विद्यार्थियों के लिए किसी भी गणितीय धारणा की समझ विकसित करने और उसे अर्थ देने का एक सर्वोत्तम उपाय है उसके बारे में बातें करना:
बच्चों को यह सीखना ज़रूरी है कि… उनके खुद के गणितीय अर्थ बनाने, नियंत्रित करने और व्यक्त करने और साथ ही दूसरों की गणितीय भाषा की व्याख्या करने के लिए गणितीय भाषा का उपयोग कैसे करें।
(पिम, 1995, पृ. 179)
वे विद्यार्थी जो ‘गणित की भाषा’ बोलना नहीं सीखते वे कई बातों में पीछे रह जाते हैं; खास तौर पर, जैसा ऊपर पिम कहते हैं, उनके पास अपने खुद के गणितीय विचारों को बनाने, नियंत्रित करने और अभिव्यक्त करने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं होते।
विद्यार्थियों को गणित के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना और ऐसा करने के लिए उचित शब्दकोश और शब्दावली विकसित करने में उनकी मदद करना सीखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सोचना और संवाद करना इतने घनिष्ठ रूप से आपस में जुड़े हुए हैं (सफ़ार्ड, 2010) कि यह जानना संभव नहीं है कि पहला कहाँ रुकता है और दूसरा कहाँ से शुरू करता है। यदि आप चाहते हैं कि आपके विद्यार्थी गणित के बारे में सोचें, उसे समझें और इस प्रकार प्रभावशाली ढंग से गणित सीखें, तो उन्हें अपने गणितीय विचारों को व्यक्त करना भी सीखना होगा।
विद्यार्थी इस बारे में बात भी कर पाएँगे कि वो एक दूसरे के बारे में क्या सोच रहे हैं। दूसरे के साथ संवाद करने के लिए विचारों को विकसित करने की गतिविधि गलतफहमियों को सुधारने में उन्हें सक्षम कर सकती है। यह देखा गया है कि जो विचार किसी ऐसी चीज़ में बनाए जाएँ जिसे संचारित किया जा सके, उन्हें विद्यार्थियों द्वारा याद रखे जाने की अधिक संभावना होती है (ली 2006); दूसरे शब्दों में इसका अर्थ है कि विद्यार्थियों में उन विचारों को समझने की अधिक संभावना होती है।
पहली गतिविधि में विद्यार्थियों से उनके वास्तविक जीवन के अनुभवों में राशियो को पहचानने के बारे में विचार करने को कहा जाता है। इसमें उनकी कल्पनाशक्ति को सक्रिय करने के लिए एक चित्र का उपयोग किया जाता है। इस गतिविधि में अत्यावश्यकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्तेजना का बोध कराने हेतु उपाय बताने के लिए विद्यार्थियों को एक लघु समय सीमा देने का सुझाव दिया जाता है। इसका यह भी अर्थ होता है कि उनके पास बीजगणित करने को लेकर चिंतित होने के लिए कम समय बचेगा।
इस अंक में अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों के उपयोग का प्रयास करने से पहले अच्छा होगा कि आप सभी गतिविधियों को पूरी तरह या आंशिक रूप से स्वयं करके देखें। यह और भी बेहतर होगा अगर आप अपने किसी सहकर्मी के साथ मिलकर इसे करने का प्रयास करें क्योंकि स्वयं के अनुभव के आधार पर सिखाना आसान होगा। स्वयं प्रयास करने से आपको किसी सीखने वाले व्यक्ति के अनुभव का ज्ञान होगा, जो आपके शिक्षण और एक शिक्षक के रूप में आपके अनुभवों को प्रभावित करेगा। जब आप तैयार हों, तो एक बार फिर अपने विद्यार्थियों के साथ गतिविधियों का उपयोग करें और विचार करके इस बारे में नोट बनाएँ कि गतिविधि कैसी हुई और उसके ज़रिए क्या सीखा गया। इससे आपको अधिक विद्यार्थी-केंद्रित शैक्षिक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
इस गतिविधि को जोड़ियों और छोटे-छोटे समूहों में करना सबसे अच्छा रहता है। सुनिश्चित करें कि समूह में विद्यार्थी बैठे हों ताकि वे एक दूसरे को अच्छे से सुन सकें। यदि किसी भी समय आपको लगता है कि विद्यार्थियों को और अधिक समय की ज़रूरत है, तो उन्हें कुछ बोनस या अतिरिक्त समय दे दें। आपको आप प्रमुख संसाधन ‘जोड़ी में कार्य का उपयोग’ को देख सकते हैं।
अपने विद्यार्थियों से निम्नलिखित पूछें:
आपमें से कितने लोगों ने ऑटोरिक्शा में सफ़र किया है? चित्र 1 में श्री मूर्ति को एक ऑटोरिक्शा में जाते दिखाया गया है। अपने समूहों में, ऐसी यथासंभव अधिक (मापनीय) राशियों के बारे में सोचें जो एक ऑटोरिक्शा सफ़र के साथ जुड़ी हों। जो समूह चार मिनट में ऐसी सबसे अधिक राशियों को लिखे वह विजेता होगा। आपका समय शुरू होता है … अब।
फिर उन्हें अपने विचारों को सारी कक्षा के साथ बांटने को कहें। यह निम्न रूप से व्यवस्थित किया जा सकता है:
यदि हो सके तो इस सूची को ब्लैकबोर्ड पर छोड़ दें और अपने विद्यार्थियों को उसकी नकल करने को कहें। उन्हें गतिविधि 2 के लिए इसकी ज़रूरत पड़ेगी।
![]() वीडियो: जोड़े में किये गये कार्य का उपयोग करना |
यह उस शिक्षिका की कहानी है जिन्होंने अपने प्राथमिक विद्यार्थियों के साथ गतिविधि 1 का प्रयास किया।
मैं खुद कभी-कभी चर और अचर और उनका एक दूसरे के साथ क्या संबंध है, इस बारे में दुविधा में पड़ जाती हूँ, इसलिए एक ओर तो मुझे लगा कि कक्षा में इन गतिविधियों को करना मेरे खुद के विषय ज्ञान विकास के लिए अच्छा होगा, दूसरी ओर इससे मुझे थोड़ा डर भी लगा। क्या होगा यदि मैं कक्षा में, अपने विद्यार्थियों के सामने इस तरह दुविधा में पड़ जाऊँ?
इसलिए मैंने गतिविधि 1, 2 और 3 पहले अकेले ही की और फिर लंच ब्रेक के दौरान एक सहकर्मी के साथ करके देखी। मेरे खुद के करने और अपने सहकर्मी के साथ करने के बीच अंतर यह था कि जब हमारी समझ में कोई चीज़ नहीं आती तो हम एक दूसरे के साथ बात करते थे और एक दूसरे की मदद करते थे। और साथ ही, मिल कर हमने कई बड़े मज़ेदार उदाहरण ढूँढ निकाले जिसका मतलब हम बीजगणित करते समय खूब हँसे! पहली बार करके देखने पर मैंने कक्षा में इन गतिविधियों को करके देखने के लिए खुद को पूरी तरह तैयार महसूस किया।
गतिविधि 1 से परिचय करवाने के लिए मैंने विद्यार्थियों को श्री मूर्ति का चित्र दिखाया और मैंने ऑटोरिक्शा में उनके खुद के सफ़र के बारे में कक्षा को कुछ बताने के लिए कहा। इससे असल में कुछ अतिरिक्त चरों के बारे में सोचने में मदद मिली, जैसे कि: आंटी अंजू का घर कितना दूर था, पार्क कितनी दूर था, इन यात्राओं में यात्रियों की अलग अलग संख्या, उसमें लगा समय और क्या सड़कें साफ़ थीं या उन पर मानसून में हुई बारिश के कारण कुछ पानी भरा हुआ था, इनमें क्या बदलाव आए। तब जाकर मैंने उन्हें गतिविधि करने को कहा।
मैंने उन्हें चार-चार के समूहों में कार्य करने को कहा। उन्हें ये बताते ही, कि उनके पास केवल चार मिनट हैं, वे तुरंत शुरू हो गए और माहौल एकदम स्पर्धात्मकता और उत्सुकता से भर गया। हालाँकि मुझे यह भी महसूस हुआ कि उन्हें केवल चार मिनट देकर मैंने उनमें से कुछ शर्मीले विद्यार्थियों को एक तरह से ज़्यादा योगदान न देने का बहाना दे दिया था। शायद अगली बार मैं उन्हें कुछ लंबा समय दूँ और अतिरिक्त निर्देश दूँ ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समूह का हर विद्यार्थी कम से कम दो विचारों का तो योगदान दे।
कक्षा को फ़ीडबैक देने के लिए मैंने गतिविधि में सुझाया गया तरीका अपनाया। इसका बड़ा फ़ायदा यह हुआ कि सारी कक्षा के योगदानों का मूल्यांकन करते-करते ही हमारे पास रिकॉर्ड समय में ब्लैकबोर्ड पर उदाहरणों का अंबार लग गया। मैंने सोचा कि वो एक अच्छा विचार था – मेरी कक्षा में करीब 90 विद्यार्थी हैं और मैं अक्सर ‘समूची कक्षा के साथ साझा करने’ से बचती हूँ क्योंकि उसमें बहुत समय लगता है।
अपनी कक्षा के साथ ऐसा कोई अभ्यास करने के बाद यह सोचें कि क्या ठीक रहा और कहाँ गड़बड़ी हुई। ऐसे प्रश्न सोचें जिनसे विद्यार्थियों में रुचि पैदा हो तथा उनके बारे में उन्हें समझाएँ ताकि वे उन्हें हल करके आगे बढ़ सकें। ऐसे चिंतन से वह ‘स्क्रिप्ट’ (लिपि) मिल जाती है, जिसकी मदद से आप विद्यार्थियों के मन में गणित के प्रति रुचि जगा सकते हैं और उसे मनोरंजक बना सकते हैं। अगर विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी इसमें सम्मिलित होने की रुचि नहीं है। हर बार गतिविधियाँ करते समय इस विचारात्मक अभ्यास का उपयोग करें, यह ध्यान रखते हुए कि श्रीमती भाटिया ने कुछ मामूली परिवर्तन किए थे जिससे काफी फर्क पड़ा था।
![]() विचार के लिए रुकें निम्न चिंतन को बढ़ावा देने वाले अच्छे प्रश्न हैं:
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