विचार-मंथन एक सामूहिक गतिविधि है, जो किसी विशिष्ट मुद्दे या समस्या पर अधिकतम संभव विचार उत्पन्न करता है तथा यह निर्णय लेता है कि कौन से विचार सर्वश्रेष्ठ समाधान प्रदान करते हैं। इसमें समूह द्वारा उनके सामने मौजूद मुद्दे या समस्या को हल करने के नए विचारों को सोचने के लिए विचार–विमर्ष किया जाता है। विचार-मंथन से विद्यार्थियों को निम्नांकित में मदद मिलती है–
सत्र आरंभ करने से पहले, आपको किसी स्पष्ट मुद्दे या समस्या की पहचान करनी होगी। इसमें ‘ऊर्जा’ जैसे सरल शब्द और समूह के लिए इसका क्या अर्थ है? ‘हम अपने विद्यालय के पर्यावरण को कैसे विकसित कर सकते हैं?’ जैसे प्रश्न शामिल हो सकते हैं। अच्छे विचार-मंथन की व्यवस्था करने के लिए यह आवश्यक है कि हमारे पास वह शब्द, प्रश्न या समस्या हो जिस पर समूह द्वारा प्रतिक्रिया या उत्तर दिए जाने की संभावना है। बहुत बड़ी कक्षाओं में अलग अलग समूहों के लिए प्रश्न अलग अलग हो सकते हैं। लिंग और योग्यता की दृष्टि से समूहों को अधिकतम संभव विविधतापूर्ण बनाया जाना चाहिए।
कागज़ की एक बड़ी शीट की भी जरूरत पड़ेगी, जिसको छह से आठ बच्चों के समूह में सभी देख सकें। सत्र आगे बढ़ने के साथ-साथ, समूह के विचारों को अभिलेखित किया जाना होगा ताकि हर कोई यह जानता रहे कि क्या कुछ कहा जा चुका है? और पहले दिए जा चुके विचारों में वह कुछ अपना जोड़ सके। प्रत्येक विचार को लिखा जाना चाहिए, भले ही वह कितना भी असामान्य हो।
सत्र प्रारम्भ करने से पहले, निम्नांकित नियम स्पष्ट किए जाने चाहिए–
कोई भी किसी के विचारों या सुझावों की आलोचना नहीं करेगा।
प्रत्येक को तेजी से कार्य करना होगा। विचार-मंथन बेहद तेजी से की जाने वाली गतिविधि है।
आरंभ में शिक्षक की भूमिका है कि वह बात–चीत में संलग्नता और विचारों के लिखने को प्रोत्साहित करना। जब बच्चे विचारों के लिए जूझने लगें या समय समाप्त हो जाए, तो समूह या समूहों से उनके तीन सर्वोत्तम विचारों का चयन करवाएं और कहलवाएं कि उन्होंने उनका चयन क्यों किया अंत में–
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