यह इकाई आपके विद्यालय के लिए एक परिकल्पना विकसित करने और उसे लागू करने के बारे में है। सुनील बत्रा (RET-2011) विचार करते हैं कि भारत में, ‘विद्यालय कभी कभार ही अपनी परिकल्पना की कल्पना करते या उसे स्पष्ट करते हैं’ ।
यह विचार संभवतः इस तथ्य पर आधारित है कि पूर्वकाल में विद्यालय जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा नियंत्रित होते थे। शिक्षा का अधिकार कानून (RET-2011) की एक स्पष्ट आकांक्षा है कि विद्यालयों को अधिक स्वायत्तशासी बनना चाहिए, अपने सतत सुधार के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए और स्थानीय समुदाय के लिए प्रतिक्रियाशील होना चाहिए। विद्यालय प्रबंधन कमेटियों (SMCs) की स्थापना और यह आवश्यकता कि सभी विद्यालयों में ‘विद्यालय विकास योजना’ (SDP) हो, का उद्देश्य उनकी इस आकांक्षा में सहायता करना है।
बत्रा आगे सलाह देते हैं कि ‘लोगों या समुदाय के विकास के एक नैतिक उद्देश्य से कार्य करने के लिए किसी अंतदृर्ष्टि परिकल्पना, ध्येय या लक्ष्य न होना एक शून्य में कार्य करने के समान है’।
परिकल्पना की शक्ति इस कहानी में देखी गई है: एक राजमिस्त्री एक मंदिर के प्रवेशद्वार के शीर्ष पर रखने के लिए एक बड़े पत्थर को आकार दे रहा था और उससे एक आंगतुक ने पूछा, ‘तुम क्या कर रहे हो?’ उत्तर तुरंत और अप्रत्याशित था: ‘मैं ईश्वर की प्रतिष्ठा में एक मंदिर बनाने में सहायता कर रहा हूं।’ राजमिस्त्री ने अपने कार्यों, पत्थर के चयन, अपने कौशल या किन्हीं और मुद्दों का विवरण नहीं किया – इसके बजाय उसने उद्देश्य, और उस जुनून का विवरण दिया जिसने उसे और उसके समुदाय को एक भव्य मंदिर की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रेरित किया था। परिकल्पना ने उसे एक गुणवत्ता वाली चीज बनाने के लिए दल के एक सदस्य के तौर पर कार्य करने की ऊर्जा, गौरव और प्रतिबद्धता दी थी। किसी ऐसी चीज के लिए प्रयास करने की चुनौती जो शायद हमेशा पहुंच से बाहर हो समुदायों को कहीं अधिक प्राप्त करने को प्रेरित करती है जो अन्यथा नहीं हो सकता।
एक विद्यालय प्रमुख के तौर पर, अपने विद्यालय के लिए एक परिकल्पना बनाना आपकी जिम्मेदारी है। परिकल्पना को विद्यालय के विशेष संदर्भ, और साथ ही विद्यालय और विस्तृत समुदाय दोनों की आवश्यक्ताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप आकार देने की आवश्यकता होती है। इसका डिजाइन विद्यालय की सांस्कृतिक पहचान और उसके विद्यार्थियों और उनके परिवारों के गुणों को करने से युक्त होना चाहिए।
इस इकाई में आप एक अच्छा परिकल्पना वक्तव्य कैसे बनता है, अंतदृर्ष्टि की साझेदारी और उसे परिकल्पना कैसे कार्यवाही में बदलती है, इस पर विचार करेंगे।
इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करके रखते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी शुरू कर भी ली है।
इस इकाई में आप अकेले काम कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय प्रमुख के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते आ रहे हैं, या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध का निर्माण करना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अधिक अनौपचारिक आधार पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे, और साथ ही आपकी शिक्षण-प्रक्रिया और विकास का दीर्घावधिक प्रतिचित्रण भी करेंगे।
इन विद्यालय नेतृत्व इकाइयों का उद्देश्य अपने विद्यालय में एक अधिक प्रभावी नेता बनने में आपकी सहायता करना है। एक प्रभावी विद्यालय प्रमुख (रुदरफोर्ड, 1985) की पहचान वाले चार व्यवहार है:
तो अपने विद्यालय के लिए एक परिकल्पना विकसित करना एक प्रभावी विद्यालय प्रमुख बनने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सुधार करने वाले कारण देखने के लिए विश्व भर में बहुत सी शैक्षिक व्यवस्थाओं का परीक्षण करने वाली एक रिपोर्ट में, यह पाया गया कि ‘लगभग सभी विद्यालय प्रमुखों ने कहा कि परिकल्पना और दिशा तय करना उनकी सफलता में सबसे बड़े योगदानों में से थे’ (मैकिन्से एंड कंपनी, 2010)।
एक ‘परिकल्पना’ इसका एक स्पष्ट वक्तव्य होती है कि विद्यालय क्या प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है जिससे सभी भागीदार - शिक्षक, विद्यार्थी और उनके परिवार और सामुदायिक सदस्य - मिलकर काम कर रहे हों। यह विद्यार्थियों के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ प्राप्त करने के लिए आगे देखने और प्रत्येक व्यक्ति को प्रोत्साहित और संगठित करने के बारे में है। परिकल्पना को विद्यालय के एक विशेष संदर्भ में लक्ष्यों को ग्रहण करने, और विद्यालय विकास योजना की तैयारी के दिशानिर्देश और जानकारी देने की आवश्यकता होती है।
विद्यालयों के लिए परिकल्पना महत्वपूर्ण होती है (वेस्ट-बर्नहैम, 2010) क्योंकि वह:
व्यक्तियों के कार्य को स्पष्ट करती है और प्राथमिकता देती है
परिकल्पना अस्पष्ट प्रयोजन के कुछ शब्दों से कहीं अधिक है; इसमें समुदाय के मूल्य सम्मिलित होते हैं और यह उन कार्यों की नींव है जिनसे विद्यालय में सुधार होगा।
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परिकल्पना वक्तव्य आवश्यक तौर पर एक मूल्य वक्तव्य होता है। उसमें विद्यालय के नैतिक उद्देश्य का सार होता है और वह साझा मूल्यों के एक वर्ग को प्रकट करता है। अपने विद्यालय के लिए वक्तव्य स्थापित करने की प्रक्रिया में एक अच्छा आरंभ बिंदु अपने स्वयं के मूल्यों और विश्वासों को NCF-2005 और (RET-2011) में सम्मिलित मूल्यों के सापेक्ष परीक्षण करना है।
NCF-2005 भारत में शिक्षा के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तय करता है और (RET-2011) कुछ ढांचों का निर्माण करता है जो NCF- 2005 को लागू करने में सहायता करेंगे। RtE 2009 सभी छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने और समावेशन को बढ़ावा देने की विद्यालय की जिम्मेदारी पर भी जोर देता है। दोनों का आधार, मूल्यों का एक विशेष वर्ग है (चित्र 1)।
चित्र 1 NFC-2005 और (RET-2011) को सहारा देने वाले मूल्य।
चित्र 1 में मूल्य कुछ ऐतिहासिक तौर पर माने जाने वाले विचारों को चुनौती देते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ विद्यालयों में:
भारत में इक्कीसवीं सदी के एक विद्यालय प्रमुख के तौर पर, आपकी भूमिका NCF- 2005 और (RET-2011) की आकांक्षाओं के अनुरूप अपने विद्यालय के व्यवहार में बदलने की होगी। चित्र 1 में दिए गए मूल्यों को सम्मिलित कर एक साझा परिकल्पना स्थापित करना आरंभ का बिंदु है।
गतिविधि 1 में आपके पास कुछ परिकल्पना वक्तव्यों में सम्मिलित मूल्यों पर विचार करने और उन व्यवहार के प्रकारों पर विचार करने का अवसर होगा जो आप अपना सकते हैं और जो NCF- 2005 और विद्यार्थियों को सहारा देने वाले मूल्यों से सुसंगत हैं, और इस कारण आपके विद्यालय के लिए एक परिकल्पना हैं।
अगर संभव हो, तो आपको विद्यालय के अन्य प्रभावी लोगों या अपने सहायक के साथ इस गतिविधि को करना चाहिए।
तालिका 1 में परिकल्पना वक्तव्यों को देखें। प्रत्येक वक्तव्य के अंतर्निहित आधारभूत मूल्यों के लिहाज से उसका विश्लेषण करें। कौन से मूल्य सुसंगत हैं जो NCF 2005 और RtE 2009 के अनुरूप स्थापित होते हैं?
विद्यालय और वक्तव्य | कौन सा मूल्यवान है? | क्या यह NCF 2005 और RtE 2009 से सुसंगत है? |
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लहसुनिया विद्यालय: ‘बच्चों के सीखने में सहायता के लिए परिवार और विद्यालय मिलकर काम करते हैं’ | ||
नीलम विद्यालय: ‘इस विद्यालय में प्रत्येक बच्चे को एक प्रेरक और ध्यान रखने वाले वातावरण में अपनी पूरी क्षमता विकसित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है’ | ||
पन्ना विद्यालय: ‘विद्यालय के अंत में परीक्षाओं में 100% सफलता सुनिश्चित करना’ | ||
मूंगा विद्यालय: ‘हमारी परिकल्पना एक खुशियों भरे, ध्यान रखने वाले और प्रेरक वातावरण उपलब्ध कराने की है जहां बच्चे समाज में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के बारे में सीख सकें’ | ||
मुक्ता विद्यालय: ‘अपने सभी बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करना’ | ||
माणिक विद्यालय: ‘हमारा विद्यालय एक उत्कृष्टता की जगह है जहां बच्चे अपनी पूरी क्षमता प्राप्त कर सकते हैं’ | ||
गोमेद विद्यालय: ‘जिले का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय बनना’ | ||
पुखराज विद्यालय: ‘यह सुनिश्चित करना कि सभी छात्रों को विश्वविद्यालय जाने का अवसर मिले’ | ||
आकाश विद्यालय: ‘प्रत्येक शिक्षक प्रत्येक बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ की कोशिश करता है।’ | ||
हीरा विद्यालय: ‘हम मानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अपने बचपन की आनन्द अनुभूति के लिए पात्र है। उनके व्यक्तित्व, संस्कृति और विरासत के लिए उनका सम्मान किया जाना चाहिए’ | ||
अगर आपके विद्यालय समुदाय के सदस्यों के ऐतिहासिक तौर पर ऐसे मूल्य और विश्वास हैं जो NCF-2005 और (RET-2011) से सुसंगत नहीं हैं, तो आप तत्काल, तुरंत उनके विचार बदलने में सक्षम नहीं होंगे। तथापि, कुछ विशेष व्यवहारों को स्वयं अपनाकर और अपने शिक्षकों से ऐसा ही करने की आशा कर, आप एक ऐसा वातावरण तैयार करने में सक्षम होंगे जिसमें चित्र 1 में दिए गए मूल्य स्थापित हो जाएंगे।
चित्र 1 में वक्तव्यों में से प्रत्येक के लिए, कुछ ऐसे व्यवहारों की पहचान करें जो आप अपना सकें और जो इन मूल्यों को सुदृढ़ करेंगे।
चर्चा
तालिका 1 में कुछ वक्तव्य NCF-2005 और (RET-2011) वक्तव्यों के साथ अच्छी तरह मेल खाते हैं, लेकिन कुछ नहीं। उदाहरण के लिए, सभी विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय जाने की इच्छा आकांक्षापूर्ण लग सकती है, लेकिन क्या यह वास्तविकतापूर्ण है? संदेश यह है कि विश्वविद्यालय जाना किसी भी अन्य चीज से अधिक महत्वपूर्ण है, जबकि व्यवहार में, यह कुछ विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त महत्वाकांक्षा नहीं होती है। हीरा विद्यालय का वक्तव्य निश्चित तौर पर समावेशी है, लेकिन क्या यह आकांक्षापूर्ण है? वक्तव्य जो मानक से सर्वश्रेष्ठ तौर पर मेल खाते हैं शायद नीलम और मूंगा विद्यालयों के हैं, क्योंकि वे कल्याण और इस इच्छा पर जोर देते हैं कि सभी विद्यार्थी अपनी पूरी क्षमता प्राप्त करें।
आप समावेशन मूल्यों को छात्रों के साथ और विद्यार्थियों के बारे में बात कर तैयार कर सकते हैं। महत्वपूर्ण संसाधन‘सभी को सम्मिलित करना’ का उपयोग समावेशी व्यवहारों को बनाने में आपके शिक्षकों की सहायता के लिए किया जा सकता है।
चित्र 2 एक अच्छे परिकल्पना वक्तव्य की विशेषताएं।
एक विद्यालय की परिकल्पना में प्रत्येक विद्यालय का अनूठा संदर्भ प्रकट होना चाहिए। लेकिन यह पृथक रूप में मौजूद नहीं हो सकता; इसमें चित्र 3 में दिखाए गए विस्तृत तत्व और प्रभावों को भी प्रकट किया जाना चाहिए।
चित्र 3 विस्तृत संदर्भ जिन्हें आपकी परिकल्पना को प्रभावित करना चाहिए।
राष्ट्रीय और राज्य के संदर्भ NCF-2005 और (RET-2011) द्वारा तय किए गए हैं। आपका कार्य अपने विद्यालय के लिए एक परिकल्पना विकसित करना है जो आपको अपने व्यक्तिगत संदर्भ के अंदर इन आशाओं को पूरा करने में सक्षम बनाएगा।
श्रीमती चड्ढा लड़कियों के एक बड़े कन्या विद्यालय की प्रधानाचार्य थीं। उन्होंने एक पाठ्यक्रम बनाया था जहां उन्हें एक विद्यालय परिकल्पना की आवश्यकता का एहसास हुआ। पाठ्यक्रम के दौरान उन्हें विभिन्न परिकल्पनाओं से अवगत कराया गया, उन्होंने बहुत से विद्यालय प्रमुखों से उनकी परिकल्पनाओं पर बात की और वे बहुत से विचारों से प्रभावित हुईं। उन्होंने चर्चाओं में हिस्सा लिया और वे अपने विद्यालय के लिए परिकल्पना को लेकर स्पष्ट हो गईं।
वे उत्साह के साथ लौटीं और अपने कर्मचारियों, अभिभावकों और समुदाय को अपने विद्यालय के लिए नई दिशा के बारे में बताने के लिए आतुर थीं। उन्होंने महसूस किया कि उनका विद्यालय अपने अधिक सक्षम विद्यार्थियों के लिए अच्छा काम कर रहा था, लेकिन वह सभी विद्यार्थियों को समान तौर पर सम्मिलित नहीं कर रहा था और सीमित साक्षरता कौशल के साथ आने वाले बहुत से विद्यार्थी विद्यालय में खुश नहीं थे और अच्छा नहीं कर रहे थे। उन्होंने सोचा कि परिकल्पना निम्नांकित होनी चाहिए: ‘एक विद्यालय जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी सफल हो’।
उन्होंने बहुत सी बैठकें बुलाईं और अपनी परिकल्पना को साझा किया। बैठकों के बाद कम चर्चा और कम परिवर्तन हुआ, वैसे कुछ अभिभावक और कर्मचारियों ने निजी तौर पर विद्यालय के परिणाम नीचे जाने के खतरे के बारे में बात की क्योंकि शिक्षक ऐसे छात्रों पर समय बर्बाद कर रहे थे जो कभी सफल नहीं हो सकते थे। परिकल्पना से विद्यालय में कोई अंतर आता नहीं दिखा था और कुछ सप्ताह के बाद, श्रीमती चड्ढा ने महसूस किया कि उसे शिक्षकों, अभिभावकों या छात्रों ने नहीं अपनाया था और उससे कुछ तनाव पैदा हुए थे।
अपने सीखने की डायरी में इन प्रश्नों के लिए अपने उत्तर लिखें:
चर्चा
श्रीमती चड्ढा का वक्तव्य NCF- 2005 के मूल्यों से सुसंगत है। बहुत ही अलग अलग लोगों के साथ बैठकें करने के बारे में वे सही थीं, लेकिन बातचीत की कमी का अर्थ है कि माता-पिता और शिक्षकों के पास स्वयं की उचित परिकल्पना की कमी है। सिर्फ परिकल्पना ही अपने आप में पर्याप्त नहीं होती है। परिकल्पना को बांटकर कर्मों में ढालना पड़ता है, उसे व्यावहारिक रूप देना पड़ता है।
श्री सिंह ने नेतृत्व विकास कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अपने विद्यालय के लिए परिकल्पना को तैयार करने में उन्होंने विद्यालय प्रमुख की भूमिका को तय करने में पूरा दिन बिताया। उन्होंने अन्य विद्यालय प्रमुखों/प्रधानाध्यापकों से उनके विद्यालय की परिकल्पना के बारे में उनके विचार जानने के लिए बात की। जब उन्होंने अपने विद्यालय में प्रवेश किया तभी उन्हें उस दिन के संदेश के बारे में पता चला।
आमतौर पर, श्री सिंह अपने प्रशासनिक कर्तव्यों को निर्वाह करने के लिए सीधे अपने कार्यालय में चले जाते हैं। उस दिन उन्होंने अपना बैग रखकर और आवश्यक संदेश पढ़कर विद्यालय का चक्कर लगाने से थोड़ा कुछ अलग किया। वे अक्सर कक्षा में जाते थे, लेकिन आमतौर पर शिक्षकों के साथ बात करते थे या किसी छात्र को अनुशासित करते थे। आज, वे एक उद्देश्य से, सवालों के जवाब देने के लिए चहलकदमी कर रहे थे: ‘मैं पिछले 11 महीनों से किस प्रकार का विद्यालय चला रहा हूँ और हमारे विद्यार्थियों की शिक्षा को विकसित करने के लिए हम कितने प्रभावी है?’ उस दिन और सप्ताह के बाकी दिन वे कम बार ही अपने कार्यालय में गए। बीच की छुट्टी के दौरान वे विद्यार्थियों के साथ बैठकर बातें करते। दिन के अंत में वे विद्यालय के गेट पर खड़े होकर अभिभावकों से बातें करते।
उनके लौटने के बाद दूसरे दिन उन्होंने अपने स्टाफ को एकसाथ बुलाया। उन्होंने विद्यालय के लिए परिकल्पना की आवश्यकता होने के बारे में स्पष्ट रूप से बात नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने सबको बताया कि अब वे निश्चित तौर पर जान चुके हैं कि अगर विद्यालय को सुधारना है तो पहला कदम यह होगा कि सबको यह पता होना चाहिए कि विद्यालय की शक्तियों और कमज़ोरियों के मद्देनज़र और विशेषरूप से ‘सीखने के लिए शिक्षा के इस विद्यालय के मुख्य उद्देश्य पर आधारित क्या करने की आवश्यकता है।
वे जहां भी जाते उनकी मौजूदगी का असर तुरंत दिखाई देता। लेकिन उनका लगातार यही सवाल था – ‘आपको किस बात पर गर्व है और हम क्या और अच्छा कर सकते हैं ?’ - यह ऐसे किसी ताले में चाबी घुमाने जैसा था जिसे कभी खोला ही न गया हो।
SMC के अध्यक्ष उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में पूछने के लिए विद्यालय में आए। एक घंटे के बाद, उन्होंने श्री सिंह को अपने गांव आमंत्रित किया ताकि कुछ स्थानीय समुदायों से वे विद्यालय के बारे में क्या सोचते हैं और उनकी विद्यालय से क्या अपेक्षाएं है इसके बारे में बात की जा सके।
उस हफ्ते के अंत में, श्री सिंह को लगा कि उन्होंने अपने निरीक्षणों और चर्चाओं से अपने विद्यालय के बारे में पिछले 11 महीनों में प्राप्त हुई जानकारी से अधिक जानकारी हासिल की है।
ज्यादातर मामलों में, विद्यालय की परिकल्पना का विकास विद्यालय नेतृत्व के द्वारा किया जाता है। हमेशा यही मामला नहीं होता: शायद एक नया विद्यालय प्रमुख विद्यालय में आए और देखे कि विद्यालय और समुदाय के बारे में अपनी समझ के आधार पर समुदाय की विद्यालय के बारे में स्पष्ट धारणा है। यह ज़रूरी है कि परिकल्पना विद्यालय की सुधार की यात्रा के दौरान सभी हितधारकों को एकत्रित करे। ऐसा विद्यालय जहां समुदाय के सदस्य और विद्यालय नेतृत्व (भुगतान पाने वाला व्यावसायिक) असहमत हो वह एक असहर्ज स्थिति होगी, वहां विद्यार्थियों के लिए शिक्षा को बेहतर बनाने के लक्ष्य पर ध्यान देने के बजाय ज्यादातर ऊर्जा व्यर्थ ही जा रही होगी।
सभी स्थानीय समुदाय भिन्न होते हैं। विद्यालय के आसपास के महत्वपूर्ण हितधारक और उनके समुदायों में शामिल हैं:
अगर विद्यालय के विकास के लिए हितधारकों का समर्थन हासिल करना है तो उन्हें विद्यालय की परिकल्पना को समझने और विकसित करने में शामिल करने की आवश्यकता होगी। हितधारकों में ऐसे लोग शामिल होते हैं जिनकी शिक्षा का स्तर अलग अलग होता है और आधुनिक विद्यालयों की आवश्यकताएं क्या होती है इसकी समझ भी अलग होती है। यह विद्यालय नेतृत्व की जिम्मेदारी है कि उनके विकास को सूचित करे और समर्थन दे। यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर तब जब परिकल्पना में ऐसे सुधार शामिल हों जो चली आ रही परम्परा से अलग हो। एक तरफ, विद्यालय नेतृत्व के लिए शायद यह सही हो कि वह मार्गदर्शन करें और इसकी विद्यालय समुदाय के द्वारा प्रशंसा भी हो सकती है; और दूसरी तरफ ऐसे दृष्टिकोण पर नाराज़गी भी फैल सकती है और समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।
श्री सिंह ने शिक्षकों, SMC और समुदाय के प्रमुखों को विद्यालय के बारे में चर्चा में संलग्न रखा। उन्होंने सहज प्रेरणा से उन्हें वे बातें बतानी शुरू की जिन्होंने गर्व महसूस कराया था और तभी उन्होंने ऐसी किसी बात की पहचान की जिसके बारे में वे पूरे निश्चित थे कि सुधार करने के लिए सबको उसका पता होना चाहिए। उन्होंने सभी को समान दृष्टिकोण रखने के लिए प्रोत्साहित किया। परिकल्पना की प्रक्रिया में वह पहला महत्वपूर्ण चरण था।
श्री सिंह ने विद्यालय के चक्कर लगाना, छात्रों और कर्मचारियों से और अभिभावकों के विद्यालय में आने के बाद उनसे बात करना जारी रखा। यह जानकारी मूल्यवान थी और उन्होंने उसे पहले से ही एकत्रित जानकारी में जोड़ा। यहां उनके कुछ प्रेक्षण दिये गये हैं:
उच्च माध्यमिक कक्षा के पहले जिन छात्राओं ने विद्यालय छोड़ा उनके नुकसान को देखकर और इससे उन लड़कियों और युवतियों के जीवन के अवसरों पर पड़नेवाले प्रभाव को देखकर श्री सिंह को गहरा सदमा लगा। शौचालयों से आनेवाली बदबू के कारण वे छात्राओं की दुर्दशा के बारे में सोचने के लिए मजबूर हुए, ऐसा कुछ जिसके बारे में अभिभावकों और स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों ने सूचित किया था। नियमित रूप से पाठों के अवलोकन ने उन्हें छात्रों और कर्मचारियों के लिए रोल माडल बनकर प्रदर्शन करने वाली सशक्त विद्यार्थियों के बारे में सजग किया।
वे इस बात से सहमत थे कि विद्यालय की परिकल्पना में सभी विद्यार्थियों का समावेश, विद्यालय तक उनकी पहुँच और उन्हें उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा की उपलब्धता शामिल होनी चाहिए।
प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के कुछ सप्ताह के बाद श्री सिंह ने कर्मचारियों (छ: शिक्षक) तथा एसएमसी (चार अभिभावक, दो सामुदायिक नेता और एक स्थानीय व्यावसायी) की एक संयुक्त बैठक आयोजित की। इस समय तक सभी उनके पाठ्यक्रम के बारे में सुन चुके थे और विद्यालय में चारों ओर उन्हें इस पर चर्चा करते देख चुके थे कि अब तक उन्होंने क्या अच्छा काम किया है और कहां परिवर्तन करने की जरूरत है। श्री सिंह ने बैठक को चार या पाँच व्यक्तियों के समूह में विभाजित किया तथा प्रत्येक समूह से उनके तीन ‘मूल्यों’ - सिद्धांतों को लिखने के लिए कहा जिन्हें विद्यालय की गतिविधियों में जोड़ा जाना चाहिए। उन्होने सभी सुझावों को एकत्रित किया और पाया कि सभी विचारणीय सुझाव लगभग एक जैसे थे। श्री सिंह उन सभी विचारों को अगली बैठक के लिए लिखकर रखने पर सहमत थे।
एक सप्ताह के बाद, उन्होने अगली बैठक का आयोजन किया। इस बार, प्रत्येक समूह ने सहमत सिद्धांतों के सेट से शुरू किया और एक परिकल्पना वक्तव्य तैयार किया। काफी वाद-विवाद के बाद वे इन नतीजों पर पहुंचे: “यह एक ऐसा विद्यालय है जिसमें सभी विद्यार्थियों को समान रूप से महत्वपूर्ण समझा जाता है और उनकी देख रेख की जाती है, तथा सभी को उनकी सकारात्मक क्षमताओं को विकसित करने का अवसर प्राप्त है।
ध्यान दें किस प्रकार मुख्य हितधारक परिकल्पना वक्तव्य को अमल में लाने के लिए एक साथ काम करते हैं। परंतु पाठ्यक्रम और दो बैठकों के बीच, श्री सिंह ने अभिभावकों और विद्यार्थियों समेत अलग-अलग तरह के अनेक व्यक्तियों से चर्चा की। उन्होंने उनके विचारों को सुना था तथा विद्यालय के मुख्य उद्देश्य के बारे में विचार करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित किया था। इस प्रकार से, वह कथन सम्पूर्ण समुदाय का वास्तविक प्रतिबिंब था।
इस क्रियाकलाप में आप एक योजना बनाने जा रहे हैं जो कि आपको आपके विद्यालय हेतु एक परिकल्पना वक्तव्य बनाने में सक्षम बनाएगी।
परिकल्पना वक्तव्य इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वह संदर्भ के लिए एक ढांचा प्रदान करता है। आप एवं आपके सहयोगी द्वारा की जाने वाली किसी भी कार्यवाही का मिलान इस वक्तव्य के साथ किया जा सकता है ‘यदि मैं यह कार्य करूंगा तो क्या यह हमारी परिकल्पना (विजन) में योगदान करेगा?’
परिकल्पना वक्तव्य एक संक्षिप्त विवरण होता है जो कि विद्यालय के आदर्शों तथा भविष्य की योजनाओं का सारांश होता है। यह विस्तृत नहीं होता है, लेकिन इसे एक मिशन वक्तव्य के रूप में विस्तारित किया जा सकता है (नेतृत्वकर्ता दल के लिए), जो कि संगठन के उद्देश्य एवं मुख्य लक्ष्यों को परिभाषित करता है।
यह परिकल्पना (विजन) तथा मिशन वक्तव्य के बीच की भिन्नता को स्पष्ट करने में सहायक है (तालिका 2)।
Difference | Vision statement | Mission statement |
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Detail | Outlines where you want to be Communicates both purpose and values | Talks about how you will get to where you want to be Defines the purpose and primary objectives |
Answer | Answers the question, ‘Where do we aim to be?’ | Answers the questions ‘What do we do?’ and ‘What makes us different?’ |
Time | Talks about future | Talks about the present leading to the future |
Function | Lists where you see yourself some years from now. Inspires and shapes direction | Lists the broad goals for which the school is formed Defines the key measures of success – the prime audience is the leadership team and stakeholders |
Change | Will remain intact because it is about values, not just what you do | May change, but will derive from core values, pupil needs and vision |
Developing a statement | Where do we want to be going forward? When and how? | Why do we do what we do? What, for whom and why? |
Features of an effective statement | Clarity and lack of ambiguity Describing a bright future (positive) | Translates purpose and values into actions |
केस स्टडी (केस स्टडी) 2 व 3 में श्री सिंह के विद्यालय ने एक बार अपने परिकल्पना वक्तव्य (विज़न स्टेटमेंट) (‘यह एक ऐसा विद्यालय है जिसमें सभी बच्चे महत्वपूर्ण हैं तथा उनकी परवाह की जाती है तथा उनके पास अपनी सकारात्मक संभावनाओं को पूरा करने का अवसर है’) का निर्माण किया था। उन्होंने अपनी वरिष्ठ नेतृत्व टीम के साथ काम किया था (जिसमें उनके सहायक तथा एसएमसी के अध्यक्ष शामिल थे) और निम्नलिखित प्रश्न पूछा था: ‘यदि हमारी परिकल्पना यह है तो हमें इसे वास्तविकता में बदलने के लिए क्या करना होगा?’
यह परिकल्पना वक्तव्य निर्धारित है लेकिन लक्ष्य कथन तथा उसके बाद की कार्यवाही संदर्भ और विद्यालय की आत्म-समीक्षा के हिस्से के रूप में संचित जानकारियों पर निर्भर करेंगी।
इस बात की संभावना है कि किसी भी तरह की समीक्षा क्षमता से अधिक कार्यवाही को जन्म देगी! यहीं पर एक स्पष्ट परिकल्पना वक्तव्य का होना आवश्यक हो जाता है क्योंकि वह विद्यालय का नेतृत्व करने वाली टीम को अपनी कार्यवाही की प्राथमिकता का निर्धारण करने में सहायता करेगा।
एकत्र की गयी जानकारियों के आधार पर श्री सिंह तथा उनकी टीम को यह एहसास हुआ कि सभी विद्यार्थियों द्वारा उनकी संभावनाओं को पूरा करना सुनिश्चित करने के लिए उनको अपनी शिक्षण गुणवत्ता को बेहतर करने तथा अपनी महिला छात्राओं की शिक्षा को समर्थन देने के लिए विशिष्ट कदम उठाने की जरूरत है। दो प्राथमिकताओं की पहचान की गयी है:
इन प्राथमिकताओं के लिए कुछ विशिष्ट कार्यवाही की अवश्यकता होती है:
स्व-समीक्षा और विद्यालय विकास योजना पर नेतृत्व इकाइयां मौजूद हैं। उनमें स्व-समीक्षा तथा विकास नियोजन में मदद के लिए अधिक जानकारी और गतिविधियां दी गई हैं।
परिकल्पना (विज़न) का उद्देश्य है विद्यालय नेतृत्व को उन कार्यों की पहचान करने एवं उन्हें प्राथमिकता के क्रम में लगाने में मदद करना जिन्हें उनके नियोजन में शामिल होना चाहिए।
जब परिकल्पना की दिशा में बढ़ने के लिए कार्यों की पहचान हो जाए तो विद्यालय नेतृत्व टीम की जिम्मेदारी है कि वह उन कार्यों पर नज़र रखे और सुनिश्चित करे कि वे विद्यालय को सुधार के पथ पर अग्रसर करें। समीक्षा और नियोजन की नेतृत्व इकाइयों में, आपको प्रोत्साहित किया जाएगा कि आप नियोजन करना, कार्य करना और समीक्षा करना, इन को तीन चरणों के चक्र की दृष्टि से सोचें। सभी कार्यों की निगरानी होनी चाहिए और अगले वर्ष की नई योजना की तैयारी को सुनिश्चित करने के लिए प्रमाण एकत्र किए जाने चाहिए।
इस प्रक्रिया के भाग के रूप में, समय-समय पर यह आवश्यक होगा कि अपने परिकल्पना वक्तव्य को फिर से देखा जाए और सुनिश्चित किया जाए कि वह ‘उद्देश्य हेतु उपयुक्त’ बना हुआ हो। जैसे-जैसे विद्यालय में सुधार होगा या सरकारी नीतियां बदलेंगी, वैसे-वैसे नई प्राथमिकताएं उभरेंगी और आपको अपनी परिकल्पना में समायोजन करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
विद्यालय नेतृत्व के लिए समाज और अपने अध्यापकों के साथ प्रभावी रूप से कार्य करना बहुत महत्वपूर्ण है। लोगों से आप जो करवाना चाहते हैं उनसे वह कार्य करवाने के लिए थोड़े कौशल और समझाने-बुझाने की आवश्यकता हो सकती है। परंतु स्पष्ट और सर्वसम्मत परिकल्पना आपको हमेशा ही एक संदर्भ बिंदु प्रदान करेगा। यदि लोग इस बारे में सहमत न हों कि कौन से कार्य तत्काल आवश्यक हैं, तो उन पर परिकल्पना के परिप्रेक्ष्य में चर्चा की जा सकती है, और इससे प्राथमिकताएं स्पष्ट हो जाएंगी।
इस अंतिम केस स्टडी में, ध्यान दें कि श्री नागराजू परिकल्पना वक्तव्य बनाने तथा हितधारकों को उसकी निगरानी में जोड़ने से पहले कैसे मुख्य हितधारकों के साथ संबंध बनाते हैं।
श्री नागराजू को जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा स्थानांतरित कर एक छोटे से ग्रामीण माध्यमिक विद्यालय का नेतृत्व करने भेजा गया था। स्थानीय समाज की नज़र में विद्यालय का कोई विशेष सम्मान नहीं था क्योंकि पिछले विद्यालय प्रमुख ने उसके संसाधनों का गबन किया था। अगले विद्यालय नेता ने पाया कि समाज में जो अविश्वास का स्तर था वह बहुत ही तनावपूर्ण था और उसने मात्र दो वर्षों बाद वह नौकरी छोड़ दी। श्री नागराजू ने पाया कि विद्यालय के नेतृत्व का भार ग्रहण करने में उनका सामना एक बड़ी चुनौती से हुआ है।
अपने पहले सत्र में, श्री नागराजू ने सभी कुछ देखा और सुना। उन्होंने विद्यालय दिवस के दौरान विद्यालय में चहलकदमी की, प्रत्येक दिन की शुरूआत और अंत में विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ बातचीत की, और अध्यापकों एवं समाज के नेताओं की चिंताएं सुनीं। उन्होंने पाया कि लोगों का मनोबल बहुत गिरा हुआ था और वे इतने निराश थे कि परिकल्पना की प्रक्रिया को शुरू करना बहुत मुश्किल था।
उन्होंने निश्चय किया कि अध्यापकों को अपनी तरफ करना सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने उनकी चिंताओं को सुना और उनके जीवन को आसान बनाने के प्रयास किये, उदाहरण के लिए अलमारियों में बंद उपकरणों को उपलब्ध कराया, भाषा के विकास के लिए अपने लैपटॉप पर शिक्षकों को अंग्रेजी में काटर्नू की पेशकश की और दसवीं कक्षा के उन छात्रों के लिए, जिनके घर पर बिजली नहीं थी, सौर लैंपों की व्यवस्था की ताकि वे शाम में अध्ययन कर सकें। उनके कार्यकाल के पहले साल के अंत तक, परीक्षा परिणामों में सुधार हुआ।
विद्यालय में उनके कार्यकाल के दूसरे वर्ष के दौरान मनोबल में सुधार आया। अध्यापकों ने श्री नागराजू के सहयोग की प्रशंसा की और स्थानीय जनता की स्कूल में रूचि लगातार बढ़ती गई। दूसरे वर्ष के पहले सत्र के दौरान, उन्होंने अनेक बैठकें आयोजित की, जिनके फलस्वरूप परिकल्पना वक्तव्य की पहचान हुई। उन्होंने वक्तव्य के साथ एक प्रतीक चिन्ह तैयार किया और इसे स्कूल के दरवाजों पर लगा दिया। अगले सत्र के अंत तक, अध्यापकों तथा एसएमसी ने अनेक प्राथमिकताओं की पहचान की और विकास योजना लागू की गई।
परिकल्पना वक्तव्य स्कूल के आदर्श वाक्य से अधिक महत्वपूर्ण हो गया, यह निगरानी के लिए एक औजार बन गया। एसएमसी के दो सदस्यों के साथ श्री नागराजू ने एक तिमाही बैठक आयोजित की। माता-पिता को इसमें निमंत्रित किया गया और उम्र में बड़े छात्रों ने अधिकांश कार्यक्रम आयोजित किए। श्री नागराजू ने इन बैठकों का प्रयोग केवल यह पता लगाने के लिए किया कि दूरस्थ छात्र और माता-पिता स्कूल के सभी मामलों में किस प्रकार से शामिल रहते हैं, क्योंकि परिकल्पना का केंद्रबिंदु भी यही था। उन्होंने विभिन्न मामलों पर प्रवेश तथा निर्गम मत-सर्वेक्षण के साथ, बोतलों के ढक्कनों का प्रयोग करते हुए विशेष मामलों में माता-पिता की राय जानने के लिए एक अनूठे तरीके की शुरूआत की। उदाहरण के लिए, यदि अभिभावक गृहकार्य के स्तर से संतुष्ट थे तो वे अंदर आते समय एक डिब्बे में बोतल का एक ढक्कन डाल देते, या अगर उन्हें लगता कि वह बहुत कम है तो एक बाल्टी में या फिर अगर वह बहुत ज्यादा है तो दूसरी बाल्टी में डाल देते। बाहर जाते समय, अभिभावक अपने बोतलों के ढक्कनों को (जिन्हें इस दौरान विद्यार्थियों ने गिन कर लिख लिया था) को आगामी वर्ष की प्राथमिकता के लिए वोट करने हेतु कई लेबल लगे डब्बों में से एक में डाल देते।
चित्र 4 मतदान व्यवस्था।
![]() विचार कीजिए– इस इकाई में आपने जो सीखा है उस पर विचार करें। अपने विद्यालय और अपने आस-पास मौजूद लोगों के बारे में सोचें।
अपने उत्तरों को अपनी सीखने की डायरी में नोट करें। |
सफल विद्यालयों पर किए गए शोध से पता लगता है कि उनके प्रधानाध्यापकों/विद्यालय प्रमुखों के पास इस बारे में एक स्पष्ट परिकल्पना थी कि वे विद्यालय से क्या हासिल करवाना चाहते हैं। परिकल्पना वक्तव्य विद्यालय के आगे बढ़ने की दिशा का एक रोडमैप और विद्यार्थियों को सर्वश्रेष्ठ संभव शिक्षा देने हेतु एक ढांचा प्रदान करता है। प्रभावी परिकल्पना वक्तव्य सभी हितधारकों को शामिल करेगा और वह अध्यापकों, विद्यार्थियों और विद्यालय के आंगतुकों, सभी के लिए सुस्पष्ट होगा क्योंकि प्रयास उद्देश्यपूर्ण होंगे। अध्यापक और विद्यार्थी न केवल परिकल्पना को जानते और समझते हैं, बल्कि वे उसके कार्यान्वयन और उसकी सफलता के लिए प्रतिबद्ध भी होते हैं।
प्रभावी परिकल्पना का विकास करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और इसे एक समावेशी गतिविधि होना चाहिए जिसमें हर किसी को लगे कि वह इसमें शामिल है और उसकी राय ली गई है। हितधारकों को शामिल कर लेने से जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है, क्योंकि अगर हर व्यक्ति परिकल्पना में शामिल नहीं होगा तो वह एक अर्थहीन और प्रतिनिधित्व नहीं करने वाली गतिविधि बन जाएगा। अगर वे विद्यालय के परिकल्पना के विकास और उसकी निगरानी में एकजुट हों, तो विद्यार्थी, अध्यापक और अभिभावक साथ मिल कर बेहतर भविष्य की साझी आकांक्षा में एकजुटता महसूस कर सकते हैं।
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।