Skip to main content
Printable page generated Friday, 19 April 2024, 2:01 PM
Use 'Print preview' to check the number of pages and printer settings.
Print functionality varies between browsers.
Unless otherwise stated, copyright © 2024 The Open University, all rights reserved.
Printable page generated Friday, 19 April 2024, 2:01 PM

नेतृत्व के परिप्रेक्ष्य: विद्यालय की स्व-समीक्षा का नेतृत्व करना

यह इकाई किस बारे में है

सोचिए कि एक नारियल पानी बेचने वाला अपने चाकू के सपाट छोर से नारियल को बजाकर उसकी उम्र और मिठास का पता लगाता है या बाजार में दुकानदार फल को सूंघकर उसकी परिपक्वता का पता लगाता है। हम सभी जानकारी और निरीक्षणों के आधार पर लगातार गुणवत्ता के बारे में निर्णय लेते रहते हैं।

विद्यालय में, शिक्षकों और उनके नेतृत्व को मूल्यांकन करने और निर्णय लेने की आवश्यकता होती है ताकि विद्यालय कैसे चल रहा है और कहां सुधारों की आवश्यकता है यह वे समझ सकें। यहां पर यह महत्वपूर्ण है कि ये मात्र अनमानों पर आधारित न होकर पुष्ट साक्ष्यों पर हों।

यहां पर हाल ही में देखा गया है कि जो विद्यालय अपनी प्रथाओं की सूक्ष्म रूप से और प्रणालीगत स्व-समीक्षा करते है – उसे ‘सबसे अच्छी प्रथा’ कहा जाता है और राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मूल्यांकन दृष्टिकोणों में शामिल किया जाता है। उसका परिचय इस मान्यता पर आधारित है कि अगर विद्यालय खुद ऐसी चीज़ों को पहचाने, जिनमें उन्हें सुधार की आवश्यकता है तो उनके उसपर कार्यवाही करने की संभावना ज्यादा होती है।

यह इकाई ‘‘विद्यालय नेतृत्व ‘‘ को स्व-समीक्षा करने और उसकी प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करती है ताकि इससे विद्यालय में सुधारों को आगे बढ़ाया जा सके। इससे आपको अपने विद्यालय के कौन से कार्य की समीक्षा करनी है, जानकारी कैसे इकठ्ठा करनी है और आपकी खोज पर रिपोर्ट कैसे करनी है इन पहलुओं पर सोचने में मदद मिलेगी। इकाई नेतृत्व पर दृष्टिकोण: ‘‘विद्यालय विकास योजना ‘‘ बनाने के लिए इकठ्ठा किये गए तथ्यों, प्रमाणों एवं साक्ष्यों के इस्तेमाल पर ध्यान केन्द्रित करती है।

सीखने की डायरी

इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करके रखते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी शुरू कर भी ली है।

इस इकाई में आप अकेले काम कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय नेतृत्व के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते आ रहे हैं, या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध का निर्माण करना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अधिक अनौपचारिक आधार पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे, और साथ ही आपकी की शिक्षण-प्रक्रिया और विकास का दीर्घावधिक प्रतिचित्रण भी करेंगे।

विद्यालय नेता इस इकाई में क्या सीखेंगे

  • ‘‘विद्यालय आत्म-समीक्षा‘‘ के लाभ एवं चुनौतियां।
  • विद्यालय आत्म-समीक्षा‘‘ की प्रकृति तथा आत्म-समीक्षा चक्र।
  • गुणवत्तापरक तथा परिमाणात्मक (क्वालिटेटिव व क्वांटिटेटिव) ऑंकड़ों को कैसे एकत्रित व प्रयोग करें।

1 विद्यालय स्व-समीक्षा और उसके लाभ और चुनौतियाँ क्या हैं?

‘‘विद्यालय स्व-समीक्षा‘‘ का हमारे लिए क्या अर्थ है? आसान शब्दों में, विद्यालय कैसे कार्य कर रहा है इसकी तरफ देखने का मतलब विद्यालय स्व- समीक्षा है।

  • विद्यार्थी कितनी अच्छी तरह से पढ़ाई कर रहे हैं?
  • वे शैक्षिक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से कितनी अच्छी तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं?
  • विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए विद्यालय कैसे मदद कर रहा है?
  • विद्यार्थियों के सीखने में समर्थन करने के अपने मुख्य कार्य में शिक्षक कितने प्रभावी हैं?
  • समय सारणी को कितनी अच्छी तरह से नियोजित किया गया है?
  • सह-पाठ्यक्रम गतिविधि के द्वारा कौन सी भूमिका अदा की जा रही है?
  • समुदाय के साथ संबंध कितने प्रभावी हैं?

कई सारे प्रश्न पूछे जा सकते हैं और स्व-समीक्षा का आधार बनाते हैं।

विचार के लिए रुकें

  • क्या आपको विद्यालय के कार्यों के कोई ऐसे अन्य पहलू नज़र आते हैं जो आपके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हों?
  • अन्य कौन से सवाल हैं जो आप पूछना चाहते हैं?
चित्र 1 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।

स्व-समीक्षा में, विद्यालय प्रमुख और शिक्षक अपने आपसे वही प्रश्न पूछते हैं जो कोई बाहरी समीक्षक उनसे पूछता है। जब उन्हें ऐसी किसी बात का पता चलता है जो वैसी नहीं होनी चाहिए (जैसे कि पिछले साल के मुकाबले इस साल की उपस्थिति खराब है), वे उस पर छानबीन करके कुछ कार्रवाई कर सकते हैं। विद्यालय ने क्या अच्छा किया और अधिकारिक तौर पर बाहरी समीक्षा होने से पहले क्या सुधारने की आवश्यकता है इसके बारे में पता लगाना ‘स्व-समीक्षा’ करना है।

विद्यालय कितनी अच्छी तरह से कार्य कर रहा है यह समझने में समय तो लग सकता है, लेकिन विद्यालय के नेतृत्व के लिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। दुकानदार को यह पता होना चाहिए कि रोज क्या बिकता है ताकि वह अगले दिन के लिए उचित स्टॉक का ऑर्डर दे सके। उसे यह पता होना चाहिए कि क्या ठीक नहीं बिक रहा है और उसका स्टाफ अच्छी तरह से और ईमानदारी से कार्य कर रहा है यह सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उनके वेतन देने के लिए और नया स्टॉक खरीदने के लिए पर्याप्त मुनाफ़ा हो। व्यवसाय के लिए लापरवाही उचित नहीं है क्योंकि इससे वे पैसा गंवा बैठते हैं और व्यवसाय से बाहर हो जाते हैं। विद्यालयों के सामान्य लाभ-हानि खाते नहीं होते लेकिन उन्हें यह जानने की आवश्यकता है कि वे अच्छा कर रहे हैं या नहीं।

केस स्टडी1: श्री. मोहंती अभिभावकों के साथ संबंध जोड़ते हैं

श्री. मोहंती नौ शिक्षकों वाले मध्यम आकार के माध्यमिक विद्यालय में नए नियुक्त विद्यालय प्रमुख (प्रधनाध्यापक) हैं।

मैं अपनी नई नौकरी शुरू करने में घबराया हुआ था। पिछले विद्यालय प्रमुख द्वारा विद्यालय के कोष में की गई गड़बिड़यों के चलते विद्यालय की प्रतिष्ठा धूमिल हो गई थी। मुझसे पहले के प्रधानाध्यापक कुछ ही महीनों से नौकरी पर रहे थे और समुदाय में फैले अविश्वास को संभालना उनके लिए मुश्किल रहा था। मैंने तय किया कि मुझे दो चीज़ें करने की आवश्यकता है: पहली ध्यान से सुनना और विद्यालय के बारे में जितनी हो सके उतनी जानकारी इकठ्ठा करना और दूसरे यह कि मुझसे जितनी जल्दी हो सके शिक्षकों को सकारात्मक प्रतिक्रिया देना। हर दिन शिक्षकों को पहला मौका मिलते ही चले जाने से हौसला स्पष्ट रूप से कम हो गया था।

मैंने उपस्थिति ब्यौरा और परीक्षा के नतीजों को देखने से शूरूआत की। दोनों बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन गणित के परिणाम बाकी सबसे बेहतर थे, इसलिए मैंने दो गणित के शिक्षकों से बात की, उनका अभिनंदन किया और उनकी सिखाने के पद्धति के बारे में पूछा। शिक्षकों ने पाठ्यक्रमों कितना पूरा किया है, अभिभावकों के साथ शाम की रिपोर्ट (बहुत ही कम अभिभावक उपस्थित थे), दण्ड की किताब (उसमें बहुत सारी प्रविष्टियाँ थी) और विद्यालय प्रबंधन कमेटी [SMC] की बैठकों के विवरण को मैंने देखा।

कुछ हफ्तों के बाद विद्यालय कैसे काम कर रहा है, विद्यालय के लोगों की सहभागिता और विद्यालय के बेहतर पहलुओं से संबंधित कुछ तथ्यों के बारे में मुझे स्पष्ट अनुभव मिल गये थे। मैंने जो जानकारी इकठ्ठा की थी उसने मेरे अपने मूल्यांकन, चर्चा और योजना बनाने के लिए आधार प्रदान किया। उसने मुझे कुछ मापदण्ड भी दिए जिनके सापेक्ष मैं प्रगति को माप सकता था।

गतिविधि 1: स्व–समीक्षा के फायदों को पहचानना

विद्यालय स्व-समीक्षा में शामिल है ऑंकड़ों का संकलन करना और फिर उनका विश्लेषण करना ताकि विद्यालय किस चीज़ में अच्छा कार्य कर रहा है और किसमें सुधार करना आवश्यक है यह पता किया जा सके। स्व-समीक्षा विद्यालय विकास योजना का आधार बनेगी, जिसका आप अन्य विद्यालय नेतृत्व इकाई में अध्ययन करेंगे (नेतृत्व पर दृष्टिकोण: विद्यालय विकास योजना का नेतृत्व करना)।

केस स्टडी को दोबारा पढ़िये और अपनी सीखने की डायरी में स्व-समीक्षा प्रक्रिया के फायदों की सूची बनाइये।

Discussion

विद्यालय स्व-समीक्षा एक वस्तुनिष्ठ प्रक्रिया होनी चाहिए। निरीक्षणों और ऑंकड़ों के तथ्यों के इस्तेमाल से उसे निष्पक्ष और संतुलित होना चाहिए। यह सिर्फ कानूनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए या बाहरी मांग को उत्तर देने के लिए ऑंकड़ों का संग्रहण करना नहीं है; ना ही पूर्वाग्रहों को सुनकर उन पर चलना है ना ही अन्यों के मुकाबले कुछ हितधारकों को लाभ पहुँचाना है।

गतिविधि 2: सत्य या असत्य?

निम्नलिखित में से प्रत्येक कथन के लिए, वे जहां तक सही है उसे निर्धारित करें। क्या कथन ‘हमेशा सत्य’, ‘कभी कभार सत्य’ या ‘कभी भी सत्य’ नहीं होते हैं? अपने विचारों को अपनी सीखने की डायरी में नोट करें।

  • विद्यालय स्व-समीक्षा केवल विद्यालय नेताओं और भागीदारों के लिए होती है।
  • विद्यालय स्व-समीक्षा आपको विद्यालय के बारे में प्रत्येक वह चीज बताती है जिसकी आपको जानने की आवश्यकता है।
  • विद्यालय स्व-समीक्षा ईमानदारी की संस्कृति में सर्वश्रेष्ठ तौर पर की जा सकती है।.
  • विद्यालय स्व-समीक्षा यह खोजने के लिए है कि विद्यालय के साथ क्या गलत है।
  • विद्यालय स्व-समीक्षा में काफी समय लगता है।
  • विद्यालय स्व-समीक्षा से प्रत्येक व्यक्ति को यह देखने में सहायता मिल सकती है कि क्या करने की आवश्यकता है।
  • विद्यालय स्व-समीक्षा विश्लेषण पर विचार और योजना के लिए एक आधार उपलब्ध कराती है।

Discussion

ऊपर में से, केवल कथन 3, 6 और 7 हमेशा सच होते हैं। विद्यालय स्व-समीक्षा की अगुवाई विद्यालय नेतृत्व ही करते हैं, प्रक्रिया में कोई भी सम्मिलित हो सकता है। कुछ विद्यालयों में, छात्र समीक्षा में महत्वपूर्ण खिलाड़ी होते हैं – आखिरकार, वे शिक्षण और विद्यालय संगठन को पहली नजर में किसी अन्य से अधिक देखते हैं, और अगर उपयुक्त तैयारी हो, तो वे एक मूल्यवान भूमिका निभा सकते हैं।

समीक्षा में कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा। एक वार्षिक समीक्षा कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों, या एक या दो वास्तव में महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान दे सकती है। उद्देश्य यह खोजना नहीं है कि क्या गलत है, बल्कि विद्यालय नेतृत्व को विद्यालयों की सफलताओं का जश्न मनाने में सक्षम करना और उसके विकास के लिए क्षेत्रों की पहचान करना है। यह महत्वपूर्ण है कि इसे मात्र आरोप लगाने के वातावरण में आयोजित न किया जाए।

सही तरीके से करने पर, एक विद्यालय समीक्षा विद्यालय नेतृत्व के रोजाना के कार्य का हिस्सा है। अधिकतर आंकड़े नियमित तौर पर एकत्र किये जायें। विश्लेषण रोचक और सूचक दोनों है। उन्हें अपनी ऊर्जा उन क्षेत्रों में लगाने में सक्षम करता है जो सबसे अधिक अंतर पैदा करेंगे। इसमें समय लगता है, लेकिन इससे आखिरकार विद्यालय नेतृत्व का काम आसान हो जाएगा।

गतिविधि 3: चुनौतियों और अवसरों की पहचान करना

निम्न दो स्थितियों पर विचार करें और अपनी सीखने की डायरी में प्रश्नों के उत्तरों को दर्ज करें।

  • मान लीजिए कि आपने एक नए स्थापित विद्यालय जिसे खुले अभी केवल एक वर्ष हुआ है, जिसमें आप ने नेतृत्व की कमान संभाली है। कैसे सुधार किए जाएंगे इसकी योजना बनाने से पहले आपको नए विद्यालय के बारे में जानने की आवश्यकता होगी। आपके सामने कौन सी चुनौतियां आ सकती हैं? और एक समीक्षा से कौन से अवसर मिलेंगे इस बारे में आप क्या सोचते हैं?
  • मान लीजिए कि आप उसी विद्यालय में दस वर्षों से विद्यालय नेतृत्व कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी स्थानीय विद्यालय प्रधानाध्यापक की बैठक यह बताने के लिए बुलाई है कि वे चाहते हैं कि आप अपने विद्यालय की एक समीक्षा करें और उसकी रिपोर्ट कार्यवाही योजना के साथ छह महीने के समय में दें। आपके सामने कौन सी चुनौतियां आ सकती हैं और उस समीक्षा से कौन से अवसर मिलेंगे इस बारे में आप क्या सोचते हैं?

Discussion

एक नए विद्यालय प्रमुख के तौर पर, शिक्षक आपको प्रभावित करने के लिए प्रयासरत होंगे, इस वजह से सही आंकड़े एकत्र करना मुश्किल हो सकता है। कुछ शिक्षक आपके उद्देश्यों को लेकर संदेह कर सकते हैं; कुछ को चिंता होगी कि आप उन्हें उन चीजों के लिए दोष देंगे जो विद्यालय में गलत हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा कि आप उन बातों पर ध्यान देने से शुरुआत करें जो आप सोचते हैं कि विद्यालय अच्छा करता है। (एक साकारात्मक सोच)

एक स्थापित विद्यालय नेता के तौर पर, आपकी ओर से कोई भी नया व्यवहार संदेह से लिया जा सकता है। आपको इस बात पर जोर देना होगा कि यह एक दल का प्रयास है और आपको उनकी सहायता की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करें कि आप उस चीज पर आंकड़े एकत्र करने से शुरुआत करें जो अच्छी चल रही है। सफलता का सार्वजनिक उत्सव मनाने से लोगों का विश्वास मिलेगा और आपके लिए समस्या वाले मुद्दों से निपटना आसान बन जाएगा।

स्व-समीक्षा की प्रक्रिया का अच्छा प्रबंधन करने की आवश्यकता है, जिससे सभी हितधारक प्रक्रिया और उद्देश्य के बारे में स्पष्ट हों। इसके बाद वे अच्छी तरह विचार कर और रचनात्मक तरीके से योगदान देने की अधिक संभावना रखेंगे। प्रक्रिया के सकारात्मक और खुली होने की आवश्यकता है – यह क्या गलत है इसका पता लगाने और आरोप लगाने के बारे में नहीं है। प्रक्रिया वास्तविक होनी चाहिए और क्या समीक्षा की गई है और विद्यार्थियों के लिए परिणामों में अंतर पैदा करने वाली जानकारी एकत्र करने के लिए कितना समय व्यय किया गया है इस पर भी ध्यान देने वाली होनी चाहिए।

स्व-समीक्षा सुधार की गतिविधि के एक चक्र का हिस्सा है जिसका सार चित्र 2 में दिया गया है। आप देखेंगे कि यहां विभिन्न चरण हैं जो समीक्षा और बदलाव के एक चक्र में पहुंचते हैं। यहां अन्य नेतृत्व इकाइयां हैं जो योजना बनाने और लागू करने के चरण की आवश्यकता पूरी करती हैं वह आपके लिए अगली इकाई को देखने के लिए उपयोगी हो सकती हैं।

चित्र 2 स्व-समीक्षा चक्र (शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास सेवा, अदिनांकित से अनुकूलित)।

इस इकाई का शेष भाग इस पर ध्यान देगा कि तथ्य या प्रमाण कैसे एकत्र करना है, उसे कैसे व्यवस्थित करना है और उसे स्व-समीक्षा फॉर्म पर कैसे प्रस्तुत करना है।

2 डेटा और जानकारी

एक विद्यालय स्व-समीक्षा उस समय सबसे अधिक प्रभावी होती है जब उसे वर्तमान व्यवस्थाओं में एकीकृत किया जाता है और एक अलग गतिविधि के बजाय निरंतर चलने वाली प्रक्रिया के हिस्से के तौर पर किया जाता है। आपके विद्यालय में इस सब को तय करने में समय लग सकता है। एक आरंभिक बिंदु के तौर पर, आपको नियमित आधार पर प्रमाण या तथ्य सम्बन्धी आँकड़े एकत्र करने की शुरुआत करने की आवश्यकता होगी

  • (चित्र 2 में चरण 1)। आमतौर पर दो प्रकार से आंकड़ों से आँकड़ों को विभाजित किया जा सकता है:

  • मात्रात्मक – संख्यात्मक आँकड़े गुणात्मक – व्यवहार संबंधी प्रश्नावलियों, अवलोकनों और भागीदारों के साक्षात्कारों जैसी तकनीकों के द्वारा एकत्र डेटा।

मात्रात्मक आंकड़े के साथ काम करना आम तौर पर आसान होता है, क्योंकि इसे लेकर विवाद नहीं होता। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित तथ्य के कथन हैं:

  • कक्षा 10 की परीक्षाओं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों का प्रतिशत
  • वर्ष में छात्राओं की उपस्थिति का स्तर।
  • आयोजित की गई कर्मचारी बैठकों की संख्या।
  • बैठक में हिस्सा लेने वाले अभिभावकों का अनुपात।

गुणात्मक आंकड़ा प्रकृति में काफी भिन्न होता है, और यह प्रायः सुझाव के सम्बन्ध में अधिक होता है:

  • नई पाठ्यपुस्तकों पर फीडबैक
  • एक से अधिक श्रेणी वाली कक्षाओं को कैसे सर्वश्रेष्ठ पढ़ाया जाए इसके बारे में राय या सुझाव।
  • विद्यार्थियों को विद्यालय में कौन सी चीज सुरक्षित अनुभव कराती है।

विस्तृत विद्यालय आत्म-मूल्याकंन के लिए एकत्र किए गए मात्रात्मक और गुणात्मक डेटा का एक मिश्रण होने की संभावना है, लेकिन तभी जब तरीकों की पहचान करने या निष्कर्ष निकालने के लिए इनका विश्लेषण किया जाता है तब यह डेटा उपयोगी जानकरी बनता है।

चित्र 3 उपयोगी होने के लिए डेटा का विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है।

गतिविधि 4: प्रमाण के स्रोत

एक विद्यालय स्व-समीक्षा की शुरुआत उन प्रश्नों के प्रकार के बारे में सोचने से होनी चाहिए जो आप पूछना चाहते हैं, आपके पास क्या आँकड़े है, और कौन सा आँकड़ा आपको एकत्र करने की आवश्यकता है।

संसाधन 1 में विद्यालय डेटा मैट्रिक्स को पूरा करने के लिए अपने सहयोगी या अन्य वरिष्ठ सहकर्मियों के साथ कार्य करें (या अगर आप पांच से कम शिक्षकों वाले एक छोटे विद्यालय के प्रमुख हैं, तो प्रत्येक को शामिल करें)।

  • प्रत्येक प्रश्न के लिए, डेटा के एक संभावित स्रोत और उसे कैसे एकत्र किया जा सकता है इसकी पहचान करें।
  • यह सोचें कि आप उस डेटा का अपने विद्यालय के बारे में जितना अधिक संभव हो खोजने के लिए कैसे विश्लेषण कर सकते हैं। (उदाहरण के लिए, उपस्थिति और उपलब्धि डेटा का विश्लेषण यह देखने के लिए किया जा सकता है कि छात्रों और छात्राओं ने कैसा प्रदर्शन किया।)
  • कुछ अधिक प्रश्नों को जोड़ें जिनकी सहायता से आप विद्यालय के बारे में जांच करना चाहते हैं।

Discussion

ऐसी संभावना है कि शुरुआत करने के लिए आपके पास गुणात्मक से अधिक मात्रात्मक आँकड़े होंगे। इसमें परीक्षा परिणाम, उपस्थिति, स्वास्थ्य और सुरक्षा बैठकें, और इसी तरह की चीजों को सम्मिलित करने की संभावना है। आपके पास इस बारे में कम आँकड़ा हो सकता है कि साझेदार विद्यालय जीवन के पहलुओं और विशेष तौर पर कक्षा में क्या होता है इस बारे में क्या सोचते हैं, इसलिए इसे बाद में सम्मिलित किया जाएगा।

केस स्टडी 2: सुश्री मेहता ने अपनी अटकल को जांचने के लिए प्रमाण एकत्र किया

सुश्री मेहता एक अधिक सफल ग्रामीण क्षेत्र की माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय की विद्यालय प्रमुख हैं। वे जिले को भेजने के लिए उपस्थिति डेटा की जब जांच कर रही थी, तो उन्होंने मध्य विद्यालय में अपनी छात्राओं की एक मौसमी गैर-उपस्थिति का तरीका उभरता देखा।

इससे उनकी आगे जांच करने में रूचि हुई। उन्होंने पाया कि उनकी उपस्थिति बुवाई और कटाई के मौसम में नाटकीय तरीके से गिरी थी। उन्हें लगा कि यह उनकी माताओं की खेतों में आवश्यकता और बड़ी बेटियों के माता के तौर पर अपने छोटे भाइयों और बहनों के लिए कार्य करने से जुड़ा था।

शुरुआती समीक्षा ने सुश्री मेहता को बताया कि उन्हें अनुपस्थितियों के कारण को लेकर और निश्चित होने के लिए अधिक प्रमाण व तथ्यों की आवश्यकता है। अपनी प्रबंधन कमेटी के समर्थन से उन्होंने अधिक जानकारी मांगी। उन्होंने तीन चीजें कीं:

  • उन्होंने कक्षा 6–8 में अपनी उन छात्राओं का एक अनौपचारिक सर्वेक्षण किया जो मौसमी तौर पर अनुपस्थित थीं और जो निरंतर उपस्थित थीं।
  • उन्होंने क्षेत्र में रहने वाले शिक्षकों से कुछ घरों में जाकर माताओं का साक्षात्कार करने को कहा।
  • उन्होंने सांख्यिकी का एक नया सेट बनाया, जिसमें छात्राओं की उपस्थिति के नमूने का कक्षा 10 के परीक्षा परिणामों से मेल कराया गया। वे जानना चाहती थीं कि प्रतिमान कैसा दिखता है। दुर्भाग्य से, उनके पास उपस्थिति की सॉफ्ट कॉपी नहीं थी – केवल दस्तावेजी रिकॉर्ड था, इसलिए उन्हें अपने युवा, उत्साही शिक्षकों में से एक और उनके प्रशासनिक सहायक से तुलना और विश्लेषण (या आंकड़े मिलाने) में सहायता ली।

सुश्री मेहता ने पाया कि उन्होंने माध्यमिक विद्यालय में छात्राओं की अनुपस्थिति का कक्षा 8 में (a) विद्यालय छोड़ने वालों, और कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाओं में निम्न प्रदर्शन के साथ सीधा संबंध (या पारस्परिक संबंध) था। इससे आगामी वर्ष के लिए मौसमी अनुपस्थिति को कम करने याअपरिहार्य रूप से अनुपस्थित छात्रों की अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए सहायता करने के तरीके खोजने के लिए SMC के द्वारा एक रणनीति की पहचान करने का लक्ष्य मिला।

केस स्टडी 2 बताता है कि आपके विद्यालय के प्रदर्शन के किसी पहलू की अधिक जांच के लिए आँकड़ा कैसे मुख्य स्रोत हो सकता है। इस मामले में समीक्षा की शुरुआत मात्रात्मक जानकारी से हुई थी जिसने एक मुद्दा दिखाया था (चित्र 2 में चरण 1)। विश्लेषण (चरण 2) से एक समस्या का पता चला; इससे मुद्दे की गहरी समझ उपलब्ध कराने और एक योजना आयोजित करने में विद्यालय नेता की सहायता के लिए अतिरिक्त जानकारी एकत्र करने का कार्य हुआ। अन्य मामलों में आप गुणात्मक जानकारी से शुरुआत कर सकते हैं और फिर पूरी तस्वीर उपलब्ध कराने के लिए अधिक मात्रात्मक जानकारी एकत्र कर सकते हैं। सुश्री मेहता के मामले में, उन्होंने छात्राओं की कम उपस्थिति और परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन के बीच एक संबंध बनाया।

आँकड़े या डेटा एकत्र करते समय, यह पूछना महत्वपूर्ण है: ‘तो क्या हुआ?’ छात्रों की अकादमिक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक प्रगति पर क्या प्रभाव है? डेटा एकत्र करने का तब तक कोई विशेष महत्व नहीं है जब तक उसका विश्लेषण नहीं किया जाता और उभरती हुई ताकतों और सुधार वाले क्षेत्रों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए योजनाएं नहीं बनाई जाती (चित्र 2 में चरण 2 और 3)।

अगर आप चर्चा शुरू करेंगे, तो आपके शिक्षक और अभिभावक एक ‘‘विद्यालय स्व–समीक्षा‘‘ के लिए सभी प्रकार से जानकारी के स्रोतों का सुझाव दे सकते हैं जिसमें विद्यालय गतिविधि के सभी पहलू सम्मिलित हो सकते हैं, जैसे:

एक संभावित मुद्दे की पहचान के बाद विद्यालय के लिए उठाए जाने वाले शुरुआती कदमों में – परवाह किए बिना कि यह क्या है – सम्मिलित होने चाहिए:

  • यह निर्णय करना कि यह एक ऐसा मुद्दा है या नहीं जिसका समाधान करने की आवश्यकता है
  • उस दल की पहचान करना जिसे प्रमाण एकत्र करने की अगुवाई करने की आवश्यकता है – केस स्टडी 2 में, सुश्री मेहता के दल में अभिभावक, विद्यालय बोर्ड के सदस्य और स्थानीय शिक्षक सम्मिलित थे
  • उस प्रमाण की पहचान करना जिसे एकत्र करने की आवश्यकता है
  • समस्या वास्तव में क्या है इसे तय करने और इसका कैसे समाधान निकाला जा सकता है इसके लिए प्रमाण व तथ्यों का मूल्यांकन करना।
चित्र 4 एक रिपोर्ट की व्याख्या।

आपकी स्व-समीक्षा के लिए आँकड़े एकत्र करना, आरंभ बिंदु है। इसके बाद आपको प्रमाण का विश्लेषण करने (चित्र 2 में चरण 2) और ताकतों और सुधार के लिए क्षेत्रों का निर्णय लेने (चरण 3) की आवश्यकता होगी। विद्यालय स्व-समीक्षा की एक सामान्य निंदा यह होती है कि यह बहुत अधिक विवरणात्मक और अपर्याप्त तौर पर मूल्यांकनात्मक हो सकता है – विद्यालय नेतृत्व केवल यह विवरण देते हैं कि क्या हो रहा है और वे यह नहीं पूछते कि वे इससे क्या सीख सकते हैं।

केस स्टडी में, सुश्री मेहता ने केवल डेटा को स्वीकार ही नहीं किया – उन्होंने एक अनुमान तैयार किया और अधिक आँकड़े एकत्र कर उसकी जांच की। शोध की शब्दावली में, उन्होंने अपने आँकड़े (डेटा) को ‘त्रिभुजाकार’ किया। एक बार यह सुनिश्चित करने पर कि वे वास्तव में उपस्थिति में गिरावट के कारणों को समझ गई हैं और उन्होंने इसके और परीक्षा में प्रदर्शन के बीच संबंध को दिखा दिया है, वे कार्रवाई करने में सक्षम हो गईं।

केस स्टडी 3: देरी के पीछे क्या था?

विद्यालय प्रमुख सुश्री अग्रवाल ने कर्मचारी कक्ष में कक्षा 6 और कक्षा 7 के शिक्षकों के बीच एक बातचीत सुनी। दोनों निराश अनुभव कर रहे थे क्योंकि उन्हें लग रहा था कि कक्षाओं में समय का पालन खराब हो रहा था। सुश्री अग्रवाल ने उनसे पूछा कि उन्हें यह कैसे पता है और उन्होंने कहा कि वह यह केवल एक अनुभूति है।

‘क्या प्रतिदिन समान छात्र ऐसा कर रहे हैं? ’ उन्होंने पूछा। वे सुनिश्चित नहीं थे।

सुश्री अग्रवाल ने समस्या से निपटने के लिए उनकी सहायता करने का वादा किया। उन्होंने दो सप्ताहों तक इस बात का विस्तृत रिकॉर्ड रखने को कहा कि कौन देरी से था और कौन समय पर। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षक छात्रों से अपने रिकॉर्ड स्वयं रखने को कहें, क्योंकि इससे उन्हें यह जिम्मेदारी लेने में सहायता मिल सकती है कि वे समय पर आना सुनिश्चित करें।

तीन हफ्तों के बाद, उन तीनों ने मिल कर आँकड़ों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि कस्बे के एक ख़ास हिस्से में रहने वाले विद्यार्थी सोमवार और शुक्रवार को देर से आते थे और एक ख़ास गाँव में रहने वाले विद्यार्थी बुधवार को देर से आते थे।

गतिविधि 5: आँकड़े अगले चरण तक कैसे ले जाते हैं

अग़र आप श्रीमती अग्रवाल के स्थान पर होते तो आगे क्या करते? आपके पास उपस्थिति के आँकड़े हैं और उसका विश्लेषण करके आपने पाया है कि विद्यार्थियों के रहने के स्थानों से जुड़े उपस्थिति के प्रतिमान मौजूद हैं। इसके पीछे कौन से संभव कारण हो सकते हैं? अपनी सीखने की डायरी में उन प्रश्नों और आँकड़ों की एक सूची तैयार करें जो आप क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है यह समझने के लिए पूछेंगे एवं एकत्र करेंगे।

Discussion

याद रखें कि आप यह गतिविधि इन दो अध्यापकों के साथ करेंगे ताकि आप प्रश्न पूछने और आकँड़े एकत्र करने की जिम्मेदारी आपस में बाटँ सकें। आपने शायद नोट किया हो कि और अधिक आकँड़े पाने के लिए आपको विद्यार्थियों और उनके माता-पिता से बातचीत करनी होगी और शायद यह भी पता करना होगा कि वे विद्यालय आने के लिए किस परिवहन साधन का उपयोग करते हैं। बाजार लगने वाले दिन या धार्मिक रीति-रिवाजों जैसे कुछ कारक भी हो सकते हैं जो उपस्थिति पर असर डालते हैं, इसलिए आपको स्वयं द्वारा ढूढें जाने वाले आकँड़ों द्वारा चकित होने के लिए तैयार रखना होगा और अपने प्रश्नों को केवल अपनी परिकल्पना की जांच तक ही सीमित नहीं रखना होगा। अग़र श्रीमती अग्रवाल का संदेह यह हो कि खराब उपस्थिति केवल पारिवारिक जिम्मेदारियों की वज़ह से है तो हो सकता है कि वे सड़क की स्थिति या उन दिनों विद्यालय आने के परिवहन साधनों के बारे में पूछताछ न करें।

आँकड़ों और जानकारी के एकत्रीकरण को विशिष्ट समस्याओं के हल के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, पर इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि, इससे आपको अपने विद्यालय के प्रदर्शन के बारे में एक विहंगम दृश्य प्राप्त हो सकता है। यह चित्र 1 में दिखाए गए मूल्यांकन चक्र का चरण 4 है।.

जब आपमें आँकड़े एकत्र करने की आदत विकसित हो जाएगी तो आप दीर्घावधि के रुझान देख पाएंगे और किसी वर्ष विशिष्ट की उपलब्धियां या उपस्थितियां भी देख सकेंगे। आँकड़ों को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़कर आप यह पता लगा सकते हैं कि वास्तव में आँकड़े आपको क्या बता रहे हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि यह पता चले कि कक्षा 1 से 4 में बालिकाओं की उपस्थिति कक्षा 5 से 8 की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है, या फिर यह कि फसल कटाई के वक्त उपस्थिति में लगभग 35 प्रतिशत की कमी आ जाती है।

3 अपने आँकड़ों को संगठित करना

सभी विद्यालयों की चिंता एक जैसी चीजों को लेकर होगी: विद्यार्थियों की उपस्थिति, उनकी उपलब्धियां, उनका व्यवहार और माता-पिता की संलग्नता आदि। इसलिए एक ऐसी रूप रेखा तैयार कर लेना सहायक रहेगा जिसमें आपके विद्यालय के मुख्य मुद्दों की वार्षिक समीक्षा प्रस्तुत हो। शीर्षकों से आपको आँकड़ों के संग्रहण की दिनचर्या विकसित करने में मदद मिलेगी।

संसाधन 2 में एक आरंभ बिंदु दिया गया है जिसे आप गतिविधि 6 में विकसित करने जा रहे हैं। स्व-समीक्षा प्रपत्र को मुख्य क्षेत्रों में बाँटा गया है और प्रत्येक क्षेत्र के अंदर एक स्थान दिया गया है जिसमें आपको सारांश रूप में बताना है कि आपने क्या पता लगाया (आपका विश्लेषण) तथा एक स्थान आपके द्वारा एकत्र प्रमाणों को सूचीबद्ध करने के लिए है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि जो अन्य लोग आपकी स्व-समीक्षा में रुचि ले सकते हैं (जैसे जिला शिक्षा अधिकारी या एसएमसी के सदस्य) उन्हें यह विश्वास होना चाहिए कि आपका विश्लेषण स्पष्ट प्रमाण पर आधारित है।

गतिविधि 6: स्व–समीक्षा प्रपत्र विकसित करना

संसाधन 2 पर नज़र डालें और जांचें कि कौन-कौन सी श्रेणियां आपकी परिस्थितियों एवं प्राथमिकताओं के लिए उपयुक्त हैं।

प्रत्येक अनुभाग को पूरा करने के लिए आपको जो-जो प्रमाण चाहिए होंगे उनकी एक सूची बनाएं। इसमें मात्रात्मक आँकड़े, प्रेक्षणात्मक आँकड़े या सर्वेक्षण एवं साक्षात्कार आँकड़े शामिल हो सकते हैं।

केस स्टडी 4: सुश्री चड्ढा का स्व-समीक्षा प्रपत्र

सुश्री चड्ढा के प्राथमिक विद्यालय की विद्यालय प्रबन्ध समिति एसएमसी यह जानने को उत्सुक थी कि विद्यालय में नैतिकता एवं सदाचार को किस प्रकार बढ़ावा दिया जा रहा है और बढ़ावा देने का यह कार्य कितना प्रभावी है। विद्यालय प्रमुख होने के नाते, सुश्री चड्ढा ने एक स्व-समीक्षा प्रपत्र पर यह लिखना शुरू किया कि वे किन-किन चीजों की समीक्षा करेंगी (तालिका 1)। उन्होंने ये विभिन्न फोकस क्षेत्र बाईं ओर के स्तंभ में लिखे। दाईं ओर के स्तंभ में, उन्होंने वे प्रमाण लिखे जिनका उपयोग वे प्रत्येक फोकस क्षेत्र की समीक्षा के लिए करने जा रही थीं। ध्यान दें कि किस प्रकार प्रमाण मात्रात्मक आँकड़ों, सर्वेक्षण आँकड़ों और प्रेक्षणात्मक आँकड़ों का मिश्रण है। सदाचार और नैतिक शिक्षा स्पष्ट रूप से इस विद्यालय में काफी अच्छी चल रही है।

तालिका 1सुश्री चड्ढा का स्व-समीक्षा प्रपत्र।
विद्यालय में सदाचार और नैतिकता को किस हद तक बढ़ावा दिया जा रहा हैकी समीक्षा हेतु फोकस क्षेत्रसमीक्षा हेतु प्रमाण के स्रोत
हम विद्यार्थियों और अध्यापकों के बीच अच्छे एवं सम्मानपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देते हैं। विद्यालय में संबंध अच्छे हैं: धौंस दिखाना या बदमाशियां बहुत कम है और विद्यार्थी सुरक्षित महसूस करते हैं। हमने एक नई व्यवहार नीति लागू की है जिसमें विद्यार्थी अपने खुद के व्यवहार के लिए जिम्मेदारी ले रहे हैं।
  • विद्यार्थियों के माता–पिता के सर्वेक्षण से पता चला है कि 94 प्रतिशत विद्यार्थी विद्यालय में खुश हैं।.
  • विद्यार्थियों के सर्वेक्षण से पता चला है कि 93 प्रतिशत विद्यार्थी विद्यालय में सुरक्षित महसूस करते हैं।.
  • धौंस जमाने/डराने की घटनाएं पिछले वर्ष आठ से घटकर इस वर्ष दो हो गई हैं।
  • मई और जून में मेरी अधिगम चहलकदमी ने नई नीति के सफल क्रियान्वयन की पुष्टि की है।
हम मिलजुल कर त्योहार और समाज में योगदान देने वाले व्यक्तियों के कार्य की खुशी मनाते हैं। प्रत्येक अर्ध-सत्र में कम-से-कम एक दिन समय-सारणी से अलग होता है। उस दिन सदाचार और नैतिकता के मुद्दों पर विद्यार्थियों की जागरुकता बढ़ाने की गतिविधियां की जाती हैं।
  • आँकड़े दर्शाते हैं कि ‘त्योहारी’ दिनों पर उपस्थिति लगातार व एकसमान रूप से अच्छी बनी हुई है।.
  • इन दिनों में, विद्यार्थी प्रायः कलाकृतियां एवं पोस्टर बनाते हैं जिन्हें उनकी कक्षाओं में प्रदर्शित किया जाता है।
  • हमने महिला शिक्षा के क्षेत्र में ईश्वरचंद्र विद्यासागर द्वारा किए गए कार्य के सम्मान में 26 सितंबर को उनका जन्मदिन मिलजुल कर मनाया।.
  • हमने विद्यार्थी-अध्यापक संबंध के उत्सव के रूप में ‘शिक्षक दिवस’ (5 सितंबर) मनाया। विद्यार्थियों ने अपने अध्यापकों को धन्यवाद देने के लिए कार्ड बनाए और अध्यापक अपने विद्यार्थियों के लिए मिठाइयां लाए। उस दिन एसएमसी के अध्यक्ष ने विद्यालय का दौरा किया और यहां के सकारात्मक माहौल पर टिप्पणी की।.
हम वंचित समूहों की मदद के लिए लोगों के बीच गए, और उन लोगों को उनके कार्य के बारे में विद्यार्थियों से बात करने के लिए आमंत्रित किया।
  • प्रत्येक कक्षा ने एक स्थानीय परोपकारी संस्था को अपनाया और उस संस्था के लिए चंदा जुटाने के लिए विद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया। इस वर्ष कुल रु. 20,000 एकत्र हुए।
  • इस वर्ष छः बाहरी वक्ताओं ने दौरा किया। विद्यार्थियों और उनके माता–पिता से मिले फ़ीडबैक के अनुसार 85 प्रतिशत विद्यार्थियों ने इन कार्यक्रमों का आनंद लिया और उनसे कुछ न कुछ सीखा।

स्व-समीक्षा प्रपत्र पूरा हो जाने पर वह विद्यालय विकास योजना (चित्र 2 में चरण 5) का आधार बन जाएगा – आप चाहें तो इस अगले चरण से संबंधित नेतृत्व पर एक दृष्टिकोण: विद्यालय विकास योजना का नेतृत्व करना इकाई का अध्ययन कर सकते हैं।

आपको आँकड़ों के नियमित संग्रहण (चरण 6) की व्यवस्था करने का लक्ष्य रखना चाहिए ताकि:

  • सुधार चक्र सतत चलता रहे
  • आँकड़े सुलभ हो जाएं और निर्णय तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर लिए जाएं।

इस इकाई के अंतिम अनुभाग में स्व-समीक्षा के पाँच साधन फोकस में होंगे।

4 स्व-समीक्षा के साधन

स्व-समीक्षा के कई साधन हैं; इस अनुभाग में आपका परिचय ऐसे पाचँ साधनों से कराया जाएगा जिनसे आपको आँकड़ों के संग्रहण में तथा आपके विद्यालय में जो कुछ हो रहा है उसकी समीक्षा करने में अन्य लोगों को सफलतापूर्वक जोड़ने में मदद मिल सकती है।

साधन 1: अधिगम चहलकदमी

चित्र 5 एक विद्यालय प्रमुख अधिगम चहलकदमी करते हुए।

अधिगम चहलकदमी में विद्यालय प्रमुख या प्रधानाध्यापक क्या चल रहा है यह जानने के लिए विद्यालय दिवस के दौरान विद्यालय में टहलते हैं। अच्छे विद्यालय प्रमुख हमेशा से यह करते आए हैं। यह स्व-समीक्षा का एक आवश्यक घटक है क्योंकि इससे निम्नांकित को करने का मौका मिलता है:

  • रुक कर, जो आप देख रहे हैं उस पर चिंतन करना। आपको यह निर्धारित करना होगा कि आप कौन सी शैली अपनाएंगे। आप जितना कम दिखेंगे, उतना ही अधिक आप देख व सुन पाएंगे। तथापि, यदि स्टाफ और विद्यार्थियों को लगे कि आप ‘जासूसी’ कर रहे हैं, तो यह पद्धति अनुत्पादक बन सकती है। जब सहयोग व चुनौती की संस्कृति स्थापित हो चुकी होती है तो स्टाफ और विद्यार्थियों के विद्यालय प्रमुख के साथ खुला और ईमानदार व्यवहार करने की संभावना बढ़ जाती है।
  • चीजों का पता लगाना। आप मध्यावकाश में या विद्यालय दिवस के आरंभ या अंत में अध्यापकों, विद्यार्थियों, माता-पिता और सहयोगी स्टाफ से बात कर सकते हैं (और इतने ही महत्वपूर्ण रूप से, उन्हें सुन सकते हैं) ।
  • अध्यापकों को संकेत दें कि उनकी कक्षा में क्या चल रहा है इस बारे में विद्यालय प्रमुख के नाते जानने में आप रुचि रखते हैं।
  • किसी एक मुद्दे पर फोकस करें।

अधिगम चहलकदमी रोज़ाना एक ही समय पर न करें, क्योंकि ऐसा करने से आपको मिलने वाली जानकारी सीमित हो जाएगी।

गतिविधि 7: अपनी अधिगम चहलकदमी के लिए समय निकालना

  • . अपनी सीखने की डायरी में अगले हफ्ते की कुछ अधिगम चहलकदमियों की योजना बनाने के लिए (आदर्श रूप से किसी विश्वसनीय सहयोगी के साथ) बैठें। हिसाब लगाएं कि आप कैसे अपना कार्यभार घटा सकते हैं ताकि आपके पास रोज़ाना, आदर्श रूप से आधे-आधे घंटे के दो टुकड़ों में, एक घंटा अधिगम चहलकदमी करने के लिए हो। जब आप यह कर रहे हों तो, अधिगम चहलकदमी करने के लिए आप समय कैसे निकाल सकते हैं इस बारे में अपने आप से निम्नांकित प्रश्न पूछें:
    • ऐसा क्या है जो नियत है और मुझे करना ही होगा? (उदाहरण के लिए, अपना स्वयं का पाठ पढ़ाना।)
    • मैं अपने समय को प्रभावी ढंग से व्यवस्थित कैसे कर सकता हूँ? (उदाहरण के लिए, दिन का एक ऐसा समय, सामान्यतः सुबह में, चुनें जब आप अपने कार्य से संबंधित सभी फोन कॉल करेंगे।)
    • क्या ऐसा कोई कार्य है जिसे किसी अन्य द्वारा किया जाना चाहिए या जिसे किसी अन्य द्वारा इतनी ही अच्छी तरह किया जा सकता है?
    • क्या ऐसा कोई कार्य है जिसमें विलंब करने से कोई समस्या नहीं होगी?
    • क्या ऐसा कोई कार्य है जिसे वास्तविकता में किए जाने की ज़रूरत ही नहीं है?
  • . अपने हफ्ते की योजना बनाएं ताकि आप अलग-अलग समयों पर, जैसे विद्यालय दिवस के आरंभ में या अंत में (माता-पिता से बातचीत करने के लिए), पाठों के बीच के थोड़े से खाली समय में (जब अध्यापक कक्षाएं एक-दूसरे को सौंपते हैं) , मध्यावकाश या भोजनावकाश में, और अध्यापन समय के दौरान भी, भ्रमण कर पाएं।.
  • अपने प्रेक्षण लिखने के लिए एक छोटा सा नोटपैड साथ ले लें और बस आप निकलने के लिए तैयार हैं। प्रत्येक भ्रमण के लिए एक फोकस चुनें, जैसे विद्यार्थी संलग्नता का स्तर। इससे आपको व्यवस्थित ढंग से आँकड़े एकत्र करने में मदद मिलेगी।
  • अब अधिगम चहलकदमी करें। जो भी आप देखें व सुनें उसे रिकॉर्ड करें। यदि आप कुछ ऐसा देखें जो आपको प्रभावित करे तो उस व्यक्ति या समूह की प्रशंसा करें। एकमात्र नियम यह है कि सकारात्मक और सम्मानपूर्ण रहें। यदि आपका विद्यालय आपको बाहर इस तरह घूमते देखने का अभ्यस्त नहीं है, तो स्टाफ को विश्वास में लेने की जरूरत पड़ेगी।
  • अपने निष्कर्षों को सारांशित करें और विद्यालय में और अधिगम चहलकदमी करने के साथ-साथ उभरते हुए रुझान तलाशें।
  • देखें कि अधिगम चहलकदमी से आपको जो परिणाम या निष्कर्ष मिल रहे हैं उनके समर्थन में आपको किन्हीं अन्य स्रोतों से प्रमाणों की आवश्यकता है या नहीं।
  • इस बारे में सोचना शुरू करें कि आप कैसे क्षेत्रों में सुधार ला सकते हैं और कैसे आप अपने निष्कर्षों को साझा करेंगे।
Discussion

अधिगम चहलकदमी के कई लाभ हैं और कक्षाओं में जो हो रहा है – जो कि विद्यालय जीवन का केंद्र है – उससे प्रधानाध्यापक संपर्क में रहता है। इसमें ज़रूरी नहीं कि बहुत समय लगे। जिन विद्यालयों में स्व-समीक्षा सुस्थापित है वहां अधिगम चहलकदमी लोगों के दल द्वारा की जा सकती है और उसमें संभवतः कार्याभ्यास के किसी एक विशिष्ट पहलू पर नज़र डाली जाएगी, जैसे अध्यापक किस प्रकार के प्रश्नों का उपयोग कर रहे हैं, पाठों का आरंभ और अंत, कठिनाई का सामना कर रहे विद्यार्थियों का सीखना आदि।

साधन 2: अभ्यास पुस्तिका/कक्षा कार्य का अवलोकन

पुस्तक अवलोकन एक औपचारिक गतिविधि है जिसमें आप निगरानी और मूल्यांकन के उद्देश्य से विद्यार्थियों के विशिष्ट समूहों से पुस्तकें एकत्र करते हैं। इससे कई कार्य पूर्ण करने में आपको मदद मिलती है, जैसे

  • अध्यापक द्वारा तय कार्य की प्रकृति और गुणवत्ता मापना
  • कक्षा में कार्य पूर्ण होने की गति का विश्लेषण करना
  • यह पहचानना कि अध्यापक कार्य में किस हद तक और कितनी अच्छी तरह सुधार एवं चिह्नांकन कर रहे हैं
  • विषय-वस्तु एवं प्रस्तुति की गुणवत्ता देखना
  • सीखने की गुणवत्ता का मूल्यांकन करना
  • पाठों में जिस प्रकार की गतिविधियां की जा रही हैं उनके संकेत खोजना।

सभी पुस्तकों पर नज़र डालने में तो बहुत समय लगेगा, इसलिए आपको प्रतिचयन (सैंपलिंग/नमूने लेने) का तरीका विकसित करना होगा। उदाहरण के लिए, आप:

  • हर तीसरी नोटबुक पर नज़र डाल सकते हैं
  • प्रत्येक कक्षा के दो छात्रों और दो छात्राओं के कार्य पर नज़र डाल सकते हैं
  • एक ही विषय में विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों की पुस्तकों के नमूने पर नज़र डाल सकते हैं।

साधन 3: मात्रात्मक आँकड़ों का एकत्रीकरण और विश्लेषण

तथ्यों एवं प्रमाणों को एकत्र करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बेहद अच्छे विद्यालयों में यह नित्य गतिविधि होती है। आपको जो सबसे बड़ी चीज करनी है वह है इस बात पर फैसला लेना कि आप किस चीज पर फोकस करेंगे और उससे विद्यालय का प्रदर्शन सुधारने में आपको कैसे मदद मिलेगी। विद्यालय प्रमुख होने के नाते, आपको स्व-समीक्षा को सीखने, उसके परिणामों को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

गतिविधि 8: वर्षान्त परीक्षणों से प्राप्त आँकड़ों का उपयोग करना

अपने वर्षान्त-परीक्षणों के बाद, परिणाम के आँकड़ों का अध्ययन करके वे प्रमाण निकालें जिनसे आपको कुछ सुधार करने में मदद मिल सकती हो। आपको जो आँकड़े चाहिए, यदि वे आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि आपको अगले वर्ष से वे आँकड़े अलग ढंग से एकत्र व रिकॉर्ड करने हैं ताकि यह कार्य अगली बार आसान हो जाए।

किसी कक्षा के विषयानुसार परीक्षणों पर नज़र डालें, और अगर वे मौजूद न हों तो एक मेट्रिक्स बनाएं ताकि आप प्रत्येक प्रतिशत के अनुसार (10 प्रतिशत – देखें संसाधन 3) परिणाम पाने वाले विद्यार्थियों को गिन कर प्रदर्शन जांच सकें। जब आप इस आँकड़े को आलेखित कर चुके हों, तो आपको उसका विश्लेषण करना होगा, ताकि वह उपयोगी जानकारी का रूप ले ले और आपको इस बारे में बता सके कि आपको और क्या-क्या पता लगाने की जरूरत हो सकती है। अपने विचारों को अपनी सीखने की डायरी में नोट करें।

  1. सारे आँकड़ों पर नज़र डालें और देखें कि क्या कोई विषय ऐसा है जिसमें विद्यार्थियों का प्रदर्शन बाकी विषयों से काफी अलग है। उसके बाद, विषय को पढ़ाने वाले स्टाफ़ पर नज़र डालें। क्या स्टाफ़ अच्छा प्रदर्शन कर रहा है या सुधारों की आवश्यकता है?
  2. जहां एक ही विषय को कई अध्यापक पढ़ा रहे हों वहां अलग-अलग विषयों के आँकड़ों पर नज़र डालें। क्या कोई ऐसा अध्यापक है जिसके स्कोर उल्लेखनीय रूप से अलग हैं? क्या ऐसा शायद इसलिए है कि उसे सहयोग चाहिए या फिर वह उल्लेखनीय रूप से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है?
  3. आँकड़ों से मिल रहे प्रमाण का इस्तेमाल करके जांचें कि ये विसंगतियां क्यों हैं, जिन्हें श्रेय मिलना चाहिए उनकी प्रशंसा करें और जहां हल होने लायक मुद्दे हों वहां कदम उठाएं।
Discussion

क्या इस तरह से एकत्र आँकड़ों से आप चकित हुए? क्या इसने आपको इस बारे में जानकारी दी कि आपको और क्या-क्या जांच-पड़ताल करने की आवश्यकता है? अपने आँकड़ों से तत्काल निष्कर्ष निकालने में थोड़ा सावधान रहें – हो सकता है कि सीखने के परिणामों पर प्रभाव डालने वाले ऐसे अन्य कारण भी हों जिनके बारे में आपने सोचा भी न हो (जैसे उपस्थिति या कक्षा का आकार)। आपको प्रेक्षणों और बातचीत के जरिए और प्रमाण एकत्र करने की जरूरत पड़ सकती है।

इस तरह से आँकड़ों का विश्लेषण शुरू करने पर, आप आँकड़ों को एकत्र करने और उनका उपयोग करने के और बेहतर तरीके सोचेंगे – जैसे कि अलग-अलग विद्यार्थियों या विद्यार्थी समूहों पर नज़र रखना, ताकि आप उनकी कठिनाइयों की पहचान कर सकें।

साधन 4: हितधारकों से बातचीत

विद्यालय से जुड़े विभिन्न लोगों जैसे–अध्यापक, विद्यार्थी, अभिभावक, विद्यालय कार्मिक आदि जिन्हे ‘हितधारकों की संज्ञा दी जा सकती है। दृष्टिकोण, रवैये और अनुभव जांचने होंगे। जरूरी नहीं कि यह कार्य कोई रोब गाँठने वाली ड्यूटी हो। यदि आप अपने अधिगम (सीखने) भ्रमण कर रहे हैं तो आप हफ्ते में कम से कम एक बार, विद्यालय दिवस की शुरूआत और समाप्ति पर अभिभावकों से बात कर पाएंगे। मध्यावकाशों के दौरान आप व्यक्तियों या छोटे समूहों के साथ उन मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं जिन्हें लेकर आप चिंतित हैं या जिनमें आपकी रुचि है। आप अपनी स्टाफ बैठकों के लिए नियमित कार्यसूची बिंदु रख सकते हैं जो विद्यालय सुधार लक्ष्यों और उनकी धारणाओं से संबंधित हों।

अपने प्राथमिक हितधारकों, यानी विद्यार्थियों के मामले में, स्व-समीक्षा एक दो-तरफा प्रक्रिया है। आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप इस बात का प्रत्यक्ष अनुभव करें कि आपके विद्यालय में विद्यार्थी का जीवन वास्तव में कैसा है और उन्हें किस स्तर का सहयोग मिलता है और उनके सामने किस स्तर की चुनौतियाँ आती हैं। विद्यार्थियों के पास स्व-समीक्षा प्रक्रिया में देने को बहुत कुछ है, पर यदि उन्हें समालोचनात्मक विचार सामने रखने में आत्मविश्वासी बनना है तो उन्हें ‘प्रशिक्षण’ और सहयोग दिया जाना होगा। यदि आप विद्यार्थियों के उन विचारों को भरोसेमंद मानते हैं, जो स्टाफ़ से विरोधाभास रखते हैं, तो हो सकता है कि स्टाफ आरंभ में शक्की व्यवहार दिखाए। एक बार फिर, यह सकारात्मक और खुला माहौल बनाने के बारे में है। कुछ विद्यालयों में, विद्यार्थियों की नियमित परिषदें या संसद होती हैं, और वे विद्यालय समुदाय को प्रभावित करने वाले मुद्दों के संबंध में निर्णय लेने में सहभागी हो सकते हैं।

अभिभावक भी वे मुख्य हितधारक हैं जो विद्यालय समीक्षा में मदद कर सकते हैं। आपको उनके साथ बात करने के लिए समय निकालना होगा और उन्हें अपने विचार सुनाने का मौका देना होगा।

गतिविधि 9: विद्यार्थियों का साया बनना

विद्यालय नेतृत्व आँकड़ा संग्रहण के जो भी अभ्यास कर सकता है, उनमें से सबसे जल्दी दृष्टि देने वाला अभ्यास है किसी विद्यार्थी का साया बनना। पूरे दिन किसी एक विद्यार्थी का प्रेक्षण करने से, आपको निम्नांकित के बारे में अच्छी-खासी जानकारी मिल सकती है:

  • अध्यापन की शैली (शैलियां)
  • विद्यार्थी के जुड़ाव का स्तर
  • अध्यापक-विद्यार्थी संबंध
  • समय और संसाधनों का उपयोग
  • सीखने पर अध्यापन का प्रभाव।

आदर्श रूप से, आप साया बनने का यह कार्य कर सकते हैं – पर आपके शक्तिसम्पन्न पद के कारण, विद्यार्थी के लिए यह बहुत भयभीत करने वाला हो सकता है। सोचें कि क्या आप यह कार्य विद्यालय प्रबन्ध समिति (एसएमसी) के किसी सदस्य या किसी विश्वासपात्र अध्यापक को सौंप सकते हैं। आपको विद्यार्थी के चयन के बारे में सावधान रहना होगा – यदि आप जानबूझकर सबसे योग्य विद्यार्थी को चुनेंगे, तो संभव है कि आपको सीखने की अधिक जटिल जरूरतों वाले विद्यार्थी का प्रेक्षण करने से जो तस्वीर मिलती उससे अलग तस्वीर मिले। आपको बाद में, विद्यार्थी के साथ अनुभव की चर्चा करने का समय भी निकालना होगा, क्योंकि दिनभर के इस अभ्यास के बारे में उसके विचार भी महत्वपूर्ण हैं।

साया बनने के कार्य के बाद, आपने जो देखा उसका विश्लेषण करना होगा और मुख्य सीखने के बिंदुओं को स्टाफ के साथ और शायद विद्यालय प्रबन्ध समिति (एसएमसी) के साथ भी साझा करना होगा।

Discussion

आपको इस कार्य के लिए अबाधित समय समर्पित करना होगा और अध्यापकों के सामने इस बात पर जोर देना होगा कि आप सीखने का अवलोकन कर रहे हैं, अध्यापन का नहीं। अपने विद्यालय में ‘अदृश्य’ रह कर कार्य करना बहुत कठिन है और हो सकता है कि विद्यार्थी आपको अपने पीछे लगा देख कर भयभीत या हतोत्साहित हो जाएं। आपको ध्यान से यह सोचना होगा कि इस भूमिका में किस प्रकार हस्तक्षेपी और बाधक होने से बचा जाए – आप जो कर रहे हैं उसके बारे में विद्यार्थियों और स्टाफ को पहले से बता देना आवश्यक है, पर जिस विद्यार्थी का साया आप बन रहे हैं उसका नाम दिन पूरा हो जाने तक गुप्त रखना ही सबसे अच्छा है।

साधन 5: कक्षा प्रेक्षण

कक्षा प्रेक्षण, प्रारम्भिक भयभीत न करने वाले तरीके से कर पाना कठिन होता है, विशेष रूप से इसलिए कि आप प्रधानाध्यापक हैं और इसलिए अगर आप कक्षा में हों तो लोग अलग तरह से व्यवहार करेंगे। हो सकता है कि आप इस बात के आदी हों कि जब आप कक्षा में प्रवेश करते हैं तो विद्यार्थी सतर्क हो जाते हैं, पर आदर्श रूप में आप चाहेंगे कि आप शांति से कक्षा में प्रवेश कर जाएं और वहां खड़े हों या बैठें जहां से आप पूरी कक्षा का प्रेक्षण कर सकें – यदि आप पीछे विद्यार्थियों के साथ बैठते हैं तो आप कक्षा के उनके अनुभव के सबसे निकट होंगे। अगर विद्यार्थी समूहों में कार्य कर रहे हों या अलग-अलग कार्य कर रहे हों तो उनके सीखने का नमूना पाने के लिए आप कक्षा में चहलकदमी कर सकते हैं।

यदि विद्यालय में प्रेक्षण करने की संस्कृति न हो, तो आपको धीमी शुरूआत करनी होगी। इस स्थिति तक पहुंचने में थोड़ा समय लग सकता है कि आप पाठों का प्रेक्षण करें और कक्षा में बेचैनी उत्पन्न न हो। एक संभावित पद्धति यहां दी गई है:

  1. अपने अध्यापकों को एक-दूसरे का प्रेक्षण करने के लिए प्रोत्साहित करें। टीईएसएस-इंडिया (Tess-India) इकाइयों में कई गतिविधियां इसे प्रोत्साहित करती हैं। जब तक वे एक दूसरे का निरीक्षण करें, आप उनकी कक्षा को पढ़ाने की पेशकश कर सकते हैं। इस तरह से, छात्र कक्षा में आपको अधिक से अधिक देखने के आदी हो जाएंगे।
  2. ‘अधिगम चहलकदमी‘ नियमित रूप से करें ताकि पाठों के दौरान शिक्षक और छात्र आपको कक्षा के बाहर, दरवाजे के पास रुकते हुए देखने की आदी हो जाएं।
  3. जब आपको महसूस हो कि आप पाठ का निरीक्षण करने में सक्षम हैं, तब ‘अवलोकन फार्म‘ का उपयोग करें, ताकि शिक्षक जानें कि आप क्या खोज रहे हैं और बाद में आप इस का उपयोग उन लोगों के साथ पाठ की चर्चा करने के लिए करें। संसाधन 4 में एक उदाहरण है जिसका इस्तेमाल आप कर सकते हैं।

5 सारांश

यह इकाई आपको स्व-समीक्षा चक्र के माध्यम से समीक्षा कराती है यह आपका परिचय कुछ उपकरणों से कराती है जिसका उपयोग आप तथ्य एवं प्रमाण इकट्ठा करने और अपने विद्यालय की समीक्षा करने के लिए कर सकते हैं।

विद्यालय के प्रदर्शन के प्रमुख पहलुओं के बारे में एक संगठित तरीके से तथ्य एवं प्रमाण इकट्ठा करने से आपको अपने कार्यों और योजनाओं को समायोजित करने में सहायता मिलेगी। यह एक ऐसा कार्य है जिसे साझा किया जा सकता है, लेकिन प्रारंभ में इसके लिए सशक्त नेतृत्व और विश्वास की संस्कृति के निर्माण की आवश्यकता है। जैसे जैसे विद्यालय अधिक स्वायत्त होते जाते हैं, यह काम जवाबदेही के साथ-साथ चलता रहता है; विद्यालय की स्व-समीक्षा एक वस्तु-परक प्रक्रिया है जो प्रभावपूर्ण बनाकर कमजोरियों को दूर करने के लिए उपयुक्त प्रमाण प्रदान करती है। विस्तृत स्व-समीक्षा का अर्थ है कि विद्यालय पूरे विश्वास के साथ नियोजन कर सकता है और चीजों को प्राथमिकता के क्रम में रख सकता है, जिससे वह प्रति वर्ष और प्रभावी तथा और भी बेहतर बन सकता है।

यह इकाई उन इकाइयों के समुच्चय या परिवार का हिस्सा है जो नेतृत्व पर दृश्य के महत्वपूर्ण क्षेत्र से संबंधित हैं (नेशनल कॉलेज ऑफ लीडरशिप के साथ संरेखित)। आप अपने ज्ञान और कौशलों को विकसित करने के लिए इस समुच्चय में आगे आने वाली अन्य इकाइयों पर नज़र डालकर लाभान्वित हो सकते हैं:

  • अपने विद्यालय के लिए एक साझा स्वप्न का निर्माण करना
  • विद्यालय की विकास योजना का नेतृत्व करना
  • अपने विद्यालय को सुधारने के लिए वैविध्यता पर उपलब्ध आँकडों का उपयोग करना
  • अपने विद्यालय में परिवर्तन का नियोजन और उसका नेतृत्व करना
  • अपने विद्यालय में परिवर्तन को कार्यान्वयित करना।

संसाधन

संसाधन 1: विद्यालय आँकड़ा मेट्रिक्स

तालिका R.1 विद्यालय आँकड़ा मेट्रिक्स।
नहीं।प्रश्नआँकड़ों को कैसे एकत्र किया जा सकता है?क्या हम पहले से ही यह आँकड़ा एकत्र करते आ रहे हैं?विद्यालय के सुधार के लिए आँकड़ों का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
उदाहरणहमारे विद्यालय में उपस्थिति कितनी अच्छी है?दैनिक पंजीहाँउपस्थिति प्रतिमानों की पहचान करना, खराब उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को लक्षित करना
1हमारे विद्यालय के विद्यार्थी कैसी उपलब्धियां हासिल करत है?परीक्षा के परिणामहाँप्रत्येक कक्षा कैसा कर रही है, विभिन्न समूह कैसा कर रहे हैं, उदाहरण के लिए छात्र और छात्राएं।
2क्या हमारे विद्यालय में विद्यार्थी अच्छी प्रगति करते हैं?
3क्या हमारे विद्यालय में व्यवहार अच्छा है?
4क्या विद्यार्थी विद्यालय में सुरक्षित महसूस करते हैं?विद्यार्थियों का सर्वेक्षणनहीं
5क्या हमारे विद्यालय में सीखने का सकारात्मक माहौल है?
6क्या भवन अच्छी स्थिति में हैं?
7क्या हमारे विद्यालय में विद्यार्थी अपना गृहकार्य करते है?
8क्या अभिभावक हमारे विद्यालय से संतुष्ट हैं?

संसाधन 2: ‘विद्यालय स्व-समीक्षा‘ की रूपरेखा (नमूना टेंप्लेट)

तालिका R2.1 विद्यालय स्व-समीक्षा की नमूना टेंप्लेट।
प्रमाण एं तथ्य (Facts and evideuces)
खंडविद्यालय में विद्यार्थियों की उपलब्धियां: विद्यार्थी कैसी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं?विद्यालय में अध्यापन और सीखने की गुणवत्ताविद्यालय में विद्यार्थियों का व्यवहार और उनकी सुरक्षाविद्यालय में नेतृत्व और प्रबंधन की गुणवत्ताविद्यालय में पाठ्यचर्या का विस्तारसमाज के साथ संपर्क

संसाधन 3: एक कक्षा में प्रति विषय, परीक्षा के अंकों का वितरण

प्रतिशतता के अंतर्गत आने वाले विद्यार्थियों की संख्या ग्रिड (तालिका R3.1) में दर्ज करें। इससे आप उपलब्धियों के प्रतिमानों को और समान समूह में विषयों के मध्य यदि कोई असामानताएं हों तो उन्हें, देख पाएंगे।

यदि आप अन्य तुलनाकारी आँकड़े एकत्र करना चाहते हैं तो पहले स्तंभ में विषयों की बजाए अलग-अलग कक्षाओं या अध्यापकों के साथ इसी ग्रिड का उपयोग कर सकते हैं।

Table R3.1 Grid showing distribution of scores in various subjects.
विषयप्रतिशतक
0–910–1920–2930–3940–4950–5960–6970–7980–8990–100
गणित
अंग्रेज़ी
विज्ञान
आईसीटी
खेलकूद

संसाधन 4: पाठ प्रेक्षण

तालिका R4.1 अध्यापन अभ्यास पर्यवेक्षक पाठ प्रेक्षण प्रपत्र (TESSA, अदिनांकित से अनुकूलित)।

विद्यार्थी

अध्यापक का नाम

दिनांकसमय              अवधि              
कक्षा              औसत आयु              छात्रों की संख्याछात्राओं की संख्या
विषय
विषय
उप-विषय
पाठ योजना पर नोट्स

सीखने के उद्देश्यों पर नोट्स

निर्देश सामग्रियों पर नोट्स

पूर्व ज्ञान के उपयोग तथा प्रवेश व्यवहार पर नोट्स

References

Chapman, C. and Sammons, P. (2013) School Self-evaluation for School Improvement. Reading: CfBT Education Trust.
HM Inspectorate of Education (2007) How Good is Our School? The Journey to Excellence – Part 4: Planning for Excellence. Livingston: HM Inspectorate of Education. Available from: http://www.journeytoexcellence.org.uk/ Images/ Planningforexcellence4_tcm4-489373.pdf (accessed 18 December 2014).
Matthews, P. (2009) How Do School Leaders Successfully Lead Learning? Nottingham: National College for School Leadership. Available from: http://dera.ioe.ac.uk/ 254/ 1/ download%3Fid%3D23637%26filename%3Dhow-do-school-leaders-successfully-lead-learning.pdf (accessed 18 December 2014).
Mourshed, M., Chijoki, C. and Barber, M. (2010) How the World’s Most Improved School Systems Keep Getting Better. New York, NY: McKinsey & Co.
Professional Development Service for Teachers (undated) ‘The six step process’ (online). Available from: http://cmsold.pdst.ie/ node/ 804 (accessed 17 December 2014).
TESSA (undated) ‘NCCE/NTI teaching practice supervisors’ toolkit’ (online). Available from: http://www.tessafrica.net/ NTI-Toolkit (accessed 18 December 2014).

Acknowledgements

अभिस्वीकृतियाँ

तृतीय पक्षों की सामग्रियों और नीचे अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है: (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0/)। नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।

कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।

वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।