शब्द समस्याएं काफी लंबे समय से मौजूद रही हैं। इन दो खास उदाहरणों को देखें:
आपको शायद दूसरी समस्या को समझना ज़्यादा कठिन लगा क्योंकि उसका सन्दर्भ कम जाना पहचाना है। कई विद्यार्थियों को इससे कठिनाई थी
शब्द समस्याओं के साथ कठिनाइयां होती हैं क्योंकि:
इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि विद्यार्थी शब्द समस्या के सन्दर्भ की कल्पना नहीं कर सकते (नुन्स, 1993)। शब्द समस्याएं अक्सर आवश्यक रूप से गणितीय समस्याएं होती हैं जो रोज़मर्रा की भाषा में बताई जाती हैं। वे विद्यार्थियों को यह समझने में मदद कर सकती हैं कि गणित वास्तविक दुनिया को मॉडल कर सकता है और ये करते हुए वे खुद गणितज्ञ बन जाते हैं। इसीलिए विद्यार्थियों को यह एहसास होना चाहिए कि वास्तविक दुनिया की समस्याओं में गणित की शक्ति जटिल स्थितियों को मॉडल करने की उसकी क्षमता में छिपी है, जहां से इन समस्याओं को हल करने के लिए उन्हें आवश्यक तत्व निकालने चाहिए
एक जटिल परिस्थिति को समझने और उसे गणितीय रूप से मॉडल करने पर ध्यान केन्द्रित करने से भी विद्यार्थियों को शब्द समस्याओं को समझने में मदद मिल सकती है। गतिविधि 3 में शब्द समस्याओं को नए शब्दों में लिख कर विद्यार्थियों को स्वतंत्र रूप से वो क्या जानना चाहते हैं ये पता करने में मदद की जाती है।
इन शब्द समस्याओं को अनुकूलित करें ताकि वे आपके विद्यार्थियों के सीखने के स्तर के उपयुक्त हों।
गतिवधि
अपने विद्यार्थियों से कहें कि वे प्रत्येक समस्या को पढ़ कर निम्न सवालों के जवाब दें:
हर समस्या के लिए, विचार करें:
क्या आप बोल्ड में हाईलाइट किए गए प्रत्येक शब्द या वाक्यांश का अर्थ जानते हैं? क्या कोई ऐसे वाक्यांश या शब्द हैं जो आपके लिए नए हैं? क्या आपको लगता है कि ये समस्या को सुलझाने में प्रासंगिक होंगे?
किसी शब्द समस्या के सन्दर्भ और गणित को समझने की आपके सभी विद्यार्थियों की क्षमता शायद एक स्तर पर न हो। यह गतिविधि आपको उनके प्रदर्शन की निगरानी करने और उन्हें रचनात्मक फ़ीडबैक प्रदान करने का एक शानदार अवसर देती है। गतिविधि के इस पहलू के लिए अपने आपको तैयार करने के लिए आप शायद संसाधन 2, ‘निगरानी करना और फ़ीडबैक देना’ पर एक नज़र डालना चाहें।
![]() वीडियो: निगरानी करना और फीडबैक देना |
मैं खुश हूं कि मैंने अपनी कक्षा में इन तीन समस्याओं का उपयोग किया। मुझे कहना पड़ेगा कि शुरूआत में उन्हें मन लगाने को कहना बहुत कठिन था – उन्हें बस समस्याएं दिखती थीं और वे कहते थे कि वे अटक गए हैं। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने उन्हें जोड़ी में काम करने के लिए कहा, मुझे लगता है कि यदि कार्य जाना पहचाना न हो और उसमें बहुत सोचने की ज़रूरत हो तो जोड़ी में काम करना हमेशा सहायक होता है। मैंने उन्हें याद दिलाया कि जिसका भी उन्हें अर्थ समझ में न आए उसे वे लिख कर रख लें और फिर सोचें कि इन उपायों के बारे में वे कैसे पता लगा सकते हैं
जब हर किसी ने थोड़ा सोच लिया, तो हमने उपायों के बारे में पता करने के लिए क्या कर सकते थे, उसे साझा किया। पहले उन्होंने कहा, ‘शिक्षक से पूछो’, लेकिन मैंने इस अभ्यास के लिए इस तरीके पर प्रतिबंध लगा दिया और उनसे कहा कि वे थोड़े और कल्पनाशील बनें। एक ने कहा, ‘इंटरनेट का उपयोग करो’, दूसरे ने कहा ‘पाठ्यपुस्तक में देखते हैं’, तो मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे जो चाहें अपनी पाठ्यपुस्तकों में देख सकते हैं और जो नहीं मिलता है उसका यदि वे मेरे पास एक नोट लेकर आते हैं तो आज के लिए मैं उनका इंटरनेट खोज इंजन बन जाउंगी! मैं बड़े ही विचित्र तरीके से पेश आई और मैंने केवल वही जानकारी उन्हें दी जो ‘खोज बार में दर्ज की गई थी’ ताकि उन्हें वास्तव में जो जानना चाहिए उसके बारे में वे सोचें।
एक बार जब सभी को लगने लगा कि उनके पास आवश्यक जानकारी है, तो वे सब नये ढंग से समस्या को लिखने में लग गए। ऐसा लगा कि यह अब आसान हो गया है क्योंकि सारी कक्षा अब सहयोग के साथ काम कर रही थी और साथ बैठ कर सीख रही थी।
मैंने ये अपेक्षा नहीं की थी कि मेरी कक्षा के वे विद्यार्थी जो बहुभाषी थे, उन्हें इस चर्चा से वाकई फ़ायदा हुआ कि शब्दों का क्या अर्थ था। मैंने उन्हें कहा कि वे सुनिश्चित करें कि वे जिस भी भाषा में सहज हों उस भाषा में उस शब्द का अर्थ लिख कर रखें ताकि वे उसे बाद में देख सकें।
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