इस इकाई में छोटे छात्रों को कई तरह के साधनों के साथ, अलग–अलग स्थानों पर और अलग–अलग उद्देश्यों के लिए लेखन का अभ्यास करने के अवसर बार–बार देने के महत्व पर बल दिया गया है। लेखन एक विकासात्मक प्रक्रिया है, जिसकी शुरुआत प्रारंभिक चिह्न–रचना से होती है और फिर यह लंबे पाठों को लिखने तक पहुँचती है। इसके लिए शारीरिक शक्ति और साथ ही भाषा के ज्ञान की आवश्यकता होती है।
किसी भी छात्र के प्रारंभिक लेखन का आनंद लिया जाना चाहिए, उसे महत्व दिया जाना चाहिए और समझा जाना चाहिए। इसे गलतियों को ढूँढने और सुधारने का अवसर नहीं बनाना चाहिए। छोटे छात्र किस बारे में लिखते हैं और लेखन के प्रति उनके मन में उत्साह है, यह बात उनके लेखन के तरीकों (स्पेलिंग, हस्तलेख, मात्राएँ, रिक्त स्थान) से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
हो सकता है कि आप ऐसे विद्यालय में पढ़ाते हों, जहाँ के छात्रों को उनके घरों या समुदाय में बहुत कम लेखन देखने को मिलता है या बिल्कुल भी नहीं मिलता। हो सकता है कि आप ही आपके छात्रों के लिए अंग्रेज़ी और हिन्दी लेखन का प्रमुख स्त्रोत हों। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी कक्षा को एक ’मुद्रण–समृद्ध वातावरण’ (print-rich environment) बनाएँ। इस विषय के बारे में एक पृथक शिक्षक विकास इकाई है।
इस विषय पर अन्य प्रारम्भिक अंग्रेजी अध्यापक विकास इकाइयाँ हैं:
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