विद्यार्थियों के अधिगम का मूल्यांकन करने के दो उद्देश्य हैं–
निर्माणात्मक मूल्यांकन अधिगम को बढ़ाता है, क्योंकि अधिकांश विद्यार्थियों को अवश्य में सीखने के लिए :
जानना चाहिए कि अपनी पढ़ाई में वे इस समय किस स्तर पर हैं?
समझना चाहिए कि वे किस प्रकार प्रगति कर सकते हैं? (अर्थात क्या पढ़ना चाहिए और कैसे पढ़ना चाहिए?)
शिक्षक के रूप में, यदि आप प्रत्येक पाठ में उपर्युक्त चार बिंदुओं पर ध्यान देंगे तो आप विद्यार्थियों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करेंगे। इस प्रकार पढ़ाने से पहले, पढ़ाते समय और पढ़ाने के बाद मूल्यांकन किया जा सकता है:
जब आप तय करते हैं कि विद्यार्थियों को पाठ या पाठों की शृंखला में क्या सीखना चाहिए? तो आपको उसके साथ साझा करना चाहिए। सावधानी से अंतर करें कि विद्यार्थियों को आप क्या करने के लिए कह रहे हैं? और विद्यार्थियों से क्या सीखने की उम्मीद की जा रही है? ऐसा प्रश्न पूछिये जिससे कि आपको इस बात का आकलन करने का अवसर प्राप्त हो कि क्या उन्होंने वाक़ई समझा है या नहीं? उदाहरण के लिए–
विद्यार्थियों को जवाब देने से पहले सोचने के लिए कुछ सेकंड दें या विद्यार्थियों को पहले जोड़े या छोटे समूहों में अपने जवाब पर चर्चा करने के लिए कहें। जब वे आपको अपना उत्तर बताएँ, तभी आप जान जाएँगे कि क्या वे समझते हैं और उन्हें क्या सीखना है?
आपके विद्यार्थियों में सुधार हेतु मदद करने के क्रम में आपको और उन्हें अपने ज्ञान और समझदारी की वर्तमान अवस्था को जानने की ज़रूरत पड़ेगी। जैसे ही आप वांछित शिक्षण परिणामों या लक्ष्यों को साझा कर लें आप तब निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
महत्वपूर्ण शब्दावली को बोर्ड पर लिखें और प्रत्येक शब्द के बारे में वे क्या जानते हैं? यह बताने के लिए स्वेच्छा से उन्हें आगे आने के लिए कहें। फिर बाक़ी कक्षा से कहें कि यदि वे शब्द समझते हैं तो अपने अंगूठे की दिशा को ऊपर रखें यदि वे बहुत कम जानते हैं या बिल्कुल नहीं जानते हैं, तो अंगूठे की दिशा को नीचे की ओर रखें और यदि वे कुछ जानते हैं, तो बराबर में रखकर दिखायें।
कहाँ से शुरुआत करनी है? यह जानने का मतलब है कि आप अपने विद्यार्थियों के लिए व्यवहारिक और रचनात्मक रूप से पाठ योजना बना सकते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आपके विद्यार्थी यह मूल्यांकन करने में सक्षम हों कि वे कितनी अच्छी तरह सीख रहे हैं ताकि आप और वे दोनों जान सकें कि उन्हें आगे क्या सीखने की ज़रूरत है? आपके विद्यार्थियों को स्वयं अपने शिक्षण का भार उठाने का अवसर प्रदान करने से उन्हें आजीवन शिक्षार्थी बनाने में मदद मिलेगी।
जब आप विद्यार्थियों से उनकी प्रगति के बारे में बात करते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि उनको आपका फीडबैक उपयोगी और रचनात्मक लगे।
आपको विद्यार्थियों विद्यार्थियों के लिए उनके शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए अवसर प्राप्त कराने की ज़रूरत पड़ेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि पढ़ाई के मामले में विद्यार्थियों के वर्तमान स्तर और जहाँ आप उन्हें देखना चाहते हैं, इसके बीच के अंतराल को भरने के लिए हो सकता है कि आपको अपनी पाठ योजना को संशोधित करना पड़े। ऐसा करने के लिए आपको निम्नलिखित कार्य करने होंगेः
पाठों की गति को धीमा करके अक्सर आप दरअसल पढ़ाई को तेज़ करते हैं क्योंकि आप विद्यार्थियों को उस पर सोचने और समझने का समय देकर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं, जिसमें उन्हें सुधार लाने की ज़रूरत होती है। विद्यार्थियों को आपस में अपने काम के बारे में बात करने का मौक़ा देकर, और इस बात पर चिंतन करके कि अंतराल कहाँ पर है और वे इसे किस प्रकार से ख़त्म कर सकते हैं आप उन्हें स्वयं का आकलन करने के तरीक़े मुहैया करा रहे हैं।
जब शिक्षण–अधिगम चल रहा हो कराने के बाद और गृह कार्य देने के बाद, ज़रूरी है कि–
मूल्यांकन की चार प्रमुख स्थितियों की नीचे चर्चा की गई है।
प्रत्येक विद्यार्थी में सीखने की गति अलग–अलग होती है, वह स्कूल के अंदर और बाहर अलग प्रकार से सीखता है। इसलिए, विद्यार्थियों का मूल्यांकन करते समय आपको ध्यान देना होगा–
विद्यार्थियों का व्यक्तिगत रूप से जोड़ों में और समूहों में मूल्यांकन करें, तथा स्व-मूल्यांकन को बढ़ावा दें। अलग विधियों का भी प्रयोग महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोई एक पद्धति आपके वह सभी जानकारी उपलब्ध नहीं कराती जिसकी आपको ज़रूरत है। विद्यार्थियों के सीखने और प्रगति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के विभिन्न तरीक़ों में शामिल हैं जैसे– देखना, सुनना, विषयों पर चर्चा, तथा लिखित वर्ग और गृह-कार्य की समीक्षा करना।
भारत भर के सभी स्कूलों में रिकॉर्डिंग का सबसे आम स्वरूप रिपोर्ट कार्ड के उपयोग के माध्यम से होता है लेकिन इसमें आपको एक विद्यार्थी के सीखने या व्यवहार के सभी पहलुओं को रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं हो सकती है। इस काम को करने के कुछ सरल तरीक़े हैं जिन पर भी आप विचार कर सकते हैं जैसे कि–
जैसे ही जानकारी एवं प्रमाण एकत्रित और अभिलिखित हो जाए उसकी व्याख्या करना ज़रूरी है ताकि यह समझा जा सके है कि प्रत्येक विद्यार्थी किस प्रकार सीख रहा है और प्रगति कर रहा है। इस पर सावधानी से विचार करने और विश्लेषण की आवश्यकता है। फिर आपको शिक्षण में सुधार करने, संभवतः विद्यार्थियों को फ़ीडबैक देकर, नए संसाधनों की खोज करके, समूहों को पुनर्व्यवस्थित करके, शिक्षण बिंदु को दोहरा कर अपने निष्कर्षों पर कार्य करने की आवश्यकता है।
मूल्यांकन, प्रत्येक विद्यार्थियों को विशिष्ट और विभेदक शिक्षण गतिविधियों की स्थापना करते हुए सार्थक ढंग से सीखने का अवसर प्रदान करती है। अधिक ज़रूरतमंद विद्यार्थियों पर ध्यान देने तथा अधिक उन्नत विद्यार्थियों को चुनौती देते हुए सार्थक शैक्षिक अवसर उपलब्ध कराने में आपकी मदद कर सकता हैं।
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