हाल के वर्षों में भारत की शिक्षा नीति में कई परिवर्तन हुए हैं, पर सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक है विद्यालयों से की जाने वाली अपेक्षाओं में आया परिवर्तन। आकांक्षा यह है कि विद्यालयों को और अधिक स्वायत्त एवं अपने स्थानीय समुदाय के प्रति प्रतिक्रियाशील बनना चाहिए, और यह कि विद्यालय प्रमुखों को उनके विद्यालयों में अध्यापन और सीखने की गुणवत्ता की और अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए (त्यागी, 2011)।
TESS-India मुक्त शैक्षिक संसाधन (ओईआर) का मकसद उन विद्यालय प्रमुखों की सहायता करना है जो अपने विद्यालयों को सक्रिय विद्यार्थियों और अन्योन्य क्रियात्मक अध्यापकों के साथ गतिशील सीखने का परिवेश बनाना चाहते हैं। यह प्रथा पहले से जिन जगहों में मौजूद नहीं है वहां इसे यथार्थ बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, हालांकि विद्यालय प्रमुखों के पास उनके खुद के विद्यालय में अच्छा-खासा प्राधिकार होता है। यह इकाई विद्यालय प्रमुख को सक्षमकारी के रूप में स्थित करती है – वह व्यक्ति जो अपनी भूमिका का उपयोग करके अपने विद्यालय में कार्यों का होना संभव बनाता है। TESS-India ओईआर इस भूमिका में आपकी सहायता के लिए एक ‘टूलकिट’ प्रदान करते हैं (अधिक विवरण के लिए संसाधन 1 देखें)।
यह पहली उन्मुखीकरण इकाई, अपने विकास के लिए TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर का उपयोग कैसे करें इससे आपको परिचित कराने का लक्ष्य रखती है। इन सभी संसाधनों के मूल में यह विचार है कि सीखना जीवनभर की और सतत प्रक्रिया होता है: अध्यापकों को प्रभावी ढंग से सीखने के लिए उनके विद्यालय प्रमुखों का भी ज्ञानार्जक बनना जरूरी है।
इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करके रखते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी शुरू कर भी ली है।
इस इकाई में आप अकेले काम कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय प्रमुख के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते आ रहे हैं, या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध का निर्माण करना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अधिक अनौपचारिक आधार पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे, और साथ ही आपकी लम्बे समय तक की शिक्षण-प्रक्रिया और विकास का प्रतिचित्रण भी करेंगे।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 भारत के विद्यालयों को पहले से कहीं अधिक स्वायत्तता देता है। कई अन्य देशों में ऐसा पहले ही किया जा चुका है, जहां प्रायः विद्यालय प्रमुख अपने स्वयं के बजटों के लिए, अपने अध्यापकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार होते हैं और यहां तक कि पाठ्यचर्या पर निर्णय लेने में भी सक्षम होते हैं। ये परिवर्तन अधिक जिम्मेदारी तो लाते हैं पर साथ में और आजादी भी लाते हैं और यह अपेक्षा भी कि विद्यालय प्रमुख जिला शिक्षा कार्यालय या अन्य शैक्षिक प्राधिकरणों से निर्देश मिलने का इंतजार करने की बजाए अपने विद्यालय को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करेंगे। भारत में, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एनयूईपीए) के नेशनल कॉलेज ऑफ स्कूल लीडरशिप (एनसीएसएल) का कार्य इन परिवर्तनों का समर्थन कर रहा है।
TESS-India मुक्त शैक्षिक संसाधन (ओईआर) का एक बैंक प्रदान करता है जिसमें विद्यालय प्रमुखों के लिए 20 अध्ययन इकाईयां हैं। इन्हें विद्यालय नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं पर सीखने की गतिविधियां प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। कुछ स्पष्टतः अध्यापन और सीखने में सुधार लाने तथा आपके अध्यापकों की कक्षा संबंधी परिपाटी को विकसित करने पर केंद्रित हैं, वहीं कुछ अन्य विद्यालयों की प्रक्रियाओं और प्रणालियों पर ध्यान देती हैं, जैसे विद्यालय के लिए एक परिकल्पना निर्मित करना, विद्यालय समीक्षा संचालित करना, विकास योजना बनाना और आपका विद्यालय जहां स्थित है वहां के समाज के साथ मिलकर कार्य करना। आप अपनी व्यावसायिक सीखने की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले ओईआर चुन सकते हैं। इकाइयों को विद्यालय नेतृत्व के लिए एनसीएसएल द्वारा पहचानी गई प्राथमिकताओं के अनुसार समूहबद्ध किया गया है, पर वे कोई पाठ्यक्रम नहीं हैं – हम आपको प्रोत्साहित करते हैं कि आप इन इकाइयों में से अपना खुद का रास्ता बनाएं।
प्रत्येक इकाई में गतिविधियां और केस स्टडी दिए गए हैं। गतिविधियां आपको अपने विद्यालय में करने के लिए दी गई हैं; इनमें से कुछ में सहकर्मियों को शामिल किया जाएगा और कुछ को आप स्वयं करेंगे। इन्हें अतिरिक्त कार्य निर्मित करने के लिए परिकल्पित नहीं किया गया है, बल्कि ये उन चीजों पर चिंतन करने और उनकी बेहतर समझ हासिल करने में आपकी मदद करती हैं जो आप किसी न किसी तरह कर रहे हैं या करने की सोच रहे थे। प्रत्येक इकाई को अपने आप में पूर्ण इकाई के तौर पर तैयार किया गया है, पर फिर भी आप चाहें तो संपूर्ण इकाई की बजाए अलग-अलग गतिविधियां करना चुन सकते हैं। अपनी भूमिका में आप जो ज्ञान और अनुभव लाते हैं,ओईआर उनका सम्मान करते हैं और आपको सहयोगात्मक रूप से कार्य करने को प्रोत्साहित करते हैं।
इस परिचय इकाई में आप अपने खुद के व्यावसायिक विकास के बारे में सोचना आरंभ करेंगे। आप विचार करेंगे कि आपके पास पहले से क्या-क्या ज्ञान एवं कौशल हैं और विद्यालय प्रमुख के तौर पर आप अपनी प्रथा को कैसे विकसित कर सकते हैं।
TESS-India अध्यापकों के लिए भी ओईआर प्रदान करता है। सभी ओईआर में सीखने का सामाजिक दृष्टिकोण लिया गया है, जिसमें सीखना अपने विद्यालय के अन्य सहकर्मियों और विद्यार्थियों के साथ अभ्यासों में सहभागिता के जरिए होता है। वे सर्वश्रेष्ठ अभ्यास की कोई विस्तृत विधि या निर्देश सामग्रियां नहीं हैं; बल्कि वे आपको और आपके अध्यापकों को परावर्तक तथा तर्कमूलक पहचान एवं भूमिकाएं विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यहां मकसद यह है कि व्यक्ति के स्वयं के कार्य परिवेश, भले ही वह आपका विद्यालय हो या आपकी कक्षा, के अंदर की समस्याओं को सुलझाने की संभावनाओं की दिशा में सीखने और पूछने के बारे में खुली सोच रखी जाए (लेव एवं वेंगर, 1991; ब्रूनर, 1996; वेंगर, 1998)।
![]() विचार कीजिए एक बार फिर विद्यालय प्रमुख या वरिष्ठ अध्यापक के रूप में अपने करियर की शुरूआत के बारे में सोचें।
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नए अवसरों का सर्वाधिक लाभ लेने के लिए, विद्यालय प्रमुखों को अधिक कौशल विकसित करने होंगे। आप संभवतः इसलिए विद्यालय प्रमुख बने क्योंकि आप एक अच्छे अध्यापक और सुयोग्य व्यक्ति हैं। तथापि, नेता या प्रमुख होना, अध्यापक की भूमिका से बहुत अलग है। आपकी भूमिका है विद्यालय के दैनिक कामकाज़ का प्रबंधन करना और सुनिश्चित करना कि, दीर्घकाल में, आपका विद्यालय अपने समाज के विद्यार्थियों के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव शिक्षा प्रदान करे। इस इकाई में आपका परिचय कुछ ऐसे कौशलों और सक्षमताओं से होगा जो विद्यालय के अध्यापकों को अधिक प्रभावी बनने में मदद करने के लिए एक प्रभावी विद्यालय प्रमुख में होने जरूरी हैं।
![]() विचार कीजिए एक बार फिर उस समय को याद करें जब आप विद्यालय में थे या जब आपने अपने अध्यापन व्यवसाय की शुरूआत की थी। अब दस वर्ष आगे के बारे में सोचें। जिस वर्ष आपने अपना करियर आरंभ किया था उससे दस वर्ष के बाद विद्यालयों के बीच का सबसे प्रमुख अंतर क्या होगा? |
आपके विचार में आपके अध्यापक आपको अपने प्रमुख के रूप में किस प्रकार देखते हैं? क्या वे आपको पसंद करते हैं? क्या वे आपके पद मात्र की बजाए आपके ज्ञान और कौशल का भी सम्मान करते हैं? आपके विचार में ऐसा क्यों है? आप अपने अध्यापकों के समक्ष यह कैसे प्रदर्शित करते हैं कि एक व्यावसाय के रूप में आप विकसित हो रहे हैं? उदाहरण के लिए, क्या वे आपको किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में देखते हैं जो नए विचारों को आज़माने और उनके प्रभाव पर चिंतन करने के लिए तैयार है?
चर्चा
आपकी प्रतिक्रियाएं आप और आपकी परिस्थितियों के अनुरूप व्यक्तिगत होंगी। तथापि, प्रमुख के तीन अलग अलग प्रकारों पर विचार करने से आपको अपने सामने आ सकने वाली चुनौतियों पर और चिंतन करने में मदद मिल सकती है:
• दूसरे प्रकार का प्रमुख ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो कम उम्र का है और इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर उसके व्यक्तिगत विकास के क्षेत्र लोगों को दिखे तो उसका प्राधिकार उससे खो न जाए। वह इस बात से संभवतः अवगत हो सकता है कि कक्षा में उसकी विशेषज्ञता, उसके कुछ अधिक वरिष्ठ अध्यापकों से कम है, पर नेतृत्व के मॉडल में देने के लिए उसके पास बहुत कुछ है। इस मॉडल में आधुनिकतम विचारों की समझ और भविष्य की सोच के साथ-साथ उत्साह भी है और वह साथ ही साथ अन्य अध्यापकों की विशेषज्ञता का सम्मान भी करता है।
अच्छे प्रमुख के गुण सुप्रलेखित हैं। तालिका 1 में इस बारे में कुछ सुझाव हैं कि वे भारतीय परिप्रेक्ष्य में किस प्रकार लागू होते हैं। आप गतिविधि 3 में इस विश्लेषण पर लौटेंगे।
Qualities of a good leader | What these might mean in your context |
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Readiness to confront authority | You will need to work with your district education office and other related structures such as the cluster resource centres (CRCs), block resource centres (BRCs), local panchayat and school management committees (SMCs). These provide valuable resources and in many parts of the country still take responsibility for recruiting and deploying teachers. It is important that you manage your relationship with all these institutions and functionaries carefully and sensitively. Confrontation might not be the best approach, but don’t be afraid to take the initiative or do things differently from how they have been done in the past if you think it will help your school. |
Being prepared to take risks | Culturally this is difficult, because India’s hierarchical structures mean that people feel they need to seek approval for any initiative from a more senior person. However, as long as you are aware of district priorities and the school development plan (SDP), and you have well thought out reasons about why you are making a particular change, you should be able to take risks in your school in order to achieve the improvements you want. |
Resilience in the face of failure | In many cultures, admitting you have made a mistake or that things are less than perfect is difficult. Managing change is demanding and will not necessarily go smoothly. Every time something does not go exactly as planned, you should regard this as a learning opportunity. Make sure you reflect on and identify the reasons why things have not gone as planned, but don’t be afraid of admitting that you could have done something differently. |
Confidence in instinct and intuition | You will probably have experience of working as a teacher in different schools. You will be able to use and build on this experience in your role as a school leader. The new aspiration for autonomous schools means that you will have more freedom to be creative and try out new things. |
Ability to keep in mind the bigger picture | This applies to all leaders. Your role is to establish and communicate a clear vision for your school. All actions and initiatives should be linked to this vision. There is a School Leadership OER that provides practical advice about how to work with others to build a vision for your school. This will help you in formulating the SDP with the SMC members. |
Moral commitment | The values and beliefs that underpin the NCF 2005, the NCFTE 2009 and the RtE 2009 challenge some traditionally held beliefs. In order to meet the aspirations set out by the government in these documents, you will need to understand the underlying values of these policies and model these in your school and the local community around your school. |
A sense of timing and the ability to sit back and learn from experience | As you start to evaluate your school, it is possible that you will identify a number of changes that you wish to make. It is important not to try and change too much, too soon. You will need to prioritise and move slowly, taking all the teachers with you. |
प्रधानाध्यापक श्री नागराजू एक ग्रामीण माध्यमिक विद्यालय में कार्य करते हैं।
इस विद्यालय में कार्य आरंभ करते समय मैंने अध्यापकों से उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम पूरा करना बहुत कठिन है क्योंकि सीखने के लिए बहुत कुछ है, पर उनमें से अधिकतर इसे लेकर गर्व कर रहे थे कि वे हर वर्ष उसे पूरा करने में सफल हो जाते हैं। जब मैंने परीक्षा परिणाम देखे तो उनका निम्न स्तर देख कर मैं दंग रह गया। कक्षा दस की परीक्षाओं में केवल 30 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हुए थे। ऐसा कैसे हो सकता है? अगर अध्यापक इतनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और हमेशा पाठ्यक्रम पूरा कर देते हैं तो परिणाम इतने खराब क्यों हैं? मैंने कुछ दिन विद्यालय का भ्रमण किया और अभ्यास पुस्तिकाओं को देखना शुरू किया। मुझे पता लगा कि अध्यापकों का बहुत सारा समय बच्चों को व्याख्यान देने में निकल जाता है। इमला और ब्लैकबोर्ड से उतारने का काम भी काफी हो रहा था।
मैंने श्री सिंह को कक्षा से पूछते हुए सुना, ‘क्या तुम समझ गए?’ कक्षा ने समवेत स्वर में उत्तर दिया, ‘हाँ, हम समझ गए।’ पाठ के बाद मैंने श्री सिंह से पूछा कि उन्हें कैसे पता कि बच्चे समझ गए हैं। प्रश्न से चकित हो कर उन्होंने उत्तर दिया, ‘उन्होंने कहा कि वे समझ गए हैं – और किसी ने भी मुझसे कोई प्रश्न भी नहीं पूछा।’
श्री सिंह कई वर्षों से विज्ञान पढ़ा रहे हैं और वे काफी सख्त अध्यापक हैं। मुझे खुद उनसे खौफ़ महसूस होता है, इसलिए मेरे लिए यह आश्चर्य की बात नहीं कि विद्यार्थी यदि कुछ नहीं भी समझे होंगे तो भी वे यह बात स्वीकारेंगे नहीं। मैंने कहा कि पिछले वर्ष की परीक्षा के परिणामों को देखते हुए नहीं लगता कि उन्होंने कार्य को थोड़ा भी समझा है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी कठिन मेहनत नहीं करते और वे ग्रामीण समुदाय से हैं इसलिए उन्हें उन विद्यार्थियों से बढ़िया प्रदर्शन की अपेक्षा नहीं है। मेरा विश्वास है कि सभी विद्यार्थियों में सीखने की क्षमता होती है। उनकी मदद करने का रास्ता ढूंढना अध्यापकों पर निर्भर करता है। पर मैं श्री सिंह को यह यकीन कैसे दिलाता?
मैंने अध्यापकों से कहा कि पिछले विद्यालय प्रमुख की तरह, वे मुझे भी हर हफ्ते की अपनी पाठ योजनाएं दें। मैंने गुरूवार और शुक्रवार की प्रार्थना सभाएं रद्द कर दीं ताकि मुझे विषय समूहों में उनकी योजनाओं के बारे में उनसे बात करने का समय मिल जाए। मैंने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे जिन मुख्य अवधारणाओं को समझाना चाह रहे हैं उनके बारे में सोचें, और उन्हें सुझाया कि वे पहले पाठ्यपुस्तकों में मुख्य विचारों की पहचान करें और सभी कुछ कवर करने की बजाए वे पहले इन पर ध्यान केंद्रित करें। मैंने उन्हें TESS-India के कुछ ओईआर दिखाए और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे प्रत्येक टॉपिक की शुरूआत किसी ऐसी चीज से करें जो विद्यार्थियों में रुचि जगाए, भले ही वह पाठ्यपुस्तक में न हो। मैंने सुझाया कि वे, अगर लाभकारी हो तो, अध्यायों को अलग क्रम में कवर कर सकते हैं और मैंने उन अध्यापकों की भरपूर प्रशंसा की जो अपनी पहल का उपयोग कर रहे थे।
सत्रांत में, मैंने अध्यापकों से सभी परीक्षणों के परिणामों को एक ग्रिड में भरने को कहा। श्री वारि एक युवा और अनुभवहीन विज्ञान अध्यापक हैं। उन्होंने कई परस्पर प्रभावी पद्धतियां अपनाईं थीं। उन्होंने पाठ्यपुस्तक के चार अध्यायों के हर पृष्ठ का उपयोग नहीं किया, पर उनकी कक्षा ने श्री सिंह की कक्षा से बेहतर प्रदर्शन किया।
तालिका 1 को फिर से पढ़ें जिसमें अच्छे प्रमुख के गुण दिए गए हैं।
किसी दोस्त या सहकर्मी के साथ केस स्टडी 1 का विश्लेषण करें और श्री नागराजू ने जो गुण प्रदर्शित किए उनके उदाहरणों की पहचान करें। इन्हें अपनी सीखने की डायरी में लिखें या मुख्य वाक्यांशों को किसी हाइलाइटर पेन या पेंसिल से रेखांकित करें।
चर्चा
श्री नागराजू ने देखा कि क्या चल रहा था और समस्या के समाधान की हड़बड़ी दिखाने की बजाए अपने अध्यापकों की बात सुनी। उन्होंने लोगों को बदलने की कठिनाई को पहचाना, पर वे समाधान ढूंढने के लिए दृढ़निश्चयी थे। उन्होंने अपने अध्यापकों को प्रोत्साहित किया कि प्रत्येक अध्याय का संपूर्ण उपयोग आवश्यक नहीं और वे पाठ्यपुस्तकों का अधिक रचनाशील उपयोग करें। उन्होंने यह जोख़िम उठाया पर उनके पास ऐसा करने के अच्छे कारण थे। उनका मानना है कि सभी विद्यार्थी सीख सकते हैं, भले ही उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, और उन्होंने मौजूदा तंत्र के अंदर ही कार्य किया – उदाहरण के लिए, अध्यापकों को विद्यालय के बाद रुकने के लिए कहने की बजाए प्रार्थना सभाओं को रद्द करना।
गतिविधि 2 आजमा चुकने के बाद, आप चाहें तो विद्यालय प्रमुखों के वीडियो भी देख सकते हैं जिससे आप यह विश्लेषण कर सकते हैं कि वे जो कहते हैं उनमें वे किस हद तक अच्छे प्रमुख के गुणों का प्रदर्शन करते हैं।
तालिका 1 सुझाती है कि विद्यालय प्रमुख में न केवल प्रभावी व्यक्तिगत गुण होने चाहिए बल्कि कई प्रकार की सक्षमताएं भी होनी चाहिए (देखें संसाधन 2)। इस बात की संभावना कम ही है कि आप सभी क्षेत्रों में समान रूप से प्रतिभावान या पारंगत हों। यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि आपके अध्यापकों और विद्यार्थियों की तरह, आपका ज्ञान और कौशल भी नई चुनौतियों का सामना करने और अधिक विशेषज्ञता हासिल करने के लिए समय के साथ-साथ विकसित और परिवर्धित हो रहे हैं।
विद्यालय प्रमुख की भूमिका के किन पहलुओं को आप अच्छी तरह संभालते हैं और किन में आपको विकास की जरूरत है, यानी किन क्षेत्रों में आप और सीख सकते हैं, यह पहचान करने के लिए संसाधन 2 में दी गई तालिका को पूरा करें।
सबसे पहले, खुद को ‘अत्यंत सक्षम’, ‘पर्याप्त रूप से सक्षम’, अथवा ‘बमुश्किल सक्षम’ की श्रेणी में रखें। निःसंदेह आपके पास पहले से काफी सारा ज्ञान है, पर आप जीवनभर सीखने की भावना के साथ हमेशा ही अपने कौशलों और योग्यताओं को विस्तार दे सकते हैं या उनमें परिशोधन कर सकते हैं। इस तालिका को पूरा करने से आपको अधिक प्रभावी एवं सक्षमकारी प्रमुख बनने हेतु अपनी आवश्यकताओं और विकास प्राथमिकताओं का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी।
आप चाहें तो इस प्रक्रिया को किसी सहकर्मी के साथ साझा करके स्वयं की प्राथमिकता प्राप्त आवश्यकताओं और उसकी आवश्यकताओं की चर्चा उसके साथ कर सकते हैं। विद्यालय प्रमुख काफी अलग-थलग हो सकता है, इसलिए सहकर्मी-परामर्श संबंध विकसित करने से दोनों को लाभ पहुंच सकता है। केस स्टडी 2 पढ़ें और जानें कि कैसे दो विद्यालय प्रमुखों ने अपनी-अपनी ज़रूरतें देखने-जानने में एक-दूसरे की मदद की।
श्री कपूर और सुश्री अग्रवाल की मुलाकात हाल ही में एक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में हुई थी और उन्होंने पाया कि उनके कई विचार एक-दूसरे से मेल खाते थे। उन्होंने एक-दूसरे की मदद के लिए हर महीने मुलाकात करने की व्यवस्था की, और गतिविधि 3 साथ मिलकर करने का निश्चय किया, जिसमें उन्होंने उदाहरण ढूंढने में एक-दूसरे की मदद की और प्रश्नों से एक-दूसरे की जांच-पड़ताल की। ‘व्यवहार प्रतिरूपण’ के गुणों के बारे में उनके वार्तालाप को पढ़ें।
अपनी व्यावसायिक विकास आवश्यकताओं की पहचान कर लेने के बाद, आप अब इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सीखने की योजना बना सकते हैं। संसाधन 3 में TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर की एक सूची दी गई है।
(इस इकाई के बाद) अध्यापन-सीखने प्रक्रिया में परिवर्तन लाना: प्राथमिक विद्यालय में अध्यापन और सीखने में सुधारों का नेतृत्व करना नामक इकाई से शुरूआत करना अच्छा रहेगा। यह इकाई TESS-India परियोजना के मूल शिक्षण-सिद्धांत पर केंद्रित है और इससे आपको अन्य उपलब्ध संसाधनों की खोज का मौका मिलेगा। सभी सामग्रियां ‘मुक्त शैक्षिक संसाधन’ हैं,जिसका अर्थ है कि वे निःशुल्क हैं – आप उनकी प्रतियां बना सकते हैं और अपनी परिस्थितियों के अनुसार उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं।
इन चरणों का अनुसरण करते हुए TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर का इस्तेमाल करें और अपने लिए एक सीखने की योजना बनाएं:
अपनी चुनी हुई इकाइयों को थोड़ा और विस्तार से देखें और तय करें कि आपको प्रत्येक पर कितना समय लगाना होगा।
अपनी सीखने की योजना लिखने के लिए संसाधन 4 का उपयोग करें। उसे किसी मुख्य स्थान पर प्रदर्शित करें और हर हफ्ते उसे पढ़ें।
अंत में, तय करें कि आप सामग्रियों तक कैसे पहुंचेंगे (ऑनलाइन या ऑफलाइन या मुद्रित पर्चे) और सोचें कि अपने सीखने को विस्तार देने तथा उसे ठोस रूप देने के लिए आप अन्य किस व्यक्ति के साथ कार्य कर सकते हैं।
किसी विद्यालय में अध्यापन और सीखने को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं आप, विद्यालय प्रमुख – अर्थात आपके गुण और आपकी सक्षमताएं। जब तक आप अध्यापकों को प्रयोग करने और पारंपरिक अध्यापन विधियों से हटने में समर्थ नहीं बनाएंगे, तब तक विद्यार्थियों के सीखने में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
आप स्वयं एक जीवनभर शिक्षार्थी बनने के द्वारा – अपने विद्यालय में नवप्रवर्तन करने व समस्याओं का समाधान करने हेतु अपने ज्ञान का प्रयोग करने के द्वारा – अपने शिक्षकों को सक्षम बनाते हैं। शिक्षकों को परिवर्तन हेतु आपके प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। आप निम्नलिखित के द्वारा शिक्षकों के लिए अवसर एवं उन्हें मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं:
अगला केस स्टडी अपने शिक्षकों की बातें सुनने तथा नेतृत्व हेतु एक महाविद्यालयी कार्यपद्धति विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है – सक्षम करने का अर्थ है अपने शिक्षकों के साथ मिलकर कार्य कराना ताकि संवाद हो तथा यह सुनिश्चित हो सके कि आप उनसे सीख रहे हैं।
इसलिए एक सक्षमकर्ता होने का अर्थ है – आपके विद्यालय में प्रत्येक व्यक्ति के लिए सक्रिय, सहभागितापूर्ण अध्ययन प्रदान करने हेतु अनुकूल स्थितियों का निर्माण करना।
यह एक विद्यालय प्रमुख के साथ साक्षात्कार का रिकॉर्ड है, जो हाल ही में माध्यमिक विद्यालय प्रमुखों के लिए एक कोर्स में उपस्थित हुए थे। उनका विद्यालय बहुत अच्छे से कार्य कर रहा था, तथा उनके विद्यालय नेता बनने के पश्चात विद्यार्थियों की उपस्थिति में बहुत अधिक सुधार हुआ थ। वे बेहतर परीक्षा परिणाम के बारे में बात करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से बात करने के लिए इच्छुक थे, लेकिन उन्हें यह आभास हुआ कि उनके विद्यालय में ध्यान देने की जरूरत वाले अन्य महत्वपूर्ण विषय थे।
कोर्स के बारे में हमारा इनसे परिचय करवाया गया था – विद्यालय आत्म समीक्षा एवं विकास योजना के बारे में TESS-India ओईआर [नेतृत्व के बारे में दृष्टिकोण: विद्यालय की आत्म समीक्षा का नेतृत्व करना तथा नेतृत्व के बारे में दृष्टिकोण: विद्यालय विकास योजना]। मैं मध्यावकाश के इंतजार में था, ताकि मैं अपने सहकर्मियों के साथ अपने परीक्षा परिणामों के बारे में अच्छा समाचार साझा कर सकूं।
आत्म-समीक्षा के बारे में इकाई पर कार्य करते समय मुझे बहुत प्रसन्नता हुई – मेरे विद्यालय में बहुत से अच्छे कार्य हो रहे हैं। लेकिन फिर प्रशिक्षक ने हमसे हमारे विद्यालय में शिक्षकों के बारे में कुछ प्रश्न तथा विद्यालय के बारे में उनके विचार पूछे। मेरे पास दस शिक्षक हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि वे मेरे द्वारा किए गए किसी भी परिवर्तन के बारे में क्या सोचते हैं; मैंने उनसे जो भी करने को कहा है, उन्होंने मुझे चुनौती दिए बिना वे कार्य किए हैं।
मुझे गणित के एक शिक्षक की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि हमारे पास बहुत सारे विद्यार्थी नामांकित हैं। भोजनावकाश के समय जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि उन्हें अभी तक कोई शिक्षक नहीं मिल सका है। उन्होंने बताया कि उन्होंने जिन दो शिक्षकों से पूछा था, उन शिक्षकों ने स्थानान्तरण न करने का निवेदन किया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि मेरे विद्यालय में शिक्षण करना बहुत कठिन कार्य होगा। असल में, उसने यह भी खुलासा किया कि दो अंग्रेजी शिक्षकों तथा एक विज्ञान शिक्षक ने भी उनसे मिलकर निवेदन किया था कि क्या उन्हें किसी दूसरे विद्यालय में स्थानान्तरित किया जा सकता है। मैं बहुत ही आश्चर्यचकित तथा निराश था।
जब हम विकास योजना पर पहुंचे तो मुझे यह महसूस होना आरंभ हुआ कि मैं थोड़ा-थोड़ा एक तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहा हूं। मैंने विद्यालय में सुधार लाने के बारे में कई फैसले लिए हैं और कई बदलावों को लागू भी किया है, पर मैंने दूसरों को किसी भी चर्चा में शामिल नहीं किया है, उनसे विचार नहीं मांगे हैं और न ही यह दिखाया है कि मैं उनके अनुभव को मान देता हूँ। कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनमें से कुछ लोग दबाव महसूस कर रहे हैं!
मैने महसूस किया कि यद्यपि विद्यार्थियों को विद्यालय आना अच्छा लगता है, तथापि मुझे शिक्षकों का बेहतर तरीके से ध्यान रखने की आवश्यकता है। मैं वापस विद्यालय गया तथा और अधिक महाविद्यालयी बनने तथा शिक्षकों का और अधिक सहायक बनने का दृढ़ निश्चय किया। अगली स्टाफ बैठक में, हर बार के प्रशासनिक कामकाज करने की बजाए, मैंने उनसे समूह में काम करने के लिए और यह सोचने के लिए कहा कि
एक विद्यालय के तौर पर हम क्या अच्छा करते हैं। इसके पश्चात एक जोरदार चर्चा हुई तथा उनके पास ऐसे बहुत सी सुझाव थे, जिनके बारे में मैने कभी सोचा भी नहीं था। उन्होंने परीक्षा परिणामों में हाल ही में हुए सुधारों को स्वीकारा, लेकिन यह भी स्पष्ट हुआ कि और भी बहुत सी ऐसी बातें थी जो कि उनके लिए उतनी ही महत्वपूर्ण थीं।
उसके पश्चात हम लोगों ने सुधार की जा सकने वाली चीजों के बारे में चर्चा की। मैंने हर शिक्षक से अलग-अलग मुलाकात करके बात की ताकि मैं उनके काम के ऐसे पहलुओं के बारे में सुन सकूं जो उनके लिए महत्वपूर्ण हैं और एक व्यक्ति के तौर पर उनके बारे में और जान सकूं।
![]() विचार कीजिए इस केस स्टडी पर विचार करें। क्या आपको लगता है कि आपके शिक्षकों को आपके विद्यालय में कार्य करना अच्छा लगता है? क्या उन्हें लगता है कि उन्हें महत्व दिया जाता है, उन्हें समर्थन दिया जाता है तथा उनकी बातों पर विचार किया जाता है? |
आपके स्वयं के अध्ययन के प्रति आपका रवैया, आपके शिक्षकों के उनके पेशेवर विकास के प्रति रवैये को प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करेगा। कौशलों में आपकी वृद्धि तथा परिवर्तन के लिए आपकी तत्परता उन्हें बदलने तथा स्वयं की वृद्धि करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। आपके सबसे बहुमूल्य संसाधन आपके शिक्षक हैं, तथा आपको उन्हें उनकी क्षमता के अनुरूप सर्वोत्तम शिक्षक बनने के लिए अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है। आपको यह अपेक्षा एवं आशा करने की आवश्यकता है कि वे आपसे बेहतर शिक्षक बनेंगे!
संभव है कि आप कुछ ऐसे वीडियो देखना चाहें, जिसमें विद्यालय प्रमुख अपने अग्रणी शिक्षकों के बारे में बात कर रहे हैं।
TESS-India शिक्षक विकास ओईआर कुछ ऐसे उपकरण हैं, जो आपके शिक्षकों को नयी कार्यपद्धतियां सीखने, तथा शिक्षण के भिन्न तरीकों हेतु विचारों को आजमाने में सहायता करेंगे। वे इस बात को पहचानते हुए शिक्षक को एक ‘शिक्षार्थी’ की भूमिका में रखते हैं कि, वे शिक्षण व अध्ययन की प्रक्रिया के साथ सक्रिय तौर पर जुड़ने तथा सहकर्मियों के साथ सहयोगात्मक रूप से कार्य करने के माध्यम से, उन उपकरणों में अपनी योग्यता तथा पेशे में अपने अभ्यास को विकसित कर लेंगे।
एक शिक्षक बनने हेतु अध्ययन एक जटिल तथा जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है। शिक्षक अध्ययन तथा विकास की संकल्पना हेतु विभिन्न ढांचे सुझाए गए हैं, लेकिन एक जो विशेष तौर पर सहायक है, वह एक दक्ष शिक्षक के ज्ञान के छह क्षेत्रों की पहचान करता है (शुलमैन एण्ड शुलमैन. 2007):
तालिका 2 में इनकी छानबीन की गई है।
Feature | Comment |
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Vision | Good teachers should have a clear vision of what they are trying to achieve, underpinned by a set of beliefs about learners, knowledge and learning. They should be willing to reflect on and adapt their vision in the light of experience. |
Motivation | Good teachers should be motivated to improve and develop. |
Understanding | Good teachers need to know what to do and how to do it. They need to know the subjects that they have to teach and how to teach effectively. |
Practice | Good teachers recognise that practice is complex and develops over time. They know how to enact the theories that they have learnt in the classroom. Good teachers will learn from the experience of trying different approaches. |
Reflection | Good teachers reflect on what they are doing and learn from experience. Without reflection, teachers lack the capacity to change, |
Community | Good teachers recognise that they are part of a community that shares the same objectives and values, and will seek support from and provide support for the community. |
![]() विचार करें
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TESS-India ओईआर शिक्षक अध्ययन के इन सभी क्षेत्रों का समर्थन करता है। ओईआर अंतनिर्हित अवधारणाओं को चुनौती देता है तथा शिक्षकों को अपनी कक्षाओं में नयी कार्यपद्धतियां आजमाने हेतु प्रेरित करता है। एक विद्यालय प्रमुख के रूप में आप प्रोत्साहन प्रदान करने तथा उनके एक साथ कार्य करने हेतु अवसर उत्पन्न करने के द्वारा अपने शिक्षकों की सहायता करने की स्थिति में हैं।
संभव है कि शिक्षा में हाल ही में किए गए परिवर्तनों के कारण भारतीय विद्यालय प्रमुखों पर और अधिक जिम्मेदारियां आ गई हों, लेकिन उन परिवर्तनों ने आपको अपने विद्यालय में एक वास्तविक परिवर्तन लाने तथा विद्यार्थियों के अध्ययन परिणामों पर अपना प्रभाव डालने का एक अवसर भी प्रदान किया है। आप एक परिवर्तनशील पेशे में हैं तथा आपसे ऐसे गुणों एवं योग्यताओं का प्रदर्शन करने के लिए कहा जा रहा है जो कि आपके विद्यालय में परिवर्तन लाते हैं। TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर आपको इस चुनौती का सामना करने में सहायता कर सकते हैं, विशेष तौर पर आपके विद्यालय में शिक्षकों को भिन्न तरीके से कार्य करने तथा नयी कार्यपद्धतियों को अपनाने हेतु सहमत करने में सहायता कर सकते हैं, जो कि एनसीएफ 2005 तथा एनसीएफटीई 2009 में राष्ट्रीय नीति द्वारा निर्देशित हैं।
यह इकाई आपके एक सक्रिय शिक्षार्थी होने तथा आपके ज्ञान एवं योग्यताओं में रिक्तताओं की पूर्ति करने के लिए समाधान-आधारित कार्यपद्धति का निर्माण करने पर केन्द्रित है। इकाई में कार्य करने के दौरान आपने TESS-India विद्यालय नेतृत्व ओईआर का प्रयोग करते हुए एक अध्ययन योजना बनाई। आपको इस योजना के अनुसार, अपनी स्वयं की प्रगति का निरीक्षण करते हुए व सीखते हुए तथा उपयुक्त होने पर अपने सहकर्मियों के साथ साझा करते हुए कार्य करना चाहिए।
इसमें विद्यालय प्रमुखों के लिए 20 ओईआर डिजाइन किए गए हैं (मुख्याध्यापक, प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक, तथा इन भूमिकाओं की आकांक्षा करने वाले लोग)। ये ओईआर, विद्यालय प्रमुखों का उनकी भिन्न भूमिकाओं में समर्थन करते हैं, इनमे वे प्रक्रियाएं एवं प्रणालियां शामिल हैं जोकि एक विद्यालय में परिवर्तन लाने व सुधार करने हेतु अनिवार्य हैं। इन्हें, अध्ययन एवं शिक्षण में वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए प्रमुखों को सक्षम बनाने में समर्थन करने हेतु तथा विद्यालयों को एक प्रभावी व सहयोगात्मक तरीके से अध्ययन प्रदान करने में और अधिक ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी परिकल्पित किया गया है। ये संसाधन 3 में सूचीबद्ध हैं।
TESS- India ओईआर दस मुख्य संसाधनों के एक सेट द्वारा समर्थित है। ये मुख्य संसाधन, जो सभी विषयों और स्तरों पर लागू होते हैं, आप और आपके शिक्षकों को TESS-India ओईआर की अध्यापन की प्रमुख अभ्यासों पर आगे का व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इनमें छात्रों को संगठित करने के तरीके, सीखने की गतिविधियाँ तथा शिक्षक-छात्र और छात्र-छात्र अंतर्क्रियाएं शामिल हैं। ये मुख्य संसाधन उपयुक्तता के अनुसार (संसाधन के रूप में) ओईआर में समेकित हैं, तथा साथ ही शिक्षक-प्रशिक्षक (टीचर्स-एजूकेटर्स) अथवा विद्यालय प्रमुखों के लिए प्रशिक्षण एवं अन्य संदर्भों में प्रयोग करने हेतु पृथक दस्तावेजों के रूप में भी उपलब्ध हैं।
इसमें वीडियो क्लिप्स का भी एक सेट है, जो कि मुख्य संसाधनों की थीमों से मेल खाते हैं, तथा मुख्य सहभागितापूर्ण कक्षा तकनीकों को वर्णित करता है। ये वीडियो क्लिप्स, भिन्न प्रकार की भारतीय कक्षाओं में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा सहभागितापूर्ण अभ्यासों का प्रयोग दर्शाती हैं, तथा इसमें एक व्याख्या भी शामिल है जो कि दर्शक को विशिष्ट कार्यवाही एवं व्यवहार पर विशेष ध्यान में मार्गदर्शन करती है। वीडियो क्लिप्स को हिंदी कक्षाओं में फिल्माया गया है, तथा ऑडियो को भिन्न राज्यों के लिए अनुवादित किया गया है। इन वीडियो क्लिप्स के लिंक को ओईआर में उपयुक्त स्थानों पर डाला गया है, जिसे कि एक वीडियो आईकॉन, ,द्वारा चिह्नित किया गया है, तथा उपयोगकर्ताओं के लिए ऑनलाइन उपलब्ध हैं। उपयोगकर्ताओं के लिए यह संभव है कि वे वीडियो क्लिप्स को डाउनलोड करके टैबलेट, PCs, DVDs तथा SD कार्ड के द्वारा मोबाइल फोन पर प्रयोग कर सकें।
इसमें तीन विषय क्षेत्रों में 45 माध्यमिक ओईआर हैं: माध्यमिक अंग्रेजी, माध्यमिक गणित तथा माध्यमिक विज्ञान – प्रत्येक में 15। ये ओईआर शिक्षकों तथा शिक्षक-प्रशिक्षक (टीचर्स-एजूकेटर्स) के लिए हैं, तथा शिक्षकों को उनकी कक्षाओं में प्रयोग करने के लिए व्यावहारिक विचार प्रदान करते हैं।
Leadership competencies | How do you rate yourself? (Tick one column) | In what situation did you last do this? | ||
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Highly competent | Adequately competent | Barely competent | ||
Working with others | Supporting others | |||
Recognising individual efforts | ||||
Promoting other people’s self-esteem | ||||
Developing others by providing opportunities for development and reflection | ||||
Minimising anxiety | ||||
Being a reflective and empathetic listener | Seeking to understand before making judgements | |||
Listening to individual ideas and problems | ||||
Actively encouraging feedback | ||||
Empowering others | Empowering others to make decisions and take responsibility | |||
Modelling behaviour | Demonstrating personal integrity | |||
Modelling the attitudes and values that you wish to promote | ||||
Showing enthusiasm | ||||
Being proactive in making decisions | Providing direction and a clear vision | |||
Making decisions | ||||
Promoting understanding of key issues | ||||
Managing change | Encouraging new ways of doing things | |||
Anticipating possible future challenges | ||||
Treating mistakes as learning opportunities | ||||
Encouraging teamwork | Encouraging teamwork |
NCSL मुख्य क्षेत्र | ओईआर शीर्षक | शिक्षण के परिणाम |
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उन्मुखीकरण | सक्षमकर्ता के रूप में प्राथमिक विद्यालय प्रमुख |
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सक्षमकर्ता के रूप में माध्यमिक विद्यालय प्रमुख |
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नेतृत्व के बारे में दृ ष्टिकोण | अपने विद्यालय के लिए एक साझा स्वप्न का निर्माण करना |
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विद्यालय की आत्म- समीक्षा का नेतृत्व करना |
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विद्यालय की विकास योजना का नेतृत्व करना |
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नेतृत्व के बारे में दृष्टिकोण | अपने विद्यालय को सुधारने के लिए वैविध्यता पर उपलब्ध डेटा का उपयोग करना |
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अपने विद्यालय में परिवर्तन का नियोजन और उसका नेतृत्व करना |
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अपने विद्यालय में परिवर्तन को क्रियान्वित करना |
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स्वयं को प्रबन्धित एवं विकसित करना | स्वयं को प्रबन्धित एवं विकसित करना |
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शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया को रूपान्तरित करना | प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने और सीखने में सुधारों का नेतृत्व करना |
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शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया को रूपान्तरित करना | माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाने और सीखने में सुधारों का नेतृत्व करना |
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अपने विद्यालय में आकलन का नेतृत्व करना |
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कार्य-प्रदर्शन बढ़ाने में शिक्षकों की सहायता करना |
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शिक्षकों के पेशेवर विकास का नेतृत्व करना |
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परामर्श देना और प्रशिक्षित करना |
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शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया को रूपान्तरित करना | अपने विद्यालय में सीखने की प्रभावी संस्कृति का विकास करना |
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अपने विद्यालय में समावेश को प्रोत्साहित करना |
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छात्रों की प्रभावी शिक्षण- प्रक्रिया के लिए संसाधनों का प्रबंधन करना |
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अपने विद्यालय में प्रौद्योगिकी के उपयोग का नेतृत्व करना। |
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नेतृत्व साझेदारियां | माता-पिता तथा वृहत् विद्यालय समुदाय के साथ जुड़ना। |
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अगले अकादमिक वर्ष के लिए प्राथमिकताएं एवं प्रतिबद्धताएं (जिसमें शामिल है – पाठ्यक्रम, ऐसी पहलें जिनमें आप शामिल हैं तथा पूर्ण किए जाने वाले कार्य, जैसे कि विद्यालय की आत्म-समीक्षा अथवा एक SDP लिखना) |
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अगले तीन महीनों में अध्ययन करने के लिए ओईआर |
1. 2. 3. |
अगले वर्ष के अन्दर अध्ययन करने के लिए ओईआर |
1. 2. 3. 4. 5. |
अध्ययन करने तथा सीखने के लिए मैं कैसे समय निकालूंगा? |
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उन्मुखीकरण: माध्यमिक विद्यालय नेता, सक्षमकारी के रूप में |
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मेरी योजना में क्या बाधाएं आ सकती हैं? |
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मैं अपनी योजना को बिगाड़ दिये जाने से कैसे बचाऊंगा? |
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मैं अपने स्वयं के लिए इकाइयों को कैसे एक्सेस करूंगा? |
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मैं अपने सीखने में मेरी सहायता करने व उसे मेरे संदर्भ पर लागू करने हेतु एक अध्ययन साझेदारी अथवा परामर्शदाता ढढूंने के लिए क्या व्यवस्था करूंगा? मैं कितने नियमित तौर पर उनसे बात करूंगा? |
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मैं अपने सीखने का मूल्यांकन किस प्रकार करूँगा? |
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अभिस्वीकृतियाँ
तृतीय पक्षों की सामग्रियों और नीचे अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है: (http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/)। नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।
इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभार:
तालिका 1: निम्नलिखित से अनुकूलित: [Table 1: adapted from:] गार्डनर, एच (1997) अग्रणी समझ: [Gardner, H. (1997) Leading Minds:] नेतृत्व की स्वायत्तता। [An Autonomy of Leadership.] लन्दन: हार्परकोलिन्स। [HarperCollins.]
तालिका 2: शुलमैन, एल.एस. और शुलमैन, जे.एच. से अनुकूलित (2007) ‘शिक्षक कैसे और क्या सीखते हैं: एक परिवर्तनशील परिप्रेक्ष्य पाठ्यक्रम अध्ययन का जर्नल वॉल्यूम [Table 2: adapted from Shulman, L.S. and Shulman, J.H. (2007) ‘How and what teachers learn: a shifting perspective’, Journal of Curriculum Studies, vol.] 36, सं. [36, no.] 2, पृ. [2, pp.] 257-71। [257–71.]
तालिका आर 2.1: निम्नलिखित से अनुकूलित: [Table R2.1: adapted from:] मैकबीथ, जे और मायर्स, के. (1999) प्रभावशाली स्कूल नेता: [MacBeath, J. and Myers, K. (1999) Effective School Leaders:] अपनी कार्य-प्रणाली का मूल्यांकन और उसमें सुधार कैसे करें। [How to Evaluate and Improve Your Practice.] हार्लो: [Harlow:] पियर्सन। [Pearson.]
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।