यह इकाई पठन के प्रति छात्रों का उत्साह बढ़ाने में आपकी भूमिका पर केंद्रित है। छात्रों को पढ़ने में जितना ज्यादा मज़ा आएगा, वे उतना ही ज्यादा पढ़ना चाहेंगे। उन्हें पढ़ने के जितने ज्यादा अवसर मिलेंगे, वे पठन में उतने ही बेहतर होते जाएँगे। यह एक अच्छा चक्र है।
एक ऐसा शिक्षक जो ‘पढ़ता’ है और एक ऐसा ‘पाठक’ जो शिक्षण कार्य करता है के रूप में, आप एक आदर्श हैं और आप अपने छात्रों को पढ़ने से होने वाले आनंद के प्रति प्रेरित कर सकते हैं।
इस इकाई में आपका परिचय उन कक्षा अभ्यासों से होगा जो आपके छात्रों में पढ़ने के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करेंगे, ताकि उनमें पढ़ने की ‘इच्छा’ और पढ़ने का ‘कौशल’ का विकास हो।
एक पाठक होने के कई लाभ हैं। पठन मानसिक रूप से प्रेरक होता है। इससे ज्ञान, जागरुकता और समझ बढ़ती है। इससे सुनने और बोलने का कौशल बढ़ता है और यह अच्छी तरह लिखने की क्षमता पर भी प्रभाव डालता है। जो छात्र अच्छी तरह पढ़ना नहीं सीखते, उन्हें सीखने के उपलब्ध अवसरों से जुड़ने में भी कठिनाई होती है और इस बात का जोखिम भी रहता है कि वे पीछे न छूट जाएँ।
यदि हमें किसी विशिष्ट गतिविधि में आनंद मिलता है, तो हम उसे बार-बार करने के मौके ढूँढेंगे। हम उस गतिविधि में जितना ज्यादा शामिल होते हैं, उसमें उतने ही बेहतर होते जाते हैं। यह बात पठन पर भी उतनी ही अच्छी तरह लागू होती है जितना किसी अन्य कौशल के लिए। अपने छात्रों को एक आनंददायक तरीके से पढ़ने का अनुभव लेने के ज्यादा से ज्यादा अवसर देकर, आप उन्हें जीवन पर्यन्त, एक आत्मविश्वास से युक्त पाठक बनने की राह पर आगे बढ़ा सकते हैं।
पठन के प्रति छात्रों के दृष्टिकोण पर उनके शिक्षकों का गहरा प्रभाव पड़ता है। इस इकाई में ऐसे कई तरीकों के बारे में सुझाव दिया गया है, जिनके द्वारा आप विविध प्रकार के पाठों को पढ़ने से मिलने वाले आनंद का नमूना स्पष्ट रूप से दिखा सकते हैं।
सबसे पहले आप एक ऐसी शिक्षिका की केस स्टडी पढ़ेंगे, जिन्होंने पठन के आनंद से अपने छात्रों का परिचय करवाने का एक तरीका ढूँढा।
सुश्री राबिया सागर में कक्षा तीन से पाँच के छात्रों वाले एक बड़े मल्टीग्रेड समूह की शिक्षिका हैं। यहाँ वे वर्णन करती हैं कि किस तरह उन्होंने अपनी कक्षा को पठन के आनंद को दिखाने करने के लिए अख़बार का उपयोग किया।
दुर्भाग्य से पारिवारिक जिम्मेदारियों और काम के कारण मुझे अपनी इच्छानुसार पढ़ने का समय नहीं मिल पाता। बावजूद इसके भी मेरे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मैं अपने छात्रों को पठन के महत्व और आनंद को समझना सिखाऊं।
इस साल की शुरुआत में एक दिन मेरे छात्र जब कक्षा में आए, तो मैं एक दैनिक अखबार में एक खबर पढ़ रही थी [टाइम्स ऑफ़ इंडिया, 2014]। जब वे लोग आकर बैठ गए, तो मैंने अखबार नीचे रख दिया और उनसे कहा, ‘मैं अभी-अभी सबसे रोचक बात पढ़ रही थी! यह खबर भारत के सबसे बड़े फेयरी व्हील “दिल्ली आय” (Delhi Eye) के बारे में है!’
मैंने उन्हें उस जायंट व्हील का एक चित्र दिखाया और अपनी बात जारी रखी: ‘इसमें लिखा है कि यहाँ हम ऊपर से कुतुबमीनार, लाल किला, अक्षरधाम मंदिर, लोटस टेम्पल और हुमायूं का मकबरा जैसे स्मारक देख सकते हैं।’ मेरे छात्र इस खबर से बहुत आकर्षित हुए।
मैंने उन्हें समझाया कि अखबार में पढ़ने के लिए बहुत सारी रोचक बातें होती हैं। मैंने अपने छात्रों से पूछा कि स्कूल के बाहर वे कितनी बार अखबार देखते हैं। एक या दो छात्रों ने कहा कि उन्होंने अपनी दुकान में चित्रों और बड़े अक्षरों में लिखी हेडिंग वाले अखबार देखे हैं। एक अन्य छात्र ने कहा कि उसके पिता हर दिन अखबार पढ़ने सामुदायिक भवन में जाते हैं। इस चर्चा से मुझे अपने छात्रों के बारे में थोड़ी ज्यादा जानकारी मिली।
उसके बाद से मैं हर सुबह अपने छात्रों को अख़बार की कोई एक खबर बताने लगी। उनकी रुचि वाली कोई खबर चुनने से पहले हर बार मैं ध्यान रखती थी कि वे मुझे पन्ने पलटते हुए देखें। यह मेरे लिए भी आनंददायक था, क्योंकि इससे मुझे हर दिन अखबार पढ़ने का मौका मिलता था। मेरे छात्रों को भी दैनिक या अंतर्राष्ट्रीय ख़बरों के बारे में जानने की उत्सुकता रहती थी। एक संक्षिप्त चर्चा के द्वारा मैं समाचारों की नई भाषा से विद्यार्थियों का परिचय कराते हुए उनके ज्ञान और अनुभव के साथ समाचार जोड़ पाने में सक्षम हो गई।
जल्दी ही मेरी कक्षा में अख़बारों और पत्रिकाओं का ढेर लग गया था, और मैंने अपने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे सुबह अपने सहपाठियों के आने की प्रतीक्षा करते समय इन्हें देखें। कुछ समय बाद मैंने तय किया कि मैं हर दिन अपनी कक्षा में छात्रों को उन प्रकाशनों पढ़ने के लिए 15 मिनट का समय दूँगी। कुछ विद्यार्थियों ने अकेले पढ़ा था। कुछ ने साथ मिलकर पढ़ा। कुछ अवसरों पर मैंने सुना कि साथ में पढ़ने वाले छात्र उसी तरह की अभिव्यक्तियों का उपयोग कर रहे थे, जैसा मैं उनके साथ करती थी, जैसे ‘वाह, ये कितना रोचक है!’ और ‘आओ देखें इसमें क्या लिखा है!’ कभी-कभी मैं बड़े छात्रों से कहती थी कि वे छोटे छात्रों के साथ पढ़ें। कभी-कभार मैंने उन्हें किसी विशिष्ट शब्द का अर्थ समझाते हुए भी सुना। हाल ही में, मेरे छात्रों ने एक-दूसरे के लेख सुझाना भी शुरू किया है और वे इस तरह की अभिव्यक्तियों का उपयोग करते हैं, ‘क्या तुमने यह पढ़ा है?’ इस संक्षिप्त सत्र में मैं अपने छात्रों की पठन रुचियों और कौशलों का अनौपचारिक अवलोकन कर सकी।
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सुश्री राबिया ने अपने छात्रों को अखबार पढ़ने की एक गतिविधि का नमूना दिखाया। उपर्युक्त समाचार–पत्र की जगह आप स्थानीय समाचार–पत्र की कोई खबर शामिल कर सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को दिखाया कि वे किस तरह इसकी सामग्री में से उन समाचारों का चयन करके उन्हें दिखाती थी, जो उन्हें छात्रों के लिए सबसे ज्यादा रोचक लगते थे और उनके दृष्टिकोण व संबंधित अनुभवों के बारे में बात करने के लिए उन्हें आमंत्रित करती थी।
हर दिन पढ़ने के लिए थोड़ा समय निकालकर, सुश्री राबिया ने अपने छात्रों को इस गतिविधि को नियमित रूप से करने का महत्व समझाया। अपने छात्रों के लिए अखबार और पत्रिकाएँ उपलब्ध करवाकर उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे अपनी रुचि की सामग्री चुनें और अपना चयन अपने सहपाठियों के साथ साझा करें। उन्हें बोलकर पढ़ने, चुपचाप पढ़ने या जोड़ियों में बैठकर पढ़ने की जगह देकर, उन्होंने हर छात्र को अपने स्तर पर इस गतिविधि से जुड़ने का अवसर दिया। छोटे छात्रों को पढ़कर सुनाने के लिए बड़े छात्रों को आमंत्रित करके उन्होंने बड़े छात्रों के पठन कौशल की जांच की।
इस गतिविधि की एक कमी यह है कि ज्यादातर अखबारों और पत्रिकाओं से जुड़ने के लिए एक न्यूनतम स्तर केपठन कौशल की आवश्यकता होती है, यहाँ तक कि बुनियादी स्तर पर भी। इसी तरह, कई समाचार सामग्रियों के लिए ऐसे ज्ञान और समझ की ज़रूरत होती है, जो प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों में होना अपेक्षित नहीं है। इसलिए यह गतिविधि छोटे छात्रों या बहुत शुरुआती पाठकों के लिए उपयुक्त नहीं है।
आपके छात्रों का स्तर चाहे जो भी हो, लेकिन उन्हें पठन का कुछ न कुछ अनुभव अवश्य होगा। चाहे सकारात्मक हो या नकारात्मक, लेकिन उनके मन में पठन के प्रति कोई न कोई दृष्टिकोण भी अवश्य होगा, जो कि स्कूल में, घर पर या उनके समुदाय में उसी प्रकार के अनुभवों पर आधारित होगा। आपके छात्रों के लिए किस तरह की नियमित पठन गतिविधि कारगर होगी? आप यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर छात्र शामिल है? अपने विचारों के बारे में अपने सहकर्मी के साथ चर्चा करें।
अगले अनुभाग में, आप कक्षा में ‘पुस्तक पर बात’ के महत्व के बारे में जानेंगे। यह एक नियमित गतिविधि है, जिसे आप अपने किसी भी पाठ में शामिल कर सकते हैं।
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इस तरह के प्रश्न ‘पुस्तक पर बात’ को प्रोत्साहन देते हैं। आपके सभी उत्तर एक पाठक होने के महत्वपूर्ण पहलू हैं। अगले केस स्टडी में आप देखेंगे कि किस तरह एक शिक्षिका पुस्तक पर बात को अपने पाठ में शामिल करती हैं।
श्रीमती रचना भोपाल में कक्षा आठ की शिक्षिका हैं। यहाँ वे बता रही हैं कि उन्होंने किस तरह अपने छात्रों में पुस्तक पर बात को प्रोत्साहित किया।
पिछले वर्ष तक, मेरे नियमित शिक्षण अभ्यास में अपनी कक्षा को कार्यश्एक पाठ पढ़कर सुनाना और अपने छात्रों से पाठ्यपुस्तक में उसके लिए दिए गए प्रश्न पूरे करने को कहना शामिल था। अपने स्थानीय DIET में एक कार्यशाला के बाद, मैंने तय किया कि यदि मैं अपने छात्रों को पठन के प्रति ज्यादा विवेकशील बनाना चाहती हूँ, तो मुझे अपने पढ़ाने के तरीके में परिवर्तन करना होगा।
मैंने सबसे पहले अपनी कक्षा को पढ़कर सुनाने के लिए एक कहानी चुनी। यह NCERT की कक्षा आठ की पाठ्यपुस्तक की कहानी ‘Children at Work’ थी और इस तरह बात बन गई। जब मैंने पूरी कहानी पढ़ ली, तो मैंने इसके बारे में अपनी प्रतिक्रिया इस तरह दी: ‘मुझे यह कहानी बहुत दुखद लगती है, क्योंकि मुझे बाल श्रमिकों के बारे में पढ़ना पसंद नहीं है। हालांकि, उस बच्चे वेलू के लिए यह एक अच्छा रोमांच है। न जाने उसका क्या होगा। आपका क्या विचार है?’
इसके बाद मैंने अपने छात्रों से कहा कि वे दो मिनट तक अपने साथी के साथ इस कहानी के बारे में बात करें। मैंने उन्हें इस तरह के प्रश्नों के साथ संकेत दिया कि ‘आपको क्या अच्छा लगा?’, ‘आपको क्या अच्छा नहीं लगा?’ और ‘आपको क्या कठिन लगा?’ अंत में, मैंने हर छात्र को कहानी के बारे में उनकी प्रतिक्रिया कक्षा को बताने के लिए आमंत्रित किया।
पहले पहल, मेरे छात्रों को कहानियों पर अपनी प्रतिक्रया के बारे में बात करने में कठिनाई महसूस हुई, क्योंकि उन्हें इस तरह पाठ के प्रति अपनी राय और प्रतिक्रिया व्यक्त करने की आदत नहीं थी। हालांकि, इस तरह की गतिविधि को कई काल्पनिक और अकाल्पनिक पठ्य वस्तुओं के साथ दोहराने के बाद वे अपनी राय साझा करने के प्रति ज्यादा सहज हो गए। अब वे न सिर्फ आत्मविश्वास के साथ यह कह देते हैं कि उन्हें पाठ अच्छा नहीं लगा, बल्कि वे इसका कारण भी समझा सकते हैं। वे अब पाठ पर चर्चा करते समय अपने पुराने ज्ञान का भी उपयोग करने लगे हैं और वे पाठ को अपने खुद के अनुभवों और साथ ही उन्होंने पहले जिन पाठों के बारे में बात और चर्चा की थी, उनसे जोड़ने लगे हैं। जब मेरे छात्र खुलकर पाठ के बारे में इस तरह बात करते हैं, तो मैं उनकी समझ का मूल्यांकन विस्तार से कर सकती हूँ, जो कि केवल पाठ्यपुस्तक के अभ्यास से संभव नहीं है।
हालांकि मैंने एक मार्गदर्शक के रूप में पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों का उपयोग जारी रखा है, लेकिन हम कक्षा में जो कुछ भी पढ़ते हैं, उस पर ज्यादा खुलकर चर्चा करने की मैं हमेशा अनुमति देती हूँ।
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पठन की समझ अपने आप विकसित नहीं होती; यह सिखाई जानी चाहिए। यह सर्वश्रेष्ठ ढंग से तब पूरी तरह सीखी जा सकती है, जब शिक्षक अपने विचारों को व्यक्त करके और पाठ के अर्थ के बारे में अपने छात्रों से चर्चा करके इस अवधारणा प्रक्रिया का नमूना प्रस्तुत करते हैं।
छात्रों ने जो पाठ सुना या खुद पढ़ा है, जब उन्हें उसके बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, तो उनमें आत्मविश्वास विकसित होता है कि वे अपनी प्रतिक्रियाओं और व्याख्याओं के बारे में बात करने का आत्मविश्वास विकसित होता है।
वयस्क होने के कारण, आमतौर पर हम स्वयं चुन सकते हैं कि हमें क्या पढ़ना है। अक्सर हम किसी विशिष्ट तरह के पाठ को अन्य पाठ की तुलना में ज्यादा पसंद करते हैं। हम अपने पठन को प्रदर्शित करते हैं और दूसरों के साथ इस पर चर्चा करते हैं। हमें अपने छात्रों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए - कि वे उनकी पसंद की किताबें चुनें और वे जो भी पढ़ते हैं, उस पर बुद्धिमानी से प्रतिक्रिया दें।
अपनी कक्षा में पुस्तक पर बात करने के लिए एक संक्षिप्त सत्र की योजना बनाएँ। यह 30 मिनट से ज्यादा समय की नहीं होनी चाहिए।
एक छोटा-सा काल्पनिक या अकाल्पनिक पाठ चुनें। यह कोई कहानी, अखबार का कोई तथ्यात्मक लेख, किसी नाटक की स्क्रिप्ट या कोई कविता हो सकती है। आप चाहे जो भी पाठ चुनते हैं, सबसे पहले उसमें अपरिचित शब्दावली का अनुमान लगा लें। शुरू में ही विषय का परिचय देने और यदि कोई अज्ञात शब्द हैं, तो उनका अर्थ समझाने से आप अपने छात्रों की परेशानी को कम करने में मदद करेंगे और आगे जो आने वाला है, उसे समझने में उन्हें इससे सहायता मिलेगी।
पाठ पढ़कर सुनाने के बाद, संक्षेप में अपने छात्रों को बताएँ कि इसके बारे में आपकी क्या राय है और इसे पढ़कर आपके मन में क्या विचार आए। हालांकि इस तरह पुस्तक पर बात का मॉडल प्रस्तुत करना महत्वपूर्ण है, लेकिन शुरुआत में अच्छा यह होगा कि इसे ध्यान से किया जाए, ताकि आप उस पाठ के बारे में अपने छात्रों की राय को बहुत ज्यादा प्रभावित न कर दें। इसके बाद अपने छात्रों को प्रतिक्रिया देने के लिए आमंत्रित करें। उनसे पूछें (उदाहरण के लिए):
आपके छात्रों की सभी प्रतिक्रियाओं के प्रति रुचि दर्शाएँ।
यदि आपकी कक्षा बड़ी है, तो हर दिन छात्रों के अलग अलग समूह के साथ पुस्तक पर बात के सत्र की योजना बनाएँ। जब आप इस छोटे समूह के साथ काम कर रहे हों, तब शेष कक्षा को पुस्तक पर बात के पठन से संबंधित कोई स्वतंत्र कार्य करने को दें। कक्षा को छात्रों के स्तर के अनुसार बाँटकर, आप प्रत्येक समूह के लिए उपयुक्त पाठ का चयन कर सकते हैं।
पुस्तक पर बात के सत्र केवल उस पाठ तक सीमित नहीं होने चाहिए, जो आप अपने छात्रों को पढ़कर सुनाते हैं, बल्कि इनका विस्तार करके उन पाठ को भी शामिल किया जा सकता है, जिन्हें छात्र स्वयं पढ़ते हैं।
इस चरण में मुख्य संसाधन ‘सीखने के लिए बात करना’ पढ़ना आपके लिए मददगार हो सकता है।
वीडियो: सीखने के लिए बातचीत |
आप पुस्तक पर बात के सत्र का विस्तार करने के लिए अपने छात्रों से कह सकते हैं कि उन्होंने जो पढ़ा है, उस पर वे एक संक्षिप्त समीक्षा लिखें। चित्र 2 में दिए गए पुस्तक समीक्षा टेम्पलेट को आप अपनी इच्छानुसार अनुकूलित कर सकते हैं। जैसा कि कक्षा की चर्चाओं में होता है, आपके छात्रों द्वारा इन समीक्षाओं में व्यक्त किए गए सभी विचारों को स्वीकार किया जाना चाहिए और महत्व दिया जाना चाहिए।
अगले अनुभाग में, आप समझ और आनंद में सहायता के लिए जोड़ी में पठन के अभ्यास को देखेंगे।
अकेले पढ़ने की तुलना में साथ मिलकर पढ़ना ज्यादा लाभदायक हो सकता है, और यह मज़ेदार भी हो सकता है।
जोड़ियों में पठन से एक सहायक, सहयोगी शिक्षण संरचना मिलती है, जो तब आदर्श होती है, जब एक छात्र दूसरे छात्र जितना आत्मविश्वासी पाठक नहीं है। छात्र एक दूसरे के लिए बहुत सक्षम और संवेदनशील ‘शिक्षक’ हो सकते हैं। अपने छात्रों को इस प्रकार व्यवस्थित करने के बारे में अधिक जानकारी के लिए संसाधन 1, ‘जोड़ी में कार्य का उपयोग करना’ पढ़ें।
जोड़ी में कार्य के द्वारा, दो छात्र एक पुस्तक को साझा करते हैं और बारी-बारी से एक-एक वाक्य, पैराग्राफ या पृष्ठ पढ़ते हैं (चित्र 3)। पहला पाठक पढ़ता है, जबकि दूसरा उसे सुनता है और साथ-साथ बढ़ता है। जहाँ पहला पाठक रुकता है, दूसरा पाठक उसके आगे से पढ़ना जारी रखता है। यदि दोनों में से किसी को भी कठिनाई होती है या वे गलती करते हैं, तो उनका साथी उनकी सहायता कर सकता है या उनकी गलती सुधार सकता है।
आप समान पठन क्षमता वाले छात्रों की जोड़ी बना सकते हैं या आप अधिक वाक्पटु छात्रों की कम वाक्पटु छात्रों के साथ, या मल्टी-ग्रेड कक्षा में बड़े छात्रों की छोटे छात्रों के साथ जोड़ी बना सकते हैं। यदि जोड़ियों में पठन सुनियोजित हो, तो इसका उपयोग छात्रों की बड़ी संख्या के साथ किया जा सकता है।
अब एक शिक्षक का स्थिति अध्ययन पढ़ें, जो द्विभाषी छात्रों के लिए जोड़ियों में पठन के लाभों को जानते हैं।
श्री रॉय मध्यप्रदेश के एक ग्रामीण विद्यालय में कक्षा पाँच को पढ़ाते हैं।
मेरे कुछ छात्र उनके घर की भाषा के रूप में राठवी बरेली (भाषाओं के बिली समूह से) बोलते हैं। वे स्कूल में हिन्दी समझने और बोलने में लगातार प्रगति कर रहे हैं, लेकिन उनमें सस्वर वाचन में पढ़ने का आत्मविश्वास नहीं है। मैंने देखा कि मेरी एक छात्रा सुरुमी कक्षा में पुस्तकों को देखा करती थी। ऐसा लगता था कि वह चित्रों में खो जाती थी, लेकिन प्रतीत होता था कि वह पृष्ठ पर लिखे शब्दों को नहीं समझती है।
एक दिन, जब वह पुस्तक देख रही थी, तो मैं उसके पास बैठ गया और उससे पूछा कि वह कहानी किस बारे में है। वह मेरा प्रश्न समझ गई, लेकिन उत्तर देने में उसे कठिनाई महसूस हुई। इसलिए मैंने उसके साथ पुस्तक का कुछ भाग पढ़ा और ऐसा करते समय शब्दों और चित्रों की ओर संकेत करता गया। मैंने उससे कुछ सरल प्रश्न पूछे और वह राठवी बरेली व हिन्दी को मिलाकर उत्तर देती रही।
मेरे मन में विचार आया कि राठवी बरेली और हिन्दी बोलने वाले बड़ी उम्र के एक छात्र से सुरुमी को पुस्तक पढ़कर सुनाने को कहा जाए। ऐसा करते समय वह सुरुमी की घरेलू भाषा में उसे अर्थ भी समझाता जा रहा था। सुरुमी ने ध्यान से सुना और उसके प्रश्नों का उत्तर राठवी बरेली मिश्रित हिंदी में दिया।
मैंने आकर्षक चित्रों वाली ऐसी और भी किताबें ढूँढी, जिनके बारे में मुझे लगा कि वे सुरुमी को पसंद आएंगी। मुझे एक ऐसी किताब मिली, जिसमें प्रसिद्ध लोक कथाएँ शामिल थीं और बार-बार आने वाले वाक्यांशों वाला एक सरल पाठ्यवस्तु थी। मैंने एक सहकर्मी से उन कहानियों का राठवी बरेली में अनुवाद करने को कहा ताकि सुरुमी उन्हें हिन्दी और उसकी घरेलू भाषा दोनों में लिखा हुआ देख सके। धीरे-धीरे सुरुमी हिन्दी से परिचित होती गई और इन पुस्तकों को ज्यादा अच्छी तरह समझने लगी। अब वह ज्यादा लंबे वाक्यों वाली कुछ ज्यादा कठिन किताबें पढ़ने लगी है। उसकी प्रगति को देखकर बहुत संतोष होता है।
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हम एक विविधतापूर्ण, बहुभाषी समाज में रहते हैं, जहाँ सभी भाषाएँ मूल्यवान संसाधन हैं। अपने छात्रों को उनकी घरेलू भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने से उन्हें स्कूल में आत्मविश्वासी और सहज महसूस करने में मदद मिल सकती है, और इससे उन्हें अपनी हिन्दी सुधारने में मदद मिल सकती है। भले ही आप वह भाषा न बोलते हों, जो आपके छात्रों की घरेलू भाषा है, लेकिन स्कूल में ऐसे कुछ छात्र हो सकते हैं, जो उनकी की मदद कर सकें। जिन छात्रों की घरेलू भाषा एक ही है, उन्हें जोड़ियों में या छोटे समूहों में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। इस तरह वे स्कूल की भाषा के विकास में सहायता करने के लिए उनके घर की भाषा का उपयोग करके एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।
अगली गतिविधि इस तरह तैयार की गई है, ताकि आपको अपनी कक्षा में जोड़ी में पठन का उपयोग शामिल करने में मदद मिले।
यह गतिविधि जोड़ियों में या तीन या चार विद्यार्थियों के छोटे समूहों में की जा सकती है। पहले से ही यह तय कर लें कि आप किन छात्रों की जोड़ियाँ या समूह बनाना चाहते हैं। क्या उनका चयन क्षमताओं में समानता के आधार पर किया जाएगा या अंतर के आधार पर? चुनें कि छात्र क्या पढ़ेंगे, और सुनिश्चित करें कि आपके पास उस पाठ की पर्याप्त प्रतियाँ हों।
सबसे पहले विद्यार्थियों को, जोड़ी में पठन का नमूना दिखाएं, ताकि आपके छात्र जान जाएँ कि आप उनसे क्या करने की अपेक्षा रखते हैं। छात्रों को वह पुस्तक - या पैराग्राफ - दिखाएँ, जो उन्हें पढ़ना है और विद्यार्थियों में से एक को अपना पार्टनर बनाने के लिए चुनें। यह समझाएँ कि सबसे पहले आप साथ मिलकर एक पैराग्राफ पढ़कर सुनाएँगे और इसके बाद पठन जारी रखने के लिए बारी-बारी से पढ़ेंगे। सबसे पहले एक साथ पहला पैराग्राफ पढ़ें। इसके बाद छात्रों को अगला पैराग्राफ पढ़ना जारी रखने दें। इसके बाद फिर बदलें और अगला पैराग्राफ खुद पढ़ें। इस तरह कई बार बारी-बारी से पढ़ते जाएँ।
अब पहले छात्र के साथ जोड़ी बनाने के लिए एक अन्य छात्र को चुनें और उन्हें यह प्रदर्शित करने दें कि किस तरह जोड़ियों में साथ मिलकर पढ़ना है। यदि आपकी योजना बड़े समूह बनाने की है, तो तीसरे या चौथे छात्र को भी इसमें जुड़ने को कहें।
अपने छात्रों को बताएँ कि यदि उनका साथी या समूह का सदस्य कोई कठिनाई महसूस करता है, तो उसकी मदद करने से पहले उन्हें कुछ सेकंड तक प्रतीक्षा करनी चाहिए, ताकि उसे समस्या को सुलझाने का अवसर मिल सके। उन्हें समझाएँ कि पूरा उत्तर बता देने के बजाय उस छात्र को कोई संकेत देना - जैसे शब्द की पहली ध्वनि - बेहतर होता है।
शुरू में, जोड़ी में पठन कुल दस मिनट का होना चाहिए, और जब आपके छात्र इस गतिविधि से परिचित हो जाते हैं, तो धीरे-धीरे इसे अधिकतम 30 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। अपने छात्रों से कहें कि वे धीमी आवाज़ में एक-दूसरे को पढ़कर सुनाएँ, ताकि इससे उनके सहपाठियों को परेशानी न हो।
कक्षा का चक्कर लगाएँ और ध्यानपूर्वक सुनकर यह जाँचें कि क्या आपके छात्र इस गतिविधि को समझ गए हैं। जिन्हें पढ़ने में कठिनाई आ रही हो, उनकी सहायता करें। इस बात को दर्ज करें कि किन छात्रों ने एक साथ काम किया है, और इसका अवलोकन करें कि वे ऐसा कितनी अच्छी तरह कर पाते हैं। कुछ छात्र एक-दूसरे के साथ विशिष्ट रूप से उपयुक्त हो सकते हैं, लेकिन समय-समय पर जोड़ियों या समूहों में बदलाव करना भी मददगार हो सकता है।
इस गतिविधि के बाद, अपने छात्रों से पूछें कि क्या उन्हें इस गतिविधि में मज़ा आया और यह उन्हें उपयोगी लगी या नहीं। एक दूसरे की मदद करने के लिए उनकी तारीफ़ करें। जोड़ियों में पठन के बाद आप पाठ के बारे में पुस्तक पर बात का एक संक्षिप्त सत्र भी आयोजित कर सकते हैं।
यह इकाई स्कूल में और स्कूल के बाहर आपके विद्यार्थियों को विविध प्रकार के पाठों के उत्साही, आत्मविश्वासी और चिंतनशील पाठक बनाने में आपकी भूमिका पर केंद्रित थी। आनंददायक पठन का नमूना प्रस्तुत करने में आपकी भूमिका इस गतिविधि में छात्रों की सकारात्मक सहभागिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इस इकाई में ऐसी कई गतिविधियों का सुझाव दिया गया है, जिनका उपयोग आप कक्षा में पठन के विकास की सहायता के लिए लगातार बढ़ा सकते हैं। इनमें पुस्तक पर चर्चा शामिल है, जिससे छात्रों को अपने पठन के बारे में अपनी प्रतिक्रया साझा करने का अवसर मिलता है और साथ ही इसमें जोड़ी में पठन शामिल है, जहाँ छात्र साथ मिलकर कुछ पढ़ने के बाद उस पर एक-दूसरे से चर्चा कर सकते हैं। जैसा कि कई गतिविधियों के साथ होता है, पठन एक कौशल है, जो अभ्यास के द्वारा सुधरता जाता है और आपके छात्र जो भी पाठ पढ़ते हैं, यदि उन्हें उसे पढ़ने और उसके बारे में बात करने में मज़ा आता है, तो इस बात की ज्यादा संभावना है कि वे इसका अभ्यास करेंगे।
रोज़ाना की स्थितियों में लोग साथ–साथ काम करते हैं, दूसरो से बोलते हैं और उनकी बात सुनते हैं, तथा देखते हैं कि वे क्या करते हैं और कैसे करते हैं। लोग इसी तरह से सीखते हैं। जब हम दूसरों से बात करते हैं, तो हमें नए विचारों और जानकारियों का पता चलता है। कक्षाओं में अगर सब कुछ शिक्षक पर केंद्रित हो, तो अधिकतर छात्रों को अपना अधिगम प्रदर्शित करने के लिए या प्रश्न पूछने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। संभव है कुछ छात्र केवल संक्षिप्त उत्तर दें और कुछ बिल्कुल भी नहीं बोलें। बड़ी कक्षाओं में, स्थिति और भी बदतर है, जहां बहुत ही कम छात्र कुछ बोलते हैं।
जोड़ी में कार्य छात्रों के लिए बात करने और ज्यादा से ज्यादा सीखने का एक स्वाभाविक तरीका है। यह सोचने और नए विचारों तथा भाषा को आज़माने का अवसर देता है। यह छात्रों को नए कौशलों और संकल्पनाओं के माध्यम से काम करने की सुविधा देता है। यह ज्यादा विद्यार्थियों वाली कक्षाओं में भी सफल रहता है।
जोड़ी में कार्य करना सभी आयु वर्गों के लोगों के लिए उपयुक्त है। यह विशेष तौर पर बहुभाषी, बहुग्रेड कक्षाओं के लिए उपयोगी है, क्योंकि इसमें एक दूसरे की सहायता करने के लिए जोडे बनाये जा सकते हैं। यह सर्वश्रेष्ठ तब काम करता है जब आप विशिष्ट कार्यों की योजना बनाते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए नयी प्रक्रियाओं की स्थापना करते हैं कि आपके सभी छात्र शिक्षण में शामिल हैं और प्रगति कर रहे हैं। एक बार इन नेमी प्रक्रियाओं को स्थापित कर लिए जाने के बाद, आपको पता लगेगा कि छात्र तुरंत जोड़ी में काम करने के अभ्यस्त हो जाते हैं और इस तरह सीखने में आनंद लेते हैं।
आप अधिगम के अपक्षित परिणामों के आधार पर विभिन्न प्रकार के कामों को जोड़ी में कार्य (pair work) करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। जोड़ी में कार्य को स्पष्ट और उपयुक्त होना चाहिए ताकि अकेले काम करने के मुकाबले साथ मिलकर काम करने से सीखने में अधिक मदद मिले। अपने विचारों के बारे में बात करके, आपके छात्र स्वयमेव खुद को और विकसित करने के बारे में विचार करेंगे।
जोड़ियों में कार्य (pair work) में इस प्रकार के काम हो सकते हैं :–
कौशलों (जैसे सुनने का कौशल) का अभ्यास करना: एक छात्र कहानी पढ़ता है और दूसरा प्रश्न पूछता है; एक छात्र अंग्रेजी में पैसेज पढ़ता है, जबकि दूसरा इसे लिखने का प्रयास करता है; एक छात्र किसी तस्वीर या डायाग्राम का वर्णन करता है जबकि दूसरा छात्र वर्णन के आधार पर इसे बनाने की कोशिश करता है।
कहानी सुनाना या भूमिका अदा करना: छात्र जो भाषा सीख रहे हैं, उसमें कहानी या संवाद बनाने के लिए जोड़ी में कार्य कर सकते हैं।
जोड़ियों में कार्य करने का अर्थ सभी को काम में शामिल करना है। चूंकि छात्र भिन्न होते हैं, इसलिए जोड़ों का प्रबंधन इस तरह से करना चाहिए कि हरेक को जानकारी हो कि उन्हें क्या करना है, वे क्या सीख रहे हैं और उनसे आपकी अपेक्षाएं क्या हैं। अपनी कक्षा में जोड़े में कार्य को कक्षा की दैनिकचर्या का हिस्सा बनाने के लिए, आपको निम्नलिखित काम करने होंगेः
उन जोड़ों का प्रबंधन करना जिनमें छात्र काम करते हैं। कभी–कभी छात्र मैत्री–जोड़ों (friendship pair) में काम करेंगे; कभी–कभी नहीं करेंगे। सुनिश्चित करें कि वे समझ गए हैं कि आप उनके सीखने की प्रक्रिया को अधिकतम करने में सहायता करने के लिए जोड़ियां निर्धारित करेंगे।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि छात्र–जोड़े ठीक वैसे ही काम कर रहे हैं जैसा आप चाहते हैं, उन पर नजर रखें।
छात्रों को उनके जोड़े में उनकी भूमिकाएं या जिम्मेदारियां सौंप दें जैसे कि किसी कहानी से दो पात्र, या साधारण लेबल जैसे ‘1’ और ‘2’, या ‘क’ और ‘ख’)। यह कार्य उनके आमने–सामने बैठने के लिए उठने से पहले ही कर लें ताकि वे निर्देश सुन लें।
सुनिश्चित करें कि छात्र एक दूसरे के सामने बैठने के लिए आसानी से मुड़ सकें या घूम सके।
जोड़े में कार्य के दौरान, छात्रों को बताएं कि उनके पास प्रत्येक काम के लिए कितना समय है और समय–समय पर उनकी जांच करते रहें। उन जोड़ों की प्रशंसा करें जो एक दूसरे की मदद करते हैं और काम पर बने रहते हैं। छात्र अपने कार्य के बारे में विचार कर पाएं या अपनी योग्यता सिद्व कर पाएं उससे पूर्व ही कई बार आपके सामने उनके काम में जल्दी से जल्दी शामिल हो जाने का प्रलोभन हो सकता है फिर भी जोड़ियों को आराम से बैठकर उनके खुद के हल ढूंढने का समय दें। अधिकांश छात्रों को ऐसा वातावरण अच्छा लगता है जहॉ सभी लोग बातें कर पाएं और काम कर सकें। जब आप कक्षा में देखते और सुनते हुए घूम रहे हों तो नोट बनाएं कि कौन से छात्र एक दूसरे के साथ सहज हैं, हर उस छात्र के प्रति सचेत रहें जिसे शामिल नहीं किया गया है, और सामान्य गलतियों, अच्छे विचारों या सारांश के बिंदुओं को नोट करें।
कार्य के समाप्त होने पर आपकी भूमिका छात्रों द्वारा किये गये काम के बीच की कड़ियां जोड़ने की है। आप कुछ जोड़ों का चुनाव उनका काम दिखाने के लिए कर सकते हैं, या आप उनके लिए इसका सार प्रस्तुत कर सकते हैं। छात्रों को एक साथ काम करने पर उपलब्धि का एहसास पसंद आता है। आपको हर जोड़े से रिपोर्ट लेने की जरूरत नहीं है – इसमें काफी समय लगेगा – लेकिन आप उन छात्रों का चयन करें जिनके बारे में आपको अपने अवलोकन से पता है कि वे कुछ ऐसा सकारात्मक योगदान करने में सक्षम हैं जिससे दूसरों को सीखने को मिलेगा। इससे उन छात्रों को आत्मविश्वास में वृद्धि करने का अवसर मिलेगा जो सामान्यतः योगदान देने में संकोच का अनुभव करते हैं।
यदि आपने छात्रों को हल करने के लिए समस्या दी है, तो आप कोई नमूना उत्तर भी दे सकते हैं और फिर उनसे जोड़ियों में उत्तर में सुधार करने के संबंध में चर्चा करने के लिए कह सकते हैं। इससे अपने खुद के शिक्षण के बारे में विचार करने और अपनी गलतियों से सीखने में उन्हें सहायता मिलेगी।
यदि आप जोड़ियों में कार्य करने के लिए नए हैं, तो उन बदलावों के संबंध में नोट बनाना महत्वपूर्ण है जिन्हें आप कार्य, समयावधि या जोड़ियों के संयोजनों में करना चाहते हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आप इसी तरह सीखेंगे और इसी तरह अपने अध्यापन में सुधार करेंगे। जोड़ियों में कार्य का सफल आयोजन करना स्पष्ट निर्देशों और उत्तम समय प्रबंधन के साथ–साथ संक्षिप्त सार संक्षेपण से जुड़ा है – यह सब अभ्यास से आता है।
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वीडियो (वीडियो स्टिल्स सहित): भारत भर के उन अध्यापक शिक्षकों, मुख्याध्यापकों, अध्यापकों और छात्रों के प्रति आभार प्रकट किया जाता है, जिन्होंने उत्पादनों में दि ओपन यूनिवर्सिटी के साथ काम किया है।