पेशियां आकार घटाने द्वारा कार्य करती हैं जिसे हम कहते हैं कि वे सिकुड़ती हैं, तथा इस प्रक्रम को संकुचन कहा जाता है।
पेशियां हड्डियों से मजबूत रष्मि द्वारा जुड़ी होती हैं। जब कोई पेशी सिकुड़ती है तो वह हड्डी को खींचती है, और यदि वह हड्डी किसी संधि (जोड) का भाग हुई, तो वह गति कर सकती है।
पेशियां केवल खींच सकती हैं, धकेल नहीं सकतीं। ‘‘यदि सिंध को केवल एक पेशी से नियिंत्रत किया जाता’’, तो यह बात समस्या पैदा करने वाली हो सकती थी: पेशी द्वारा संकुचित हड्डी को खींच लेने के बाद, वह हड्डी को फिर से वापस धकेल नहीं पाती, इस समस्या का हल है पेशियों की जोड़ियां, करती हैं जिन्हें प्रतिभावी पेशियां कहते हैं।
कुहनी की संधि (चित्र R1.1) पर से हमारी अग्रबाहु ऊपर या नीचे की ओर गति कर सकती है। इसका नियंत्रण ऊपरिबाहु पर दो पेशियों द्वारा किया जाता है: आगे से द्विशिरस्क (बाइसेप्स) और पीछे से त्रिशिरस्क (ट्राइसेप्स)। द्विशिरस्क और त्रिशिरस्क प्रतिभावी पेशियां हैं।
जब द्विशिरस्क पेशी संकुचित होती है तो अग्रबाहु ऊपर उठती है।
जब त्रिशिरस्क पेशी संकुचित होती है तो अग्रबाहु नीचे जाती है।
चित्र R1.1 कोर संधि (हिंज संधि) का एक मॉडल।
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