बातचीत मानव विकास का हिस्सा है, जो सोचने–विचारने, सीखने और दुनिया को समझने में हमारी मदद करती है। लोग भाषा का इस्तेमाल तार्किक क्षमता, ज्ञान और बोध को विकसित करने के लिए एक औज़ार के रूप में करते हैं। अतः छात्रों को सीखने के उनके अनुभवों के भाग के रूप में बात करने के लिए प्रोत्साहित करने से उनकी शैक्षणिक प्रगति को बढ़ाने में मदद मिलेगी। सीखे जाने वाले विचारों के बारे में बात करने का अर्थ होता हैः
किसी कक्षा में छात्र वार्तालाप के विभिन्न तरीके होते हैं जिनमें दोहराने से लेकर उच्च स्तर की तार्किक क्षमता विकसित करने हेतु चर्चा तक शामिल हैं।
पूर्व में शिक्षक द्वारा बातचीत का दबदबा होता था और वह छात्रों की बातचीत या छात्रों के ज्ञान के मुकाबले अधिक मूल्यवान समझी जाती थी। तथापि, ’पढ़ाई के लिए बातचीत’ के लिए पाठों का नियोजन बहुत महत्वपूर्ण है ताकि छात्र अधिक से अधिक बात करें और पहले के अनुभवों के आधार पर अधिक सीखें। यह किसी शिक्षक और उसके छात्रों के बीच प्रश्न और उत्तर सत्र से कहीं अधिक होता है क्योंकि इसमें छात्र की अपनी भाषा, विचारों और रुचियों को ज्यादा समय दिया जाता है। हममें से अधिकांश कठिन मुद्दे के बारे में या किसी बात का पता करने के लिए किसी से बात करना चाहते हैं, और अध्यापक बेहद सुनियोजित गतिविधियों से इस सहज–प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।
शिक्षण की गतिविधियों के लिए बातचीत की योजना बनाना महज शब्दावली के लिए नहीं है, बल्कि यह गणित एवं विज्ञान के काम तथा अन्य विषयों के नियोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इसे पूरी कक्षा में, जोड़ी कार्य या सामूहिक कार्य में, कक्षा से बाहर गतिविधियों में, रोल–प्ले में, लेखन, वाचन, प्रायोगिक छानबीन और रचनात्मक कार्य में योजनाबद्ध तरीके से किया जा सकता है।
यहां तक कि आरंभिक साक्षरता और गणितीय कौशल वाले नन्हें छात्र भी उच्चतर श्रेणी के चिंतन कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं, बशर्ते कि उन्हें दिया जाने वाला कार्य उनके पहले के अनुभव पर आधारित हो और आनंददायक हो। उदाहरण के लिए, छात्र तस्वीरों, आरेखणों या वास्तविक वस्तुओं से किसी कहानी, पशु या आकृति के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं। रोल प्ले के माध्यम से छात्र कठपुतली या पात्र की समस्याओं के बारे में सुझावों और संभावित समाधानों को सूचीबद्ध कर सकते हैं।
जो कुछ आप छात्रों को सिखाना चाहते हैं, उसके इर्दगिर्द पाठ की योजना बनायें और इस बारे में सोचें, और साथ ही इस बारे में भी कि आप किस प्रकार की बातचीत को छात्रों में विकसित होते देखना चाहते हैं। कुछ प्रकार की बातचीत अन्वेषी या खोज–बीन करने वाली होती है, उदाहरण के लिएः ’इसके बाद क्या होगा?’, ’क्या हमने इसे पहले देखा है?’, ’यह क्या हो सकता है?’ या ’आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि वह यह है?’ कुछ अन्य प्रकार की वार्ताएं ज्यादा विश्लेषणात्मक होती हैं, उदाहरण के लिए विचारों, साक्ष्य या सुझावों का आकलन करना।
इसे रोचक, मज़ेदार बनाएं और यह कोशिश करें कि सभी छात्रों संवाद में भाग ले सकें। छात्रों को उपहास का पात्र बनने या गलत होने के भय के बिना अपने दृष्टिकोणों और विचारों को व्यक्त करने तथा उन्हें सहज व सुरक्षित महसूस करने के लिए प्रेरित करें।
अधिगम के लिए वार्ता अध्यापकों को निम्न अवसर प्रदान करती हैः
सभी उत्तरों को लिखना या उनका औपचारिक आकलन नहीं करना होता है, क्योंकि वार्ता के जरिये विचारों को विकसित करना शिक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके अधिगम को प्रासंगिक बनाने के लिए उनके अनुभवों और विचारों का आपको यथासंभव प्रयोग करना चाहिए। सर्वश्रेष्ठ छात्र वार्ता अन्वेषी होती है, जिसका अर्थ होता है कि छात्र एक दूसरे के विचारों की छानबीन करते हैं और उन्हें चुनौती पेश करते हैं ताकि वे अपने प्रत्युत्तरों को लेकर विश्वस्त हो सकें। आपस में बातचीत करने वाले समूहों को किसी के भी द्वारा दिए गए उत्तर को यूं ही स्वीकार न करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आप कक्षा के समक्ष विभिन्न प्रकार के जांच वाले प्रश्नों जैसे, ‘क्यों?’, ‘आपने उसका निर्णय क्यों किया?’ या ‘क्या आपको उस हल में कोई समस्या नजर आती है?’ के माध्यम से चुनौती देने वाली चिंतन प्रक्रिया का मॉडल प्रस्तुत कर सकते हैं। आप छात्रों को समूहों में सुनते हुए कक्षा में घूम सकते हैं और ऐसे प्रश्न पूछकर उनके चिंतन को बढ़ा सकते हैं।
अगर छात्रों की वार्ता, विचारों और अनुभवों की कद्र और सराहना की जाती है तो वे प्रोत्साहित होंगे। बातचीत करने के दौरान अपने व्यवहार, सावधानी से सुनने, एक दूसरे से प्रश्न पूछने, और बाधा न डालना जैसे व्यवहारों के लिए अपने छात्रों की प्रशंसा करें। कक्षा में कमजोर बच्चों के बारे में सावधान रहें और उन्हें भी शामिल किया जाना सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करें। कामकाज के ऐसे तरीकों को स्थापित करने में थोड़ा समय लग सकता है, जो सभी छात्रों को पूरी तरह से भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हों।
अपनी कक्षा में ऐसा वातावरण तैयार करें जहां अच्छे चुनौतीपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं और जहां छात्रों के विचारों को सम्मान दिया जाता है और उऩकी प्रशंसा की जाती है। अगर उन्हें उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर भय होगा या अगर उन्हें लगेगा कि उनके विचारों का मान नहीं किया जाएगा तो छात्र प्रश्न नहीं पूछेंगे। छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करने से उन्हें जिज्ञासा व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। उनसे अपनी सीख के बारे में अलग ढंग से विचार करने के लिए कहें जिससे उनके नजरिए को समझने में आपको सहायता मिलती है।
आप कुछ नियमित समूह या जोड़े में कार्य करने, या शायद ‘छात्रों के प्रश्न पूछने का समय’ जैसी कोई योजना बना सकते हैं ताकि छात्र प्रश्न पूछ सकें या अधिक स्पष्ट उतर की मांग सकें। आपः
जब छात्र प्रश्न पूछने और उन्हें मिलने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए स्वतंत्र होते हैं तो उस समय आपको उनकी रुचि और चिंतन के स्तर को देखकर हैरानी होगी। जब छात्र अधिक स्पष्टता और सटीक रूप से संवाद करना सीख जाते हैं, तो वे न केवल अपनी मौखिक और लिखित शब्दावलियां बढ़ाते हैं, अपितु उनमें नया ज्ञान और कौशल भी विकसित होता है।
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