विज्ञान संबंधी पाठ को पढ़ाने के दौरान प्रदर्शनों (प्रयोग करके दिखाना) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। प्रदर्शनों का उपयोग करने से अनेक संभावित लाभ होते हैं:
यदि सावधानीपूर्वक योजना नहीं बनाई जाती है तो संभव है कि आपके विद्यार्थी प्रदर्शन में पूरी तरह से रूचि न दिखाएं। जब विद्यार्थियों की रूचि पूरी तरह से नहीं होती है, तब विद्यार्थी प्रभावी ढंग से नहीं सीखते हैं।
यह यूनिट आपके कक्षा X के विद्यार्थियों को प्रकाश और दृष्टि (विजन) के बारे में सीखने में मदद करने के लिए प्रभावी प्रदर्शन विकसित करने से संबंधित है। इस यूनिट में आप जिन कार्यनीतियों और तकनीकों को सीखेंगे वे अन्य विषयों से संबंधित प्रदर्शनों पर भी लागू होंगी।
शिक्षक इस बात को समझते हैं कि प्रायोगिक कार्य विज्ञान की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण भाग है और इसके अनेक अलग अलग उद्देश्य हो सकते हैं। यदि आप सीमित सुविधाओं और संसाधनों के साथ बड़ी कक्षाओं को पढ़ाते हैं, तो अक्सर आपके विद्यार्थी प्रायोगिक शैक्षिक गतिविधियों अपने आप नहीं कर पाते होंगे। आपको कक्षा में प्रदर्शनों का उपयोग करना होगा।
प्रायोगिक प्रदर्शनों का उपयोग किसी विशेष अवधारणा को स्पष्ट करने, विद्यार्थियों को विशिष्ट प्रयोगशाला तकनीकों का निष्पादन करके दिखाने (जैसे कि किसी उपकरण का उपयोग करना) या विद्यार्थियों के अवलोकनात्मक कौशल का विकास करने के लिए किया जा सकता है। प्रायोगिक प्रदर्शन (प्रतिभाग करने वाले) का उद्देश्य विषय, विद्यार्थियों तथाउपलब्ध समय और संसाधनों पर निर्भर करेगा।
सभी प्रायोगिक प्रदर्शनों का प्रभावी शिक्षण अनुभव प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक होता है कि सावधानी पूर्वक योजना बनायी जाए यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि आप क्या उपलब्धि हासिल करना चाहते हैं? और विद्यार्थियों की पूर्ण रूचि को आप किस प्रकार से सुनिश्चित करेंगें। जब विद्यार्थियों की रूचि पूरी तरह से नहीं होती है तब वे प्रभावी ढंग से नहीं सीखते हैं। इस यूनिट में कक्षा X के विद्यार्थियों के लिए ‘प्रकाश’ विषय से संबंधित में प्रायोगिक अनुभवों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
प्रकाश के बारे में सीखने में आपतन, परावर्तन, अपवर्तन कोणों की माप कैसे की जाए? जैसे परिभाषाओं और अवधारणाओं को लागू करना शामिल होता है। इन्हें प्रायोगिक प्रदर्शन के माध्यम से दिखाना आसान होता है। प्रदर्शनों के द्वारा आपके विद्यार्थियों को किरण रेखाचित्र को तैयार करने को समझने और साथ ही लेंस से भिन्न-भिन्न दूरियों दूरी पर रखी वस्तुओं से बनने वाली प्रतिबिम्बों की प्रकृति को समझने में सहायता मिल सकती है।
यदि आपके विद्यार्थी निष्क्रिय अवलोकनकर्ता न बन कर सक्रिय रूप से प्रदर्शनों में भागीदारी करते हैं,तो उनकी समझ में बहुत अधिक सुधार होगा। सक्रिय भागीदारी का अर्थ है कि आपके विद्यार्थी विचार करते रहे– वे संज्ञानात्मक रूप से सक्रिय हैं। ऐसा करने के कुछ तरीकों में अपने विद्यार्थियों को प्रतिबिम्बों का अवलोकन करने और रेखाचित्र बनाने में शामिल करना है, तथा उनका ध्यान संबंधित विशेषताओं की ओर आकर्षित करते हैं और सटीक शब्दावली की जानकारी देते हैं। विषय के साथ आगे बढ़ने के दौरान आप प्रदर्शनों का उपयोग अपने विद्यार्थियों की समझ –बूझ को साबित करने के लिए भी कर सकते हैं।
जहां आपके पास विकल्प हो, वहाँ हमेशा प्रदर्शन करना विद्यार्थियों के शिक्षण की सर्वोत्तम कार्य-प्रणाली साबित नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए, प्रयोगशाला से संबंधित मूल कौशल और तकनीकों को सीखने के लिए विद्यार्थियों को उपकरणों को संभालने की आवश्यकता पड़ती है।
लेकिन कुछ मामलों में प्रदर्शन सर्वोत्तम विकल्प होता है। अक्सर शिक्षक सामूहिक प्रायोगिक गतिविधियों के बजाय प्रदर्शन करके दिखाने का चयन करते हैं, क्योंकि वे–
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कुमारी वरसानी ने पाठ से संबंधित अपनी योजना बनाने के एक हिस्से के रूप में कक्षा X की पाठ्यपुस्तक में ‘प्रकाश’ विषय के अंतर्गत परावर्तन से संबंधित प्रायोगिक गतिविधियों की योजना वनाई।
कक्षा X के साथ काम करते हुए मैं अनेक प्रायोगिक कार्य-प्रणालियां शामिल करना चाहूंगी, इसलिए मैं सुनिश्चित करना चाहती हूँ कि जब मैं कोई प्रदर्शन करने का फैसला करूं, तो यह उस गतिविधि को करने का सबसे प्रभावशाली तरीका होना चाहिए। प्रत्येक प्रयोगिक गतिविधि के संबंध में निर्णय करते समय मैंने तीन बातों पर विचार किया–
यह फैसला करने में अपनी सहायता के लिए मैंने एक तालिका तैयार की है कि प्रदर्शन कहाँ पर सबसे प्रभावी होगा [तालिका 1]।
गतिविधि | महत्वपूर्ण शिक्षण बिन्दु मैं अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहती हूँ? | प्रदर्शन या अन्य प्रकार की प्रायोगिक गतिविधि? चयन का मुख्य कारण? टिप्पणियां? मुझे इसके अलावा और क्या करना होगा? |
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1. | चमकदार चम्मच एक ओर से उत्तल दर्पण और दूसरी ओर से अवतल दर्पण की तरह व्यवहार करती है। भिन्न-भिन्न दूरियों पर अवत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब। भिन्न-भिन्न दूरियों पर उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब। प्रतिबिम्ब का आका? र सीधा या उल्टा ?वास्तविक या आभासी? | शिक्षक-निर्देशित गतिविधि, प्रत्येक विद्यार्थी को इस गतिविधि का प्रयास करना चाहिए। यदि सबके पास चमकदार चम्मच हो तो यह गतिविधि शीघ्र और सर्वाधिक प्रभावशाली ढंग से करायी जा सकती है। उत्तल भाग में कोई बदलाव नहीं, लेकिन अवतल भाग में सभी को दो तरह के प्रतिबिम्ब देखने होंगे। |
1.2 | अवतल दर्पण सूर्य से प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर एकत्र करता है। इस बिंदु पर बहुत तेज़ रोशनी होती हैं – एक बिन्दु पर ऊर्जा के संकेंद्रण से क्षति या जलन हो सकती है! दर्पण के केंद्र से बिंदु तक की दूरी दर्पण की फोकल दूरी होती है। प्रचलित नियम– वक्र दर्पण और किरणों का रेखाचित्र तैयार करना दूर स्थित वस्तु से किरणें समांतर होती हैं। तीर के निशान वस्तु से आते हैं। शब्दावली– ध्रुव P, मुख्य फोकस F फोकस दूरी f मुख्य अक्ष, वक्र के्रन्द्र C। | प्रदर्शन। सुरक्षा– तेज़ रोशनी के परावर्तित हो कर आँखों में जाने का संभावित खतरा होता है। रेखाचित्र बनाने के प्रचलित नियमों तथा शब्दावली का परिचय देने के लिए दर्पण को बनाना, सूर्य से समांतर किरणों तथा दर्पण से परावर्तित होने वाली अभिसारित किरणों को दिखाना होगा। शायद यह दर्शाना मुश्किल होगा कि सूर्य का प्रतिबिम्ब उल्टा है! अगली गतिविधि के लिए छोड़ दें? |
1.3 | अवतल दर्पण में वस्तु के छह अलग-अलग बिन्दुओं से बनने वाले प्रतिबिम्बों की विशेषताएं। प्रतिबिम्ब का स्थान, आकार और प्रकार। शब्दावली और प्रचलित नियमों का उपयोग करना। | प्रदर्शन। समय का मुद्दा सटीक प्रक्रियाएं तथा परिणामों को सुनिश्चित करना। बहुत लम्बा और तकनीकी विषय है इसलिए इसमें अनेक प्रश्न निहित होते हैं तथा ध्यान बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों की रूचि भी अपेक्षित होती है। प्रत्येक परिस्थिति के लिए अलग अलग विद्यार्थी ‘सहायक’होगें। प्रतिबिम्बों को देखने का मुद्दा– प्रत्येक को हर प्रतिबिम्ब देखना चाहिए। |
1.4 | गतिविधि 1.3, से वस्तु के छह में से प्रत्येक बिन्दु से किरण रेखाचित्र बनाना जिससे किरण रेखाचित्र बनाने के नियमों को समझाया जा सके। | प्रदर्शन। समय का मुद्दा और सटीक प्रक्रियाएं तथा परिणामों को सुनिश्चित करना। बहुत लम्बा और तकनीकी विषय है, इसलिए इसमें अनेक प्रश्न निहित होते हैं तथा ध्यान बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों की रूचि भी अपेक्षित होती है। प्रत्येक परिस्थिति के लिए अलग अलग विद्यार्थी ‘सहायक’होगें। अपने-अपन रेखाचित्र बनाने वाले विद्यार्थियों को तत्काल फौलो-अप की आवश्यकता होती है। |
1.5 | अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब हमेशा आभासी, धुंधले और सीधे बनते है। | प्रत्येक समूह के लिए उत्तल दर्पण के साथ शिक्षक-निर्देशित गतिविधि। इसके लिए पर्याप्त दर्पण हैं तो संसाधन कोई मुद्दा नहीं होगा। इस प्रकार हर एक को देखने के लिए ज्यादा तीव्रतम् और प्रभावी तरीका है। |
इस प्रकार, छह में से तीन गतिविधियां कराने के लिए संसाधनों का मुद्दा नहीं है और इन्हें मेरे विद्यार्थियों द्वारा अच्छे से किया जा सकेगा, लेकिन बाकी तीनों को अब भी प्रदर्शन के रूप में ही किया जाना ही बेहतर होगा।
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कक्षा X की पाठ्पुस्तक के अध्याय ‘प्रकाश’ और ‘मानव आँख के एक भाग के रूप में अपवर्तन को पढ़ाने और समझाने की योजना बनाने में यह गतिविधि आपकी मदद करेगी। इस गतिविधि के लिए आपको संसाधन 1 की जरूरत होगी आपको इसकी एक प्रति अपनी नोटबुक में बनानी होगी।
कक्षा X की पाठ्यपुस्तक में दिये गये अपवर्तन को पढ़ाने और समझाने के लिए उपयोग की गई गतिविधियों को देखिये। प्रत्येक के लिए निम्नलिखित के संबंध में नोट बनाएं–
संसाधन 1 में दी गई तालिका को पूरा करने के लिए ऊपर केस स्टडी1 में दिये उदाहरण का उपयोग करें।
प्रकाश से संबंधित पाठ से कितनी गतिविधियों को प्रदर्शन किया जाना बेहतर होगा?
यदि आपके स्कूल में विज्ञान का कोई अन्य शिक्षक है तो उनसे पूछें कि उनके द्वारा इस प्रकार के निर्णय किस प्रकार से लिए जाते हैं – और वे किन प्रदर्शनों की योजना बना रहे हैं? अधिक जानकारी के लिए, संसाधन 2, ‘पाठ की योजना बनाना’ पढ़ें।
वीडियो: पाठों का नियोजन करना
![]() विचार के लिए रुकें जब आप विश्वविद्यालय या कॉलेज के विद्यार्थी थे, उस समय आपके द्वारा देखे गए किसी प्रदर्शन के बारे में विचार करें।
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अपनी कक्षा के साथ किसी प्रदर्शन को करने से पहले, स्वयं से यह पूछना महत्वपूर्ण है कि: ‘मैं अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहता/चाहती हूं?’ और ‘मेरे विद्यार्थी इस प्रदर्शन से उस बात को कब सीखेंगे?’ यदि प्रदर्शन से वह नहीं हासिल होता जो आप अपने विद्यार्थियों को सिखाना चाहते हैं, तो वह कितना भी प्रभावकारी हो फिर भी यह प्रदर्शन प्रभावशाली नहीं होता है।
कुमारी बलसारा ने उत्तल लेंस द्वारा बनाए प्रतिबिम्बों के प्रदर्शन की अपनी योजनाओं विज्ञान के अन्य शिक्षक से समीक्षा करने के लिए कहा (गतिविधि 1)।
मैंने यह विषय पहली बार ही पढ़ाया है। लेंस में प्रतिबिम्बों की प्रायोगिक गतिविधि में अनेक बिंदुओं के सापेक्ष किया जाना है,। मुझे चिंता थी कि यदि प्रदर्शन ज्यादा लम्बा चला तो विद्यार्थियों की दिलचस्पी नहीं रहेगी तथा उनका ध्यान इधर-उधर हो जाएगा। जिस कार्य की मैं योजना बना रही थी, उस विषय में मैं किसी दूसरे की राय जानना चाहती थी इसलिए मैंने अपनी सहकर्मी श्रीमती गुप्ता से पूछा कि क्या वे छुट्टी के बाद जिस कक्षा में पढ़ाने वाली हूँ उस कक्षा में मेरे साथ प्रदर्शन के बारे में बात करेंगी?
उस कक्षा में एक प्रदर्शन करके दिखाने के लिए एक बड़ी बेंच उपलब्ध है, इसलिए मैंने अपने सारे उपकरण उस बेंच पर एक ट्रे में रखे और प्रदर्शन की तैयारी करने लगी।
श्रीमती गुप्ता ने पूछा, ‘आप पहले किस लेंस का प्रयोग करने की योजना बनायी है? इससे लेंस होल्डर और रेखाओं की व्यवस्था को प्रभावित करेगा।’
मैंने इसका निर्णय नहीं किया था इसलिए तीन अलग अलग उत्तल लेंसों की फोकल दूरी की जांच करने में और फिर उनमें से एक को लेंस स्टैंड में रख कर मेज पर समांतर रेखाएं खींचने में मुझे कुछ मिनट लग गए। मैंने अपनी योजना में नोट लिखा कि प्रदर्शन के लिए कौन-सा लेंस लेना है और रेखाओं के बीच की दूरी क्या होनी चाहिये? विद्यार्थियों को सिखाते समय मुझे जल्दी व्यवस्था करने के लिए इस जानकारी की जरूरत होगी।
मैं जब F और 2F के स्थान चिन्हित कर रही थी तब श्रीमती गुप्ता ने कहा, ‘आज तो कक्षा में बड़ी शांति है, है ना?’
हम हंस दिये, क्योंकि मैं निर्देशों का पालन करने में इतनी व्यस्त थी कि मैं यह भूल ही गई थी कि यह मेरे विद्यार्थियों को कैसा दिखेगा। मैं कहने ही वाली थी, की ‘मैं इस रेखा को F के रूप में चिन्हित करने वाली हूँ’ और तभी मैं रूक गई। शायद ऐसा करना बेहतर होगा कि मैं अपने किसी विद्यार्थी से पूछूं कि मैंने इन्ही खास दूरियों पर रेखाएं क्यों खींची हैं और मैं उन पर F और 2F के लेबल क्यों लगा रही हूँ? योजना के संबंध में एक और बात अचानक याद आ गई!
मैंने स्क्रीन व्यवस्थित किया और मोमबत्ती जलाई। मोमबत्ती को जितनी दूरी पर रखा जा सकता था रखा और स्क्रीन पर अच्छा साफ प्रतिबिम्ब लाने के लिए उसमें कुछ समायोजन किए। श्रीमती गुप्ता ने पूछा, ‘आपके विद्यार्थी कहाँ होंगे? क्या सभी प्रतिबिम्ब देख पाएंगे?’ इसकी जांच करना उपयोगी था। मेरे कुछ विद्यार्थियों के लिए उनके खड़े होने की जगह से प्रतिबिम्ब को देखना मुश्किल होता। इस योजना के संबंध में नोट करने के लिए एक और बात थी!
जगह से प्रतिबिम्ब को देखना मुश्किल होता। यह योजना से संबंध में नोट करने के लिए एक और बात थी!
मैंने श्याम पट्ट पर तालिका 1 के समान एक तालिका बनाई जिसमें सिर्फ पहले कॉलम में वस्तुओं की भित्र–भित्र स्थितियों के बारे में लिखा था लेकिन बाकी सभी को खाली छोड़ दिया गया था। सभी को पहला उदाहरण दिखाने के बाद वस्तु से संबंधित अन्य सभी स्थितियों के लिए मैंने किसी विद्यार्थी से पूछने के बारे में सोचा कि वह मुझे बताया कि मैं हर बार मोमबत्ती कहाँ रखूँ और किसी दूसरे विद्यार्थी से यह पूछने की योजना बनाई कि उनके विचार से प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा। मैं और किसी से कहूंगी कि वह स्क्रीन पर दिखाई दे रहे प्रतिबिम्ब का वर्णन करें।
मैं अपने विद्यार्थियों को प्रदर्शन के दौरान सारी जानकारी उन्हें ही भरने के लिए कहने वाली थी, जिससे उनका ध्यान इसमें लगा रहे। लेकिन श्रीमती गुप्ता ने सलाह दी कि इससे तो ध्यान इधर-उधर हो सकता है, खासकर इसलिए कि जब हर किसी को यह पता होगा कि सारे उत्तर किताब में दी गई तालिका में हैं। इसके बजाय, मैंने निर्णय किया कि सभी स्थितियों के संबंध में काम करते हुए श्याम पट्ट पर ही तालिका को भरा जाए जिससे विद्यार्थियों को पता चले कि हमने पूरी तालिका को किस प्रकार से प्राप्त किया है। मेरी योजना से संबंधित एक और नोट!
हमारी चर्चा के अंत तक मैंने यह महसूस किया कि मेरे पास एक ऐसी योजना है जो वास्तव में मुझे एक प्रभावी प्रदर्शन प्रस्तुत करने में मदद करेगी। हमारी चर्चा से यह समझ बनी कि मैं अपने अन्य विषयों के प्रदर्शनों को कैसे बेहतर बना सकती हूँ।
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अब गतिविधि 2 में अपने प्रदर्शन की योजना बनाने की कोशिश करें।
यह गति विधि आपको प्रभावी प्रदर्शन के लिए योजना वनाने में मदद करेगी।
आप, कक्षा X की पाठ्यपुस्तक से प्रदर्शन के लिए एक की पाठ की योजना बनाने जा रहे हैं जिसमें नीचे दिये 1 से 8 तक के बिंदुओं का समाधान किया जाएगा और फिर योजना को लागू किया जाएगा। आप बिंदु 3 से 8 का समाधान कैसे करेंगे? इस बारे में सामान्य सुझावों के लिए संसाधन 2 को देखें।
संसाधन 2 में दिये सुझावों से अपनी योजना की तुलना करें। क्या ऐसे कोई सुझाव थे जिनके बारे में आपने सोचा नहीं था? कौन-से सुझाव आपको सबसे उपयोगी लगे?
अपनी योजना जल्द से जल्द क्रियान्वित करें। इसके बाद, सहकर्मी के साथ पाठ पर चर्चा करें। क्या अच्छा रहा? क्या आपके विद्यार्थी वे सीख पाए जिसकी आप उनसे उम्मीद कर रहे थे? अगली बार के लिए आप अपनी योजना के किस पहलू को बेहतर बनाएंगे?
याद रखें कि वैज्ञानिकी अवलोकन सिखाना पड़ता है। विद्यार्थी केवल तभी बेहतर ढंग से वैज्ञानिकी अवलोकन कर पाएंगे जब विद्यार्थियों को पता होगा कि उन्हें क्या देखना है? इसे कैसे देखना है और वे जो देख रहे हैं उसके महत्व को कैसे समझना है विद्यार्थियों को अवलोकनों के बारे में भी शिक्षित करना महत्वपूर्ण है: कि हमारी ज्ञानेंद्रियां धोखा खा सकती हैं और अवलोकन हमारे द्वारा नियत सिद्धान्तों से प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए सभी अवलोकनों का समालोचनात्मक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान योजनाबद्ध प्रश्नों का उपयोग करके इन विचारों पर अपने विद्यार्थियों के साथ विचार-विमर्श किया जा सकता है।
![]() विचार के लिए रुकें जब आप विद्यार्थी थे उस समय के बारे में सोचें।
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किसी प्रदर्शन को समझने और उसे याद रखने के लिए ,विद्यार्थियों को पूर्व अवधारणाओं और प्रक्रियाओं के ज्ञान का सहारा लेना होगा। शिक्षण तब सफल होता है जब आपके विद्यार्थियों को नई जानकारी और समझ को वर्तमान फ्रेमवर्क के अंतर्गत आत्मसात करने में मदद की जाती है, जिसमें विद्यार्थियों के वर्तमान ज्ञान को चुनौती देना शामिल हो सकता है।
प्रश्नों के उपयोग से आप अपने विद्यार्थियों का ध्यान उस ब्यौरे की ओर ले जा सकते हैं जो आप चाहते हैं कि वे देखें याद रखें और उनसे पूछें, ‘‘यहाँ क्या हो रहा है?’’ क्या आप इसी बात की अपेक्षा कर रहे थे? आपके विचार से ऐसा क्यों हुआ?’ जहाँ संभव हो ऐसे प्रश्न पूछना अपेक्षाकृत विद्यार्थियों को बहुत-सी जानकारी देने से अच्छा होता है, क्योंकि इससे विद्यार्थी जो कुछ हो रहा है उस पर उनके वर्तमान ज्ञान के संदर्भ में सोचना पड़ता है। इसे सक्रिय शिक्षण कहा जाता है। इसी के साथ-साथ, इससे आपको विद्यार्थियों के साथ प्रदर्शनों पर काम करते समय उनकी समझ के बारे में परखने का अवसर मिलता है तथा साथ ही आगे बढ़ने से पहले आप उन्हें संबंधित जानकारी या अवधारणाओं की याद भी करा सकते हैं।
यह सर्वाधिक प्रभावी साबित हो सकें इसके लिए आवश्यक होगा कि आपके प्रश्न विद्यार्थियों को परिभाषा याद करने के परे सोच पैदा करे जिससे आपके विद्यार्थी अपने ज्ञान और समझ-बूझ का उपयोग कर सकें। उदाहरण के लिए, ‘अपवर्तन कोण’ की परिभाषा पूछने के बजाय, आप यह प्रश्न पूछ सकते हैं कि आपको अपने प्रदर्शन में किस कोण की माप करनी होगी?
अपने विद्यार्थियों में समग्र और विचारशील प्रतिक्रियाएं विकसित करने में मदद करने के कुछ निम्नलिखित तरीके शामिल हैं, उन्हें संकेत देना, और उनसे अधिक। स्पष्टीकरण मांगना और किसी विद्यार्थी की प्रतिक्रिया पर फिर से ध्यान केन्द्रित करना। इस प्रकार की शिक्षण तकनीकी के सम्बन्ध में और अधिक जानकारी हेतु संसाधन यूनिट–“ विचारशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए प्रश्नों का उपयोग“ को पढ़े।
वीडियो: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना
आपकी योजना तैयार करने और शिक्षण अभ्यास को विकसित करने में इस गतिविधि से आपको सहायता प्राप्त होगी। यदि संभव हो, तो इस गतिविधि के संबंध में अन्य किसी शिक्षक के साथ काम करें जिससे आप अपने विचार को साझा कर सकेंगे।
कक्षा X की पाठ्यपुस्तक प्रिज्म द्वारा प्रकाश के अपवर्तन तथा प्रिज्म द्वारा सफेद रोशनी के प्रसार के बारे में जानकारी दी गई है से प्रत्येक गतिविधियों के लिए योजना हेतु क्रमशः लिखें –
इस प्रदर्शन के लिए आपके विद्यार्थियों के लिए आवश्यक अवधारणात्मक ज्ञान और समझ-बूझ।
ऐसे प्रश्न जो आपको इसकी याद दिलाने कि आप उनसे कब प्रश्न पूछ सकते हैं? या उनकी याददाश्त का पता लगाने के लिए।
प्रदर्शन के भाग के रूप में आपको जिन नई अवधारणाओं और परिभाषाओं का परिचय कराना होगा।
अब इन विचारों को अपनी पाठ योजना में शामिल करें और अपने विद्यार्थियों के साथ प्रदर्शन करें।
![]() विचार के लिए रुकें गतिविधि 3 में बनाई हुई अपनी योजना पर विचार करें और निम्न प्रश्नों के उत्तर दें?
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इस यूनिट में, आपने कुछ ऐसे तरीके देखे जिनसे प्रकाश और विज़न के बारे में शिक्षण करते समय प्रदर्शन में मदद कर सकते हैं तथा आप प्रदर्शनों के प्रभावी उपयोग करने की योजना किस प्रकार बना सकते हैं?
आपके द्वारा प्रदर्शनों में जिन कार्यनीतियों का अभ्यास किया गया है उनका उपयोग आप अन्य विषयों में भी कर सकते हैं।
एक ऐसा तरीका जिससे प्रदर्शन अविस्मरणीय बन जाते हैं, ऐसा तब होता है जब इससे ऐसे परिणाम प्राप्त होते हैं जिनकी आशा विद्यार्थियों ने नहीं की होती है। सभी विषयों के संबंध में प्रदर्शन। के आश्चर्यजनक परिणाम की संभावना में नहीं होती लेकिन जब भी अवसर पैदा होता है तो उसका सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए योजना बनाना महत्वपूर्ण होता है।
यह संसाधन गतिविधि 1 के साथ उपयोग के लिए है।
नीचे तालिका R1.1 में कक्षा X की पाठ्यपुस्तक के प्रकाश और मानव आँख सम्बन्धी शिक्षण बिन्दु को चुनते हुए बनाना।
गतिविधि | मुख्य शिक्षण बिंदु/ मैं क्या चाहता/चाहती हूं कि मेरे विद्यार्थी क्या सीखें? | प्रदर्शन या अन्य प्रकार की प्रायोगिक गतिविधि? चयन का मुख्य कारण? टिप्पणियां? मुझे इसके अलावा और क्या करना होगा? |
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1.1 | ||
1.2 | ||
1.3 | ||
1.4 | ||
1.5 | ||
1.6 | ||
1.7 | ||
1.8 | ||
1.9 | ||
1.10 |
पाठों की अच्छी योजना बनानी चाहिए। योजना आपके पाठों को स्पष्ट और सुनियोजित बनाने में मदद करती है, जिससे विद्यार्थी सक्रिय हो सकते हैं और विषय में दिलचस्पी ले सकते हैं। प्रभावी योजना में अंतर्विष्ट लचीलापन भी शामिल होता है ताकि शिक्षक पढ़ाते समय अपने विद्यार्थियों के शिक्षा-ग्रहण करने के स्तर के बारे में जो पता लगाते हैं उस पर प्रतिक्रिया कर सकें। पाठों की एक श्रृंखला बध्य योजना तैयार करने में विद्यार्थियों और उनकी पूर्व समझ के बारे में जानना, योजना मे स्थान देना शामिल है जिसका मतलब है पाठ्यक्रम के माध्यम से उनकी प्रगति को जानना और विद्यार्थियों को सीखने में मदद करने के लिए उत्तम संसाधनों और गतिविधियों का पता लगाना।
योजना एक सतत प्रक्रिया है जो आपको किसी पाठ विशेष या पाठों की श्रृखला योजना वनाने में मदद करती है। प्रत्येक पाठ योजना पिछली पाठयोजना के आधार पर वनायी जाती है साथ ही, पाठ योजना के चरण हैं:–
योजना के प्रथम भाग में पाठ्यचर्या के विषयों और प्रकरणों को अच्छी तरह खंडों या अंशों में विभाजित करना। उपलब्ध समय और साथ ही उन तरीक़ों पर विचार करना होगा जिसके आधार पर विद्यार्थी उत्तरोत्तर कौशल तथा ज्ञान का सृजन कर सकें। सहकर्मियों के साथ अपने अनुभव साझा करने या विचार-विमर्श करने से आप जान सकते हैं कि कोई एक प्रकरण पढ़ाने में चार सत्र लग सकते हैं जब कि दूसरे में केवल दो सत्र। आपको जानकारी होगी कि आप भिन्न तरीक़ों व समय पर भावी पाठों के शिक्षण के लिए लौटना चाहेगे। जब दूसरे विषय पढ़ाए जा चुके हों या विषय को विस्तृत किया गया हो।
सभी पाठ योजनाओं में आपको निम्नलिखित के बारे में स्पष्ट होने की आवश्यकता होगी–
आप चाहेंगे कि शिक्षण सक्रिय और रोचक हो जिससे विद्यार्थी सीखने में सहज महसूस करें और उनकी उत्सुकता बनी रहे। इस पर विचार करें कि पाठों की श्रृंखला भर में विद्यार्थियों से क्या करने के लिए कहा जाएगा आप न केवल विविधता और दिलचस्पी बल्कि लचीलापन भी बनाएँ रखें। योजना बनाएँ कि पाठों की श्रृंखला जब प्रगति पर हो तब आप किस प्रकार अपने विद्यार्थियों की समझ को परखेंगे? यदि कुछ क्षेत्रों में अधिक समय लगे या जल्दी से समझे जाएँ तो लचीले बने रहने के लिए तैयार रहें।
पाठों की श्रृंखला की योजना तैयार करने के बाद, आपको विद्यार्थियों द्वारा उस बिंदु तक की गई प्रगति के आधार पर प्रत्येक व्यक्तिगत पाठ की योजना तैयार करनी होगी। आप जानते हैं कि पाठों की श्रृंखला के अंत में विद्यार्थियों को क्या सीख जाना चाहिए या उन्हें क्या करने में सक्षम होना चाहिए ? आपको अप्रत्याशित रूप से कुछ दोबारा पढ़ाने या जल्दी से आगे बढ़ने की जरूरत हो सकती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्तिगत पाठ की अच्छी योजना बनाई जानी चाहिए जिससे सभी विद्यार्थी प्रगति करें और सफल तथा समाविष्ट महसूस करें।
पाठ योजना के अंदर आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक गतिविधि के लिए पर्याप्त समय है और व्यावहारिक कार्य या सक्रिय समूह कार्य जैसे क्रियाकलापों के लिए संसाधन तैयार हैं। बड़ी कक्षाओं के लिए सामग्री की योजना बनाने में आपको विभिन्न समूहों के लिए अलग-अलग प्रश्नों और गतिविधियों की योजना बनाने की आवश्यकता हो सकती है।
जब आप नए प्रकरण पढ़ा रहे हों, तो आपको अन्य शिक्षकों के साथ अभ्यास करने और विचार-विमर्श के लिए समय निकालने की जरूरत हो सकती है।
अपने पाठों को तीन भागों में तैयार करने के बारे में सोचें। इन भागों पर नीचे चर्चा की गई है–
1 परिचय
किसी पाठ की शुरूआत में, विद्यार्थियों को समझाएँ कि वे क्या सीखने और करने वाले हैं ? जिससे हर कोई जान लें कि उनसे क्या उम्मीद की जा रही है। विद्यार्थियों को पहले से ज्ञात जानकारी साझा करने की अनुमति देकर उन्हें सिखाए जाने वाले विषय के बारे में उनमें दिलचस्पी पैदा करें।
2 पाठ का मुख्य भाग
विद्यार्थियों को पहले से ज्ञात जानकारी के आधार पर विषयवस्तु को रेखांकित करें। आप स्थानीय संसाधनों, नई जानकारी , समूह कार्य और समस्या-समाधान सहित सक्रिय तरीक़ों का इस्तेमाल करने का निर्णय ले सकते हैं। उपयोग किए जाने वाले संसाधनों और उन तरीकों को पहचानें जिनका आप अपनी कक्षा में इस्तेमाल करेंगे। विविध गतिविधियों, संसाधनों, और समय का प्रयोग करना पाठ योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप विभिन्न तरीक़ों और गतिविधियों का उपयोग करते हैं तो आप अधिक विद्यार्थियों तक पहुँच सकते हैं क्योंकि विद्यार्थियों को भिन्न तरीक़ों से सीखने का अवसर मिलेगा।
3 शिक्षण की जाँच के लिए पाठ का अंत
विद्यार्थियों द्वारा की गई प्रगति के बारे में जानने के लिए हमेशा समय नियत करें (पाठ के दौरान या पाठ के अंत में)। जाँच का मतलब हमेशा परीक्षा नहीं है। आमतौर पर यह शीध्र और मौके पर ही होगी जैसे कि पहले से योजनाबद्ध प्रश्न या विद्यार्थियों द्वारा सीखे गए पाठ के प्रस्तुतिकरण पर ग़ौर करना लेकिन विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाओं से आपको जो पता लगे है उसके अनुसार स्वयं को लचीला बनाना और शिक्षण में बदलाव करने की योजना के लिए तैयार करना होगा।
पाठ को समाप्त करने का एक अच्छा तरीक़ा है प्रारंभकि लक्ष्यों की ओर वापस जाना और उस शिक्षण से अपनी प्रगति के बारे में विद्यार्थियों द्वारा एक दूसरे को बताने के लिए आपको समय नियत करना। विद्यार्थियों को सुनकर आप आश्वस्त हो सकते हैं कि अगले पाठ के लिए आपको कैसी योजना तैयार करनी है।
प्रत्येक पाठ का पुनरावलोकन करें और रिकॉर्ड रखें कि आपने क्या पढ़ाया? आपके विद्यार्थियों ने क्या सीखा? किन संसाधनों का उपयोग किया गया और वह कितनी अच्छी तरह पढ़ाया जा सका? जिससे पूर्ववर्ती पाठों की अपनी योजना में आप सुधार या समायोजन कर सकें। उदाहरण के लिए, आप निम्नलिखित तय कर सकते हैं–
विचार करें कि विद्यार्थियों को सीखने में मदद करने के लिए आप और भी बेहतर तरीक़े से क्या योजना बना सकते थे या कर सकते थे?
जब आप प्रत्येक पाठ पढ़ाएँगे तो आपकी पाठ की योजना निश्चित रूप से बदलेंगी, क्योंकि आप घटित होने वाली हर चीज़ का पूर्वानुमान नहीं लगा सकते। अच्छी पाठयोजना का मतलब है कि आप जानते हैं कि किस प्रकार का शिक्षण कार्य हो तथा इसलिए आप अपने विद्यार्थियों के वास्तविक शिक्षण स्तर का पता लगाने के लिए क्या करना होगा? इस पर लचीले ढंग से प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार होंगे।
इस संसाधन का उपयोग गतिविधि 2 के लिए किया जाता है।
इसमें नीचे दिये चार बिंदुओं में से प्रत्येक को योजना के अंतर्गत किस प्रकार से संबोधित किया जाए? प्रभावी प्रदर्शन के लिए सामान्य सुझाव दिये हैं गये है–
कक्षा में प्रयोग करने से पहले किसी भी नये प्रदर्शन को करके देखना महत्वपूर्ण होता है।
ऐसा करना स्पष्ट रूप से सुरक्षा की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि आपके पास सही उपकरण और समझ-बूझ है जिससे इसे अपनी कक्षा के सामने बिना अधिक समायोजनों के कर सकें। यदि आपको किसी प्रायोगिक प्रदर्शन की तैयारी करने में अधिक समय लगता है तो आपके विद्यार्थियों की दिलचस्पी खत्म हो सकती है।
आप पहले से कितनी तैयारी कर सकते हैं जिससे विद्यार्थियों दिलचस्पी खत्म नहीं हो, या अनावश्यक विवरणों से उनका ध्यान नहीं बंटे?
आपके द्वारा नए प्रदर्शन किए जाएं इससे पहले संभावित खतरों की जाँच कर लें और किसी अधिक अनुभवी सहकर्मी से प्रदर्शन को सुरक्षित रूप से कैसे किया जाए इस बारे में मार्गदर्शन प्राप्त करें।
यदि आपके विद्यार्थी प्रदर्शन की महत्वपूर्ण बातों को नहीं देख पाते, तो इससे उनके शिक्षण में सहायता प्राप्त नहीं होती है।
आपके विद्यार्थी वही देखें जो आप उन्हें दिखाना चाहते हैं इसे सुनिश्चित करने के दो पहलू होते हैं। पहला, आप सुनिश्चित करना कि विद्यार्थी क जो आप उन्हें दिखाना चाहते हैं। दूसरा, यह सुनिश्चित करना वे वैसा देखने के लिए हैं जो आप उन्हें दिखाना चाहते हैं।
जब आप प्रदर्शन का अभ्यास करके देखते हैं, तब इस बात पर विचार करें कि विद्यार्थियों को यह कैसा दिखेगा?
इसका अर्थ है विद्यार्थियों को किसी चीज के आयोजन के दौरान ही ठीक जगह पर देखने की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ यह भी है कि वे यह समझे हैं कि क्या हो रहा है?
आप विद्यार्थियों की भागीदारी को सुनिश्चित करके और प्रदर्शन के दौरान उन्हें अधिक सक्रिय शिक्षार्थी बना कर अपने प्रदर्शनों को अधिक प्रभावी बना सकते हैं:–
प्रदर्शन से पूर्व विद्यार्थियों से पूछे क्या होगा? पूर्वानुमान लगाने को कहें और उनसे उनके पूर्वानुमानों के कारण बताने के लिए भी कहें। ‘‘आपके अनुसार इस बार प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा? क्यों?’’
प्रदर्शन पूरे पाठ को समझने में योगदान देते हैं। ऐसा प्रभावी रूप से करने के लिए, आपको प्रारम्भिक चरण में ‘माहौल बनाना’ होता है, यह सुनिश्चित करें कि प्रदर्शन से आप जो शिक्षा के बिंदु प्रदान करना चाहते हैं, उन सभी को विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किया जाता है फिर पूर्ण सत्र में शिक्षण को समेकित करें।
प्रारम्भिक तौर पर निम्नलिखित कार्य करें:
पूर्ण सत्र के दौरान:
प्रत्येक विद्यार्थी प्रदर्शन से जो कुछ सीखा है, उसका सार बताने के लिए कहें क्या ,यह उनकी अपेक्षा के अनुरूप था? क्या उन्हें कोई असामान्य या आश्चर्यजनक बात का पता लगा ?)।
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चित्र 1: विज्ञान प्रसार सांइस क्लब (http://www.frontline.in/ static/ html/ fl2822/ stories/ 20111104282212600.htm) (Figure 1: Vigyan Prasar Science Club (http://www.frontline.in/ static/ html/ fl2822/ stories/ 20111104282212600.htm))
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।