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सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का परिवर्तन: शिक्षकों के व्यावसायिक विकास का नेतृत्व करना

यह इकाई किस बारे में है

अध्यापकों की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: व्यावसायिक और सहृदय शिक्षक तैयार करने के लिए (एनसीएफटीई) (नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन, 2009) एक व्यावसायिक कार्यबल का विकास करने के महत्व पर जोर देती है। व्यावसायिक विकास एक जीवन-पर्यंत प्रक्रिया है और यह व्यावसायिक दक्षता का विकास करने में मुख्य तत्व है। डिस्ट्रिक्ट प्राइमरी एजुकेशन प्रोग्राम (डीपीईपी) और सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) ने सभी सार्वजनिक क्षेत्र के विद्यालय के शिक्षकों के लिए विकास क्षेत्र और समूह संसाधन केंद्रों के माध्यम से व्यावसायिक विकास प्रदान करने के लिए कई स्थल उपलब्ध कराए हैं। इसके अलावा, इनस्टीट्यूट्स ऑफ एडवांस्ड स्टडीज़ इन एजुकेशन (आईएएसई), कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन (सीटीई), द स्टेट कौंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च (एससीईआरटी), डिस्ट्रिक्ट इनस्टीट्यूट्स ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (डाइट) और कुछ गैर-सरकारी संगठन शिक्षकों के लिए सेवारत प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करते हैं। विकास न केवल सेवारत प्रशिक्षण के माध्यम से बल्कि प्रशिक्षक के नेतृत्व वाले वर्कशॉपों, क्लस्टर रिसोर्स सेंटर (सीआरसी) बैठकों, गलियारे में वार्तालाप, समकक्ष प्रशिक्षण, सामूहिक शिक्षा गतिविधियों आदि के माध्यम से भी किया जाता है।

एक विद्यालय प्रमुख के रूप में आपकी भूमिका में शिक्षकों को अपने कार्य (शिक्षक के व्यावसायिक विकास के नेतृत्व सहित) में सुधार करने के लिए सक्षम करना अव्यक्त रूप से शामिल होता है । यह काम सरल नहीं है क्योंकि इसमें ऐसी कुछ बाधाएं (बजट सहित) आती हैं जो आपके नियंत्रण में नहीं होती हैं। तथापि, आपके लिए विद्यालय-आधारित समर्थन रणनीतियों के माध्यम से शिक्षकों की प्रभाव को अधिकतम करने के अवसर उपलब्ध हैं, जिन पर इस इकाई में जोर दिया गया है।

अधिगम डायरी

इस इकाई में काम करने के दौरान आपसे अपनी अधिगम की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यदि आपने पहले से ही इसे शुरू नहीं किया है तो यह एक पुस्तक या फोल्डर है जिसमें आप विचारों और योजनाओं को एक स्थान पर एकत्र करके रख सकते हैं।

हो सकता है आप इस इकाई में अकेले काम कर रहे हों लेकिन यदि आप किसी अन्य विद्यालय प्रमुख के साथ अपने सीखने के बारे में चर्चा करने में सक्षम हैं तो आप इससे कहीं अधिक सीखेंगे। वह आपका कोई सहकर्मी जिसके साथ आप पहले से सहयोग कर रहे हैं या कोई और हो सकता है जिसके साथ आप नया संबंध बना रहे हैं। यह आयोजित की गई किसी गतिविधि के माध्यम से या अधिक अनौपचारिक आधार पर हो सकता है। अपनी अधिगम डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इसके लिए और साथ ही आपके सीखने और विकास का मानचित्रीकरण करने के लिए उपयोगी होंगे।

इस इकाई से विद्यालय प्रमुख क्या सीख सकते हैं

  • शिक्षकों का व्यावसायिक विकास विद्यालय के सुधार और छात्रों के सीखने के नतीजों को किस तरह से प्रभावित कर सकता है।
  • अपने व्यावसायिक विकास की जरूरतों का आकलन करने में आपके शिक्षकों की मदद करने के लिए कुछ अवधारणाएं।

  • सभी शिक्षकों के व्यावसायिक विकास की योजना बनाएं,उसकी निगरानी करें और उसे सक्षम करें।

1 शिक्षक विकास पर परिदृश्य

अध्यापन कोई स्थिर व्यवसाय नहीं है बल्कि प्रौद्योगिकी, सदैव बदलते ज्ञान, वैश्विक अर्थशास्त्र के दबावों और सामाजिक दबावों से प्रभावित होकर बदलता रहता है। इसका मतलब है कि इन परिवर्तनों को संबोधित करने के लिए अध्यापन के तरीकों और कौशलों का लगातार अद्यतन और विकास आवश्यक है। शिक्षकों का बदलाव की क्षमता से युक्त होना अनिर्वाय है।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ, 2005) के शैक्षणिक स्वप्न को हमारी कक्षाओं में शिक्षक साकार कर सकें, इसके लिए महत्वपूर्ण है कि शिक्षकों का व्यावसायिक विकास किया जाय जिसका दायित्व विद्यालय प्रमुख के कंधों पर है। नेशनल प्रोग्राम डिजाइन एंड करिकुलम फ्रेमवर्क (2014) का मुख्य क्षेत्र 3 विद्यालय प्रमुख की क्षमाताओं का विकास करके पढ़ाने–सीखने की प्रक्रिया को बच्चों पर केंद्रित रचनात्मक संलग्नता में रूपांतरित करने पर केद्रित है। इस तरह अपने विद्यालय में हर शिक्षक के सतत व्यावसायिक विकास (सीपीडी) को नियोजित करने, उसकी निगरानी करने और उसे सक्षम करने में विद्यालय प्रमुख की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

क्रिस्टोफर डे (1999) तर्क प्रस्तुत करते हैं कि शिक्षकों के व्यावसायिक विकास को एक जीवन-पर्यंत की गतिविधि के रूप में देखा जाना चाहिए जो उनके निजी और साथ ही व्यावसायिक जीवन पर और कार्यस्थल की नीति और सामाजिक सन्दर्भ पर ध्यान केंद्रित करती है। यह बात विद्यालय प्रमुख के ध्यान में रखने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ठीक जैसे छात्र हमेशा सीखते ही रहेंगे, शिक्षक भी वैसे ही हमेशा सीखते रहेंगे। इस बात का कोई अंतिम बिंदु नहीं होता जब सारा ज्ञान और कौशल प्राप्त हो चुके होंगे।

चित्र 1 विकास की जरूरतों पर चर्चा करते शिक्षक।

हालांकि केंद्रीयीकृत पाठ्यक्रमों में व्यावसायिक विकास प्रायः मौजूद होता है, विद्यालय-आधारित व्यावसायिक विकास के कई लाभ हैं और वह अपने व्यावसायिक विकास में लगे शिक्षकों को कई बाधाओं पर पार करने में मदद करता है जिन्हें केंद्रीयीकृत पाठ्यक्रम प्रदान नहीं कर सकते; उदाहरण के लिए:

  • शिक्षक-विशेष के व्यावसायिक विकास की जरूरतों को संबोधित करके

  • विद्यालय की विशिष्ट जरूरतों और विशेषताओं को संबोधित करके
  • विद्यालय के विकास के लिए विशिष्ट बिंदुओं के साथ समायोजित होकर
  • एक साथ काम करने वाले शिक्षकों के समूह को लेकर क्षमता और कौशलों के निर्माण को आसान बनाकर
  • अध्यापन की समयसारणी में व्यवधानों को कम करके, क्योंकि शिक्षक पढ़ाते समय अपने व्यावसायिक विकास पर काम कर सकते हैं
  • छात्रों के सीखने के बारे में तत्काल प्रतिक्रिया की संभावना प्रदान करके, क्योंकि व्यावसायिक विकास कक्षा में हो सकता है
  • विद्यालय प्रमुख को व्यावसायिक विकास की गुणवत्ता और ध्यान देने पर अधिक नियंत्रण देकर।

यह इकाई विद्यालय-आधारित उन गतिविधियों के माध्यम से माध्यमों से सेवारत शिक्षकों के विकास पर जोर देती है जो प्रभावी सीखने और अध्यापन की प्रक्रिया तथा साथ ही सारे विद्यालय के सुधार को प्रोत्साहित करती हैं।

अगली गतिविधि का लक्ष्य आपकी यह सोचने में कि अध्यापन की परिपाटी में किन परिवर्तनों की जरूरत पड़ सकती है और एन0सी0एफ0टी0ई0 (2009) के मार्गदर्शन में, व्यावसायिक विकास के पाठ्यक्रमों अथवा विद्यालयी व्यावसायिक विकास में से किसी एक को चुनने में मदद करना है।

गतिविधि 1: एनसीएफटीई (2009) की समीक्षा

एनसीएफटीई (2009) का अध्याय 3 (‘पाठ्यचर्या का उपयोग करना और विकासशील शिक्षक का मूल्यांकन करना) अध्यापकों की शिक्षा की वर्तमान प्रथा और यह कैसे अधिक प्रक्रिया-आधारित बन सकती है, इस बात की पहचान करता है। एनसीएफटीई में पहचानी गई कुछ विशेषताओं पर नज़र डालें जिनका वर्णन चित्र 2 में किया गया है। रेखा पर उस जगह निशान लगाएं जहाँ आपके अनुसार आपका विद्यालय शिक्षकों के विकास के संबंध में अधिकतर काम करता है: क्या यह अधिकतर बायीं ओर है या अधिकतर दायीं ओर है? यह याद रखें कि यह गतिविधि करते समय शिक्षकों पर छात्रों की तरह नहीं, बल्कि सीखने वालों की तरह ध्यान केंद्रित करना हैं।

चित्र 2 एक सातत्यक पर एनसीएफटीई की विशेषताएं।

Discussion

चर्चा

इस गतिविधि का लक्ष्य यह चिंतन शुरू करने में आपकी मदद करना था कि आपका विद्यालय वर्तमान में एनसीएफटीई (2009) में स्पष्ट और अनुशंसित की गई परिपाटियों की दिशा में किस हद तक काम कर रहा है ताकि ‘चिंतन-मनन की परिपाटी को अध्यापक की शिक्षा का मुख्य लक्ष्य’ बनाया जा सके और इस बात को मान्यता प्रदान की जा सके कि ‘अध्यापन से संबंधित ज्ञान को शिक्षक द्वारा अपनी परिपाटियों पर आलोचनात्मक चिंतन के माध्यम से विविध संर्दभों में विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार अनुकूलित करना होगा’ (पृ. 19-20)। आदर्श रूप से आपके सभी अंकों को बाएं हाथ की ओर होना चाहिए जहाँ सीखने की प्रक्रिया सक्रिय और पारस्परिक क्रियात्मक है। वास्तविकता यह हो सकती है कि आपके अंक दायीं ओर या मध्य में हैं। यह आपको आगे बढ़ने (और चर्चा) के लिए दिशा प्रदान करता है।

एक विद्यालय प्रमुख के रूप में आप विद्यालय के सुधार के लिए और छात्रों के सीखने के परिणामों और स्टाफ के विकास के लिए जिम्मेदार हैं। आदर्श रूप से, आप अपने शिक्षकों के साथ अध्यापन करने के उनके दैनिक अनुभव के माध्यम से उनके ज्ञान को इस तरह विकसित करने के लिए काम करेंगे कि जिससे आपके शिक्षकों को अपने ज्ञान और कौशलों को एक खुलेपन के साथ साझा करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है ताकि वे एक दूसरे का अवलोकन कर सकें एक साथ और पाठ्यचर्या के अनेकों स्थानों (खेत, कार्यस्थल, घर, समुदाय और मीडिया) पर मुद्दों पर चर्चा कर सकें।

इसे सुगम करने के लिए, एक विद्यालय नेता होने के नाते, आपको उपयुक्त सुरक्षित ‘स्थान’ बनाने की जरूरत पड़ेगी जहाँ शिक्षकों को महसूस हो कि वे अपने अनुभव साझा कर सकते हैं, और जहाँ प्रयोग करने को प्रोत्साहन मिलता हो और अवधारणाओं की कद्र होती हो।

2 शिक्षकों की व्यावसायिक अधिगम और विकास (पीएलडी)

व्यावसायिक अधिगम और विकास (पीएलडी) का संबंध किसी भी व्यक्ति की अपने काम या प्रैक्टिस से संबंधित ज्ञान और कौशल अर्जित करने की क्षमता से, या जानकारी की तलाश करने और अपने व्यावसायिक क्षेत्र में स्वयं को सुविज्ञ बनाए रखने से है।

नेशनल कौंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीएफटीई, 2009, पृ. 64-5) के अनुसार, शिक्षकों के पीएलडी के लिए मुख्य लक्ष्य हैं:

  • अपनी खुद की परिपाटी का अन्वेषण, उस पर चिंतन-मनन और विकास करना
  • अपने शैक्षणिक अनुशासन या विद्यालयी पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों के बारे में अपने ज्ञान को गहन करना और अद्यतित करना
  • विद्यार्थियों और उनकी शिक्षा पर शोध और चिंतन करना
  • शैक्षणिक और सामाजिक मुद्दों को समझना और अद्यतित करना
  • शिक्षा/अध्यापन से व्यावसायिक रूप से जुड़ी अन्य भूमिकाओं के लिए तैयारी करना, जैसे अध्यापकों की शिक्षा, पाठ्यचर्या विकास या परामर्श
  • बौद्धिक अलगाव से बाहर निकलना और कार्यस्थल में अन्य लोगों, विशिष्ट विषयों के क्षेत्र में काम कर रहे शिक्षकों और शिक्षाविदों और साथ ही निकटतम वृहत्समाज में बुद्धिजीवियों के साथ अनुभव और अंतदृर्ष्टियाँ साझा करना।

एससीईआरटी DIETs के साथ मिलकर शिक्षकों के लिए अधिकांश (यदि सभी नहीं तो) आधिकारिक पीएलडी उपलब्ध कराने के लिए काम करता है। यह काम आम तौर पर विशेष रूप से आयोजित कार्यशालाओं में किया जाता है जहाँ व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक होती है। यह प्रशिक्षण समस्यापूर्ण हो सकता है क्योंकि यह केवल सामान्य मुद्दों को ही संबोधित कर सकता है और कई बार प्राथमिक रूप से नई नीति और हस्तक्षेप की जानकारी देने के मार्ग का काम करता है।

आपके शिक्षकों के कौशलों के स्तर और विकास की जरूरतें भिन्न होती हैं। उनकी अलग–अलग अभिप्रेरणाओं और विशेषताओं का मतलब यह भी होगा कि आपको उन्हें पीएलडी के साथ संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु अलग-अलग तरीकों का उपयोग करना पड़ेगा। (नीचे प्रस्तुत) श्रीमती गुप्ता का उदाहरण एक ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जिसे स्पष्ट रूप से कुछ पीएलडी की जरूरत है लेकिन जो हो सकता है जुड़ने होने को तैयार न हो। श्रीमती गुप्ता आपको किसी परिचित व्यक्ति जैसी लग सकती हैं। इस केस स्टडी का उपयोग गतिविधि 3 में किया जाएगा।

केस स्टडी 2: श्रीमती गुप्ता का अध्यापन

श्रीमती गुप्ता 16 वर्षों से एक ही प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका हैं। उन्हें अपनी प्रदर्शन की गई वस्तुओं, घर से कागज लाने और कैंची, गोंद, स्टेंसिल और ड्राइंग पिन से भरे एक विशेष डिब्बे पर बड़ा गर्व है। उनकी कक्षा में प्रदर्शन की सर्वोत्तम वस्तुएं हैं जिन्हें वे दो ‘सक्षम’ लड़कियों के साथ मिलकर संयोजित करती हैं। जब भी कभी अभिभावक और अन्य आगंतुक उन प्रदर्शनों को देखते हैं तो प्रायः प्रशंसा करते हैं। उन्हें ऐसी प्रशंसा पाकर बड़ा गर्व होता है।

सामान्यतः, श्रीमती गुप्ता को अपना काम पसंद है लेकिन उन्हें विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के कुछ अध्याय पसंद नहीं हैं जिन्हें वे इसलिए पढ़ाना नहीं चाहती हैं क्योंकि वे सिद्धांत और विषय-वस्तु के बारे में अनिश्चित हैं। कभी-कभी वे अध्यापन से कुछ ऊब सी जाती हैं लेकिन सामान्य तौर पर उन्हें छात्रों से संपर्क में रहना पसंद है, खास तौर पर मेधावी छात्रों के साथ जिन्हें वे कक्षा में सामने बैठने को कहती हैं; वे अपने ‘पसंदीदा’ छात्र रखने की बात से शर्मिंदा नहीं महसूस करती हैं। वे कक्षा में पीछे बैठने वाले कम सक्षम छात्रों पर अधिक ध्यान नहीं देती हैं, और जब कभी फसल कटने के दिनों में हाजिरी कम रहती है तो यह सोचकर राहत महसूस करती हैं कि उन्हें कम छात्रों का सामना करना होगा।

श्रीमती गुप्ता ने कभी-कभार DIET में प्रशिक्षण कार्यशालाओं में भाग लिया है, लेकिन यदि संभव हो तो उन्हें टालने का प्रयत्न करती हैं। वे यात्रा करना या ऐसी जगहों पर जाना पसंद नहीं करतीं जहाँ उनकी पहचान के लोग न हों। वे अन्य सहकर्मियों की व्यक्तिगत स्तर पर सहायता करती हैं लेकिन अध्यापन की परिपाटी के बारे में वार्तालापों या विद्यालय में सुधारों के बारे में वृहत् चर्चाओं में वास्तव में संलग्न नहीं होती हैं। वे बस अपनी कक्षा को पढ़ाने के लिए विद्यालय आती हैं और फिर अपने परिवार की देखभाल करने के लिए घर चली जती हैं। वे अपने खाली समय में अच्छी नर्तकी हुआ करती थीं; अब वे एक अन्य विद्यालय में सप्ताह में एक बार निजी रूप से नृत्य की शिक्षा प्रदान करती हैं। एक वर्ष उन्होंने अंतिम वर्ष के छात्रों के साथ एक नृत्य प्रदर्शन का आयोजन किया था, लेकिन अब उन्हें वह काम अकेले करना बहुत भारी लगता है।

गतिविधि 2: व्यावसायिक विकास के बारे में वार्तालाप की योजना बनाना (सी.पी.डी)

विचार करें कि एक विद्यालय प्रमुख के रूप में आप सीपीडी की अवधारणा का परिचय देने के लिए श्रीमती गुप्ता के साथ वार्तालाप कैसे करेंगे। स्पष्ट है कि आप श्रीमती गुप्ता को नहीं जानते, लेकिन हो सकता है आप उन जैसे अन्य शिक्षकों को जानते हों। उनसे उनकी समता कि वे शिक्षक के रूप में कैसे विकास कर हो सकती हैं इस बारे में उनसे बात करने की कल्पना करें। अपनी वार्तालाप डायरी में नोट्स बनाएं।

  1. उनकी विकास की जरूरतों के बारे में आप चर्चा कैसे शुरू करेंगे?
  2. आप उनकी किन क्षमताओं, और कमज़ोरियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे?
  3. आपके विचार से उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
  4. सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे?

संसाधन 1 में दिए गए टेम्प्लेट को देखें। सोचें कि इसका उपयोग श्रीमती गुप्ता के संदर्भ में कैसे किया जा सकता है। किस प्रकार के मुद्दे और अवधारणाएं उत्पन्न हो सकती हैं और अपनी टिप्पणियों को आप किन खंडों में दर्ज करेंगे?

आपके लिए संसाधन 2, ‘कथावाचन, गीत, रोल प्ले और नाटक भी उपयोगी हो सकता है जो उन वैकल्पिक पद्धतियों से संबंधित है जिनका उपयोग पढ़ाने में किया जा सकता है – श्रीमती गुप्ता स्पष्ट रूप से बहुत रचनात्मक व्यक्ति हैं और यदि उनकी इस रचनात्मकता का उपयोग अधिक पाठों में किया जा सके तो छात्रों को इससे बहुत लाभ हो सकता है। ये मुक्त शैक्षिक संसाधन (ओईआर) से संलग्न मुख्य संसाधन अलग अलग विषयों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं और पीएलडी के बारे में चर्चाओं के लिए उपयोगी साधन बन सकते हैं। आप इन नोट्स पर अगली गतिविधि में लौटेंगे, जब पीएलडी गतिविधियों के नियोजन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

Discussion

चर्चा

हो सकता है कि आपके विद्यालय की संस्कृति ही ऐसी है कि जिससे आपके पास पहले से ही नियमित व्यावसायिक समीक्षाएं या मूल्यांकन होते रहते हैं जिनमें आप स्टाफ के साथ व्यक्तिगत रूप से उनकी व्यावसायिक परिपाटी पर चर्चा करते हैं और उनकी भावी व्यावसायिक विकास के लिए लक्ष्य की पहचान कर सकते हैं। इसलिए संभव है कि आपके शिक्षक इस प्रकार के वार्तालाप के अभ्यस्त होंगे। तथापि, इस बात की बड़ी संभावना है कि शायद आप इस प्रकार का वार्तालाप पहली बार कर रहे हैं।

आपके शिक्षकों के व्यावसायिक जीवन को बेहतर समझने के लिए हर शिक्षक के साथ बैठक की योजना बनाना बहुत उपयोगी होगा जिसमें आप उनकी अधिगम जरूरतों, हितों और अपेक्षाओं पर चर्चा कर सकें। यह वार्तालाप व्यावसायिक लेकिन अनाक्रामक ढंग से संचालित करना चाहिए, ताकि एक उपयोगी चर्चा संभव हो जो आपके शिक्षकों के व्यावसायिक जीवन के बारे में जानने में आपकी मदद करे। हो सकता है श्रीमती गुप्ता जैसे व्यक्ति को वार्तालाप में संलग्न करने के लिए मनाने और आश्वासित करने की जरूरत पड़े, लेकिन आप ऐसी शक्तियों की पहचान कर सकते हैं जो बातचीत का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं। ये प्रारंभिक वार्तालाप और रिकार्ड विकास की गतिविधियों के लिए भविष्य में सहायता और नियोजन का आधार बन सकते हैं: वे उन जारी रहने वाले वार्तालापों की शुरूआत हैं जिनका मकसद, आदर्श रूप से, शिक्षकों को स्वयं अपने विकास का दायित्व लेने के लिए प्रेरित करना है।

इन वार्तालापों को आपके द्वारा किए गए पाठों के प्रेक्षणों, या आपके द्वारा की गई किसी भी अन्य अवलोकन प्रक्रिया के साथ जोड़ा जा सकता है।

समय के साथ, विद्यालय पीएलडी चक्र के नियमित भाग के रूप में समकक्ष प्रेक्षण और पाठ समीक्षा आरंभ कर सकता है, जिसमें सहकर्मी उस प्रमाण में योगदान देते हैं जिसका उपयोग मूल्यांकन से संबंधित वार्तालापों में किया जाता है।

3 शिक्षकों के पीएलडी के मॉडल

हालांकि, पीएलडी को प्रायः बनाया तथा उसका प्रबंध किया जाता है, यह औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीकों से किया जा सकता है। इसे व्यक्तिगत रूप से, छोटे समूहों में या बड़े पैमाने पर किया जा सकता है, और इसमें क्रिसात्मक शोध/एक्शन रिसर्च परिपाटी पर चिंतन-मनन, मार्गदर्शन और समकक्ष प्रशिक्षण जैसे तरीके शामिल हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि अनौपचारिक सीखने की प्रक्रिया को आपके विद्यालय में सुसंरचित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के रूप में महत्व और मान्यता दी जाए ताकि सुनिश्चित हो कि विकास के अवसरों की पूरी शृंखला का उपयोग हो सके।

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) – टीवी, रेडियो और इंटरनेट सहित – ज्ञान सुलभ कराने, या महत्वपूर्ण और नई जानकारी के वृहत्प्रसार के लिए उपयोगी है। आईसीटी संबंधित विशेषज्ञों के साथ संपर्क करने और जानकारी प्राप्त करने में भी आपके शिक्षकों की मदद करेगी। इंटरनेट आप और आपके स्टाफ को मुफ्त संसाधनों (जिनमें से कई, TESS INDIA सहित, ओईआर के रूप में ऑनलाइन वितरित किए जाते हैं) और नेशनल कौंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग में सेंट्रल इनस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल टेक्नोलॉजी (CIET) द्वारा समन्वयित मुक्त शैक्षिक संसाधन के राष्ट्रीय भंडार (एनआरओईआर) का उपयोग करके आपके विद्यालय में व्यावसायिक विकास में लगाने का अवसर प्रदान करता है। इन ऑनलाइन संसाधनों के लिए लिंक इस इकाई के अंत में पाए जा सकते हैं।

कक्षाओं में पीएलडी गतिविधियों को अध्यापन और सीखने की प्रक्रिया को सुधारने का प्राथमिक साधन होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि शिक्षकों को अपनी कक्षा की परिपाटी पर चिंतन करने और उसे सुधारने के लिए समय और जगह दी जाय। सभी शिक्षक, चाहे वे कितने ही प्रभावी क्यों न हों, दूसरों की अच्छी परिपाटी को देखकर बहुत कुछ सीखेंगे। यह प्रायः विद्यालय में ही उपलब्ध लेकिन ‘अदृश्य’ हो सकता है यानी हो सकता है स्टाफ को पता न हो कि किसे देखना चाहिए या किसकी परिपाटी से वे लाभान्वित हो सकते हैं। इस तरह नेतृत्व की प्रायः ‘अदृश्य’ उत्तम परिपाटी को स्टाफ के लिए अधिक दृश्य बनाने और इस प्रकार अन्य लोगों के लिए उसे मूल्यवान बनाने में मदद करने का वाहक बनना शामिल हो सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि आप समझें कि विद्यालय में उत्तम परिपाटी कहाँ विद्यमान है और आप इसका उपयोग सारे शिक्षक समुदाय के लाभ के लिए करने में सक्षम हों। इस प्रक्रिया में पहला कदम है हर एक शिक्षक की अपनी परिपाटी के बारे में प्रभावशाली सीखने वाला बनने में मदद करना और उसे सुधारने के लिए कदम उठाने में सशक्त महसूस करना।

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे शिक्षक कक्षा में सीख सकते हैं, जिनमें से सभी स्थिति अनुसारन अधिगम प्रक्रिया (सिचुएटेड लर्निंग) पर आधारित हैं – जहाँ शिक्षक या तो कुछ नई चीज आजमाता है या किसी ऐसी चीज को अनुकूलित करता है जो वह पहले से करता आया है। शिक्षकों को स्वयं के लिए नई अवधारणाओं को आजमाने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास की जरूरत होती है, और स्वीकार करना होता है कि वह कभी-कभी गलत हो सकती है; फिर उन्हें यह सोचने के लिए अवसर की आवश्यकता होती है कि क्या हुआ था और वह गलत क्यों हुआ, ताकि वे अपने काम को आगे संशोधित कर सकें। स्थिति अनुसारन अधिगम (सिचुएटेड लर्निंग) को कई तरीकों से आयोजित और समर्थित किया जा सकता है; ये तरीके नीचे सूचीबद्ध हैं।

विद्यालय-आधारित पीएलडी गतिविधियाँ

  1. क्रिसात्मक शोध/एक्शन रिसर्च, जहाँ शिक्षक दिलचस्पी या चिंतन के किसी विशिष्ट क्षेत्र को जानने का निश्चय करता है, अपने काम को विकसित करने के लिए कक्षा में नया तरीका आजमाता है, तथा छात्रों के व सीखने पर उसके प्रभाव पर विचार करता है, और फिर समीक्षा करता है कि आगे क्या किया जाना है। क्रिसात्मक शोध/एक्शन रिसर्च चक्रीय होता है, क्योंकि अगले कदमों को पहचानने का अंतिम चरण अगली नई अवधारणा का अन्वेषण करने के लिए प्रेरणा प्रदान करता है (देखें संसाधन 3)।

  2. सीखने की सहयोगात्मक प्रक्रिया, जहाँ शिक्षक अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर तुलना करके अभ्यास को साझा, और योजनाएं विकसित करके सीखेंगे। इसका आयोजन अभ्यास के एक विशेष पहलू को संबोधित करने के लिए करना चाहिए (उदा. विद्यालय भर में आकलन की समीक्षा के लिए कोई कार्यकारी समूह)।
  3. टीम में अध्यापन, जहाँ दो शिक्षक किसी पाठ या पाठों की शृंखला को प्रस्तुत करने के लिए अपने संयोजित कौशलों का उपयोग साथ मिल कर करते हैं ताकि उनकी विविधता, गति, छात्रों पर संकेंद्रन, नवीनता और प्रयोग प्रदर्शन में वृद्धि हो और वे एक दूसरे से सीखें या मिलकर नए तरीके आजमाएं।
  4. अभ्यास पर चिंतन-मनन, एक अकेली गतिविधि हो सकता है अथवा अन्य लोगों के साथ भी साझा किया जा सकता है जिसमें किसी सहकर्मी द्वारा या समूह में प्रश्न पूछकर विचारों को प्रेरित किया जाता है। चिंतन-मनन को प्रेरित करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है सहकर्मियों द्वारा पाठ के बारे में व्यक्त किए गए विचारों पर चर्चाएं।
  5. शिक्षक नेटवर्क विद्यालय-आधारित नेटवर्क और विद्यालय-ट्विनिंग भागीदारी में हिस्सा लेना वे अन्य तरीके हैं जिनसे शिक्षकों को अपने अनुभवों को साझा करने, समस्याओं पर चर्चा करने, अपने समकक्ष समूह की अवधारणाओं से संपर्क में आने, और भविष्य के लिए चिंतन-मनन तथा योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। आप इसका अन्वेषण आपने विद्यालय के पास स्थित विद्यालयों के अन्य विद्यालय प्रमुखों के साथ कर सकते हैं।.

TESS- INDIA विषय इकाइयाँ अध्यापकों को अपने अध्यापन और छात्रों की सीखने की प्रक्रिया के अलग अलग पहलुओं पर मिलकर या वैयक्तिक रूप से काम करने के कई अवसर प्रदान करती हैं। TESS-INDIA मुख्य संसाधन निम्नलिखित विषयों पर विकास गतिविधियों के लिए बढ़िया संर्दभ बिंदु भी प्रदान करते हैं:

  • प्रगति और कार्यप्रदर्शन का आकलन करना
  • अवलोकन करना और प्रतिक्रिया देना
  • कथावाचन, गीत, रोल प्ले और नाटक
  • स्थानीय संसाधनों का उपयोग करना
  • जोड़ी में कार्य का उपयोग करना
  • समूहकार्य का उपयोग करना
  • पाठों का नियोजन करना
  • चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना
  • सीखने के लिए बातचीत करना
  • सभी को शामिल करना।

आप देखेंगे कि सीखने के इन सभी उदाहरणों में, शिक्षक (अकेले या सहकर्मियों के साथ मिलकर) विकास के क्षेत्र की पहचान करता है और फिर सीखने के नियोजन और संलग्नता में शामिल होता है। दूसरे शब्दों में, यह ऐसा कुछ नहीं है जो उन पर किया जाता है, बल्कि ऐसा कुछ है जो उन्हें स्वयं में सुधार करने के लिए सशक्त करता है। इसका यह मतलब नहीं है कि एक नेता के रूप में आपके पास विकास से संबंधित जरूरतों को दिखाने या सुझाने का अवसर नहीं है, लेकिन यह काम मिलकर सीखने में सहभागिता और आपसी सहयोग करने की भावना के साथ किया जाना चाहिए। एक विद्यालय प्रमुख होने के नाते आप शिक्षकों और छात्रों, दोनों के सीखने में सक्षमकारक के रूप में काम करते हैं।

गतिविधि 3: सीखने के अवसरों की पहचान करना

गतिविधि 2 में श्रीमती गुप्ता के बारे में अपने विचार से उपरोक्त पाँच प्रकार की पीएलडी अधिगम प्रक्रियाओं का उपयोग करते हुए उन पीएलडी गतिविधियों का चुनाव करें जो श्रीमती गुप्ता कर सकती है। आप चाहें तो उनके लिए सक्रिय शिक्षण, परिपाटी पर चिंतन, वैयक्तिक शिक्षा, सामूहिक शिक्षण के भाग के रूप में शिक्षा, और/या किसी समकक्ष या विद्यालय प्रमुख द्वारा प्रशिक्षण के विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। केस स्टडी के लिए आपके पास उपलब्ध जानकारी की सीमित मात्रा से लाचार न महसूस करें: जब आप उनके विकास के तरीके सुझाएं तब आप उसे विस्तृत कर सकते हैं, या वे आपको किसी सहकर्मी की याद दिला सकती हैं, इसलिए आप यह गतिविधि उस व्यक्ति और अपने विद्यालय को ध्यान में रखते हुए कर सकते हैं।

अपनी अधिगम की डायरी में किसी उपयुक्त गतिविधि के बारे में कुछ नोट्स बनाएं।

Discussion

चर्चा

आपने संभवतः श्रीमती गुप्ता द्वारा विद्यालय में अपने कौशलों को विकसित करने के लिए कई अवसरों के बारे में सोचा है। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आपने सुझाया हो कि वे किसी अधिक आश्वस्त शिक्षक का अवलोकन करें, विज्ञान के वे कठिन पाठ पढ़ाएं, या कि ज्ञान के अंतरों को भरने के लिए किसी विज्ञान के शिक्षक द्वारा प्रशिक्षित की जाए। संभव है आपने यह भी सुझाव दिया हो कि अगले सत्र में विद्यालय में एक नृत्य सप्ताह आयोजित होना चाहिए जिसमें पाठों को इस विषय के इर्दगिर्द तैयार किए जाए (शरीर रचना शास्त्र, साहित्य, ज्यामिति, संगीत आदि) और इसका नेतृत्व करने के लिए श्रीमती गुप्ता से कहा जाय। साथ ही, आप श्रीमती गुप्ता के किसी पाठ को देखने और फिर उन्हें कक्षा में सामने और पीछे बैठने वाले छात्रों की संलग्नता के विभिन्न स्तरों की रिपोर्ट देना तय कर सकते हैं।

बहुस्तरीय कक्षाओं की चुनौतियों और समाधानों के बारे में वार्तालाप को विस्तृत करके सारे स्टाफ को समूह के रूप में उसमें शामिल किया जा सकता है, क्योंकि यह सभी के लिए विकास का अवसर हो सकता है। श्रीमती गुप्ता अपने आस-पास के सहकर्मियों का उपयोग करते हुए, चाहे काम करके या अपने खुद के समाधानों की खोज कर अपने विद्यालय के दिन के हिस्से के रूप में अपनी अध्यापन परिपाटी को ताज़ा और सशक्त बना सकती हैं तथा अपने छात्रों की अधिगम प्रक्रिया को समृद्ध कर सकती हैं। आपने यह भी नोट किया होगा कि श्रीमती गुप्ता प्रदर्शन की वस्तुएं बनाने में माहिर हैं और कि वे इन कौशलों को विकासित करने में अन्य शिक्षकों की मदद करने की भूमिका भी निभा सकती हैं। मुख्य बात है प्रेरणा और यही कारण है कि जरूरतों की पहचान करने और उन्हें पूरा करने के लिए योजना बनाने के लिए श्रीमती गुप्ता के साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है – वे अधिक उत्साह से संलग्न होंगी यदि उन्हें उनकी क्षमताओं और जरूरतों के बारे में चर्चाओं में शामिल किया जाय और वे प्राथमिकताओं और अवसरों पर सहमत हों।

श्रीमती गुप्ता ऐसी शिक्षक हैं जिनके साथ काम करना खास तौर पर चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि वे विद्यालय में सुस्थापित हैं और इसलिए उनके लिए अपने पीएलडी में दिलचस्पी लेना आवश्यक नहीं है। लेकिन वे विश्वसनीय क्षमताओं से युक्त हैं जो विद्यालय के लिए उपयोगी हैं और जिनका सम्मान करना जरूरी है। उनके पीएलडी के बारे में वार्तालाप को क्षमताओं और जरूरतों को संबोधित करने के बीच संतुलित करना होगा – सभी जरूरतों को एक ही बार में संबोधित करना आवश्यक नहीं है।

आपके पास कई ऐसे शिक्षक होंगे जो सीखने और सुधार करने के अवसर का लाभ उठाते हैं और वे अपने पीएलडी में आपकी दिलचस्पी का स्वागत करेंगे।

गतिविधि 4: एक कार्यवाही योजना बनाएं

एक विद्यालय प्रमुख के रूप में आपने श्रीमती गुप्ता के लिए जरूरतों और अवसरों की पहचान करने के लिए काम किया है। अब आपको अपने खुद के स्टाफ और विद्यालय पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ऐसे एक या दो शिक्षकों के साथ काम करें जो अपने पीएलडी के बारे में उत्साही हो और सम्भावना है कि वे उनकी मदद करने में आपकी दिलचस्पी लेने से से प्रेरित होगें। प्रत्येक शिक्षक के लिए, गतिविधि 2 (संसाधन 1 के टेम्प्लेट का उपयोग करते हुए) और गतिविधि 3 (अवसरों की पहचान करना) में पहचानी गई प्रक्रिया में से गुजरें, और फिर योजना बनाने के लिए उनमें से प्रत्येक के साथ काम करें। संसाधन 4 में एक टेम्प्लेट है जिसका उपयोग आप योजना बनाने के लिए कर सकते हैं।

बहुत अधिक कार्यों का निर्धारण न करें; अधिकतम चार या पाँच ठीक रहेंगे। उन्हें बहुत अधिक जटिल न बनाएं क्योंकि आपको इसे अपने अन्य दायित्वों से साथ-साथ संयोजित करना होगा। याद रखें कि पीएलडी एक सतत प्रक्रिया है और इसलिए आपके शिक्षक साल दर साल विकास कर सकते हैं।

आप चाहें तो स्टाफ की बैठक में एक सत्र आयोजित कर सकते हैं जिसमें इस विचार का परिचय दे सकते हैं और पहली पीएलडी चर्चाओं के लिए स्वैच्छिक व्यक्तियो से पूछ सकते हैं, या आप चाहें तो इसे अनौपचारिक ढंग से कर सकते हैं। लेकिन किसी भी तरीके से, आपको एक योजना बनानी होगी कि आपके विद्यालय के समस्त स्टाफ के लिए पीएलडी की प्रणाली आप कैसे शुरू करेंगे। आप इसे आगे ले जाने में मदद करने के लिए दो स्वैच्छिक व्यक्तियो चुन सकते हैं। आपके द्वारा बनाई गई योजना में चुनौती का तत्व होना चाहिए, ताकि वह शिक्षक को अपनी क्षमता से अधिक करने को प्रोत्साहित करे और इस तरह नई दिशा प्रदान करे। लेकिन योजना को वास्तविक समय के ढांचे में साध्य और व्यवहार्य भी होना चाहिए। यह आवश्यक है कि हर लक्ष्य सभी छात्रों के लिए सीखने के परिणामों को सुधारने के उद्देश्य पर आधारित हो।

Discussion

चर्चा

ऐसी विधि के विद्यालय की आम परिपाटी में शामिल हो जाने के बाद, पीएलडी का समग्र विचार स्थापित हो जाएगा, और तब विद्यालय में हर व्यक्ति अपने आप को सह-विद्यार्थी के रूप में देखने लगेगा। अपने विद्यालय में पीएलडी की सामान्य समझ से, आप अवसरों की तलाश करने के लिए जोड़ियों या समूहों के लिए चर्चाएं प्रत्यायोजित कर सकेंगे, ताकि विशेषज्ञता को साझा करने और सह-विकास की संस्कृति का विकास हो सके। यदि न केवल शिक्षक, बल्कि स्टाफ के हर सदस्य को अपने खुद के विकास में शामिल किया जा सकता हो, तो छात्र भी समझेंगे कि सारे जीवन भर सीखना कितना महत्वपूर्ण होता है। यह विद्यालय के चरित्र में परिवर्तन करता है।

4 विकास-संबंधी गतिविधियों का रिकार्ड रखना

विद्यालय प्रमुख होने के नाते आपके स्टाफ की विकास-संबंधी गतिविधियों का रिकार्ड रखना महत्वपूर्ण है। यह स्टाफ के कार्यप्रदर्शन का समर्थन और उसे समृद्ध करके छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को सुधारने की आपकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। संसाधन में सुझाई गई रिकार्डिंग शीटों के समान शीटों, और साथ ही प्रशिक्षण के दिनों में हाजिरी के रिकार्डों का उपयोग करके, आप न केवल हर शिक्षक की प्रगति, बल्कि विद्यालय में सुधार के संबंध में आपके द्वारा उठाए गए कदमों पर भी निगरानी रखेंगे।

हर शिक्षक का भी यह दायित्व है कि वह अपने स्वयं के विकास का रिकार्ड रखे। यह प्रायः भाग लिए गए पाठ्यक्रमों की तारीखों सहित सूची होती है, लेकिन इसमें विद्यालय के भीतर की गई उन पीएलडी गतिविधियों के रिकार्ड का शामिल होना आवश्यक नहीं है, जिनमें उन्होंने भाग लिया है। अधिगम या पोर्टफोलियो रखना ऐसा करने का एक तरीका है। ऐसा करने का मतलब न केवल यह है कि शिक्षक स्वयं अपनी प्रगति की जानकारी रख सकता है, बल्कि वह अपने सुधरते अभ्यास के प्रमाण के लिए अपने रिकार्ड देख सकता है और व्यावसायिक विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर सकता है।

इस बारे में जानने के लिए नीचे दिया गया केस स्टडी पढ़ें कि एक शिक्षक कैसे अपने व्यावसायिक विकास के रिकार्ड रखता है और कैसे वह उनका उपयोग न केवल अपनी चिंतन प्रक्रिया के भाग के रूप में बल्कि याद रखने और समीक्षा करने के तरीके के रूप में भी करता है। वह अधिकांश दिनों में अपनी अवधारणाओं के नोट्स बनाता है और जब उसे अन्य लोगों को अपने पीएलडी का प्रमाण प्रस्तुत करना होता है तब अपने रिकार्डों का उपयोग करता है।

केस स्टडी 2: श्री कपूर अपने विद्यालय-आधारित पीएलडी का रिकार्ड रखते हैं

श्री कपूर को पढ़ाना अच्छा लगता है। उनके पिता और चाची शिक्षक थे और वे महसूस करते थे कि पढ़ाना उनके खून में है। योग्यता प्राप्त करने के बाद उन्होंने एक गरीब शहरी क्षेत्र में मध्यम-आकार के एक विद्यालय में पढ़ाना शुरू किया। दो वर्ष बीत जाने के बाद, उन्हें लगा कि उन्हें कुछ नई अवधारणाओं की जरूरत है, हालांकि उनके छात्र उनके पाठों के प्रति उत्साही और प्रेरित लगते थे, उन्हें महसूस हो रहा था कि उन्होंने अपने अध्यापन पाठ्यक्रम के दौरान जो कुछ सीखा था उस सब को वे व्यवहार में ला चुके थे।

श्री कपूर ने अपने विद्यालय प्रमुख से बात की, जिन्होंने तीन पीएलडी गतिविधियों का सुझाव दिया जो वे विद्यालय में कर सकते थे। सबसे पहले, श्री फारूकी के विज्ञान के पाठों से सीखना, जिन्हें एक उत्कृष्ट शिक्षक माना जाता था; दूसरा, छात्रों को गणित में रुचि लेने के लिए प्रेरित करने के एक तरीके के रूप में गणित और खेलकूद के पाठों को जोड़ने की उनके विचार का अनुसरण करना; और तीसरा, अपने ज्ञान और कौशलों को एक नए शिक्षक को परामर्श देकर प्रदान करना जो अगले सत्र से शामिल होने वाला हो। श्री कपूर सहमत थे कि वे सभी उपयोगी थे। एक संक्षिप्त योजना पर सहमति की गई, जिसे श्री कपूर की फाइल और उनकी कॉपी में रखा गया।

जब श्री कपूर श्री फारूकी की कक्षा में गए, उन्होंने अपने प्रेक्षणों के और श्री फारूकी के साथ बाद में इस बारे में की गई चर्चा के नोट्स बनाए कि उन्होंने पाठ को कैसे नियोजित और प्रस्तुत किया था। अपने नोट्स में, श्री कपूर ने इस बारे में कुछ सुझाव जोड़े कि जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे वे अपने स्वयं के पाठों पर कैसे लागू कर सकते हैं; दो सप्ताह बाद उन्होंने अपने द्वारा देखी गई एक गतिविधि को विज्ञान की कक्षा में दोहराया और नोट्स बनाए कि वह कैसे संपन्न हुई। उन्होंने प्रत्येक प्रविष्टी पर तारीख डालने का ध्यान रखा लेकिन इस बात की परवाह नहीं की कि नोट्स साफ सुथरे हैं या अन्य लोगों के लिए पढ़ने योग्य हैं – यदि उन्हें कभी इसे लिखना पड़े, तो वे अपने नोट्स से काम करेंगे।

श्री कपूर प्रसन्न थे कि विद्यालय प्रमुख ने गणित और खेलकूद को जोड़ने के उनके विचार को पसंद किया था, इसलिए उन्होंने पाठ्यक्रम और गणित की पाठ्यपुस्तक को पढ़ने में कई शामें व्यतीत कीं। उन्होंने इस विषय में किसी अनुसंधान या अभ्यास के बारे में ऑनलाइन भी खोज की, और अपनी अवधारणाओं के बारे में कुछ सहकर्मियों से काम के दौरान बातचीत की – उनके सुझाव बहुत उपयोगी रहे। श्री कपूर ने अपने विकसित हो रहे विचारों पर कुछ नोट्स लिखे। उन्होंने अपनी कक्षा में कुछ गतिविधियाँ आजमाईं और अपने छात्रों से प्रतिक्रिया देने को कहा, जिसे उन्होंने भविष्य के संदर्भ के लिए रखा। अंततः उन्होंने यह स्पष्ट करने के लिए कि उनका तरीका कैसे काम कर सकता है, स्टाफ के समूह के लिए एक पेपर लिखा, इसके उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जिसे उन्होंने रिकार्ड करके रख लिया। अब कई महीने गुजर चुकने के बाद, दो अन्य शिक्षक श्री कपूर के तरीके का उपयोग कर रहे हैं।

नए शिक्षक को मार्गदर्शन देना शुरू करने से पहले श्री कपूर ने परामर्श देने की सर्वश्रेष्ठ परिपाटी के लिए किताबों और इंटरनेट का उपयोग किया, ताकि वे सही ढंग से परामर्श दे सकें। उन्होंने ऑनलाइन TESS- INDIA इकाई पढ़ाने-सीखने की प्रक्रिया का रूपांतरण करना: परामर्श और प्रशिक्षण देना खोज निकाली: उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए यात्रा किए बिना ही सीखने में इसे उपयोगी पाया। जब वे परामर्श दे रहे थे तब उन्होंने इस बात के नोट्स बनाए कि वे क्या कर रहे थे और वे क्या बेहतर कर सकते थे। उन्होंने इसे अपनी मार्गदर्शन क्रिया पर चिंतन करने में उपयोगी पाया, जिसका मतलब है वे अपने अनुभव के बारे में विद्यालय प्रमुख द्वारा पूछे जाने पर बात करने में अधिक सक्षम थे।

जो रिकार्ड श्री कपूर ने रखे थे वे केवल उनके देखने के लिए ही थे और मुख्यतः अनौपचारिक थे – उन्होंने उन्हें शिक्षक के रूप में अपने पहले वर्ष में शुरू किया था और इस परम्परा को यह परिपाटी जारी रखी थी। वे उसे पीछे मुड़कर देखने में मदद करते थे कि उन्होंने कैसे विकास किया है, बल्कि यह भी याद दिलाते थे कि एक बेहतर शिक्षक बनने के लिए और क्या कर सकते थे। जब उन्होंने एक अन्य नौकरी के लिए आवेदन किया और अपने शैक्षिक और कार्यानभव सार को अद्यतित किया उनके नोट्स मूल्यवान थे।

गतिविधि 5: अपने स्वयं के रिकार्डों को संगठित करना

यदि आपने TESS-India इकाई स्वयं का प्रबंधन और विकास करना: अपने आपका प्रबंधन और विकास करना पढ़ी है, तो आपने यह सोचना शुरू कर दिया होगा कि कैसे आपका अपना पीएलडी आपके शिक्षकों के पीएलडी के समानांतर चलता है। अब विचार करें कि एक विद्यालय नेता के रूप में आप स्वयं अपने पीएलडी के रिकार्ड कैसे रखते हैं। क्या आप श्री कपूर जितने व्यवस्थित हैं? केस स्टडी का उपयोग करते हुए, उनके द्वारा रखे गए रिकार्डों के प्रकारों की एक सूची बनाएं (उदा. योजना, कुछ अवधारणाएं, सूची) और फिर इस बात की सूची बनाएं कि वे उनका उपयोग किसलिए करते थे। इससे आपको अपने पीएलडी के लिए नोट्स के प्रकार के बारे में सोचने में मदद मिल सकती है।

यदि आप अधिगम रखते हैं, तो इस इकाई का अध्ययन करते समय आपको इसका अभ्यास मिल रहा है। अच्छा विद्यालय प्रमुख परिपाटी को वह प्रतिरूप देता है जिसे वह अपने स्टाफ में देखना चाहता है। यदि आपके पास अपने विकास को दर्ज करने के लिए पहले से कोई कॉपी या फाइल नहीं है, तो आपको बनानी चाहिए।

अब अपने व्यस्त और कार्यों से भरे कार्यदिवस की वास्तविकताओं पर विचार करने के लिए कुछ मिनट दें और निम्नलिखित प्रश्नों के जवाब में नोट्स बनाएं:

  • अपने खुद के पीएलडी रिकार्ड रखने में क्या बाधाएं हो सकती है?

  • आप चीजों को मार्ग में आने से रोकने के लिए क्या करेंगे?
  • आप अपने खुद की पीएलडी गतिविधियों और विचारों को कैसे रिकार्ड करेंगे (रोजाना, साप्ताहिक रूप से, प्रारूप)?

अपने रिकार्डों की जाँच करने के लिए आपको एक समीक्षा तिथि (जैसे एक या दो महीने बाद) भी तय करनी चाहिए।

पीएलडी रिकार्ड रखने का अनुशासन आपको अपनी प्रगति की याद दिलाएगा और अपनी चुनौतियों और अवसरों के बारे में चिंतन करने का तरीका प्रदान करेगा। रिकार्ड आपको अपने पीएलडी को प्रदर्शित करने और अपनी विशेषज्ञता को साझा करने के लिए डेटा का स्रोत भी देंगे। यदि आप चाहते हैं कि आपके शिक्षक और छात्र सक्रिय बनें तो आपको उदाहरण बन कर नेतृत्व करना होगा; वे स्वयं अविरत विद्यार्थी हैं। स्टाफ के पीएलडी पर डेटा सतत सुधार और मानकों को स्थापित करने में विद्यालय की प्रतिबद्धता का प्रमाण प्रदान करता है।

5 अपने विद्यालय में पीएलडी को सुव्यवस्थित करना

अब तक इस इकाई ने यह माना है कि पीएलडी आपके विद्यालय में अच्छी तरह से स्थापित नहीं है और उसे शुरू करने के कुछ मामूली तरीके सुझाता है। लेकिन आपको अपने विद्यालय में सभी स्तरों पर सारे स्टाफ के लिए सीपीडी की व्यवस्थित प्रक्रिया का लक्ष्य बनाना चाहिए। विद्यालय के समुदाय का हर सदस्य शिक्षण संस्था का हिस्सा है और इसलिए अपने निजी विकास में संलग्न रहकर छात्रों को दिखाना चाहिए कि सीखना एक जीवन-पर्यंत प्रक्रिया होती है।

यदि पीएलडी नियमित रूप से किया जाता है और उसे विद्यालय में सामान्य गतिविधि जैसा माना जाता है, तो शिक्षकों के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास को साझा करने, औपचारिक विकास कार्यक्रमों में प्रवेश, और बेशक, स्वयं को विकसित करने की प्राकृतिक प्रक्रिया बन जाता है – औपचारिक रूप से, अनौपचारिक रूप से, व्यक्तिगत रूप से या समूहों में मिलकर। जब स्टाफ सीखते हैं, वे प्रेरित और रचनात्मक बन जाते हैं। जब उनके पीएलडी की उनके साथ नियोजन, अवलोकन और समीक्षा की जाती है, तब वे अपनी सफलताओं और चुनौतियों को शिक्षक समुदाय के साथ साझा कर सकते हैं, जो आगे जाकर अपनी परिपाटी का विकास करने के लिए अंतदृर्ष्टि और अवसर प्राप्त करते हैं।

आपको निम्नलिखित का लक्ष्य रखना चाहिए:

  • पीएलडी के बारे में शिक्षकों के साथ और उनके बीच नियमित बातचीत

  • पीएलडी के अवसरों के बारे में सुलभ जानकारी
  • अपने स्वयं के पीएलडी के लिए कार्यवाही योजनाओं पर काम करने वाले शिक्षक
  • पीएलडी गतिविधियों की प्रगति की निगरानी और समर्थन तथा नतीजे

  • पीएलडी योजनाओं, गतिविधियों और नतीजों के रिकार्ड

समय के साथ, आपके विद्यालय में व्यवस्थित पीएलडी माहौल सीखने वालों के नतीजों में सुधार पैदा करेगा।

6 सारांश

इस इकाई में आपने देखा कि शिक्षक विकास क्या होता है, इसमें क्या शामिल हो सकता है और विद्यालय में रहते हुए क्या सीखा जा सकता है। पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण ही शिक्षा प्राप्त करने का एकमात्र तरीका नहीं हैं। अध्यापन के पेशे में सतत सीखना शामिल होता है; विद्यालय प्रमुख को लगातार विकसित हो रहे स्टाफ के समूह के लिए अपेक्षाओं को बढ़ाने, और विकसित होने के अवसरों को केस स्टडी में भूमिका निभानी होती है।

आपने कुछ टेम्प्लेट आजमाएं हैं जो आपके विद्यालय में पीएलडी को लागू करने में आपकी सहायता कर सकते हैं और कुछ वृत्त अध्ययन देखीं हैं जो आपको स्टाफ को संलग्न करने और रिकार्ड रखने के तरीकों के बारे में सोचने में आपकी मदद करते हैं। लेकिन रोमांचक हिस्सा तो तब आता है जब आप छात्रों के सीखने के अनुभव को लाभ पहुँचाने के लिए स्टाफ का उनके काम को सुधारने में नेतृत्व करते हैं। जो शिक्षक स्वयं के सीखने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं वे छात्रों को भी अपने सीखने के बारे में उसी तरह से महसूस करने के लिए प्रेरित करते हैं।

यह इकाई इकाइयों के उस सेट या परिवार का हिस्सा है जो पढ़ाने-सीखने की प्रक्रिया को रूपांतरित करने के महत्वपूर्ण क्षेत्र से सम्बन्धित है (नेशनल कॉलेज ऑफ स्कूल लीडरशिप के साथ संरेखित)। आप अपने ज्ञान और कौशलों को विकसित करने के लिए इस सेट में आगे आने वाली अन्य इकाइयों पर नज़र डालकर लाभान्वित हो सकते हैं:

  • प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने और सीखने में सुधारों का नेतृत्व करना
  • माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाने और सीखने में सुधारों का नेतृत्व करना
  • अपने विद्यालय में आकलन का नेतृत्व करना
  • कार्य-प्रदर्शन बढ़ाने में शिक्षकों की सहायता करना
  • परामर्श देना और प्रशिक्षित करना
  • अपने विद्यालय में सीखने की प्रभावी संस्कृति का विकास करना
  • अपने विद्यालय में समावेश को प्रोत्साहित करना

  • छात्रों की प्रभावी शिक्षण-प्रक्रिया के लिए संसाधनों का प्रबंधन करना
  • अपने विद्यालय में प्रौद्योगिकी के उपयोग का नेतृत्व करना।.

संसाधन

संसाधन 1: शिक्षकों के साथ व्यक्तिगत चर्चा के लिए टेम्प्लेट

शिक्षक का नाम                  
दिनांक                   
शिक्षक के रूप में आपकी क्षमताएं क्या हैं? आप किस काम में माहिर हैं?

आप ऐसी किस बात की पेशकश कर सकते हैं जिसका उपयोग हम विद्यालय में नहीं कर रहे हैं? क्या आपकी विशेष रुचियाँ या कौशल हैं?

आपके बेहतर शिक्षक बनने के मार्ग में क्या बाधाएं हैं? उसके बारे में क्या किया जा सकता है?

कोई अन्य नोट्स

विद्यालय प्रमुख के हस्ताक्षर

संसाधन 2: कहानी सुनाना, गाने, रोल प्ले और नाटक

विद्यार्थी उस समय सबसे अच्छे ढंग से सीखते हैं जब वे शिक्षण के अनुभव से सक्रिय रूप से जुड़े होते हैं। दूसरों के साथ परस्पर संवाद और अपने विचारों को साझा करने से आपके विद्यार्थी अपनी समझ की गहराई बढ़ा सकते हैं। कथावाचन, गीत, भूमिका अदा करना और नाटका कुछ ऐसी विधियाँ हैं, जिनका उपयोग पाठ्यक्रम के कई क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिनमें गणित और विज्ञान भी शामिल हैं।

कहानी सुनाना

कहानियाँ हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाने में मदद करती हैं। कई पारम्परिक कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं। जब हम छोटे थे तब वे हमें सुनाई गई थीं और हम जिस समाज में पैदा हुए हैं, उसके कुछ नियम व मान्यताएँ समझाती हैं।

कहानियाँ कक्षा में बहुत सशक्त माध्यम होती हैं, वे:

  • मनोरंजक, उत्तेजक व प्रेरणादायक हो सकती हैं
  • हमें रोजमर्रा के जीवन से कल्पना की दुनिया में ले जाती हैं
  • चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं
  • नए विचार सीखने की प्रेरणा दे सकती हैं
  • भावनाओं को समझने में मदद कर सकती हैं
  • समस्याओं के बारे में वास्तविकता से अलग और इस कारण कम ख़तरनाक संदर्भ में सोचने में मदद कर सकती हैं।

जब आप कहानियाँ सुनाते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप उनकी आँखों में देखें। यदि आप विभिन्न पात्रों के लिए भिन्न स्वरों का उपयोग करते हैं और उदाहरण के लिए उपयुक्त समय पर अपनी आवाज़ की तीव्रता और सुर को बदलकर फुसफुसाते या चिल्लाते हैं, तो उन्हें आनन्द आएगा। कहानी की प्रमुख घटनाओं का अभ्यास कीजिए ताकि आप इसे पुस्तक के बिना स्वयं अपने शब्दों में मौखिक रूप से सुना सकें। कक्षा में कहानी को मूर्त रूप देने के लिए आप वस्तुओं या कपड़ों जैसी सामग्री भी ला सकते हैं। जब आप कोई नई कहानी सुनाएँ, तो उसका उद्देश्य समझाना न भूलें और विद्यार्थियों को इस बारे में बताएँ कि वे क्या सीख सकते हैं। आपको प्रमुख शब्दावली उन्हें बतानी होगी व कहानी की मूलभूत संकल्पनाओं को बारे में उन्हें जागरूक रखना होगा। आप कोई पारंपरिक कहानी कहने वाला भी विद्यालय में ला सकते हैं, लेकिन सुनिश्चत करें कि जो सीखा जाना है, वह कहानी कहने वाले व विद्यार्थियों, दोनों को स्पष्ट हो।

कहानी सुनाना सुनने के अलावा भी विद्यार्थियों की कई गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकता है। विद्यार्थियों से कहानी में आए सभी रंगों के नाम लिखने, चित्र बनाने, प्रमुख घटनाएँ याद करने, संवाद बनाने या अंत को बदलने को कहा जा सकता है। उन्हें समूहों में विभाजित करके चित्र या सामग्री देकर कहानी को किसी और परिप्रेक्ष्य में कहने को कहा जा सकता है। किसी कहानी का विश्लेषण करके, विद्यार्थियों से कल्पना में से तथ्य को अलग करने, किसी अद्भुत घटना के वैज्ञानिक स्पष्टीकरण पर चर्चा करने या गणित के प्रश्नों को हल करने को कहा जा सकता है।

विद्यार्थियों से खुद अपनी कहानी बनाने को कहना बहुत सशक्त उपाय है। यदि आप उन्हें काम करने के लिए कहानी का कोई ढाँचा, सामग्री व भाषा देंगे, तो विद्यार्थी गणित व विज्ञान के जटिल विचारों पर भी खुद अपनी बनाई कहानियाँ कह सकते हैं। वास्तव में, वे अपनी कहानियों की उपमाओं के द्वारा विचारों से खलते हैं, अर्थ का अन्वेषण करते हैं और कल्पना को समझने योग्य बनाते हैं।

गीत

कक्षा में गीत और संगीत के उपयोग से अलग अलग छात्रों को योगदान करने, सफल होने और उन्नति करने का अवसर मिल सकता है। एक साथ मिलकर गाने से जुड़ाव बनता है और इससे सभी छात्र खुद को इसमें शामिल महसूस करते हैं क्योंकि यहाँ ध्यान किसी एक व्यक्ति के प्रदर्शन पर केंद्रित नहीं होता। गीतों के सुर और लय के कारण उन्हें याद रखना सरल होता है और इससे भाषा व बोलने से विकास में मदद मिलती है।

संभव है कि आप खुद के आत्मविश्वासी गायक न हों, लेकिन निश्चित रूप से आपकी कक्षा में कुछ अच्छे गायक होंगे, जिन्हें आप अपनी मदद के लिए बुला सकते हैं। आप गीत को जीवंत बनाने और संदेश व्यक्त करने में सहायता के लिए गतिविधि और हावभाव का उपयोग कर सकते हैं। आप उन गीतों का उपयोग कर सकते हैं, जो आपको मालूम हैं और अपने उद्देश्य के अनुसार उनके शब्दों में बदलाव कर सकते हैं। गीत जानकारी को याद करने और याद रखने का भी एक उपयोगी तरीका हैं – यहाँ तक कि सूत्रों और सूचियों को भी एक गीत या कविता के रूप में रखा जा सकता है। आपके छात्र रिवीजन के उद्देश्य से गीत या भजन बनाने योग्य रचनात्मक भी हो सकते हैं।

रोल प्ले

भूमिका गतिविधि वह होती है, जिसमें छात्र कोई भूमिका निभाते हैं और किसी छोटे परिदृश्य के दौरान, वे उस भूमिका में बोलते और अभिनय करते हैं, तथा वे जिस पात्र की भूमिका निभा रहे हैं, उसके व्यवहार और उद्देश्यों को अपना लेते हैं। इसके लिए कोई स्क्रिप्ट नहीं दी जाती, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि छात्रों को शिक्षक द्वारा पर्याप्त जानकारी दी जाए, ताकि वे उस भूमिका को समझ सकें। भूमिका निभाने वाले छात्रों को अपने विचारों और भावनाओं की त्वरित अभिव्यक्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

भूमिका निभाने के कई लाभ हैं क्योंकि:

  • इसमें वास्तविक जीवन की स्थितियों पर विचार करके अन्य लोगों की भावनाओं के प्रति समझ विकसित की जाती है।
  • इससे निर्णय लेने का कौशल विकसित होता है।
  • यह छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करती है और सभी छात्रों को योगदान करने का अवसर मिलता है।
  • यह विचारों के उच्चतर स्तर को प्रोत्साहित करती है।

भूमिका निभाने से छोटे विद्यार्थियों को अलग अलग सामाजिक स्थितियों में बात करने का आत्मविश्वास विकसित करने में मदद मिल सकती है, उदाहरण के लिए, किसी स्टोर में खरीददारी करने, किसी स्थानीय स्मारक पर पर्यटकों को रास्ता दिखाने या एक टिकट खरीदने का अभिनय करना। आप कुछ वस्तुओं और चिह्नों के द्वारा सरल दृश्य तैयार कर सकते हैं, जैसे ‘कैफे’, ‘डॉक्टर की सर्जरी’ या ‘गैरेज’। अपने छात्रों से पूछें, ‘यहाँ कौन काम करता है?’, ‘वे क्या कहते हैं? ’ और ‘हम उनसे क्या पूछते हैं?’ और उन्हें इन क्षेत्रों की भूमिकाओं में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें, तथा उनकी भाषा के उपयोग का अवलोकन करें।

नाटक करने से पुराने विद्यार्थियों के जीवन के कौशलों का विकास हो सकता है। उदाहरण के लिए, कक्षा में हो सकता है कि आप इस बात का पता लगा रहे हों कि टकराव को किस प्रकार से खत्म किया जाए। इसके बजाय अपने विद्यालय या समुदाय से कोई वास्तविक घटना लें, आप इसी तरह के, लेकिन इससे भिन्न, किसी परिदृश्य का वर्णन कर सकते हैं, जिसमें यही समस्या उजागर होती हो। छात्रों को भूमिकाएँ आवंटित करें या उन्हें अपनी भूमिकाएँ खुद चुनने को कहें। आप उन्हें योजना बनाने का समय दे सकते हैं या उनसे तुरंत भूमिका अदा करने को कह सकते हैं। भूमिका अदा करने की प्रस्तुति पूरी कक्षा को दी जा सकती है या छात्र छोटे समूहों में भी कार्य कर सकते हैं, ताकि किसी एक समूह पर ध्यान केंद्रित न रहे। ध्यान दें कि इस गतिविधि का उद्देश्य भूमिका निभाने का अनुभव लेना और इसका अर्थ समझाना है; आप उत्कृष्ट अभिनय प्रदर्शन या बॉलीवुड के अभिनय पुरस्कारों के लिए अभिनेता नहीं ढूँढ रहे हैं।

भूमिका अदा करने का उपयोग विज्ञान और गणित में भी करना संभव है। छात्र अणुओं के व्यवहार की नकल कर सकते हैं, और एक-दूसरे से संपर्क के दौरान कणों की विशेषताओं का वर्णन कर सकते हैं या उनके व्यवहार को बदलकर ऊष्मा या प्रकाश के प्रभाव को दर्शा सकते हैं। गणित में, छात्र कोणों या आकृतियों की भूमिका निभाकर उनके गुणों और संयोजनों को खोज सकते हैं।

नाटकः–

कक्षा में नाटक का उपयोग अधिकतर विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए एक अच्छी रणनीति है। नाटक कौशलों और आत्मविश्वास का निर्माण करता है, और उसका उपयोग विषय के बारे में आपके छात्रों की समझ का आकलन करने के लिए भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यह दिखाने के लिए कि संदेश किस प्रकार से मस्तिष्क से कानों, आंखों, नाक, हाथों और मुंह तक जाते हैं और वहां से फिर वापस आते हैं, टेलीफोनों का उपयोग करके मस्तिष्क किस प्रकार काम करता है इसके बारे में अपनी समझ पर एक नाटक किया गया। या संख्याओं को घटाने के तरीके को भूल जाने के भयानक परिणामों पर एक लघु, मज़ेदार नाटक युवा छात्रों के मन में सही पद्धतियों को स्थापित कर सकता है।

नाटक का प्रदर्शन प्रायः शेष कक्षा, स्कूल के लिए या अभिभावकों और स्थानीय समुदाय के लिए होता है। यह लक्ष्य विद्यार्थियों को एक निश्चित दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करेगा। नाटक तैयार करने की रचनात्मक प्रक्रिया से समूची कक्षा को जोड़ा जाना चाहिए। यह जरूरी है कि आत्मविश्वास के स्तरों के अंतरों को ध्यान में रखा जाये। हर एक व्यक्ति का अभिनेता होना जरूरी नहीं है; छात्र अन्य तरीकों से योगदान कर सकते हैं (संयोजन करना, वेशभूषा, प्रॉप्स, मंच पर मददगार) जो उनकी प्रतिभाओं और व्यक्तित्व से अधिक नजदीकी से संबद्ध हो सकते हैं।

यह विचार करना आवश्यक है कि आप अपने छात्रों के सीखने में मदद करने के लिए नाटक का उपयोग क्यों कर रहे हैं। क्या यह भाषा विकसित करने (उदा. प्रश्न पूछना और उत्तर देना), विषय के ज्ञान (उदा. खनन का पर्यावरणात्मक प्रभाव), या विशिष्ट कौशलों (उदा. टीम वर्क) का निर्माण करने के लिए है? सावधानी बरतें कि नाटक का सीखने का प्रयोजन अभिनय के लक्ष्य में खो न जाय।

संसाधन 3: कक्षा में क्रियात्मक शोध/एक्शन रिसर्च

बेन गोल्डेकर (2013) तर्क पेश करते हैं कि अध्यापन को प्रमाण पर आधारित व्यवसाय होना चाहिए और कि इससे बच्चों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। विशेष रूप से, वे सुझाते हैं कि संस्कृति में परिवर्तन की जरूरत है, जहाँ शिक्षक और राजनीतिज्ञ स्वीकार करते हैं कि हमें आवश्यक रूप से ‘पता’ नहीं होता कि क्या सबसे अच्छी तरह से काम करता है – हमें प्रमाण चाहिए कि कोई चीज काम करती है।

अनुमान यह होता है कि प्रमाण पर आधारित विधि एक अच्छी चीज है और गोल्डेकर द्वारा अनुशंसित परिवर्तन शिक्षकों द्वारा स्वयं अपने काम का अनुसंधान करके प्राप्त किए जा सकते हैं। वास्तव में, जिन विद्यालयों में अनुसंधान की परिपाटियाँ स्थापित हैं, वहाँ यह मान्यता होती है कि यह बात विद्यालय के सुधार में योगदान कर सकती है।

अपनी कक्षा में अध्ययन शुरू करने वाले शिक्षक के रूप में, यह संभावना है कि वह अपेक्षाकृत छोटे पैमाने और लघु-अवधि का होगा और इस सन्दर्भ में एक्शन रिसर्च की पद्धति भली-भांति काम करती है। एक्शन रिसर्च में काम करने वाले अपने स्वयं के काम की व्यवस्थित ढंग से जाँच करते हैं, ताकि उसमें सुधार कर सकें।

एक्शन रिसर्च में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

  • कोई समस्या पहचानें जिसे आप अपनी कक्षा में हल करना चाहते हैं: यह कोई विशिष्ट बात हो सकती है जैसे क्यों कोई छात्र प्रश्नों का उत्तर नहीं देते हैं या आपके विषय के किसी पहलू को कठिन या निरुत्साहित करने वाला पाते हैं, या यह कोई अधिक साधारण बात हो सकती है जैसे समूह कार्य को प्रभावी ढंग से कैसे आयोजित किया जाय।
  • प्रयोजन को परिभाषित करें और स्पष्ट करें कि हस्तक्षेप का क्या प्रारूप होगा: इसमें साहित्य का संदर्भ लेना और यह लगाना शामिल होगा कि इस समस्या के बारे में पहले से क्या पता है।

  • समस्या से निपटने के लिए परिकल्पित किसी हस्तक्षेप की योजना बनाएं।

  • अनुभवजन्य डेटा जमा करें और उसका विश्लेषण करें।
  • एक और हस्तक्षेप करने की योजना बनाएं: यह इस बात पर आधारित होगा कि आपको क्या पता चलता है और उसे आपके द्वारा पहचानी गई समस्या को आगे समझने के लिए परिकल्पित किया जाएगा।

कार्यवाही अनुसंधान एक चक्रीय प्रक्रिया है (चित्र R3.1)। बारंबार हस्तक्षेप और विश्लेषण करके आप मुद्दे या समस्या को समझने लगेंगे और उसके बारे में शायद कुछ कर पाएंगे।

चित्र R3.1 क्रियात्मक शोध चक्र

उन प्रश्नों को जिनका आप उत्तर देना चाहेंगे और अपनी पसंद के तरीके को तय कर लेने के बाद, आपको कुछ डेटा एकत्र करना होगा जो आपको प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम बनाएगा। डेटा एकत्र करने के तीन मुख्य तरीके हैं, आप:

  • काम करते लोगों का अवलोकन कर सकते हैं
  • प्रश्न पूछ सकते हैं (सर्वेक्षणों के माध्यम से या लोगों से बात करके)

  • दस्तावेजों का विश्लेषण कर सकते हैं।

चित्र R3.2 डेटा एकत्र करने की अलग अलग पद्धतियों का संक्षिप्त विवरण प्रदान करता है।

चित्र R3.2 डेटा एकत्र करने की अलग अलग पद्धतियों का संक्षिप्त विवरण

अपने निष्कर्षों में आश्वस्त होने के लिए आपको डेटा के कई स्रोतों से प्रमाण की जरूरत पड़ेगी। प्रत्येक पद्धति के फायदे और सीमाएं हैं; आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप इस तरह से काम करें कि सीमाएं न्यूनतम रहें।

आपको एकत्र किए जाने वाले डेटा की वैधता और विश्वसनीयता दोनों पर विचार करना होगा। यदि कोई बात वैध है तो इसका मतलब यह है कि वह सत्य या भरोसे योग्य है। वैधता की जाँच करने के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछना उपयोगी होता है:

  • क्या परिणामों का सामान्यीकरण किया जा सकता है? कोई व्यक्ति जो आपके अनुसंधान के बारे में सुनता या पढ़ता है, वह अपने अनुभव के आधार पर यह तय कर सकता है तो वह प्रामाणिक है और व्यावहारिक लगता है।
  • क्या डेटा निष्कर्षों का समर्थन करता है? यह तब अधिक संभव है यदि किसी समयावधि में एक से अधिक स्रोत से डेटा एकत्र किया गया है या यदि निष्कर्षों की जाँच प्रतिभागियों के साथ की गई है।

  • क्या प्रश्नावली या साक्षात्कार के प्रश्न अनुसंधान के प्रश्नों के साथ स्पष्ट रूप से संबंध स्थापित करते हैं?

विश्वसनीयता एक कठिन अवधारणा है जिसका मतलब दोहराए जा सकने और प्रतिकृति बना सकने से होता है। विश्वसनीयता में वास्तविक जीवन के प्रति निष्ठा, प्रामाणिकता और उत्तरदाताओं के लिए सार्थकता शामिल है। कोहेन और अन्य। (2003) का सुझाव है कि विश्वसनीयता की धारणा का अर्थ ‘निर्भर होने की योग्यता’ होना चाहिए और निर्भर करने की योग्यता की प्राप्ति पर्याप्त डेटा एकत्र करने, अपने निष्कर्षों की जाँच प्रतिभागियों के साथ करने, और उसी विचार के लिए डेटा के एक से अधिक स्रोत से प्रमाण की तलाश करने जैसे कारकों पर निर्भर होती है।

(अध्यापन करना सीखना: कक्षा में अनुसंधान का परिचय)

संसाधन 4: क्रियात्मक नियोजन के लिए टेम्प्लेट

शिक्षक का नाम 
दिनांक 
पहचानी गई जरूरत या कम उपयोग किया गया कौशलजरूरत को कैसे पूरा किया जाएगाकिसे शामिल किया गयाकब तक

   
कोई अन्य नोट्स

विद्यालय प्रमुख के हस्ताक्षर

अतिरिक्त संसाधन

References

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Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।