यह इकाई उन विभिन्न तरीकों के बारे में है, जिनके द्वारा कहानी सुनाना कक्षा में सीखने और भाषा के विकास में योगदान कर सकता है। इसमें बताया गया है कि आपके छात्रों के लिए किस प्रकार एक कथावाचन की योजना बनाई जानी चाहिए और इसका मूल्यांकन कैसे किया जाना चाहिए। इसके बाद इसमें ऐसे तरीकों के बारे में सुझाव दिए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपने छात्रों को खुद ही कहानियाँ ढूँढने और सुनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। अच्छी तरह सुनाई गई कहानी एक ऐसा अनुभव है, जिसे आपके छात्र लंबे समय तक याद रखेंगे।
कहानी सुनाना सस्वर वाचन से भिन्न है, क्योंकि इसमें याद के आधार पर वर्णन किया जाता है जिसमें पाठ से (Text) पढ़ना शामिल नहीं होता। इसीलिए इसमें एक संसाधन की आवश्यकता होती है एक कथावाचक की।
कहानियाँ लोगों को जीवन का अर्थ समझने में मदद करती हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही ऐसी कई पारंपरिक कहानियाँ हैं, जो उनसे जुड़े समाजों और समुदायों के कुछ नियमों और मूल्यों को समझने में मदद करती हैं। अनेक भाषाओं और संस्कृतियों की मौजूदगी के कारण भारत ओजस्वी लोक कथाओं में विशेष रूप से समृद्ध है।
आपके छात्रों के भाषा कौशल के विकास में कथावाचन एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल बुद्धिमत्ता और ज्ञान को याद रखने योग्य तरीकों में आगे बढ़ाता है, बल्कि यह छात्रों की कल्पना के विकास में भी मदद करता है, कहानी में अलग–अलग काल एवं स्थानों के विचारों को वास्तविक एवं काल्पनिक पात्रों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
कहानियां कक्षा में बहुत शक्तिशाली माध्यम होती हैं। वे मज़ेदार, प्रेरणादायी और चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। वे अपने श्रोताओं को उनके दैनिक जीवन से निकालकर एक काल्पनिक विश्व में ले जा सकती हैं। वे नई अवधारणाओं के बारे में उनकी सोच को प्रेरित कर सकती हैं और एक काल्पनिक व भयमुक्त सन्दर्भ में समस्याओं और भावनाओं को समझने में लोगों की मदद करती हैं।
कथावाचन का उपयोग गणित और विज्ञान सहित कई तरह के पाठ्यक्रम विषयों में एक आकर्षक तरीके से विषय और समस्याएँ प्रस्तुत करने के लिए भी किया जा सकता है।
विचार के लिए रुकें अपना बचपन याद करें।
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कहानियाँ हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और ये कक्षा के लिए भी एक मूल्यवान संसाधन हो सकती हैं, जैसा कि आप केस स्टडी 1 में देखेंगे।
श्री सिन्हा उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में एक प्राथमिक स्कूल शिक्षक हैं। यहाँ वे बता रहे हैं कि अपने कथावाचन के द्वारा वे किस प्रकार अपने छोटे छात्रों को जोड़े रखते हैं।
जब मैं बहुत छोटा था, तो मेरी दादी रोज़ मुझे कहानियाँ सुनाती थी। मैं उनमें पूरी तरह डूब जाता था। अब मैं अपनी दादी के कुछ तरीकों का उपयोग करके अपने बच्चों को वे कहानियाँ सुनाता हूँ।
स्कूल में मैं कक्षा एक से तीन के छोटे छात्रों को पढ़ाता हूँ। मैं उन्हें हर सप्ताह जो कहानियाँ सुनाता हूँ, वे उन्हें बहुत अच्छी लगती हैं। कुछ शिक्षकों को अपनी याद से कहानियाँ सुनाना कठिन लगता है और वे पुस्तक से पढ़कर अपने छात्रों को कहानियाँ सुनाते हैं - शायद ऐसा करना उन्हें ज्यादा सुरक्षित लगता होगा। कथावाचन के लिए अभ्यास और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है, लेकिन यह बहुत हो सकता है।
यदि नई कहानी हो तो मैं पहले अपनी बेटियों को या काल्पनिक श्रोताओं को यह कहानी सुनाकर खुद को तैयार कर लेता हूँ। कहानी के वर्णनात्मक भाग के लिए मैं ‘कथावाचक’ के स्वाभाविक स्वर का उपयोग करता हूँ, लेकिन पात्रों को विविधता के लिए अलग अलग स्वर देता हूँ। मैं दुःख या अचंभे जैसी विशिष्ट अभिव्यक्तियों के लिए अपने चेहरे का उपयोग करता हूँ, और अभिवादन जैसे संकेतों के लिए अपने हाथों का उपयोग करता हूँ।
कहानी सुनाते समय अपने छात्रों का अवलोकन करने के कारण मैं बता सकता हूँ कि वे इस पर ध्यान दे रहे हैं और इसे पसंद कर रहे हैं या नहीं।
विचार के लिए रुकें श्री सिन्हा छात्रों को अपनी कहानियों से जोड़े रखने के लिए किन तकनीकों का उपयोग करते हैं? हमारे विचारों के साथ अपने विचारों की तुलना करें:
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अब संसाधन 1, ‘कहानी सुनाना, गीत, भूमिका अभिनय और नाटक’ को पढ़ें।
वीडियो: कहानी सुनाना, गाने, नाटिका और नाटक |
कहानियाँ सुनने से छात्रों को नई शब्दावली, वाक्यांशों और भाषा संरचनाओं को जानने का मौक़ा मिलता है, जिससे बोलने और लिखने की उनकी संवाद क्षमताएँ बढ़ती हैं। जब आपके छात्र कहानियाँ सुनते हैं और उन्हें खुद कहानियाँ सुनाने का मौक़ा दिया जाता है, तो उनके भाषा कौशल में वृद्धि होती है।
संसाधन 2 की तीनों कहानियाँ पढ़ें: ‘चौड़े मुंह वाली मेंढकी’, ‘बूढा शेर और लालची यात्री’ तथा ‘A Tale from Persia’। इनमें से हर कहानी अलग तरह की है।
उनके वर्णन इस प्रकार हैं। क्या आप प्रत्येक के साथ सही कहानी का मिलान कर सकते हैं?
एक या अधिक कहानी चुनें। अपने परिवार या सहकर्मियों के साथ इन्हें ऊंची आवाज़ में बोलने का अभ्यास करें। इसके बाद पाठ से सहायता लिए बिना इसे अपने शब्दों में सुनाने की कोशिश करें। बेझिझक कहानी के भागों में बदलाव करें। यह जैसी लिखी है, ठीक उसी तरह उसे बताना आवश्यक नहीं है। जहाँ आवश्यकता हो, कहानी के साथ कुछ हावभावों का उपयोग करें।
अगली गतिविधि आपको बताती है कि अपनी कक्षा के लिए एक कथावाचन सत्र की योजना कैसे बनाएँ। आपने गतिविधि 1 में जो कहानियाँ पढ़ी थीं, आप उनमें से किसी का उपयोग कर सकते हैं या आप कोई अन्य कहानी चुन सकते हैं, जिसमें आपको मज़ा आता हो और जिसे आप आत्मविश्वास के साथ सुना सकते हों।
अपनी कक्षा के लिए एक उपयुक्त कहानी चुनें। आप कोई परिचित लोककथा चुन सकते हैं, पाठ्यपुस्तक से कोई कहानी ले सकते हैं या अपने अथवा किसी अन्य के अनुभव से कोई रोचक घटना सुना सकते हैं।
इस उदाहरण में संसाधन 2 की कहानी ‘चौड़े मुंह वाली मेंढकी’ का उपयोग किया गया है, लेकिन आप कोई अन्य कहानी भी चुन सकते हैं और उसके अनुसार योजना को अनुकूलित कर सकते हैं।
सुनने के अलावा कहानी सुनाना विद्यार्थियों की कई गतिविधियों को भी प्रोत्साहित कर सकता है। छात्रों से कहा जा सकता है कि वे कहानी में बताए गए सभी रंगों या संख्याओं को लिखें, समूहों में इन्हें प्रदर्शित करें, कहानी का अंत बदलें, दो पात्रों की तुलना करें, या इसमें उठाई गई समस्याओं के बारे में चर्चा करें।
उन्हें समूहों में बाँटा जा सकता है और चित्र या वस्तुएं देकर किसी अन्य नज़रिए से कहानी दोबारा सुनाने को कहा जा सकता है, या पात्रों के कुछ अंश लेकर एक साथ एक नाटिका की जा सकती है।
बड़ी उम्र के छात्रों को एक ज्यादा जटिल कहानी का विश्लेषण करने, किसी विशिष्ट घटना की वैज्ञानिक व्याख्या पर विवाद करने, तथ्यों को कल्पनाओं से अलग करने, या कोई भी संबंधित गणितीय समस्याएँ सुलझाने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है।
कहानी सुनाना एक ऐसी साझा गतिविधि है, जो परिवार या समुदाय को साथ जोड़कर रख सकती है, इतिहास की याद दिला सकती है और भाषाओं और संस्कृतियों को सरंक्षित रख सकती है। ऐसी कई कहानियाँ होती हैं, जो समुदाय के बुजुर्गों को याद होंगी। इन कहानियों को इकट्ठा करना आपके छात्रों, उनके परिवारों और समुदाय को स्कूल के जीवन में शामिल करने का एक रोमांचक तरीका है। आप केस स्टडी 2 में एक उदाहरण के बारे में पढ़ सकते हैं कि किस तरह एक कक्षा में ऐसा किया जाता है।
सुश्री कुहेली लखनऊ की एक प्राथमिक शिक्षिका हैं। यहाँ वे बता रही हैं कि किस तरह वे अपने छात्रों को उनके समुदायों की कहानियाँ सुनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
मैं अपने छात्रों से कहती हूँ कि वे अपने परिवार के सदस्यों या पड़ोसियों से एक कहानी सीखें। मैं उन्हें कहानी ढूंढने और याद करने के लिए एक सप्ताह का समय देती हूँ। इसके बाद मैं हर दिन एक या दो छात्रों को आमंत्रित करती हूँ कि वे अलग अलग आवाजों, हावभावों और संकेतों का उपयोग करके कक्षा को अपनी कहानी सुनाएँ।
जब मैंने पहली बार ऐसा किया, तो मेरे छात्रों ने हिन्दी में अपनी कहानियाँ सुनाईं। हालांकि, अगली बार मैंने लखनऊ में बोली जाने वाली विभिन्न स्थानीय भाषाओं, जैसे अवधी, ब्रज, भोजपुरी, कोयली और उर्दू की कहानियाँ शामिल करना तय किया। मेरे जो छात्र ये भाषाएँ बोलते हैं, मैंने उनसे कहा कि वे एक कहानी ढूंढें और कक्षा को सुनाएँ। कहानी पूरी करने के बाद उन्होंने अपने सहपाठियों के साथ उसका हिन्दी में अनुवाद किया।
इसके बाद मैंने पूरी कक्षा को सुनी हुई कहानी की मुख्य घटनाओं या प्रमुख पात्रों का वर्णन करने वाले चित्र बनाने या अपनी कॉपी किताबों में इस बारे में लिखने को कहा।
अपने साथियों के साथ अपने समुदायों की कहानियाँ साझा करने की इस गतिविधि से ऐसा लगने लगा कि कक्षा में मेरे छात्रों के बीच मज़बूत संबंध बन रहे हैं।
विचार के लिए रुकें
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कहानियाँ, गीत, कविताएँ या समुदाय की अन्य मौखिक परम्पराओं का संग्रह करने पर स्कूल, छात्रों के परिवारों और अन्य स्थानीय लोगों के बीच सकारात्मक संबंध बनाते हैं। ये विद्यार्थियों को विचारपूर्ण प्रश्न पूछने और अपने इलाके के इतिहास और संस्कृति के बारे में ध्यान से सुनने में सक्षम बनाते हैं। छात्रों को ये कहानियाँ अपने घर की भाषा में फिर से सुनाने के लिए प्रोत्साहित करने से स्थानीय परिवेश में इन भाषाओं के महत्व को बल मिलता है। इससे छात्र अपनी हिन्दी सुधारने के लिए इन भाषाओं का उपयोग कर सकते हैं।
यदि कुछ छात्र अपनी कहानियाँ सुनाने में झिझकते दिखाते हैं, तो आप उनसे कक्षा के बाद अपनी कहानियाँ सुनाने को कह सकते हैं। इससे उन्हें अपने साथियों के सामने सुनाने के बजाय, एक सुरक्षित और निजी स्थान पर इसे सुनाने का अभ्यास करने का मौका मिलेगा। सुनिश्चित करें कि आप इन छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उनकी प्रशंसा अवश्य करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। आप उनके साथियों में से उनके ही घर की भाषा बोलने वाले दोस्तों के साथ जोड़ियों में बिठाकर भी उनका आत्मविश्वास बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं।
कक्षा में समावेश और सहभागिता के सिद्धांतों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए मुख्य संसाधन ‘सभी को शामिल करना’ पढ़ें।
वीडियो: सभी को शामिल करना |
छात्रों की कहानियों के फॉलो अप के बारे में और अधिक विचारों के लिए गतिविधि 3 देखें।
आपके छात्रों की कहानियों के संग्रह को व्यवस्थित करने के लिए समय की और ध्यानपूर्वक संवेदनशील योजना बनाने की ज़रूरत पड़ेगी।
इस इकाई में ऐसे कई तरीकों के बारे में बताया गया है , जिनके द्वारा भाषा और साक्षरता की कक्षा में कथावाचन का उपयोग किया जा सकता है। इसमें एक श्रंखला में उन चरणों की रूपरेखा बताई गई है , जिनका उपयोग आप अपने छात्रों की उम्र और रुचियों के अनुरूप कथावाचन सत्रों की योजना बनाने में कर सकते हैं। इसमें ऐसे तरीके भी बताए गए हैं , जिनके द्वारा आपके विद्यार्थी कहानियाँ एकत्रित कर सकते हैं और अपने सहपाठियों को संभवतः उनके घर की भाषा में सुना सकते हैं। इससे स्कूल और स्थानीय समुदाय के बीच मज़बूत संबंध विकसित होंगे। इससे छात्रों को यह महसूस करने में मदद मिलेगी कि स्कूल में उनके घर की भाषा और संस्कृति को महत्व दिया जाता है , और इससे उन्हें अपनी हिन्दी में सुधार करने के लिए इन भाषाओं के कौशल का उपयोग करने के अवसर भी मिलेंगे। ज्यादातर मामलों में , छात्रों को कहानियाँ सुनना और सुनाना अच्छा लगता है। आप अपने पाठों में जिन कहानियों का उपयोग कर सकते हैं , उनकी संख्या बढ़ाने के तरीके ढूँढने की कोशिश करें , क्योंकि ये किसी भी विषय - क्षेत्र में सीखने के लिए अमूल्य साधन साबित हो सकती हैं।
विद्यार्थी उस समय सबसे अच्छे ढंग से सीखते हैं जब वे शिक्षण के अनुभव से सक्रिय रूप से जुड़े होते हैं। दूसरों के साथ परस्पर संवाद और अपने विचारों को साझा करने से आपके विद्यार्थी अपनी समझ की गहराई बढ़ा सकते हैं। कहानी सुनाना, गीत, रोल–प्ले करना और नाटक कुछ ऐसी विधियाँ हैं, जिनका उपयोग पाठ्यक्रम के कई क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिनमें गणित और विज्ञान भी शामिल हैं।
कहानियाँ हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाने में मदद करती हैं। कई पारम्परिक कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं। वे हमें तब सुनाई गई जब हम छोटे थे थीं और हम जिस समाज में पैदा हुए हैं, उसके कुछ नियम व मान्यताएँ समझाती हैं।
कहानियाँ कक्षा में बहुत सशक्त माध्यम होती हैं: वे:
जब आप कहानियाँ सुनाते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप सुनने वालों की आँखों में देखें। यदि आप विभिन्न पात्रों के लिए भिन्न स्वरों का उपयोग करते हैं और उदाहरण के लिए उपयुक्त समय पर अपनी आवाज़ की तीव्रता और सुर को बदलकर फुसफुसाते या चिल्लाते हैं, तो उन्हें आनन्द आएगा। कहानी की प्रमुख घटनाओं का अभ्यास कीजिए ताकि आप इसे पुस्तक के बिना स्वयं अपने शब्दों में मौखिक रूप से सुना सकें। कक्षा में कहानी को मूर्त रूप देने के लिए आप वस्तुओं या कपड़ों जैसी सामग्री भी ला सकते हैं। जब आप कोई नई कहानी सुनाएँ, तो उसका उद्देश्य समझाना न भूलें और विद्यार्थियों को इस बारे में बताएँ कि वे क्या सीख सकते हैं। आपको प्रमुख शब्दावली उन्हें बतानी होगी व कहानी की मूलभूत संकल्पनाओं के बारे में उन्हें जागरूक रखना होगा। आप कोई पारंपरिक कहानी कहने वाला भी विद्यालय में ला सकते हैं, लेकिन सुनिश्चत करें कि जो सीखा जाना है, वह कहानी कहने वाले व विद्यार्थियों, दोनों को स्पष्ट हो।
कहानी सुनाना ‘सुनने’ के अलावा भी विद्यार्थियों की कई गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकता है। विद्यार्थियों से कहानी में आए सभी रंगों के नाम लिखने, चित्र बनाने, प्रमुख घटनाएँ याद करने, संवाद बनाने या अंत को बदलने को कहा जा सकता है। उन्हें समूहों में विभाजित करके चित्र या सामग्री देकर कहानी को किसी और परिपेक्ष्य में कहने को कहा जा सकता है। किसी कहानी का विश्लेषण करके, विद्यार्थियों से कल्पना में से तथ्य को अलग करने, किसी अद्भुत घटना के वैज्ञानिक स्पष्टीकरण पर चर्चा करने या गणित के प्रश्नों को हल करने को कहा जा सकता है।
विद्यार्थियों से खुद अपनी कहानी बनाने को कहना बहुत सशक्त तरीका है। यदि आप उन्हें काम करने के लिए कहानी का कोई ढाँचा, सामग्री व भाषा देंगे, तो विद्यार्थी गणित व विज्ञान के जटिल विचारों पर भी खुद अपनी बनाई कहानियाँ कह सकते हैं। वास्तव में, वे अपनी कहानियों की उपमाओं के माध्यम विचारों से खेलते हैं, अर्थ का अन्वेषण करते हैं और कल्पना को समझने योग्य बनाते हैं।
कक्षा में गीत और संगीत के उपयोग से अलग अलग छात्रों को योगदान करने, सफल होने और उन्नति करने का अवसर मिल सकता है। एक साथ मिलकर गाने से जुड़ाव बनता है और इससे सभी छात्र खुद को इसमें शामिल महसूस करते हैं क्योंकि यहाँ ध्यान किसी एक व्यक्ति के प्रदर्शन पर केंद्रित नहीं होता। गीतों के सुर और लय के कारण उन्हें याद रखना सरल होता है और इससे भाषा व बोलने के विकास में मदद मिलती है।
संभव है कि आप खुद के आत्मविश्वासी गायक न हों, लेकिन निश्चित रूप से आपकी कक्षा में कुछ अच्छे गायक होंगे, जिन्हें आप अपनी मदद के लिए बुला सकते हैं। आप गीत को जीवंत बनाने और संदेश व्यक्त करने में सहायता के लिए गतिविधि और हावभाव का उपयोग कर सकते हैं। आप उन गीतों का उपयोग कर सकते हैं, जो आपको मालूम हैं और अपने उद्देश्य के अनुसार उनके शब्दों में बदलाव कर सकते हैं। गीत जानकारी को याद करने और याद रखने का भी एक उपयोगी तरीका हैं – यहाँ तक कि सूत्रों और सूचियों को भी एक गीत या कविता के रूप में रखा जा सकता है। आपके छात्र रिवीजन के उद्देश्य से गीत या भजन बनाने योग्य रचनात्मक भी हो सकते हैं।
रोल–प्ले गतिविधि वह है, जिसमें छात्र कोई भूमिका निभाते हैं और किसी छोटे परिदृश्य के दौरान, वे उस भूमिका में बोलते और अभिनय करते हैं, तथा वे जिस पात्र की भूमिका निभा रहे हैं, उसके व्यवहार और उद्देश्यों को अपना लेते हैं। इसके लिए कोई स्क्रिप्ट (पटकथा) नहीं दी जाती, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि छात्रों को शिक्षक द्वारा पर्याप्त जानकारी दी जाए, ताकि वे उस भूमिका को समझ सकें। भूमिका निभाने वाले छात्रों को अपने विचारों और भावनाओं की त्वरित अभिव्यक्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
रोल–प्ले के कई लाभ हैं क्योंकि:
भूमिका निभाने से छोटे विद्यार्थियों में अलग अलग सामाजिक स्थितियों में बात करने का आत्मविश्वास विकसित करने में मदद मिल सकती है, उदाहरण के लिए किसी स्टोर में खरीददारी करने, किसी स्थानीय स्मारक पर पर्यटकों को रास्ता दिखाने या एक टिकट खरीदने का अभिनय करना। आप कुछ वस्तुओं और चिह्नों के द्वारा सरल दृश्य तैयार कर सकते हैं, जैसे ‘कैफे’, ‘डॉक्टर का क्लीनिक’ या ‘गैरेज’। अपने छात्रों से पूछें, ‘यहाँ कौन काम करता है?’, ‘वे क्या कहते हैं?’ और ‘हम उनसे क्या पूछते हैं?’ उन्हें इन क्षेत्रों की भूमिकाओं में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें तथा उनकी भाषा के उपयोग का अवलोकन करें।
नाटक करने से पुराने विद्यार्थियों के जीवन के कौशलों का विकास हो सकता है। उदाहरण के लिए, कक्षा में हो सकता है कि आप इस बात का पता लगा रहे हों कि टकराव को किस प्रकार से खत्म किया जाए। इसके बजाय अपने विद्यालय या समुदाय से कोई वास्तविक घटना लें, आप इसी तरह के अन्य किसी परिदृश्य का वर्णन कर सकते हैं, जिसमें यही समस्या उजागर होती हो। छात्रों को भूमिकाएँ आवंटित करें या उन्हें अपनी भूमिकाएँ खुद चुनने को कहें। आप उन्हें योजना बनाने का समय दे सकते हैं या उनसे तुरंत रोल–प्ले करने को कह सकते हैं। रोल–प्ले करने की प्रस्तुति पूरी कक्षा को दी जा सकती है या छात्र छोटे समूहों में भी कार्य कर सकते हैं, ताकि किसी एक समूह पर ध्यान केंद्रित न रहे। ध्यान दें कि इस गतिविधि का उद्देश्य भूमिका निभाने का अनुभव लेना और इसका अर्थ समझाना है; आप उत्कृष्ट अभिनय प्रदर्शन या बॉलीवुड के अभिनय पुरस्कारों के लिए अभिनेता नहीं ढूँढ रहे हैं।
रोल–प्ले का उपयोग विज्ञान और गणित में करना संभव भी है। छात्र अणुओं के व्यवहार की नकल कर सकते हैं, और एक-दूसरे से संपर्क के दौरान कणों की विशेषताओं का वर्णन कर सकते हैं या उनके व्यवहार को बदलकर ऊष्मा या प्रकाश के प्रभाव को दर्शा सकते हैं। गणित में, छात्र कोणों या आकृतियों की भूमिका निभाकर उनके गुणों और संयोजनों को खोज सकते हैं।
कक्षा में नाटक का उपयोग अधिकतर विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए एक अच्छी रणनीति है। नाटक कौशलों और आत्मविश्वास का निर्माण करता है, और उसका उपयोग विषय के बारे में आपके छात्रों की समझ का आकलन करने के लिए भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यह दिखाने के लिए कि संदेश किस प्रकार से मस्तिष्क से कानों, आंखों, नाक, हाथों और मुंह तक जाते हैं और वहां से फिर वापस आते हैं, टेलीफोनों का उपयोग करके मस्तिष्क किस प्रकार काम करता है इसके बारे में अपनी समझ पर एक नाटक किया गया। या संख्याओं को घटाने के तरीके को भूल जाने के भयानक परिणामों पर एक लघु, मज़ेदार नाटक युवा छात्रों के मन में सही पद्धतियों को स्थापित कर सकता है।
नाटक प्रायः शेष कक्षा, स्कूल के लिए या अभिभावकों और स्थानीय समुदाय के समक्ष प्रस्तुतिकरण के लिए होता है। इससे विद्यार्थियों को एक लक्ष्य के लिए काम करने की प्रेरणा मिलती है। नाटक तैयार करने की रचनात्मक प्रक्रिया से समूची कक्षा को जोड़ा जाना चाहिए। यह जरूरी है कि आत्मविश्वास के स्तरों के अंतरों को ध्यान में रखा जाये। हर एक व्यक्ति का अभिनेता होना जरूरी नहीं है; छात्र अन्य तरीकों से भी योगदान दे सकते हैं (संयोजन करना, वेशभूषा, मंच सज्जा व सामग्री, मंच पर सहायता) जो उनकी प्रतिभा और व्यक्तित्व से अधिक नजदीक से संबद्ध हों।
यह विचार करना आवश्यक है कि अपने छात्रों के सीखने में मदद करने के लिए आप नाटक का उपयोग क्यों कर रहे हैं। क्या यह भाषा विकसित करने (उदा. प्रश्न पूछना और उत्तर देना), विषय के ज्ञान (उदा. खनन का पर्यावरणात्मक प्रभाव), या विशिष्ट कौशलों (उदा. टीम वर्क) का निर्माण करने के लिए है? सावधानी बरतें कि प्रस्तुतिकरण को लक्ष्य बनाते बनाते कहीं ‘सीखने’ के उद्देश्य की अवहेलना तो नहीं हो गई।
बहुत पहले एक चौड़े मुंह वाली मेंढकी थी जिसे बहुत ज्यादा बात करने की आदत थी। एक बार उसने सोचा कि क्यों न दूसरी मादाओं के पास जाकर पता लगाऊँ कि वे अपने अपने बच्चों को क्या खिलाती हैं। यह सोचकर वह दूसरी माँओं को ढूंढने निकल पड़ी।
चौड़े मुंह वाली मेंढकी फुदकती हुई जा रही थी कि उसे एक चिड़िया माँ मिली। चौड़े मुंह वाली मेंढकी ने उससे पूछा, ‘‘तुम अपने बच्चों को क्या खिलाती हो?’’ (मेंढ़की का प्रश्न पूछने के लिए मुंह चौड़ा कर बोलने का अभिनय करें)
‘‘मैं अपने बच्चों को खिलाती हूँ......... (बच्चों से अनुमान लगाने को कहें कि चिड़िया माँ अपने बच्चों को क्या खिलाती होगी)....... कीड़े!’’
यह सुनकर चौड़े मुंह वाली मेंढकी ने अपना चौड़ा मुंह खोल कर कहा, ‘‘अच्छा! ऐसा क्या?’’ फिर चौड़े मुंह वाली मेंढकी को एक (चित्र दिखाएं) पूछें– ‘आप को क्या लगता है, इस बार उसे कौन मिला होगा?’) बकरी मां मिी। मेंढ़की ने उससे पूछा, ‘‘तुम अपने बच्चों को क्या खिलाती हो?’’। बकरी मां बोली, ’’मै अपने बच्चों को....... (छात्रों से अनुमान लगाने को कहें कि बकरी अपने बच्चों को क्या खिलाती होगी)....... दूध पिलाती हूं।’’ यह सुनकर चौड़े मुंह वाली मेंढकी ने अपना चौड़ा मुंह खोल कर कहा, ‘‘अच्छा! ऐसा क्या?’’ (इसी प्रकार अन्य जानवरों को जोड़कर कहानी बढ़ाइए। आखिर में एक ऐसा जानवर चुनिए जो ‘मेंढकी’ के लिए खतरनाक हो, जैसे कि सांप, भालू या मगरमच्छ, फिर कहानी बढ़ाइए)।
फिर चौड़े मुंह वाली मेंढकी को एक भालू मां मिली। उसने मुंह चौड़ा करके भालू मां से पूछा, ‘‘तुम अपने बच्चों को क्या खिलाती हो?’’ जब भालू मां ने मेंढकी को देखा तो वह बहुत खुश होकर बोली, ‘‘अहा!’’ भालू मां का बड़ा सा खुला मुंह देखकर मेंढ़की बहुत डर गई। भालू माँ बोली, ‘‘मैं अपने बच्चों को खिलाती हूं चौड़े मुंह वाले मेंढक।’’ सुनकर चौड़े मुंह वाली मेंढकी ने बहुत ही पतला मुंह खोलकर कहा, ‘‘अच्छा! ऐसा क्या?’’ (याद रखें इस बार बहुत ही छोटा मुंह खोल कर बोलें)।
बहुत पुरानी बात है, एक जंगल में एक शेर रहता था। समय बीतने के साथ वह बूढ़ा हो चला था और शिकार नहीं कर पाता था। एक दिन जब वह एक झील के पास से गुजर रहा था तो उसे सोने का एक कड़ा दिखाई दिया। उसने फौरन ही कड़े को उठा लिया। उसने सोचा कि वह किसी को भी कड़े के लालच में फंसा कर अपना शिकार बना सकता है। वह यह सोच ही रहा था कि तभी झील के दूसरी तरफ से एक यात्री गुजरा।
ऐसे देखकर शेर को लगा कि ‘इस यात्री का शिकार किया जा सकता है।’ उसने यात्री को अपने पास बुलाने के लिए एक उपाय सोचा। शेर ने अपने पंजे में कड़ा उठाया और यात्री को दिखाकर पूछा, ‘क्या तुम यह कड़ा लेना चाहोगे? मुझे तो इसकी जरूरत नहीं है नहीं?’ यात्री लालच में फंस गया। वह कड़ा लेना चाहता था पर शेर के पास जाने में हिचक रहा था। हालांकि वह जानता था कि शेर के निकट जाने में खतरा है पर फिर भी वह सोने का कड़ा लेना चाहता था। उसने शेर से कहा, ‘‘मै। जानता हूं कि तुम एक खूंखार शेर हो, मै। तुम्हारे निकट आऊंगा तो तुम मुझे मार दोगे। मैं कैसे तुम्हारा विश्वास कर लूं।’’
यह सुनकर शेर ने भोलेपन का दिखावा करते हुए यात्री से कहा, ‘‘अपनी युवावस्था में मैं बहुत ही निर्दयी और खूंखार था पर उम्र के साथ मै। बदल गया हूं। एक सन्यासी की बातों से प्रभावित होकर मैंने सभी बुराईयां छोड़ दी हैं। मै इस विशाल संसार में अकेला हूं और अब केवल भलाई और परोपकर में ही जीवन बिताना चाहता हूं। और वैसे भी मैं अब बूढ़ा हो गया हूं, मेरे मुंह में दांत नहीं रहे और मेरे पंजों के नाखून भी अब पहले जैसे पैने (धारदार) नहीं हैं। इसलिए तुम्हें मुझसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। यात्री बूढ़े शेर की बातों में आ गया। कड़े के लालच में वह शेर का डर भी भुला बैठा। वह झील में उतरकर दूसरी ओर आने के लिए बढ़ा।
पर जैसा कि शेर ने अनुमान लगाया था वह झील के बीच ही दलदल और कीचड़ में फंस गया। यह देखकर शेर ने उससे कहा, ‘डरो मत। मैं अभी तुम्हारी मदद को आता हूं।‘ ऐसा कह कर वह यात्री की ओर बढ़ा, शेर ने यात्री को दबोच लिया और यात्री को किनारे की ओर घसीट लाया। जब शेर उसे किनारे की ओर खींच रहा था तो यात्री पछताता जा रहा था और मन ही मन में विचार कर रहा था, ‘मैं नाहक ही इस शेर की चिकनी चुपड़ी बातों में आ गया। आखिरकार यह एक हिंसक जंगली जानवर ही है। काश मैंने लालच को अपनी सद्बुद्धि पर हावी न होने दिया होता तो मैं जिन्दा रहता’। परन्तु अब तो देर हो चुकी थी। शेर ने यात्री का शिकार कर उसे खा लिया। और इस तरह शेर अपनी दुष्टतापूर्ण योजना में सफल रहा और यात्री अपने ही लालच के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठा।
इसी लिए कहते हैं – लालच बुरी बला
Long ago, a man from Persia hosted a Bedouin from the desert, sitting him at table with his wife, two sons and two daughters. The wife had roasted one chicken, and the host told his guest: ‘Share it out among us,’ meaning to make fun of him. The Bedouin said he did not know how, but if they humoured him he would try. When they agreed, he took the chicken and chopped it up, distributing it with these words: ‘The head for the head of the family,’ as he gave his host the bird’s head; ‘the two wings for the two boys, the two legs for the two girls,’ giving them out, and ‘the tail for the old woman,’ giving the wife the tail of the bird and finally, taking the best portion for himself, ‘The breast for the guest!’ he said.
Now, the next day, the host said to his wife (having enjoyed this joke) that she should roast five chickens, and when lunchtime came he told the Bedouin, ‘Share them out among us.’
‘I have an idea,’ his guest replied, ‘that you are offended.’
‘Not at all. Share them out.’
‘Would you like me to do it by even numbers or odd?’
‘By odd numbers.’
‘Very well,’ said the Bedouin. ‘You, your wife and one fowl make three.’ (Giving them one chicken.) ‘Your two sons and one fowl make three. Your two daughters and one fowl make three. And I and two chickens make three,’ he finished, taking two chickens for himself; and the joke was on the host again.
Seeing them eyeing his share, he smiled and continued, ‘Perhaps you are not content with my method. Shall I share them out by even numbers, then?’ When they said yes, he replied, ‘Well, then, my host, you and your two sons and one fowl make four. Your wife, her two daughters and one fowl make four.’ He passed the three male members of the household one chicken, and the three female members got one. ‘And,’ he concluded, giving himself three chickens, ‘myself plus three fowls makes four.’
तृतीय पक्षों की सामग्रियों और अन्यथा कथित को छोड़कर, यह सामग्री क्रिएटिव कॉमन्स एट्रिब्यूशन-शेयरएलाइक लाइसेंस के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई है ( http://creativecommons.org/ licenses/ by-sa/ 3.0/ ). । नीचे दी गई सामग्री मालिकाना हक की है तथा इस परियोजना के लिए लाइसेंस के अंतर्गत ही उपयोग की गई है, तथा इसका Creative Commons लाइसेंस से कोई वास्ता नहीं है। इसका अर्थ यह है कि इस सामग्री का उपयोग अननुकूलित रूप से केवल TESS-India परियोजना के भीतर किया जा सकता है और किसी भी बाद के OER संस्करणों में नहीं। इसमें TESS-India, OU और UKAID लोगो का उपयोग भी शामिल है।
इस यूनिट में सामग्री को पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति के लिए निम्न स्रोतों का कृतज्ञतापूर्ण आभार:
चित्र 3: ओडिशा के गजपति जिले से एराम गोमांगो के सौजन्य से (Figure 3: courtesy of Eram Gomango from Gajipati district of Odisha)।
संसाधन 2: ‘The Wide-mouthed Frog’, कीथ फॉकनर के ‘The Wide-mouthed Frog’ से लिया गया अंश; ‘An Old Tiger and a Greedy Traveler’, 12 वीं सदी में गद्य और काव्य में लिखित संस्कृत कथा-संग्रह हितोपदेश से लिया गया (Resource 2: ‘The Widemouthed Frog’, extract adapted from Keith Faulkner’s ‘The Wide-mouthed Frog’; ‘An Old Tiger and a Greedy Traveler’, adapted from the Hitopadesha, a collection of Sanskrit fables in prose and verse from the 12th century)।
कॉपीराइट के स्वामियों से संपर्क करने का हर प्रयास किया गया है। यदि किसी को अनजाने में अनदेखा कर दिया गया है, तो पहला अवसर मिलते ही प्रकाशकों को आवश्यक व्यवस्थाएं करने में हर्ष होगा।
वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है, जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।