अपेक्षा के अनुसार खोज का आकलन कर पाए थे? क्या वे पहचान कर पाए थे कि क्या अच्छा हुआ है? तथा सुधार के क्षेत्र कौन से हैं?

संसाधन 5: पेपर हेलीकॉप्टर बनाने के लिए टेम्प्लेट

अतिरिक्त संसाधन

References

Abrahams, A. and Millar, R. (2008) ‘Does practical work really work?’, International Journal of Science Education, vol. 30, no. 14, pp. 1,945–69.
Getting Practical (undated) ‘Secondary’ (online). Available from: http://www.gettingpractical.org.uk/ m3-3.php (accessed 19 May 2014).
Millar, R. (2009) Analysing Practical Science Activities to Assess and Improve their Effectiveness: The Practical Activity Analysis Inventory (PAAI). York, UK: Centre for Innovation and Research in Science Education, University of York.
Osbourne, J. (2011) ‘Earth and space’ in Sang, D. (ed.) Teaching Secondary Physics. London, UK: John Murray.
Wellington, J.J. and Ireson, G. (2012) ‘Practical work in science education’, in Wellington, J.J. and Ireson, G. (eds) Science Learning, Science Teaching. London, UK: Routledge.

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है, जब तक कि अन्यथा निर्धारित न किया गया हो। यह लाइसेंस TESS-India, OU और UKAID लोगो के उपयोग को वर्जित करता है, जिनका उपयोग केवल TESS-India परियोजना के भीतर अपरिवर्तित रूप से किया जा सकता है।

कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।

वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।