वैज्ञानिक विधि के आधारभूत चरणों से परिचय कराया जा सकता है और विद्यार्थियों के साथ छोटी आयु से प्रयोग किया जा सकता है। नीचे दी गयी सूची कुछ ऐसे तरीकों की चर्चा करती है, जिनसे वैज्ञानिक विधि का अनुप्रयोग दैनिक के विज्ञान की कक्षा में किया जा सकता है।
प्रश्न वैज्ञानिक विधि को संचालित करते हैं। जैसे–जैसे विद्यार्थी एक नयी अवधारणा अथवा विषय का अन्वेषण करना प्रारंभ करते हैं। वे प्रश्न पूछेंगे। इनमें से कुछ प्रश्नों को खोज के आधार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है? जैसे कि ‘जब नमक घुलता है, तो वह कहाँ जाता है?’ अथवा ‘जब एक मोमबत्ती जलती है तो क्या होता है?’ विद्यार्थी ऐसे प्रश्न बुद्धि उत्तेजक प्रश्न उत्पन्न कर सकते हैं अथवा ‘मैं जानने के लिये उत्सुक हूँ। जैसे एक कथन को पूरा करके उन्हें प्रश्नों को उत्पन्न करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है।
विद्यालय के वातावरण में प्रेक्षण करने के कौशलों को बढ़ावा देने के अवसर लगभग असीमित होते हैं। उदाहरण के लिये, गमलों में विभिन्न प्रकारों के बीज बोकर विद्यार्थी स्वयं ही सीधे वनस्पति के जीवन चक्र का प्रेक्षण कर सकते हैं। बाहर खड़े होकर विद्यार्थी प्रेक्षण कर सकते हैं कि छाया कैसे बनाई जाती हैं। विद्यार्थी अपने और दूसरे विद्यार्थियों के मुखों के भीतर देखकर लोगों के दाँतों के बीच समानताओं और अंतरों का प्रेक्षण कर सकते हैं।
अपने विद्यार्थियों को भविष्य कथन करने के बारे में प्रोत्साहित करने के लिये आपको खुले प्रश्नों का प्रयोग करना चाहिये। उदाहरणों में ‘आपके विचार से नमक को क्या हुआ है?’ सम्मिलित हो सकता है। अथवा ‘यदि हम एक मोमबत्ती जलायें तो उसे क्या होगा?’ इस प्रकार की पूछताछ विद्यार्थियों को उत्तर ढूँढने के लिये प्रेरित करेगी।
विद्यार्थियों द्वारा संचालित खोज, जो उनके द्वारा स्वयं उत्पन्न किये गए प्रश्नों पर आधारित होती हैं, उनके लिये अधिक प्रेरणादायक और अर्थपूर्ण होंगी। आप विद्यार्थियों को सामान्य उपकरण प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे स्वयं की खोजें बना सकें। आपके विद्यार्थियों ने जो ध्यान किया है उसके बारे में मौखिक फीडबैक दे सकते हैं अथवा जो उन्होंने प्रेक्षण किया है, वे उसका चित्र बना सकते हैं और लेबल कर सकते हैं।
आँकड़ों को रिकॉर्ड करना और इकट्ठा करना वैज्ञानिक विधि के लिये आधार है, आँकड़ों के बिना विद्यार्थी यह निष्कर्ष निकालने में समर्थ नहीं होंगे कि उनके आसपास की दुनिया किस ढंग से काम करती है। आँकड़ों को विभिन्न ढंगों से इकट्ठा और निरुपित किया जा सकता है, जैसे कि आलेख, सारणियाँ, रूपरेखाएँ, चित्र, चलचित्र और पत्रिकाएँ।
यह बेहतर है कि विद्यार्थी अपने निष्कर्ष स्वयं निकालें बजाये इसके कि उन्हें उनके शिक्षक द्वारा उत्तर प्रदान किये जायें। सावधानीपूर्वक शब्दों से वर्णित किये हुए खुले प्रश्नों को पूछकर आप विद्यार्थियों को अपना अर्थ स्वयं निर्माण करने में सहायता कर सकते हैं। उदाहरणों में ‘आपके विचार से सिक्का क्यों डूबता है? और तिनका तैरता है?’ सम्मिलित हो सकता है अथवा ‘जब आप एक मिनट के लिये कूदते हैं, तो आपका दिल क्यों तेज़ धड़कता है?’ विद्यार्थियों को अपने विचार विकसित करने की अनुमति देने से और अधिक प्रश्न और खोज प्रेरित हो सकते है!
विद्यार्थियों को अवसर दिये जाने चाहिये कि वे शिक्षकों और साथियों के साथ बात–चीत करें कि उन्होंने किस पर ध्यान दिया है। यह उन्हें कारण और प्रभाव के बीच संबंधों को बनाने में सहायता करेगा, तथा उनके चिंतन को सुनियोजित करने में सहायता करेगा।
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