संस्कृति और समाज की विविधता कक्षा में दिखायी देती है। विद्यार्थियों की भाषाएं, रुचियां और योग्यताएं अलग-अलग होती हैं। विद्यार्थी विभिन्न सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमियों से आते हैं। हम इन विभिन्नताओं को अनदेखा नहीं कर सकते हैं; वास्तव में हमें उन्हें सकारात्मक रूप से देखना चाहिए क्योंकि हमारे लिए ये एक दूसरे के बारे में तथा हमारे अनुभव से परे के संसार को जानने और समझने के लिए एक माध्यम का काम कर सकते हैं। सभी विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर हासिल करने का अधिकार है भले ही उनका स्तर, योग्यता एवं पृष्ठभूमि कुछ भी हो। इस बात को भारतीय कानून में एवं अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकारों में मान्यता प्राप्त है। 2014 में राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के सभी नागरिकों के मूल्यों, मान्यताओं को महत्व दिए जाने पर बल दिया भले ही उनकी जाति, लिंग या आय कुछ भी क्यों न हो। इस संबंध में विद्यालयों और अध्यापकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।
हम सभी के पास उन लोगों के प्रति पूर्वाग्रह और विचार होते हैं जिनसे हमारा परिचय या साक्षात्कार नहीं हुआ हो। एक अध्यापक के रूप में, आपके पास प्रत्येक विद्यार्थी के शैक्षिक अनुभव को सकारात्मक या नकारात्मक ढंग से प्रभावित करने की शक्ति होती है। जाने अनजाने आपके निहित पूर्वाग्रहों और विचारों का इस बात पर अवश्य प्रभाव होगा कि आपके विद्यार्थी कितनी बराबरी के साथ सीख रहे हैं। आप अपने विद्यार्थियों को असमान व्यवहार से सुरक्षित करने के लिए कदम उठा सकते हैं।
ऐसे कई विशिष्ट दृष्टिकोण हैं जिनसे आपको सभी छात्रों को शामिल करने में मदद मिलेगी। इन्हें अन्य प्रमुख संसाधनों में और अधिक विस्तार से वर्णित किया गया है लेकिन यहां संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है:
समूह कार्य एवं जोड़ी में कार्य : सभी विद्यार्थियों को शामिल करने और उन्हें एक दूसरे को महत्व देने के लिए प्रोत्साहित करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर इस बात पर सावधानीपूर्वक विचार करें कि किस तरह आप अपनी कक्षा को समूह में विभाजित कर सकते है या उनमें जोड़े बना सकते हैं। सुनिश्चित करें कि सभी विद्यार्थियों को एक दूसरे से सीखने और अपनी सीखी बातों पर विश्वास का निर्माण करने के लिए अवसर प्राप्त है। कुछ विद्यार्थियों में एक छोटे समूह में अपने विचारों को व्यक्त करने और प्रश्न पूछने के लिए आत्मविश्वास होगा किंतु हो सकता है कि संपूर्ण कक्षा के सामने उन्हें अपने को खड़ा करने में झिझक हो।
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