आपको विद्यार्थियों को सूक्ष्मता और सही रूप से देखने के लिए प्रोत्साहित करने में समय लगेगा और उन्हें इसके लिए अवसर प्रदान करने होंगे। यद्यपि, यह एक ऐसा निवेश है जो उन्हें उनकी दुनिया और एक विषय के रूप में विज्ञान में ज्यादा रुचि जगाएगा और उत्साहित करेगा।
ऐसी कई गतिविधियां हैं जिनके उपयोग से आप अपने विद्यार्थियों को छाया के बारे में अवलोकन करने और सीखने में मदद कर सकते हैं। इसमें छाया कठपुतलियाँ (छायाओं का ऐसा खेल जिसमें विद्यार्थी किसी की छाया पर खड़े होकर उसे पकड़ते हैं) और परछाइयों की क्रमबद्ध जाँच–पड़ताल शामिल है। जब मामला छोटे बच्चों का हो, तो सर्वस्वीकृत बातें जैसे छायाएँ कैसे बनती हैं? और आकार बदलती हैं, बताने से पहले उन्हें ऐसे विचारों के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण होता है।
खेल के माध्यम से, जो हो रहा है उसके बारे में विद्यार्थी स्वयं के विचार बनाने में लग जाते हैं – ये विचार सभी विद्यार्थियों के लिये अलग–अलग होते हैं। आपकी भूमिका उनकी सोच को विकसित करना, विस्तारित करना और जो वास्तव में होता है उसे स्वीकार करने के लिए चुनौती देना है। इसके लिए उन्हें, उनके विचारों के बारे में बातचीत के अवसर देने होंगे।
कक्षा की विज्ञान शिक्षिका, श्रीमती लतिका ने अपने विद्यार्थियों के साथ इस गतिविधि का प्रयोग किया। उन्होंने इसके बारे में क्या किया? यह उन्हीं के मुंह से सुनते हैं।
सबसे पहले, मैंने यह जानने की कोशिश की कि क्या मेरे विद्यार्थी को पता है कि छाया कैसे बनती हैं? मैंने एक पहेली पूछने से इसकी शुरुआत की। ‘ऐसी कौन सी चीज है जो दिन भर तुम लोगों का पीछा करती है, लेकिन कभी–कभी गायब हो जाती है?’ उन लोगों ने बताया कि वह छाया है। मैंने उनसे पूछा कि उनकी छाया कैसे बनती है? मैंने एक टॉर्च का प्रयोग करते हुए उन्हें दिखाया कि जब प्रकाश को उसके स्रोत से आते हुए, बीच में कोई चीज रोकती है, तो किस प्रकार छाया बन जाती है। उसके बाद उन लोगों ने खेल के मैदान में अपनी छाया देखी और कक्षा में टॉर्च का प्रयोग करते हुए फिर से अपनी छाया देखी। विद्यार्थियों को अपने हाथों का प्रयोग करके अजीब–अजीब आकृतियों और जानवरों की छायाएं बनाकर तथा यह देखकर खूब मजा आया कि कैसे टॉर्च को घुमाकर वे छाया की आकृति बदल सकते हैं।
अगले पाठ में, मैनें विद्यार्थियों से पूछा ‘क्या छाया दिन भर एक जैसी रहती है?’ कुछ विद्यार्थियों ने तो इस पर ध्यान दिया कि छायाओं की आकृति बदलती है, लेकिन कुछ ने इस पर ध्यान नहीं दिया। मैंने उनसे पूछा ‘वे कैसे बदल जाती हैं?’ उन्हें ठीक से पता नहीं था कि छायाओं की आकृति कैसे बदल जाती है, इसलिए मैंने उनसे छोटे–छोटे समूहों में विभाजित होकर इस बात पर बात–चीत करने के लिए कहा कि इसकी पड़ताल कैसे की जाए? क्या छाया आकार बदलती है? और कैसे? बात–चीत अधिक जीवंत रही और हम छाया–अवलोकन कैसे कर सकते हैं? आरै हमारे पास इसके ढेरों सुझाव आए। अंत में, यह तय किया गया कि हमारे विचारों की पुष्टि के लिए दिन के विभिन्न समय पर खेल के मैदान में किसी एक वस्तु की छाया का अवलोकन करना सबसे आसान है।
विभिन्न समूहों ने अपनी–अपनी वस्तुएं चुन लीं और एक चॉक का टुकड़ा, नोटबुक तथा पेंसिल निकाल ली, साथ ही एक स्केल भी। खेल के मैदान में उन लोगों ने अपनी–अपनी वस्तु की छाया बनाई और उस स्थान पर चॉक से निशान लगा दिया और उसका माप ले लिया (ताकि वे प्रत्येक बार उसी स्थान पर जा सकें) और जमीन पर चॉक से छाया का चित्र बना दिया [चित्र 2]। कुछ विद्यार्थियों ने कड़ी जमीन पर अपनी छायाएं बनाई थी जहां चॉक नहीं चल सकता था। उन लोगों ने वहां जमीन पर छाया का अंकन करने के लिए एक डंडी का प्रयोग किया और माप ले लिया। विद्यार्थियों ने अपनी छाया की लंबाई–चौड़ाई का माप लिया और दिन का समय नोट कर लिया। उन लोगों ने यह भी नोट किया कि आसमान में उस समय सूरज कहां था, हालांकि मैंने इस बात का ख्याल रखा था कि वे लोग सीधे सूरज की ओर न देखों। प्रत्येक समूह में एक विद्यार्थी ने छाया की आकृति का अपनी नोटबुक में अंकन किया और अपने अवलोकन को इसमें रिकार्ड किया। दिन में, हम फिर तीन बार और माप लेने के लिए बाहर गए। मैंने ध्यान दिया कि वे उन लोगों ने इस पर कितनी बात–चीत की कि वे क्या कर रहे हैं? और दिन भर में जो हुआ उस पर अपने विचारों को साझा किया। मैंने उनको काम करते हुए और उनकी दिन भर की छाया की तस्वीर ले ली ताकि वे बाद में उन्हें देखकर तुलना कर सकें और जो बदलाव आया है उसे पहचान सकें।
अंत में, मैंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने चित्रांकन और अवलोकनों को ध्यान से देखें और आपस में बात–चीत करें कि इससे क्या निष्कर्ष निकल रहे हैं? ज्यादातर विद्यार्थी समझ गए थे कि छायाएं बदलती हैं और एक जगह से दूसरी जगह भी जाती हैं, और आसमान में सूरज का स्थान बदलने के कारण छायाएं बदलती हैं। अन्य विद्यार्थियों को मेरे फोन पर ली गई तस्वीरों से अंतर को पहचानना आसान लगा।
![]() विचार के लिए रुकें श्रीमती लतिका ने यह कैसे पता लगाया कि छायाओं के बारे में उनके विद्यार्थियों के पहले से क्या विचार हैं? |
श्रीमती लतिका को अपनी गतिविधि के नतीजों से बहुत खुशी हुई, क्योंकि पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक विद्यार्थी यह समझ पाए कि छाया कैसे बनती? और बदलती है? पिछले साल उन लोगों ने सिर्फ पाठ्यपुस्तक की सहायता से ही सीखा था। श्रीमती लतिका को लगा कि यह विद्यार्थियों द्वारा किये गये अवलोकन और समय के साथ बनते पैटर्नों को देखने के कारण हुआ था। वे लोग अपने समूहों में इस बारे में भी बात कर पा रहे थे कि उनके अवलोकन और ली गई तस्वीरें किस प्रकार उनके निष्कर्षों से मिलते हैं। (अपनी कक्षा में समूहों और बात–चीत के लिए योजना बनाने और संगठित करने के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप प्रमुख संसाधन ‘सामूहिक कार्य का प्रयोग करना’ और ’सीखने के लिए बातचीत’ देख सकते हैं।)
किसी नए पाठ या विषय को कैसे शुरू करते हैं, इसका आपके विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया और पाठों में भागीदारी पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। विद्यार्थियों की रुचि पैदा करने, उनके पूर्वज्ञान को जानने के रचनात्मक और विचारोत्तेजक तरीके निकालने के लिए थोड़ा समय देना जरूरी होता है। श्रीमती लतिका ने पहेली के माध्यम से छाया के विचार की शुरुआत की। आप एक कहानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। छाया के बारे में अपने विद्यार्थियों में रुचि पैदा करने के लिए आप एक कहानी लिख सकते हैं या किसी पारंपरिक किस्से की मदद ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपकी कहानी एक विद्यार्थी के बारे में हो सकती है जो बिल्कुल अकेला है तथा वह अपनी छाया के साथ दोस्ती कर लेता है, और जब उसकी छाया गायब हो जाती है तब वह दुखी हो जाता है।
इन गतिविधियों में से कुछ को आप विद्यार्थियों के साथ करने के पहले नीचे सूची में दी गई गतिविधियों को आप स्वयं करें और सोचें कि ये विद्यार्थियों को पैटर्नों की समझ विकसित करने में कितनी मदद करेंगी? विद्यार्थियों के अवलोकन कौशल के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में आपको समय लग सकता है।
आपके विचार से विद्यार्थी क्या सीखेंगे इसके बारे में नोट बनाएं और सोचें कि आप इनका प्रयोग अपने विद्यार्थियों के साथ कैसे कर सकते हैं?
अब आप अपने विद्यार्थियों के लिए एक अवलोकन आधारित पड़ताल शुरू करने जा रहे हैं। जिस तरह श्रीमती लतिका ने किया था आप वैसी ही गतिविधि कर सकते हैं, या नीचे दी गई गतिविधि के आधार पर सरल अवलोकन की योजना बना सकते हैं। यदि आपका देश भूमध्य रेखा के पास है तो धूप–घड़ी से तुरंत नजर आने वाले अंतर नहीं मिलेंगे। ऐसे मामले में आप अपने विद्यार्थियों को प्रकाश के स्रोत (जैसे कोई लैंप या टॉर्च) से विभिन्न दूरियों पर होने पर मापी जानी वाली वस्तु की छाया में आने वाले परिवर्तन की जाँच करने के लिए कह सकते हैं।
नीचे दी गई गतिविधि के विवरण को पढ़ें और संसाधन 1 (पाठों का नियोजन करना) पढ़ें। इससे आपको यह गतिविधि करने में मदद मिलेगी और आप यहाँ जान सकेंगे कि आप अपने विद्यार्थियों को क्या और कैसे सिखाना चाहते हैं? पाठ की ऐसी योजना बनाएं जो आपकी कक्षा के विद्यार्थियों की आयु और क्षमताओं के अनुकूल हो।
धूप–घड़ी बनाना
गतिविधि का विस्तार करना
जैसे–जैसे पाठ आगे बढ़ता है, विद्यार्थियों को काम करते हुए ध्यान से देखें और सुनें कि वे क्या बातें कर रहे हैं? बाद में, निम्नलिखित के बारे में सोचें–
आपने अपने ज्यादा होशियार विद्यार्थियों के सामने किस तरह चुनौती रखी?
![]() वीडियोः अध्याय नियोजन |
OpenLearn - पैटर्नों का अवलोकन करना ; छायाएं और रात - दिन Except for third party materials and otherwise, this content is made available under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 Licence, full copyright detail can be found in the acknowledgements section. Please see full copyright statement for details.