विद्यालय नेता होना एक बहुत ही जिम्मेदारी वाला कार्य है, और कभी-कभी यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण चुनौतियाँ है और हर वह काम जो आप करते हैं वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप में आपके विद्यालय के छात्रों और स्टाफ और साथ ही व्यापक समुदाय पर असर करता है। जो विद्यालय नेता अलग अलग हितधारकों के साथ संबंध बनाने के महत्व को पहचानते हैं उन्हें कई मायनों में लाभ होते हैं। अन्य विद्यालयों और संगठनों के साथ सहयोग के अनेक लाभों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2005 में रेखांकित किया गया है जो कि विद्यालय की गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रयासों का अविभाज्य अंग है। समावेशी और गतिविधि-आधारित सहभागितापूर्ण सीखने को बढ़ावा देने के लिए सामग्री और मानव संसाधनों की व्यापक श्रृंखला तक पहुँच बनाने के लिए आपसी सहयोग करने पर सबसे अच्छे तरीकों में से एक के तौर पर बल दिया गया है।
इसलिए, प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के नेताओं को व्यापक समुदाय के साथ मज़बूत सहभागीय संबंध बनाने के तरीकों को सक्रियता से खोजना चाहिए। इसमें महत्वपूर्ण राज्य स्तर के संस्थान, विद्यालय प्रबंधन कमेटियाँ (SMCs), स्वैच्छिक संगठन, अन्य विद्यालय और विशेष रूप से विद्यालय में दाखिल छात्रों के माता-पिता और अभिभावक शामिल हैं।
समुदाय की प्रगति में विद्यालय महत्वपूर्ण योगदान देता है और विद्यालय नेता को वह जिस समुदाय की सेवा कर रहा है ना सिर्फ उसी की जानकारी होनी चाहिए बल्कि उसकी ज़रूरतों, आशाओं और उम्मीदों की भी जानकारी होनी चाहिए। विद्यालय नेता होने के नाते आपको अकेले कार्य करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपकी सहायता करने के लिए SMC होती है। ऐसा करने के लिए आपको विद्यालय के लोकाचार और आशाओं के बारे में सभी हितधारकों से स्पष्ट तौर पर बात करनी चाहिए – विशेषरूप से अभिभावकों के साथ, उनका विद्यालय में स्वागत करके और उनके बच्चों की शिक्षा में उन्हें भागीदार के रूप में स्वीकार करके।
इस इकाई का उद्देश्य है आपको अलग अलग हितधारकों के साथ सम्मिलित होने और मदद करने के लिए सक्रिय बनाना ताकि आप विद्यालय के लक्ष्य को हासिल करने में उनकी मदद, समर्थन और प्रोत्साहन पा सकें।
इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करके रखते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी शुरू कर भी ली है।
इस इकाई में आप अकेले काम कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय नेता के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते आ रहे हैं, या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध का निर्माण करना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अधिक अनौपचारिक आधार पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे, और साथ ही आपकी दीर्घावधि की शिक्षण-प्रक्रिया और विकास का प्रतिचित्रण भी करेंगे।
अपने राज्य के महत्वपूर्ण संस्थानों के साथ प्रभावी संबंध बनाना।
अन्य विद्यालयों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के साथ सहयोगी भागीदारी बनाना।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2005 और शिक्षा का अधिकार (RtE) कानून 2009 ने विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देकर तथा राज्य और साथ ही विभिन्न जिला और ब्लॉक-स्तरीय संगठनों की भूमका को स्पष्ट तौर पर साफ-साफ वर्णित करके भारत में विद्यालय शिक्षा के परिदृश्य को बदल दिया है। विद्यालय स्तर पर, RtE 2009 ने SMC की भूमिका और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया है। इस कार्य में जिम्मेदारी के विभिन्न स्तर हैं, लेकिन राज्य ने स्पष्ट किया है कि विद्यालयों में निम्नांकित चीज़ें हों:
आवश्यक कक्षाओं और स्वतंत्र और कार्यशील शौचालयों के साथ सभी मौसमों में सुरक्षित इमारत
इसकी बहुत संभावना है कि इन जिम्मेदारियों के वहन के लिए राज्य के पास विभिन्न पहल और योजनाएं हो, जैसे हर प्राथमिक विद्यालय के इर्द- गिर्द बाड़ लगाने के लिए तीन वर्षीय कार्यक्रम, 50,000 शिक्षकों की जगहें भरने के लिए भरती कार्यक्रम, शैक्षिक विकलांगता वाले छात्रों के लिए विशिष्ट सेवाओं के साथ मोबाइल वैन्स या पूरे राज्य में तकनीकी बुनियादी सुविधाओं को स्थापित करने के लिए पुख्ता योजना।
उपरोक्त सूची को देखें और ऐसे क्षेत्रों की पहचान करें जहां आपके विद्यालय को महत्वपूर्ण राज्य स्तरीय संस्थानों से मदद नहीं मिल रही हो जिनमें जिला, ब्लॉक और क्लस्टर स्तर भी शामिल है। उदाहरण के लिए, संभव है आपके यहां शौचालय सुविधा अच्छी ना हो या बाड़ टूट चुकी हो या शिक्षकों की कमी हो। आप किस तरीके से इन कमियों की रिपोर्ट करेंगे जिससे आपको अनुकूल प्रतिक्रिया मिल सके?
चर्चा
अलग अलग संस्थानों के विभिन्न राज्य, जिला और उप-जिला प्रतिनिधियों को सूचित करना, बातचीत और कार्य करना यह एक जबरदस्त चुनौती है। विद्यालय नेता होने के नाते, पहला चरण यह हो सकता है कि अपने विद्यालय की आवश्यकताओं और ज़रूरतों पर, या जो पहले ही आपकी विद्यालय विकास योजना (जिसे आपकी SMC के साथ सम्मिलित तौर पर बनाया गया हो) में बताया गया हो, उस पर विचार करें। हो सकता है आपने यह पहले ही कर लिया हो।
अलग अलग क्षेत्रो में शायद बहुत कुछ किया जाना चाहिए होगा (बुनियादी सुविधाएं, अध्यापन और सीखना, उपस्थिति, समुदाय के साथ संबंध आदि) और अनिवार्य रूप से मनचाहे सुधार करने के लिए सीमित संसाधन उपलब्ध होंगे। यह लाभकारी होगा अगर आप SMC सदस्यों की या स्थानीय समुदाय के कुछ महत्वपूर्ण लोगों या नेताओं की मदद लें जो आपको आपके लक्ष्य और दृष्टिकोण को हासिल करने में मदद और समर्थन प्रदान कर सकते हैं।
एक और पहलू जो ढूंढा और सावधानी से जाँचा जा सकता है वह है उपलब्ध योजनाएं और परियोजनाएं जिन्हें आपके राज्य के द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है। इनके बारे में जागरूक होना उपयोगी होता है, क्योंकि फिर आप उनके लिए अपने विद्यालय के संसाधनों और/या अवसरों के आबंटन में आग्रह कर सकते हैं।
इसलिए विद्यालय नेता होने के नाते अपने आपको यह सूचित करना आवश्यक है कि कैसे अलग अलग सरकारी संस्थान आपके विद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में आपकी मदद कर सकते हैं। सूचित रहने के लिए और प्रभाव कायम रखने के लिए आपको सीधे अपने राज्य के संगठनों के साथ कार्य करने और उनके साथ संबंध बनाने की आवश्यकता है।
जैसे-जैसे आप अपने राज्य के संगठनों के साथ काम करते जाएंगे आपको पता चलेगा कि यह कार्य सिर्फ उनसे अपने विद्यालय के लिए संसाधनो की प्राप्ति करने के बारे में ही नहीं है बल्कि प्रावधानों को प्रभावित करने, समस्याओं को सुलझाने, विद्यालय की प्रमुख गतिविधियों के क्रियान्वयन की योजना बनाने, प्रगति की निगरानी करने और सबसे महत्वपूर्ण रूप से – सभी छात्र सीख रहे हैं यह सुनिश्चित करने के लिए भी है। निम्नलिखित वृत्त अध्ययन में आप देखेंगे कि वहां विद्यालय और राज्य संगठनों के बीच अधिक दो-तरफा संपर्क है, जिसमें एक सक्रिय विद्यालय नेता होने के नाते आप एक संसाधन होने के साथ-साथ लाभार्थी या ‘ग्राहक’ भी हैं।
श्रीमती मिस्त्री, जो एक 12 साल का अनुभव रखने वाली विद्यालय नेता हैं, शिक्षा एवं प्रशिक्षण जिला संस्थान (DIET) के साथ मिलकर अपने क्षेत्र में कार्य कर रही हैं और उन्होंने DIET प्रमुख के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा है, जो उन्हें छात्रों को पढ़ाने के लिए नई शिक्षा पद्धतियों और संसाधनों के बारे में नई जानकारियाँ देते रहते हैं।
श्रीमती मिस्त्री के यहां नियमित तौर पर शिक्षकों की कमी होती है और उन्हें DIET के द्वारा आयोजित होनेवाले प्रशिक्षण सत्रों में सहभागी होने के लिए शिक्षकों को छोड़ने में मुश्किलें आती हैं लेकिन फिर भी वे उनके व्यावसायिक विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसलिए उन्होंने DIET की मदद से खुद ही अपने विद्यालय में कुछ सत्रों का आयोजन किया है। उन्होंने मुक्त शिक्षा संसाधन प्रदान करके मदद की है और कुछ वेबसाइटों को दिखाया है जिनसे वे संदर्भ ले सकती हैं।
श्रीमती मिस्त्री जिन अन्य तरीकों से DIET के साथ शामिल होती हैं वे हैं उनके प्रशिक्षण कार्यक्रमों को कई तरीकों से प्रभावित करना – अपने विद्यालय के अनुभवों को अन्य विद्यालयों के साथ बांटना जो दूसरे क्षेत्र में स्थित हैं और अपने विद्यालय में उन्होंने जिन रूकावटों और समस्याओं का सामना करके सुलझाया है उनका उद्धरण करना।
देश में गुणवत्ता शिक्षण के क्षेत्र में बढ़ते हुए परिवर्तनों और नवाचारों को देखते हुए उन्हें यह महत्वपूर्ण लगा कि उन्हें DIET की रचना, क्रियान्वयन और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना में मदद प्रदान करनी चाहिए और इसलिए DIET के साथ संबंध अधिकतर दोतरफा सड़क के समान है।
इस गतिविधि के लिए आपको संसाधन 1 की रिक्त तालिका का संदर्भ लेना होगा। तालिका R1.1 के बाईं ओर के कॉलम में महत्वपूर्ण राज्य संस्थान शामिल हैं जो आपके विद्यालय नेता के कार्य के साथ संबंधित हैं। हर संस्थान के आगे, उनके साथ आपके संबंधों के स्तर स्पष्ट रूप से सबसे अच्छा वर्णन करने वाले चार कॉलमों में से एक पर निशान लगा कर आपकी उनके साथ सहभागिता को दर्जा प्रदान करें। उदाहरण के लिए, आपका DIET या शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण राज्य परिषद (SCERT) के मुकाबले CRC और/या BRC के साथ ज्यादा संपर्क होगा।
इस बारे में सोचें कि क्या यह संपर्क दो-तरफा है, या इसके बजाय यह कि जानकारी उनकी तरफ से आपकी तरफ आ रही है या आपकी तरफ से अन्य संस्थानों के जरिए उनकी तरफ जा रही है। आपको यह पता लगेगा कि कुछ संस्थानों के साथ आपका कोई संपर्क नहीं है – हो सकता है कि आपको उनकी भूमिका और जिम्मेदारीयों के बारे में निश्चित तौर पर जानकारी नहीं हो। आप जिन पहलुओं के लिए उनसे संपर्क करते हैं उनको लिखने से आपको मदद मिलेगी (जैसे दोपहर का भोजन, डेटा संकलन, जानकारी प्रदान करना, सामग्री का विकास, प्रशिक्षण, शैक्षिक समर्थन आदि)। छठे कॉलम में। फिर उस संस्थान में जिस मुख्य व्यक्ति के साथ आप संपर्क में हैं उसका नाम लिखें, अगर आप नाम जानते हों तो। यह शायद सबसे वरिष्ठ व्यक्ति ना हो और कई बार आपका संपर्क शायद मत्रि या रिश्तेदार हो या ऐसा कोई व्यक्ति हो जो उचित व्यक्ति से आपका संपर्क करा सके।
चर्चा
इस गतिविधि से शायद आपको पता चलेगा कि आप किसे जानते हैं और किसे नहीं जानते, और व्यवस्था के किस स्तर पर आपका नेटवर्क मजबूत है। क्या ऐसे अन्य कोई संस्थान हैं जो सहयोग करने और नेटवर्क बनाने के लिए आपके लिए महत्वपूर्ण हों और जो उपरोक्त सूची में ना हो? अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि, वर्तमान में आपका आपसी सहयोग और नेटवर्किंग किस प्रकार का है और विद्यालय नेता होने के नाते आपके कार्य के ऐसे कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं जिनके लिए आप उनसे संपर्क करते हैं या वे आपसे करते हैं? व्यावसायिक नेटवर्क बनाने के लिए कहां से और कैसे शूरूआत करनी है अगर आप इसके बारे में निश्चित नहीं हैं तो आप अन्य विद्यालय नेताओं की मदद ले सकते हैं। एक बार आपका नेटवर्क स्थापित होने के बाद उसे कैसे जीवित रखना है इसके लिए आपको योजना बनाने की आवश्यकता होती है। संभावनाओं में शामिल हैं दो-तरफा संपर्क बनाना (उदाहरण के लिए, फोन, इ-मेल, पत्र के द्वारा या व्यक्तिगत तौर पर या ऑनलाइन सोशल मीडिया साइटों जैसे लिंक्डइन के द्वारा)।
आपके क्षेत्र या राज्य के अन्य विद्यालय आपके लिए महत्वपूर्ण संसाधन हैं और सलाह और सहायता के स्रोत है। आपके विद्यालय की भीतरी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना बहुत आसान है लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अन्य विद्यालयों में भी वैसी ही चुनौतियाँ है और उनके खोजे हुए उपायों से आपको भी मदद मिल सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि आप अन्य विद्यालयों के साथ सीखने के अवसरों का निर्माण करने और उपायों को ढूंढ़ने पर काम करें। उदाहरण के लिए, आप अपने क्षेत्र के अन्य तीन विद्यालयों के साथ भागीदारी कर सकते हैं ताकि निधि का निर्माण करके विज्ञान प्रयोगशाला उपकरणों को खरीदकर बारी-बारी से प्रत्येक विद्यालय में उसका लाभ पहुँचा सकें, या आप एक साथ मिलकर अंतर्विद्यालयी क्रीडा प्रतियोगिताओं का आयोजन कर सकते हैं जिससे छात्रों के क्रीडा पाठ्यक्रम का विस्तार होगा और साथ ही वरिष्ठ छात्रों को कोचिंग और आयोजकों की भूमिका निभाने का अवसर भी प्राप्त होगा।
इसी तरह, स्थानीय तौर पर स्वैच्छिक संगठन भी होंगे (गैर सरकारी संगठन, जिन्हें आमतौर पर NGOs कहते हैं) जिनके साथ आप भागीदारी में काम कर सकते हैं। हो सकता है कि इन संगठनों के पास वैकल्पिक तरीके हों जिनसे आपके विद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो और जो विभिन्न अध्यापन और सीखने के संसाधनों, तरीकों, सामग्रियों को प्रदान करें और सबसे अच्छी प्रथाओं को आपके साथ बांटें जिससे आपके विद्यालय को लाभ पहुँच सकता है।
भारत के महानगरों में संचालित होने वाले कुछ सांध्य विद्यालयों में, सफल विद्यालय नेता अन्य सांध्य विद्यालयों में परामर्शदाता के तौर पर ‘अपनी कहानियाँ सुनाने’ के लिए जाते हैं। इसका उद्देश्य है कि विद्यालय नेताओं के बीच गुणवत्तापूर्ण बातचीत शूरू की जा सके ताकि वे अपनी चुनौतियों, सफलताओं और रणनीतियों को एक दूसरे के साथ साझा करना शूरू करें। विचारों के ऐसे विनिमय को विद्यालय नेतृत्व और छात्रों की पढ़ाई को सुधारने के अवसर के तौर पर देखा जाना चाहिए। भेंटों के दौरान, अनुभवी परामर्शदाता अपने अनुभव बांटते हैं और शिष्यों को अपने विद्यालय में निरीक्षण के लिए आमंत्रित करते हैं।
शूरूआती मुलाकातें ‘कहानियाँ’ सुनने और साझा करने पर ध्यान केन्द्रित करती हैं, जिसे सकारात्मक संबंध बनाने के लिए नींव के पत्थरों के तौर पर देखा जा सकता है। परामर्शदाता शिष्य के साथ विद्यालय की अनौपचारिक चहलकदमी करने के लिए जा सकता है, और विद्यालय के विभिन्न पहलुओं के संचालन को सिर्फ सुनकर और दैनंदिन घटनाओं और परिस्थितियों को देखकर समझ सकता है। कई बार इसे ‘सीखने की चहलकदमी’ कहा जाता है और चर्चा के लिए उपयोगी निरीक्षण प्रदान कर सकता है। सीखने की साझी चहलकदमी के बाद अधिक औपचारिक कक्षा निरीक्षण किये जा सकते हैं जो विशिष्ट अध्यापन और सीखने की प्रथाओं पर ध्यान देते हैं।
परामर्शदाता-शिष्य मुलाकातें विद्यालय प्रथाओं की समझ पर ध्यान केन्द्रित करती हैं और शिष्यों को उनकी चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है। परामर्शदाता द्वारा शिष्य का या अपने विद्यालय का ‘निरीक्षण’ करने का अथवा ‘प्रदर्शन’ करने का कोई अर्थ नहीं है। वस्तुतः अनुभवी परामर्शदाता भी प्रक्रिया से कुछ हासिल करता है, क्योंकि अन्य विद्यालयों के भ्रमण और अपने शिष्यों के साथ चर्चा के जरिए वह भी सीख रहा होता है। अच्छा परामर्श मॉडल दो-तरफा सीखने की प्रक्रिया होती है जो दोनों विद्यालयों को सुधार के पथ पर अग्रसर करती है।
वृत्त अध्ययन 2 में इसका उदाहरण है कि कैसे विद्यालयों के बीच स्थानीय साझेदारी से ज्ञानार्जन हासिल होता है एवं सम्मिलित विद्यालय नेताओं को सहयोग मिलता है। अब अपनी खुद की परिस्थिति के बारे में सोचें और अपनी सीखने की डायरी में अपने इलाके के उन सभी विद्यालयों और गैर-सरकारी संस्थाओं की सूची बनाएं जिनके साथ आप सहयोग कर सकते हैं।
आप चाहें तो अपने विद्यालय में अन्य को शामिल करने के लिए इस गतिविधि को और विस्तार दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप एक पोस्टर लगा सकते हैं जिस पर आपका स्टाफ अन्य विद्यालयों और गैर सरकारी संस्थाओं के नाम लिख सकता है, और उन संस्थानों के साथ उनके जो संपर्क हों उनकी जानकारी दे सकता है – अगर पहले से कोई संपर्क हो, जिसे और बेहतर किया जा सकता हो, तो यह बहुत मददगार हो सकता है।
जब आपके पास संभावित साझेदार संस्थानों की सूची तैयार हो जाए, तो सोचें कि आपकी साझेदारी किन चीजों पर केंद्रित होगी। आपके विचार आपके विद्यालय में मौजूद किसी चुनौती से संबंधित हो सकते हैं, जैसे निम्न प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों की जरूरतों की पूर्ति करना, या प्रौद्योगिकी तक पहुंच। हो सकता है कि इस चुनौती को पहले ही पहचान लिया गया हो – जैसे कि आपकी विद्यालय विकास योजना में – या फिर यह एक ऐसा मौका हो सकता है जिस पर आपने अभी तक विचार न किया हो। एक बार फिर, आप चाहें तो इसका खुलासा अपने स्टाफ के सामने कर सकते हैं, जो उनके खुद के कौशलों और रुचियों से संबंध रखने वाले कुछ नए विचार प्रस्तुत कर सकता है। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि कोई युवा अध्यापिका किसी नृत्य के कार्यक्रम के लिए उस विद्यालय से साझेदारी का सुझाव दे जिसमें बड़ा सभा कक्ष है, और उस नृत्य कार्यक्रम में स्थानीय नृत्य किए जाएं। इससे दूसरे विद्यालय को यह मौका मिलेगा कि सभा कक्ष के उपयोग के बदले में वह उस अध्यापिका के कौशल को साझा कर सकेगा या दोनों विद्यालयों के विद्यार्थी सहयोग कर पाएंगे।
जब आपके पास विचार और संभावित साझेदार तैयार हो तो अगला चरण यह है कि अन्य संस्थानों के साथ संपर्क करें और जांचें कि आपके विद्यालय के साथ सहकार्य करने में वे कितनी रुचि रखते हैं। इस बात की काफी संभावना है कि यदि वे स्वयं को होने वाल लाभ पहचान सकें और साझेदारी में दोनों विद्यालयों का लाभ हो रहा हो तो वे सहयोग करना चाहेंगे। तो आपको ऐसे कुछ विचार रखने होंगे जिससे उनकी रुचि जागृत हो और संवाद आरंभ हो। तथापि, याद रखें कि साझेदारी दो-तरफा होती है, और यह कि आपको इस बारे में सहमति पर पहुंचना होगा कि आप साथ मिल कर किस प्रकार कार्य करेंगे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आपके विचारों की प्रस्तुति, अपने विचार लाने की और आपके प्रस्ताव को सुधारने की कोशिश कर रहे दूसरे साझेदार को अलग कर दे या रोक दे।
अब संसाधन 2 में दिए गए टेंप्लेट का उपयोग करते हुए अपनी किसी एक संभव साझेदारी का आकलन करें। आप उसे स्वयं ही पूरा भर पाने में या अंतिम रूप देने में सक्षम नहीं हो पाएंगे, पर इस प्रक्रिया से आपको संभावित साझेदार(रों) से बात करते समय अपनी चर्चाओं के लिए एक ढांचा मिल जाएगा, और आप साझेदारी की व्यवहार्यता पर भी विचार कर पाएंगे।
चर्चा
हो सकता है कि आपने संभावित साझेदारों और सहकार्य के क्षेत्रों के बारे में ढेर सारे विचार सोच लिए हों। ध्यान रखें कि सहकार्यों और साझेदारियों को सुचारू रूप से चलने लायक स्थिति में पहुंचाने में समय और प्रयास लगते हैं, इसलिए इस बारे में यथार्थवादी सोच अपनाएं कि एक बार में आप कितनी साझेदारियों में संलग्न हो सकते हैं। यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि स्वयं साझेदारी का प्रस्ताव विकसित करना एक उपयोगी आरंभ बिंदु है, पर ये सहकार्य तब सबसे अच्छी तरह कार्य करते हैं जब दोनों पक्ष संभावनाओं और लाभों पर विचार करें। अगर इसे कर लिया जाए तो आपके प्रस्ताव के सफल होने की संभावना बढ़ जाएगी। साझेदारियों में बहुत समय लग सकता है और संभव है कि वे तब तक फलदायी न हों जब तक कि दोनों पक्ष संभावित परिणामों, जोखिमों और खतरों पर स्पष्ट न हो जाएं।
विद्यालय का नेतृत्व करने के लिए सामुदायिक संगठनों और स्थानीय व्यापारों के साथ अच्छी-खासी मात्रा में समन्वय करने की आवश्यकता होती है। आपके विद्यालय के पास कई सामुदायिक संगठन होंगे। कुछ अनौपचारिक होंगे, जैसे माताओं का संगठन या स्वयं सहायता समूह; कुछ अन्य ऐसी अधिक संरचित सेवाएं और कार्यक्रम प्रदान करेंगे जो अन्यथा अप्राप्य संसाधनों के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध मौकों में सुधार करते हैं। वे साक्षरता एवं संख्यात्मक कार्य कौशलों से लेकर प्रदर्शन कलाओं, जीवन कौशलों, विज्ञान एवं कृषि को लोकप्रिय बनाना, संवाद कौशल तथा व्यवसायगत मार्गदर्शन तक के कार्यक्रम पेश कर सकते हैं। कुछ मध्याह्न भोजन में विद्यालय की मदद करते हैं, कुछ अन्य विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्तियों के माध्यम से मदद करते हैं, और कुछ अन्य ऐसे होंगे जो विद्यालय के बुनियादी ढांचे को बनाने में मदद करते हैं। विद्यालयों और सामुदायिक संगठनों के बीच साझेदारियों से यह सुनिश्चित होता है कि ये सेवाएं और कार्यक्रम विशेषज्ञता के साथ प्रदान हों और अध्यापकों के कौशलों की संपूरक बनें।
आपकी नेतृत्व भूमिका में सामुदायिक संगठनों और स्थानीय व्यापारों को आपके विद्यालय की कार्यसूची एवं पाठ्यचर्या से जोड़ना और इन साझेदारियों का उपयोग करके अपने विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन को बेहतर बनाना शामिल है। विद्यार्थियों द्वारा क्षेत्र भ्रमण और पेशेवरों या विशेषज्ञों द्वारा विद्यालय के दौरे, ये दो उदाहरण हैं कि कैसे आप इस तरीके से ज्ञानार्जन में वर्धन कर सकते हैं। तालिका 1 में एक उदाहरण दिया गया है कि कैसे एक कक्षा ने अपनी साझेदारियों को पाठ्यचर्या और विद्यालय कैलेंडर से प्रतिचित्रित किया है।
विषय | विषय | संस्थान/स्थल | संपर्क व्यक्ति | प्रयोजन | महीना |
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भूगोल | मिट्टी | किसान सहकारी समिति | श्रीमती गुप्ता | मिट्टी के प्रकार और उन्हें कैसे पहचानें | जुलाई का आंगतुक |
नागरिक-शास्त्र | स्थानीय स्वशासन | पंचायत | श्रीमती चक्रबती | पंचायत के उत्तरदायित्व सूचीबद्ध करने में सक्षम होना | अगस्त का आंगतुक |
विज्ञान | ध्वनि | उपकरण निर्माता कार्यशाला | श्री जावेद | धागे/तार का उपयोग कर उपकरण बनाना | सितंबर का आंगतुक |
अंग्रेज़ी | पत्र लेखन | डाकघर | श्री चाना | पत्र लेखन प्रोटोकॉल एवं पिन कोड | अक्तूबर का आंगतुक |
इतिहास | धरोहर स्थल | दिल्ली सल्तनत | श्री थापा | संरचना में प्रयुक्त सामग्री की पहचान करना, वह कहां से आई होगी और संरचना की शैली | जनवरी का आंगतुक |
इन क्षेत्र भ्रमणों का आयोजन आसान नहीं है, क्योंकि इसमें अनुमतियां लेनी होती हैं, संबंधित लोगों को जानकारी देनी होती है और विद्यार्थियों को सुरक्षित रूप में ले जाना होता है और विद्यालय वापस लाना होता है। भ्रमण की व्यवस्था करने के लिए आपके अध्यापकों को आपसे सहयोग और प्रोत्साहन चाहिए होगा। याद रखें कि विद्यार्थियों के अभिभावक, और एसएमसी, दोनों ही संसाधन हैं और अगर आपको सहयोग चाहिए हो तो इस बात की पूरी संभावना है कि वे थोड़ा अतिरिक्त प्रयास करेंगे। इसमें उपयुक्त वयस्क:विद्यार्थी अनुपात सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र भ्रमण पर विद्यार्थियों के साथ जाना भी शामिल है।
विद्यालय नेता होने के नाते आप निम्नांकित के लिए जिम्मेदार हैं:
सामुदायिक संगठनों को अपने विद्यालय के साथ संलग्न करना
उपयुक्त कार्यकारी प्रथाएं स्थापित करना
सभी साझेदारियों की अनुशंसा एसएमसी को की जानी होती है और उसकी प्रभाविकता की सूचना नियमित आधार पर दी जानी चाहिए ताकि वह विद्यालय के लिए लाभकारी बनी रहे और प्रभावी ढंग से संचालित हो।
कक्षा 9 के विद्यार्थी एक फ़ाउंडेशन द्वारा संचालित विज्ञान गतिविधि केंद्र के कई दिनों के क्षेत्र भ्रमण पर गए। एक विद्यार्थी ने विद्यालय के ब्लॉग के लिए एक लेख लिखा (मेहता, 2014) जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं।
हमारी मंजिल बंगारपेट थी। यह कुप्पम का हमारा दूसरा और अंतिम क्षेत्र भ्रमण था। पिछली बार हम वहां कक्षा 8 में गए थे। चकित कर देने वाली बात यह थी कि इस बार कुप्पम में सब कुछ हमारे पिछले अनुभव से बिल्कुल अलग था। सभी व्यवस्थाओं में अच्छा समन्वय था और हम आराम से रहे।
इस भ्रमण का विज्ञान वाला भाग बहुत ही अच्छा था। हमने विज्ञान की खूबसूरत दुनिया में परियोजना-आधारित ज्ञानार्जन और स्वतंत्र छानबीन का अनुभव किया। परियोजना-आधारित सीखना एक नया अनुभव था। इसमें विद्यार्थियों को कोई प्रेरक प्रश्न सामने रखना था और प्रयोगों के माध्यम से हमें पहले से गठित परिकल्पना की या तो पुष्टि करनी थी या उसमें बदलाव करने थे। इसने विज्ञान के प्रति मेरा नजरिया बदल दिया। प्रयोगशाला के अत्याधुनिक उपकरणों के साथ प्रयोग करना और परिसर में छोटे वैज्ञानिकों की तरह कार्य करना भी एक अविस्मरणीय अनुभव था।
फाउंडेशन ने हमारे लिए बहुत ही अच्छी व्यवस्थाएं की थीं। हम वहां लगभग छः दिन रहे और भौतिकी, गणित, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान के प्रयोग किए। हमने सम्माननीय प्रोफेसरों के साथ सत्रों में भाग लिया जिससे हमारा विज्ञान का ज्ञान और बढ़ा तथा समृद्ध हुआ। फाउंडेशन के पास अपना खुद का खोज केंद्र है और एक होम थिएटर है जहां हमने अंतरिक्ष के बारे में एक लघु फिल्म देखी।
भ्रमण का सबसे अच्छा हिस्सा था समुदाय के दौरे, जहां हमने शिक्षा के ग्रामीण पथों पर कदम रखे और स्थानीय विद्यालयों के दौरे किए। वहां के विद्यार्थी इतने ज्ञानपूर्ण थे और इतनी प्रतिभाओं से युक्त थे कि जिनका केवल स्वप्न ही देखा जा सकता है। उन्हें देख कर बहुत गर्व का अनुभव हुआ। हमने उनके साथ कुछ मजेदार गतिविधियां भी कीं।
हम पत्थर की खदान की यात्रा, प्राचीन कुप्पम किले की चोटी तक पहुंचने की थकाऊ लेकिन संतोषदायी सैर और हमारे लिए आयोजित विशेष संस्कृति नाइट, जिसमें हम नाचे, गाए और विभिन्न वाद्ययंत्रों को आजमाया, की यादें हमेशा संजोये रखेंगे। मैं इसके साथ समापन करना चाहूंगा कि आप असंख्य तरीकों से आनंद की प्राप्ति और ज्ञानार्जन कर सकते हैं और यह कि समझ कर सीखना सबसे अच्छा तरीका है।
अब अपनी सीखने की डायरी में लिखें कि भ्रमण सफल रहे यह सुनिश्चित करने के लिए आपके विचार में विद्यालय नेताओं और विज्ञान के अध्यापक ने फाउंडेशन के साथ किन चीजों की चर्चा की होगी। साथ ही यह भी लिखें कि आपके विचार में, विद्यार्थियों के सीखने की दृष्टि से उस क्षेत्र भ्रमण से क्या हासिल हुआ।
चर्चा
विद्यालय नेताओं और विज्ञान अध्यापक ने आपके विचार में फाउडंशेन के साथ जिन चीजों पर चर्चा की होगी, उनमें संभवतः निम्नांकित बिंदु होंगे:
यात्रा
ठहरना
विद्यालय नेता के पास भी ऐसी ही एक सूची होगी कि अभिभावकों के साथ किन चीजों पर चर्चा करनी है। उस सूची में संभवतः निम्नांकित बिंदु होंगे:
ऐसी जानकारी की भी एक सूची होगी जिसकी चर्चा भ्रमण पर साथ जाने वाले अध्यापकों के साथ करनी होगी।
अब आपको अपने विद्यालय में प्रचालनरत किसी एक सामुदायिक साझेदारी की छानबीन करनी चाहिए। हो सकता है कि वह किसी स्थानीय व्यापार के साथ आपका कोई बहुत छोटा सा संबंध हो, या फिर वह किसी गैर सरकारी संस्था के साथ अधिक महत्वपूर्ण साझेदारी भी हो सकती है जिसमें आप सुविधाएं साझा करते हों। अपने विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन में इस साझेदारी के प्रभाव का मूल्यांकन करने, और साथ काम करने से आप अधिक लाभ पाने में सक्षम हो सकते हैं या नहीं इस बात का मूल्यांकन करने के लिए चित्र 4 में दिए गए संकेतों पर विचार करें।
चित्र 4 में दर्शाई गई एसडब्ल्यूओटी (स्ट्रेंथ/शक्ति, वीकनेस/कमजोरी, अपॉर्चुनिटी/अवसर और थ्रेट/खतरे) ग्रिड का उपयोग करते हुए अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाएं। हो सकता है कि आप इस मूल्यांकन में स्टाफ, अभिभावकों और साझेदार को शामिल करना चाहें।
चर्चा
यह आसान सी ग्रिड इस चीज का ठीक-ठीक विश्लेषण करने में बहुत सहायक हो सकती है कि साझेदारी में कौन सी चीजें काम कर रही हैं और कहां सुधार किए जा सकते हैं। आप इस इकाई के अतिरिक्त संसाधन अनुभाग में एसडब्ल्यूओटी के बारे में अधिक जानकारी पा सकते हैं।
क्या ग्रिड से आपको ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिली है जहां आप विद्यार्थी ज्ञानार्जन पर साझेदारी के प्रभाव को बेहतर बना सकते हैं? इससे फिर आपकी एसएमसी को दी जाने वाली अनुशंसाओं का आधार निर्मित हो सकता है, या फिर प्राथमिकताओं के बारे में निर्णय लेने में आपको मदद मिल सकती है।
विद्यार्थियों के अभिभावक आपके विद्यालय के स्पष्ट तौर पर हितधारक हैं, क्योंकि यहां प्रदान की जाने वाली शिक्षा उनके बच्चों के जीवन की संभावनाओं पर सीधा असर डालेगी। जब विद्यालय और अभिभावक साझेदारी में कार्य करते हैं तो विद्यार्थियों को लाभ पहुंचता है और उनके सफल होने की संभावना बढ़ती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अभिभावकों की मांगें बहुत हो सकती हैं, पर अगर आप संबंध को ध्यान से संभालें, तो वे बहुत मददगार भी हो सकते हैं। विद्यालय नेता की भूमिका है कि वह अभिभावकों को संलग्न करने के तरीके खोजे, ताकि वे हर संभव तरीके से अपने बच्चे की सहायता करें और विद्यालय में जो कार्य किया जा रहा है उसे सुदृढ़ करें।
अगर आप अभिभावकों को अपने विद्यालय में शामिल करना चाहते हैं और उन्हें बच्चों की पढ़ाई और शैक्षिक सफलता में शामिल करना चाहते हैं तो उन्हें महसूस होना चाहिए कि विद्यालय एक स्वागतोत्सुक जगह है और उन्हें महत्वपूर्ण समझकर उनका सम्मान किया जा रहा है।
ऐसे शर्मीले अभिभावकों के बारे में सोचिए जिनकी अपनी पढ़ाई कम हुई हो लेकिन जो अपने पांचों बच्चों को अपने से उच्च शिक्षा दिलाने के लिए उत्सुक हों। मां कुछ डरी सी है और उसे सुनने की समस्या है। वे एक संयुक्त परिवार इकाई है और उनके बच्चे हमेशा विद्यालय में उपस्थित रहते हैं। उन सबका पढ़ाई के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण है सिवाय सबसे छोटे बच्चे के जो कक्षा में सुनता नहीं है और शैतानी करता है।
एक व्यक्ति होने के नाते - लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण - एक विद्यालय नेता होने के नाते आप इन अभिभावकों को कैसे सहभागी करायेंगे ताकि वे खुद को विद्यालय समुदाय का हिस्सा मान लें?
अपने विचारों को अपनी सीखने की डायरी में नोट करें।
चर्चा
यह स्पष्ट है कि अभिभावक अपने विद्यालय के अनुभव को अपनी वयस्क जिन्दगी में लाते हैं; इसका असर वे अपने बच्चों की शिक्षा को कितनी प्राथमिकता देते हैं और विद्यालय के साथ उनका रिश्ता कैसा होता है इस पर भी पड़ता है। यह असामान्य बात नहीं है कि अभिभावकों को शिक्षकों से डर लगता है और उन्हें चुनौती देना या प्रश्न करना मुश्किल लगता है।
यह तथ्य कि ये अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई में रूचि रखते हैं एक बहुत बड़ा फायदा है जिससे आप बहुत कुछ लाभ उठाना चाहेंगे। आप उनसे बात करके यह निश्चित कर सकते हैं कि वे विद्यालय आएं और शायद उनके घर जाकर उनसे मिलने से भी लाभ हो सकता है। आप शायद उनसे उनके सबसे छोटे बच्चे के शैतानी भरे बर्ताव को कैसे रोका जाए इसके बारे में बात करना और उनके साथ मिलकर उसके पीछे के मूल कारण की खोज करना चाहेंगे (संभवत: सुनने की समस्या)। चूंकि इन अभिभावकों की खुद की विद्यालय शिक्षा सीमित है, आपका संपर्क ज्यादातर शाब्दिक होना चाहिए ना कि लिखित, लेकिन मां से सबसे अच्छी तरह कैसे बात की जाय आप इस पर भी विचार कर सकते हैं: अगर वह होंठ पढ़ना जानती है तो आप बात करते समय उसकी तरफ अवश्य देखें।
अधिक सामान्य परिस्थिति में, आप इन अभिभावकों को विद्यालय में, विद्यालय की यात्रा, प्रदर्शन, मंच आदि पर (उनके बच्चों के द्वारा) आमंत्रित कर सकते हैं, जब भी वे मेहमान के तौर पर आएं तो उनका अभिवादन करें – जितनी ज्यादा वे आपकी व्यक्तिगत रूचि और ध्यान महसूस करेंगे उतना ही वे अपने आप को महत्वपूर्ण और स्वागतोत्सुक महसूस करेंगे।
जिन अभिभावकों के बच्चे आपके विद्यालय में भर्ती हुए हैं उनके साथ आपका कुछ स्तर तक सहभागी होना आवश्यक है। इनमें से कुछ रिश्ते उत्कृ ष्ट हो सकते हैं। तथापि, आपकी मौजूदा विद्यालय गतिविधियों का परीक्षण उपयोगी हो सकता है जहां अभिभावक पूरी तरह से सहभागी हैं या नहीं यह तय किया जा सकता है और सभी अभिभावकों से एक समान व्यवहार किया जा रहा है या नहीं इसकी जाँच हो सकती है।
एक पल के लिए अपने विद्यालय के बारे में और तालिका 2 के कथनों के बारे में सोचें, और हर एक के लिए 10 में से अपने विद्यालय के लिए अंक दें
(जहां 10 पूरी सहमति को दर्शाता है)।
कथन | 10 में से अंक |
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मेरा विद्यालय सत्र में कम से कम एक बार बच्चों की प्रगति के बारे में अभिभावकों के साथ चर्चा के लिए बैठकों का आयोजन करता है | |
यहां अभिभावकों – शिक्षकों के बीच सक्रिय सहयोग है, या ऐसा मंच जो सिर्फ निधियाँ जमा करने का कार्य ही नहीं करता | |
अभिभावकों का विद्यालय में स्वागत है और उनका विषयों के शिक्षकों से मिलना आसान है ताकि वे अपने बच्चे की प्रगति या चिंताओं के बारे में बात कर सकें। इसमें मिलने की उचित जगह शामिल है | |
शिकायतों पर कार्रवाई के बारे में विद्यालय तुरंत (तीन दिनों के भीतर) अभिभावकों को जवाब देता है | |
यहां वर्तमान अभिभावक हैं जो मेरी SMC के सदस्य हैं | |
घर पर बच्चों की उनकी पढ़ाई में मदद कैसे करनी है इस पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए अभिभावकों के लिए कार्यक्रम हैं | |
कई बार अभिभावक पढ़ाई में अपने ज्ञान और कौशल का योगदान देने के लिए कक्षाओं में जाते हैं | |
विद्यालय की शैक्षिक, सामाजिक और क्रीड़ा संबंधी घटनाओं के महत्वपूर्ण दिनों के लिए अभिभावकों के पास कैलेंडर है | |
बहुत सारे अभिभावक विशेष सभा जैसी घटनाओं में शामिल होते हैं | |
विद्यालय अभिभावकों में विविधता को पहचानता है (साक्षरता, भाषा, पूर्व शिक्षण, उपलब्धता आदि) और वह उन सबको हितधारकों के तौर पर शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। | |
कुल अंक |
आपने जिस सूची का निर्माण किया है उसे ध्यान से देखें।
क्या ऐसी कोई गतिविधि है जो आप आसानी से शुरू कर सकते हैं?
अपने विचारों को अपनी सीखने की डायरी में नोट करें। इकाई के अंत में इस परीक्षण को फिर से देखने और अगले सत्र के लिए योजना बनाने का आपके पास अवसर होगा।
हालांकि अपने बच्चे के विद्यालय में सहभागी होने के लिए अभिभावकों के पास केवल यही तरीके नहीं है, लेखा परीक्षण से आपको कुछ अनुमान हो सकता है कि इसमें सुधार कैसे किया जाए| अगर आप अपने कुल अंकों को जोड़ लें तो आपको अभिभावकों को आप विद्यालय में कितना सहभागी कर सकते हैं इसका प्रतिशत मिलेगा।
यह परीक्षण आपको अभिभावकों के साथ सहभागी होने और विद्यालय जीवन में उन्हें अधिक शामिल करने के अन्य तरीकों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करेगा। अभिभावकों को अधिक रूप से सहभागी करने के लिए अगर आपके पास कोई विचार हों तो उन्हें अपनी सीखने की डायरी में नोट कर लें। गतिविधि 9 में आपको इस परीक्षण को फिर से देखने और अगले सत्र के लिए योजना बनाने का अवसर मिलेगा।
जब अभिभावक विद्यालय के साथ उसकी सफलता में हितधारक के तौर पर सहभागी होते हैं, तब वे समस्याएं सुलझाने और मुश्किलों को हल करने में मदद कर सकते हैं। उनसे बात करके आप उनके नज़रिये से मामलों को समझ सकते हैं और छात्रों की प्रगति, पढ़ाई और प्रदर्शन को हानि पहुँचाने वाले घटकों के असर को संभालने के लिए तरीकों को ढूंढ़ सकते हैं।
श्री भारती पाँच वर्षों से एक माध्यमिक विद्यालय में विद्यालय नेता हैं। वे चार लड़कियों के गर्वित पिता है लेकिन अपने विद्यालय में महिला छात्रों के द्वारा विद्यालय छोड़ने की लगातार घटती संख्या के कारण चिन्तित हैं, क्योंकि वे देख रहे हैं कि उनकी शिक्षा के लिए उनके उत्साह का कोई असर नहीं हो रहा है। उन्होंने देखा कि साल दर साल दसवीं कक्षा की छात्राओं का प्रदर्शन बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों से बहुत बेहतर रहा है, फिर भी वे संख्या में समूह की 20 प्रतिशत ही हैं।
श्री भारती अंग्रेजी की शिक्षक थे और गणित में उतने आश्वस्त नहीं थे, इसलिए उन्होंने गणित विषय के प्रमुख से डेटा को अधिक योजनाबद्ध तरीके से देखने के लिए मदद मांगी। उन्होंने उनसे उन छात्राओं की सूची को देखने के लिए कहा जिन्होंने दो साल पहले आठवीं कक्षा के बाद विद्यालय छोड़ दिया था और फिर उस वक्त उनके गणित के प्रदर्शन के आधार पर यह अंदाजा लगाने के लिए कहा कि अगर वे छात्राएं पढ़ाई जारी रखती तो उनका प्रदर्शन कैसा होता। नामों को जाँचते हुए और उनके शिक्षक के साथ बात करते हुए उन्होंने देखा कि विद्यालय छोड़नेवाली दस लड़कियों में से चार के नाम उस साल की अंतिम परीक्षा में गणित के दस शीर्ष छात्रों में थे और सिर्फ दो औसत से कम थीं।
उसी समय श्री भारती ने सूची को खुद देखा तो उन्हें पता चला कि उन विद्यालय छोड़नेवाली दस छात्राओं में आठ लड़कियाँ एक ही गांव से थी। उन्होंने तय किया कि यह समस्या इन छात्राओं के अभिभावकों के साथ सहभागी होकर ही सुलझाई जा सकती है, इसलिए वे ऐसा क्यों हो रहा है यह पता करने के लिए और इस असमानता को खत्म करने के लिए जो कुछ किया जा सकता है वह करने के लिए दृढ़ थे। श्री भारती एक प्रवृत्ति के बारे में जानकारी एकत्र करने में सक्षम हुए जो उनके विद्यालय में छात्रों की पढ़ाई पर गंभीर असर कर रही थी। उन्होंने इन छात्रों के अभिभावकों से अधिक जानकारी का पता लगाने का तय किया।
श्री भारती को कौन सी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और प्रभावित लड़कियों के सबसे अच्छे नतीजों के लिए उन्हें कौन सा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए इसके बारे में अपनी सीखने की डायरी में नोट बनाएं।
चर्चा
विद्यालय नेता होने के नाते, शिक्षक ठीक से पढ़ा रहे हैं या नहीं, छात्रों की पढ़ाई और प्रशासन को सूचारू ढंग से चलाने के अलावा आपके और भी कार्य होते हैं यह भूलना आपके लिए आसान बात है। श्री भारती ने जो किया वह प्रशंसनीय था क्योंकि उन्होंने एक ऐसे मामले को सुलझाया जो बहुत सारे विद्यालयों को प्रभावित करता है: वह है छात्राओं का विद्यालय छोड़ना। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध डेटा का इस्तेमाल एक अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न के जवाब को ढूंढ़ने के लिए किया: ‘अगर छात्राओं का प्रदर्शन दसवीं कक्षा में इतना अच्छा है तो उसे और भी अच्छा करने के लिए आठवीं कक्षा के बाद छात्राओं की पढ़ाई जारी रखने के लिए हमें क्या करना होगा?’ इस प्रश्न ने उनके शिक्षकों की छोटी सी टीम की दाखिले और प्रदर्शन के तरीकों को सुधारने पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद की। स्टाफ ने अभिभावकों तक पहूँचने, उनकी समस्याओं के बारे में उनसे बात करने और उनकी लड़कियों को विद्यालय में रखने के उपाय ढूंढ़ने में मदद करने का निश्चय किया। वे और उनके शिक्षकों की टीम ने विद्यालय के बाहर निकलकर उपाय ढूंढ़ने का तय किया – अभिभावकों के साथ जो अपने बच्चे की शैक्षिक सफलता में हितधारक होते हैं।
निम्न कारणों से अभिभावकों के साथ बातचीत में कुछ समस्याएं आ सकती है, जैसे:
लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि कुछ बहुत ही व्यावहारिक चीज़ें सामने नहीं आयी हों , जैसे विद्यालय तक और वहाँ से वापस सुरक्षित रूप से आना - जाना। तथापि , इस सरल तथ्य ने कि विद्यालय नेता उनकी लड़कियों की शिक्षा में बहुत ही रूचि रखते हैं कि वे लड़कियों के घर तक आए , अभिभावकों को प्रोत्साहित किया कि वे संभावित तौर पर पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियों को विद्यालय में ही रखें। श्री भारती ने तय किया कि भविष्य में आठवीं कक्षा की लड़कियों के घर प्रत्येक सत्र में कम से कम एक मुलाकात तो अवश्य की जाएगी ताकि मौजूदा उपस्थिति और सातत्य बना रहे।
अगर आप चाहते हैं कि आपके छात्रों के अभिभावक विद्यालय की सफलता में मदद के लिए आपके साथ मिलकर काम करें, तो आपको उनके साथ नियमित संपर्क रखना होगा और उन्हें आपके साथ संपर्क करने के अवसर प्रदान करने होंगे। यह अनौपचारिक तौर पर विद्यालय के गेट पर बैठकों के रूप में या विशिष्ट छात्रों के लिए व्यक्तिगत तौर पर हो सकते हैं।
एक बार आपका यह खुला संपर्क स्थापित हो गया तो आप समस्याओं को बांटकर उपायों के साथ मदद मांग सकते हैं, जैसा श्रीमती चंद्रा ने निम्नलिखित वृत्त अध्ययन में किया है।
श्रीमती चंद्रा के विद्यालय की कुछ समय से मरम्मत या रखरखाव नहीं हुआ था। हाल ही में चारदिवारी टूटकर गिर गई जिससे विद्यालय की इमारत असुरक्षित बन गई। हालांकि वह बहुत ही गरीब क्षेत्र था, उन्हें छात्रों के अभिभावकों से अच्छी मदद मिलती थी और छात्र इच्छा से और नियमित तौर पर विद्यालय आते थे। एक अभिभावक बैठक में उन्होंने दीवार की समस्या का जिक्र किया और उन्हें तब खुशी हुई जब दो भाईयों ने, जिनके बच्चे विद्यालय में पढ़ते थे, दीवार की मरम्मत के लिए कार्यसमिति बनाने की पेशकश की। उन्होंने कुछ पुराने छात्रों की मदद लेने का भी सुझाव दिया। जब इन सबका आयोजन हो रहा था और सामग्री के लिए पैसा जमा किया जा रहा था, दोनों भाईयों ने अन्य छात्रों के पिताओं और चाचाओं को रात के समय बारी-बारी से विद्यालय की पहरेदारी करने के लिए एकत्रित किया।
श्रीमती चंद्रा ने विद्यालय में आने के बाद से अभिभावकों के साथ काफी लंबा समय बिताया था, और उन्हें यह महसूस कराने के लिए प्रोत्साहन दिया था कि विद्यालय उनका ही है और उनके बच्चों की सफलता बड़ी हद तक उन पर ही निर्भर करती है। उन्होंने सभी अभिभावकों के बीच विद्यालय के प्रति गर्व की भावना को प्रोत्साहित किया। उन्हें लगा कि अपने छात्रों के अभिभावकों की मदद की यह दयालु पेशकश उनके द्वारा साझा किये गए आपसी सम्मान का सीधा परिणाम है।
गतिविधि 7 में आपने जो परीक्षण किया था उस पर वापस जाएं और अभिभावकों को सहभागी बनाने में आप कहां प्रगति कर सकते हैं इसकी पहचान करें। आप अगले सत्र में और दीर्घकालीन तौर पर क्या कर सकते हैं इसके बारे में अपनी सीखने की डायरी में योजना बनाएं (संभावित तौर पर अपने सहायक को शामिल करते हुए, अगर कोई हो तो)।
माता-पिताओं और अभिभावकों के साथ अपने विद्यालय में सहभागिता की गतिविधियों को सुधारने के लिए स्वयं के लिए कुछ आसान लक्ष्य निर्धारित करें। आप जो गतिविधि या लक्ष्य तय करते हैं, उसके लिए विद्यालय और छात्र की पढ़ाई में होनेवाले फायदे को दर्शाना निश्चित करें।
चर्चा
हो सकता है कि आपने अभिभावकों को विद्यालय गतिविधियों में शामिल करने के लिए पहले ही बहुत सारी चीज़ें की हों – लेकिन फिर भी बहुत सारी पहलें आप ले सकते हैं, जैसे:
होमवर्क नीति के बारे में बातचीत करने के लिए चर्चा का आयोजन करना
आपको प्रत्येक चीज एक ही बार में करने की आवश्यकता नहीं है , लेकिन आपको पता चलेगा कि एक बार अभिभावकों के साथ ये वार्तालाप शुरू करने के बाद , अधिक व्यक्ति आएंगे , और आपके छात्र संयुक्त रवैये से प्रत्यक्ष लाभों का अनुभव करेंगे।
अपने विद्यालय में अभिभावकों के साथ काम करने का एक महत्वपूर्ण भाग क्षमता-निर्माण करने का है जिससे वे जागरुक और जानकार बनें, और विद्यालय की परिकल्पना और ध्येयों में अधिक पूर्णता के साथ योगदान दे सकें। इसमें अभिभावकों की SMC या अभिभावक-शिक्षक संगठनों में प्रभावी प्रतिनिधि बनने में सहायता करना सम्मिलित हो सकता है। अभिभावकों के लिए केवल अपने बच्चे के बजाय पूरे विद्यालय पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है, लेकिन उन भूमिकाओं में जहां वे अभिभावकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें यह समझने की आवश्यकता होगी कि वे अन्यों के लिए बात करें, केवल स्वयं के लिए नहीं।
अपनी सीखने की डायरी में इस बारे में कुछ नोट्स लिखें कि आप कैसे अभिभावकों को विद्यालय में भूमिका लेने के लिए सक्षम कर सकते हैं जहां वे स्थानीय समुदाय के अभिभावकों की आवाज बनें। अपने विद्यालय में कुछ ऐसे अभिभावकों के बारे में सोच सकते हैं जिन्हें स्थानीय समुदाय ने स्वीकार किया हो और जिन्हें नेताओं के रूप में देखा जा सकता हो और इसलिए स्वाभाविक तौर पर यह भूमिका ले सकते हों और इसे अच्छी तरह निभा सकते हों। क्या ऐसे अन्य अभिभावक हैं जो बोलते तो हैं लेकिन आवश्यक तौर पर अन्य अभिभावकों के विचारों के प्रतिनिधि नहीं हैं? ऐसे छह दिशानिर्देशों का सेट बनाने का प्रयास करें जो आप किसी अभिभावक प्रतिनिधि को दे सकते हैं।
चर्चा
आपने कुछ ऐसी चीजों के बारे में सोचा हो सकता है जो आप नहीं चाहते कि अभिभावक करें (जैसे शिक्षकों के बारे में व्यक्तिगत टिप्पणियां करना), या सामान्य दिशानिर्देश जैसे गोपनीयता का अवलोकन या विद्यालय जीवन का एक समग्र दृष्टिकोण लेना। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि एक संलिप्त अभिभावक जो अन्य अभिभावकों के साथ अच्छी तरह जुड़ा हो और जो छात्रों के सीखने के लिए बोल सकता हो इस विद्यालय का नेतृत्व करने के लिए आपकी एक वास्तविक संपत्ति होगा - केवल अभिभावकों को जानकारी देने के तौर पर नहीं, बल्कि अभिभावकों के विचारों को विद्यालय तक पहुंचाने के लिहाज से भी। वे अन्य अभिभावकों को समस्याओं और समाधानों की पहचान करने में सहायता करने में भी उपयोगी हो सकते हैं। लेकिन यह आवश्यक तौर पर कोई ऐसा कौशल नहीं है जिसे सभी अभिभावकों के पास होना चाहिए, और जो इन भूमिकाओं के लिए आगे आते हैं उनका सबसे उपयुक्त होना आवश्यक नहीं है। एक विद्यालय नेता के रूप में आपको प्रतिनिधियों के तौर पर भूमिकाएं लेने के लिए अभिभावकों के अलग-अलग वर्ग को सक्षम बनाने और उनके कौशल और आत्मविश्वास को विकसित करने में सहायता करने की आवश्यकता होगी।
क्या आपके विद्यालय के कोई अन्य पहलू (या, अधिक महत्वपूर्ण तौर पर, विद्यालय विकास योजना) हैं जिनमें वे सम्मिलित किए जा सकते हैं?
आप अभिभावकों को व्यवस्थित करने का कार्य कर सकते हैं जिससे वे एक-दूसरे की अधिक अनौपचारिक रूप से सहायता कर सकें। अगर वे विद्यालय आने या किसी शिक्षक से मिलने के बारे में डरते या व्यग्र हैं,आप अन्य अभिभावकों को मध्यस्थों या ‘मित्रों’ के तौर पर काम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं (वृत्त अध्ययन 5 देखें)।
श्री चौधरी हाल ही में एक छोटे ग्रामीण विद्यालय में विद्यालय नेता बने हैं जहां अभिभावकों के विद्यालय आने या विद्यालय के अभिभावकों के साथ बातचीत करने की परंपरा नहीं रही है। वे इसे एक बड़े अंतर के तौर पर देखते हैं जो छात्रों के सीखने में रुकावट पैदा कर रहा है। इसका यह भी अर्थ है कि वे और अन्य शिक्षक छात्रों की घरेलू पृष्ठभूमियों के बारे में बहुत कम जानते हैं।
उन्होंने एक योजना शुरू करने का निर्णय लिया जो अभिभावक, अभिभावकों के लिए चलाएंगे। उन्हें आशा थी कि इससे संचार में अंतर को भरा जा सकेगा और अभिभावकों को कोई भी चिंताएं उठाने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने स्थानीय समुदाय के नेताओं से बात की, और उन्होंने निर्णय लिया कि यह तब उपयोगी होगा अगर ये ‘अभिभावक मित्र’ महिलाएं होंगी, और कि वे आरंभ में अपनी सामान्य बातचीत और मुलाकातों से अन्य माताओं के साथ संपर्क करें। श्री चौधरी ने अपने कुछ छात्रों के द्वारा एक निमंत्रण भेजा और अपनी भूमिका के बारे में बात करने के लिए एक बैठक में उनके साथ आने के लिए एक तिथि तय की। बैठक में केवल तीन माताएं आईं, लेकिन वे सभी श्री चौधरी द्वारा बताई गई भूमिका के लिए तैयार थीं, और उस समय वह खुश हो गईं जब श्री चौधरी ने बताया कि एक लघु प्रशिक्षण सत्र, प्रमाणपत्र और एक बैज भी दिया जाएगा जिसे वे पहन सकती हैं।
योजना के एक वर्ष तक चलने के बाद, एक सुझाव आया कि पुरुष अभिभावक मित्र भी होने चाहिए और श्री चौधरी ने पिताओं में से स्वयंसेवकों को नियुक्त करने का कार्य तय किया।
एक विद्यालय नेता के तौर पर, आप अपने छात्रों के अभिभावकों के साथ एक सुविकसित संबंध बना सकते हैं- या उनके पास विद्यालय में क्या होता है इस पर चर्चा के लिए पहले से एक मंच हो सकता है। लेकिन एक विद्यालय नेता के तौर पर आप इस संचार के प्रसार और निरंतर आधार पर सहायता के लिए कुछ अधिक कर सकते हैं। आपको इसे अपने अधिकार के प्रति खतरे के तौर पर नहीं देखना चाहिए या उस निंदा की चिंता नहीं करनी चाहिए जो आप तक लौट सकती है। अभिभावकों से फीडबैक के इस इच्छा के कारण आने की अधिक संभावना होती है कि वे अपने बच्चों को सीखता देखें।
उन अभिभावकों के बारे में सोचें जिनके विद्यालय आने या आपके या शिक्षकों के साथ बातचीत करने की बहुत कम संभावना है। वे जुड़े क्यों नहीं हैं , और उनकी रूचि जगाने और उन्हें सहज अनुभव कराने के लिए अन्य अभिभावक क्या कर सकते हैं ? क्या आपके पास और अधिक आत्मविश्वास रखने वाले अभिभावक हैं जिनसे आप अंतर को कम करने में सहायता के लिए संपर्क कर सकते हैं ?
श्रीमती रावूल कुछ वर्ष पहले एक छोटे ग्रामीण प्राथमिक विद्यालय की नेता बनी थीं। उनके पहले वर्ष के दौरान उभरने वाली समस्याओं में से एक यह कारण था कि कक्षा 3 और 4 के छात्र अपना होमवर्क नहीं कर रहे थे। उन्होंने गांव में जाकर कुछ माताओं के साथ बात करने का निर्णय लिया, होमवर्क के महत्व और इस बारे में बताया कि कैसे इससे बच्चों को अपनी पढ़ाई और लिखाई का अभ्यास करने का अवसर मिलता है। उन्होंने सुझाव दिया कि शायद वे अपने बच्चों की उनके होमवर्क में सहायता कर सकती हैं। लेकिन फिर उन्होंने अनुभव किया कि बहुत सी माताएं स्वयं पढ़ और लिख नहीं सकतीं, और इस कारण वे अपने बच्चों की सहायता नहीं कर सकतीं।
एक माँ, निशा ने श्रीमती रावूल से पूछा कि क्या वे उसके व अन्य माताओं के लिए एक कक्षा शुरु कर सकती हैं और वह अन्य माताओं को प्रोत्साहित करने हेतु उनसे बात करने के लिए सहमत हो गई। श्रीमती रावूल ने विद्यालय के बाद सप्ताह में एक बार, एक घंटे की साक्षरता कक्षा शुरु की। विद्यार्थी विद्यालय में रुके रहते थे और खेलते थे जबकि उस दौरान उनकी माताएं श्रीमती रावूल से पाठ सीखती थीं। निशा ने अन्य माताओं को विद्यालय जाने हेतु प्रोत्साहित करने का एक अच्छा कार्य किया और अन्य पिताओं द्वारा अपनी पत्नियों को भेजने हेतु उनका प्रोत्साहन करने में उसका पति सहायक था। जल्दी ही माताओं में अपने बच्चों के होमवर्क में सहायता करने का आत्मविश्वास पैदा हो गया और निशा ने अपने पड़ोस में एक छोटा सा रीडिंग-क्लब स्थापित कर लिया जिसमें माताएं एक-दूसरे की सहायता करते हुए साथ-साथ सीख सकें।
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एक विद्यालय एकाकीपन के साथ अस्तित्व में नहीं रह सकता। यह न केवल अपने आस-पास में रहने वाली स्थानीय जनसंख्या को सेवाएं देता है, बल्कि यह एक व्यापक समुदाय के साथ भी संवाद करता है और राज्य, ज़िले तथा उप-ज़िले के स्तर तक नेटवर्कों व विनियामक प्रकार्यों के भीतर परिचालन करता है। कक्षा में शिक्षण व सीखने पर सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करने हेतु उन भागीदारियों को शुरु करने व उन्हें बनाए रखने के लिए सहयोगात्मक संबंध बनाने और उसमें समय लगाने का दायित्व विद्यालय नेता का होता है। जैसे कोई विद्यालय एकाकीपन के साथ अस्तित्व में नहीं रह सकता, उसी प्रकार एक विद्यार्थी का सीखना भी एकाकीपन के साथ अस्तित्व में नहीं रह सकता – इसकी व्याप्ति उनकी विद्यालय से बाहर की जिन्दगी में होती है। अभिभावकों और उनके समुदायों की भागीदारी से, विद्यार्थी की विद्या का विस्तार करना तथा इसे और अधिक सार्थक बनाना संभव है।
विद्यालय नेता के लिए नेटवर्क और संबंध बनाना आवश्यक है जिससे विद्यालय स्थानीय संसाधनों व दक्षता का अधिकतम उपयोग कर सके, साथ ही यह सुनिश्चित कर सके कि प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी विद्या के साझा दायित्व से लाभ हो।
संस्था का नाम | नियमित दो तरफा संपर्क | नियमित एक पक्षीय संपर्क | केवल यदा-कदा संपर्क | कोई संपर्क नहीं | वह पहलू जिसके लिए संपर्क किया गया | वहाँ आपके प्रमुख संपर्क का नाम लिखें |
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राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) | ||||||
सर्व शिक्षा अभियान (SSA) | ||||||
शिक्षा विभाग | ||||||
राज्य शिक्षा परिषद, अनुसंधान व प्रशिक्षण (एससीईआरटी) | ||||||
ज़िला शिक्षा संस्थान और प्रशिक्षण (डीआईईटी) | ||||||
ज़िला संसाधन केंद्र (डीआरसी) | ||||||
ब्लॉक संसाधन केंद्र (बीआरसी) | ||||||
क्लस्टर संसाधन केंद्र (सीआरसी) | ||||||
ज़िला पंचायत |
संकेत (प्रॉम्प्ट) | प्रतिक्रिया |
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भागीदारी का लक्ष्य क्या है? (दोनों पक्षों के लिए) | |
भागीदारी के लिए समय-सीमा क्या है? (अल्प-अवधि या अधिक दीर्घावधि) | |
वांछित परिणाम क्या हैं? | |
उन परिणामों को प्राप्त करने के लिए क्या कार्यवाही की जाएगी? | |
कितना बजट उपलब्ध हो सकता है? (कौन कितना उपलब्ध करवाता है) | |
कितना बजट उपलब्ध हो सकता है? (कौन कितना उपलब्ध करवाता है) | |
भागीदारी की किस प्रकार और कब निगरानी व मूल्यांकन किया जाएगा? | |
भागीदारों और विद्यालय समुदाय के बीच संप्रेषण किस प्रकार नियंत्रित किए जाएंगे? |
तृतीय पक्षों की सामग्रियों और नीचे अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है: (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/). । नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।