नीचे की कहानी को अपने आप में पिढ़ए और सोचिये कि आप अपने विज्ञान पाठ में किस प्रकार इसका प्रयोग कर सकते हैं।
एक रैट स्नेक धान के खेत के किनारे एक बिल में रहता था। रैट स्नेक खेत और गोदाम में आने वाले चूहों को खा जाता था। एक दिन सांप बहुत भूखा था और गोदाम में आये चूहे का पीछा कर रहा था। लेकिन चूहा बहुत चालाक था- वह तेजी से दौड़ा और गोदाम मे जाकर छिप गया। सांप किसी दूसरे चूहे की तलाश में चला गया।
चूहा अब कुछ समय के लिये बिना चिंता किये जितना चाहे उतना चावल खा सकता था। अन्य दूसरे चूहों की तरह वह एक दिन में 50 ग्राम के करीब चावल खाता था।
एक दिन चूहे ने आठ बच्चों को जन्म दिया। एक मादा चूहा तीन सप्ताह में बच्चे पैदा करती है। चूहे और उसके बच्चे बिना किसी भय के साथ बड़े हुये, क्योंकि खेत की रखवाली करने वाले किसान ने सांप को मार डाला क्योंकि वह नहीं जानता था कि रैट स्नेक जहरीले नही होते हैं और न ही मनुष्यों के लिये हानिकारक।
जल्द ही चूहे के आठ बच्चे बड़े होगये और उन्होंने चावल खाना शुरु कर दिया।
बच्चे चूहे लगभग पांच सप्ताह की आयु से बच्चे पैदा कर सकते हैं। वह सभी इसी गोदाम में चावल खाते हैं। छ: सप्ताह बाद हमारी पहली चुहिया नानी बन गयी, इसके चार बच्चों ने अब खुद के बच्चे दिये - प्रत्येक ने आठ!
पांच सप्ताह में ये बच्चे चावल खाना शुरु कर देंगे और अब कई चूहे हैं, जो एक दिन में 50 ग्राम चावल खाते हैं। एक चूहा 30 दिन में 1.5 किलोग्राम चावल खा जाता है, लेकिन चूहे चावल ही नहीं, जो भी दाने, पके भोजन और सब्जियां पाते हैं, खा जाते हैं। वे कई कीटाणु साथ लाते हैं जो मनुष्यों में बीमारियों को फैलाने का कारण बनते हैं। नि:संदेह, गोदाम में और भी अन्य चूहे हैं, जिससे की जनसंख्या वृद्धि निरंतर होती रहती है।
आप कैसे सोचते है कि चूहे हमें प्रभावित करते हैं? बिना निर्दयी हुए हम चूहों की संख्या को कैसे सीमित कर सकते हैं? हमें यह क्यों करना चाहिये?
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