केस स्टडी एक पढ़ें, जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार एक शिक्षिका चित्रों का उपयोग करके अपने छात्रों को प्रोत्साहित करती है कि उन्हें जो बातें मालूम हैं, वे उनके बारे में बताएँ।
सुश्री प्रियंका उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण स्कूल में कक्षा एक की शिक्षिका हैं। यहाँ वे बताती हैं कि किस प्रकार वे कक्षा में बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए परिचित दृश्यों वाले चित्रों का उपयोग करती हैं।
मैं अपने छात्रों को बातचीत के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चित्रों [चित्र 1 देखें] का उपयोग करती हूँ। स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाए गए ये चित्र टिकाऊ कागज़ की बड़ी शीटों पर छापे गए हैं और प्लास्टिक से ढंके हुए हैं। पहले चित्र का शीर्षक है ‘मेरा गाँव’ और दूसरे का शीर्षक है ‘कृषि’।
सबसे पहले मैं दीवार पर चित्र लगाती हूँ। मैं उनके विषय में नहीं बताती बल्कि इन्तजार करती हूँ कि बच्चे खुद से इन पर ध्यान दें व इन्हें जाँचे परखें। अगले एक या दो दिनों तक मैं अपने छात्रों को इन चित्रों के बारे में एक-दूसरे से बात करते और इनके विवरणों के बारे में चर्चा करते हुए सुनती हूँ।
इसके बाद मैं 20-मिनट का एक सत्र आयोजित करके हर दिन छात्रों के एक समूह के साथ दो चित्रों पर चर्चा करती हूँ। कभी-कभी मैं इस काम के लिए समूह को बाहर भी ले जाती हूँ। मैं शेष कक्षा को उस समय चुपचाप करने के लिए कोई और काम देती हूँ।
मैं पहले से ही कई प्रश्नों की सूची बनाकर रखती हूँ। कुछ प्रश्न सरल वर्णनों को प्रकाश में लाने के लिए होते हैं, जबकि अन्य प्रश्न ज्यादा अन्वेषक बातचीत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से, तर्क, अनुमान और बातों को छात्रों के स्वयं के अनुभवों से जोड़ने के रूप में होते हैं। यहाँ प्रत्येक प्रकार के प्रश्नों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
इस चित्र का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा? और क्यों?
मैं छात्रों की बातों में कोई सुधार या टोकाटाकी किए बिना हर छात्र की बात ध्यान से सुनती हूँ। मैं जोर देती हूँ कि बाकी छात्र भी ध्यान से सुनें। मेरे छात्र जो देखते और जानते हैं, उसके बारे में बोलने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने से मुझे उनके बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इससे मुझे उनकी क्षमता का आकलन करने और उन्हें आगे सहायता करने और बढ़ाने के तरीकों के बारे में सोचने में मदद मिलती है।
मेरे कुछ छात्र बोलने में शर्माते हैं, लेकिन वे अपने सहपाठियों की बातें अवश्य ध्यान से सुनते हैं। मैं उनसे सरल प्रश्न पूछने की कोशिश करती हूँ, जिनके जवाब वे एक शब्द में या इशारे से या सिर हिलाकर दे सकते हैं, जिससे मुझे पता चले कि वे मेरी बात समझ गए हैं।
मैं हमेशा अपने छात्रों को बोलने और सुनने के अच्छे नमूने देने की कोशिश करती हूँ। मैं स्पष्ट रूप से बात करती हूँ, उत्तर देने वालों के साथ दृष्टि संपर्क बनाती हूँ तथा आगे और प्रश्न पूछती हूँ, जिससे उनके उत्तरों के प्रति मेरी रुचि का संकेत मिलता है।
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आपके छात्र संभवतः विविध सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषायी पृष्ठभूमि वाले होंगे। आपके द्वारा कक्षा में शामिल की जाने वाली बोलने और सुनने की गतिविधियाँ छात्रों के विविध तरह के ज्ञान पर आधारित होनी चाहिए। यह विशिष्ट रूप से उन छात्रों के लिए ज्यादा लागू होता है, जिनके घर की भाषा स्कूल की भाषा से अलग है। इस बात पर ध्यान दें कि किस प्रकार (केस स्टडी) 1 में उपयोग किए गए चित्र संकेत सुश्री प्रियंका के सभी छात्रों के परिचित दृश्यों वाले थे। इस बात का ध्यान रखें कि जो छात्र चुप रहते हैं, वे भी सुनकर, सोचकर और सीखकर इस गतिविधि में भाग लेते हैं।
निम्नलिखित गतिविधि में आप अपने छात्रों को बोलने और सुनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चित्रों का उपयोग करेंगे।
इस गतिविधि के लिए आप अपनी पाठ्यपुस्तक से या अपने स्कूल अथवा समुदाय के अन्य स्रोतों से कोई भी चित्र ले सकते हैं।
विचारों के लिए (केस स्टडी) 1 का उपयोग करके, एक पाठ की योजना बनाएँ, जिसमें आप एक चित्र या चित्रों की श्रंखला के द्वारा अपने छात्रों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे जो देखते या कल्पना करते हैं, उसे अपने ज्ञान और अनुभव से जोड़कर उसके बारे में बताएँ।
पाठ की योजना बनाने से पहले, निम्नलिखित कार्य करें:
निम्नलिखित प्रश्न चित्र 2 में प्रदर्शित चित्र पर आधारित हैं। आपके द्वारा उपयोग किये जाने वाले चित्रों व छात्रों की उम्र के अनुसार आपको अन्य प्रश्न तैयार करने पड़ेंगे:
![]() विचार के लिए रुकें अपनी कक्षा के साथ यह गतिविधि पूरी कर लेने के बाद, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:
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अपनी अध्यापन योजनाओं और गतिविधियों में प्रश्नों के उपयोग के बारे में अधिक जानकारी के लिए संसाधन 2, ‘विचार को आगे बढ़ाने के लिए प्रश्नों का उपयोग करना’ देखें।
अगली गतिविधि में आप अपने छात्रों को कहानियाँ बनाने और कक्षा में सुनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चित्रों का उपयोग कर्नेगे।
चित्र 3 के चारों चित्र देखें। इन चित्रों से संबंधित एक कहानी बनाएँ। यह आपकी इच्छा के अनुसार छोटी या बड़ी हो सकती है, और इसमें संवाद भी हो सकते हैं। अपनी कहानी किसी सहकर्मी को सुनाएँ। उन्हें यह कैसी लगी?
अब अपने छात्रों के साथ एक चित्र-आधारित कहानी गतिविधि आज़माएं। इस उद्देश्य के लिए आप चित्रों की किसी भी श्रंखला का उपयोग कर सकते हैं - किसी पुस्तक से, पत्रिका या अखबार से, अथवा आपके द्वारा, आपके मित्र या सहकर्मी के द्वारा बनाए गए चित्र।
सबसे पहले चित्र 3 में दिए गए क्रमानुसार स्वयं एक लघुकथा सुनाकर इस गतिविधि का अभ्यास करें। इसके बाद अपने छात्रों को जोड़ियों या समूहों में व्यवस्थित करें उन्हें इन्हीं चित्र संकेतों का उपयोग करके अलग अलग कहानियाँ तैयार करने को कहें। जिन छात्रों के घर की भाषा एक समान है, उन्हें एक ही जोड़ी या समूह में रखें, ताकि वे उसी भाषा में कहानी सुनाने की तैयारी कर सकें। यदि संभव हो, तो उन्हें अलग अलग आवाज़ों और हावभावों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें।
जब सब लोग तैयार हो जाएँ, तो अपने छात्रों से उनकी कहानी दूसरी जोड़ी या समूह को, अथवा पूरी कक्षा को सुनाने को कहें। घर की भाषा की कहानियों का अनुवाद किस प्रकार स्कूल की भाषा में भी किया जा सकता है, इसके तरीकों के बारे में चर्चा के लिए समय दें।
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