हाल के वर्षों में भारत की शिक्षा नीति में कई परिवर्तन हुए हैं, पर सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक है विद्यालयों से की जाने वाली अपेक्षाओं में आया परिवर्तन। आकांक्षा यह है कि विद्यालयों को और अधिक स्वायत्त एवं अपने स्थानीय समुदाय के प्रति प्रतिक्रियाशील बनना चाहिए और यह कि विद्यालय प्रमुखों को उनके विद्यालयों में अध्यापन और सीखने की गुणवत्ता की और अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए (त्यागी, 2011)।
TESS-India मुक्त शैक्षिक संसाधन (ओईआर) का मकसद उन विद्यालय प्रमुखों की सहायता करना है जो अपने विद्यालयों को सक्रिय विद्यार्थियों और अन्योन्य क्रियाशील अध्यापकों के साथ गतिशील सीखने के परिवेश बनाना चाहते हैं। यह प्रथा पहले से जिन जगहों में मौजूद नहीं है वहां इसे करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, हालांकि विद्यालय प्रमुखों के पास उनके खुद के विद्यालय में अच्छा-खासे अधिकार होता है। यह इकाई विद्यालय नेता को सक्षमकारी बनाने में मदद करेगी। वह व्यक्ति जो अपनी भूमिका का उपयोग करके अपने विद्यालय में चीजों का होना संभव बनाता है। TESS-India ओईआर इस भूमिका में आपकी सहायता के लिए एक ‘टूलकिट’ प्रदान करते हैं (अधिक विवरण के लिए संसाधन 1 देखें)।
यह पहली उन्मुखीकरण इकाई, अपने खुद के विकास के लिए TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर का उपयोग कैसे करें से आपको परिचित कराने का लक्ष्य रखती है। इन सभी संसाधनों के मूल में यह विचार है कि सीखना जीवनभर और सतत होता है: अध्यापकों को प्रभावी ढंग से सीखने के लिए उनके विद्यालय नेताओं का भी ज्ञान प्राप्ति के उत्सुक बनना जरूरी है।
इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी भरना शुरू कर दिया होगा।
इस इकाई में आप अकेले काम कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय नेता के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते आ रहे हैं, या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध का निर्माण करना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अधिक अनौपचारिक आधारों पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे, और साथ ही आपकी दीर्घावधि की शिक्षण-प्रक्रिया और विकास का प्रतिचित्रण भी करेंगे।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 भारत के विद्यालयों को पहले से कहीं अधिक स्वायत्तता देता है। कई अन्य देशों में ऐसा पहले ही किया जा चुका है, जहां प्रायः विद्यालय प्रमुख स्वयं के बजट के लिए, अध्यापकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार होते हैं और यहां तक कि पाठ्यचर्या पर निर्णय लेने में भी सक्षम होते हैं। ये परिवर्तन अधिक जिम्मेदारी तो लाते हैं पर साथ में और आजादी भी लाते हैं और यह अपेक्षा भी कि विद्यालय प्रमुख जिला शिक्षा कार्यालय या अन्य शैक्षिक प्राधिकरणों से निर्देश मिलने का इंतजार किये बिना अपने विद्यालय को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करेंगे। भारत में, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (NUEPA) के नेशनल कॉलेज ऑफ स्कूल लीडरशिप (NCSL) का कार्य इन परिवर्तनों का समर्थन करना है।
TESS-India मुक्त शैक्षिक संसाधन (ओईआर) का एक बैंक प्रदान करता है जिसमें विद्यालय प्रमुख के लिए 20 अध्ययन इकाईयां हैं। इन्हें विद्यालय नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं पर सीखने की गतिविधियां के लिए तैयार किया गया है। कुछ स्पष्टतः, अध्यापन और सीखने में सुधार लाने तथा अध्यापकों की कक्षा संबंधी अभ्यास को विकसित करने पर केंद्रित हैं, वहीं कुछ अन्य विद्यालयों की प्रक्रियाओं और प्रणालियों पर ध्यान देती हैं, जैसे विद्यालय के लिए एक परिकल्पना बनाना, विद्यालय के कार्यों की समीक्षा करना, विकास योजना बनाना और विद्यालय के स्थानीय समाज के साथ मिलकर कार्य करना। आप अपनी व्यावसायिक, सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले ओईआर चुन सकते हैं। इकाइयों को विद्यालय नेतृत्व के लिए (NCSL) द्वारा पहचानी गई प्राथमिकताओं के अनुसार समूहबद्ध किया गया है, पर वे कोई पाठ्यक्रम नहीं हैं – हम आपको प्रोत्साहित करते हैं कि आप इन इकाइयों में से अपना खुद का रास्ता बनाएं।
प्रत्येक इकाई में गतिविधियां और केस स्टडी दिए गए हैं। गतिविधियां आपको अपने विद्यालय में करने के लिए दी गई हैं; इनमें से कुछ में सहकर्मियों को शामिल किया जाएगा और कुछ को आप स्वयं करेंगे। इन्हें आप पर अतिरिक्त कार्य निर्मित करने के लिए परिकल्पित नहीं किया गया है, बल्कि ये उन चीजों पर चिंतन करने और बेहतर समझ हासिल करने में आपकी मदद करती हैं जो आप किसी न किसी तरह कर रहे हैं या करने की सोच रहे थे। प्रत्येक इकाई को अपने आप में पूर्ण इकाई के तौर पर तैयार किया गया है, पर फिर भी आप चाहें तो संपूर्ण इकाई की बजाए अलग-अलग गतिविधियां चुन सकते हैं। अपनी भूमिका में आप जो ज्ञान और अनुभव लाते हैं, ओईआर उनका समर्थन करते हैं और आपको सहयोगी के रूप में कार्य करने को प्रोत्साहित करते हैं।
इस परिचय इकाई में आप अपने खुद के व्यावसायिक विकास के बारे में सोचना आरंभ करेंगे। आप विचार करेंगे कि आपके पास पहले से क्या-क्या ज्ञान एवं कौशल हैं और विद्यालय प्रमुख के तौर पर आप अपना खुद का तरीका कैसे विकसित कर सकते हैं।
TESS-India अध्यापकों के लिए भी ओईआर प्रदान करता है। सभी ओईआर में सीखने का सामाजिक दृष्टिकोण लिया गया है, जिसमें सीखना अपने विद्यालय के सहकर्मियों और विद्यार्थियों के साथ अभ्यासों में सहभागिता के जरिए होता है। वे सर्वश्रेष्ठ अभ्यास की कोई विस्तृत विधि या निर्देश सामग्रियां नहीं हैं; बल्कि वे आपको और आपके अध्यापकों को चिन्तनशील तथा तर्कमूलक पहचान एवं भूमिकाएं विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यहां उद्देश्य यह है कि व्यक्ति के कार्य परिवेश, भले ही वह आपका विद्यालय या कक्षा, के अंदर की समस्याओं को सुलझाने की संभावनाओं की दिशा में सीखने और पूछने के बारे में खुली सोच रखी जाए (लेव एवं वेंगर, 1991; ब्रूनर, 1996; वेंगर, 1998)।
विचार कीजिए– एक बार फिर विद्यालय प्रमुख या वरिष्ठ अध्यापक के रूप में करियर की शुरूआत के बारे में सोचें।
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नए अवसरों का सर्वाधिक लाभ लेने के लिए, विद्यालय प्रमुखों को कहीं अधिक विस्तृत कौशल विकसित करने होंगे। आप संभवतः इसलिए विद्यालय प्रमुख बने क्योंकि आप एक अच्छे अध्यापक और सुयोग्य व्यक्ति हैं। फिर भी प्रमुख होना, अध्यापक की भूमिका से बहुत अलग है। आपकी भूमिका है विद्यालय के दैनिक कामकाज़ का प्रबंधन करना और सुनिश्चित करना कि, दीर्घकाल में, आपका विद्यालय अपने समाज के विद्यार्थियों के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव शिक्षा प्रदान करे। इस इकाई में आपका परिचय कुछ ऐसे कौशलों और क्षमताओं से होगा जो विद्यालय के अध्यापकों को अधिक प्रभावी बनने में मदद करने के लिए एक प्रभावी विद्यालय प्रमुख में होने जरूरी हैं।
विचार कीजिए– एक बार फिर उस समय को याद करें जब आप विद्यालय में थे या जब आपने अपने अध्यापन की शुरूआत की थी। अब दस वर्ष आगे के बारे में सोचें। जिस वर्ष आपने अपना करियर आरंभ किया था उससे दस वर्ष के बाद में विद्यालयों के बीच का सबसे प्रमुख अंतर क्या होगा? |

आपकी प्रतिक्रियाएं आप और आपकी परिस्थितियों के अनुरूप व्यक्तिगत होंगी। फिर भी विद्यालय प्रमुख के तीन अलग अलग प्रकारों पर विचार करने से आपको अपने सामने आ सकने वाली चुनौतियों पर और चिंतन करने में मदद मिल सकती है:
अच्छे नेता के गुण सुप्रलेखित हैं। तालिका 1 में इस बारे में कुछ सुझाव हैं कि वे भारतीय प्ररिप्रेक्ष्य में किस प्रकार लागू होते हैं। आप गतिविधि 3 में इस विश्लेषण पर लौटेंगे।
| Qualities of a good leader | What these might mean in your context |
|---|---|
| Readiness to confront authority | You will need to work with your district education office and other related structures such as the cluster resource centres (CRCs), block resource centres (BRCs), local panchayat and school management committees (SMCs). These provide valuable resources and in many parts of the country still take responsibility for recruiting and deploying teachers. It is important that you manage your relationship with all these institutions and functionaries carefully and sensitively. Confrontation might not be the best approach, but don’t be afraid to take the initiative or do things differently from how they have been done in the past if you think it will help your school. |
| Being prepared to take risks | Culturally this is difficult, because India’s hierarchical structures mean that people feel they need to seek approval for any initiative from a more senior person. However, as long as you are aware of district priorities and the school development plan (SDP), and you have well thought out reasons about why you are making a particular change, you should be able to take risks in your school in order to achieve the improvements you want. |
| Resilience in the face of failure | In many cultures, admitting you have made a mistake or that things are less than perfect is difficult. Managing change is demanding and will not necessarily go smoothly. Every time something does not go exactly as planned, you should regard this as a learning opportunity. Make sure you reflect on and identify the reasons why things have not gone as planned, but don’t be afraid of admitting that you could have done something differently. |
| Confidence in instinct and intuition | You will probably have experience of working as a teacher in different schools. You will be able to use and build on this experience in your role as a school leader. The new aspiration for autonomous schools means that you will have more freedom to be creative and try out new things. |
| Ability to keep in mind the bigger picture | This applies to all leaders. Your role is to establish and communicate a clear vision for your school. All actions and initiatives should be linked to this vision. There is a School Leadership OER that provides practical advice about how to work with others to build a vision for your school. This will help you in formulating the SDP with the SMC members. |
| Moral commitment | The values and beliefs that underpin the NCF 2005, the NCFTE 2009 and the RtE 2009 challenge some traditionally held beliefs. In order to meet the aspirations set out by the government in these documents, you will need to understand the underlying values of these policies and model these in your school and the local community around your school. |
| A sense of timing and the ability to sit back and learn from experience | As you start to evaluate your school, it is possible that you will identify a number of changes that you wish to make. It is important not to try and change too much, too soon. You will need to prioritise and move slowly, taking all the teachers with you. |
श्रीमती अपराजिता गाँव के एक प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने उनसे कहा था कि वे अपने विद्यार्थियों से ज्यादा उम्मीद न रखें क्योंकि ‘वे गाँव के बच्चे हैं और उन्हें सीखने में कठिनाई होती है’। जब उन्होंने शुरूआत की थी तो विद्यालय में 69 विद्यार्थी थे।
पहले दिन, मैं शुरूआत करने को लेकर बहुत रोमांचित थी, पर मुझे यह देख कर बहुत निराशा हुई कि खेल के मैदान में केवल 45 विद्यार्थी ही पहुंचे। मेरी सहायक अध्यापिका ने मुझसे कहा कि यह तो पहले से अच्छा है – आमतौर पर उनमें से बस 30 ही आते हैं – और वे शायद नई विद्यालय प्रमुख को देखने आए हैं। उसकी बात सही थी – अगले दिन केवल 32 विद्यार्थी आए, और उनमें से भी कई भोजन के बाद भाग गए।
विद्यालय के बाद मैं गाँव भर में घूमी और यह देख कर चकित रह गई कि कितने ही बच्चे बाहर खेल रहे थे, बाजार के स्टालों पर और खेतों में काम कर रहे थे। मैंने तकरीबन नौ साल के एक लड़के से बात की जो साइकिल के टायरों के पंक्चर ठीक कर रहा था। मैंने उससे पूछा कि वह विद्यालय क्यों नहीं आता। उसने बड़े गर्व से मुझे बताया कि वह टायर ठीक करके रोज़ाना के 100 रुपये कमा लेता है और इसलिए उसे विद्यालय आने की कोई ज़रूरत नहीं है। विद्यालय में जो चीजें सिखाई जाती हैं वे उसके काम की तुलना में महत्वपूर्ण नहीं हैं। मैंने कुछ माताओं-पिताओं से बात की और का रवैया मुझे एक जैसा ही मिला। बच्चों को विद्यालय रोचक और प्रासंगिक नहीं लगता था, और उनके परिवारों को उनकी काम में हाथ बँटाने के लिए ज़रूरत थी।
मैंने फैसला किया कि मुझे इस बारे में कुछ करना ही होगा, तो मैंने समय-सारणी बदल दी। मैंने ‘क्रियाकलाप’ के दो पीरियड जोड़े – एक सुबह की प्रार्थना सभा के बाद और दूसरा दोपहर के भोजन के बाद। उन पाठों में हमने विद्यार्थियों को व्यावहारिक कौशल, कला और शिल्प सिखाए। जल्द ही हमने उनकी बनाई चीजें प्रदर्शित करने के लिए टांग दीं। बात पूरे गाँव में फैली और विद्यालय में और विद्यार्थी आने लगे। मैं यह देख कर बहुत निराश थी कि वे बच्चे कितने गंदे और अव्यवस्थित थे। मैंने गाँव का एक और दौरा किया और माताओं को समझाया कि हम विद्यालय में दिन की शुरूआत प्रार्थना सभा से करते हैं। विद्यार्थियों को इतना गंदा देख कर ईश्वर निराश होंगे और इसे अपना अपमान मानेंगे। मैंने निश्चय किया कि रोज़ाना सबसे साफ-सुथरे, स्मार्ट दिखने वाले विद्यार्थियों को ‘दिन की सर्वश्रेष्ठ बालिका’ और ‘दिन का सर्वश्रेष्ठ बालक’ की उपाधियां देंगे।
क्रियाकलाप के पीरियड में, मैं विद्यार्थियों को उनका चुना हुआ काम करने देती थी। कुछ ने तब भी पठन और लेखन ही चुना। मैंने उन्हें प्रोत्साहित किया कि किसी भी विषय पर लिखें – केलों के पत्ते सबसे पसंदीदा विषय रहे। मैंने उन्हें शब्द खेल खेलने और गीली मिट्टी में टहनी से एक-दूसरे के अंक लिखने को प्रोत्साहित किया। मैंने उन्हें उनका गृहकार्य केले के पत्तों पर या जो कुछ भी सामान वे ला सके, उस पर करने दिया।
मुझे अब विद्यालय में चार साल हो चुके हैं और मैंने यहां पर बहुत से बदलाव किए हैं। अब विद्यालय पंजीकृत में 257 बच्चे पंजीकृत हैं और उपस्थिति नियमित रूप से 240 रहती है। उन्हें अपने पहनावे, अपने रूप-रंग पर गर्व होता है और वे सीखने के लिए तैयार हो कर विद्यालय आते हैं। मैंने दिखा दिया है कि सभी विद्यार्थियों में सीखने की क्षमता होती है, बस आपको एक बार उन्हें प्रेरित करना होता है।
परिवारों के साथ संबंध स्थापित करना बहुत महत्वपूर्ण रहा है, पर मुझे लगता है कि जिस चीज ने सबसे बड़ा फर्क पैदा किया वह थी पाठ्यक्रम में बदलाव करके उसे विद्यार्थियों के लिए अधिक रोचक बनाना, हालांकि ऐसा करने के लिए पठन और लेखन का समय घटाना पड़ा था। इससे उन्हें विद्यालय आने और पूरे दिन रुकने का प्रोत्साहन मिला। जैसे-जैसे उन्होंने प्रगति करनी शुरू की, उन्हें यह दिखने लगा कि पठन, लेखन और संख्याएं रोचक तथा उनके जीवन के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं।
तालिका 1 को फिर से पढ़ें जिसमें अच्छे नेता के गुण दिए गए हैं।
किसी दोस्त या सहकर्मी के साथ केस स्टडी 1 का विश्लेषण करें और श्रीमती अपराजिता ने जो गुण प्रदर्शित किए उनके उदाहरणों की पहचान करें। इन्हें अपनी अधिगम डायरी में लिखें या मुख्य वाक्यांशों को किसी हाइलाइटर पेन या पेंसिल से रेखांकित करें।
श्रीमती अपराजिता ने खुद को यह पता लगाने के लिए तैयार किया कि उनके विद्यार्थी विद्यालय क्यों नहीं आ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने व्यापक नज़रिए से देखा और अपने सहज-ज्ञान का अनुसरण किया। उन्होंने विद्यार्थियों की अनुपस्थिति को स्वीकार न करके अपनी दृढ़ता दिखाई और खुद समस्या की पहचान की और उसका समाधान भी ढ़ूँढ़ा। इसके लिए उन्होंने अभिभावकों के साथ काम करने, विद्यार्थियों से बात करने और दिनचर्या को पुनर्व्यवस्थित किया। फटाफट नतीजा मिलने की अपेक्षा करने की बजाए उन्होंने धीरे-धीरे उपस्थिति को सुधारा। वे विद्यालय में अपने विद्यार्थियों के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं पर वे उनकी उपस्थिति में बाधा बनने वाले आर्थिक कारकों को भी समझती हैं।
गतिविधि 2 करने के बाद, आप चाहें तो विद्यालय प्रमुखों के वीडियो भी देख सकते हैं जिससे आप यह विश्लेषण कर सकते हैं कि वे जो कहते हैं उनमें वे किस हद तक अच्छे विद्यालय प्रमुख के गुणों का प्रदर्शन करते हैं।
तालिका 1 के अनुसार है विद्यालय प्रमुख में न केवल प्रभावी व्यक्तिगत गुण होने चाहिए बल्कि उसे कई प्रकार की सक्षमताएं भी होना चाहिए (देखें संसाधन 2)। इस बात की संभावना कम ही है कि आप सभी क्षेत्रों में समान रूप से प्रतिभावान या पारंगत हों। यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि आपके अध्यापकों और विद्यार्थियों की तरह, आपका ज्ञान और कौशल भी नई चुनौतियों और बेहतर विशेषज्ञता के लिए समय के -साथ विकसित और परिवर्धित हो रहे हैं।
विद्यालय प्रमुख की भूमिका के किन पहलुओं को आप अच्छी तरह संभालते हैं और किन में आपको विकास की जरूरत है, यानी किन क्षेत्रों में आप और सीख सकते हैं, यह पहचान करने के लिए संसाधन 2 में दी गई तालिका को पूरा करें।
सबसे पहले, खुद को ‘अत्यंत सक्षम’, ‘पर्याप्त रूप से सक्षम’, अथवा ‘बमुश्किल सक्षम’ की श्रेणी में रखें। निःसंदेह आपके पास पहले से काफी सारा ज्ञान है, पर आप जीवनभर की भावना के साथ अपने कौशलों और योग्यताओं को बढ़ा दे सकते हैं या उन्हें और बेहतर कर सकते हैं। इस तालिका को पूरा करने से आपको अधिक प्रभावी एवं सक्षमकारी विद्यालय प्रमुख बनने हेतु अपनी आवश्यकताओं और विकास प्राथमिकताओं का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी।
आप चाहें तो इस प्रक्रिया को किसी सहकर्मी के साथ साझा करके खुद की एवं आवश्यकताओं और उसकी आवश्यकताओं की चर्चा उसके साथ कर सकते हैं। विद्यालय नेता काफी अलग-थलग हो सकता है, इसलिए सहकर्मी-परामर्श संबंध विकसित करने से दोनों को लाभ पहुंच सकता है। केस स्टडी 2 पढ़ें और जानें कि कैसे दो विद्यालय नेताओं ने अपनी-अपनी ज़रूरतें देखने-जानने में एक-दूसरे की मदद की।
श्री कपूर और सुश्री अग्रवाल की मुलाकात हाल ही में एक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में हुई थी और उन्होंने पाया कि उनके कई विचार एक-दूसरे से मेल खाते थे। उन्होंने एक-दूसरे की मदद के लिए हर महीने मुलाकात करने की व्यवस्था की, और गतिविधि 3 साथ मिलकर करने का निश्चय किया, जिसमें उन्होंने उदाहरण ढूंढने में एक-दूसरे की मदद की और प्रश्नों से एक-दूसरे की जांच-पड़ताल की। ‘व्यवहार प्रतिरूपण’ के गुणों के बारे में उनके वार्तालाप को पढ़ें।
अपनी व्यावसायिक विकास आवश्यकताओं की पहचान कर लेने के बाद, आप अब इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सीखने की योजना बना सकते हैं। संसाधन 3 में TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर की एक सूची दी गई है।
(इस इकाई के बाद) अध्यापन-सीखने प्रक्रिया में परिवर्तन लाना: प्राथमिक विद्यालय में अध्यापन और सीखने में सुधारों का नेतृत्व करना नामक इकाई से शुरूआत करना अच्छा रहेगा। यह इकाई TESS-India परियोजना के मूल शिक्षण-सिद्धांत पर केंद्रित है और इससे आपको अन्य उपलब्ध संसाधनों की छानबीन का मौका मिलेगा। सभी सामग्रियां ‘मुक्त शैक्षिक संसाधन’ हैं, जिसका अर्थ है कि वे निःशुल्क हैं – आप उनकी प्रतियां बना सकते हैं और अपनी परिस्थितियों के अनुसार उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं।
इन चरणों का अनुसरण करते हुए TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर का इस्तेमाल करें और अपने लिए एक सीखने की योजना बनाएं:
अपनी सीखने की योजना लिखने के लिए संसाधन 4 का उपयोग करें। उसे किसी सुस्पष्ट स्थान पर प्रदर्शित करें और हर हफ्ते उसे पढ़ें।
अंत में, तय करें कि आप सामग्रियों तक कैसे पहुंचेंगे (ऑनलाइन या ऑफलाइन या मुद्रित पर्चे) और सोचें कि अपने सीखने को विस्तार देने तथा उसे ठोस रूप देने के लिए आप अन्य किस व्यक्ति के साथ कार्य कर सकते हैं।
किसी विद्यालय में अध्यापन और सीखने को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं आप, विद्यालय नेता – अर्थात आपके गुण और आपकी सक्षमताएं। जब तक आप अध्यापकों को प्रयोग करने और पारंपरिक अध्यापन विधियों से हटने में समर्थ नहीं बनाएंगे, तब तक विद्यार्थियों के सीखने में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
आप स्वयं एक जीवनभर शिक्षार्थी बनने के द्वारा – अपने विद्यालय में नवप्रवर्तन करने व समस्याओं का समाधान करने हेतु अपने ज्ञान का प्रयोग करने के द्वारा – अपने शिक्षकों को सक्षम बनाते हैं। शिक्षकों को परिवर्तन हेतु आपके प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। आप निम्नलिखित के द्वारा शिक्षकों के लिए अवसर एवं उन्हें मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं:
अगला वृत्त अध्ययन अपने शिक्षकों की बातें सुनने तथा नेतृत्व हेतु एक महाविद्यालयी कार्यपद्धति विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है – सक्षम करने का अर्थ है अपने शिक्षकों के साथ मिलकर कार्य कराना ताकि संवाद हो तथा यह सुनिश्चित हो सके कि आप उनसे सीख रहे हैं।
इसलिए एक सक्षमकर्ता होने का अर्थ है – आपके विद्यालय में प्रत्येक व्यक्ति के लिए सक्रिय, सहभागितापूर्ण अध्ययन प्रदान करने हेतु अनुकूल स्थितियों का निर्माण करना।
यह एक विद्यालय नेता के साक्षात्कार का रिकॉर्ड है जिन्होंने हाल ही में स्थानीय जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में प्राथमिक विद्यालय नेता हेतु पाठ्यक्रम में भाग लिया था। उनका विद्यालय बहुत अच्छे से कार्य कर रहा था, तथा उनके विद्यालय नेता बनने के पश्चात विद्यार्थियों की उपस्थिति में बहुत अधिक सुधार हुआ थ। वे उपस्थिति में सुधार के बारे में जिला शिक्षा अधिकारी से बात करने को उत्सुक थे, पर उन्होंने इस बात को समझा कि उनके विद्यालय में ऐसे और महत्वपूर्ण मामले भी हैं जिन पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है।
कोर्स के बारे में हमारा इनसे परिचय करवाया गया था – विद्यालय आत्म समीक्षा एवं विकास योजना के बारे में TESS-India ओईआर [नेतृत्व के बारे में दृष्टिकोण: विद्यालय की आत्म समीक्षा का नेतृत्व करना तथा नेतृत्व के बारे में दृष्टिकोण: विद्यालय विकास योजना]। मैं मध्यावकाश के इंतजार में थी ताकि मैं हमारी उपस्थिति में सुधार की खुशखबरी सहकर्मियों से बाँट सकूँ।
आत्म-समीक्षा के बारे में इकाई पर कार्य करते समय मुझे बहुत प्रसन्नता हुई – मेरे विद्यालय में बहुत से अच्छे कार्य हो रहे हैं। लेकिन फिर प्रशिक्षक ने हमसे हमारे विद्यालय में शिक्षकों के बारे में कुछ प्रश्न तथा विद्यालय के बारे में उनके विचार पूछे। मेरे पास तीन शिक्षक हैं, पर मैंने महसूस किया कि मैंने जो बदलाव किए हैं उनके बारे में वे क्या सोचते हैं यह मुझे नहीं पता; उन्होंने बस वह किया है जो उनसे करने को कहा गया और मेरी बातों पर उन्होंने कभी कोई आपत्ति नहीं जताई।
सबसे छोटे विद्यार्थियों के लिए मुझे एक और शिक्षक की सख्त ज़रूरत है क्योंकि हर शिक्षक को दोगुनी कक्षाएं संभालनी पड़ रहीं हैं। भोजनावकाश के समय जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि उन्हें अभी तक कोई शिक्षक नहीं मिल सका है। उन्होंने बताया कि उन्होंने जिन दो शिक्षकों से पूछा था, उन शिक्षकों ने स्थानान्तरण न करने का निवेदन किया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि मेरे विद्यालय में शिक्षण करना बहुत कठिन कार्य होगा। असल में, उसने यह भी खुलासा किया कि एक शिक्षक ने उससे संपर्क किया था और पूछा था कि क्या उन्हें किसी दूसरे विद्यालय भेजा जा सकता है। मैं बहुत ही आश्चर्यचकित तथा निराश था।
जब हम विकास योजना पर पहुंचे तो मुझे यह महसूस होना आरंभ हुआ कि मैं थोड़ा-थोड़ा एक तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहा हूं। मैंने विद्यालय में सुधार लाने के बारे में कई फैसले लिए हैं और कई बदलावों को लागू भी किया है, पर मैंने मेरे किसी भी शिक्षक को किसी भी चर्चा में शामिल नहीं किया है, उनसे विचार नहीं मांगे हैं और न ही यह दिखाया है कि मैं उनके अनुभव को मान देती हूँ। कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनमें से कुछ लोग दबाव महसूस कर रहे हैं!
मैने महसूस किया कि यद्यपि विद्यार्थियों को विद्यालय आना अच्छा लगता है, तथापि मुझे शिक्षकों का बेहतर तरीके से ध्यान रखने की आवश्यकता है। मैं वापस विद्यालय गया तथा और अधिक महाविद्यालयी बनने तथा शिक्षकों का और अधिक सहायक बनने का दृढ़ निश्चय किया। अगली स्टाफ बैठक में, हर बार के प्रशासनिक कामकाज करने की बजाए, मैंने उनसे कहा कि वे मुझे बताएं कि एक विद्यालय के तौर पर हम क्या अच्छा करते हैं। मुझे आश्चर्य हुआ कि परिणाम और उपस्थितियों के आँकड़े बताने की बजाए उन्होंने कुछ इस तरह की चीजें बताईं जैसे, लड़कियां कक्षा में बोलने लगी थीं या यह कि बड़े विद्यार्थी छोटों के प्रति दयालु थे। मैंने इन सामाजिक पहलुओं के बारे में सच में नहीं सोचा था।
फिर हमने चर्चा की कि किन चीजों में सुधार किया जा सकता है, पर मुझे महसूस हुआ कि वे लोग आलोचना करने में एहतियात बरत रहे थे। मैंने शिक्षकों से कहा कि वे साथ मिल कर एक सूची बना कर दें और यह भी कहा कि अगर वे मेरे किसी काम की आलोचना करते हैं तो भी मैं उससे अप्रसन्न नहीं होउंगी। फिर मैंने हर शिक्षक से अलग-अलग बात करने को मुलाकात की ताकि मैं उनके काम के ऐसे पहलुओं के बारे में सुन सकूं जो उनके लिए महत्वपूर्ण हैं और एक व्यक्ति के तौर पर उनके बारे में और जान सकूं। थोड़ा समय गुजरने पर हमारे बीच की बातचीत और खुली व साफ हो गई, और मैंने इस बारे में बहुत कुछ जाना कि छोटे-छोटे चरणों में विद्यालय को बेहतर बनाने के लिए हम साथ मिल कर क्या कुछ कर सकते हैं।
विचार के लिए रुकें इस वृत्त अध्ययन पर विचार करें। क्या आपको लगता है कि आपके शिक्षकों को आपके विद्यालय में कार्य करना अच्छा लगता है? क्या उन्हें लगता है कि उन्हें महत्व दिया जाता है, उन्हें समर्थन दिया जाता है तथा उनकी बातों पर विचार किया जाता है? |

आपके स्वयं के अध्ययन के प्रति आपका रवैया, आपके शिक्षकों के उनके पेशेवर विकास के प्रति रवैये को प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करेगा। कौशलों में आपकी वृद्धि तथा परिवर्तन के लिए आपकी तत्परता उन्हें बदलने तथा स्वयं की वृद्धि करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। आपके सबसे बहुमूल्य संसाधन आपके शिक्षक हैं, तथा आपको उन्हें उनकी क्षमता के अनुरूप सर्वोत्तम शिक्षक बनने के लिए अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है। आपको यह अपेक्षा एवं आशा करने की आवश्यकता है कि वे आपसे बेहतर शिक्षक बनेंगे!
संभव है कि आप कुछ ऐसे वीडियो देखना चाहें, जिसमें विद्यालय नेता अपने अग्रणी शिक्षकों के बारे में बात कर रहे हैं।
टीईएसएस-इंडिया टीचर डेवलपमेंट ओईआर वे साधन हैं जो नई पद्धतियां सीखने और शिक्षण के नए तरीके आजमाने में आपके शिक्षकों की मदद करते हैं।
वे इस बात को पहचानते हुए शिक्षक को एक ‘शिक्षार्थी’ की भूमिका में रखते हैं कि, वे शिक्षण व अध्ययन की प्रक्रिया के साथ सक्रिय तौर पर जुड़ने तथा सहकर्मियों के साथ सहयोगात्मक रूप से कार्य करने के माध्यम से, उन उपकरणों में अपनी योग्यता तथा पेशे में अपने अभ्यास को विकसित कर लेंगे।
एक शिक्षक बनने हेतु अध्ययन एक जटिल तथा जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है। शिक्षक अध्ययन तथा विकास की संकल्पना हेतु विभिन्न ढांचे सुझाए गए हैं, लेकिन एक जो विशेष तौर पर सहायक है, वह एक दक्ष शिक्षक के ज्ञान के छह क्षेत्रों की पहचान करता है (शुलमैन एण्ड शुलमैन.2007):
तालिका 2 में इनकी छानबीन की गई है।
| Feature | Comment |
|---|---|
| Vision | Good teachers should have a clear vision of what they are trying to achieve, underpinned by a set of beliefs about learners, knowledge and learning. They should be willing to reflect on and adapt their vision in the light of experience. |
| Motivation | Good teachers should be motivated to improve and develop. |
| Understanding | Good teachers need to know what to do and how to do it. They need to know the subjects that they have to teach and how to teach effectively. |
| Practice | Good teachers recognise that practice is complex and develops over time. They know how to enact the theories that they have learnt in the classroom. Good teachers will learn from the experience of trying different approaches. |
| Reflection | Good teachers reflect on what they are doing and learn from experience. Without reflection, teachers lack the capacity to change. |
| Community | Good teachers recognise that they are part of a community that shares the same objectives and values, and will seek support from and provide support for the community. |
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TESS-India ओईआर शिक्षक अध्ययन के इन सभी क्षेत्रों का समर्थन करता है। ओईआर अंतर्निहित अवधारणाओं को चुनौती देता है तथा शिक्षकों को अपनी कक्षाओं में नयी कार्यपद्धतियां आजमाने हेतु प्रेरित करता है। एक विद्यालय नेता के रूप में आप प्रोत्साहन प्रदान करने तथा उनके एक साथ कार्य करने हेतु अवसर उत्पन्न करने के द्वारा अपने शिक्षकों की सहायता करने की स्थिति में हैं।
संभव है कि शिक्षा में हाल ही में किए गए परिवर्तनों के कारण भारतीय विद्यालय नेताओं पर और अधिक जिम्मेदारियां आ गई हों, लेकिन उन परिवर्तनों ने आपको अपने विद्यालय में एक वास्तविक परिवर्तन लाने तथा विद्यार्थियों के अध्ययन परिणामों पर अपना प्रभाव डालने का एक अवसर भी प्रदान किया है।
आप एक परिवर्तनशील पेशे में हैं तथा आपसे ऐसे गुणों एवं योग्यताओं का प्रदर्शन करने के लिए कहा जा रहा है जो कि आपके विद्यालय में परिवर्तन लाते हैं। TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर आपको इस चुनौती का सामना करने में सहायता कर सकते हैं, विशेष तौर पर आपके विद्यालय में शिक्षकों को भिन्न तरीके से कार्य करने तथा नयी कार्यपद्धतियों को अपनाने हेतु सहमत करने में सहायता कर सकते हैं, जो कि एनसीएफ 2005 तथा एनसीएफटीई 2009 में राष्ट्रीय नीति द्वारा निर्देशित हैं।
यह इकाई आपके एक सक्रिय शिक्षार्थी होने तथा आपके ज्ञान एवं योग्यताओं में रिक्तताओं की पूर्ति करने के लिए समाधान-आधारित कार्यपद्धति का निर्माण करने पर केन्द्रित है। इकाई में कार्य करने के दौरान आपने TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर का प्रयोग करते हुए एक अध्ययन योजना बनाई। आपको इस योजना के अनुसार, अपनी स्वयं की प्रगति का निरीक्षण करते हुए व सीखते हुए तथा उपयुक्त होने पर अपने सहकर्मियों के साथ साझा करते हुए कार्य करना चाहिए।
इसमें विद्यालय नेताओं के लिए 20 ओईआर डिजाइन किए गए हैं (मुख्याध्यापक, प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक, तथा इन भूमिकाओं की आकांक्षा करने वाले लोग)। ये ओईआर, विद्यालय नेताओं का उनकी भिन्न भूमिकाओं में समर्थन करते हैं, जिसमें वे प्रक्रियाएं एवं प्रणालियां शामिल हैं जोकि एक विद्यालय में परिवर्तन लाने व सुधार करने हेतु अनिवार्य हैं। इन्हें, अध्ययन एवं शिक्षण में वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए नेताओं को सक्षम बनाने में समर्थन करने हेतु तथा विद्यालयों को एक प्रभावी व सहयोगात्मक तरीके से अध्ययन प्रदान करने में और अधिक ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी परिकल्पित किया गया है। ये संसाधन 3 में सूचीबद्ध हैं।
TESS- India ओईआर दस मुख्य संसाधनों के एक सेट द्वारा समर्थित है। ये मुख्य संसाधन, जो सभी विषयों और स्तरों पर लागू होते हैं, आप और आपके शिक्षकों को TESS-India ओईआर की अध्यापन की प्रमुख परिपाटियों पर आगे का व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इनमें छात्रों को संगठित करने के तरीके, सीखने की गतिविधियाँ तथा शिक्षक-छात्र और छात्र-छात्र अंतर्क्रियाएं शामिल हैं। ये मुख्य संसाधन उपयुक्तता के अनुसार (संसाधन के रूप में) ओईआर में निगमित हैं, तथा साथ ही शिक्षक-प्रशिक्षक (टीचर्स-एजूकेटर्स) अथवा विद्यालय नेताओं के लिए प्रशिक्षण एवं अन्य संदर्भों में प्रयोग करने हेतु पृथक दस्तावेजों के रूप में भी उपलब्ध हैं।
इसमें वीडियो क्लिप्स का भी एक सेट है, जो कि मुख्य संसाधनों की थीमों से मेल खाते हैं, तथा मुख्य सहभागितापूर्ण कक्षा तकनीकों को वर्णित करता है। ये वीडियो क्लिप्स, भिन्न प्रकार की भारतीय कक्षाओं में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा सहभागितापूर्ण अभ्यासों का प्रयोग दर्शाती हैं, तथा इसमें एक व्याख्या भी शामिल है जो कि दर्शक को विशिष्ट कार्यवाही एवं व्यवहार पर विशेष ध्यान में मार्गदर्शन करती है। वीडियो क्लिप्स को हिंदी कक्षाओं में फिल्माया गया है, तथा ऑडियो को भिन्न राज्यों के लिए अनुदित किया गया है। इन वीडियो क्लिप्स के लिंक को ओईआर में उपयुक्त सथानों पर डाला गया है, जिसे कि एक वीडियो आईकॉन,
, द्वारा चिह्नित किया गया है, तथा उपयोगकर्ताओं के लिए ऑनलाइन उपलब्ध हैं। उपयोगकर्ताओं के लिए यह संभव है कि वे वीडियो क्लिप्स को डाउनलोड करके टैबलेट, PCs, DVDs तथा SD कार्ड के द्वारा मोबाइल फोन पर प्रयोग कर सकें।
चार विषय क्षेत्रों में 60 प्राथमिक ओईआर हैं: भाषा व साहित्य, प्राथमिक अंग्रेज़ी, प्राथमिक गणित एवं प्राथमिक विज्ञान, प्रत्येक में 15। ये ओईआर शिक्षकों और शिक्षकों के शिक्षकों के लिए हैं और ये शिक्षकों को व्यावहारिक विचार प्रदान करते हैं जिनका इस्तेमाल वे अपनी कक्षाओं में कर सकते हैं।
| नेतृत्व योग्यताएं | आप अपने आपका क्या मूल्यांकन करते हैं? (एक कॉलम पर निशान लगाएं) | किस स्थिति में आपने इसे अंतिम बार किया? | |||
|---|---|---|---|---|---|
| अत्यंत योग्य | पर्याप्त रूप से योग्य | शायद ही योग्य | |||
| दूसरों के साथ काम करना | दूसरों की सहायता करना |
| |||
| वैयक्तिक प्रयासों को मान्यता देना |
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| दूसरे लोगों के आत्मसम्मान को बढ़ावा देना |
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| विकास और विचार करने के अवसर देकर दूसरों को विकसित करना |
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| बेचैनी को न्यूनतम करना |
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| विचारशील और समानुभूति रखने वाला श्रोता बनना | फैसले लेने से पहले समझने की कोशिश करना |
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| सभी के अलग-अलग विचारों और समस्याओं को सुनना |
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| सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित करना |
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| अन्य लोगों को सशक्त करना | अन्य लोगों को निर्णय तथा जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाना |
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| अच्छे व्यवहार का आदर्श प्रस्तुत करना | व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा प्रदर्शित करना | ||||
| उन रवैयों एवं मूल्यों को निर्माण करना, जिन्हें आप बढ़ावा देना चाहते हैंe |
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| उत्साह दिखाना |
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| निर्णय लेने में अग्रसक्रिय होना | दिशा और स्पष्ट संकल्पना प्रदान करना |
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| निर्णय लेना |
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| मुख्य मुद्दों की समझ को बढ़ावा देना |
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| परिवर्तन को प्रबन्धित करना | कार्य करने के नये तरीकों को प्रोत्साहित करना | ||||
| भविष्य की संभावित चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाना | |||||
| गलतियों को सीखने के अवसर समझना | |||||
| सामूहिक कार्य को प्रोत्साहित करना | सभी लोगों को शामिल करके सामूहिक कार्य (टीमवर्क) को प्रोत्साहित करना व बढ़ावा देना | ||||
| NCSL मुख्य क्षेत्र | ओईआर शीर्षक | शिक्षण के परिणाम |
|---|---|---|
| उन्मुखीकरण | सक्षमकर्ता के रूप में प्राथमिक विद्यालय नेता |
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| सक्षमकर्ता के रूप में माध्यमिक विद्यालय नेता |
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| नेतृत्व के बारे में दृष्टिकोण | अपने विद्यालय के लिए एक साझा स्वप्न का निर्माण करना |
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| विद्यालय की आत्म-समीक्षा का नेतृत्व करना |
| |
| विद्यालय की विकास योजना का नेतृत्व करना |
| |
| नेतृत्व के बारे में दृष्टिकोण | अपने विद्यालय को सुधारने के लिए वैविध्यता पर उपलब्ध डेटा का उपयोग करना |
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| अपने विद्यालय में परिवर्तन का नियोजन और उसका नेतृत्व करना |
| |
| अपने विद्यालय में परिवर्तन को कार्यान्वयित करना |
| |
| स्वयं को प्रबन्धित एवं विकसित करना | स्वयं को प्रबन्धित एवं विकसित करना |
|
| शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया को रूपान्तरित करना | प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने और सीखने में सुधारों का नेतृत्व करना |
|
| शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया को रूपान्तरित करना | माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाने और सीखने में सुधारों का नेतृत्व करना |
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| अपने विद्यालय में आकलन का नेतृत्व करना |
| |
| कार्य-प्रदर्शन बढ़ाने में शिक्षकों की सहायता करना |
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| शिक्षकों के पेशेवर विकास का नेतृत्व करना |
| |
| परामर्श देना और प्रशिक्षित करना |
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| शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया को रूपान्तरित करना | अपने विद्यालय में सीखने की प्रभावी संस्कृति का विकास करना |
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| अपने विद्यालय में समावेश को प्रोत्साहित करना |
| |
| छात्रों की प्रभावी शिक्षण- प्रक्रिया के लिए संसाधनों का प्रबंधन करना |
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| अपने विद्यालय में प्रौद्योगिकी के उपयोग का नेतृत्व करना। |
| |
| नेतृत्व साझेदारियां | माता-पिता तथा वृहत् विद्यालय समुदाय के साथ जुड़ना। |
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| अगले अकादमिक वर्ष के लिए प्राथमिकताएं एवं प्रतिबद्धताएं (जिसमें शामिल है – पाठ्यक्रम, ऐसी पहलें जिनमें आप शामिल हैं तथा पूर्ण किए जाने वाले कार्य, जैसे कि विद्यालय की आत्म-समीक्षा अथवा एक SDP लिखना) |
|---|
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| अगले तीन महीनों में अध्ययन करने के लिए ओईआर |
1. 2. 3. |
| अगले वर्ष के अन्दर अध्ययन करने के लिए ओईआर |
1. 2. 3. 4. 5. |
| अध्ययन करने तथा सीखने के लिए मैं कैसे समय निकालूंगा? |
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| मेरी योजना में क्या बाधाएं आ सकती हैं? |
|---|
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| मैं अपनी योजना को बिगाड़ दिये जाने से कैसे बचाऊंगा? |
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| मैं अपने स्वयं के लिए इकाइयों को कैसे एक्सेस करूंगा? |
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| मैं अपने सीखने में मेरी सहायता करने व उसे मेरे संदर्भ पर लागू करने हेतु एक अध्ययन साझेदारी अथवा परामर्शदाता ढूंढ़ने के लिए क्या व्यवस्था करूंगा? मैं कितने नियमित तौर पर उनसे बात करूंगा? |
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| मैं अपने सीखने का मूल्यांकन किस प्रकार करूँगा? |
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इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभार:
तालिका 1: निम्नलिखित से अनुकूलित: [Table 1: adapted from:] गार्डनर, एच (1997) अग्रणी समझ: [Gardner, H. (1997) Leading Minds:] नेतृत्व की स्वायत्तता। [An Autonomy of Leadership.] लन्दन: हार्परकोलिन्स। [HarperCollins.]
तालिका 2: शुलमैन, एल.एस. और शुलमैन, जे.एच. से अनुकूलित (2007) शिक्षक कैसे और क्या सीखते हैं: एक परिवर्तनशील परिप्रेक्ष्य पाठ्यक्रम अध्ययन का जर्नल वॉल्यूम [Table 2: adapted from Shulman, L.S. and Shulman, J.H. (2007) ‘How and what teachers learn: a shifting perspective’, Journal of Curriculum Studies, vol.] 36, सं. [36, no.] 2, पृ. [2, pp.] 257-71। [257–71.]
तालिका आर 2.1: निम्नलिखित से अनुकूलित: [Table R2.1: adapted from:] मैकबीथ, जे और मायर्स, के. (1999) प्रभावशाली स्कूल नेता: [MacBeath, J. and Myers, K. (1999) Effective School Leaders:] अपनी कार्य-प्रणाली का मूल्यांकन और उसमें सुधार कैसे करें। [How to Evaluate and Improve Your Practice.] हार्लो: [Harlow:] पियर्सन। [Pearson.]
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।