अगली केस स्टडी में, एक शिक्षिका छात्रों के बारे में अपनी जानकारी का उपयोग एक विस्तारित भाषा और साक्षरता प्रोजेक्ट की योजना बनाने में करती हैं।
कक्षा पाँच की शिक्षिका सुश्री बलेमा को त्यौहारों के बारे में पाठ्यपुस्तक के एक पाठ से प्रेरणा मिली।
मेरे छात्रों ने हाल ही में ईद और होली जैसे भारत के मुख्य त्यौहारों का वर्णन करने वाला एक पाठ पाठ्यपुस्तक में पढ़ा था। हमारे समुदाय में कई रोचक त्यौहार हैं, इसलिए स्थानीय त्यौहारों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया, जिनमें कई त्यौहार जल्दी ही आने वाले थे।
सबसे पहले मैंने अपने छात्रों से पूछा कि वे कौन-से त्यौहार मनाते हैं और उनके उत्तर मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिखे।
इसके बाद मैंने अपने छात्रों को समूहों में व्यवस्थित किया, जिनमें से हर समूह एक त्यौहार का प्रतिनिधत्वि कर रहा था। मैंने प्रत्येक समूह को कागज़ का एक बड़ा टुकड़ा देकर समझाया कि उन्हें इस पर अपने त्यौहार के बारे जितनी ज्यादा बातें वे लिख सकते हैं, लिखनी हैं: त्यौहार क्यों मनाया जाता है, किन देवताओं की पूजा की जाती है, कौन-से समुदाय इसे मनाते हैं, इसमें क्या-क्या किया जाता है, कौन-से पकवान बनाए जाते हैं, क्या इसमें कोई विशेष पोशाक पहनी जाती है और कौन-सी गतिविधियाँ होती हैं। मैंने उन्हें बताया कि यदि वे चाहें, तो चर्चा के लिए और अपनी टिप्पणी के लिए अपने घर की भाषा का उपयोग कर सकते हैं।
इसके बाद मैंने प्रत्येक समूह से कहा कि वे पूरी कक्षा के सामने अपने विचार प्रस्तुत करें। मैंने समूहों को संकेत देने के लिए उनसे कुछ प्रश्न पूछे, जैसे ‘यह दिन में किस समय किया जाता है? आप मंदिर कब जाते हैं, आप क्या पहनते हैं? क्या आपके दादा-दादी भी यह त्यौहार मनाते हैं?’ आदि।
इसके बाद मैंने उन्हें समझाया कि हर समूह को अपने त्यौहार के बारे में बताने वाला एक पोस्टर बनाना है। होमवर्क के लिए, मैंने अपने छात्रों से कहा कि वे उस त्यौहार के बारे में अपने माता-पिता, दादा-दादी और घर में या समुदाय में अन्य लोगों से और जानकारी लें। मैंने उन्हे नमूने के तौर पर कुछ प्रश्न दिए, ‘क्या यह त्यौहार यहाँ हमेशा से मनाया जाता रहा है? क्या यह हमेशा इतने बड़े पैमाने पर होता था? क्या संगीत बदल गया है?’ मैंने अपने छात्रों को उनके पोस्टर के साथ काम करने के लिए एक सप्ताह तक प्रतिदिन एक पाठ आवंटित किया। मैंने हर समूह के पास जाकर उनकी बातें सुनीं, उनका अवलोकन किया और आवश्यकता पड़ने पर उनकी मदद की।
मैंने उन्हें समझाया कि वे पोस्टर पर स्कूल की भाषा में, उनके घर की भाषा में या दोनों भाषाओं को मिलाकर लिख सकते हैं। पहली बार उनमें से कुछ लोगों ने कक्षा में अपने घर की भाषा में कुछ लिखा था। ऐसा करते समय वे बहुत रोमांचित थे।
जब उनका काम ख़त्म हो गया, तो प्रत्येक समूह ने अपने पोस्टर शेष कक्षा के सामने प्रस्तुत किए। मैंने और अन्य छात्रों ने उनसे सवाल पूछे। हम सभी ने बहुत कुछ सीखा। इसके बाद मैंने वे रंगीन पोस्टर दीवार पर लगा दिए, ताकि हर कोई उन्हें देखकर आनंद उठा सके।
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गतिविधियों के इस क्रम के द्वारा छात्रों को अपनी भाषा और साक्षरता कौशल को विकसित करने के कई अवसर मिले। इसमें शामिल थे:
पूरे समय, उन्हें स्कूल की और अपने घर की भाषा के उपयोग का प्रोत्साहन दिया गया।
प्रोजेक्ट के मूल में छात्रों का स्थानीय ज्ञान था। शिक्षिका ने प्रत्येक छात्र और प्रत्येक समूह की निगरानी का समय निकाला। उन्होंने छात्रों के कौशल और सहभागिता के बारे में एक टिप्पणी या जांचसूची रखी।
छोटे छात्रों के लिए, इस तरह की किसी प्रोजेक्ट में बोलने और सुनने पर ज्यादा जोर दिया जाना चाहिए। छोटे छात्र किसी त्यौहार से जुड़े चित्र भी बना सकते हैं या उस त्यौहार के पहलुओं पर आधारित नाटक तैयार कर सकते हैं। बड़ी उम्र वाले छात्रों के लिए, एक लिखित प्रोजेक्ट ज्यादा उपयुक्त रहेगी। जिसमें शोध और विशेषीकृत शब्दावली तथा त्यौहारों के बारे जानकारी शामिल हो, और जो भाषा, इतिहास और पारंपरिक संस्कृति पर आधारित हो।
मुख्य संसाधन ‘सीखने के लिए बोलें’ में छात्रों के बीच सहयोगात्मक कार्य के महत्व के बारे में अधिक विचार शामिल हैं।
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