दूसरी गतिविधि विद्यार्थियों द्वारा भिन्न की धारणाओं को शारीरिक रूप से दर्शाने पर केन्द्रित है। इसे मूर्त रूप भी कहते हैं। आप उन्हें गणितीय विचार दर्शाने के लिए उनके शरीरों का उपयोग करने के लिए कहेंगे। यदि किसी पूर्ण का भिन्न बनाने के लिए स्वयं एक स्थान से उठकर दूसरे स्थान पर जाते हैं, तो वे यह धारणा विकसित करने लगेंगे कि भिन्न क्या है और वे भिन्नों के साथ कैसे काम कर सकते हैं।
इस अंक में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा अगर आप अपने किसी सहकर्मी के साथ मिलकर इसे करने का प्रयास करें क्योंकि स्वयं के अनुभव के आधार पर सिखाना आसान होगा। स्वयं प्रयास करने से आपको शिक्षार्थी के अनुभवों के भीतर झांकने का मौका मिलेगा जिसके फलस्वरूप यह आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा।
पहले एक स्थान बनाएं, और फिर आठ विद्यार्थियों को कक्षा के सामने या ऐसी जगह पर आने को कहें जहां से सारी कक्षा उन्हें देख सकें।
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यह उस शिक्षिका की कहानी है जिन्होंने अपने प्राथमिक विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।
पहले मैंने आठ विद्यार्थियों को कक्षा के सामने आने के लिए कहा और एक ऐसी जगह पर आयताकार आकार में खुद को जमाने के लिए कहा जहां सारी कक्षा उन्हें देख सके। फिर मैंने विद्यार्थी अनुष्का को आकर इन आठ विद्यार्थियों को आधे में विभाजित करने के लिए कहा, जो काफी आसान था।
फिर मैंने कक्षा से पूछा कि क्या आठ विद्यार्थियों के समूह को किसी और तरीके से आधे में विभाजित किया जा सकता है। यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि विद्यार्थियों को गणितीय सवालों के केवल एक जवाब होने की आदत थी, तो पहले तो उन्हें लगा कि कहीं अनुष्का तो गलत नहीं है। उन्हें यह स्पष्टीकरण चाहिए था कि यहां ‘अलग’ का क्या अर्थ है। बेशक, जिस भी तरह से उन्होंने विद्यार्थियों को आधे में विभाजित किया, हर अर्ध भाग में हमेशा चार विद्यार्थी थे। चूंकि मैं इसी उत्तर को खोज रही थी, मैंने उन्हें इन उपायों के बारे में बात करने के लिए समय दे दिया।
फिर मैंने विद्यार्थी नीता से आगे आकर समूह को चौथाई में विभाजित करने को कहा। इस बार विद्यार्थी ये करने के लिए अलग तरीके सुझा पाए, और वे खुश थे कि हर भाग में हमेशा दो विद्यार्थी होंगे।
फिर मैंने विद्यार्थियों के एक और समूह को आगे आने को कहा, इस बार छह विद्यार्थियों के समूह में। इस बार मैंने उन्हें खुद को दो तरीकों से आधे में विभाजित होने को कहा। मैंने पूछा ‘क्या आपको हमेशा एक ही उत्तर मिलता है?’ ‘जी हां!’ उन्होंने कहा। फिर मैंने पूछा ‘आप खुद को और दूसरे किस भिन्न में बांट सकते हैं?’ उन्होंने खुद को चौथाई में बांटने का प्रयास किया लेकिन वे बांट नहीं पाए, लेकिन उन्हें यह पता चला कि वे खुद को तीन भागों में बांट सकते हैं और उन्होंने यह चर्चा की कि इस भिन्न को क्या कहेंगे।
फिर मैंने कक्षा को 12 के समूह में रखा और उनसे पूछा कि वे अपने समूह में कौन से भिन्न बना सकते हैं। एक समूह ने एक बटे बारह का प्रस्ताव दिया, लेकिन अधिकतर ने आधे, चौथाई, और एक बटा छह पर कार्य किया।
अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने पर बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्न सोचें जिनसे विद्यार्थियों में रुचि पैदा हो तथा उनके बारे में उन्हें समझाएँ ताकि वे उन्हें हल करके आगे बढ़ सकें। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। जब भी आप गतिविधियां करवाएं तो इस विचारात्मक अभ्यास का उपयोग करें, यह ध्यान रखें कि श्रीमती आशा ने कुछ छोटे परिवर्तन किए जो काफी महत्वपूर्ण रहे।
![]() विचार के लिए रुकें ऐसे चिंतन को गति देने वाले अच्छे प्रश्न निम्नलिखित हैं:
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OpenLearn - ऐसे प्रश्नों को पूछना जो सोच को चुनौती दे: भिन्न Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.