यह इकाई कई कक्षाओं की उस वास्तविकता के बारे में है जहाँ विद्यार्थियों की मातृभाषा और विद्यालय की भाषा समान नहीं होती है। ऐसी परिस्थितियों को अक्सर चुनौतीपूर्ण माना जाता है। इस इकाई का उद्देश्य बहुभाषावाद के प्रति जागरूकता और सकारात्मक समझ को उजागर करना है, जिसके अंतर्गत यह बात बताई गई है कि बहुभाषावाद के माध्यम से भाषा कक्षा में सभी विद्यार्थियों को एक साथ पढ़ायी जा सकती है।
भारत सहित अधिकांश विश्व में बहुभाषी विद्यार्थी अपवाद नहीं बल्कि आदर्श हैं। एक से अधिक भाषा ज्ञान के संज्ञानात्मक और व्यावहारिक लाभ के कई शोध और प्रमाण हैं। इस प्रकार का ज्ञान अध्यापन और शिक्षण का अद्भुत साधन है। चाहे किसी भी विषय में विशेषज्ञता हो, प्रत्येक शिक्षक को अपने सभी विद्यार्थियों के भाषा ज्ञान और कौशल की प्रशंसा, प्रचार और उसे निखारने के अवसरों की तलाश करनी चाहिए। एक भाषा और साक्षरता शिक्षक होने के नाते, ऐसा करना आपकी विशेष ज़िम्मेदारी है। यह इकाई दर्शाती है कि यह कैसे संभव है।
बहुभाषी प्रसंगों में प्रभावी कक्षा अभ्यासों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण अनुसंधान की खोज के आधार पर समझने वाले तीन कथनः
अब संभव हो, तो किसी साथी के साथ चर्चा करके नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें:
उपरोक्त तीन कथन उस सकारात्मक प्रभाव के उन्नत साक्ष्य को दर्शाते हैं जिसके अंतर्गत मातृभाषा में लंबे समय तक शिक्षण प्रदान करने से विद्यार्थियों की उपस्थिति और उनकी दीर्घकालिक शैक्षणिक सफलता में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है।
हो सकता है आपके विद्यालय में पूर्ण रूप से मातृभाषा आधारित शिक्षण संभव नहीं हो, फिर भी आप अपने शिक्षण अभ्यास में कई ऐसे छोटे-मोटे परिवर्तन ला सकते हैं जिससे कक्षा में आपके विद्यार्थियों द्वारा उपयोग की जाने वाली मातृभाषा के संसाधनों में वृद्धि की जा सके।
उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण विद्यालय में कक्षा I और II के शिक्षक, श्री धर्मेंद्र बताते हैं कि अपने विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा में संवाद करते देख उन्हें कैसा लगा।
विद्यालय में अपनी मातृभाषा के उपयोग को लेकर मेरा अपने विद्यार्थियों के प्रति बहुत नकारात्मक व्यवहार रहता था। मुझे लगा कि उन्हें विद्यालयी भाषा सिखाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका उस भाषा को सुनाना और उसका हमेशा उपयोग करना है। मेरा मानना था कि विद्यालय में भाषाओं का मिश्रण उन्हें उलझाकर रख देगा। संभवतः सच्चाई ये थी कि मैं उनकी मातृभाषा को बहुत कम समझ और बोल पाता था और यही कारण था कि कक्षा में उस भाषा का उपयोग मुझे असहज बनाता था।
कक्षा I और कक्षा II के कुछ विद्यार्थी मेरे शिक्षण के दौरान बहुत शांत रहते थे। मेरे लिए यह समझ पाना बहुत मुश्किल होता था कि वे समझ और पढ़ पा रहे हैं या नहीं।
एक दिन सुबह, मैंने देखा कि सामान्यतः अल्पभाषी दो विद्यार्थी, जिन्हें मैंने एक साथ रखा था, किसी हिंदी पाठ्यपुस्तक के एक अनुच्छेद के बारे में अपनी मातृभाषा अवधी में खुलकर बातें कर रहे थे। दोपहर के खाने के समय, मैंने सुना कि एक बहुत ही संकोची विद्यार्थी, खेल के मैदान में अपने मित्रों को हाल ही में पढ़ाए गए विज्ञान-संबंधित सिद्धांत के बारे में चित्रों के माध्यम से अपनी मातृभाषा भोजपुरी में समझा रहा था। दिन के अंत में, मैंने देखा कि एक बच्चा जो आमतौर पर बातें नहीं किया करता था, अपने दादाजी को अपनी मातृभाषा अवधी में वह कहानी सुना रहा था जिसे मैंने अपनी कक्षा में हिन्दी में पढ़ाया था।
वो बच्चे जिस तरह अपनी सर्वश्रेष्ठ जानकारी वाली भाषा में एक दूसरे के साथ संवाद कर रहे थे, उनके आत्मविश्वास, क्षमता, बुद्धि और सामाजिक गुणों को देखकर मैं दंग रह गया। मुझे एहसास हुआ कि मुझे उनके इस गुण को उन्हें कक्षा में भी दिखाने के अवसर देना चाहिए।
विचार के लिए रुकें प्रत्येक दिन उन विद्यार्थियों को ध्यान से देखने और सुनने का समय निकालें जो वैसे तो कक्षा में शांत रहते हैं लेकिन अपनी ज्ञात भाषा में एक दूसरे के साथ खुलकर बातें करते हैं। वे किस प्रकार के गुण और व्यवहार को प्रदर्शित करते हैं, जिनके बारे में शायद आपको पहले कभी नहीं पता था? |
अब अपनी कक्षा की गतिविधियों में अपने सभी विद्यार्थियों को सम्मिलित करके संसाधन 1 पढ़ें।
अपनी कक्षा में एक भाषा सर्वेक्षण आयोजित करें। विद्यार्थियों के साथ उन भाषाओं के बारे में बातचीत प्रारंभ करें, जिन्हें आप जानते हैं – शुरूआत यह बताकर करें कि आप कुछ शब्दों को समझ सकते हैं, भाषा को धाराप्रवाह बोल या लिख सकते हैं – और उन्हें यह समझाएँ कि आपने यह ज्ञान कहाँ से प्राप्त किया है, उदाहरण के लिए अपने माता-पिता या दादा-दादी से सीखा है, या उसे किसी विशेष स्थान पर रहकर सीखा है, अथवा विद्यालय में पढ़कर सीखा है।
चार्ट पेपर का उपयोग करें और एक बड़ी तालिका बनाएँ। बाईं ओर विद्यार्थियों के नाम और ऊपर दी गई भाषाओं की सूची के बाद अपना नाम लिखें। अपने विद्यार्थियों को यह बताने के लिए बुलायें करें कि वे कौन-सी भाषाएँ जानते हैं और चार्ट पर सही का चिह्न बनाएँ। कार्य पूर्ण होने पर सर्वेक्षण चार्ट कक्षा की दीवार पर लगाएँ।
अगर कोई विद्यार्थी सर्वेक्षण के दिन अनुपस्थित रहा हो तो उसके वापस आने पर उसे चार्ट के बारे में अपडेट करें। वर्ष के दौरान कक्षा में भर्ती होने वाले किसी नए विद्यार्थी के लिए निचले भाग पर अतिरिक्त पंक्तियों का प्रावधान रखें। हो सकता है कि आप प्रधानाध्यापक और अन्य कर्मचारी सदस्यों के साथ सर्वेक्षण करना चाहें और उस जानकारी को भी शामिल करना चाहें।
अपने विद्यार्थी की आयु के आधार पर आप इस बात पर ध्यान देते हुए इस सर्वेक्षण को अधिक विस्तृत कर सकते हैं, कि क्या वे दी गयी भाषाओं को समझते हैं, बोलते हैं, पढ़ या लिख लेते हैं।
विचार के लिए रुकें
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निम्न-स्थिति वाली जातियों की भेदभावपूर्ण धारणाओं से यह हो सकता है कि कुछ विद्यार्थी इन समुदायों से संबंधित कुछ भाषाओं को जानने में असहमत हों। दर्शाने के लिए अनिच्छुक हों। इसलिए, इस गतिविधि में इस बात पर सकारात्मक रूप से ज़ोर देना ज़रूरी है, कि विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों का ज्ञान आमतौर पर लोगों के जीवन में और खासकर कक्षा के लिए मूल्यवान होता है। अल्पसंख्यक वर्ग की भाषाओं के अपने खुद के ज्ञान के बारे में बात करें, उस स्थिति में भी अगर वह सीमित हो या उन्हें सीखने की आपकी इच्छा हो।
यह तथ्य कि भाषाओं और बोलियों के बीच का भेद अक्सर परिवर्तनीय रहता है या यह संभावना कि हो सकता है कि विद्यार्थियों को उन भाषाओं के नामों की जानकारी न हो जिन्हें वे बोलते हैं, ये ऐसे अन्य कारण हैं जिनकी वजह से इस प्रकार के ज्ञान के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए, हमेशा चीज़ें स्पष्ट नहीं रहती हैं। इसलिए, आपके चार्ट को एक प्रारंभिक बिंदु के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसकी जानकारी को विद्यार्थियों के सहयोग से समय समय पर संशोधित किया जाएगा।
निम्न केस स्टडी में, एक शिक्षक द्वारा यह वर्णन किया गया है कि उनके कुछ विद्यार्थी दीवार पर लगे वर्णमाला चार्ट पर दिए गए अक्षरों को चित्रित करने के लिए उपयोग किए गए शब्दों से कैसे भ्रमित हो गए थे।
मेरे अधिकांश विद्यार्थी हो भाषा बोलते हैं और जब वे पहली बार इस स्कूल में आए, तो उन्हें हिंदी के बहुत कम शब्दों के बारे में पता था। मैंने देखा कि कुछ विद्यार्थी कक्षा की दीवार पर लगे हिंदी वर्णमाला चार्ट में दिए गए चित्रों द्वारा दर्शाए गए शब्दों को गलत तरीके से बता रहे थे। उन्होंने ‘हल’ (‘हल’ के लिए हिंदी भाषा का शब्द) की बजाय ‘नायल’ (‘हल’ के लिए हो भाषा का शब्द) कहा। जब मैंने उनसे पूछा कि यह कौन सा अक्षर है, तो विद्यार्थियों ने मुझसे कहा कि यह ‘न’ है, जो कि ‘हल’ के लिए हिंदी भाषा के पहले अक्षर ‘ह’ की बजाय हो भाषा में ‘हल’ का पहला अक्षर था।
मैं जानता था कि हिंदी अक्षरों के नामों और उच्चारणों को ठीक से सिखाने के लिए मुझे अपने विद्यार्थियों की सहायता करनी थी, इसलिए मैंने हो भाषा के शब्दों का उपयोग करते हुए एक वर्णमाला चार्ट तैयार किया। इस तरीके से वे हिंदी वर्णमाला के अक्षरों के उच्चारणों को ज्यादा आसानी से सीख पाए। उसके बाद मैंने उन्हें हिंदी के चित्रित शब्दों को भी सीखने में उनकी सहायता की। इससे उन्हें अपने हिंदी शब्द संग्रह को तैयार करने में भी सहायता मिली।
यह केस स्टडी पढ़ने के बाद, अब निम्न दो गतिविधियों को आज़माएँ, जो आपकी कक्षा में बहुभाषावाद पर केंद्रित हैं।
क्या आपके कुछ कम आयु के विद्यार्थी हिन्दी वर्णमाला चार्ट को दर्शाने वाले चित्रों द्वारा प्रस्तुत शब्दों से भ्रमित हो सकते हैं।
उनकी मातृभाषा से उपयुक्त शब्द ढूँढें और एक ऐसी वर्णमाला चार्ट या पुस्तक तैयार करने के लिए उनका उपयोग करें जो आपके विद्यार्थियों को हिंदी अक्षर सिखाने में सहायता करे। अगर आप उनकी मातृभाषा से अच्छी तरह से परिचित नहीं हैं, तो उपयुक्त शब्दों के लिए सहकर्मियों, समुदाय के सदस्यों या स्वयं विद्यार्थियों से पूछें। अपने विद्यार्थियों को उस चार्ट या पुस्तक में चित्र काटकर चिपकाने की गतिविधि में शामिल करें।
आप किस प्रकार विद्यार्थियों द्वारा लायी गयी भिन्न-भिन्न भाषाओं को स्वीकार कर महत्व दे सकते हैं?
विचारों की एक सूची बनाएं। प्रेरणा के लिए अपने सहकर्मियों से बात करें या उनकी कक्षाओं में जाएँ। अगले महीने अपनी कक्षा में लागू करने के लिए किसी एक को चुनें। कुछ सुझाव नीचे सूचीबद्ध किए गए हैं।
दिन की शुरूआत अपने विद्यार्थियों द्वारा विद्यालयी भाषा में अभिवादन करके और फिर उनमें से प्रत्येक अपनी घरेलू भाषा में पूरी कक्षा को एक-एक करके जवाब दे, ऐसी दिनचर्या विकसित करें। स्कूल की समाप्ति पर अलविदा कहते समय यही प्रक्रिया अपनाएँ।
अपनी कक्षा की सुविधाओं (जैसे कि खिड़की, दरवाज़ा, ब्लैकबोर्ड, अलमारी) पर हिंदी और अपने विद्यार्थियों की मातृभाषा, दोनों भाषाओं में लेबल लगाएँ। अलग-अलग भाषाओं में अंतर करने में सहायता हेतु अलग-अलग रंगों वाले पेन या कार्ड का उपयोग करें। अगर आपके बहुभाषी विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में साक्षर हैं, तो वे स्वयं अनुवादित लेबल लिखने में सहायता कर सकते हैं।
अपने विद्यार्थियों की मातृभाषा में उपयोगी शब्दों और अभिव्यक्तियों (उदाहरण के लिए, ‘नमस्कार’, ‘अलविदा’, ‘क्षमा करें’, ‘आपका धन्यवाद’) को पोस्ट करके अपनी कक्षा में एक विकासशील शब्द दीवार बनाएँ। नए शब्दों का योगदान करने के लिए, अपने विद्यार्थियों को आमंत्रित करने के अवसर खोजें।उपरोक्त लेबल की तरह, भाषाओं में अंतर करने के लिए अलग-अलग रंगों वाले पेन या कार्ड का उपयोग करें।
उन भाषाओं में पुस्तकों, पत्रिकाओं, लघुपत्रों और अन्य पठन सामग्री का संग्रह प्रारंभ करें, जिन्हें आपके विद्यार्थी बोलते हैं और इन आइटमों को अपने पठन कोने में शामिल कर दें (चित्र 2)।
अपने विद्यार्थियों को द्विभाषीय या बहुभाषी शब्दकोश तैयार करने की गतिविधि में शामिल करें। आपके विद्यार्थियों की ज़रूरतों पर निर्भर करते हुए, ये शब्दकोश आसान शब्दों और चित्रों, रोज़मर्रा के विषयों (जैसे कि स्कूल, घर, पार्क, शरीर के अंग, जानवर) से संबंधित शब्दसंग्रह या विषय-विशिष्ट शब्दों (उदाहरण के लिए, गणित, विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान से संबंधित) पर केंद्रित हो सकते हैं।
अगर आपके विद्यार्थी अंग्रेज़ी का अध्ययन कर रहे हैं, तो वे एक ऐसा बहुभाषी शब्दकोश संकलित कर सकते हैं, जिसमें शब्दों को अंग्रेज़ी, हिंदी और उनकी मातृभाषा में सूचीबद्ध किया गया हो। उन शब्दकोशों को ऐसी जगह पर रखें जहाँ से आपके सभी विद्यार्थी उनका उपयोग कर सकें। नए शब्दों की एक सूची तैयार करें और अपने विद्यार्थियों के लिए कुछ समय निर्धारित करें ताकि वे नियमित रूप से इन और अन्य शब्दों को उस शब्दकोश में शामिल कर सकें।
‘भाषा अनुवाद’ तुलनात्मक रूप से पुराने अभ्यास के लिए एक नया शब्द है – जिसमें ऐसी भाषाओं को, जिनके बारे में किसी को जानकारी हो, दूसरी भाषा में बदला जाता है, ताकि संचार की क्षमता को बढ़ाया जा सके। भाषा अनुवाद एक लचीला बहुभाषावाद है। एक ही उच्चारण में चाहे इसमें भिन्न-भिन्न भाषाओं के संयोजन तत्व शामिल हों या नहीं (‘कोड-स्विचिंग’) अथवा किसी कार्य के भिन्न-भिन्न हिस्सों में भाषाओं के बीच अदला-बदली करना, यह किसी व्यक्ति के भाषायी संसाधनों को उनके सर्वोत्तम प्रभाव के साथ नियोजित करने का एक प्राकृतिक माध्यम है। यह इसलिए उत्पन्न होता है, क्योंकि व्यक्ति किसी कथित भाषा को किसी विशिष्ट कार्य, विषय या परिस्थिति से संबद्ध कर देते हैं या क्योंकि कुछ अवधारणाएँ (जैसे कि ’इंटरनेट’) सामान्यतः किसी भाषा विशेष में अधिक व्यक्त की जाने वाली समझी जाती हैं क्योंकि यह मनोरंजक और मजाकिया हो सकता है। भाषा अनुवाद ऐसी चीज़ है जिसका उपयोग अधिकांश लोग, इसके बारे में कुछ सोचे बिना, अपने मित्रों, परिवार और समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ हर समय करते रहते हैं।
कक्षा में, भाषा अनुवाद में निम्न शामिल हो सकते हैं:
इस प्रकार, विद्यार्थी जानकारी को एक भाषा में सुन सकते हैं और उसके भावार्थ को दूसरी भाषा में मौखिक रूप से समझा सकते हैं या उसके लिखित नोट बना सकते हैं। इसी प्रकार वे एक भाषा में कोई पाठ्य पढ़ सकते हैं और दूसरी भाषा में उसके बारे में बात कर सकते हैं या लिखित रूप में उसका सारांश कर सकते हैं।
शिक्षकों और विद्यार्थियों, दोनों के लिए एक संसाधन के रूप में भाषा अनुवाद के कई शैक्षणिक लाभ हैं, क्योंकि यहः
श्रीमती इंद्रा, हरदोई से बाहर के एक ग्रामीण स्कूल की कक्षा IV की अध्यापिका, यह बताती हैं कि उन्होंने अपनी भाषा के अध्यायों में भाषा अनुवाद को शामिल करने की शुरुआत कैसे की है।
मेरे अधिकांश विद्यार्थियों की पहली भाषा हिंदी नहीं है। चूँकि मैंने तीन महीने पहले उनकी भाषा के अध्यायों में भाषा अनुवाद अभ्यासों को सम्मिलित करने की शुरुआत की, इसलिए अब वे अपने शिक्षण में और भी अधिक बहुभाषी हो गए हैं और जुड़ चुके हैं। हिंदी भाषा में भी उनका आत्मविश्वास काफ़ी हद तक बेहतर हुआ है। मैंने यह देखा है कि मेरी कक्षा के एकभाषी हिंदी वक्ताओं ने अपने सहपाठियों के शब्दों और वाक्यों को भी अपनाना शुरू कर दिया है।
अगर मेरे विद्यार्थी अपनी हिंदी पाठ्यपुस्तिका के किसी अनुभाग या पृष्ठ को पढ़ने जा रहे हों, तो मैं उस विषय के परिचय के साथ शुरुआत करती हूँ, अपने उन विद्यार्थियों को आमंत्रित करती हूँ, जिसे उस विषय के बारे में कुछ भी पता हो खुद से बताए और उन्हें प्रोत्साहित करती हूँ कि वे मुख्य हिंदी शब्द संग्रह को अपनी मातृभाषा में अनुवादित करें। अगर मुझे उनकी बातें समझ नहीं आती हैं, तो मैं उनसे अपनी सहायता करने के लिए कहती हूँ।
उसके बाद मैं, अपने विद्यार्थियों से जोड़ों में या छोटे-छोटे समूहों में अपनी हिंदी पाठ्यपुस्तिका के किसी अनुभाग या पृष्ठ को ज़ोर से, धीरे-धीरे या मुक्त रूप से पढ़ने के लिए कहती हूँ। किसी भी स्थिति में, मैं प्रत्येक पृष्ठ या अनुभाग की समाप्ति पर रुकने के लिए कहती हूँ और उन लोगों ने जो पढ़ा है, उसमें से सभी अपरिचित शब्दों का मतलब निकालते हुए और उनका अर्थ समझाते हुए, उसे अपने साथी या अन्य समूह के सदस्यों के साथ चर्चा करने के लिए कहती हूँ। मैं उन्हें सुझाव देती हूँ कि वे इसके लिए अपनी मातृभाषा का उपयोग करें। मैं उन्हें उनके द्वारा निर्मित शब्दकोश में सभी नए शब्दों या अभिव्यक्तियों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ।
अगर मैं यह चाहूँ कि विद्यार्थियों के जोड़े या समूह बाकी कक्षा के सामने स्कूल की भाषा में कुछ प्रस्तुत करें, तो मैं उन्हें सबसे पहले यह चर्चा करने के लिए अपनी भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ, कि वे अपने विचारों को कैसे व्यक्त करेंगे। अगर मैं उनसे स्कूल की भाषा में कोई सारांश या रिपोर्ट लिखवाना चाहूँ, तो मैं ऐसा ही करती हूँ।
अपने सभी विद्यार्थियों की रूचि को कायम रखने के लिए, मैं यह सुनिश्चित करते हुए, जोड़ों और समूहों की व्यवस्था में अंतर करने का प्रयास करती हूँ, कि वे हर बार समान मातृभाषा के कम से कम दो विद्यार्थियों को शामिल करें। कभी-कभी मैं स्कूल की भाषा में समान क्षमता वाले विद्यार्थियों को एक साथ रखती हूँ। बाकी समय मैं आत्मविश्वास से भरे विद्यार्थी को कम आत्मविश्वासी विद्यार्थी के साथ रखती हूँ, ताकि साझा मातृभाषा में पुराना विद्यार्थी, नए विद्यार्थी की मदद कर सके। अगर उस समूह में कोई ऐसा विद्यार्थी है, जो साझा मातृभाषा नहीं बोलता है, तो मैं यह सुनिश्चित करती हूँ, कि मेरे विद्यार्थी जो भी चर्चा कर रहे हों, उसे स्कूल की भाषा में अनुवादित कर लें।
हाल ही में मैंने एक ऐसी पारंपरिक लघु कहानी प्रस्तुत की, जो हिंदी और मेरे विद्यार्थियों की मातृभाषा में उपलब्ध थी। मैंने इसका उपयोग अपनी कक्षा VII के विद्यार्थियों के साथ किया। मैंने हर भाषा में इन कहानियों की प्रतिलिपियाँ तैयार की और विद्यार्थियों के छोटे-छोटे समूहों द्वारा उन्हें एक साथ पढ़वाया। उसके बाद मैंने उन्हें दो कहानियों के भिन्न-भिन्न संस्करणों की तुलना करने के लिए, प्रत्येक में प्रयुक्त मुख्य शब्दों सहित, अपनी मातृभाषा का उपयोग करने के लिए कहा।
विचार के लिए रुकें
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यहाँ कुछ संभावनाएँ दी गई हैं:
किसी ऐसे आगामी भाषा अध्याय का पता लगाएँ, जिसमें आप अपने कक्षा अभ्यास में भाषा अनुवाद को प्रस्तुत कर सकते हैं। उस प्रत्येक गतिविधि को नोट कर लें, जिसमें स्कूल की भाषा का या विद्यार्थी की मातृभाषा का उपयोग सबसे उचित रहेगा। अपने विद्यार्थियों के जोड़े या समूह कैसे बनाएँ। इस पर विचार करें पाठ योजना बनाना, निर्देशात्मक वाक्यों की समीक्षा करना और उनका अभ्यास करना (ऊपर देखें)। अगर संभव हो तो अपने सहकर्मी के साथ अपनी योजना साझा करें।
जब आप तैयार हो जाएँ, तो अध्याय को लागू करें। शुरूआत अपने विद्यार्थियों को यह समझाते हुए करें, कि भाषा अनुवाद के क्या-क्या लाभ हैं और आप उन्हें ऐसा करने के लिए क्यों प्रोत्साहित करना चाहते हैं। इस गतिविधि के प्रत्येक चरण के लिए, उन्हें स्पष्ट निर्देश दें। उन्हें उनकी मातृभाषा के प्रयोग के लिए, मददगार के रूप में जवाब दें।
हो सकता है आपको मुख्य संसाधन ‘अध्याय नियोजन’ पढ़ना मददगार लगे।
वीडियोः अध्याय नियोजन |
विचार के लिए रुकें
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जब आप अपने शिक्षण अभ्यास में भाषा अनुवाद का परिचय कराते हैं तो इसे अपने पाठों में लगातार शामिल करना महत्वपूर्ण है ताकि आपके विद्यार्थी नियमित रूप से अपने अधिगम में मातृभाषा के उपयोग की स्वीकार्यता के लिए विश्वास हासिल कर सकें।
इस इकाई में बहुभाषावाद के सफल उपयोग के तरीकों पर चर्चा की गई है जिन्हें आपको और आपके विद्यार्थियों को शिक्षण, अधिगम और समावेशन के संवर्धन के लिए विद्यालय में लेकर आना है। इसने आपको कक्षा भाषा सर्वेक्षण आयोजित करने, बहुभाषीय कक्षा परिवेश का निर्माण करने एवं आपके भाषा पाठों में भाषा अनुवाद गतिविधियों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इस प्रकार के निरंतर अभ्यास का आपके विद्यार्थियों के सामाजिक, संज्ञानात्मक और संचारपरक विकास पर स्थायी सकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
संस्कृति और समाज की विविधता कक्षा में प्रतिबिंबित होती है। विद्यार्थियों की भाषाएं, रुचियां और योग्यताएं अलग-अलग होती हैं। विद्यार्थी विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं। हम इन विभिन्नताओं को अनदेखा नहीं कर सकते हैं; वास्तव में हमें उन्हें सकारात्मक रूप से देखना चाहिए क्योंकि हमारे लिए ये एक दूसरे के बारे में तथा हमारे अनुभव से परे के संसार को जानने और समझने के लिए माध्यम का काम कर सकते हैं। सभी विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने एवं अपनी स्थिति, योग्यता और पृष्ठभूमि से अलग जाकर सीखने का अवसर हासिल करने का अधिकार है, और इस बात को भारतीय कानून में एवं अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकारों में मान्यता प्राप्त है। 2014 में राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के सभी नागरिकों के मूल्यों, मान्यताओं को महत्व दिए जाने पर बल दिया भले ही किसी नागरिक की जाति, लिंग या आय कुछ भी क्यों न हो। इस संबंध में विद्यालयों और अध्यापकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।
हम सभी के पास उन दूसरे लोगों को लेकर पूर्वाग्रह और विचार होते हैं जिनसे हमारा परिचय या साक्षात्कार नहीं हुआ हो सकता है। एक अध्यापक के रूप में, आपके पास प्रत्येक विद्यार्थी के शैक्षिक अनुभव को सकारात्मक या नकारात्मक ढंग से प्रभावित करने की शक्ति होती है। चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, आपके निहित पूर्वाग्रहों और विचारों का इस बात पर अवश्य प्रभाव होगा कि आपके विद्यार्थी कितनी बराबरी के साथ सीख रहे हैं। आप अपने विद्यार्थियों को असमान व्यवहार से सुरक्षित करने के लिए कदम उठा सकते हैं।
ऐसे कई विशिष्ट दृष्टिकोण हैं जिनसे आपको सभी विद्यार्थियों को शामिल करने में मदद मिलेगी। इन्हें अन्य प्रमुख संसाधनों में और अधिक विस्तार से वर्णित किया गया है लेकिन यहां संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा हैः
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इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतारूपी आभारः
आकृति 1: द्विभाषी चित्र शब्दकोष, M-TALL akhra, JTWRI, कल्याण विभाग, झारखंड सरकार से ली गई। (Figure 1: adapted from Bilingual Picture Dictionary, M-TALL akhra, JTWRI, Department of Welfare, Govt. of Jharkhand).
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत-भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन युनिवर्सिटी के साथ काम किया।