छात्र जितना ज्यादा अंग्रेज़ी सुनते हैं और पढ़ते हैं, उतना ही उनका अंग्रेज़ी लेखन बेहतर होगा। जब आप छात्रों को अंग्रेज़ी में बोलना और पढ़ना सिखाते हैं, तो आप उन्हें अंग्रेज़ी में लिखना भी सिखा रहे होते हैं। एक बार जब छात्र पढ़ने लगते हैं, तो वे लिखना भी शुरू कर सकते हैं। जब वे लिखने लगते हैं, तो वे अपने और दूसरों के लेख को पढ़ना चाहेंगे। अंतिम केस स्टडी में, शिक्षक इसी प्रक्रिया की प्रेरणा देने के नए तरीकों को आज़मा कर देखते हैं।
यह एक सरकारी स्कूल के शिक्षक श्री हेमराज भट्ट द्वारा लिखे गए लेख से लिया गया उद्धरण है।
हमारी नई पाठ्यपुस्तक एक नया तरीका प्रस्तुत करने जा रही थी। इसमें बच्चों को वर्णमाला के वर्णों से शुरुआत करके और फिर उन्हें लिख लिख कर ‘रटने’ को कहने के बजाय सीधे ही अंग्रेज़ी शब्दों और वाक्यों से उनका परिचय कराया जाने वाला था। लेखन को कोई विशेष महत्व नहीं दिया जाने वाला था। इसके बजाय छात्रों को अंग्रेज़ी सुनने, पढ़ने और बोलने के मौके दिए जाने वाले थे। इससे पहले पाठ्यपुस्तक में शुरुआती छह से आठ पन्ने अंग्रेज़ी वर्णमाला और इससे संबंधित चित्रों के लिए होते थे। नई पुस्तक में अंग्रेज़ी लेखन की शुरुआत वर्णमाला से करने की यह परंपरा तोड़ी जाने वाली थी। परम्पराओं में विश्वास करने वाला शिक्षक होने के कारण, मुझे इस बात की कल्पना भी कठिन लग रही थी कि वर्णों को लिखे बिना छात्र सीधे ही अंग्रेज़ी पढ़ पाने में कैसे सक्षम हो सकेंगे।
दिया गया प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, मैंने प्रयोग करने का निश्चय किया। मैंने अपने छात्रों के बीच कुछ अंग्रेज़ी अखबार और बच्चों की पत्रिकाएँ वितरित कीं, ताकि हर कोई कम से कम तीन पन्ने देख सके। मैंने बोर्ड पर एक अंग्रेज़ी शब्द लिखा। उदारहण के लिए, एक छात्र का नाम जयपाल था। मैंने बोर्ड पर उसका नाम लिखा। अब, जयपाल को जो अख़बार दिया गया था, उसे उसमें अंग्रेज़ी वर्ण ‘J’, ‘A’, ‘I’, ‘P’ और ‘L’ ढूँढकर उन पर गोल घेरा बनाना था। इसी तरह सभी छात्रों को उन्हें दिए गए अख़बार में अपने नामों में दिखने वाले वर्ण ढूँढने थे और उन पर गोल घेरा बनाना था।
छात्रों को अपने नामों में आने वाले वर्ण ढूँढने में बहुत मज़ा आया। उन्हें खासतौर पर तब आश्चर्य हुआ, जब उन्हें अखबार में अंग्रेज़ी में अपना पूरा नाम दिखाई दिया और वे पूरे शब्द पर गोल घेरा बना पाए। इस अभ्यास का उद्देश्य छात्रों को शब्दों से वर्णों पर ले जाना था और ऐसा सफलतापूर्वक हो गया। मुझे यह देखकर अचंभा हुआ कि जो छात्र कुछ महीनों पहले तक अंग्रेज़ी वर्णों को पहचान भी नहीं पाते थे, वे किस तरह अखबारों और पत्रिकाओं में वर्णों और शब्दों के उदाहरणों को ढूँढ पाने में सक्षम थे। अख़बार के इस अभ्यास से मुझे अहसास हुआ कि अंग्रेज़ी पढ़ना छात्रों के लिए मज़ेदार बनाया जा सकता है। एक शिक्षक के रूप में जो मुझे सबसे महत्वपूर्ण दिखा वह यह था कि एक बार बच्चे अंग्रेज़ी पढ़ने लगे; तो वे अंग्रेज़ी लिखना शुरू करने के लिए भी उत्साहित थे।
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संसाधन 2 की गतिविधियों को पढ़ें। इनमें से प्रत्येक गतिविधि में पढ़ना और लिखना आपस में जुड़े हुए हैं।
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