इस इकाई से आपको अपने शिक्षकों के कार्याभ्यास को विकसित करने में सहयोग देने तथा अपने विद्यालय में शिक्षणशास्त्रीय बदलाव(pedagogical shift) लाने में मदद मिलेगी। इस विषय पर काफी कुछ लिखा जा चुका है दृ और ‘गतिविधि आधारित सीखने की प्रक्रिया’ एवं ‘बालक–केंद्रित सीखने की प्रक्रिया’ आदि विषयों पर प्रशिक्षण आयोजित किए जा चुके हैं– परन्तु इसे आप अपने विद्यालय में वास्तव में अमल में कैसे ला सकते हैंघ् इस इकाई में इस बात के क्रियात्मक उदाहरण दिए गए हैं कि अपने विद्यार्थियों के सीखने संबंधी परिणामों को बेहतर बनाने के लिए अपने विद्यालय के शिक्षकों के पाठों को अधिक भागीदारीपूर्ण बनाने हेतु उनके साथ TESS-भारत मुक्त शैक्षिक संसाधनों (ओईआरद्ध का उपयोग कैसे करना है।
यह इकाई आपको एक शिक्षण शास्त्रीय बदलाव परियोजना के बारे में मार्गदर्शन देती है जो एक सत्र (लगभग 12 सप्ताह) तक चलेगी। इसमें आप अपने विद्यालय में शिक्षणशास्त्रीय बदलाव पर ध्यान देंगे। आपको अपने शिक्षकों के कक्षा कार्याभ्यासों के किसी ऐसे पहलू को पहचानने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जिसे आप बदलना चाहते हों। इसमें आपके लिए विद्यालय में करने की गतिविधियां और (केस स्डटी) दिए गए हैं जो क्रियान्वयन के उदाहरण प्रदान करते हैं।
शुरूआत करने से पहले आपको पूरी इकाई पढ़ लेनी चाहिए, और फिर गतिविधियों को जिस क्रम में दिया गया है उस क्रम में करें, और सत्र में आगे बढ़ने के साथ-साथ अपनी योजनाओं, कार्यों और प्रतिफलों के रिकॉर्ड रखते जाएं।
इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करके रखते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी भरना शुरू कर दिया होगा।
इस इकाई में आप अकेले काम कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय प्रमुख के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते आ रहे हैं, या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध का निर्माण करना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अधिक अनौपचारिक आधार पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे, और साथ ही आपकी दीर्घावधि की शिक्षण-प्रक्रिया और विकास के प्रतिबिम्बित भी करेंगे।
वर्ष 2005 में एनसीएफ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि, विद्यार्थियों की सीखने की क्रिया में उनकी भागीदारी, सीखने संबंधी सर्वोत्तम परिणाम पाने की कुंजी है। विद्यार्थियों को निम्नांकित का अवसर मिलना चाहिए:
शोध इस बात पर सहमत है। वास्तविकता यह है कि इसका क्रियान्वयन कठिन है। कई शिक्षक, विशेष रूप से माध्यमिक स्तर के शिक्षक, यह मानते हैं कि कक्षा का आकार बड़ा होना और परीक्षा पाठ्यक्रम जैसे कारण उन्हें अधिक विद्यार्थी-केंद्रित पद्धतियां अपनाने में सक्षम नहीं बनने देते हैं। टीईएसएस-इंडिया ओईआर वृत्त अध्ययनों (case shedies) और गतिविधियों (actirities) के रूप में क्रियात्मक उदाहरण प्रदान करते हैं जिन्हें शिक्षक अपनी कक्षाओं में लागू करके इन चिंताओं से मुक्ति पा सकते हैं।
अच्छे विद्यालयों में, शिक्षक स्वयं भी सक्रिय शिक्षार्थी बनने की कोशिश करते हैं और अपने कार्याभ्यास पर नियमित रूप से विचार करते हैं:
एक विद्यालय नेता होने के नाते आपकी भूमिका का एक भाग शिक्षकों को उनकी कक्षाओं में प्रयोग करने और अपने कार्याभ्यास पर विचार करने में सहायता करना भी है। जब शिक्षक शिक्षण की भागीदारीपूर्ण पद्धतियां देखेंगे और उनका अनुभव करेंगे तो वे उनके फायदे पहचानने लगेंगे। जब शिक्षक खुद इन फायदों का अनुभव करेंगे तो वे नई पद्धतियां अपनाने में अधिक आत्मविश्वासी बनेंगे।
गतिविधि 1 में आप अपने विद्यालय की मौजूदा शिक्षण एवं अधिगम क्रिया पर विचार करेंगे और अगले कुछ हफ्तों में सुधार के लिए एक फोकस चुनेंगे। इसके बाद, निम्नांकित गतिविधियां आपको शिक्षकों के कक्षा कार्याभ्यास को बेहतर बनाने में उनका सहयोग करने में सहायता करेंगी। इसे चित्र्र 2 में स्पष्ट किया गया है।
यह गतिविधि आपसे यह जांचने को कहती है कि आपके विद्यालय में किस सीमा तक विद्यार्थी-केंद्रित शिक्षण एवं सीखने की क्रिया पहले से मौजूद है। जहां अच्छे कार्याभ्यास पहले से चल रहे हैं वहां इस बात को नोट करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि आप उसे और आगे बढ़ा सकते हैं।
संसाधन 1 में दी गई तालिका का उपयोग करते हुए, अपने विद्यालय के मौजूदा कार्याभ्यास का एक अवलोकन करें। यह आपके लाभ के लिए है, इसलिए आपको इसे किसी को दिखाने की जरूरत नहीं है। आप इस बात के प्रमाण तलाश रहे हैं कि कितने शिक्षक अपनी कक्षाओं में विद्यार्थियों की भागीदारी को सक्षम बना रहे हैं और किस हद तक। अधिकतम संभव ईमानदारी बरतें।
आप बाद की एक गतिविधि में इस अवलोकन पर लौटेंगे।
टीईएसएस-इंडिया में सीखने की क्रिया की भागीदारीपूर्ण पद्धतियां विकसित करने में शिक्षकों की सहायता करने वाले संसाधन हैं। अगले अनुभाग में, आप उपलब्ध संसाधनों पर नजर डालेंगे और बदलाव के लिए एक फोकस चुनेंगे (चित्र 2 में चरण 2)।
संसाधन 2 में टीईएसएस-इंडिया परियोजना के लिए शिक्षणशास्त्र के सिद्धांत वर्णित हैं और उन बदलावों (या सीखने की क्रिया के रूपान्तरण) का उपयोगी सारांश दिया गया है जिनमें सहायता के लिए इन सामग्रियों को तैयार किया गया है।
संसाधन 3 में मुख्य संसाधनों की वास्तविक विषय-वस्तु एवं अलग अलग ओईआर प्रदर्शित हैं। भाषा एवं साहित्य, माध्यमिक विज्ञान, माध्यमिक अंग्रेजी एवं माध्यमिक गणित में से प्रत्येक के लिए 15 ओईआर हैं और मुख्य संसाधनों का एक समूह तथा संबंधित वीडियो हैं जिन्हें भारतीय विद्यालयों में फिल्माया गया है।
विस्तार से देखने के लिए एक टीईएसएस-इंडिया ओईआर चुनें। यदि संभव हो तो यह गतिविधि किसी वरिष्ठ सहकर्मी के साथ करें। ओईआर को विशिष्ट कौशल और योग्यताएं सीखने में शिक्षकों की मदद करने के लिए बनाया गया है। जब आप टीईएसएस-इंडिया ओईआर पढ़ें, तो संसाधन 4 पर एक नज़र डाल लें, जिसमें ओईआर की संरचना समझाई गई है। अपने सहकर्मी के साथ यह पहचान करें कि इकाई के प्रत्येक अनुभाग में शिक्षक क्या सीखेगा।
टीईएसएस-इंडिया मुख्य संसाधनों को देखें। ओईआर किन मुख्य संसाधनों को संदर्भित करता है? यदि संभव हो तो, ओईआर से लिंक किए गए टीईएसएस-इंडिया वीडियो देखें।
याद रखें कि टीईएसएस-इंडिया ओईआर में संपूर्ण छात्र पाठयक्रम को सम्मिलित नहीं किया गया है। इन्हें शिक्षकों को ऐसे विचार देने के लिए डिजाइन किया गया है जिनका अन्य विषयों के लिए आसानी से इस्तेमाल हो सकता है या जिन्हें आसानी से अन्य विषयों के लिए ढाला जा सकता है।
अब आप अपने विद्यालय में शिक्षण और सीखने की क्रिया में एक सुधार लाने के लिए अपने अवलोकन में से किसी एक मुद्दे पर ध्यान देना आरंभ करेंगे। यह महत्वपूर्ण है कि एक बार में बहुत अधिक सुधार की कोशिश न की जाए। एक बार में एक मुद्दे पर फोकस करने से आपके सफल होने की संभावना अधिक हो जाती है।
संसाधन 1 के अपने उत्तरों और टीईएसएस-इंडिया मुख्य संसाधनों (संसाधन 3) की ‘कार्याभ्यास के भागीदारीपूर्ण सिद्धांतों’ की सूची का उपयोग करते हुए, बदलाव हेतु कोई एक फोकस पहचानें। (उदाहरण के लिए, यह ‘जोड़ी में कार्य’ या ‘प्रश्न करना’ हो सकता है।)
आप संसाधन 3 की तालिका से यह देख सकते हैं कि कार्याभ्यास के प्रत्येक सिद्धांत के साथ कौन से टीईएसएस-इंडिया ओईआर एवं वीडियो लिंक किए गए हैं, ताकि आप सभी संबंधित टीईएसएस-इंडिया संसाधनों के साथ जुड़ सकें। उन टीईएसएस-इंडिया ओईआर (भाषा व साहित्य, माध्यमिक गणित, माध्यमिक अंग्रेजी एवं माध्यमिक विज्ञान) की एक सूची बनाएं जिनका उपयोग आप अपने विद्यालय में इस पद्धति को विकसित कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, आप जानते हैं कि आपके शिक्षक कक्षाओं में जाने से पहले अपने पाठों के बारे में पर्याप्त रूप से नहीं सोचते हैं। तो इसके लिए आप पाठों की योजना बनाने पर ध्यान देने का चुनाव कर सकते हैं। इससे न केवल पाठों को संरचित करने के तरीके में, बल्कि प्रयुक्त शिक्षण विधियों और संसाधनों की विविधता में भी सुधार संभव हो सकते हैं। वैकल्पिक तौर पर, हो सकता है कि आप चाहते हों कि विद्यार्थी थोड़ा अधिक बोलें (‘सीखने के लिए बोलना’ मुख्य संसाधन देखें), या हो सकता है कि आपके विद्यालय में बड़ी कक्षाएं हों और आप यह तय करें कि शिक्षकों के लिए बड़ी कक्षाओं को प्रभावी ढंग से पढ़ाना आसान बनाने के लिए विद्यार्थियों से जोड़ियों में कार्य करवाया जाए (‘जोड़ी में कार्य का उपयोग करना’)।
आप बदलाव की पहल करने के बारे में, अपने विद्यालय में बदलाव की योजना बनाना और उसकी पहल करना तथा अपने विद्यालय में बदलाव लागू करना नामक ओईआर में अधिक जानकारी पा सकते हैं।
इस सत्र में केवल एक फोकस चुनना महत्वपूर्ण है। अगर आप एक बार में बहुत कुछ बदलने की कोशिश करेंगे तो बदलाव कम असरदार होंगे। नीचे दिए गए वृत्त अध्ययन को पढ़ कर जानें कि कैसे एक विद्यालय नेता ने अपना एक फोकस चुना।
यह एक सीखने की डायरी प्रविष्टि है जिसे एक माध्यमिक विद्यालय प्रमुख, श्रीमती चड्ढा ने लिखा है। उन्होंने अपने विद्यालय में गतिविधि 1 व 3 आजमाई थीं।
मैंने [संसाधन 1 में दी गई] तालिका भरनी शुरू की जिससे मैं यह छानबीन करने को उत्सुक हुई कि मैं यह कैसे पता करूं कि विद्यालय में वास्तव में क्या शिक्षण चल रहा है। मैंने पाया कि यह जानकारी प्रायः या तो मध्यावकाश के दौरान में शिक्षकों द्वारा मुझे बताई गई बातों से आती है या फिर अनौपचारिक चर्चाओं से। इससे मैं धारणाओं के बारे में सोचने लगी: क्या शिक्षकों की धारणाएं वैसे ही हैं जैसी मेरी, या फिर क्या विद्यार्थियों की धारणाएं मेरे समान हैं या नहीं?
मैंने पाया कि मुख्य संसाधनों से मुझे इस सत्र हेतु एक फोकस खोजने के लिए प्रोत्साहन मिला, क्योंकि ऐसा बहुत कुछ था जो मुझे पता नहीं था और करने के लिए बहुत कुछ था। मेरा मानना है कि विद्यार्थियों द्वारा प्रश्न पूछे जाने से उनकी सीखने की क्रिया में उन्हें मदद मिलती है। पाठों में क्या प्रश्न पूछे जा रहे हैं यह जानने के लिए मैंने विद्यालय में चक्कर लगाने का निश्चय किया। पाठों के दौरान बरामदों में घूमने से यह आसानी से सुनाई पड़ जाता है कि क्या चल रहा है, क्योंकि तब गर्मी की वजह से दरवाजे बंद नहीं होते। मैंने तय किया कि मैं कक्षाओं में नहीं जाऊंगी, क्योंकि मुझे चिंता थी कि विद्यार्थी और शिक्षक मुझे ऐसा करते देखने के अभ्यस्त नहीं हुए हैं – विद्यालय प्रमुख के प्रवेश करने से कक्षाओं में सामान्यतः जो कुछ होता वह बदल सकता था। इसलिए मैंने कक्षाओं के बाहर से सुना।
मैंने देखा कि अधिकतर कक्षाओं में शिक्षक बोल रहे थे और विद्यार्थी चुपचाप सुन रहे थे। कभी-कभार शिक्षक कोई प्रश्न पूछ लेता था और विद्यार्थी समवेत स्वर में उत्तर दे देते थे। पर न तो कोई खुले प्रश्न पूछे जा रहे थे और न ही ऐसे प्रश्न जिसमें विद्यार्थी जो कहा गया उससे असहमत हो सकते हों। विद्यार्थी बोर्ड की ओर मुंह किए कतारों में बैठे थे जहां शिक्षक बोल रहे थे।
केवल श्री मेघनाथन की कक्षा अलग थी – मैंने उन्हें विद्यार्थियों से ऐसे प्रश्न पूछते सुना जिन पर विद्यार्थियों को उनसे असहमत होना पड़ा और अपने तर्कों की व्याख्या करनी पड़ी। उन्होंने विद्यार्थियों को उत्तर देने से पहले ‘सोचने का समय’ भी दिया। मैं विद्यार्थियों को प्रश्नों के बारे में एक दूसरे से बात करते सुन पा रही थी, और खिड़की से देखने पर मैंने पाया कि वे एक-दूसरे की ओर मुड़ गए थे और जोड़ियों में कार्य कर रहे थे।
यह साफ था कि श्री मेघनाथन की कक्षा में एक अच्छा कार्याभ्यास चल रहा था, पर मुझे पता था कि मुझे सावधान रहना है क्योंकि अगर मैंने सार्वजनिक रूप से केवल उन्हीं की प्रशंसा की तो बाकी शिक्षकों में रोष उत्पन्न हो सकता था। मैंने तय किया कि मैं ‘प्रश्न करने’ को इस सत्र का फोकस बनाऊंगी ताकि मैं श्री मेघनाथन की भागीदारीपूर्ण पद्धति और टीईएसएस-इंडिया के संसाधनों के उदाहरणों का लाभकारी उपयोग कर सकूं।
आपकी भूमिका का एक भाग यह भी है कि आप अपने शिक्षकों और विद्यार्थियों, दोनों के लिए सीखने का ऐसा वातावरण बनाने की दिशा में कार्य करें जहां शिक्षक कार्य करने के नए तरीके आजमाने तथा नए कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित हों। शिक्षकों के लिए ऐसा करना तब तक कठिन महसूस होगा जब तक कि आप उन्हें यह महसूस न कराएं कि उन्हें आपका समर्थन प्राप्त है और पुरानी आदतों से दूर हटना हितकर एवं सुरक्षित है।
नीचे करके सीखने के इस लोकाचार को बढ़ावा देने के कुछ ऐसे विचार दिए जा रहे हैं जो एक विद्यालय के कुछ विभाग प्रमुखों के हैं:
अपना फोकस पहचान चुकने के बाद, आपको अपने शिक्षकों को अपनी योजना में संलग्न करना होगा। यदि आपके पास कोई अधीनस्थ–अधिकारी या अन्य वरिष्ठ स्टाफ सदस्य है, तो सोचें कि कैसे आप उनके साथ बातचीत शुरू कर सकते हैं, ताकि वे आपके साथ काम करें। गतिविधि 4 और 5 में इसके कुछ तरीके बताये गये हैं।
अपने अधीनस्थ–अधिकारी या किसी अन्य वरिष्ठ शिक्षण के साथ काम करते हुए, अपने विद्यालय के शिक्षण और सीखने की क्रिया में सुधार लाने पर फोकस करने का अपना विचार साझा करें। उपलब्ध TESS-India ओईआर को विस्तार से देखें। याद रखें, गतिविधियों को अन्य विषय क्षेत्रों के लिए आसानी से ढाला जा सकता है, और संभवतः आपको यही करने की आवश्यकता पड़ेगी। पर सबसे पहले आपको टीईएसएस-इंडिया ओईआर और उनकी पद्धति से परिचित हो जाना चाहिए।
साथ मिल कर सोचें कि कैसे आपके शिक्षक टीईएसएस-इंडिया ओईआर तक पहुंचेंगे और कैसे आप उनका परिचय ओईआर से कराएंगे। यहां कुछ विद्यालय प्रमुखों के विचार दिए जा रहे हैं:
अब इस पर विचार करें कि आप सत्र के बदलाव पर फोकस करने के लिए अपने शिक्षकों को संलग्न कैसे करेंगे: शायद किसी स्टाफ बैठक में या किसी प्रशिक्षण कार्यशाला के रूप में? बदलाव की जरूरत के बारे में अपनी ‘कहानी’ सोचें। याद रखें कि आपको शिक्षकों को उनके तौर- तरीके बदलने का आदेश नहीं देना है बल्कि आपको उन्हें समझा-बुझा कर राजी करना है और सक्षम बनाना है। आप कुछ ऐसा कह सकते हैं:
इस बारे में सोचें कि आप अपने शिक्षकों को ओईआर का चयन करने में कैसे शामिल कर सकते हैं। इसके लिए आप उनसे कह सकते हैं कि वे पता करें कि इस सत्र में वे कौन-कौन से विषय पढ़ाना चाहते हैं, और फिर वह ओईआर ढूंढें जो उस विषय से संबंधित हो और आपकी चुनी हुई पद्धति प्रदर्शित करता हो। आप संसाधन 3 को पर्चों के रूप में साझा कर सकते हैं या फिर उसे अपने ऑफिस की दीवार पर टांग सकते हैं।
यदि आप कर सकें, तो टीईएसएस-इंडिया वीडियो दिखाएं और सोचें कि उससे किन चर्चाओं को प्रोत्साहित किया जा सकता है। आप कौन से प्रश्न पूछ सकते हैं या अपने शिक्षकों से आप कौन सी गतिविधियां करने को कह सकते हैं? उन प्रश्नों के बारे में पहले से सोच लें जो आपके सामने रखे जा सकते हैं। ‘संभावित कठिनाइयों’ पर संसाधन 5 पढ़ें ताकि आप अपने शिक्षकों द्वारा उठाए जाने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए तैयार हों।
जब आप विचार प्रस्तुत कर चुके हों, तो आप अपने शिक्षकों के लिए कोई सरल सा कार्य तय कर सकते हैं। आप उनसे एक-दूसरे के मित्र के रूप में कार्य करते हुए जोड़ियों में कार्य करने को कह सकते हैं। उनसे कहें कि वे ओईआर का उपयोग करते हुए साथ मिल कर शिक्षण गतिविधियां तैयार करें और फिर एक-दूसरे का प्रेक्षण करें। उन्हें अपने पाठों का कार्यक्रम बनाने की जरूरत पड़ेगी और जब वे एक-दूसरे का प्रेक्षण कर रहे हों तब उनकी कक्षाओं को आप खुद पढ़ाने की पेशकश करके आप उनकी मदद कर सकते हैं।
आपने भले ही गतिविधि 4 में दिए गए सुझाव का इस्तेमाल किया हो या अपने शिक्षकों के लिए कोई विकल्प तैयार किया हो, आपको क्या कुछ चल रहा है इस पर नजर रखने की जरूरत होगी और आपको यह भी मूल्यांकन करना होगा कि आपकी फोकस परियोजना नियोजन के अनुसार विकसित हो रही है या नहीं (चित्र 2 में चरण 5)। निगरानी और मूल्यांकन की इन गतिविधियों से यह भी पता चल सकता है कि आगे क्या करना है और इससे आपको अच्छी कार्यप्रथाओं की पहचान करने या अपनी योजनाओं में सुधार और बदलाव करने का मौका मिल सकता है।
आप कुछ शिक्षकों के लिए कोच की भूमिका भी ले सकते हैं, या फिर आप इस कार्य को करने में सक्षम शिक्षकों को यह भूमिका सौंप सकते हैं। (यदि आप इस पद्धति के बारे में अपने ज्ञान को तरोताजा करना चाहते हैं तो सलाह देने (मेंटरिंग) एवं कोचिंग देने पर एक अलग नेतृत्व इकाई उपलब्ध है।)
मैं यह जानने को बहुत उत्सुक थी कि शिक्षक अपनी कार्यप्रथाएं किस प्रकार विकसित करेंगे और टीईएसएस-इंडिया ओईआर का इस्तेमाल कैसे करेंगे। मैंने शिक्षकों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने अनुभवों के बारे में मुझसे और दूसरों से बात करें। इससे मुझे थोड़ी अंदरूनी जानकारी मिली कि शिक्षकों में क्या चला रहा है। अब मैं जब भी कभी विद्यालय में टहलती हूँ, तो यह सुनने की कोशिश करती हूँ कि कक्षाओं में किस बारे में बात की जा रही है और बात कौन कर रहा है।
कुछ हफ्ते बीतते-बीतते, मैंने पाया कि सुश्री चक्रकोड़ि की कक्षा में सूक्ष्म बदलाव आ रहे थे। वे अपने विद्यार्थियों को खुले मन प्रश्न पूछने की तकनीक का इस्तेमाल पहले से कर रही थीं, और अब वे अपनी कार्यप्रथा को विकसित करने के लिए एक अन्य शिक्षक के साथ मिल कर ओईआर के उपयोग पर कार्य कर रही थीं। उन्होंने मुझे बताया था कि यह कार्य अच्छा चल रहा था। सूक्ष्म बदलाव यह था कि उन्होंने ऐसे प्रश्नों का सेट तैयार कर लिया था जिनसे उनके विद्यार्थियों को यह सोचना होता था कि ‘वे क्या जानते हैं’ और ‘वे उस बारे में निश्चित क्यों हैं’ ।
मैंने सुश्री चक्रकोड़ि से पूछा कि क्या बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि वे वस्तुतः अपने सभी पाठों में अपनी प्रश्न पूछने की तकनीक पर काम कर रहीं थीं। पर शिक्षण के बीच में ही ऐसे प्रश्न सोचना कठिन मालूम हो रहा था जो विद्यार्थियों के ज्ञान का आकलन करने में उनकी और उनके विद्यार्थियों की मदद करें। इसलिए उन्होंने हर पाठ से पहलेए संभावित प्रश्नों को लिखना शुरू कर दिया था। वे यह पहले ही निश्चित कर चुकी थीं कि कौन से प्रश्न सबसे अच्छा परिणाम दे रहे थे।
मैंने एक नोट लिख लिया कि अगली स्टाफ बैठक में मैं सुश्री चक्रकोड़ि और दूसरों से कहगूं कि वे अपने सर्वोत्तम प्रश्नों को साझा करें ताकि दूसरे भी उन्हें अपना सकें।
यह केस स्टडी है कि विद्यालय प्रमुख न केवल क्या चल रहा है इसकी निगरानी कर रहा है बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि सर्वोत्तम कार्यप्रथा को साझा किया जाएए जिससे नई पद्धतियो को अपनाने को बढ़ावा मिल सके। अगली गतिविधि आपको अपनी फोकस परियोजना के संवेग को बनाए रखने में मदद करने पर लक्षित है।
अपनी अगली स्टाफ बैठक के बारे में सोचना शुरू करें और इस बारे में सोचें कि प्रगति की समीक्षा करने के लिए और अपने लिए व अपने शिक्षकों के लिए आगे के कार्य व लक्ष्य तय करने हेतु इस बैठक का उपयोग कैसे किया जा सकता है। यह सोचें कि आप बैठक के लिए किस प्रकार ऐसी तैयारी कर सकते हैं जिससे आप सर्वाधिक प्रभाव हासिल कर पाएं और शिक्षक आपसे केवल बात ही न करते रहें।
आप अध्यापकों से अपने अनुभवों की चर्चा करने के लिए जोडी,या छोटे-छोटे समूहों में कार्य करने को कह सकते हैं। संसाधन 6 में कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका आप उपयोग कर सकते हैं।
आपने जो अच्छे कार्याभ्यास देखे हों उन्हें साझा कर सकते हैं, पर ध्यान रखें कि प्रशंसा भी सभी में साझी हो। अध्यापकों को अपनी सफलता की कहानियां साझा करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। यहां तक कि आप विद्यार्थियों से प्रतिक्रिया (उपख्यानात्मक या किसी सर्वेक्षण से) शामिल करने के बारे में भी सोच सकते हैं।
इस बारे में सोचें कि अध्यापक आपके अध्यापन फोकस के साथ अपने कौशलों को और आगे विकसित करने के लिए क्या कर सकते हैं। उन्हें और क्या सहायता चाहिए होगी? क्या ऐसे और भी टीईएसएस-इंडिया ओईआर हैं जिनसे मदद मिल सकती है? आपको कुछ विचार तैयार रखने चाहिए, पर साथ ही उनके सुझावों को भी सुनें और साथ मिल कर तय करें कि आगे क्या करना है।
चर्चा
आपके स्टाफ सदस्य आपके एवं अन्य अध्यापकों द्वारा उनके अध्यापन कार्य को सम्मान व मान्यता मिलते देख बहुत खुश होंगे। प्रगति बैठक आयोजित कर आप जो भी सकारात्मक बदलाव हुए हों उन्हें पहचान सकते हैं, जो भी कठिनाइयां हों उन्हें हल करने पर ध्यान दे सकते हैं और अपने स्टाफ को जोड़ रख सकते हैं। उत्साही और प्रतिबद्ध स्टाफ की सार्वजनिक प्रशंसा की जानी चाहिए। पर याद रखें कि कुछ स्टाफ़ सदस्य, अन्य से अधिक आत्मविश्वासी होंगे, इसलिए आपको छोटे-छोटे बदलावों की भी प्रशंसा करनी चाहिए और अतिरिक्त सहयोग का प्रस्ताव रखना चाहिए। याद रखें कि आप भागीदारीपूर्ण पद्धति का प्रतिरूपण (modelling)कर रहे हैं जिसमें आप विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान को मान देते हैं।
अगला चरण है अच्छे कार्याभ्यास को समेकित करना। अगले वृत्त अध्ययन में, विद्यालय नेता श्रीमती चड्ढा बता रही हैं कि उन्होंने अपने विद्यालय में बदलावों को किस प्रकार स्थापित किया।
श्रीमती चड्ढा से साक्षात्कार में पूछा गया कि उन्होंने अपने विद्यालय में बदलावों को किस प्रकार लागू कर अंतस्थ किया। यहां वे अपने सामने आईं चुनौतियों और अपनी कुछ रणनीतियों के बारे में बता रही हैं।
सच कहूं तो, मुझे किसी भी परियोजना का वह पहलू सबसे चुनौतीपूर्ण लगता है जो बदलाव को लागू करता है। यूं तो यह मान लेना कि ऐसा हो गया है और अगली परियोजना पर चले जाना बहुत आसान है। पर मैंने सोचा कि मुझे ऐसा करने से रोकने का केवल एक ही तरीका है, और वह यह है कि बदलाव को अंतस्थ करने के लिए एक योजना लिखूं, समीक्षाओं की तारीखों समेत, और उसे अपनी डायरी में लिख लूं।
मैं खुश थी कि सभी अध्यापकों ने अपने अध्यापन में थोड़े-थोड़े बदलाव किए थे, और मैं देख पा रही थी कि सीखने की क्रिया में मदद के लिए कक्षा में पहले से अधिक प्रश्न पूछे जा रहे थे। अधिक विविधतापूर्ण प्रश्न पूछे जा रहे थे और विद्यार्थियों को उत्तर देने के लिए अधिक समय दिया जा रहा था। कुछ अध्यापक अपने कई पाठों में बड़े बदलाव कर रहे थे; कुछ अन्य ने किसी ओईआर से कभी-कभार कोई गतिविधि की, प्रायः इसलिए क्योंकि उन्हें अपने सहकर्मियों या मेरे द्वारा ऐसा करने के लिए प्रेरित किया गया।
मैं स्वयं अपनी कक्षाओं को नहीं पढ़ाती हूँ, पर मैं उन अध्यापकों की कक्षाएं ले रही थी जो एक-दूसरे का प्रेक्षण करने जा रहे थे। ऐसे कुछ मौकों के बाद मैंने जाना कि मेरे स्वयं के अध्यापन कार्य अभ्यास को तरोताजा करने के लिए भी मेरे सामने मौका था। चूंकि अंग्रेजी मेरी अध्यापन विशेषज्ञता है, मैंने दो अंग्रेजी अध्यापकों से पूछा कि क्या मैं उनके कार्य में शामिल हो सकती हूँ और वे सहमत हो गए। इससे मुझे एहसास हुआ कि कार्य कितना चुनौतीपूर्ण था और उसे साधने के मामले में अध्यापक कितने विविधतापूर्ण थे।
संवेग बनाए रखने के लिए, मैंने अगले दो सत्रों के लिए निम्नांकित का कार्यक्रम निर्धारित कर दिया है:
मैं प्रगति पर नजर रखना जारी रखूंगी।
किसी भी बदलाव के साथ यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि:
अपने सत्र के अंत में आप खुशी मनाने के लिए और शिक्षण एवं सीखने में फोकस मुद्दे पर किए गए कठिन कार्य करने के प्रति आभार प्रकट करने के लिए एक बैठक आयोजित कर सकते हैं। इसकी तैयारी के लिए आप चाहें तो अपनी सीखने की डायरी पर फिर से नजर डाल कर खुद को यह याद दिला सकते हैं कि आपने शुरूआत कहां से की थी। इस बैठक को मात्र औपचारिक नहीं बल्कि अन्योन्य क्रियात्मक और भागीदारी से पूर्ण होना चाहिए।
आप ‘विचारों की दीवार’ का उपयोग भी आजमा सकते हैं। यह दीवार पर एक ऐसा स्थान होता है जहां व्यक्ति विचारों को सोचते समय उन्हें लिख सकते हैं, दूसरों के लिखे विचार देख सकते हैं और दूसरों की टिप्पणियों में अपने विचार जोड़ सकते हैं। इसका लाभ यह होता है कि समय के साथ यह बढ़ती जाती है और इसमें हर कोई शामिल होता है। अध्यापकों को टिप्पणी लिखने को प्रेरित करने के लिए, आप उदाहरण के तौर पर, निम्नांकित शीर्षकों के साथ कागज के बड़े-बड़े टुकड़ों का इस्तेमाल कर सकते हैं या पिन से छोटे-छोटे नोट्स बोर्ड पर लगा सकते हैं:
‘चुनौतियां’?
यह गतिविधि एक मजेदार और उत्साहवर्धक गतिविधि के रूप में होना चाहिए, जिसमें स्टाफ सदस्य बैठे रहने की बजाए, ‘विचारों की दीवार’ (जो कोई ब्लैकबोर्ड या कागज की बड़ी सी शीट हो सकती है) के इर्द-गिर्द इकट्ठा होकर खड़े रह कर प्रतिभाग करें।
अगर आपका स्टाफ समूह बड़ा है, तो आप अलग अलग दीवारों पर अलग अलग विषय लिख सकते है और स्टाफ से कह सकते हैं कि वे दीवार तक जाएं और कागज की शीटों पर अपनी टिप्पणियां लिखें और फिर प्रत्येक शीट पर साथ मिलकर चर्चा करें। अगर आपके पास चिपकाने वाली नोट्स की पर्चियां हों तो आप अपने स्टाफ से उन पर लिख कर उन्हें कागज की उपयुक्त शीट पर चिपकाने को कह सकते हैं। एक अन्य विकल्प के तौर पर, आप कागजी मेजपोश का इस्तेमाल कर सकते हैं और स्टाफ से कह सकते हैं कि वे एक-एक करके मेजों पर जाते रहें और समूह के रूप में बैठ कर उस पर लिखते जाएं।
किसी भी विचार-मंथन की गतिविधि के समान, आपको उसका सारांश बताना होगा और योगदानों का आभार प्रकट करते हुए सभी चीजों को एक साथ रख कर एक बड़ा चित्र बनाना होगा। आप बाद में प्रदर्शनों को लगा छोड़ सकते हैं, या भावी संदर्भ के लिए उन्हें टाइप करवा सकते हैं।
चर्चा
अपने सत्र की फोकस परियोजना की सफलता को सहेजना महत्वपूर्ण है। ऐसा करने का अर्थ है कि:
इसे औपचारिक बैठक की बजाए किसी ऐसी मजेदार गतिविधि के रूप में किया जा सकता है जो कुशलक्षेम और सहशासन का एहसास देती हो। आदर्श रूप सेए आप बोलने से ज्यादा सुनेंगे। उसके बादए आपने जो कुछ सुना उस जानकारी का उपयोग यह योजना बनाने में कर सकते हैं कि अपने विद्यालय में अधिक भागीदारीपूर्ण अध्यापन को सक्षम कैसे बनाया जाए।
इस इकाई में आप चित्र 2 में वर्णित प्रक्रिया से गुजरे हैं। अब आप माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों हेतु टीईएसएस–इंडिया ओईआर से परिचित हो गए हैं और यह समझते हैं कि वे किस प्रकार संरचित हैं और अपनी स्थितियों में आप किन अवयवों को अनुकूलित कर इस्तेमाल कर सकते हैं। ओईआर स्वतंत्र हैं और संपूर्ण रूप में इनका अध्ययन किया जा सकता हैए पर अब तक आप यह जान चुके होंगे कि विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए लचीले ढंग से उनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
हो सकता है कि अपने विद्यालय में आप जिस प्रकार का अध्यापन और अध्ययन चाहते हों उसके बारे में आपने कोई संदृश्य (vision) सोच रखा हो। यदि आप जो व्यवहार चाह रहे हैं उन्हें स्वयं उदाहरण के रूप में दर्शाएं और कार्य के नए तरीकों के साथ प्रयोग करने में अपने स्टाफ की मदद करें तो आपका उत्साह आपके स्टाफ में भी दिखने लगेगा।
अपने विद्यालय के अध्यापन और अध्ययन को बदलने में टीईएसएस-इंडिया ओईआर आपकी मदद कर सकते हैं। इसके लिए वे आपको अपने अध्यापकों को व्यावहारिक रूप से विकसित करने एवं उनकी मदद करने के साधन प्रदान करते हैं।
कथन | संबंधित मुख्य संसाधन | मेरे विद्यालय में यह किस सीमा तक हो रहा है? (कभी नहीं, यदा-कदा, कभी-कभी, सदैव) | यह कहां हो रहा है उसके उदाहरण (अध्यापक, कक्षा, विवरण) |
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अध्यापक पाठों की योजना बनाते हैं जिनमें विविध प्रकार की अध्यापन और सीखने (ज्ञानार्जन) की पद्धतियां शामिल होती हैं। | ‘पाठों का नियोजन करना’ | ||
शिक्षक अपनी कक्षाओं में निर्माणात्मक आकलन का उपयोग करते हैं। | ‘प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना’ | ||
अध्यापक विद्यार्थियों के कार्य की निगरानी करते हैं और हर विद्यार्थी को अलग अलग, मौखिक एवं लिखित प्रतिपुष्टि (फ़ीडबैक) देते हैं। | ‘निगरानी करना और प्रतिक्रिया देना’ | ||
अध्यापक सीखने की क्रिया में बच्चों की रुचि जगाने के लिए कहानी कहने, भूमिका-अभिनय एवं नाटकों का उपयोग करत है। | ‘कथावाचन, गाने, भूमिका पालन और नाटक’ | ||
सीखने की क्रिया में सहयोग देने और उसे दैनिक जीवन के साथ जोड़ने के लिए अध्यापक सुपरिचित स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हैं। | ‘स्थानीय संसाधनों का उपयोग’ | ||
अध्यापक ऐसे विविध खुले सवाल पूछते हैं जिनमें विद्यार्थियों को व्याख्या करने का और अपने विचार सामने रखने का मौका मिले। | ‘चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना’ | ||
अध्यापक विद्यार्थियों को उनकी सीख के बारे में, पूरी कक्षा के रूप में, जोड़ी में या समूहों में बोलने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। | ‘सीखने के लिए बातचीत करें’ | ||
अध्यापक पाठों में सभी विद्यार्थियों को सक्रिय रूप से शामिल करते हैं। | ‘सभी को शामिल करना’ |
टीईएसएस-इंडिया का लक्ष्य है विद्यालयों और अध्यापकों के लिए शिक्षण–शास्त्रीय बदलाव हासिल करना। अध्यापक विकास ओईआर राष्ट्रीय नीति के लक्ष्यों के साथ सर्वांगसम हैं। टीईएसएस-इंडिया के मूल में सीखने वाले के रूप में विद्यार्थी है और उनके सीखने के अभिकर्ता के रूप में अध्यापक है। टीईएसएस-इंडिया ओईआर का मकसद अध्यापकों को, सीखने की क्रिया और सीखने वालों के प्रति धारणाएं बनाने वाले पारंपरिक कार्याभ्यासों एवं आदतों से दूर कर उन्हें अधिक सशक्त करने वाले कार्याभ्यास की ओर अग्रसर करने का है। वे अध्यापकों को अपनी सीख को अपने कार्याभ्यास में लागू करने, उनके प्रदर्शनों की सूची को विस्तार देने और शिक्षा के लक्ष्यों की उनकी समझ में परिवर्तन लाने के विचार एवं साधन प्रदान करते हैं। अध्यापक परिवर्तन का मॉडल प्रयोग करने के बारे में है और अध्यापकों द्वारा गलतियां किए जाने और खुद को चुनौती देने से मिलने वाले आनंद और प्रेरणा के महत्व को मान्यता देता है।
टीईएसएस-इंडिया अध्यापक विकास ओईआर द्वारा प्रवर्तित शिक्षणशास्त्रीय परिवर्तन (चित्र R2.1 में सारांशित किया गया है।
ओईआर शीर्षक | मुख्य संसाधन/वीडियो शीर्षक | |||||||||||||||||||||||||||
प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना | निगरानी करना और फीडबैक देना | कहानी सुनाना, गाने, भूमिका पालन और नाटक | स्थानीय संसाधनों का उपयोग | जोड़े में किये गये कार्य | समूहकार्य का उपयोग करना | पाठों का नियोजन करना | चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना | सीखने के लिए बातचीत | सभी को शामिल करना | |||||||||||||||||||
केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | क पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | ||||||||||
अंग्रेजी पढ़ाने के लिए स्थानीय संसाधन | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||||||||||
अपनी कक्षा में अंग्रेज़ी का अधिकतम उपयोग करना | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||||||||||
आपके छात्रों में अंग्रेजी बोलने के आत्मविश्वास का निर्माण करना | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||||||||||
समझने के लिए पठन का समर्थन करना | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||||||||
समग्र-कक्षा पठन दिनचर्याएं | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||||||||||
स्वतंत्र अंग्रेजी लेखन का समर्थन करना | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||||||||
समग्र-कक्षा लेखन दिनचर्याएं | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||||||||||
अंग्रेज़ी सुनने में अपने छात्रों की मदद करना | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||||||||||
अंग्रेजी में बोलने का समर्थन करना: जोड़ी और समूहकार्य। | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||||||||
अंग्रेजी व्याकरण का प्रयोग | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||||||||
शब्दावली पढ़ाने की कार्यनीतियाँ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||||||||||
आमोद प्रमोद के लिए पढ़ने को बढ़ावा देना | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||||||||
निर्माणात्मक मूल्यांकन के ज़रिए भाषा सीखने में सहायता करना | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||||||||
अपनी अग्रजी का विकास करना | ||||||||||||||||||||||||||||
पाठ्यपुस्तक से परे संसाधनों का उपयोग करना | ✓ | ✓ | ✓ |
ओईआर शीर्षक | मुख्य संसाधन/वीडियो शीर्षक | |||||||||||||||||||
प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना | निगरानी करना और फीडबैक दना | कहानी सुनाना, गाने, भूमिका | स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना | जोड़े में किये गये कार्य का उपयोग करना | समूहकार्य का उपयोग करना | पाठों का नियोजन करना | चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना | सीखने के लिए बातचीत | सभी को शामिल करना | |||||||||||
केआ र | पाँच | के आ | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | ||
दृश्यावलोकनों का उपयोग करना: बीजगणितीय सर्वसमिकाएँ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||
गणितीय विवक का विकास: गणितीय प्रमाण | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
विषमता का पता लगाना: संख्या | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
गणित संयोजन: गुणनखंडों और गुणज का पता लगाना | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
गणितीय लचीलेपन का निर्माण: त्रिकोणों में समानता और सर्वांगसमता | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
सहकारी शिक्षण और गणितीय वार्ता: त्रिकोण | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||
अमूर्त गणित के लिए संदर्भ तैयार करना: समीकरण | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||
शब्दावली अभिनीत करना और प्रश्न पूछना: वृत्त का अन्वेषण करना | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
प्रायोगिक शिक्षण और मूर्त रूप: ज्यामितीय निर्माण | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||
गणितीय चिंताओं से निबटना: संयोजन आकृतियाँ और ठोस | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||
ग़लतफहमियों से सीखना: बीजगणितीय व्यंजक | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
गणित में रचनात्मक सोच विकसित करना: त्रिकोणमिति | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||
गणित पठन, लेखन और प्रतिरूपण: शब्द समस्याएँ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
गणितीय ढंग से सोचना: अनुमान लगाना | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
कहानियाँ विकसित करना: ग्राफ़ समझना |
ओईआर शीर्षक | मुख्य संसाधन/वीडियो शीर्षक | |||||||||||||||||||
प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना | निगरानी करना और फीडबैक देना | कहानी सुनाना, गाने, | स्थानीय संसाधनों का उपयोग | जोड़े में किये गये कार्य का उपयोग | समूहकार्य का उपयोग करना | पाठों का नियोजन करना | चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का | सीखने के लिए बातचीत | सभी को शामिल करना | |||||||||||
केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | केआर | पाँच | |
जोड़ी कार्य: परमाणु और अणु, तथा रासायनिक अभिक्रियाएँ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
विज्ञान की कक्षा में पठन: आनुवंशिकता और क्रमिक विकास | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||
विचारों का मानचित्रण और संकल्पना का मानचित्रण: अम्ल, क्षार और लवण | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
स्थानीय संसाधनों का प्रयोग करना: जीवन प्रक्रियाएं | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
सामुदायिक दृष्टिकोण: विज्ञान की शिक्षा और पर्यावरण संबंधी मुद्दें | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
खेल का उपयोग: आवर्त सारणी | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
प्रश्न पूछना: हम क्यों बीमार पड़ते हैं? | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||
विज्ञान की कक्षा में भाषा: कोशिकाएं | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||
समझ की जाँच-पड़ताल: कार्य और ऊर्जा | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||
भौतिक मॉडलों का उपयोग: कक्षा X को विद्युत के बारे में पढ़ाना | ✓ | ✓ | ✓ | |||||||||||||||||
विचार मंथन: बल और गति के नियम | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
मानसिक मॉडलों का निर्माण करना: कक्षा X को कार्बन और उसके यौगिक पढ़ाना | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||
प्रायोगिक कार्य तथा छानबीन: कक्षा IX को गुरूत्वाकर्षण पढ़ाना | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||||
प्रभावी प्रदर्शन (प्रयोग करक दिखाना): कक्षा X को प्रकाश और दृष्टि के बारे में पढ़ाना | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ||||||||||||||||
प्रभावी प्रोजेक्ट कार्य: ऊर्जा के स्त्रोत | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ |
यह इकाई किस बारे में है | अध्यापन पद्धति एवं इकाई के पाठ्यक्रम के विषय का परिचय देता है |
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इस इकाई से विद्यालय नेता क्या सीख सकते हैं | ये अध्यापक के लिए ज्ञानार्जन अपेक्षाएं हैं और यह इकाई में ज्ञानार्जन के मुख्य अवसरों पर प्रकाश डालता है। |
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है | यह अनुभाग समझाता है कि क्यों यह पद्धति, अध्यापक को अपनी सीख को विभिन्न पाठ्यक्रम परिप्रेक्ष्यों में लागू करने में मदद करने के लक्ष्य के साथ महत्वपर्ण है। |
गतिविधि | ये गतिविधियां अध्यापक द्वारा की जानी होती हैं। इनमें से अधिकांश गतिविधियां उन्हें अपने विद्यार्थियों के साथ कक्षा में करनी होती हैं, पर कुछ में सहकर्मियों के साथ परस्पर सहयोगी ढंग से कार्य करना या कक्षा गतिविधियों की तैयारी करना शामिल होता है। इन गतिविधियों से अध्यापक को ऐसे कार्याभ्यास लागू करने में मदद मिलती है जो शिक्षार्थियों को ज्ञानपूर्ण व्यक्ति के रूप में स्थित करती हैं, संवादिक अन्योन्यक्रियाओं को बढ़ावा देती हैं और पूर्व ज्ञान को ध्यान में रखते हुए संरचित ज्ञानार्जन अनुभव प्रदान करती हैं। इन गतिविधियों का बीड़ा उठाने के जरिए ही पारंपरिक कार्याभ्यास भंग होंगे तथा अध्यापक को अध्यापन एवं ज्ञानार्जन के बारे में नई समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। |
वृत्त अध्ययन | ये सीधे अध्यापकों द्वारा, उनके अनुभवों के वर्णन हैं जो उन्हें वर्णित, समान प्रकार की, प्रारंभिक या अनुवर्ती गतिविधियां करने में हुए हैं। वृत्त अध्ययनों का इस्तेमाल यह दिखाने में किया जाता है कि अध्यापक, भारतीय अध्यापकों के सामने मौजूद चुनौतियों, जैसे बड़ी, बहुभाषी एवं बहुश्रेणी कक्षाओं, और यथार्थ परिस्थितियों में संसाधनों के अभाव आदि पर किस प्रकार प्रतिक्रिया देते हैं। विशेष रूप से, वे समावेशी कार्यभ्यास दर्शाते हैं और यह दर्शाते हैं कि पूर्व ज्ञान कैसे प्रकट करवाया जाए और अध्यापन को विद्यार्थियों की जिंदगियों के लिए प्रासंगिक कैसे बनाया जाए। वृत्त अध्ययन पारस्परिकता, |
विचार के लिए रुकें | इससे अध्यापक को अपने मौजूदा कार्याभ्यास या अनुभव पर, अथवा गतिविधियां करते समय या वृत्त अध्ययन पर चर्चा करते समय उन्होंने जिन चीजों पर ध्यान दिया है उन पर, उद्देश्यपूर्ण ढंग से चिंतन करने का प्रोत्साहन मिलता है। इस प्रकार का चिंतन ही अध्यापक के लिए ज्ञानार्जन का कारण |
वर्णन | यह वर्णन उन पद्धतियों और तकनीकों के लाभों को सुदृढ़ बनाता है जो ओईआर का फोकस हैं। यह दिखाता है कि कैसे पद्धति के विभिन्न पहलू साथ में जुड़ते हैं और एक-दूसरे को पूरा करते हैं। वर्णन का उद्देश्य अध्यापक को अपनी सीख को विभिन्न पाठ्यक्रम संदर्भों में स्थानांतरित करने में समर्थ बनने के लिए सहायता देना है। |
सारांश | इसमें इकाई में शामिल तकनीक का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। |
संसाधन | इनमें गतिविधियां करने में अध्यापक को सहयोग देने वाली सामग्रियां हैं। उनमें पद्धति के बारे में और विस्तृत विवरण (जैसे मुख्य संसाधनों में से कोई एक), विषय ज्ञान के विकास हेतु सहयोग, कक्षा संसाधन, एनसीएफ़ की लिंक या समान प्रकार की कक्षा गतिविधियों के और उदाहरण हो सकते हैं। |
अतिरिक्त संसाधन | ये अध्यापक को अपना ज्ञानार्जन ओईआर से भी आगे ले जाने के लिए तथा, उनके विकासशील पेशेवर कार्याभ्यास में सहयोग देने हेतु अन्य संसाधनों के साथ संलग्न होने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर उन्हें सशक्त बनाने के लिए हैं। विशेष रूप से, यह विषय ज्ञान के विकास में सहयोग देने का और |
संदर्भ/संदर्भग्रंथ सूची | इनमें उन मुद्दों, जिन पर इकाई में प्रकाश डाला गया है, की उनकी शैक्षिक समझ को विस्तार देने हेतु रचयिताओं द्वारा प्रयुक्त संदर्भ एवं अन्य अनुशसित पठन दिए गए है। |
अध्यापकों के साथ बदलाव लाने पर विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से बड़ी मात्रा में लिखित शोध कार्य मौजूद हैं (पियागेट, 1967; शलमैन, 1986; एथर्टन, 1999; एराउट, 2001, 2004, 2007; फुलान, 2008; एवं कई अन्य)। बदलाव पर विद्यालय नेतृत्व ओईआर, आपको बदलाव के कुछ सिद्धांतों से परिचित करात हैं और आपको उसकी योजना कैसे बनाएं एवं पूर्ण कैसे करें इस बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
ये सभी सिद्धांत इस बात पर एकमत दिखाई पड़ते हैं कि अध्यापन में बदलाव को प्रभावी रूप देने का अर्थ है अध्यापकों से अपने सुविधा क्षेत्र (यानि जिसमें वे सहज महसूस करते हैं) की सीमाओं को विस्तार देने के लिए कहना। इस राह में उठने वाले प्रतिरोधों को पार करने के लिए अध्यापकों को सहयोग आवश्यक होता है। व्यावसायिक विकास गतिविधियां प्रदान करने हेतु प्रभावी योजना बनाने के लिए संभावित कठिनाईयों को हल करना जरूरी है। नीचे दी गई सूची में अध्यापकों द्वारा सूचित कुछ चुनौतियां बताई गई हैं और यह बताया गया है कि आप उन पर कौन सी संभावित प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
आपके पास कितना समय है इसके आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों में से कुछ प्रश्न चर्चा के लिए चुनें।
क्या पाठ के परिणाम हासिल हुए?
तृतीय पक्षों की सामग्रियों और नीचे अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है: (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/). । नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।
इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभार:
चित्र 6:(Figure 6:) © फ्लिकर में फैब्रिके फ्लोरिन (अनुकूलित) के तहत उपलब्ध कराया गया: https://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 2.0/ deed.en। (© Fabrice Florin in Flickr (adapted) made available under: https://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 2.0/ deed.en.
चित्र 7: सौजन्य टाइड~ ग्लोबल लर्निंग, http://www.tidegloballearning.net/। (Figure 7: courtesy of Tide~ Global Learning, http://www.tidegloballearning.net/.)
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।