अंग्रेजी में पठन के शिक्षण पर National Curriculum Framework (2005) में जोर दिया गया है। छात्रों को स्वयं अपनी सफलता के लिए और अपने समुदाय में योगदान करने हेतु अच्छे पठन कौशलों से सुसज्जित होना चाहिए। यदि आप अंग्रेजी को स्वतंत्र रूप से पढ़ने के कौशलों को विकसित करने में छात्रों की मदद कर सकते हैं, तो आप उनके भावी जीवन में सहायता कर रहे होंगे। पठन एक हस्तांतरण-योग्य कौशल भी है, इसलिए अंग्रेजी में छात्रों के पठन कौशलों में सुधार से उन्हें अन्य भाषाओं में भी बेहतर पाठक बनने में मदद मिलेगी।
किसी भी भाषा के अच्छे पाठक जो कुछ पढ़ रहे होते हैं उसे समझने में अपनी मदद के लिए कतिपय तकनीकों का उपयोग करते हैं। पाठ को पढ़ते समय वे अपने आप से प्रश्न पूछते हैं। वे जो कुछ पढ़ रहे होते हैं उसे समझने के लिए दुनिया के बारे में अपने बोध का उपयोग करते हैं। वे उन बातों की पहचान करते हैं जिन्हें समझना और याद रखना महत्वपूर्ण होता है। अपने अंग्रेजी अध्यायों में, आप इनमें से कुछ तकनीकों को सीखने में अपने छात्रों की मदद कर सकते हैं।
इस इकाई में आप ऐसी तकनीकों का अध्ययन करेंगे जिनका उपयोग आप छात्रों के स्वतंत्र पाठक बनने में मदद करने के लिए कर सकते हैं, खास तौर पर जब वे मौन रहकर अपने बलबूते पर पढ़ते हैं। ये तकनीकें उन्हें उन विविध और जटिल पाठों को समझने में मदद करेंगी जो उन्हें अपनी कक्षाओं में और परीक्षाओं के लिए, और विद्यालय से बाहर के जीवन में भी पढ़ने हैं।
छात्र जो कुछ पढ़ रहे होते हैं उसके बारे में उनकी समझ को गहरा करने में उनकी मदद करने का एक तरीका यह है कि जब वे पढ़ रहे हों तब पाठ के विषय में अपने आप से प्रश्न पूछने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाय।
ऐसे प्रश्न जिन्हें छात्र अपने आप से पूछ सकते हैं मोटे तौर पर दो प्रकार के होते हैं: तथ्यात्मक और आनुमानिक। तथ्यात्मक प्रश्नों के उत्तरों को पाठ में आसानी से पाया जा सकता है। इस प्रकार के प्रश्न आम तौर पर ‘what’, ‘who’, ‘where’, ‘how many’ और ‘when’ जैसे शब्दों से शुरू होते हैं।
आनुमानिक प्रश्न पाठकों से उन्होंने जो कुछ पढ़ा है उसके आधार पर निष्कर्ष निकालने को कहते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर पाठ में स्पष्टतया घोषित नहीं होते हैं। इस प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए आपको अधिक गहरा सोचने तथा पाठ में जो कुछ दिया गया है और दुनिया के बारे में आपके ज्ञान के बीच संबंध स्थापित करने की जरूरत पड़ती है। इस प्रकार के प्रश्न निम्न प्रकार के शब्दों और वाक्यांशों से शुरू होते हैं:
इन प्रश्नों के उत्तर हमेशा ही सही या गलत नहीं होते हैं। इस प्रकार के प्रश्न छात्रों को पाठ के साथ अधिक संलग्न होने, और उन्हें अधिक आलोचनात्मक ढंग से सोचने को प्रेरित करते हैं। (इस प्रकार के प्रश्नों के उदाहरणों के लिए देखें संसाधन 1, ‘चिंतन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना’।)
यह सुनने के लिए कि एक शिक्षक छात्रों द्वारा उत्पन्न प्रश्नों का उपयोग पठन कार्य में कैसे करता है केस स्टडी 1 पढ़ें।
श्री चक्रतोदी माध्यमिक सरकारी विद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाते हैं। उन्होंने प्रयास किया कि उनके छात्र पढ़ते समय प्रश्न पूछें।
जब हम पाठ्यपुस्तक के एक अध्याय पर काम कर रहे थे [Central Board of Secondary Education, 2011a], मैंने गद्यांश – ‘Mr Sunday Nana, his wife and four small children live in Koko Village, Nigeria’ – की पहली पंक्ति पढ़ी और उनसे वे प्रश्न सोचने को कहा जो वे उसके विषय में पूछ सकते थे:
फिर मैंने अगली पंक्ति पढ़ी: ‘The village is like any other African village – picturesque, colourful and noisy.’
मैंने छात्रों से पूछा कि उनके पिछले प्रश्नों में से किसी का उत्तर दिया गया है या नहीं और उन्होंने कहा कि अब उनके पास गाँव के विषय में कुछ अधिक जानकारी है। तब मैंने उनसे दूसरे वाक्य के बारे में कुछ और प्रश्न सोचने को कहा ।
मैंने छात्रों से गद्यांश को पढ़ने और उसे पढ़ते समय उनके मन में आए प्रश्नों को नोट करते हुए अगले 15 मिनट बिताने को कहा। जब वे काम कर रहे थे तब मैंने कमरे में चक्कर लगाया और उन छात्रों की सहायता की जिन्हें कठिनाई हो रही थी। छात्रों द्वारा पूछे जा रहे प्रश्नों को देखना रोचक था, और इससे मुझे यह देखने में भी मदद मिली कि किन छात्रों को पाठ की बेहतर समझ थी।
केस स्टडी 1 में, शिक्षक ने छात्रों से पाठ्यपुस्तक के एक गद्यांश को पढ़ते समय अलग अलग प्रकार के प्रश्नों को नोट करने को कहा। अपने छात्रों के साथ यह गतिविधि करने के लिए इन चरणों का पालन करें:
Factual | Inferential |
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What …? | How …? |
Where …? | How do you know …? |
When …? | What if …? |
Who …? | What do you think …? |
Which …? | Why do you think …? |
How many/much/often …? | Can you tell me more about …? |
विचार के लिए रुकें यहाँ इस गतिविधि का प्रयोग करने के बाद आपके विचार करने के लिए कुछ प्रश्न दिए गए हैं। यदि संभव हो, तो इन प्रश्नों पर किसी सहकर्मी के साथ चर्चा करें।
छात्रों को इस प्रकार की गतिविधि शुरू में कठिन लग सकती है यदि वे इसके आदी नहीं हैं। अभ्यास से वे कई तरह के प्रश्न पूछने में सक्षम होंगे और इससे उनकी सृजनात्मकता और महत्वपूर्ण चिंतन कौशलों का विकास होगा। |
अच्छे पाठक जो कुछ पढ़ते हैं उसके बारे में प्रश्न पूछते हैं। वे उन प्रश्नों का उत्तर देने और पाठ को समझने के लिए संकेतों की तलाश करते हैं। वे पाठ से मिलने वाली जानकारी और दुनिया के बारे में उनके पूर्व ज्ञान का उपयोग करके पाठ के मतलब के बारे में किसी तरह के निष्कर्ष पर पहुँचते हैं।
हम ऐसा हर दिन मौखिक और लिखित संचार दोनों में करते हैं। अक्सर यह इतना अधिक स्वचालित रूप से होता है कि हमें पता भी नहीं चलता कि वह जानकारी वार्तालाप या पाठ में शामिल नहीं थी। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित वाक्यों को पढ़ें:
My wife and I tried to pack light, but we made sure that we didn’t forget our sleeping bags and special walking shoes. The last time I travelled, I had motion sickness so I also made sure that I packed some medicine to prevent vomiting.
पाठक इन वाक्यों से बहुत सारी जानकारी एकत्र कर सकता है:
यह जानकारी वाक्यों में स्पष्ट रूप से कही नहीं दी गई थी, विष्व की स्वयं की जानकारी का प्रयोग करके पाठक, जो कहा गया है, उससे भी कहीं अधिक समझ सकता है। जब आप कोई पाठ पढ़ते हैं, तब आप जो कुछ पढ़ रहे होते हैं उसके बारे में निष्कर्षों पर स्वतः ही पहुँच जाते हैं, भले ही लेखक ने ऐसा नहीं कहा है। आप कोई बात क्यों हुई है, पात्रों ने किसी खास तरह से बर्ताव क्यों किया है, और उन्हें कैसा महसूस हो रहा है जैसे निष्कर्षों पर पहुँचते हैं।
बेशक, लोगों का दुनिया के बारे में ज्ञान इस आधार पर अलग अलग होता है कि वे कहाँ रहते हैं या उनके अनुभव क्या हैं। इसका अर्थ यह है कि लोग जो कुछ पढ़ते हैं उसके बारे में अलग अलग निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
अच्छे पाठक पाठ में जो कुछ है उसका और दुनिया के बारे में अपने ज्ञान का उपयोग करके जो कुछ वे पढ़ रहे होते हैं उसका मतलब निकालते हैं। आप निम्नलिखित चरणों का पालन करके इस कौशल को विकसित करने में अपने छात्रों की मदद कर सकते हैं:
In 1900, at the age of 21, Albert Einstein was a university graduate and unemployed. He worked as a teaching assistant, gave private lessons and finally secured a job in 1902 as a technical expert in the patent office in Bern. While he was supposed to be assessing other people’s inventions, Einstein was actually developing his own ideas in secret. He is said to have jokingly called his desk drawer at work the ‘bureau of theoretical physics’.
What I understand about Einstein from the paragraph (but is not directly stated) | How I understand this |
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What I understand from the paragraph (but is not directly stated) | How I understand this |
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Perhaps he wasn’t very rich | He had to work – he worked as a teaching assistant and gave private lessons |
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विचार के लिए रुकें यहाँ इस गतिविधि का प्रयोग करने के बाद विचार करने के लिए कुछ प्रश्न दिए गए हैं। यदि संभव हो, तो इन प्रश्नों की चर्चा किसी सहकर्मी के साथ करें।
यह गतिविधि पाठ को पढ़ते समय उपयोग में लाए जाने वाले कौशलों के बारे में अधिक जानने में छात्रों की मदद करती है, और पाठों को अधिक समझने और याद रखने में उनकी मदद करेगी। यह छात्रों के लिए कठिन हो सकता है, लेकिन अभ्यास करके वे बेहतर काम करने लगेंगे। तकनीक को किसी अन्य पाठ के साथ आजमाएं, और देखें कि आपके छात्र अधिक समझने में सक्षम हैं या नहीं। |
माध्यमिक स्तर के पाठ अक्सर लंबे और बहुत सारी जानकारी से युक्त होते हैं। इस तरह के लंबे पाठों को पढ़ते समय संकेंद्रित रहना छात्रों के लिए काफी कठिन हो सकता है, और सारी जानकारी को याद रखना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। इसलिए उनके लिए यह सीखना जरूरी है कि पढ़ते समय कैसे पहचान करें कि क्या अधिक महत्वपूर्ण है और क्या कम महत्वपूर्ण है। वे ऐसा निम्न ढंग से कर सकते हैं:
ऐसा करने से छात्रों को जो वे पढ़ रहे हैं उस पर संकेंद्रित रहने में मदद मिलती है, और इससे उन्हें उसे बेहतर ढंग से समझने में भी मदद मिलती है।
श्रीमती शांता कक्षा 9 को अंग्रेजी पढ़ाती हैं। उनके छात्रों ने अभी -अभी एक परीक्षा दी है, और अधिकांश कक्षा ने बहुत अच्छा काम नहीं किया है। उन्होंने नोट्स लेने के तरीके के बारे में सीखने के लिए छात्रों की मदद करने का निश्चय किया ताकि वे भविष्य की परीक्षाओं के लिए जानकारी अधिक आसानी से स्मरण कर सकें।
छात्र यह जानना चाहते थे कि कैसे तय करें कि क्या महत्वपूर्ण है। ज्योति ने उल्लेख किया कि जब वह कोई अध्याय पढ़ती है तो हर चीज महत्वपूर्ण लगती है। मैंने यह पहचानने में उसकी मदद करने के लिए कि क्या महत्वपूर्ण है एक गतिविधि करने का निश्चय किया। मैंने उनसे अपनी पाठ्यपुस्तक में फिल्म निर्देशक Alfred Hitchcock के बारे में एक गद्यांश देखने को कहा [Central Board of Secondary Education, 2011a]:
Alfred Hitchcock was a man with a vivid imagination, strong creative skills and a passion for life. With his unique style and God-gifted wit he produced and directed some of the most thrilling films that had the audience almost swooning with fright and falling off their seats with laughter.
Alfred Hitchcock was greatly influenced by American films and magazines. At the age of 20, he took up a job at the office of Paramount Studio, London. Using imagination, talent and dedication, he made each of his endeavours a success. He took great pleasure in working in the studio and often worked all seven days a week. He moved to the USA in 1939 and got his American citizenship in 1955. Here, he produced many more films and hosted a weekly television show. No matter from where his ideas came, whether a magazine article, a mystery novel or incident, his films had the typical ‘Hitchcock touch’ – where the agony of suspense was relieved by interludes of laughter! Hitchcock was knighted in 1980.
मैंने उनसे गद्यांश को पहले मौन होकर पढ़ने को कहा, ताकि वे समझ सकें कि वह किस बारे में था। फिर मैंने उनकी बगल में बैठे व्यक्ति के साथ उस पर चर्चा करने को कहा। कुछ मिनट बाद छात्रों ने अपने हाथ उठाने शुरू कर दिए और बोले, ‘We think this passage is about someone called Alfred Hitchcock. It describes the kind of person he was and that he made films।’ अब मैंने उन्हें कुछ और निर्देश दिए:
हमने मिलकर हिचकॉक के बारे में निम्नलिखित बातों को रेखांकित किया।
Alfred Hitchcock was a man with a vivid imagination, strong creative skills and a passion for life. With his unique style and God-gifted wit he produced and directed some of the most thrilling films that had the audience almost swooning with fright and falling off their seats with laughter.
Alfred Hitchcock was greatly influenced by American films and magazines. At the age of 20, he took up a job at the office of Paramount Studio, London. Using imagination, talent and dedication, he made each of his endeavours a success. He took great pleasure in working in the studio and often worked all seven days a week. He moved to the USA in 1939 and got his American citizenship in 1955. Here, he produced many more films and hosted a weekly television show. No matter from where his ideas came, whether a magazine article, a mystery novel or incident, his films had the typical ‘Hitchcock touch’ – where the agony of suspense was relieved by interludes of laughter! Hitchcock was knighted in 1980.
फिर छात्रों ने नोटबुकों में अपने प्रमुख बिंदु लिखे:
अगली कक्षा में, मैंने उनके द्वारा हिचकॉक के बारे में बनाए गए नोट्स की समीक्षा करने को कहा, और पूछा कि क्या वे उस गद्यांश के मुख्य विचारों को स्मरण कर सकते हैं। यदि वे ऐसा कर सकते थे, तो उन्होंने अच्छे नोट्स बनाए थे। मैंने उन्हें बताया कि अब उन्होंने अपनी पढ़ाई का मार्ग खोज लिया है।
केस स्टडी 2 में, शिक्षिका ने अपनी कक्षा को दिखाया कि पाठ में से मुख्य विचारों को कैसे चुनना और अनावश्यक विवरणों को कैसे छोड़ना चाहिए। अब नीचे दिए गए चरणों का अनुसरण करें और अपनी कक्षा में ऐसी ही गतिविधि आजमाएं:
आप केवल एक या दो अनुच्छेदों के साथ काम करके शुरू कर सकते हैं। जब छात्र आश्वस्त हो जायं , तब आप उनसे अधिक बड़े अंशों के साथ काम करवा सकते हैं।
विचार के लिए रुकें यहाँ इस गतिविधि को प्रयोग करने के बाद आपके विचार करने के लिए कुछ प्रश्न दिए गए हैं। यदि संभव हो, तो इन प्रश्नों की चर्चा किसी सहकर्मी के साथ करें।
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नोट करने के अच्छे कौशल आपके छात्रों के लिए उपयोगी होंगे। यदि वे उच्चतर शिक्षा के लिए जाते हैं, तो उन्हें लेक्चरों या शैक्षणिक लेखों या किताबों से नोट्स लेने की जरूरत पड़ेगी। कार्यस्थल पर या प्रशिक्षण के समय उन्हें निर्देशों को नोट करने की जरूरत पड़ सकती है।
पढ़ते समय बनाए गए नोट्स – उदाहरण के लिए, परीक्षा से पहले, रिपोर्ट लिखते समय इत्यादि के लिए पुनरावलोकन के साधनों के रूप में भी बहुत उपयोगी हो सकते हैं। नोट्स के उपयोगी होने के लिए, उन्हें स्पष्ट तौर पर लिखा गया और खोजने में आसान होने चाहिए। क्या अधिक या सबसे महत्वपूर्ण है इसकी पहचान करने में अपने छात्रों की मदद करने के अलावा, आप उन्हें नोट्स लेने, रखने और उनका प्रभावी ढंग से उपयोग करने के तरीके दिखा सकते हैं।
यह गतिविधि जोड़ियों के लिए है, लेकिन चार के समूहों के लिए भी अनुकूलित की जा सकती है। इससे आपके छात्रों को महत्वपूर्ण भागों को चुनने और नोट करने के कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी।
विचार के लिए रुकें यहाँ इस गतिविधि का प्रयोग करने के बाद आपके विचार करने के लिए कुछ प्रश्न दिए गए हैं। यदि संभव हो, तो इन प्रश्नों की चर्चा किसी सहकर्मी के साथ करें।
विशिष्ट तौर पर इस तरह की गतिविधि तथ्यात्मक पाठों के साथ अधिक आसान होती है, क्योंकि मुख्य बातों और तथ्यों को चुनना अधिक आसान होता है। साहित्यिक पाठ अधिक कठिन हो सकते हैं, क्योंकि मुख्य बातों के बारे में पाठकों के विचार अलग अलग होंगे। गतिविधियों अलग अलग प्रकार के पाठों के साथ आजमाना, और आपके छात्रों के विचारों पर चर्चा करना दिलचस्प हो सकता है। आप इस तरह की गतिविधियाँ पाठ्यपुस्तक या सप्लीमेन्ट्री रीडर के अध्यायों के साथ कर सकते हैं। इस प्रकार, छात्र उन पाठों के साथ काम करते हैं जिनका उन्हें अध्ययन करना है। उनका नियमित रूप से उपयोग करने का मतलब है आपके छात्र उन्हें बेहतर ढंग से और अधिक शीघ्रता से कर सकेंगे। |
अच्छे पाठक किसी भी भाषा में पढ़ते समय विविध प्रकार की तकनीकों का उपयोग करते हैं। वे:
जब आपके छात्र अंग्रेजी के किसी भी तरह के पाठ को पढ़ते हैं तब इन कौशलों को विकसित करने में उनकी मदद करने के लिए आप रचनात्मक कक्षा गतिविधियों का उपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार के कौशल, अध्यायों और पाठों को बेहतर ढंग से समझने में छात्रों की मदद करेंगे, और वे कक्षा के बाहर और अपने भावी जीवन में पाठों को पढ़ने में भी उनकी मदद करेंगे। किसी भी भाषा में किसी भी पाठ को पढ़ते समय उपयोग के लिए भी वे तकनीकें उपयोगी होंगी।
यदि आप अपने स्वयं के पठन कौशलों को विकसित करने में रुचि रखते हैं, तो आप कुछ युक्तियाँ और लिंक्स संसाधन 3 में पा सकते हैं। पठन के अध्यापन के बारे में लेखों के लिए लिंक्स आप अतिरिक्त संसाधन खंड में पा सकते हैं।
इस विषय पर अन्य माध्यमिक अंग्रेजी शिक्षक विकास इकाइयाँ ये हैं:
शिक्षक हमेशा अपने छात्रों से सवाल पूछते रहते हैं; सवालों के द्वारा शिक्षक सीखने और सीखते रहने में अपने छात्रों की मदद कर सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार औसतन, एक शिक्षक अपने समय का एक-तिहाई हिस्सा छात्रों से सवाल पूछने में खर्च करता है (हेस्टिंग्स, 2003)। पूछे गए प्रश्नों में से, 60 प्रतिशत में तथ्यों को दोहराया गया था और 20 प्रतिशत प्रक्रियात्मक थे (हैती, 2012), जिनमें से ज्यादातर के उत्तर सही या गलत में थे। लेकिन क्या सिर्फ सही या गलत में उत्तर वाले सवाल पूछने से सीखने को प्रोत्साहन मिलता है?
छात्रों से कई अलग अलग तरह के सवाल पूछे जा सकते हैं। शिक्षक जिस तरह के उत्तर और परिणाम पाना चाहते हैं, उसी पर आधारित प्रश्न छात्रों से पूछने चाहिए। शिक्षक आमतौर पर छात्रों से सवाल पूछते हैं, ताकि वे:
छात्रों को प्रोत्साहित कर सकें
प्रश्नों का उपयोग आमतौर पर यह देखने के लिए किया जाता है कि छात्र क्या जानते हैं, इसलिए यह उनकी प्रगति का आंकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रश्नों का उपयोग प्रेरणा देने, छात्रों के सोचने के कौशल को बढ़ाने और जिज्ञासु मन विकसित करने में भी किया जा सकता है। प्रश्नों को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
खुले सिरे वाले सवाल छात्रों को पाठ्यपुस्तक पर आधारित, यथाशब्द जवाबों से परे सोचने को प्रोत्साहित करते हैं, इसलिए उत्तरों में विविधता पायी जाती है।
कई शिक्षक एक सेकंड से भी कम समय में अपने प्रश्न का उत्तर चाहते हैं और इसलिए अक्सर वे खुद ही प्रश्न का उत्तर दे देते हैं या प्रश्न को दूसरी तरह से दोहराते हैं (हेस्टिंग्स, 2003)। छात्रों को केवल प्रतिक्रिया देने का समय मिलता है – उनके पास सोचने का समय ही नहीं होता! अगर आप उत्तर चाहने से पहले कुछ सेकंड इंतजार करते हैं तो छात्र को सोचने के लिए समय मिल जाएगा। इसका छात्रों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रश्न को प्रस्तुत करने के बाद इंतजार करने से निम्नांकित में वृद्धि होती है:
आप दिए गए सभी उत्तरों को जितने सकारात्मक ढंग से स्वीकार करते हैं, छात्र भी उतना ही ज्यादा सोचना और कोशिश करना जारी रखेंगे। यह सुनिश्चित करने के कई तरीके हैं कि गलत उत्तरों और गलत धारणाओं को सुधार दिया जाए, और यदि एक छात्र के मन में कोई गलत विचार है, तो आप निश्चित रूप से यह मान सकते हैं कि कई अन्य छात्रों के मन में भी वही गलत धारणा होगी। आप निम्नलिखित का प्रयास कर सकते हैं:
सभी उत्तरों को ध्यान से सुनकर और आगे समझाने के लिए छात्रों को प्रेरित करके उन्हें महत्व दें। उत्तर चाहे सही हो या गलत, लेकिन यदि आप छात्रों से अपने उत्तरों को विस्तार में समझाने को कहते हैं, तो अक्सर छात्र अपनी गलतियाँ खुद ही सुधार लेंगे, आप एक विचारशील कक्षा का विकास करेंगे और आपको वास्तव में पता चलेगा कि आपके छात्र कितना सीख गए हैं और अब किस तरह आगे बढ़ना चाहिए। यदि गलत उत्तर देने पर अपमान या सज़ा मिलती है, तो दोबारा शर्मिंदगी या डांट के डर से आपके छात्र कोशिश करना ही छोड़ देंगे।
यह महत्वपूर्ण है कि आप प्रश्नों का एक ऐसा क्रम अपनाने की कोशिश करें, जो सही उत्तर पर ख़त्म न होता हो। एक मात्र उत्तर वाले प्रश्नों के बदले फॉलो- अप प्रश्न पूछने चाहिए, जो छात्रों का ज्ञान बढ़ाते हैं और उन्हें शिक्षक के साथ संलग्न होने का मौका देते है। यह आप इसके लिए पूछकर कर सकते हैं:
छात्रों की ज्यादा गहराई में जाकर सोचने में मदद करना और उनके उत्तरों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना आपकी भूमिका का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। निम्नलिखित कौशल अधिक उपलब्धि हासिल करने में छात्रों की मदद करते हैं:
प्रश्नों को अनक्रुमित करने का अर्थ है ऐसे क्रम में प्रश्न पूछना, जिन्हें सोच का विस्तार करने हेतु बनाया गया है। प्रश्नों के द्वारा छात्रों को सारांश बनाने, तुलना करने, समझाने और विश्लेषण करने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। ऐसे प्रश्न तैयार करें, जिनसे छात्रों को सोचने की प्रेरणा मिले, लेकिन उन्हें इतनी ज्यादा भी चुनौती न दें कि प्रश्न का अर्थ ही खो जाए। (‘स्पष्ट करें कि आप अपनी पहले की समस्या से किस प्रकार उबरे। उससे क्या फर्क पड़ा? आपको क्या लगता है आगे आपको किस चीज का सामना करने की जरूरत पड़ेगी?’)
सुनने से आप न केवल अपेक्षित उत्तर पर गौर करने में समर्थ होते हैं, बल्कि इससे आप असाधारण या नवाचारी उत्तरों के प्रति सतर्क भी होते हैं, जिसकी हो सकता है कि आपको अपेक्षा न रही हो। इससे यह भी दिखाई देता है कि आप छात्रों के विचारों को महत्व देते हैं और इसलिए इस बात की ज्यादा संभावना होती है कि वे सुविचारित उत्तर देंगे। इस तरह के उत्तर भ्रांतियों को चिह्नांकित कर सकते हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत होती है अथवा वे एक ऐसी नयी पहुंच दिखा सकते हैं, जिस पर आपने विचार नहीं किया हो। (‘मैंने इसके बारे में सोचा नहीं था। आप इस तरह से क्यों सोचते हैं इसके बारे में मुझे और जानकारी दें।’)
एक शिक्षक के रूप में, आपको ऐसे प्रश्न पूछने चाहिए जो प्रेरित करने वाले और चुनौतीपूर्ण हों, ताकि आप अपने छात्रों से रोचक और उनके स्वनिर्मित उत्तर पा सकें। आपको उन्हें सोचने का समय देना चाहिए और आप सचमुच यह देखकर चकित रह जाएंगे कि आपके छात्र कितना कुछ जानते हैं और आप सीखने में व उनकी प्रगति में कितनी अच्छी तरह मदद कर सकते हैं।
याद रखें कि प्रश्न यह जानने के लिए नहीं पूछे जाते कि शिक्षक क्या जानते हैं, बल्कि वे यह जानने के लिए पूछे जाते हैं कि छात्र क्या जानते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपको कभी भी अपने खुद के प्रश्नों का जवाब नहीं देना चाहिए! आखिरकार यदि छात्रों को यह पता ही हो कि वे आगे कुछ सेकंड तक चुप रहते हैं, तो आप खुद ही उत्तर दे देंगे, तो फिर उन्हें उत्तर देने का प्रोत्साहन कैसे मिलेगा?
रोज़ाना की स्थितियों में लोग साथ–साथ काम करते हैं, दूसरो से बोलते हैं और उनकी बात सुनते हैं, तथा देखते हैं कि वे क्या करते हैं और कैसे करते हैं। लोग इसी तरह से सीखते हैं। जब हम दूसरों से बात करते हैं, तो हमें नए विचारों और जानकारियों का पता चलता है। कक्षाओं में अगर सब कुछ शिक्षक पर केंद्रित हो, तो अधिकतर छात्रों को अपना अधिगम प्रदर्शित करने के लिए या प्रश्न पूछने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। संभव है कुछ छात्र केवल संक्षिप्त उत्तर दें और कुछ बिल्कुल भी नहीं बोलें। बड़ी कक्षाओं में, स्थिति और भी बदतर है, जहां बहुत ही कम छात्र कुछ बोलते हैं।
जोड़ी में कार्य छात्रों के लिए बात करने और ज्यादा से ज्यादा सीखने का एक स्वाभाविक तरीका है। यह सोचने और नए विचारों तथा भाषा को आज़माने का अवसर देता है। यह छात्रों को नए कौशलों और संकल्पनाओं के माध्यम से काम करने की सुविधा देता है। यह ज्यादा विद्यार्थियों वाली कक्षाओं में भी सफल रहता है।
जोड़ी में कार्य करना सभी आयु वर्गों के लोगों के लिए उपयुक्त है। यह विशेष तौर पर बहुभाषी, बहुग्रेड कक्षाओं के लिए उपयोगी है, क्योंकि इसमें एक दूसरे की सहायता करने के लिए जोडे बनाये जा सकते हैं। यह सर्वश्रेष्ठ तब काम करता है जब आप विशिष्ट कार्यों की योजना बनाते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए नयी प्रक्रियाओं की स्थापना करते हैं कि आपके सभी छात्र शिक्षण में शामिल हैं और प्रगति कर रहे हैं। एक बार इन नेमी प्रक्रियाओं को स्थापित कर लिए जाने के बाद, आपको पता लगेगा कि छात्र तुरंत जोड़ी में काम करने के अभ्यस्त हो जाते हैं और इस तरह सीखने में आनंद लेते हैं।
आप अधिगम के अपक्षित परिणामों के आधार पर विभिन्न प्रकार के कामों को जोड़ी में कार्य (pair work) करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। जोड़ी में कार्य को स्पष्ट और उपयुक्त होना चाहिए ताकि अकेले काम करने के मुकाबले साथ मिलकर काम करने से सीखने में अधिक मदद मिले। अपने विचारों के बारे में बात करके, आपके छात्र स्वयमेव खुद को और विकसित करने के बारे में विचार करेंगे।
जोड़ियों में कार्य (pair work) में इस प्रकार के काम हो सकते हैं :–
कहानी सुनाना या भूमिका अदा करना: छात्र जो भाषा सीख रहे हैं, उसमें कहानी या संवाद बनाने के लिए जोड़ी में कार्य कर सकते हैं।
जोड़ियों में कार्य करने का अर्थ सभी को काम में शामिल करना है। चूंकि छात्र भिन्न होते हैं, इसलिए जोड़ों का प्रबंधन इस तरह से करना चाहिए कि हरेक को जानकारी हो कि उन्हें क्या करना है, वे क्या सीख रहे हैं और उनसे आपकी अपेक्षाएं क्या हैं। अपनी कक्षा में जोड़े में कार्य को कक्षा की दैनिकचर्या का हिस्सा बनाने के लिए, आपको निम्नलिखित काम करने होंगेः
जोड़े में कार्य के दौरान, छात्रों को बताएं कि उनके पास प्रत्येक काम के लिए कितना समय है और समय–समय पर उनकी जांच करते रहें। उन जोड़ों की प्रशंसा करें जो एक दूसरे की मदद करते हैं और काम पर बने रहते हैं। छात्र अपने कार्य के बारे में विचार कर पाएं या अपनी योग्यता सिद्व कर पाएं उससे पूर्व ही कई बार आपके सामने उनके काम में जल्दी से जल्दी शामिल हो जाने का प्रलोभन हो सकता है फिर भी जोड़ियों को आराम से बैठकर उनके खुद के हल ढूंढने का समय दें। अधिकांश छात्रों को ऐसा वातावरण अच्छा लगता है जहॉ सभी लोग बातें कर पाएं और काम कर सकें। जब आप कक्षा में देखते और सुनते हुए घूम रहे हों तो नोट बनाएं कि कौन से छात्र एक दूसरे के साथ सहज हैं, हर उस छात्र के प्रति सचेत रहें जिसे शामिल नहीं किया गया है, और सामान्य गलतियों, अच्छे विचारों या सारांश के बिंदुओं को नोट करें।
कार्य के समाप्त होने पर आपकी भूमिका छात्रों द्वारा किये गये काम के बीच की कड़ियां जोड़ने की है। आप कुछ जोड़ों का चुनाव उनका काम दिखाने के लिए कर सकते हैं, या आप उनके लिए इसका सार प्रस्तुत कर सकते हैं। छात्रों को एक साथ काम करने पर उपलब्धि का एहसास पसंद आता है। आपको हर जोड़े से रिपोर्ट लेने की जरूरत नहीं है – इसमें काफी समय लगेगा – लेकिन आप उन छात्रों का चयन करें जिनके बारे में आपको अपने अवलोकन से पता है कि वे कुछ ऐसा सकारात्मक योगदान करने में सक्षम हैं जिससे दूसरों को सीखने को मिलेगा। इससे उन छात्रों को आत्मविश्वास में वृद्धि करने का अवसर मिलेगा जो सामान्यतः योगदान देने में संकोच का अनुभव करते हैं।
यदि आपने छात्रों को हल करने के लिए समस्या दी है, तो आप कोई नमूना उत्तर भी दे सकते हैं और फिर उनसे जोड़ियों में उत्तर में सुधार करने के संबंध में चर्चा करने के लिए कह सकते हैं। इससे अपने खुद के शिक्षण के बारे में विचार करने और अपनी गलतियों से सीखने में उन्हें सहायता मिलेगी।
यदि आप जोड़ियों में कार्य करने के लिए नए हैं, तो उन बदलावों के संबंध में नोट बनाना महत्वपूर्ण है जिन्हें आप कार्य, समयावधि या जोड़ियों के संयोजनों में करना चाहते हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आप इसी तरह सीखेंगे और इसी तरह अपने अध्यापन में सुधार करेंगे। जोड़ियों में कार्य का सफल आयोजन करना स्पष्ट निर्देशों और उत्तम समय प्रबंधन के साथ–साथ संक्षिप्त सार संक्षेपण से जुड़ा है – यह सब अभ्यास से आता है।
आपके स्वयं के पठन कौशलों का विकास करने के लिए कुछ युक्तियाँ और लिंक्स यहाँ प्रस्तुत हैं:
नियमित रूप से पढ़ें। हर सप्ताह पढ़ने के लिए समय निकालें, और यदि संभव हो, तो कोई शांत आरामदेह स्थान चुनें जहाँ आपका ध्यान भंग नहीं होगा।
इस इकाई के बारे में आपके द्वारा पढ़ी गई तकनीकों का उपयोग करें। छात्र जो पढ़ रहे हैं उसके बारे में प्रश्न पूछें; अपने अंग्रेजी और दुनिया के ज्ञान का उपयोग करके अंदाजा लगाएं कि पाठ का क्या अर्थ है; नोट्स लेने और पाठ को याद रखने या पुनर्निर्मित करने के लिए उनका उपयोग करने का अभ्यास करें।
हर एक शब्द को समझने का प्रयास न करें। संदेश या विचार को समग्र रूप से समझने का प्रयास करें। हर शब्द को शब्दकोश में न खोजें – यदि संभव हो तो शब्दों के अर्थ का अंदाजा लगाने का प्रयास करें, और केवल मुख्य शब्दों की तलाश करें। याद रखें कि आप पाठों को जितनी बार चाहें उतनी बार पढ़ सकते हैं।
अपनी अंग्रेजी का विकास करने के लिए कुछ अतिरिक्त संसाधन यहाँ प्रस्तुत हैं:
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।