अगली केस स्टडी यह दर्शाता है कि कैसे एक अध्यापक एक विशिष्ट कहानी सुनाने वाले का कक्षा में प्रयोग करता है। इसे पढ़िए और सोचिये कि कैसे आप इससे कुछ मिलते-जुलते प्रयोग कर सकते हैं? संभवत: यह अधिक सरल हो लेकिन आपके विद्यार्थियों पर समान प्रभाव डालने वाले।
कुमारी अनीता जोधपुर, राजस्थान के एक सरकारी विद्यालय में अध्यापिका हैं। वह राजस्थान के विश्नोई संप्रदाय से सम्बन्ध रखती है। अपनी कक्षा के लिये वृक्षों के संरक्षण पर एक पाठ योजना तैयार कर रही हैं। वह बताती हैं कि कैसे स्थानीय समारोह में जाने के बाद उन्होनें विद्यार्थियों को वृक्ष संरक्षण के बारे में रोचक तरीकों से परिचित कराने का निर्णय लिए।
मैं मारवाड उत्सव में गयी थी (अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है) मैं वहां उदयपुर (राजस्थान राज्य का एक शहर) के एक लोकगीत गाने वाले कलाकार मंगीलाल से मिली। मांगीलाल के पास एक आदम कद की ‘कावड़’ थी [लकड़ी का एक छोटा मंदिर या पवित्र स्थल], जिस पर विष्नोइयों द्वारा अपने गॉव के संरक्षण से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं को बड़े अच्छे ढंग से प्रदर्शित किया गया था।
मैंने यह प्रदर्शन देखा और यह पूछने का निर्णय किया कि क्या वे हमारे विद्यालय आकर हमारे विद्यार्थियों को नये प्रसंग से परिचय कराने के लिये और बिश्नोईयों की बहादुरी के कारनामों की कहानी कहने और गाने के लिए आ सकते है? मंगीलाल ने बेहद दिलचस्पी दिखाई, मैंने कहा कि मैं उनके आगमन संबन्धी स्वीकृतियों व अनुमति की सारी आवश्यक व्यवस्था कर दूंगी। [आंगतुकों और उनके आगमन के आयोजन के बारे में संसाधन 3 देखिए] अगले दिन मैं प्रधानाध्यापक से मिली और उन्हें प्रदर्शन करवाने के लिए राजी कर लिया तथा बताया कि कैसे यह सभी विद्यार्थियों में जागरुकता पैदा करने में लाभप्रद होगा? अपने आगमन के दिन मांगीलाल मिस्त्री जल्दी आ गये ताकि वह छोटे और बडे दोनो विद्यार्थियों के साथ अपना प्रदर्शन कर सकें। वह अपनी सुविधा के लिए वही सुंदर कावड़, व चमकीले चित्रों से रंगा एक लाल बक्सा लिये हुए थे। [चित्र 1].
मांगीलाल ने विद्यार्थियों से स्थानीय समुदाय में वृक्षों के महत्व के बारे में प्रश्न पूछते हुए शुरुआत किया, जैसे ही प्रतिक्रियाओं का ढेर लग गया, मंगीलाल ने बिश्नोईयों की कहानी को गाकर सुनाना प्रारंभ कर दिया। मंगीलाल कहानी को सुनाते है तथा जैसे–जैसे कहानी आगे बढ़ती है उसके नाटकीय दृश्टान्त के साथ–साथ वे कबाड़ के एक–एक दरवाजे को खोलते जाते है जो उन्हें कहानी सुनाने में मद्द करती है।
कहानी ने विद्यार्थियों को बॉधे रखा तथा जैसे ही वे बोले, विद्यार्थियों द्वारा प्रश्नों की भरमार हो गयी? उन्होनें अपनी कहानी को वृक्षो के विषय में प्रश्नों के माध्यम से विस्तार दिया। उन्होने पूछा, ‘वृक्षों के बिना जीवन कैसा होगा’? क्या आप उनके बिना रह सकते हैं? क्या हमें उनको बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए? यदि हां, तो कैसे?’ विद्यार्थियों ने प्रतिक्रिया दी और निम्नवत वाक्यांशों से सहमत हुए।
विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाएं भावपूर्ण थीं, जैसे उन्होनें कहा:
मैंने मांगीलाल को कहानी सुनाने के लिये धन्यवाद दिया और उन्हें पाठ के अगले हिस्से से जुड़ने के लिये आमंत्रित किया। आगे की परिचर्चा जीवंत थी क्योंकि ने उनके समक्ष अपने विचारों का अंबार लगा दिया। मांगीलाल और मैंने प्रश्नों के उत्तर दिए तथा उन्हें वृक्षों के संरक्षण में आने वाली समस्याओं के विषय में सोचने के लिए प्रोत्साहित करते हुए अधिक खुले प्रश्न पूछे।
पाठ के अंत में मैंने विद्यार्थियों से मांगीलाल को उनकी अद्भुत कहानी कहने के लिये धन्यवाद कहने के पश्चात उनके विचारों को ब्लैक–बोर्ड पर लिखा, मैंने विद्यार्थियों को सोचने के लिए कहा कि हम क्या कर सकते हैं? उसे अगले सत्र में बात–चीत करेगे। विद्यार्थी अन्तराल के लिये कक्षा से धीरे से बाहर निकल गये, लेकिन कई विद्यार्थी कावड़ को नज़दीक से देखने और मंगीलाल से बात करने चले गये।
यह गतिविधि आपको पर्यावरण विषय में कहानी, कविता का प्रयोग करते हुये पाठ पढ़ाने के विषय में बताती है। कहानी, कविता का प्रयोग करते हुए नये प्रसंग या पाठ का अपने विद्यार्थियों से परिचय कराना, पर्यावरणीय मुद्दे पर रुचिकर एवं प्रेरक विचार बनाना। इसके संभावित तरीकों के लिये संसाधन 4 पढिये।
आप विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहते हैं? इसके विषय में किसी आंगतुक या कहानी कहने वाले को संक्षिप्त में बताएं, ताकि वह आपकी सहायता कर सके।
‘रैट स्नेक’ (संसाधन 5 देखे ) एक कहानी है जिसका आप चाहें तो प्रयोग कर सकते हैं लेकिन वहां कई अन्य कहानी भी हैं। अब अपना पाठ पढ़ाइये और जैसे-जैसे यह आगे बढ़े, ध्यान दीजिये कि विद्यार्थी पाठ में कैसे भागीदारी ले रहे हैं। तथा विद्यार्थियों द्वारा दी गयी टिप्पणी व उनकी बातचीत को दर्ज करें।
![]() विचार के लिए रुकें पाठ के बाद चिन्तन करें कि क्या अच्छा हुआ और क्यों?
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![]() वीडियो: कहानी सुनाना, गाने, नाटिका और नाटक |
किसी पाठ के दौरान अपने विद्यार्थियों से स्थानीय पौधों, पशुओं से सम्बंधित कहानियों के विषय में पूछने में कुछ मिनट बितायें, जो उन्होंने अपने परिवारों में सुनी हों? टीवी में देखी हों या फिर अखबारों में पढ़ी हों। विद्यार्थियों को अपनी कहानियों को बांटने का समय दें तथा कहानी की एक संक्षिप्त रूपरेखा लिखने के लिये कहें। प्रत्येक समूह एक या अधिक कहानियां प्रस्तुत कर सकता है। इन्हे एक फ़ोल्डर या एक किताब में एकत्रित करें, ताकि कक्षा में सभी जब अपना कार्य जल्दी समाप्त कर लें और जब उनके पास समय हो तो वे इन्हें देख सकें। यह विद्यार्थी संसाधन निर्माण करने का एक तरीका है जो उनकी रुचि को प्रेरित करेगा और उन्हें पर्यावरण के मुद्दों के विषय में सोचने के लिए सहायक होगा।
कोई कहानी, कविता पढ़ने जैसी गतिविधियां कक्षा के वातावरण को जीवंत बनाती हैं यदि आप उनकी कल्पना को समझ सकें तो आप विद्यार्थी की व्यक्तिगत रुचियों और भागीदारी को बेहद शीघ्रता से जान सकते हैं। अन्य गतिविधियां जैसे कि गीत, नाटक, रोल प्ले का उपयोग उन तरीकों के समान कर सकते जैसा कि संसाधन 6 में सुझाया गया है। कहानी सुनाना, गीत, रोल प्ले एवं नाटक’ आपको कार्य की योजना बनाते तथा चुनाव करते समय अनेकों विचार तथा दिशा देती है। ऐसी गतिविधियां विद्यार्थियों को अधिक समझने तथा पर्यावरण के प्रति भावनात्मक संवेदना विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह चीजों को याद रखने में विद्यार्थियों की सहायता करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और पर्यावरण के प्रति विद्यार्थियों में अधिक सहानुभूति विकसित करते हैं।
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