खोज विद्यार्थियों के सीखने में सहायता करने के सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण कार्यनीति है। विज्ञान के प्रति सकारात्मक प्रवृत्तियों को प्रेरणा और प्रोत्साहन देने वाला भी है। कई उद्देश्यों के लिये आप शिक्षण में प्रयोगात्मक खोज का प्रयोग कर सकते हैं जिसमें एक माध्यम के रूप में भी उपयोग सम्मिलित है –
वैज्ञानिक विधि विद्यार्थियों को निम्नलिखित में सम्मिलित करती है–
एक शिक्षक होने के कारण वैज्ञानिक रूप से सोचने और काम करने के सम्बन्ध में आपको विद्यार्थियों की सहायता करनी चाहिये। संसाधन 1 उन तरीकों को प्रदान करता है, जिनसे आप विद्यार्थियों की सहायता कर सकते हैं। विद्यार्थियों के लिये यह आवश्यक नहीं है कि जब भी आप कक्षा में एक खोज का उपक्रम करें, तो वे सभी चरणों का पालन करें। यह संभव है कि वैज्ञानिक विधि का प्रयोग लचीलेपन के साथ किया जाये और खोज करने में विद्यार्थियों के अनुभव और योग्यता पर निर्भर करते हुए खोज को एक समय में एक अथवा दो पहलुओं पर केन्द्रित किया जाये। अत:, उदाहरण के लिए, आप शिक्षण को विद्यार्थियों को परिणामों को प्रस्तुत करने अथवा व्याख्या करना सीखने में सहायता करने पर केन्द्रित कर सकते हैं।
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The next case study looks at setting up an investigation.
श्री शर्मा अपनी कक्षाटप् के विद्यार्थियों को उत्क्रमणीय और अनुत्क्रमणीय बदलावों से परिचय कराते हैं। यहाँ वे व्याख्या करते हैं कि उन्होंने विद्यार्थियों की खोज कैसे व्यवस्थित की।
मैंने विद्यार्थियों को कागज़ के टुकड़ों को मोड़कर, उनसे वस्तुएँ बनाने के लिये कहकर प्रारंभ किया। उन्होंने प्रत्येक प्रकार की वस्तुएँ बनायीं, जैसे फूल, हवाई जहाज़ और नाव। उन्होंने इसका बहुत आनंद उठाया। जब वे समाप्त कर चुके, तब मैंने उन्हें बताया कि स्कूल कागज़ वापस चाहता था और पूछा कि वे क्या कागज़ के पन्ने को वापस दे सकते हैं? वे सहमत थे कि वे इसे वापस दे सकते थे। मैंने उन्हें बताया कि यह एक उत्क्रमणीय बदलाव था, और इसे ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया।
फिर, मैंने एक कागज़ के टुकड़े को जलाने का प्रदर्शन किया और उनसे पूछा कि उन्होंने क्या प्रेक्षण किया। मैंने उनके प्रेक्षणों को ब्लैकबोर्ड पर लिखा। मैंने पूछा कि यह क्या एक उत्क्रमणीय बदलाव था और वे बोले ‘नहीं!’। मैंने उन्हें बताया कि यह एक अनुत्क्रमणीय बदलाव था, जिसे मैंने ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया।
तत्पश्चात्, मैंने उन्हें बताया कि वे बदलाव के बारे में एक प्रयोगात्मक खोज करने जा रहे थे। मेरे पास कुछ वस्तुएँ थीं, जिन्हें वे मिला सकते थे। इनमें नमक, आटा, प्लास्टर और रेत के साथ पानी मिलाना और सोडा बायकाबोर्नेट अथवा दूध के साथ सिरका मिलाना शामिल था।
उन्होंने छोटे–छोटे समूहों में काम किया, जिससे आवश्यक संसाधन कम हो जायें और रिकॉर्ड किया कि उन्होंने कौनसी वस्तुएँ मिलाईं और उन्होंने क्या प्रेक्षण किया? मैंने कुछ प्रश्नों का प्रयोग करके उन्हें बदलावों को ध्यान से देखने में सहायता की। उदाहरण के लिए, मैंने पूछा कि मिश्रण से तुलना करने पर मूल वस्तुएँ कैसी दिखती थीं? मैंने पूछा कि उन्होंने क्या कुछ बुलबुले देखे थे? अथवा गर्माहट का अनुभव किया था? मैंने उन्हें बनावट देखने पर भी ध्यान दिलाया। प्रत्येक के लिये उन्हें बताना पड़ता था कि उनके विचार से क्या वह एक उत्क्रमणीय अथवा अनुत्क्रमणीय बदलाव था?
विद्यार्थियों ने इस खोज का बहुत आनंद उठाया और बहुत सारी वस्तुओं को मिलाया। बहुत सारे विद्यार्थी उत्क्रमणीय मिश्रणों को पहचान सके, लेकिन कुछ –
जैसे प्लास्टर और पानी, पानी में घुले नमक के बारे में वे निश्चित नहीं थे। मैंने इन मिश्रणों को अगली बार देखने के लिये रख दिया।
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