विद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
इस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं।
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। अधिगम के इन संपूरक पहलुओं - विषय आधारित सामग्री व भाषा और साक्षरता सामग्री - को आपस में जोड़ने की क्षमता एक कुशल अध्यापक का गुण होता है।
आप एक ऐसी शिक्षिका की केस स्टडी पढ़कर शुरुआत करेंगे, जो अन्तरिक्ष विज्ञान व भाषा और साक्षरता का विकास एक साथ पढ़ाती हैं।
श्रीमती मीना वाराणसी के एक सरकारी विद्यालय में कक्षा तीन के छात्रों को सभी विषय पढ़ाती हैं। यहाँ वे अपनी कक्षा में विषय के ऐसे शिक्षण के प्रति समग्र दृष्टिकोण का वर्णन करती हैं।
मेरे छात्र सूर्य, चन्द्रमा और सितारों के प्रति जानने के लिए उत्सुक हैं व अक्सर उनके बारे में बात करते हैं। उनमें से कई स्पेससूट में खुद अपने या विभिन्न ग्रहों के काल्पनिक लोगों के चित्र बनाना पसंद करते हैं। इस वर्ष की शुरुआत में, मैंने इस रुचि को बढ़ाने के लिए पाठों की एक श्रंखला की योजना बनाई। मैंने विषय व उसकी भाषा के बारे में ठीक से अध्ययन किया।
मैंने एक खेल से शुरुआत की जिससे छात्रों को सूर्य से दूरी के क्रम में ग्रहों के नाम याद रखने में मदद मिले। अगले पाठ में, मैंने अपनी कक्षा को 11 समूहों में विभाजित किया और उन्हें ये नाम दिए: ‘सूर्य’, ‘पृथ्वी’, ‘शुक्र’, ‘मंगल’, ‘गुरु’, ‘बुध’, ‘शनि’, ‘वरुण’, ‘प्लूटो’, ‘अरुण’। मैंने प्रत्येक समूह को विज्ञान की एक पुस्तक दी और छात्रों से क्रमश: अपने ग्रह का चित्र खोजने और उसके बारे में वे जो भी जानकारी खोज सकते थे, खोजने को कहा। मैंने ब्लैकबोर्ड पर सुझावों के तौर पर कुछ प्रश्न लिखे, जैसे:
मैंने समझाया कि जब वे अपनी बात पूरी कर लें, तो उन्हें बाकी छात्रों के साथ स्वयं को मिले ग्रह या चन्द्रमा के बारे में एक तथ्य साझा करना पड़ेगा। ऐसा वे अपनी याददाश्त से, पुस्तक से या अपने नोट्स से पढ़कर कर सकते हैं।
मेरे छात्रों के काम करते समय, मैं कमरे में घूमकर उनकी बातें सुनती रही और उनके भाषा व साक्षरता कौशल के साथ उनकी अन्तरिक्ष विज्ञान की बढ़ती समझ को देखती रही। मैंने प्रत्येक समूह के बेहतर पाठकों को उन लोगों की मदद करने को कहा, जो कम आत्मविश्वासी थे और जिस सहयोगात्मक रवैये से उन्होंने यह किया उससे मुझे बहुत प्रसन्नता हुई।
एक और पाठ में, मैंने कक्षा को किसी एक ग्रह या चन्द्रमा के बारे में ‘बीस प्रश्न’ खेलने के लिए आमंत्रित किया। पहले मैंने खेल का प्रदर्शन किया और फिर अपने छात्रों से आठ के समूह में उसे खेलते रहने को कहा। अंत में, मैंने अपने छात्रों से उनकी अभ्यास पुस्तिकाओं में स्वयं को एक ग्रह के रूप में वर्णित करते हुए एक परिच्छेद लिखने और उसे एक चित्र के माध्यम से समझाने को कहा। ऐसा लगा कि मेरे छात्रों को विषय आधारित गतिविधियों की इस श्रंखला में आनन्द आया, शायद इसलिए कि इनमें बहुत सारा काम समूह में करना था और कई प्रकार के तत्व और कौशलों का मेल था।
जब भी मैं कर सकूँ, मैं ऐसे पाठ की योजना बनाती हूँ, जो भाषा या साक्षरता कौशल के अलावा भूगोल या इतिहास जैसे किसी विषय विशेष के बारे में मेरे छात्रों की समझ को बढ़ाए। मैं सामान्यत: छात्रों के समूह को उनके द्वारा कक्षा को कोई जानकारी देने से पहले पढ़ने के लिए कुछ जानकारी देती हूँ। यदि मैं उनके ज्ञान की परीक्षा लेने के लिए कुछ खेल सोच सकूँ, तो मैं उनका भी उपयोग करती हूँ। सामान्यत: अंत में मैं उनके सीखने को सुदृढ़ बनाने के लिए एक लिखने वाला काम देती हूँ। साधारणतया मैं इन एकीकृत गतिविधियों को दो या तीन पाठों तक खींचती हूँ।
विचार के लिए रुकें
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छात्रों को सहयोगी सामूहिक कार्य के लिए नियोजित करने के बारे में फिर जानने के लिए संसाधन 1, ‘समूह कार्य का उपयोग करना’ पढ़ें।
संसाधन 2 ऐसे दो पाठों को रेखांकित करता है, जो विषय के अधिगम को भाषा व साक्षरता के विकास से जोड़ते हैं। एक पाठ गणितीय भाषा को समेकित करता है, जैसे आकृतियों के गुण, समूह कार्य, स्थान परिवर्तन व लेखन; जबकि दूसरा कला, विज्ञान, कविता की भाषा, समूह में काम व लेखन को। गतिविधियों के दोनों समुच्चय छोटी और बड़ी उम्र के छात्रों के लिए अनुकरणीय हैं। दोनों के लिए बहुत कम संसाधनों की आवश्यकता है।
यदि संभव हो, तो एक सहयोगी के साथ ‘पाठ 1: गणित, आकृति, स्थान परिवर्तन व भाषा’ पढ़ने से शुरुआत करें। फिर, निम्नलिखित प्रश्नों पर चर्चा करें:
अब ‘पाठ 2: ग्रह, रंग व कविता की भाषा’ पढ़ें। कृपया निम्न प्रश्नों पर ध्यान दें।
लेखन?
अपनी पाठ्यपुस्तक में किसी विषय के किसी पाठ को देखें, जो आप पढ़ाने वाले हैं। विषय की सामग्री के साथ भाषा व साक्षरता के काम को जोड़ने के अवसरों को पहचानें। विचार करें कि कौन सी गतिविधियाँ सामूहिक कार्य के लिए सबसे उपयुक्त होंगी। अपने विचारों पर किसी सहयोगी के साथ चर्चा करें।
यदि आपने ऐसा कोई समेकित तरीका पहले नहीं अपनाया है, तो आपके अनुसार आपके लिए कौन सी चीज़ सबसे चुनौतीपूर्ण होगी? आप इन चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे?
जब आप पाठ को पूरा कर चुकें, तो विचार करें कि पढ़ाने के इस तरीके से आपने क्या सीखा। आपके छात्रों ने क्या सीखा? आप कैसे कह सकते हैं?
केस स्टडी में आप देखेंगे कि एक शिक्षक ने किसी अधिक चुनौतीपूर्ण विषय से जुड़ी भाषा को सीखने में अपने छात्रों की मदद कैसे की।
श्रीमान राहुल मेरठ के एक बड़े विद्यालय में छठी कक्षा को पढ़ाते हैं। यहाँ वे बता रहे हैं कि उन्होंने वनस्पतिशास्त्र के क्षेत्र में प्रयुक्त जटिल वैज्ञानिक शब्दावली से अपने छात्रों का परिचय कैसे कराया।
हमारी पाठ्य पुस्तक का अगला पाठ पौधों के अध्ययन से संबंधित था। मुझे पता था कि वैज्ञानिक संकल्पनाएँ व शब्दावली दोनों ही मेरी कक्षा के लिए मुश्किल लगने वाली थीं। अत: मैंने कई पाठों की श्रंखला की योजना बनाई, जो विषय व उसमें प्रयुक्त विशिष्ट भाषा, दोनों के अधिगम को जोड़ते थे।
पहले दिन, मैंने अपने छात्रों को पाठ्य पुस्तक में दिए विषय से परिचित कराया और यह जानने के लिए प्रश्न पूछे कि वे पौधों के बारे में पहले से कितना जानते थे। फिर मैंने छात्रों से बारी-बारी से पाठ के कुछ हिस्से को पढ़ने को कहा। कुछ तो नई शब्दावली के कारण और कुछ इसलिए कि विषय को बहुत सैद्धान्तिक रूप से प्रस्तुत किया गया था यह उनके लिए काफ़ी मुश्किल साबित हुआ। उनके प्रत्येक भाग को पढ़ने के बाद, मैंने उसे सरल शब्दों में बताया और उनकी समझ को बढ़ाने के लिए ब्लैकबोर्ड पर कुछ मेल खाते चित्र बनाए।
दूसरे दिन, मैंने अपनी कक्षा को छ: छात्रों के आठ समूहों में नियोजित किया, उन्हें बाहर ले गया और उन्हें विद्यालय के मैदान में मौजूद विभिन्न पौधों को देखने का समय दिया। मैंने उन्हें किसी पौधे को देखने व उसके अवलोकन में अन्तर बताया। मैंने प्रत्येक समूह को एक कार्य दिया। दो समूहों ने अपने देखे पौधों की ऊँचाई, तना व शाखाएँ देखीं। दो समूहों ने विभिन्न प्रकार की पत्तियों के आकार व संरचना को देखा। दो समूहों ने फूलों के कई भागों का अवलोकन किया। अन्तिम दो समूहों ने कुछ खर–पतवार को निकालकर इन पौधों के ज़मीन की सतह के नीचे के भागों का अध्ययन किया।
मैंने छात्रों को अपनी अभ्यास पुस्तिकाओं में उन्होंने जो देखा, उसके चित्र बनाने को कहा, और इस दौरान उन्हें अपने समूह के भीतर अपने विचारों की तुलना भी करनी थी। उनके काम करने के समय मैंने उनकी मदद की व उन्हें मार्गदर्शन दिया। ऐसा लगा कि वे कक्षा के बाहर की गई इस सहयोगात्मक गतिविधि में पूरी तरह डूबे हुए थे।
तीसरे दिन, मेरे छात्रों ने सही शब्दों को देखने के लिए पाठ्य पुस्तक का उपयोग करते हुए अपने चित्रों की लेबलिंग की। ऐसा करते समय वे विषय से जुड़ी वनस्पतिशास्त्र की विशिष्ट भाषा का उपयोग करने लगे।
चौथे दिन, समूहों ने अपने अवलोकन के बारे में बाकी कक्षा को छोटी प्रस्तुतियाँ बनाकर दिखाईं, जिसमें उन्होंने अपनी सीखी हुई शब्दावली का उपयोग किया व अपनी प्रस्तुतियों को अपने रेखांकनों से रोचक बनाया। बीच-बीच में मैंने प्रश्न पूछकर उन्हें रास्ता बताया, जैसे ‘लताएँ झाड़ियों से भिन्न कैसे होती हैं?’ मैंने बाकी कक्षा को भी प्रस्तुति देने वालों से प्रश्न पूछने को आमंत्रित किया।
मैंने देखा कि पहले पाठ्य पुस्तक पढ़ने के बाद कक्षा के बाहर की प्रयोगात्मक गतिविधि ने मेरे छात्रों की पाठ की नई संकल्पनाओं की समझ को बहुत बढ़ा दिया व उन्हें उससे संबंद्ध शब्दावली से जुड़ने को प्रोत्साहित किया। प्रस्तुति देने की तैयारी करने के कारण उन्हें उस जानकारी को स्पष्ट रूप से जानने व उसकी संकल्पना को दृढ़ करने में मदद मिली।
विचार के लिए रुकें एक सहयोगी के साथ, श्रीमान राहुल की गतिविधियों से शिक्षण संबंधी परिणामों पर चर्चा करें:
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इन गतिविधियों में, छात्र पौधों के लिए दैनिक उपयोग की एवं वैज्ञानिक, दोनों तरह की शब्दावली सीखते हैं और उस भाषा को अपने स्थानीय वातावरण में पाए जाने वाले पौधों पर प्रयोग कर पाते हैं। यह उनके सीखने को सुदृढ़ करता है व उसे अर्थपूर्ण बनाता है। उन्हें साथ काम करके पौधों का वर्णन करना पड़ता है व अपनी जोड़ी हुई जानकारी को बाकी कक्षा के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है।
श्रीमान राहुल अपने छात्रों से यह पूछकर इन पाठों की श्रंखला आरंभ करते हैं कि वे पौधों के बारे में पहले से क्या जानते हैं। प्रमुख संसाधन ‘विचारशीलता को प्रोत्साहित करने हेतु प्रश्न पूछने का उपयोग’ पढ़कर कक्षा की इस तकनीक के बारे में और जानें।
विषय के अगले पाठ को देखें जो आप पढ़ाने वाले हैं और उस शब्दावली को पहचानें जो उस विषय के लिए विशिष्ट है।
बोलने, सुनने, पढ़ने या लिखने की एक रुचिकर गतिविधि की योजना बनाएँ जिसमें आपके छात्र इस शब्दावली का उपयोग करने का अभ्यास करेंगे। आपको श्रीमान राहुल की तरह चार पाठों की योजना बनाने की आवश्यकता नहीं। एक पाठ की योजना बनाकर शुरू करें और इसमें छात्रों के उस विषय के पुराने ज्ञान का उपयोग करें। अपने सहकर्मियों के साथ अपने विचारों को साझा करें।
इस अध्याय में, आपने इसके कुछ उदाहरण पढ़े कि शिक्षक किस प्रकार अपनी कक्षाओं में विषय के शिक्षण और भाषा व साक्षरता के विकास को समेकित करते हैं। आपने विषय आधारित पाठ्य पुस्तक को देखा और उसकी सामग्री के साथ ही भाषा व साक्षरता संबंधी गतिविधियों को साथ जोड़ने के तरीकों पर विचार किया।
सामान्यत: शिक्षक भाषा व साक्षरता की कक्षाओं को पाठ्यक्रम के अन्य भागों से अलग समझते हैं। फिर भी, भाषा व लेखन गतिविधियों को विभिन्न विषयों के पाठों के साथ समेकित करने के कई लाभ हैं। समूह आधारित सहयोगात्मक गतिविधियाँ छात्रों को विषय आधारित नई संकल्पनाओं व भाषा का अभ्यास करने और उनकी कड़ियाँ जोड़ने के अवसरों के लिए विशेष रूप से मूल्यवान हैं।
समूहकार्य एक व्यवस्थित, सक्रिय, अध्यापन कार्यनीति है जो विद्यार्थियों के छोटे समूहों को एक आम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलकर काम करने को प्रोत्साहित करती है। ये छोटे समूह संरचित गतिविधियों के माध्यम से अधिक सक्रिय और अधिक प्रभावी अधिगम को बढ़ावा देते हैं।
समूहकार्य विद्यार्थियों को सोचने, संवाद कायम करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करके सीखने हेतु उन्हें प्रेरित करने का बहुत ही प्रभावी तरीका हो सकता है। आपके विद्यार्थी दूसरों को सिखा भी सकते हैं और उनसे सीख भी सकते हैं: यह जो सीखने का एक बेहद सशक्त और सक्रिय तरीका है।
समूहकार्य में विद्यार्थियों का समूहों में बैठना ही काफी नहीं होता है; इसमें स्पष्ट उद्देश्य के साथ सीखने के साझा कार्य पर काम करना और उसमें योगदान करना शामिल होता है। आपको इस बारे में स्पष्ट होना होगा कि आप सीखने के लिए सामूहिक कार्य का उपयोग क्यों कर रहे हैं और जानना होगा कि यह भाषण देने, जोड़े में कार्य या विद्यार्थियों के स्वयं कार्य करने से बेहतर क्यों है। इस तरह समूहकार्य को सुनियोजित और उद्देश्यपूर्ण होना आवश्यक है।
आप समूहकार्य का उपयोग कब और कैसे करेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पाठ के अंत में आप अधिगम के किस लक्ष्य को पाना चाहते हैं। आप समूहकार्य को पाठ के आरंभ में, अंत में या बीच में शामिल कर सकते हैं, लेकिन आपको पर्याप्त समय का प्रावधान करना होगा। आपको उस कार्य के बारे में जो आप अपने विद्यार्थियों से पूरा करवाना चाहते हैं और समूहों को नियोजित करने के सर्वोत्तम ढंग के बारे में सोचना होगा।
एक अध्यापक के रूप में, आप समूहकार्य की सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं यदि आप निम्न की योजना पहले ही बना लेते हैं।
वह काम जो आप अपने विद्यार्थियों से पूरा करने के लिए कहते हैं वह इस पर निर्भर होता है कि आप उन्हें क्या सिखाना चाहते हैं। समूहकार्य में भाग लेकर, वे एक-दूसरे को सुनने, अपने विचारों को समझाने और आपसी सहयोग से काम करने जैसे कौशल सीखेंगे। हालांकि, उनके लिए मुख्य लक्ष्य है जो विषय आप पढ़ा रहे हैं उसके बारे में कुछ सीखना। कार्यों के कुछ उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
चार से आठ के समूह आदर्श होते हैं किंतु यह आपकी कक्षा, भौतिक पर्यावरण और फर्नीचर, तथा आपके विद्यार्थियों की दक्षता और उम्र के दायरे पर निर्भर करेगा। आदर्श रूप से समूह में हर एक के लिए एक दूसरे से मिलना, बिना चिल्लाए बात करना और समूह के परिणाम में योगदान करना आवश्यक होगा।
आप अच्छे समूहकार्य के प्रबंधन के लिए क्रियाकलाप और नियम तय कर सकते हैं। जब आप नियमित रूप से समूहकार्य का उपयोग करते हैं, तो विद्यार्थियों को पता चल जाएगा कि आप क्या अपेक्षा करते हैं और वे कार्य करने में आनन्द का अनुभव करेंगे। टीमों और समूहों में काम करने के लाभों की पहचान करने के लिए आरंभ में कक्षा के साथ काम करना एक अच्छा विचार है। आपको चर्चा करनी चाहिए कि समूहकार्य में अच्छा व्यवहार क्या होता है और संभव हो तो ‘नियमों’ की एक सूची बनाएं जिसे प्रदर्शित किया जा सकता है; उदाहरण के लिए, ‘एक दूसरे के लिए सम्मान’, ‘सुनना’, ‘एक दूसरे की सहायता करना’, ‘एक से अधिक विचार को आजमाना’, आदि।
समूहकार्य के बारे में स्पष्ट मौखिक निर्देश देना महत्वपूर्ण है जिसे ब्लैकबोर्ड पर संदर्भ के लिए लिखा भी जा सकता है। आपको:
पाठ के दौरान, यह देखने और जाँच करने के लिए घूमें कि समूह किस तरह से काम कर रहे हैं। यदि वे कार्य से विचलित हो रहे हैं या अटक रहे हैं तो जहाँ जरूरत हो वहाँ सलाह प्रदान करें।
आप कार्य के दौरान समूहों को बदल सकते हैं। जब आप समूहकार्य के बारे में आत्मविश्वास महसूस करने लगें तब दो तकनीकें आजमाई जा सकती हैं – वे बड़ी कक्षा को प्रबंधित करते समय खास तौर पर उपयोगी होती हैं:
कार्य के अंत में, जो कुछ सीखा गया है उसका सारांश बनाएं और आपको नज़र आई किसी भी गलतफहमी को सुधारें। आप चाहें तो प्रत्येक समूह का फीडबैक सुन सकते हैं, या केवल एक या दो समूहों से पूछ सकते हैं जिनके पास आपको लगता है कि कुछ अच्छे विचार हैं। विद्यार्थियों की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया को संक्षिप्त रखें और उन्हें अन्य समूहों के काम पर फीडबैक देने को प्रोत्साहित करें जिसमें वे पहचान सकते हैं कि क्या अच्छा किया गया था, क्या बात दिलचस्प थी और किस बात को और विकसित किया जा सकता था।
यदि आप अपनी कक्षा में समूहकार्य को अपनाना चाहते हैं तो भी आपको कभी-कभी इसका नियोजन कठिन लग सकता है क्योंकि कुछ विद्यार्थी :
सीखने के परिणाम कहाँ तक प्राप्त हुए और आपके विद्यार्थियों ने कितनी अच्छी तरह से अनुक्रिया की (क्या वे सभी लाभान्वित हुए) इस पर विचार करने के अलावा, समूहकार्य के प्रबंधन में प्रभावी बनने के लिए उपरोक्त सभी बिंदुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण होता है। सामूहिक कार्य, संसाधनों, समय या समूहों की रचना में आप द्वारा किए जा सकने वाले समायोजनों पर सावधानी से विचार करें और उनकी योजना बनाएं।
शोध से पता चला है कि विद्यार्थियों की उपलब्धि पर सकारात्मक प्रभाव पाने के लिए समूहों में सीखने का हर समय उपयोग करना आवश्यक नहीं है, इसलिए आपको हर पाठ में उसका उपयोग करने के लिए बाध्य महसूस नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो समूहकार्य का उपयोग एक पूरक तकनीक के रूप में कर सकते हैं, उदाहरण के लिए विषय परिवर्तन के बीच अंतराल या कक्षा में चर्चा को अकस्मात शुरु करने के साधन के रूप में कर सकते हैं। इसका उपयोग विवाद को हल करने या कक्षा में अनुभवजन्य शिक्षण गतिविधियाँ और समस्या का हल करने के अभ्यास शुरू करने या विषयों की समीक्षा करने के लिए भी किया जा सकता है।
आकार की भाषा गणितीय शब्दावली व संकल्पनाओं से परिपूर्ण है। ‘किनारा’, ‘सतह’, ‘रेखा’, ‘समानांतर’, ‘गहराई’, ‘कोण’, ‘आयतन’, ‘बिंदु’ व ‘खंड’ आकारों से संबद्ध कई शब्दों के केवल कुछ उदाहरण ही हैं। इस गतिविधि में आप जो आकार उपयोग करेंगे, वह आपकी कक्षा की आयु व उनके पूर्व ज्ञान पर निर्भर करेगा। इस गतिविधि के लिए आपको कुछ गणितीय पुस्तकों की आवश्यकता होगी।
सभी ग्रहों के प्राकृतिक रंग व प्रतिमान भिन्न व बहुत सुंदर हैं। इस गतिविधि में आप जो भाषा उपयोग करेंगे, वह आपके छात्रों की उम्र व पृष्ठभूमि पर निर्भर करेगी। इस गतिविधि के लिए आपको ग्रहों के चित्र या रेखांकनों, या रंगीन चॉक की आवश्यकता होगी।
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