चर्चा करना एक सक्रिय पद्धति है जो विद्यार्थियों को वैज्ञानिक अवधारणाओं, मुद्दों एवं नैतिकता के अर्थ की रचना करने और उन्हें समझने में सहयोग देती है। कुपोषण जैसे विषय-बिंदु के संबंध में आपके विद्यार्थियों के अपने-अपने विचार होंगे। ये विचार या समझ, उनकी संपूर्ण विद्यालयी शिक्षा के दौरान विज्ञान के पिछले पाठों से और उनके व्यक्तिगत एवं पारिवारिक अनुभवों से निर्मित हुए होंगे। स्वास्थ्यकर भोजन करने के महत्व पर विचार करने के लिए विद्यार्थियों को अवसर प्रदान करने के द्वारा उनके ज्ञान को और विस्तार देने से उनके जीवन संबंधी निर्णयों पर प्रभाव पड़ेगा जो वयस्क होने की प्रक्रिया से गुजरने के दौरान लेंगे।
प्रभावी चर्चाओं में, विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जाता है कि अवधारणाओं और विचारों की खोज करते समय एक-दूसरे से अधिकांश बातचीत स्वयं ही करें। इस बातचीत के द्वारा ही हम प्रायः विषय के बारे में अधिक गहराई से सोचना आरंभ करते हैं। यह न केवल विद्यार्थियों को एक-दूसरे से सीखने में सक्षम बनाने में सहयोगी है, बल्कि इससे वे गलतफहमी वाले विचार भी आपके सामने आ जाते हैं जो उनके मन में हो सकते हैं, जिससे आप बाद में प्रत्यक्ष रूप से सीखने के तरीके तैयार कर सकते हैं। प्रारंभिक अवस्था से ही विद्यार्थियों की विज्ञान के बारे में बात करने और अपने विचारों को साझा करने में मदद करने एवं उन्हें समर्थन देने से बाद के जीवन में अपनी बात के पक्ष में तर्क रखने में अधिक सक्षम हो जाएंगे।
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