ऐसे प्रश्न पूछना महत्वपूर्ण है जिससे विद्यार्थी सिद्धान्त और अपने अनुभव को जोड़ते हुए खोज कर सके और स्वयं अपेक्षित हल को निकाल कर बल विषय में गहन समझ विकसित कर सकें। ऐसा करने के लिए आपको प्रश्न पूछने के कौशलों का रचनात्मक और गतिशील तरीकों से उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए, ताकि विद्यार्थी सोचने के लिए प्रोत्साहित हों।
श्रीमती सीमा अपने द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में अपनी कक्षा से पूछ रही हैं। यहां, उन्होंने जो किया, उसके बारे में बताती हैं।
अपने पाठ की शुरुआत में मैंने विद्यार्थियों से मुझे अपनी मेज़ पर पुस्तक को धक्का देते हुए देखने के लिए कहा और कक्षा से पूछा, ‘मैं क्या कर रही हूं?’ कक्षा में एक विद्यार्थी ने उत्तर दिया, ‘किताब को धक्का दे रही है’।
मैंने कहा,‘बढ़िया’, और बल इसी को तो कहते हैं। मेरे बाद कहो, ‘‘बल धक्के को कहते हैं।’’ मैंने जो करने के लिए कहा था कक्षा ने उसे किया, और मैंने उनसे दोबारा इसे कहने के लिए कहा। मैंने दोबारा पूछा कि बल क्या है? और उन्होंने तब तक इसे बार-बार दोहराया, जब तक कि मुझे लग नहीं गया कि वे इसे जान गये हैं।
इसके बाद, मैंने किताब को अपनी मेज़ पर अपनी तरफ खींची और विद्यार्थियों से पूछा, ‘मैं क्या कर रही हूं?’ उन्होंने जवाब दिया कि मैं किताब को खींच रही थी और मैंने कहा कि यह सही था। इसके बाद मैंने उनसे इसे दोहराने के लिए कहा, ‘खींचना बल है।’ इसके पहले कि हम पाठ्यपुस्तक और अगले हिस्से पर लौटें, मैंने उनसे कथन को कई बार दोहराने के लिए कहा।
श्रीमती शर्मा अपनी कक्षा के साथ बलों पर काम कर रही हैं। वह समझाती हैं कि उन्होंने किस प्रकार से अपने पाठ की शुरुआत की और फिर उसे जारी रखा।
सबसे पहले मैंने अपनी कक्षा से उसके समूहों को ऐसी ज्यादा से ज्यादा चीज़ों की सूची बनाने के लिए कहा, जो कि हिलती हैं। जब वे लिख रहे थे, तो मैं उनके पास गयी और प्रत्येक समूह को कुछ वस्तुएँ प्रदान की, जिसमें पत्थर से लेकर अखबार से ली गयी रिक्शा बाइक [आकृति 2] की तस्वीर तक, हर प्रकार की चीज़ों का एक मिश्रण था। संकलन में छोटी और बड़ी, भारी और हल्की वस्तुएं शामिल थीं।
इसके बाद मैंने उनसे यह प्रश्न पूछा, ‘आप इन वस्तुओं को किस प्रकार से गतिमान बना सकते हैं?’ मैंने उन्हें समूह में चर्चा कर विचारों को जाँचने के लिए पर्याप्त समय दिया तथा अपने उत्तरों को कागज पर सूचीबद्ध करने के लिये कहा। उन्होंने इसे दीवार पर प्रदर्शित किया और विद्यार्थियों ने साथ मिलकर और मैंने सामान्य अवधारणाओं और उन शब्दों या शब्दावलियों को चुना, जिसका कि उन्होंने उपयोग किया था, जैसे कि ‘धक्का देना’, ‘खींचना’, ‘उठाना’, ‘गिराना’, ‘मजबूत’, ‘कमजोर’, ‘मुलायम’, ‘घर्षण’, ‘भारी’, ‘हल्का’ और ‘गतिशील’। इसके बाद मैंने उनसे पूछा, ‘क्या आप एक या दो वाक्य वर्णन कर सकते हैं, वस्तुएँ किस कारण गतिशील होती हैं?’ मैंने उन्हें समूह में बात–चीत करके विचारों को जाँचने के लिए पर्याप्त समय दिया तथा अपने उत्तरों को कागज पर सूचीबद्ध करने के लिये कहा।
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हम आसानी से देख सकते हैं कि दूसरी शिक्षिका श्रीमती शर्मा अपने विद्यार्थियों से उच्च स्तरीय किस्म के प्रश्नों को पूछने के साथ-साथ उनसे एक दूसरे के साथ अपने विचारों को बांटने के लिए कहकर ज्यादा व्यावहारिक तरीके से उनकी मदद कर रही हैं। पहले पाठ में विद्यार्थियों को बौद्धिक रूप से उतनी चुनौती नहीं दी जा रही है, जितनी कि दूसरे सत्र के विद्यार्थियों को दी जा रही है।
श्रीमती शर्मा प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उन्हें समय दे रही हैं और पूरक प्रश्नों की जांच-पड़ताल के साथ उनके कुछ प्रश्नों का अनुसरण करती हैं। उस बल के बीच में अंतर को महसूस कराती है। जिसको धक्का देने की आवश्यकता होती है, जैसे कि कक्षा के फर्श पर चटाई में यहां से वहां रखी गयी ईंट, और चिकने गोल पत्थर, गेंद को उसी सतह पर इधर से उधर धक्का देना कितना आसान है, विद्यार्थी अपने दिमाग में उन विचारों को बनाने में सक्षम होती है। जो कि उससे मेल खाता है, जिसे कि उन्होंने घटित होते महसूस किया है। यह उनके पर्यवेक्षणों के साथ सिद्धांत को जोड़ने में उनकी मदद करता है
शिक्षक के रूप में आपकी भूमिका यह बनती है कि आप अपने विद्यार्थियों में बलों के विज्ञान की समझ को क्रमिक रूप से विकसित करने में मदद करें। ऐसा करने के लिए आपको उनके विचारों की पड़ताल करनी होती है। गतिविधि 1 आपसे उन प्रश्नों के बारे में सोचने तथा अपने कौशल को बढ़ाने के तरीकों का पता लगाने के लिये कहती है, जिनका प्रयोग आपने अपनी कक्षा में किया था।
विज्ञान के उस पाठ के बारे में सोचें, जिसे कि आपने सप्ताह के दौरान पढ़ाया था और उस पर विस्तार से विचार किए तथा अपने विद्यार्थियों से कहा था कि अगर आप कर सकें तो अपने द्वारा पूछे गये सभी प्रश्नों की सूची बनाएं। उन्हें बिल्कुल भी नहीं बदलें। चाहे आपकी सूची जितनी भी छोटी हो अब उसे देखें, तथा इस बारे में सोचें कि इन प्रश्नों के बारे में सीखने में आपके विद्यार्थियों की कितनी मदद की है कि आप पाठ के दौरान क्या कर रहे थे? और किस बारे में बात कर रहे थे
ऊपर दिये गये प्रश्नों के उत्तर में अपनी कक्षाओं में प्रश्न पूछने के अपने उपयोग के बारे में कुछ टिप्पणियां तैयार करें। अपनी टिप्पणियों पर पूरी तरह से गौर करें और प्रश्न पूछने के स्वयं के कौशलों का आकलन करें। आपकी शक्तियां कहां पर निहित हैं? इसे तय करें और आगे पढ़ने से पहले इस बारे में सोचें कि आप किन कौशलों को बेहतर और विस्तारित बना सकते हैं और बनाना चाहेंगे। याद रखें कि शिक्षक के रूप में आपकी भूमिका बलों के बारे में समझ विकसित करने और उसके बारे में सीखने में विद्यार्थियों की मदद करना है। ऐसा करने के लिए आपको उनके वर्तमान विचारों को चुनौती देने तथा इस बात का पता लगाने की ज़रूरत होती है कि वे कितनी अच्छी तरह से तैयार हैं।
![]() वीडियो: चिंतन को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछने का उपयोग करना |
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